सहकर्मी करने लगे जब “ब्लेक मेल” 

जब पुरुष और महिला  साथ साथ काम करते हैं तब दोनों को जहां एक तरफ सकारात्मक भाव के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है, माननीय संबंधों की शुरुआत होती है. वही किन्हीं  हालातों में नकारात्मक घटनाएं भी हमें देखने को मिलती है. जो आगे बड़े अपराधों का रूप ले लेती है और लोगों का जीवन बर्बाद कर देती है. अक्सर हालात कुछ ऐसे बनते हैं कि महिला व पुरुष काम करते करते एक दूसरे के बारे में कुछ ऐसा जान जाते हैं या हासिल कर लेते हैं जो अगर सार्वजनिक कर दिया जाए तो उनके निजी जीवन, सामाजिक जीवन पर गाज बन गिर पड़ता है.

अक्सर इस मामले में महिलाएं प्रताड़ित होती रही हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी एक ऐसी ही घटना इन दिनों सुर्खियों में है जहां एक ही स्कूल में पढ़ा रहे पुरुष व महिला शिक्षक के बीच मामला ब्लैक मेलिंग यानी  भय दोहन तक पहुंच गया.

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राजधानी रायपुर  के टिकरापारा पुलिस ने महिला शिक्षिका को भयदोहन  करने के आरोप में एक शिक्षक को गिरफ्तार किया है. महिला टीचर का बयान  है कि एक दफे भ्रमण  के दौरान शिक्षक ने उसके साथ अपने मोबाइल मे सेल्फी ली थी,  आगे चल कर उसी फोटो को वायरल करने की धमकी देकर अनाप शनाप रुपये  की मांग  करने  लगा था. हजारों रूपए देने के बाद भी कई सालों से  सिलसिलेवार ब्लैकमेल करता रहा . मगर जब पानी सर से ऊपर चढ़ने लगा  तो महिला ने  सहकर्मी शिक्षक की तथाकथित कहानी  अपने परिजनों को बताई  उनका संबल मिलने पर महिला की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी शिक्षक सुरेंद्र टंडन को अपनी गिरफ्त में लेकर सलाखों के पीछे डाल दिया है.

भयदोहन का सच!

शिक्षक के भय दोहन सारी सच्ची कहानी सिलसिलेवार कुछ इस तरह है  जिसे टिकरापारा  थाना प्रभारी व जांच अधिकारी याकूब मेमन बताते है- आरोपी शिक्षक सुरेंद्र टंडन डुंडा स्थित प्राथमिक शाला में पदस्थ है. पीड़िता महिला शिक्षिका भी पहले उसी स्कूल में पदस्थ थी. इसी दरमियान  उनकी जान पहचान हुई और  सोशल मीडिया पर  बातचीत होने लगी. इसी बीच एक दिन शिक्षक सहयोगी शिक्षिका को अपने साथ घूमाने ले गया. जब वो साथ में घूम रहे थे, तभी फोन में शिक्षक ने महिला शिक्षिका के साथ कुछ  सेल्फी ली थी.इसी सेल्फी को शिक्षक सोशल मीडिया में डालकर वायरल कर देने और पूरी बात उसके पति को बता देने की धमकी देता रहता  था. यही नही ब्लैकमेल कर वह महिला से 70 हजार रुपए वसूल  चुका था. पिछले कई दिनों से शिक्षिका इसी बात को लेकर परेशान रह रही थी. पत्नी के परेशान होने की वजह पतिदेव  ने पूछ ली. तब पति के संबल पर पत्नी में थाने में पहुंच अपनी फरियाद प्रस्तुत की और अंततः सहकर्मी शिक्षक को जेल के सीखचों में पहुंचा दिया गया.

दोनों पक्षों की समझदारी

यहां यह बताना बेहद जरूरी है कि आज जब महिला और पुरुष साथ-साथ कदम पर कदम मिलाकर हर एक जगह संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं. शिक्षक के रूप में, दफ्तरों में, शासकीय कार्यालयों में, निजी संस्थानों में ऐसे में पुरुष एवं महिला दोनों को लिए यह आवश्यक है कि अपनी मर्यादा का पालन करें.

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इस संदर्भ में वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ उत्पल अग्रवाल कहते हैं- साथ साथ काम करते हुए पुरुष और महिला दोनों में समझदारी की परम आवश्यकता है.अगर कोई एक पक्ष बहकता है तो दूसरा पक्ष उसे संभाल सकता है. मगर दोनों ही पक्ष अर्थात पुरुष और महिला सीमाओं का अतिक्रमण करते हैं तो आगे चलकर अपराध का घटित होना तय है.

किडनैपिंग के 15 दिन : भाग 1

फिरोजाबाद जिले के थाना दक्षिण के अंतर्गत एक मोहल्ला है राजपूताना. यहीं के निवासी 35 वर्षीय मोहम्मद अकरम अंसारी पेशे से वकील हैं. वह 3 फरवरी, 2020 को आगरा के बोदला निवासी अपने रिश्तेदार की बीमार बेटी को देखने के लिए आगरा के श्रीराम अस्पताल गए थे.

बीमार बेटी को देखने के बाद वकील अकरम अंसारी घर जाने के लिए शाम के समय अस्पताल से निकले. चूंकि उन्हें बस अड्डे से बस पकड़नी थी, इसलिए बस अड्डा तक जाने के लिए उन के साढ़ू फैज अंसारी ने उन्हें कारगिल चौराहे से एक आटो में बैठा दिया था, लेकिन वह घर नहीं पहुंचे.

परिजन सारी रात बेचैनी से अकरम अंसारी का इंतजार करते रहे. बारबार वह अकरम को फोन मिला रहे थे, लेकिन उन का फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. इस से घरवालों की चिंता बढ़ रही थी. अगली सुबह अकरम के भाई असलम उन्हें तलाशने के लिए आगरा पहुंचे.

वहां पता चला कि साढ़ू फैज अंसारी ने उन्हें बस अड्डा जाने वाले एक आटो में बैठा दिया था. वहां से वह कहां गए, किसी को पता नहीं. इस के बाद असलम ने भाई को रिश्तेदारी व अन्य परिचितों के यहां तलाशा. लेकिन अकरम कहीं नहीं मिले. तब असलम ने आगरा के थाना सिकंदरा में भाई की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

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दूसरे दिन बुधवार को दोपहर डेढ़ बजे वकील अकरम के छोटे भाई असलम के पास एक फोन आया. फोन करने वाले ने कहा, ‘‘अकरम हमारे कब्जे में है. अगर उस की सलामती चाहते हो तो 50 लाख रुपए का इंतजाम कर लो. फिरौती की रकम कहां पहुंचानी है, इस बारे में फिर से फोन कर के बताएंगे और अगर, पुलिस को बताया तो ठीक नहीं होगा.’’

इस पर असलम ने कहा, ‘‘इतनी बड़ी रकम उन के पास नहीं है.’’

इस पर अपहर्त्ताओं ने कहा, ‘‘हमें पता है कि तुम्हारे 4 मकान हैं. इसलिए रुपयों का इंतजाम कर लो.’’ इस के बाद फोन कट गया.

फिरौती मांगने से असलम का परिवार दहशत में आ गया. असलम ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी पुलिस को दी. इस पर सिकंदरा के थानाप्रभारी ने तुरंत अपहरण का मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के बाद उन्होंने एक पुलिस टीम को अकरम की बरामदगी के लिए लगा दिया.

वकील अकरम अंसारी का फिरौती के लिए आगरा से अपहरण करने का समाचार जब समाचारपत्रों के अलावा न्यूज चैनलों पर आया तो अधिवक्ताओं ने उन की बरामदगी के लिए पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.

मामला एक वकील का था, इसलिए पुलिस की 10 टीमें जांच में जुट गईं. इन टीमों का निर्देशन एसएसपी बबलू कुमार स्वयं कर रहे थे. जिस मोबाइल नंबर से असलम के पास फोन आया था सर्विलांस टीम उस की भी जांच में जुट गई.

कई दिन बाद भी जब पुलिस एडवोकेट अकरम के बारे में कोई सुराग नहीं लगा पाई तो 7 फरवरी को फिरोजाबाद सदर तहसील के अधिवक्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए वकील अकरम अंसारी की शीघ्र बरामदगी की मांग की. धीरेधीरे यह आग जनपद की तहसील शिकोहाबाद, जसराना, सिरसागंज के साथ ही आगरा के अधिवक्ताओं में भी फैल गई.

अकरम की बरामदगी न होने से परिजनों में दिनप्रतिदिन बेचैनी बढ़ रही थी. पिता आरिफ अंसारी और मां सरकरा बेगम सीने पर पत्थर रख कर बच्चों को तसल्ली दे रहे थे. अकरम की पत्नी रूबी उर्फ रुकैया अपने दोनों बच्चों के पूछने पर कहती कि पापा दिल्ली रिश्तेदारी में गए हैं, जल्दी आ जाएंगे.

