
घर में घुसते ही वारिस ने अपनी पत्नी को आवाज दी, ‘‘सलमा, 2 कप चाय बनाना.’’
सलमा खाना बनाने की तैयारी कर रही थी. पति ने 2 कप चाय मांगी थी, इस का मतलब उस के साथ कोई आया था. उस ने किचन से बाहर आ कर देखा तो वारिस किसी हमउम्र युवक के साथ बैठा था. सलमा उसे पहचानती नहीं थी. इस का मतलब वह पहली बार आया था.
कुछ देर में सलमा चाय और पानी ले कर आई तो युवक ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया. वह चायपानी की ट्रे रख कर खड़ी हुई तो वारिस ने उस युवक का परिचय कराया, ‘‘यह मेरा दोस्त सुलतान है, सीबीगंज के मथुरापुर गांव में रहता है. ये भी आटो ड्राइवर है.’’
चाय पी कर सुलतान जाने के लिए उठा तो सलमा ने कहा, ‘‘अभी आप इन से कह रहे थे कि आप की पत्नी की तबीयत ठीक नहीं है. मतलब घर में खाना भी नहीं बना होगा. खाने का समय है, खाना खा कर जाना.’’
सुलतान संकोचवश कुछ नहीं बोला तो वारिस ने पत्नी की हां में हां मिलाते हुए कहा, ‘‘अब तुम्हारी भाभी ने कह दिया है तो खाना खाना ही होगा. यह बिना खाना खाए नहीं जाने देगी.’’
सुलतान बैठ गया. सलमा ने जल्दीजल्दी सुलतान और पति के लिए खाना लगाया. सलमा ने सुलतान को इतने प्यार से खाना खिलाया कि वह जरूरत से ज्यादा खा गया. वह पेट पर हाथ फेरते हुए बोला, ‘‘भाभी, आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं.’’
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30 वर्षीय सुलतान ने 2 निकाह किए थे. उस का पहला निकाह 5 साल पहले बरेली के बाकरगंज में रहने वाली रानो से हुआ था, जिस से उसे 2 बेटियां और एक बेटा था. रानो का चालचलन ठीक न होने पर सुलतान उसे उस के मायके छोड़ आया था.
इस के बाद सुलतान ने दूसरा निकाह बिहार के कटिहार जिले की शबीना से किया, जिस से 2 बेटे हुए.
सुलतान आटो चलाता था. एक ही काम में होने के वजह से दोनों में गहरी दोस्ती थी. वारिस अपने परिवार के साथ फतेहगंज (पश्चिम) के मोहल्ला कंचननगर में रहता था. परिवार में उस की पत्नी सलमा और 2 बेटे थे. जबकि सुलतान अपनी पत्नी और बेटियों के साथ महानगर बरेली के गांव मथुरानगर में रहता था.
दोस्ती की वजह से एक दिन वारिस सुलतान को अपने घर ले गया और चायनाश्ता ही नहीं, खाना भी खिलाया. उस दिन सुलतान ने कुछ नहीं कहा, लेकिन 4 दिन बाद उस की गाड़ी खराब हो गई तो वह वारिस के घर जा पहुंचा. पता चला वारिस नहा रहा है.
सुलतान ने सलमा से कहा, ‘‘भाभी, उस दिन आप ने जो खाना खिलाया था, बहुत स्वादिष्ट था. आप खाना बहुत अच्छा बनाती हैं.’’
‘‘मैं और काम भी बहुत अच्छे से करती हूं.’’ सलमा ने एक आंख दबा कर कहा.
सुलतान सलमा की इस हरकत से दंग रह गया. वह कुछ कहता, तभी वारिस ने बाथरूम से बाहर आ कर कहा, ‘‘सुबहसुबह कैसे आना हुआ भाई?’’
‘‘यार, मेरी गाड़ी खराब हो गई है, उसे मिस्त्री के यहां पहुंचाना है. मेरी गाड़ी अपनी गाड़ी में बांध लो तो आसानी हो जाएगी.’’