पुराने किडनैपरों की हुई तलाश

उधर पुलिस ने 100 ऐसे बदमाशों की सूची बनाई जो अपहरण के मामलों में पिछले 5 सालों में जेल जा चुके थे. यह बदमाश आगरा, धालपुर, भरतपुर, फिरोजाबाद और इटावा के थे. इन पर काम करने के बाद 10 गिरोह चुने गए. इन के मोबाइल नंबर हासिल किए गए. 3 गिरोह पर पुलिस का शक था लेकिन तीनों ही उस समय मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं कर रहे थे.

इस पर पुलिस पूरी तरह अपने मुखबिरों पर आश्रित हो गई. एसएसपी बबलू कुमार और एसपी (सिटी) बोत्रे रोहन प्रमोद लगातार पुलिस टीमों से संपर्क बनाए हुए थे.

शासन से भी इस मामले में पुलिस से लगातार अपडेट लिया जा रहा था. पुलिस के आला अधिकारी भी पत्रकारों को कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं थे. सिर्फ यही जवाब दिया जा रहा था कि जल्द ही कोई न कोई ठोस सुराग मिलने की उम्मीद है.

अपहृत वकील अकरम के छोटे भाई असलम और मुकर्रम घटना के बाद से ही आगरा में डेरा डाले थे. जैसेजैसे एकएक कर दिन बीत रहे थे परिवार की दहशत बढ़ती जा रही थी.

उग्र हो गया आंदोलन

उधर, अधिवक्ताओं का आंदोलन जोर पकड़ रहा था. आगरा व फिरोजाबाद जनपद के अधिवक्ताओं में अपहृत वकील के 12वें दिन भी बरामद न होने से आक्रोश बढ़ गया था. उन्होंने विरोध में हड़ताल शुरू कर दी थी.

पुलिस दिनरात अपहृत वकील की तलाश में जुटी थी. आगरा में 24 फरवरी, 2020 को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ताजमहल देखने आने वाले थे. उन के आगमन से पूर्व तैयारियों का जायजा लेने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा के दौरे पर आ रहे थे. पुलिस जानती थी कि अधिवक्ता मुख्यमंत्री से मिल कर इस मामले को जरूर उठाएंगे. इसलिए पुलिस के हाथपैर फूल रहे थे. इस बीच पुलिस टीमों ने बाह और धौलपुर के बीहड़ों में डेरा डाल रखा था.

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उधर अपहृत वकील के भाई असलम के मोबाइल पर अपहर्त्ताओं ने अलगअलग नंबरों व स्थानों से 4 बार फिरौती की काल कर के संपर्क किया. इस दौरान परिजन पुलिस के संपर्क में रहे. काल आने से पुलिस को बदमाशों की पहचान सुनिश्चित हो गई. लेकिन अपहृत की सकुशल बरामदगी को ले कर पुलिस फूंकफूंक कर कदम रख रही थी. बदमाशों ने जो 50 लाख फिरौती मांगी, उसे कम कर के वह 15 लाख पर आ गए. उन्होंने परिजनों से कह दिया कि इतनी भी रकम नहीं मिली तो वह अकरम को मार देंगे.

अपहृत अकरम को सकुशल छुड़वाने के लिए पुलिस ने परिजनों के साथ मजबूत योजना बनाई. 16 फरवरी को अपहर्त्ताओं का फोन आने के बाद अकरम के परिजन बदमाशों के बताए गए स्थान आगरा में सिकंदरा स्थित गुरुद्वारे के पास पैसे ले कर पहुंच गए. बदमाशों ने उन से पहचान के लिए अपनी गाड़ी पर झंडा लगाने को कहा था.

भाई असलम अपने दोस्त के साथ किराए की गाड़ी पर झंडा लगा कर पहुंचा. तभी बदमाशों ने कहा कि बाड़ी कस्बा आ जाओ. वहां पहुंचे तो बदमाश लगातार काल कर के अलगअलग जगह बुलाते गए. करौली मार्ग पर आने के बाद उन्होंने कहा कि सिगरेट के 2 पैकेट ले कर आना.

इस के बाद उन्होंने भरतपुर जनपद के गढ़ी भासला क्षेत्र के जंगल में स्थित भैरों बाबा के मंदिर पर रुपयों का बैग रखने को कहा. साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जरा सी भी चालाकी की या पुलिस को बताया तो अपने भाई को जिंदा नहीं देख सकोगे. वह लोग शाम 6 बजे बताए गए स्थान पर रुपयों से भरा बैग रख कर वापस आ गए. इस बीच पुलिस योजनाबद्ध तरीके से वहां मौजूद रही. बदमाशों ने परिजनों से सोमवार, 17 फरवरी को अधिवक्ता अकरम को गुरुद्वारा पर छोड़ने का वादा किया.

जंजीरों से बांध रखा था अकरम को

फिरौती देने के बाद पुलिस टीम सक्रिय हो गई. पुलिस बैग उठाने वाले के पीछे लग गई. इतना ही नहीं, पुलिस ने कस्बा बाड़ी स्थित वह मकान भी पहचान लिया, जिस में अपहर्त्ता नोटों से भरा बैग ले कर गया था. मकान चिह्नित करने के बाद पुलिस ने रात लगभग 8 बजे उस मकान पर दबिश दे कर अपहृत अधिवक्ता अकरम को सकुशल बरामद कर लिया. अपहर्त्ताओं ने उन्हें जंजीरों से बांध कर रखा था.

पुलिस ने मकान से 3 अपहर्त्ताओं 56 वर्षीय गैंग लीडर उग्रसैन निवासी कस्बा बाड़ी, धौलपुर, लाखन गुर्जर निवासी सूखे का पुरा, थाना कंचनपुरा, धौलपुर के अलावा सुरेंद्र गुर्जर निवासी कुआंखेड़ा, बिहारी का पुरा, थाना सदर, धौलपुर शामिल को हिरासत में ले लिया. उन की निशानदेही पर पुलिस ने राकेश व उस के भाई मुकेश निवासी जमूहरा, थाना बाड़ी, धौलपुर के साथ उग्रसैन की पत्नी उर्मिला को भी गिरफ्तार कर लिया.

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राकेश व मुकेश दोनों उग्रसैन के साले हैं. फिरौती के लिए फोन लाखन करता था. लाखन पर 7-8 मुकदमे चल रहे हैं. उग्रसेन व सुरेंद्र गुर्जर पर भी कई मुकदमे हैं. इन में अपहरण व जानलेवा हमले शामिल हैं.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

किडनैपिंग के 15 दिन : भाग 2

सुरेंद्र गुर्जर पूर्व में राजस्थान के केशव और हनुमंत गिरोह में काम कर चुका है. उस के साथ उग्रसैन और लाखन भी थे. यह मध्य प्रदेश और आगरा में अपहरण कर फिरौती वसूल चुके हैं. गिरोह ने पहले आगरा के सदर क्षेत्र में दंत चिकित्सक का अपहरण कर मोटी फिरौती वसूली थी.

अधिवक्ता अकरम अंसारी की सकुशल बरामदगी की जानकारी जैसे ही उन के परिजनों को मिली तो पूरे परिवार की आंखें खुशी से छलछला उठीं. उन के आवास पर लोगों ने खुशी में आतिशबाजी की. पुलिस अधिकारी पूरे दिन अकरम से पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेते रहे. 25 फरवरी को अकरम के घर आते ही मां ने उन्हें गले से लगा लिया. बच्चे भी उन से लिपट गए. अकरम ने बताया कि वह मौत के मुंह से निकल कर आए हैं.

26 फरवरी, 2020 को पुलिस लाइन में एडीजी अजय आनंद ने प्रैसवार्ता आयोजित कर इस सनसनीखेज अपहरण कांड का परदाफाश किया. उन्होंने बताया कि एसएसपी बबलू कुमार के निर्देशन में फूलप्रूफ औपरेशन चला कर पुलिसकर्मियों की 10 टीमें बनाई गई थीं. जिस में सीओ (कोतवाली) चमन सिंह चावड़ा, सर्विलांस टीम प्रभारी नरेंद्र कुमार, इंसपेक्टर कमलेश सिंह, अरविंद कुमार, अनुज कुमार, अजय कौश्ड्डाल, राजकमल, बैजनाथ सिंह, उमेश त्रिपाठी, एसआई राजकुमार गिरि, कुलदीप दीक्षित अरुण कुमार बालियान, सुशील कुमार, हैड कांस्टेबल आदेश त्रिपाठी, कांस्टेबल अजीत, प्रशांत, करन, विवेक, राजकुमार, अरुण कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, रविंद्र, प्रमेश आदि शामिल थे.

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पुलिस ने अधिवक्ता को सकुशल बरामद करने के साथ 5 अपहर्त्ताओं व एक महिला को गिरफ्तार कर फिरौती की रकम, जो 15 लाख बता कर केवल साढ़े 12 लाख बैग में रखी थी, भी बरामद कर ली. एडीजी ने बताया कि अपहृत को 2-3 दिन पहले बरामद कर सकते थे. लेकिन उन की सकुशल बरामदगी के लिए इंतजार करना पड़ा.

अलगअलग हुलिया बनाए पुलिस ने

टीमों के साथ सीओ, एसपी, एसएसपी, तक ने बीहड़ में डेरा डाला. अपहर्त्ताओं की नजर से बचने के लिए पुलिसकर्मियों ने न सिर्फ अपना हुलिया बदला, बल्कि बकरी चराने से ले कर खेतों में मजदूर बन कर काम किया. पुलिस ने फिरौती के लिए फोन करने वाले की आवाज भी रिकौर्ड की. वह आवाज मुखबिरों को सुनाई गई. इस के बाद ही पुलिस को सुराग मिला.

पुलिस ने 40 घंटे के औपरेशन के बाद अधिवक्ता अकरम अंसारी को मुक्त करा लिया. इस औपरेशन का नाम ‘अकरम मुक्ति’ रखा गया था. पुलिसकर्मी कोड वर्ड बांकेबिहारी और वंदेमातरम में एकदूसरे से बात करते थे.

बदमाशों ने फिरौती के लिए 4 बार फोन किया था. पहली काल 5 फरवरी को भरतपुर के रूपवास से की गई, इस के लिए सिम खेरागढ़ से ली गई थी. दूसरी काल 8 फरवरी को की गई, जबकि 12 व 15 फरवरी की काल कस्बा बाड़ी से की गई थीं. काल करने के लिए हर बार नया मोबाइल और नया सिम खरीदा गया था.

इस के साथ ही हर बार अपहर्त्ता लोकेशन भी बदलते रहे थे. उन्होंने कहा कि पुलिस ने न सिर्फ अधिवक्ता अकरम अंसारी को सकुशल बरामद किया बल्कि 5 अपहर्त्ताओं और एक महिला को गिरफ्तार कर उन से फिरौती की वसूली गई रकम साढ़े 12 लाख भी बरामद कर ली. पुलिस ने बैग में रखी यह रकम 15 लाख बताई थी. डीजीपी ने टीम के इस कार्य की सराहना की. इस संबंध में अपहरण की जो कहानी सामने आई वह इस प्रकार थी—

राजस्थान के गुर्जर गैंग ने बीच आगरा शहर से अधिवक्ता अकरम अंसारी का अपहरण किया था. दरअसल 3 फरवरी, 2020 को अकरम को उन के साढ़ू ने फिरोजाबाद जाने के लिए एक आटो में बैठा दिया था. अकरम सिकंदरा स्थित आईएसबीटी पर उतरे लेकिन वहां फिरोजाबाद जाने के लिए कोई बस नहीं मिली.

जब बस नहीं मिली तब अकरम दूसरे आटो से भगवान टाकीज पहुंच कर बस का इंतजार करने लगे. वहां पर आगरा आने व जाने वाली बसें रुकती हैं. शाम 7.20  बजे एक बोलेरो उन के पास आ कर रुकी और ड्राइवर ने पूछा, ‘‘कहां जाओगे?’’

अकरम ने फिरोजाबाद जाने की बात कही तो ड्राइवर ने कहा, ‘‘हां, फिरोजाबाद ही जा रहे हैं.’’ उस समय उस बोलेरो में चालक के अलावा 3 लोग और बैठे थे. उस गाड़ी में अकरम के बैठते ही ड्राइवर चलने लगा तो अकरम ने कहा कि और सवारियां ले लो तो चालक ने कहा कि आगे से ले लेंगे.

10-12 मिनट गाड़ी चलने के बाद अचानक बगल में यात्री के रूप में बैठे बदमाश ने अकरम को सीट के नीचे गिरा कर दबोच लिया और धमकी दी कि यदि चिल्लाया तो गोली मार देंगे. इस के साथ ही उन के ऊपर कपड़ा डाल दिया. बदमाश कह रहे थे यदि तू वीरेंद्र नहीं हुआ तो हम तुझे छोड़ देंगे. अपहर्त्ता ये बात इसलिए कह रहे थे ताकि वह शोर न मचाए. उन्होंने अकरम की आंखों पर पट्टी भी बांध दी.

गाड़ी चलती रही. रात 11 बजे अपहर्त्ता अधिवक्ता अकरम को एक सुनसान जगह पर ले गए. वहां एक घर में उन्हें रखा गया. यह घर धौलपुर के बाड़ी कस्बे में था. वहां 2-3 कमरे थे. पैरों में जंजीर बांध कर उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया. आंखों पर पट्टी बांधने के साथ ही अकरम के मुंह पर टेप भी लगा दिया. उन का मोबाइल उन लोगों ने गाड़ी में ही छीन लिया था. कमरे पर ही बदमाशों ने अकरम से उस के बारे में पूरी जानकारी लेने के बाद दूसरे दिन फिरौती के लिए परिजनों को फोन किया था.

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कमरे में ही चटाई पर अकरम सोते थे. रात में सोने के लिए एक हलकी रजाई दी गई थी. 24 घंटे 2 युवक पहरेदारी पर रहते थे. रात में एक बदमाश भी पास में ही दूसरी चटाई पर सोता था. कई दिन बीत गए. बदमाश बीचबीच में आ कर उन्हें धमका जाते थे. कहते कि तेरे परिवार के लोग फिरौती की रकम नहीं दे पा रहे हैं, हम तुझे मार देंगे.

हालात देख कर बचना था मुश्किल

वहां जिस तरह का माहौल चल रहा था इस से अकरम को लग रहा था कि वह अपहर्त्ताओं के चंगुल से मुक्त नहीं हो पाएंगे. उन्हें डर था कि परिजन अपहर्त्ताओं की मांग पूरी नहीं कर पाएंगे. उन का अब घर जाना मुश्किल होगा. बदमाश खाने के लिए कभी रोटी सब्जी तो कभी रोटी दाल देते थे. अकरम रात को ही खाना खाते थे. 15 दिन तक अकरम को नहाने नहीं दिया गया.

मकान में एक महिला और उस का पति था. मकान में आगे व पीछे दरवाजे थे. आगे के दरवाजे पर ताला लगा रहता था. अन्य लोग मकान के पीछे के दरवाजे से आतेजाते थे. अकरम ने बताया कि बदमाशों ने उन के साथ मारपीट नहीं की.

अकरम हर दिन यही दुआ करते थे कि पुलिस उन्हें कब छुड़ाएगी? दहशत की वजह से नींद भी नहीं आती थी. जैसेजैसे दिन निकलते जा रहे थे, उम्मीद भी कम होती जा रही थी. मगर, रविवार 23 फरवरी की रात को पुलिस आई और अकरम को मुक्त करा लिया. अपनी दास्ता बयां करतेकरते अकरम की आंखें भर आई थीं.

पुलिस लाइन में अकरम के भाई मोउज्जम, असलम, मोहम्मद सोहेल, मुकर्रम और पिता आरिफ अंसारी आए थे. भाइयों ने अकरम को गले लगा लिया. परिवार से मिल कर अकरम की खुशी का ठिकाना नहीं था. पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता के दौरान अकरम ने पुलिस अधिकारियों को मिठाई खिलाई और उन को धन्यवाद दिया.

पुलिस ने बताया कि धौलपुर के बीहड़ में अपहर्त्ताओं के 25 गैंग सक्रिय हैं. यह गैंग शिकार को बीहड़ में पकड़ कर ले जाने के बाद फिरौती वसूलते हैं. पुलिस ने सौ से ज्यादा गैंग के बारे में पड़ताल की.

इन में 25 गैंग के सक्रिय होने के बारे में पता चला. इन में गब्बर, केशव, रामविलास, भरत, धर्मेंद्र, लुक्का, मुकेश ठाकुर गैंग विशेष रूप से सक्रिय हैं.

यह गैंग अलगअलग तरीके से फिरौती के लिए अपहरण की वारदात को अंजाम देते हैं. इन के खिलाफ उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अनेक मुकदमे दर्ज हैं.

अपहृत वकील को अपहर्त्ताओं के चंगुल से मुक्त कराने वाली पुलिस टीम को एडीजी अजय आनंद ने पुरस्कृत कर सम्मानित किया. पुलिस ने सारी काररवाई पूरी कर गिरफ्तार अपहर्त्ताओं को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है

गहरी चाल : भाग 2

35 वर्षीय पप्पू यादव मूलरूप से पूर्णिया जिले के श्रीनगर थाना क्षेत्र के चनका गांव का रहने वाला था. 3 भाई बहनों में पप्पू सब से बड़ा था. धनदौलत और खेतीबाड़ी से मजबूत पप्पू मिलनसार और मेहनती था. उस ने अपनी मेहनत के बलबूते पर पैसा भी कमाया था और रुतबा भी.

बात सन 2007 की है. जातेआते पड़ोस के गांव की संगीता से पप्पू की आंखें लड़ गईं. दोनों का प्यार बढ़ा तो 31 जनवरी, 2008 को उन्होंने भाग कर पहले मंदिर में और फिर कोर्ट में शादी कर ली. शादी के बाद दोनों परिवारों के बीच खूब हंगामा हुआ था. इस के बाद संगीता के घर वालों ने उस से हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ लिया था. पप्पू के घर वालों ने संगीता को बहू के रूप में स्वीकार लिया था.

पप्पू और संगीता ने किया था प्रेम विवाह

संगीता को जीवन साथी के रूप में पा कर पप्पू खुश था. वह उस से इतना प्यार करता था कि उस के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता था. दोनों की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी. समय के साथ संगीता 2 बच्चों की मां बन गई, जिस से परिवार की खुशियां और बढ़ गईं.