‘‘आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए मैं काम पर नहीं जाऊंगा. तुम मेरी गाड़ी ले जाओ. उसी में अपनी गाड़ी बांध लेना. उसे मिस्त्री के यहां छोड़ कर पूरे दिन मेरी गाड़ी चलाना, शाम को गाड़ी खड़ी करने आओगे तो हिसाब दे देना.’’
सुलतान वारिस की गाड़ी ले गया. दिन भर गाड़ी चला कर वह हिसाब देने आया तो सलमा उस के लिए पानी ले कर आई. सुलतान ने गिलास थामते हुए उस की ओर देखा तो उस ने फिर आंख दबा दी. सुलतान अचकचा गया. सलमा धीरे से बोली, ‘‘मौका मिले तो आ जाना.’’
सुलतान को सलमा की हरकतें अजीब लग रही थीं. उस ने आने के लिए क्यों कहा, यह सोचते हुए सुलतान अपने घर आ गया.
एक दिन सुलतान स्टैंड पर खड़ा सवारियों का इंतजार कर रहा था, तभी उसे सलमा आती दिखाई दी. सब से आगे सुलतान का ही आटो खड़ा था. इसलिए उस ने सुलतान के पास आ कर मुसकराते हुए पूछा, ‘‘क्या मुझे मेरे घर तक छोड़ दोगे?’’
‘‘क्यों नहीं भाभी, आओ बैठो.’’ कह कर सुलतान सवारियों का इंतजार किए बिना ही सलमा को ले कर चल पड़ा.
सुलतान चुपचाप गाड़ी चला रहा था. उसे इस तरह खामोश देख कर सलमा ने पूछा, ‘‘क्या बात है, बहुत खामोश हो?’’
‘‘तबीयत कुछ भारीभारी सी है. आज वरिस नहीं दिखा, कहीं गया है क्या?’’
‘‘वह बाहर गए हुए हैं. आज बहुत गरमी है, घर चलो. तुम्हें नींबू का शरबत पिलाती हूं.’’ सलमा ने मीठे स्वर में कहा.
‘‘नहीं भाभी, आप को परेशान होने की जरूरत नहीं है. ड्राइवरों को गरमीसर्दी सब झेलनी पड़ती है.’’
‘‘कुछ भी हो, शरबत तो पीना ही पड़ेगा.’’ सलमा ने जिद की.
सुलतान चुप रह गया. उस ने सलमा के घर के सामने गाड़ी रोकी तो सलमा ने आटो से उतर कर ताला खोला. उस ने सुलतान को अंदर बुला कर बैठा दिया और खुद शरबत बनाने लगी.
कांच के 2 गिलासों में शरबत ला कर वह सुलतान के पास बैठ गई. शरबत पी कर सुलतान उठने लगा तो सलमा ने उस का हाथ पकड़ कर बिठाते हुए कहा, ‘‘इतनी गरमी में कहां जाओगे, थोड़ी देर बैठो न. आज मैं भी अकेली हूं, दोनों बातें करते हैं.’’
सुलतान बैठ गया तो सलमा उठी और बाहर का दरवाजा बंद कर के कुंडी लगा दी. सुलतान अचकचाया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि सलमा को ऐसी कौन सी बात करनी है जो अंदर से दरवाजा बंद कर दिया.
दरवाजा बंद कर के सलमा सुलतान के पास बैठ गई और बोली, ‘‘तुम ने यह तो बता दिया था कि खाना बहुत अच्छा बना था, लेकिन यह नहीं बताया कि खाना बनाने वाली कैसी लगी?’’
यह सुन कर सुलतान की हैरानी और बढ़ गई. अकेले में दोस्त की पत्नी के साथ इस तरह बैठना उसे ठीक नहीं लग रहा था. इस के अलावा वह डर भी रहा था. उस की हालत देख कर सलमा ने कहा, ‘‘डरने की कोई बात नहीं है. इस समय यहां कोई नहीं आएगा.’’
लेकिन उस के आश्वासन के बावजूद सुलतान का डर कम नहीं हुआ. वह वहां से निकलने के बारे में सोच रहा था कि सलमा ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘तुम मुझे अच्छे लगने लगे हो.’’
सुलतान घबरा कर उठ खड़ा हुआ, ‘‘भाभी, मैं शादीशुदा हूं. मुझ से ऐसी बात न करो.’’