इसी दौरान गांव में हुए मुखिया के चुनाव में संगीता उपमुखिया चुन ली गई. उपमुखिया बन जाने के बाद पढ़ीलिखी संगीता के भाग्य ने करवट ली. गांव वालों के काम से संगीता और पप्पू का पूर्णिया शहर के अधिकारियों के पास आनाजाना शुरू हो गया. इसी के मद्देनजर पप्पू ने पूर्णिया की प्रभात कालोनी में भी मकान बनवा लिया था.

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शहर में मकान हो जाने के बाद संगीता का मन गांव में नहीं लगता था. बच्चों और पति के साथ वह शहर वाले मकान में आ गई थी. संगीता और पप्पू कभी गांव में रहते थे तो कभी पूर्णिया में.

सन 2016 में पप्पू के दूर के रिश्ते का भाई लल्लन बीए की पढ़ाई के लिए पूर्णिया आया और किराए का कमरा ले कर अकेला रहने लगा. लल्लन जानता था उस के भाईभाभी भी पड़ोस में रहते हैं. कभीकभी वह उन से मिलने प्रभात कालोनी आ जाता और घंटों साथ बिता कर अपने कमरे पर लौट जाता था.

लल्लन की रिश्ते की भाभी संगीता चुलबुली और मजाकिया स्वभाव की थी, तो लल्लन भी कुछ कम नहीं था. 20-21 साल का लल्लन भी मजाकिया था. वह दिल खोल कर भाभी से मजाक करता था. लल्लन से बातें कर के संगीता को अच्छा लगता था.

देवरभाभी के बीच का मजाक कभीकभी तो निम्न स्तर तक पहुंच जाता था. भद्दी मजाक सुन कर संगीता बुरा मानने के बजाय मजे लेती थी. मजाकमजाक में ही देवर और भाभी के बीच आंखें चार हुईं. यह सन 2016 की बात है जब लल्लन संगीता के संपर्क में आया था.

लल्लन और संगीता का प्यार परवान चढ़ा तो दोनों अपनेअपने हिसाब से भविष्य के सपने देखने लगे. 2 बच्चों की मां संगीता यह भूल गई थी वह किसी और की पत्नी है. पप्पू के प्यार के लिए उन से घर वालों से बगावत कर के हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ा था. लल्लन के प्यार में वह सब कुछ भुला बैठी थी. उस की आंखों में सिर्फ लल्लन का प्यार झलकने लगा था.

दोनों के बीच प्यार का सिलसिला आगे बढ़ा तो लल्लन ने संगीता से बातचीत के लिए फरजी नाम और पते पर 2 मोबाइल सिम ले लिए. जिस में से एक सिम का उपयोग लल्लन खुद करता था और दूसरे मोबाइल फोन और सिम का इस्तेमाल संगीता करती थी. किसी को शक न हो, इसलिए दोनों बीचबीच में यह सोच कर सिम की अदलाबदली कर लेते थे, ताकि मामला अगर कभी पकड़ में आए तो पुलिस के हाथ उन तक नहीं पहुंच पाएं.

पतिपत्नी के बीच लल्लन बना खलनायक

पूर्णिया में रहते हुए लल्लन कुछ अपराधियों के संपर्क में आ गया था. पैसों की जरूरत के लिए वह अपराध की दलदल में भी उतर गया था. वह जिन बदमाशों के संपर्क में था, वे अवैध असलहों और कारतूसों के बड़े सप्लायर थे. इसी चक्कर में लल्लन 3 घटनाओं में अरोपी बन गया था.

अवैध असलहों की तस्करी के मामले में पुलिस ने उसे अगस्त 2018 में गिरफ्तार कर जेल भेजा था. पूर्णिया जेल में ही लल्लन की मुलाकात मुंगेर जिले के बरियारपुर के रहने वाले शूटर संतोष चौधरी से हुई. वह पैसे ले कर हत्याएं करता था.

पप्पू को अपनी पत्नी संगीता और लल्लन के अवैध संबंधों की जानकारी हो गई थी. लल्लन को ले कर दोनों के बीच अकसर विवाद भी होता था. यह विवाद इतना बढ़ जाता था कि उन के बीच हाथापाई तक की नौबत आ जाती थी.

संगीता किसी भी हालत में लल्लन से अलग होने के लिए तैयार नहीं थी. उस ने पति से साफ कह दिया था कि वह लल्लन के बिना नहीं जी सकती. भले ही जिस्म पर तुम्हारा (पप्पू) अधिकार हो लेकिन इस दिल पर लल्लन का अधिकार है, मुझे उस से कोई अलग नहीं कर सकता, तुम भी नहीं.

पत्नी का दोटूक जवाब सुनने के बाद पप्पू का पुरुषत्व ललकार उठा. वह क्या कोई भी पति सहन नहीं कर सकता कि उस की पत्नी उस के जीते जी किसी गैरमर्द की बाहों में झूले. संगीता और पप्पू अपनीअपनी जिद पर अड़े थे, जिस की वजह से दोनों की जिंदगी विवादों के ऐसे तूफान में घिर गई जिस से उन के जीवन का तिनकातिनका बिखेर दिया. घर से जैसे सुकून और शांति दोनों ही रूठ गईं. घर में आए दिन किचकिच होती रहती थी.

संगीता पति को समझने लगी नासूर

संगीता लल्लन के प्यार में पागल थी. जो पप्पू कभी उस के सपनों का राजकुमार था, वही उस के लिए खलनायक बन गया था. संगीता पप्पू नाम के खलनायक को अपनी जिंदगी से हमेशा के लिए उखाड़ फेंकना चाहती थी. इस के लिए वह लल्लन के जेल से आने का इंतजार कर रही थी. आखिर वह अपने प्रेमी की जमानत के लिए खुद आगे आई और वकील से बात कर उस की जमानत करा दी.

फरवरी 2019 में जब लल्लन जेल से बाहर आया तो उस ने पप्पू को अपने रास्ते से हटाने की योजना बनाई. दरअसल संगीता ने लल्लन से कह दिया था कि अगर मुझे पाना चाहते हो तो पप्पू नाम के कांटे को हमेशा के लिए रास्ते से हटा दो. अगर ऐसा नहीं कर सकते तो मुझे भूल जाओ, फिर कभी मेरे दरवाजे पर मत आना.

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प्रेमिका के गुस्से को देख कर लल्लन डर गया और उस ने उस की बात मानने के लिए हामी भर दी. उस दिन के बाद उस ने संतोष चौधरी की तलाश शुरू कर दी. संतोष भी जमानत पर जेल से बाहर आ चुका था.

संतोष चौधरी से फोन पर बात कर लल्लन यादव ने पप्पू यादव की हत्या की बात की. 5 लाख रुपए में सौदा हो गया. संतोष ने पेशगी के रूप में 2 लाख रुपए मांगे. बाकी की रकम काम हो जाने के बाद देने की बात हुई.

हत्या के नाम पर लल्लन ने खरीदी बाइक

लल्लन ने यह बात संगीता को बता दी. संगीता ने अपने आईडीबीआई बैंक एकाउंट से 2 लाख रुपए निकाल कर लल्लन को दे दिए. लल्लन ने चालाकी करते हुए उस पैसे में से शूटर को एक लाख 25 हजार रुपए दिए और बाकी रकम अपने पास रख ली. घटना से 2 दिन पहले लल्लन ने अपने लिए नई बाइक खरीदने के लिए संगीता से एक लाख रुपए की और डिमांड की. संगीता ने उसे एक लाख रुपए और दे दिए.

सब कुछ योजना के अनुसार चल रहा था. संगीता और पप्पू के बीच मनभेद और मतभेद दोनों ही चल रहे थे. 26 मई, 2019 की शाम साढ़े 7 बजे जब शहर वाले घर से अपनी बाइक से गांव चनका के लिए निकला तो संगीता ने फोन कर के लल्लन को बता दिया. लल्लन ने यह बात शूटर संतोष चौधरी को बता दी.

लल्लन की काल आने के बाद संतोष चौधरी अपने साथ निशांत यादव को साथ ले कर जगैल चौक राइस मिल के पास घात लगा कर खड़ा हो गया. संतोष 2 दिन से पप्पू पर नजर रखे हुए था.

वह उस की रेकी कर रहा था कि वह कब, कहां और कैसे जा रहा है. जब वह निश्चिंत हो गया था कि पप्पू के आनेजाने का एकमात्र रास्ता यही है तो वहीं घात लगा कर खड़ा हो गया.

जैसे ही पप्पू अपनी बाइक से जगैल चौक राइस मिल के पास पहुंचा, पहले से मौजूद संतोष ने उस के पीछेपीछे अपनी बाइक लगा दी और ओवरटेक कर के उस की बाइक रोक ली. बाइक संभालते समय पप्पू फिसल कर जमीन पर जा गिरा.

इस से पहले कि वह कुछ समझ पाता, संतोष ने पिस्तौल निकाल कर उस पर तान दी. पप्पू जान बचा कर वहां से भागा तो संतोष और निशांत यादव ने उसे दौड़ा कर गोलियों से भून डाला.