सलमा ने हंसते हुए कहा, ‘‘मैं ने तुम से यह थोड़े ही कहा है कि मैं तुम से शादी करना चाहती हूं. लेकिन मुझे तुम से प्यार जरूर हो गया है.’’
सलमा उस के एकदम करीब आ गई. सुलतान थोड़ा खिसकते हुए बोला, ‘‘वारिस क्या सोचेगा?’’
‘‘कोई कुछ नहीं सोचता सुलतान, सही बात तो यह है कि हर कोई अपने सुख के चक्कर में घूम रहा है. किसी के बारे में सोच कर परेशान होने की जरूरत नहीं है. मैं अपने बारे में सोचती हूं, मेरे पति भी अपने बारे में सोचते हैं. अब तुम भी अपने बारे में सोचो.’’
‘‘ये कैसी बातें कर रही हो आप?’’
‘‘ये अपने दिल से पूछो, अगर तुम्हारे दिल में मेरे साथ समय बिताने की इच्छा न होती तो तुम गाड़ी ले कर बाहर से ही लौट जाते, अंदर कतई नहीं आते.’’
‘‘अंदर तो आप ने बुलाया है.’’
‘‘ठीक है, बुलाया था पर तुम मना भी कर सकते थे.’’ सलमा ने कहा.
सुलतान हैरान था. यह सच था कि पिछले कई दिनों से वह सलमा के बारे में सोच रहा था. कई बार वह उस के दरवाजे तक आया भी था, लेकिन बाहर से ही लौट गया था.
सलमा उस के कंधे पर हाथ रख कर बोली, ‘‘प्यार करना गुनाह नहीं है. मैं जानती हूं कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए एक नरम कोना है. मौके का फायदा उठाने से मत चूको.’’
उलझन में फंसा सुलतान सलमा के आकर्षण में बंधा था, इसलिए चाह कर भी वहां से नहीं जा पा रहा था. सुनसान घर में अकेली औरत नाजायज संबंध बनाने के लिए मजबूर कर रही थी. आखिर सुलतान ने खुद को सलमा के हवाले कर दिया.
उस दिन वह सलमा के घर से निकला तो उस की स्थिति अजीब सी थी. वह गाड़ी ले कर सीधा घर आ गया. जल्दी वापस आने पर शबीना ने कहा, ‘‘आज जल्दी आ गए, तबीयत ठीक नहीं है क्या?’’
‘‘सिर थोड़ा भारी लग रहा था. मैं ने सोचा थोड़ा आराम कर लूंगा तो ठीक हो जाऊंगा. मैं सोना चाहता हूं.’’ कह कर सुलतान कमरे में जा कर लेट गया. कुछ देर पहले उस के साथ जो कुछ गुजरा था, वह सब उसे याद आने लगा. उसे लगा कि वह शबीना का गुनहगार है.
वह अपराधबोध से ग्रस्त था. उस ने सोचा जो हो गया सो हो गया. भविष्य में वह ऐसी गलती नहीं करेगा. यह सोच कर उस का दिल कुछ हलका हुआ. लेकिन उस की वह रात करवट बदलते हुए गुजरी. सुबह उठा तो सिर भारी था.
सुबह को सुलतान काफी देर तक नहाता रहा, जिस से मन को कुछ शांति मिली. नाश्ते के बाद वह गाड़ी ले कर चला गया. सीधीसादी शबीना को पता ही नहीं चला कि पति ने उस के साथ बेवफाई कर डाली है.
अगले कुछ दिनों में सब सामान्य हो गया. सुलतान वारिस के घर की तरफ नहीं गया. लेकिन सलमा ने उसे फिर से तलाश कर कुछ सामान लाने को कहा. वारिस बाहर था, इसलिए सुलतान ने सामान ला कर सलमा के घर पर दे दिया. उस दिन भी सुलतान सलमा से दूर नहीं रह पाया.
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वह खुद को संभालने की लाख कोशिश करता, लेकिन उस की कोशिश धरी रह जाती. जब उसे लगा कि संभलना मुश्किल है तो उस ने सलमा के साथ इसे सिलसिला ही बना लिया.