पप्पू की हत्या करने के बाद संतोष चौधरी ने लल्लन को फोन कर के बता दिया था कि उस ने टारगेट पूरा कर दिया है. बाकी की रकम उसे जल्द से जल्द मिल जानी चाहिए. लल्लन ने फोन कर के यह बात संगीता को बता दी. पति की हत्या की खबर सुन कर संगीता खुश हुई. बाद में पुलिस द्वारा फोन करने पर वह घडि़याली आंसू बहाते हुए घटनास्थल पर पहुंची, लेकिन उस की चालाकी धरी की धरी रह गई. अंतत: वह वहां पहुंच गई, जहां उसे अपने कर्मों की सजा भोगनी है.

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कथा लिखे जाने तक उपमुखिया संगीता गिरफ्तार की जा चुकी थी. तीनों आरोपियों लल्लन यादव, संतोष चौधरी और निशांत यादव के साथ वह भी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गई. पुलिस ने केस की तफ्तीश कर चारों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

गहरी चाल : भाग 1

बिहार का जिला पूर्णिया. दिन रविवार, तारीखऊ 26 मई, 2019. समय शाम के 7 बजे. पप्पू यादव पूर्णिया की प्रभात कालोनी स्थित घर से अपने गांव चनका जाने के लिए निकला. दरअसल, पप्पू के 2 मकान थे, एक पूर्णिया की प्रभात कालोनी में और दूसरा गांव चनका में.

प्रभात कालोनी में वह पत्नी संगीता और दोनों बच्चों के साथ रहता था. उस की पत्नी संगीता गांव की उपमुखिया थी और अपने बच्चों के साथ ज्यादातर पूर्णिया में रहती थी.

घर से निकल कर पप्पू जब जगैल चौक स्थित राइस मिल के पास पहुंचा, तभी पीछे से तेज गति से आई एक बाइक आई और उस के सामने आ कर रुकी.

अचानक यह होने पर पप्पू की बाइक उस बाइक से टकराने से बालबाल बची. जैसे ही पप्पू ने अपनी बाइक के ब्रेक लगाए, वह जमीन पर फिसल गई. बाइक के गिरते ही पप्पू भी नीचे जा गिरा.

पप्पू के सामने जो बाइक आ कर रुकी थी, उस पर 2 युवक सवार थे. फुरती के साथ दोनों युवक बाइक से नीचे उतरे और पप्पू के सामने जा खड़े हुए. उन दोनों को देख कर पप्पू समझ गया कि इन के इरादे ठीक नहीं हैं.

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खतरा भांप कर पप्पू बाइक को वहीं छोड़ कर विपरीत दिशा में भागा, वे दोनों युवक भी उस के पीछे दौड़े. दौड़तेदौड़ते एक युवक ने कमर से पिस्तौल निकाल कर उस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दीं.

उस ने 7 गोलियां चलाईं. जो पप्पू के सिर से ले कर कमर तक लगीं. गोलियां लगते ही पप्पू जमीन पर गिर गया. खून से तरबतर पप्पू कुछ तड़पता रहा फिर उस की मौत हो गई. उस के मरने के बाद बदमाश जिस ओर से आए थे, अपनी बाइक से उसी ओर भाग गए.

दिनदहाड़े बाजार के नजदीक गोलियां चलने से बाजार में भगदड़ मच गई. लोग धड़ाधड़ अपनी दुकानों के शटर गिराने लगे. इसी बीच किसी ने 100 नंबर पर फोन कर के पुलिस कंट्रोल रूम को हत्या की सूचना दे दी थी. वह इलाका श्रीनगर थाना क्षेत्र में आता था. पुलिस कंट्रोल रूम ने घटना की सूचना श्रीनगर थाने को दे दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी संजय कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.

उपमुखिया का पति था मृतक

मौके पर पहुंच कर पुलिस ने लहूलुहान पड़े शख्स का मुआयना किया. उस के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी, वह मर चुका था. पुलिस ने वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त करानी चाही तो भीड़ में से एक युवक ने लाश की पहचान कर ली.

उस ने बताया कि मृतक का नाम पप्पू यादव है. वह चनका पंचायत क्षेत्र की उपमुखिया संगीता का पति है. लाश की शिनाख्त होते ही पुलिस ने थोड़ी राहत की सांस ली और उपमुखिया संगीता से फोन पर संपर्क कर उन्हें दुखद सूचना दे कर मौके पर बुलाया.

संगीता पति की हत्या की सूचना पाते ही दहाड़ें मार कर रोने लगी. घर पर वह जिस अवस्था में थी, उसी में बच्चों को साथ ले कर घटना स्थल पर पहुंच गई. बदमाशों ने पप्पू को गोलियों से छलनी कर दिया था.

सूचना पा कर थोड़ी देर में एसपी विशाल शर्मा और एसडीपीओ (सदर) आनंद पांडेय भी मौके पर आ गए थे. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का मुआयना किया. मृतक के शरीर पर गोलियों के कई घाव थे. घटनास्थल से कुछ दूर उस की बाइक जमीन पर गिरी पड़ी थी.

यह देख पुलिस अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि पप्पू की हत्या बदमाशों ने लूट के लिए नहीं की है. अगर बदमाश लूट के लिए करते तो बाइक अपने साथ ले जाते.

चूंकि हत्या उपमुखिया के पति की हुई थी. इसलिए स्थिति विस्फोटक बन सकती थी, इस से पहले कोई व्यक्ति कानून अपने हाथ में लेता, एसएसपी ने जरूरी लिखापढ़ी पूरी करवा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल, पूर्णिया भिजवा दी.

अगली सुबह यानी 27 मई को उपमुखिया संगीता के पति पप्पू यादव हत्याकांड को ले कर उपमुखिया के समर्थकों ने शहर में जगहजगह तोड़फोड़ की. वे हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे. एसपी विशाल शर्मा मौके पर पहुंच गए. उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि पप्पू यादव के हत्यारों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

विशाल शर्मा के आश्वासन के बाद आंदोलनकारी शांत हुए. इस के तुरंत बाद थानाप्रभारी संजय कुमार सिंह ने केस की जांच शुरू कर दी. प्रभात कालोनी पहुंच कर उन्होंने संगीता से मुलाकात की और उन से पूछा कि किसी पर कोई शक वगैरह हो तो बताएं.

संगीता ने पति की हत्या में पट्टीदारों की भूमिका पर शक जाहिर किया. वर्षों से दोनों परिवारों के बीच जमीन को ले कर विवाद चल रहा था. संगीता के बयान के आधार पर पुलिस ने पट्टीदारों को हिरासत में ले लिया.

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उन से सख्ती से पूछताछ की गई, लेकिन पप्पू यादव की हत्या में उन की कोई भूमिका नजर नहीं आई तो पुलिस ने कुछ खास हिदायतें दे कर उन्हें छोड़ दिया. इस के अलावा पुलिस ने और भी कई संदिग्धों से पूछताछ की, लेकिन हत्यारों का कोई सुराग नहीं मिल सका.

देखतेदेखते इस घटना को घटे 15 दिन बीत गए. पुलिस जांच जहां से चली थी, वहीं आ कर रुक गई. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि पप्पू की हत्या किस वजह से हुई और हत्यारा कौन है? इस के बाद थानाप्रभारी ने मृतक पप्पू और उस की पत्नी उपमुखिया संगीता के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के अलावा सुरागरसी के लिए मुखबिरों को भी लगा दिया. दोनों की काल डिटेल्स का पुलिस ने बारीकी से अध्ययन किया.

पुलिस को मिला सुराग

संगीता की फोन की काल डिटेल्स देख कर पुलिस चौंकी. घटना से कुछ देर पहले और घटना से कुछ देर बाद संगीता की एक ही नंबर पर लंबी बातचीत हुई थी. खास बात यह थी कि उस नंबर पर संगीता की कई दिनों से लंबीलंबी बात हो रही थी. यह बातचीत अधिकतर रात के समय ही होती थी. यह बात पुलिस को हजम नहीं हो रही थी.

पुलिस ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच की तो वह मोबाइल नंबर लल्लन कुमार यादव, निवासी भोकराहा, पूर्णिया का निकला. इस जानकारी के बाद पुलिस लल्लन पर नजर रखने लगी. उस के बारे में गोपनीय तरीके से सारी जानकारी एकत्र की जाने लगीं.

जांच में पता चला कि लल्लन यादव उपमुखिया संगीता का दूर के रिश्ते का देवर है. वह संगीता के प्रभातनगर कालोनी स्थित मकान पर अकसर आताजाता था. इसी दरम्यान दोनों के बीच प्रेम हो गया था.

पुलिस को तब और हैरानी हुई, जब पता चला कि लल्लन यादव ने घटना से 2 दिन पहले संगीता के आईडीबीआई बैंक खाते से एक लाख रुपए निकाले थे. यह रुपए संगीता ने लल्लन को नई बाइक खरीदने के लिए दिए थे. इस से पुलिस को यकीन हो गया कि पप्पू की हत्या में मृतक की पत्नी संगीता और उस के प्रेमी लल्लन यादव का हाथ है. पुलिस ने दोनों के घर दबिश दी तो दोनों ही फरार मिले.