दोनों को मौके की तलाश रहने लगी. मोबाइल फोन ने उन की राह आसान कर दी थी. इसी बीच सुलतान और वारिस आटो चलाना छोड़ कर कैंटर चलाने लगे थे. सुलतान फतेहगंज पश्चिमी के ही नवाजिश अली का कैंटर चलाता था, तो वारिस इमरान रजा का.
समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहा. सलमा सुलतान को अपना बलमा तो नहीं बना सकती थी, लेकिन उस के दिल का सुलतान वही था.
7 फरवरी को देर रात तक सुलतान घर नहीं लौटा तो शबीना को चिंता हुई. उस ने पौने 8 बजे सुलतान को फोन किया तो उस ने आधे घंटे में पहुंचने की बात कही. लेकिन देर रात होने पर भी वह घर नहीं लौटा. उस का मोबाइल भी बंद हो गया था.
पति के बारे में पता करने के लिए शबीना ने अपने जेठ शाने अली को फोन किया तो पता चला कि वह राजस्थान से माल ले कर फतेहगंज लौट आया था. शाने अली ने शबीना से कहा कि रात होने की वजह से वह कहीं रुक गया होगा. सुबह होने पर भी जब सुलतान घर नहीं पहुंचा तो शाने अली उस की तलाश में लग गया.
8 फरवरी की सुबह फतेहगंज (पश्चिम) थाना क्षेत्र के गांव सफरी के कुछ लोगों ने सड़क किनारे स्थित बलवीर के खेत में एक अज्ञात युवक की लाश पड़ी देखी.
वहां भीड़ एकत्र हुई तो बात गांव के प्रधान तक पहुंची. प्रधान ने मौके पर जा कर देखा और इस की सूचना फतेहगंज (पश्चिम) थाने को दे दी.
सूचना मिलने पर इंसपेक्टर चंद्रकिरन पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मृतक की उम्र 28-30 साल रही होगी. मृतक के गले पर कसे जाने के निशान मौजूद थे. साथ ही सिर पर काफी गहरे घाव भी थे.
घाव किसी वजनदार ठोस वस्तु के प्रहार के लग रहे थे. लाश के आसपास घटनास्थल का निरीक्षण करने पर कोई सुराग नहीं मिला. अलबत्ता वह मृतक के संघर्ष करने के निशान जरूर मौजूद थे. कई जगह मिट्टी उखड़ी हुई थी, कई लोगों के पैरों के निशान भी थे. मतलब हत्यारे एक से ज्यादा थे.
इस बीच लाश मिलने की सूचना आसपास के क्षेत्रों में फैल गई थी. कुछ लोगों ने लाश की फोटो सोशल मीडिया पर डाल दी थी. शाने अली के कुछ परिचितों ने फोटो देखी तो शाने अली को बताया कि सफरी गांव के पास एक लाश मिली है, कहीं वह सुलतान की तो नहीं, जा कर देख ले. शाने अली शबीना और भाई इरशाद के साथ मौके पर पहुंच गया.
लाश सुलतान की निकली. लाश की शिनाख्त हो गई तो इंसपेक्टर चंद्रकिरन ने सुलतान की पत्नी शबीना से पूछताछ की. उस ने बताया कि रात पौने 8 बजे सुलतान को फोन किया था तो उस ने आधे घंटे में घर पहुंचने की बात कही थी, लेकिन वह घर नहीं आया.
उस ने सुलतान के कैंटर मालिक नवाजिश अली और उस के बहनोई पर सुलतान की हत्या का शक जताते हुए बताया कि एक माह पहले रुपयों के लेनदेन को ले कर सुलतान का उन से झगड़ा हुआ था. दोनों ने सुलतान को जान से मारने की धमकी दी थी.
इसी बीच सीओ जगमोहन सिंह बुटोला और एसपी (ग्रामीण) संसार सिंह भी मौके पर पहुंच गए. अधिकारियों ने लाश व घटनास्थल का निरीक्षण करने के बाद आवश्यक पूछताछ की. उस के बाद वह इंसपेक्टर चंद्रकिरन को दिशानिर्देश दे कर वापस लौट गए.
शबीना की लिखित तहरीर पर नवाजिश अली और उस के बहनोई के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
इंसपेक्टर चंद्रकिरन ने केस की जांच शुरू की तो पता चला नवाजिश कैंसर से पीडि़त है और काफी समय से अस्पताल में भरती है. ऐसे में सुलतान की हत्या में उस का हाथ नहीं हो सकता था.
इस जानकारी के बाद उन्होंने सुलतान के प्रेम प्रसंग के संबंध में जानकारी जुटाई तो उस के किसी महिला से प्रेम प्रसंग की जानकारी मिली. इस पर उन्होंने सुलतान के मोबाइल की कालडिटेल्स निकलवाई. पता चला कि एक नंबर पर उस की हर रोज काफी देर तक बातें होती थीं.
वह नंबर सुलतान के नाम ही था. इस का मतलब यह था कि सुलतान ने ही वह नंबर किसी को दिया था. उस नंबर की लोकेशन फतेहगंज (पश्चिम) के कंचननगर मोहल्ले की थी.
और जानकारी जुटाई गई तो पता चला सुलतान की दोस्ती कंचननगर में रहने वाले वारिस उर्फ चांद से थी. इस के बाद रहस्य से परदा उठते देर नहीं लगी. पता चला कि सुलतान के नाजायज संबंध वारिस की पत्नी सलमा से थे. सुलतान की हत्या इन्हीं संबंधों की परिणति थी.
इस के बाद इंसपेक्टर चंद्रकिरन ने 28 फरवरी को वारिस को गिरफ्तार कर लिया. थाने में जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो मामला नाजायज संबंधों का ही निकला.
सलमा और सुलतान के नाजायज संबंधों की भनक पड़ोसियों को भी लग गई थी. जब वारिस घर पर नहीं रहता था तो सुलतान घंटों तक उस के घर में पड़ा रहता था. इस से पड़ोसियों को समझते देर नहीं लगी कि सुलतान और सलमा के बीच क्या खिचड़ी पक रही थी.
एक पड़ोसी ने वारिस को इस बारे में बता दिया था. यह जान कर कि सुलतान ने उसे दोस्ती में दगा दे कर उस की पीठ में धोखे का खंजर घोंपा है, वह आगबबूला हो उठा. इस के बाद उस ने सलमा को खूब पीटा और सुलतान का दिया हुआ मोबाइल और सिम भी खोज लिया, जिसे उस ने तोड़ दिया.
इस के बाद उस ने सुलतान को उस की दगाबाजी और इज्जत से खेलने के लिए सबक सिखाने का फैसला कर लिया.
इस के लिए उस ने कंचननगर में ही रहने वाले अपने फुफेरे भाई आमिर और भांजे दानिश उर्फ टाइगर को साथ देने के लिए तैयार कर लिया. दोनों ट्रांसपोर्ट पर मजदूरी का काम करते थे.
7 फरवरी की रात को सुलतान दिल्ली से माल ले कर बरेली आया. माल उतारने के बाद उस ने कैंटर को ठिरिया खेतल के नासिर ट्रांसपोर्ट पर खड़ा कर दिया. इस के बाद वह अपने घर की ओर चल दिया.
रास्ते में वारिस, आमिर और दानिश ने उसे मथुरापुर चलने की बात कह कर अपने कैंटर के केबिन में बैठा लिया. जब वारिस ने कैंटर शंघा-अगरास रोड पर मोड़ा तो सुलतान विरोध करने लगा. इस पर तीनों ने गमछे से उस का गला दबा दिया. सुलतान बेहोश हो गया.
सफरी गांव के पास उसे कैंटर से उतारा गया तो होश आने पर सुलतान ने भागने की कोशिश की. इस पर तीनों ने लोहे की रौड से पीटपीट कर उसे मार डाला और उस की लाश खेत में डाल दी.
खून से सने कपड़ों को इन लोगों ने एक थैले में रख कर टूल बौक्स में डाल दिया और अपनेअपने घर चले गए.
लेकिन गुनाह छिप न सका. वारिस की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त लोहे की रौड और खून से सने कपड़े बरामद कर लिए. इस के बाद वारिस को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.