पप्पू यादव हत्याकांड को धीरेधीरे 3 महीने बीत चुके थे. इस दौरान मुखबिर ने पुलिस को इत्तला दी थी कि पप्पू की हत्या मुंगेर जिले के बरियापुर के रहने वाले शार्प शूटर संतोष चौधरी और उस के साथी निशांत यादव ने की थी. शार्प शूटर संतोष चौधरी का नाम सामने आते ही पुलिस चौंकी, क्योंकि संतोष कौन्ट्रैक्ट किलर था.

पैसे ले कर हत्या करना उस का पेशा था. मुंगेर सहित बिहार के कई जिलों में उस के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास के कई मुकदमे दर्ज थे. वह पुलिस को चकमा देने में माहिर था. जिले के विभिन्न इलाकों में बड़ी घटनाओं को अंजाम देने के बावजूद वह केवल 1-2 बार जेल गया था.

शार्प शूटर संतोष की हुई तलाश

पुलिस संतोष को पकड़ने की योजना बना ही रही थी कि 31 अगस्त, 2019 की शाम मुखबिर ने थानाप्रभारी संजय कुमार सिंह को एक ऐसी सूचना दी, जिसे सुनते ही उन की बांछे खिल उठीं.

सूचना यह थी कि पप्पू यादव हत्याकांड को अंजाम देने वाला शार्प शूटर संतोष चौधरी अपने दोस्त निशांत यादव के साथ किसी टारगेट को पूरा करने के लिए अगली सुबह यानी पहली सितंबर, 2019 को आ रहा है. मुखबिर की सूचना पर थानाप्रभारी संजय कुमार सिंह ने उसी रात संतोष और निशांत को गिरफ्तार करने की रणनीति बनाई. उन्होंने इस मिशन को इतना गुप्त रखा कि टीम के 7 सदस्यों के अलावा 8वें को खबर तक नहीं लगने दी.

पहली सितंबर, 2019 की सुबह थानाप्रभारी संजय कुमार सिंह अपनी टीम के साथ खुट्टी धुनौल चौकी के पास सादा कपड़ों में दुपहिया वाहनों की चैकिंग में जुट गए. मुखबिर ने बदमाशों को यहीं आना बताया था. सुबह 8 बजे के करीब 2 युवक अपाचे मोटरसाइकिल पर चौकी की ओर आते दिखाई दिए. बाइक पर वही नंबर अंकित था जो मुखबिर ने बताया था.

जैसे ही वे नजदीक आए पुलिस ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया. तलाशी के दौरान बदमाशों के पास से एकएक लोडेड पिस्तौल, संतोष के पास से 5 जिंदा कारतूस और 2 मोबाइल फोन और निशांत के पास से एक मोबाइल फोन बरामद हुए. नाम पूछने पर दोनों ने अपने नाम संतोष चौधरी और निशांत यादव बताए.

3 महीनों से पुलिस को इन्हीं दोनों बदमाशों की तलाश थी. पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर के थाने ले आई और उन से सख्ती से पूछताछ शुरू की तो दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. शूटर संतोष चौधरी ने पुलिस को बताया कि पप्पू की हत्या के लिए उस की पत्नी संगीता देवी ने लल्लन यादव के मार्फत 5 लाख की सुपारी दी थी. पेशगी के तौर पर लल्लन यादव ने उसे सवा लाख रुपए दिए थे. बाकी रुपए काम हो जाने के बाद देने का वादा किया था. जो अब तक नहीं मिला.

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उसी दिन मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने लल्लन यादव को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने लल्लन यादव का सामना जब संतोष चौधरी से कराया तो उस के होश उड़ गए. अंतत: उस ने भी अपना जुर्म कबूलते हुए पुलिस को सब कुछ बता दिया. उस ने प्रेमिका के इशारे पर पप्पू की हत्या का तानाबाना बुना था. पप्पू की हत्या का खुलासा हो चुका था. तीनों आरोपियों लल्लन यादव, संतोष चौधरी और निशांत यादव से पूछताछ के बाद पप्पू यादव की हत्या की जो कहानी सामने आई इस प्रकार थी.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

साजिश का शिकार प्रीति: भाग 1

न्यूआजाद नगर स्थित ग्रामसमाज की जमीन पर एक सफेद प्लास्टिक की बोरी पड़ी थी. कुत्तों का झुंड बोरी को नोचने में लगा था. तभी कुछ मजदूरों की नजर कुत्तों के झुंड पर पड़ी. ये मजदूर डूडा कालोनी के पास प्रधानमंत्री आवास योजना निर्माण के काम में लगे थे.

चूंकि हवा के झोंकों के साथ दुर्गंध भी आ रही थी, इसलिए उत्सुकतावश 2-3 मजदूर वहां पहुंचे. उन्होंने कुत्तों को भगा कर बोरी पर नजर डाली तो उन्हें समझते देर नहीं लगी कि बोरी के अंदर लाश है. मजदूरों ने बोरी में लाश होने की जानकारी अपने ठेकेदार को दी. उस ने यह जानकारी तुरंत धाना विधनू को दे दी.

थानाप्रभारी अनुराग सिंह को लाश की सूचना मिली तो वह विचलित हो उठे. उन्होंने यह सूचना अपने अधिकारियों को दी और पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उस समय वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी.

अनुराग सिंह ने बोरी से लाश निकलवाई तो तेज झोंका आया. उन्होंने नाक पर रूमाल रख कर शव का निरीक्षण किया. शव किसी युवती का था, जिस के गले में काले रंग के दुपट्टे का फंदा था. संभवत: उस की हत्या गला घोंट कर की गई थी.

मृतका क्रीम कलर की छींटदार कुरती और काली जींस पहने थी. उस के बाएं हाथ की कलाई में कलावा तथा दाएं हाथ पर टैटू बना था. एक हाथ में स्टील का कड़ा और दूसरे हाथ में काले रंग का कंगन था. उस की उम्र 30 साल के आसपास थी, रंग गोरा था.

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शव से बदबू आने से ऐसा लग रहा था कि उस की हत्या 2 दिन पहले की गई थी. साथ ही यह भी कि हत्या कहीं और की गई थी और शव को बोरी में बंद कर यहां सुनसान जगह पर फेंका गया था.

अनुराग सिंह अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी (साउथ) रवीना त्यागी तथा सीओ शैलेंद्र सिंह भी आ गए. इन अधिकारियों ने भी घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

साथ ही वहां मौजूद लोगों से शव के संबंध में पूछताछ की, लेकिन कोई भी शव की पहचान नहीं कर पाया. पुलिस ने शव के विभिन्न कोणों से फोटो खिंचवा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय भिजवा दिया. यह 2 अगस्त, 2019 की बात है.

दूसरे दिन युवती के हुलिए सहित उस की लाश पाए जाने की खबर स्थानीय समाचार पत्रों में छपी तो श्यामनगर निवासी रिटायर्ड मेजर विद्याशंकर शर्मा का माथा ठनका. उन्होंने पूरी खबर विस्तार से पढ़ी, फिर पत्नी और बेटे मनीष को जानकारी दी.

पुलिस ने दर्ज नहीं की थी रिपोर्ट

दरअसल, विद्याशंकर शर्मा की 30 वर्षीय विवाहित बेटी प्रीति शर्मा पिछले 2 दिन से घर वापस नहीं आई थी. उन्होंने श्यामनगर पुलिस चौकी जा कर गुमशुदगी दर्ज कराने का प्रयास किया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें टरका दिया था. खबर पढ़ कर शर्माजी घबरा गए.

विद्याशंकर शर्मा ने अपने बेटे मनीष और अन्य घरवालों को साथ लिया और पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए. वहां जा कर उन्होंने विधनू थानाप्रभारी अनुराग सिंह से बातचीत कर के अज्ञात युवती का शव दिखाने का अनुरोध किया.

अनुराग सिंह ने युवती का शव दिखाया तो विद्याशंकर शर्मा फफक पड़े, ‘‘सर, यह लाश मेरी बेटी प्रीति की है. मैं ने इसे हाथ में बंधे कलावा, कड़ा और टैटू से पहचाना है.’’

लाश की पहचान होते ही विद्याशंकर के घर में कोहराम मच गया. मनीष बहन की लाश देख कर रो पड़ा. उस की पत्नी कंचन भी सिसकने लगी. सब से ज्यादा बुरा हाल मनीष की मां मधु शर्मा का था. वह दहाड़ मार कर रो रही थीं. उन की बहू कंचन तथा परिवार की अन्य औरतें उन्हें धैर्य बंधा रही थीं.

लाश की शिनाख्त होने के बाद थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने मृतका प्रीति शर्मा के पिता विद्याशंकर शर्मा से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि 2 दिन पहले प्रीति को उस की सहेली वैदिका तथा उस का पति सत्येंद्र अपने घर ले गए थे. उस के बाद प्रीति वापस नहीं लौटी.