2 मार्च को पुलिस ने दानिश उर्फ टाइगर को भी गिरफ्तार कर लिया. साथ ही हत्या में इस्तेमाल वारिस का कैंटर नंबर यूपी25सी टी9339 भी बरामद कर लिया. कथा लिखे जाने तक आमिर फरार था, उस की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी.
(कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित)
अमन को हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत थी. नैना का प्लान था कि शनिवार सुबह वह अमन के लंच में उस की बीपी की दवाइयां जरूरत से ज्यादा डाल देगी जिस से लंच के बाद उस की तबीयत बिगड़ेगी और शाम तक तो उस का खेल खत्म हो जाएगा. उस की औटोप्सी रिपोर्ट में जब आएगा कि उस की मौत हाइ डोज से हुई है तो सब को लगेगा कि उस ने जान कर दवाई इतनी मात्रा में ली. इस तथ्य की पुष्टी के लिए वह सब को कहेगी कि अमन डिप्रेस्सड रहने लगा था क्योंकि वे दोनों कब से बच्चा चाहते थे पर वह कंसीव नहीं कर पा रही थी और अमन की नौकरी से भी वह खासा टेंशन में था और इन्हीं सब चीजों की वजह से परेशान था. नैना को पूरा यकीन था कि वह बच निकलेगी.
शनिवार की सुबह प्लान के मुताबिक नैना ने अमन के टिफिन में दवाई मिला दी. अमन औफिस के लिए निकल गया. आज भी नैना ने कामवाली को छुट्टी दे रखी थी. विकास 12 बजे नैना के घर आ गया. नैना उसे देखते ही उस के गले से लिपट गई. उस के चेहरे को चूमने लगी. दोनों एकदूसरे की आगोश में खोने लगे. उन्हें बेडरूम में जाने की भी सुध नहीं रही. वे वहीं सोफे पर गिर गए. तभी दरवाजे की घंटी बजी. नैना और विकास एकदूसरे को देखने लगे. आखिर, इस वक्त कौन हो सकता है.
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नैना ने अपनी टीशर्ट और लोअर पहना और दरवाजे की तरफ बड़ गई. नैना ने अंदर वाला दरवाजा खोला ताकि वह जाली वाले दरवाजे से देख सके कि बाहर कौन है और वह उसे वहीं से लौटा दे. नैना ने दरवाजा खोला तो बाहर अमन को देख कर सन्न रह गई. वह अमन को तो लौटा नहीं सकती थी. उस की कनपट्टी से पसीने की लंबीलंबी धारें बहने लगीं. उस ने दरवाजा खोला और अमन का बैग हाथ में ले लिया.
‘तुम इतनी जल्दी कैसे?’ नैना ने हिम्मत कर पूछा
‘कुछ काम नहीं था और मैं ने अपना रेजिग्नेशन भी दे दिया तो बस आ गया.’
अमन अंदर बढ़ा और सामने विकास को अधनंग अवस्था में देख उस का सिर घूम गया. एक आदमी उस के घर में, अधनंग, उस की पत्नी के साथ क्या कर रहा था यह सोचने में उसे ज्यादा समय नहीं लगा. विकास अमन को देख उठ खड़ा हुआ. अमन मुड़ा और उस ने पीछे खड़ी, आंसू बहा रही नैना को देख उस के मुंह पर जोरदार तमाचा मार दिया. अमन के नैना पर हाथ उठाते ही विकास अमन पर कूद पड़ा.
अमन और विकास की आपस में हाथापाई होने लगी. नैना ने सामने टेबल पर पड़े कांच के वास को उठाया और ध्म्म से अमन के सिर पर मार दिया. अमन निढाल हो जमीन पर गिर पड़ा.
‘यह….य…य….यह क्या किया तुम ने?’ विकास ने अपना माथा पकड़ लिया.
‘मुझे नहीं पता…. यह कैसे हुआ मुझे नहीं पता… हमें इस की लाश को ठिकाने लगाना होगा.’ नैना सिर पकड़ कर जमीन पर बैठ गई.
‘मैं…मैं…हां, शाम को इस की लाश को गाड़ी में डाल फेंक आएंगे यमुना में. या कहीं गाड़ देंगे. यह सही है,’ विकास के पसीने छूट रहे थे.
‘हां, ठीक है.’
6 घंटे बीत गए थे. बाहर अंधेरा गहराने लगा था. अचानक विकास का फोन बज उठा. नैना विकास का मुंह ताकने लगी. विकास के हावभाव अचानक बदल गए. वह फोन पर जोरजोर से कहने लगा, ‘कैसे, कब…हां, मैं अभी आया…मैं आ रहा हूं…’
‘क्या हुआ,’ नैना पूछने लगी.
‘घर से फोन था. पापा की तबीयत अचानक खराब हो गई है, मुझे जाना होगा,’ विकास उठते हुए कहने लगा.
‘तुम पागल हो गए हो क्या? मैं यहां इस लाश का क्या करूं? पुलिस के आने का इंतजार? एक बात याद रखो, मैं जेल गई तो तुम्हें साथ ले कर जाऊंगी समझे तुम?’ नैना चिल्ला उठी.
‘मैं कल सुबह अंधेरा रहते आ जाऊंगा. किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा. पक्का जान, मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा,’ विकास ने कहा और वहां से चला गया.
नैना रातभर सो नहीं पाई. उसे पता था अगर जल्द ही उस ने इस लाश से छुटकारा नहीं पाया तो इस की बदबू से सब जान जाएंगे कि माजरा क्या है. उस की आंखें पथरा रहीं थीं. कभी उसे लगता कि अमन का मर जाना ही उस के लिए सही है और कभी उसे लगता कि उस ने अपने हाथों अपनी गृहस्थी तोड़ दी. वह अमन के चेहरे को देखती तो कांपने लगती. उस ने घर की सभी लाइटें जला रखी थीं. लिविंग रूम का एसी फुल कर दिया ताकि कुछ भी हो लेकिन लाश बदबू न छोड़े.
अगली सुबह विकास नहीं आया. विकास करोल बाग में रहता था. मिडिल क्लास फैमिली थी उस की, घर का एकलौता बेटा था. एमफिल का विद्यार्थी था. उस के मातापिता को उस की अय्याशियों और आशिकी दोनों का ही कोई ज्ञान नहीं था. रविवार सुबह जनता कर्फ़्यू के चलते उसे कोई साधन नहीं मिला जिस से वह नैना के घर पहुंच सके और नैना घर से निकलने का रिस्क ले नहीं सकती थी. नैना उसे बारबार फोन कर रही थी लेकिन विकास फोन नहीं उठा रहा था. आखिर विकास ने फोन उठाया भी था तो अचानक काट दिया था.
अब नैना अपने पति अमन की लाश के साथ इस घर में अकेली थी, बिलकुल अकेली. रविवार शाम जब सभी अपनी बालकनियों में आ कर खड़े हुए तो नैना बाहर नहीं निकली. तालियों और थालियों का शोर नैना के अंदर के खालीपन को अब भर नहीं सकता था. उस की आंखों से अश्रुधारा बहने लगी थी. वह अमन को देखती, फिर उस की नजर खिड़की की तरफ जाती और फिर अमन की तरफ.
रात 9 बजे जनता कर्फ़्यू हटना था. नैना एक बार फिर विकास को फोन मिलाने लगी. विकास का फोन स्विच औफ आने लगा. नैना ने दिनभर में उसे जितने भी मैसेज किए उन में से एक भी उसे डिलीवर नहीं हुआ था. नैना समझ गई कि विकास अब नहीं आएगा और अब वह अकेली है जिसे यह सब कुछ हैंडल करना है.
नैना ने अमन की लाश को पैर से पकड़ कर खिसकाने की कोशिश की. अमन का शरीर भारी था, नैना पूरा दम लगा कर उसे खींच रही थी और अचानक गिर पड़ी. वह फिर से उठी और उसे खिसकाने की कोशिश करने लगी. किसी तरह मशक्कत कर वह उसे बेडरूम तक ले गई और बेड के अंदर उस की लाश डाल दी. उस ने बेडरूम का एसी भी फुल पर रखा जिस से बदबू थमी रहे. उस ने पूरे घर में अपने महंगे से महंगे फ्रेश्नर को छिड़क दिया. पोछा मारा, हर तरफ से खून के धब्बे हटाए, अमन के फोन को एयरप्लेन मोड पर डाला मगर नेट औन रखा. रविवार का दिन बीत गया. विकास का कोई कौल नहीं आया. लाश ठिकाने लगाने की कोई सुध नहीं थी नैना को. वह अकेले लाश का क्या करेगी उसे कुछ समझ नहीं आया.