पुलिस ने वैदिका तथा उस के पति सत्येंद्र से पूछा तो दोनों बहाना बनाने लगे. पुलिस को संदेह हुआ कि कहीं प्रीति का सामान लूटने के लिए उस की हत्या वैदिका और उस के पति सत्येंद्र ने मिल कर तो नहीं की है. इस संदेह की वजह यह थी कि प्रीति जब घर से निकली थी, तब वह कई आभूषण पहने थी. पर्स, मोबाइल व एटीएम कार्ड उस के पास थे, जो लाश के पास नहीं मिले. पहने हुए आभूषण भी गायब थे.

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थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने मृतका प्रीति शर्मा के भाई मनीष शर्मा से पूछताछ की तो उस ने बताया कि प्रीति की हत्या में उस की सहेली वैदिका और उस का पति सत्येंद्र ही शामिल हैं. इस के अलावा प्रशांत द्विवेदी नाम का युवक भी शामिल है. इन तीनों ने ही हत्या की योजना बनाई और प्रीति को मौत की नींद सुला दिया.

‘‘प्रशांत द्विवेदी कौन हैं?’’ सिंह ने पूछा.

‘‘सर, प्रशांत द्विवेदी मेरी बहन का प्रेमी है. उस ने प्रीति को अपने प्यार के जाल में फंसा लिया था और शादी का झांसा दे कर उस का शारीरिक शोषण करता था. जब प्रीति ने शादी का दबाव बनाया तो उस ने प्रीति की सहेली वैदिका के साथ मिल कर उसे मार डाला.’’

‘‘तुम्हारी बहन प्रीति तो ब्याहता थी? वह प्रशांत के जाल में कैसे फंस गई?’’ अनुराग सिंह ने सवाल किया.

‘‘सर, प्रीति का अपने पति से मनमुटाव था. कोर्ट में दोनों के तलाक का मुकदमा चल रहा है. पति से मनमुटाव के बाद वह मायके आ कर रहने लगी थी. पति की उपेक्षा से ऊबी प्रीति को प्रशांत का साथ मिला तो वह उस की ओर आकर्षित हो गई और उस के साथ शादी के सपने संजोने लगी. पर प्रशांत छलिया निकला, वह उस से शादी नहीं करना  चाहता था.’’

‘‘कहीं प्रीति की हत्या मुकदमे से छुटकारा पाने के लिए उस के पति ने ही तो नहीं कर दी?’’ सिंह ने शंका जाहिर की.

‘‘नहीं सर, प्रीति के ससुराल वाले हत्या जैसा जोखिम नहीं उठा सकते. प्रीति का पति पीयूष शर्मा एयरफोर्स में है और अंबाला में तैनात है. ससुर भुजराम शर्मा रोडवेज से रिटायर हैं. उन पर हमें भरोसा है.’’

पूछताछ के बाद अनुराग सिंह को लगा कि प्रीति की हत्या या तो अवैध रिश्तों के चलते हुई या फिर प्रीति की सहेली वैदिका ने उस के साथ विश्वासघात किया है. उन्होंने वैदिका, उस के पति सत्येंद्र तथा प्रीति के प्रेमी प्रशांत द्विवेदी को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर तीनों से अलगअलग पूछताछ की गई.

वैदिका ने बताया कि प्रीति उस की घनिष्ठ सहेली थी. स्वर्णजयंत विहार में उस का ब्यूटी पार्लर है, जहां प्रीति मेकअप कराने आती थी. जब पति से उस का मनमुटाव हुआ तो उस ने भी ब्यूटी पार्लर चलाने की इच्छा जाहिर की. तब मैं ने उस की मदद की. प्रीति का मेरे घर आनाजाना था.

वैदिका का संदिग्ध बयान

30 जुलाई को फोन कर उस ने मुझे अपने घर बुलाया था. उसे कुछ सामान खरीदना था सो वह मेरे साथ गई थी. सामान खरीदने के बाद वह वापस घर चली गई थी. उस के बाद क्या हुआ, उस की हत्या किस ने और क्यों की, उसे पता नहीं है.

वैदिका के पति सत्येंद्र ने बताया कि वह प्राइवेट नौकरी करता था. उस की नौकरी छूट गई है और वह बेरोजगार है. प्रीति, उस की पत्नी की सहेली थी. उस का घर में आनाजाना था. सो उस से अच्छा परिचय था. उस की हत्या किस ने और क्यों की, उसे नहीं पता. इसी बीच किसी का फोन आया तो अनुराग फोन पर बतियाने लगे.

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थानाप्रभारी का ध्यान फोन पर केंद्रित हुआ तो वैदिका अपने पति से खुसरफुसर करने लगी. उस ने पति को जुबान बंद रखने का भी इशारा किया. अनुराग सिंह समझ गए कि वैदिका कुछ छिपा रही है और पति को भी ऐसा करने को मजबूर कर रही है. फिर भी उन्होंने वैदिका से कुछ नहीं कहा.

पूछताछ के बाद अनुराग सिंह ने दोनों को इस हिदायत के साथ घर जाने दिया कि जब भी उन्हें बुलाया जाए, थाने आ जाएं. शहर छोड़ कर भी कहीं न जाएं.

थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने मृतका प्रीति शर्मा के प्रेमी प्रशांत द्विवेदी से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह हैलट अस्पताल का कर्मचारी है. प्रीति से उस की मुलाकात 6 महीने पहले तब हुई थी, जब वह अपने भाई मनीष की 10 वर्षीय बेटी परी का इलाज कराने आई थी.

अस्पताल में दोनों की दोस्ती हुई और फिर दोस्ती प्यार में बदल गई. वे दोनों शादी भी करना चाहते थे, लेकिन प्रीति का तलाक नहीं हुआ था. इसलिए उस ने प्रीति से कहा था कि तलाक होने के बाद शादी कर लेंगे. प्रशांत ने यह भी कहा कि उसे प्रीति का उस की सहेली वैदिका के घर जाना अच्छा नहीं लगता था, क्योंकि वैदिका और उस का पति सत्येंद्र प्रीति से किसी न किसी बहाने पैसे वसूलते रहते थे.

कभी वे तंगहाली का रोना रोते तो कभी मकान का किराया देने का. उसे शक है कि प्रीति की सहेली वैदिका ने ही उस के साथ घात किया है. उस के गहने और नकदी लूट कर उस की हत्या कर दी और शव सुनसान जगह पर फेंक दिया.

प्रशांत द्विवेदी के बयान से थानाप्रभारी अनुराग का शक वैदिका तथा उस के पति सत्येंद्र पर और भी गहरा गया. उन्हें लगा कि प्रीति शर्मा की हत्या का राज उन दोनों के ही पेट में छिपा है. उन्होंने प्रशांत को तो थाने से जाने दिया, लेकिन वैदिका पर नजरें गड़ा दीं. अनुराग सिंह ने प्रीति शर्मा तथा उस की सहेली वैदिका के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई.

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जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

साजिश का शिकार प्रीति: भाग 3

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मायके में प्रीति कुछ समय तक असामान्य और गुमसुम रही. लेकिन जब मांबाप ने उसे समझाया और दहेज उत्पीड़न जैसी बुराई से लड़ने की हौसलाअफजाई की तो उस ने भी लड़ने की ठान ली. उस ने पिता और भाई के सहयोग से पति पीयूष, ससुर भुजराम शर्मा तथा सास सुधा शर्मा के विरुद्ध थाना चकेरी में दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करा दी. साथ ही तलाक का मुकदमा भी कायम करा दिया.

मुकदमा करने के बाद प्रीति ने थाना चकेरी पुलिस पर दबाव बनाया कि वह आरोपियों को जल्द बंदी बनाए.

उधर पीयूष और उस के मातापिता को प्रीति द्वारा दहेज उत्पीड़न का मुकदमा कायम कराने की जानकारी हुई, तो वे घबरा गए. गिरफ्तारी से बचने के लिए भुजराम शर्मा मकान में ताला लगा कर अंडरग्राउंड हो गए. पीयूष वायुसेना में था, गिरफ्तार होने पर उस की नौकरी खतरे में पड़ सकती थी.

दौड़धूप कर के पीयूष ने गिरफ्तारी के विरुद्ध हाइकोर्ट से स्टे ले लिया. स्टे मिलने के बाद पीयूष ने ससुराल वालों से समझौते की पहल की. प्रीति शर्मा पहले तो तैयार नहीं हुई, लेकिन मांबाप के समझाने पर तैयार हो गई. उस ने समझौते के लिए 10 लाख रुपए की मांग रखी, जो उस के मांबाप ने शादी में खर्च किए थे.

पीयूष दहेज उत्पीड़न का मुकदमा खत्म करने तथा तलाक मिलने पर 10 लाख रुपए देने को राजी हो गया. उस ने 5 लाख रुपए प्रीति को कोर्ट के माध्यम से दे दिए और बाकी रुपए तलाक मिलने के बाद देने का वादा किया.

प्रीति ने खोला ब्यूटी पार्लर

प्रीति की एक घनिष्ठ सहेली थी वैदिका. वह अपने पति सत्येंद्र के साथ स्वर्ण जयंती विहार में रहती थी. यह क्षेत्र थाना विधनू के अंतर्गत आता है. वैदिका किराए पर सुलभ पांडेय के मकान में रहती थी. मकान के बाहरी भाग में उस ने ब्यूटी पार्लर खोल रखा था. प्रीति सजनेसंवरने उस के पार्लर में जाती थी.

आतेजाते दोनों में गहरी दोस्ती हो गई थी. वैदिका का पति सत्येंद्र मूलरूप से बिल्हौर थाने के कल्वामऊ गांव का रहने वाला था. बेहतर जिंदगी की उम्मीद से वह कानपुर शहर आया था. सत्येंद्र प्राइवेट नौकरी करता था, जबकि वैदिका ब्यूटी पार्लर चलाने लगी थी.

प्रीति ने भी ब्यूटीशियन का कोर्स कर रखा था, अत: सहेली के घर आतेजाते उस ने वैदिका से ब्यूटी पार्लर खोलने की इच्छा जाहिर की. वैदिका ने भरपूर मदद का आश्वासन दिया तो प्रीति ने श्याम नगर में अपने घर से कुछ दूरी पर एक दुकान किराए पर ले ली. फिर वैदिका की मदद से दुकान को सजा कर ब्यूटी पार्लर चलाने लगी.

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चूंकि प्रीति व्यवहारकुशल, हंसमुख और सुंदर थी, इसलिए कुछ ही माह बाद उस का ब्यूटी पार्लर अच्छी तरह चलने लगा. उस के यहां महिलाओं, लड़कियों की भीड़ उमड़ने लगी. उसे अच्छी आमदनी होने लगी थी. प्रीति सहेली वैदिका की भी आर्थिक मदद करने लगी.

प्रीति की अपनी भाभी कंचन से खूब पटती थी. कंचन की बेटी का नाम परी था. परी अपनी बुआ प्रीति से खूब हिलीमिली थी. प्रीति भी परी को खूब प्यार करती थी. जनवरी 2019 में परी एक दिन अकस्मात बीमार पड़ गई. मनीष ने उसे हैलट अस्पताल के न्यूरो साइंस वार्ड में इलाज हेतु भरती कराया. चूंकि परी प्रीति से बहुत प्यार करती थी, इसलिए उस ने परी की देखभाल के लिए हैलट अस्पताल में डेरा जमा लिया.

हैलट अस्पताल में ही प्रीति की मुलाकात प्रशांत द्विवेदी से हुई. प्रशांत द्विवेदी न्यूरो साइंस डिपार्टमेंट का कर्मचारी था. परी की देखभाल के लिए उस का आनाजाना लगा रहता था.

प्रशांत के पिता पुलिस विभाग में हैडकांस्टेबल थे और औरेया जिले के फफूंद थाने में तैनात थे. प्रशांत ने खूबसूरत प्रीति को देखा तो वह उस के दिल में रचबस गई. परी की देखभाल के बहाने प्रशांत प्रीति से नजदीकियां बढ़ाने लगा. वह शरीर से हृष्टपुष्ट व दिखने में स्मार्ट था. प्रीति को भी उस की नजदीकी और लच्छेदार बातें अच्छी लगने लगीं. उस के दिल में प्रशांत के प्रति प्यार उमड़ने लगा.

एक दिन प्रशांत ने मौका देख कर प्रीति का हाथ थाम लिया और बोला, ‘‘प्रीति मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. यदि मुझे तुम्हारा साथ मिल जाए तो मेरा जीवन सुधर जाएगा. तुम्हारे बिना अब मैं खुद को अधूरा समझने लगा हूं. बोलो दोगी मेरा साथ?’’

प्रीति अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, ‘‘प्रशांत, प्यार तो मैं भी तुम्हें करने लगी हूं. लेकिन तुम्हें पता नहीं है कि मैं शादीशुदा हूं. कोर्ट में पति से मेरा तलाक का मामला चल रहा है.’’

‘‘मुझे तुम्हारे बीते कल से कोई मतलब नहीं. रही बात तलाक की तो आज नहीं तो कल निपट ही जाएगा. मैं बस तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं.’’

‘‘मुझे डर लग रहा है प्रशांत, कहीं तुम ने धोखा दे दिया तो?’’ प्रीति ने आशंका जताई.

‘‘कैसी बातें कर रही हो प्रीति, मैं तुम्हारा साथ जीवन भर निभाऊंगा.’’ प्रशांत ने वादा किया.

इस के बाद प्रीति और प्रशांत का प्यार परवान चढ़ने लगा. दोनों साथ घूमनेफिरने और मौजमस्ती करने लगे. उन के बीच की सारी दूरियां मिट गईं. देह संबंध भी बन गए. प्रीति ने अपने और प्रशांत के बारे में अपनी सहेली को भी बता दिया था. प्रशांत और प्रीति, वैदिका के घर मिलने लगे थे.

जब कभी उन का मिलन नहीं हो पाता था, तब दोनों मोबाइल फोन पर बतिया कर अपने दिल की बात एकदूसरे को बता देते थे. प्रीति के भाई को दोनों के प्रेमिल संबंधों का पता चल गया था, लेकिन वह कभी इस का विरोध नहीं करता था.

एक दिन प्रीति ने प्रशांत के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो उस ने टाल दिया. शादी को ले कर दोनों में विवाद भी हुआ. लेकिन प्रशांत ने यह कह कर प्रीति को शांत कर दिया कि हम तलाक के बाद तुरंत शादी कर लेंगे. क्योंकि तलाक के पहले शादी करने से तुम मुसीबत में फंस सकती हो. प्रीति को यह बात समझ में आ गई और उस ने शादी की रट छोड़ दी.

इधर प्रीति प्रशांत के साथ मौजमस्ती कर रही थी, जबकि उस की सहेली वैदिका की आर्थिक हालत बहुत खराब हो गई थी. दरअसल, वैदिका के पति सत्येंद्र की नौकरी छूट गई थी और उस का पार्लर भी बंद हो गया था.

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उस के ऊपर कई महीने का मकान का किराया बकाया था. अन्य लोगों से लिया कर्ज भी बढ़ गया था. ऊपर से प्रीति ने भी मदद देनी बंद कर दी थी. ऐसे में उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था कि वह कर्ज कैसे चुकाए या फिर मकान का किराया कैसे भरे.

एक दिन प्रीति वैदिका के घर आई तो उस की नजर प्रीति के शरीर के आभूषणों पर पड़ी, जो लगभग 2 लाख के थे. आभूषण देख कर वैदिका ने पति सत्येंद्र के साथ मिल कर सहेली प्रीति से घात करने की योजना बनाई. इस के बाद वह समय का इंतजार करने लगी.

30 जुलाई, 2019 को वैदिका अपने पति सत्येंद्र के साथ प्रीति के घर पहुंची. उस ने बताया कि वह ब्यूटी पार्लर का सामान बेच रही है, चल कर देख लो और जो तुम्हारे मतलब का हो उसे खरीद लो.

प्रीति सहेली की चाल समझ नहीं पाई और उस के साथ उस के घर पर आ गई. घर पर वैदिका ने उस का खूब आदरसत्कार किया. प्रीति जाने लगी तो उस ने यह कह कर रोक लिया कि खाना खा कर जाना. वैदिका ने शाम को खाना बनाया फिर रात 8 बजे तीनों ने बैठ कर खाना खाया.

खाना खाने के बाद प्रीति पलंग पर लेट गई. तभी वैदिका और सत्येंद्र ने प्रीति को दबोच लिया. वह चिल्लाने लगी तो सत्येंद्र ने उस के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया और वैदिका ने प्रीति के दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया.

प्रीति की हत्या के बाद वैदिका और सत्येंद्र ने मिल कर प्रीति के गले की सोने की चैन, 2 अंगूठी, सोने का कड़ा, कान की बाली और नाक की लौंग उतार ली. इतना ही नहीं, वैदिका ने प्रीति के पर्स से नकद रुपया, मोबाइल तथा एटीएम कार्ड भी निकाल लिया.

इस के बाद दोनों ने मिल कर प्रीति के शव को प्लास्टिक की बोरी में तोड़मरोड़ कर भरा और मोटरसाइकिल पर रख कर न्यू आजाद नगर की ग्रामसमाज की खाली पड़ी जमीन पर फेंक आए. आभूषणों और नकदी को सुरक्षित कर के उन्होंने मोबाइल व पर्स को घर में छिपा दिया.

इधर जब प्रीति देर रात तक नहीं लौटी तो विद्याशंकर शर्मा को चिंता हुई. उन्होंने वैदिका से पूछा तो उस ने बता दिया कि प्रीति सामान ले कर वापस घर चली गई थी. जब 2 दिन तक प्रीति का कुछ पता नहीं चला तो विद्याशंकर गुमशुदगी दर्ज कराने श्यामनगर चौकी गए पर पुलिस ने उन्हें टरका दिया.

उधर 2 अगस्त, 2019 को कुछ मजदूरों ने एक प्लास्टिक बोरी में लाश देखी, जिसे कुत्ते नोच रहे थे. मजदूरों ने ठेकेदार को बताया. तब ठेकेदार ने लाश की सूचना थाना विधनू की पुलिस को दी. विधनू थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने केस की जांच की तो सारे भेद खुल गए.

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6 अगस्त, 2019 को थाना विधनू पुलिस ने अभियुक्त सत्येंद्र तथा वैदिका को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया. मामले की विवेचना थानाप्रभारी कर रहे हैं. -कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

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