अमन के दोस्त और परिवार के एक के बाद एक मैसेज आने लगे कि उस का फोन बंद क्यों है और नैना अमन बन कर उन सभी के मैसेज का रिप्लाई कर कहने लगी कि फोन में नेटवर्क नहीं है. नैना ने इंटरनेट पर काफी कुछ सर्च किया और जाना कि लाश की बदबू 2-3 दिन में घर में फैल जाएगी और शायद बाहर भी, साथ ही, लाश डिकम्पोज होने लगेगी, सड़नेगलने लगेगी.
नैना को पता था कि वह ज्यादा दिन इस खेल को अंजाम नहीं दे पाएगी. उस ने अपनी कामवाली को घर आने से मना कर दिया और कहा कि कोरोना के चलते वह कुछ दिन छुट्टी ले ले. अगले दिन 23 मार्च की शाम नैना ने तय किया कि वह विकास के घर जाएगी और उस को पकड़ कर लाएगी, आखिर वह अपनी गलती से इस तरह भाग कैसे सकता है. खून में उस की भागीदारी पूरी थी तो लाश को ठिकाने लगाने का जिम्मा केवल नैना के सिर क्यों?
नैना का यह प्लान भी धराशायी हो गया जब प्रधानमंत्री ने 21 दिनों के राष्ट्रीय लौकडाउन की घोषणा की. अब तो नैना किसी भी हालत में घर से बाहर नहीं निकल सकती थी. नैना रोने लगी, बिलखने लगी. कमरा लाश की गंध से भर उठा था. अमन की मौत को 3 दिन बीत चुके थे. पिछले 3 दिनों से उस ने खाने के नाम पर बासी 2 रोटियां ही खाई थीं. नैना उठी, अमन का उतारा हुआ मास्क पहना, बेडरूम में गई और अपना सब से महंगा पर्फ्यूम उठा कमरे में छिड़कने लगी. पिछले 3 दिनों से उसे ढंग से नींद नहीं आई थी. आज वह दूसरे बेडरूम में गई और जा कर सो गई, चैन की नींद.
अमन की मौत के चौथे दिन से लौकडाउन शुरू हो गया था. लोग अपनेअपने घरों में थे. बच्चे, बड़े सभी अपनी बालकनी में आ कर बैठने लगे. 4 दिननों से बंद खिड़कियां देख सभी को अजीब लगा जरूर पर पूछने का मन आखिर किस का होगा. यही तो हमारी हाइ सोसाइटी है जिसे खुद से ज्यादा किसी और से मतलब नहीं है. पड़ोस की महिमा जो अकसर बालकनी में खड़ी हो नैना से बातें किया करती थी, ने नैना को कौल किया. नैना पहले तो कौल नहीं उठाने वाली थी पर किसी को कोई शक न हो इसलिए उठा लिया.
“हैलो, हाय नैना, कहां हो आजकल दिखाई नहीं देती?”
“वो….एक्चुअली घर पर ही हूं पर कोरोना है न इसलिए सोशल डिस्टेन्स मैंटेन कर रहे हैं हम और कोई बात नहीं है,” नैना अपनी घबराहट छिपाते हुए कहने लगी.
“अच्छाअच्छा गुड, चलो ठीक है, बाय.”
नैना को लगा अब सब ठीक है. बस कुछ दिनों की बात है और फिर वह इस लाश से छुटकारा पा लेगी. उस के पास सोचने का बहुत सारा समय था अब. वह कभी विकास के धोके को याद करती, कभी नितिन के बारे में सोचती, कभी आकाश के बारे में तो कभी अपने मम्मीपापा का ख्याल आ जाता. शादी के बाद से अपनी पुरानी ज़िंदगी से वह कोई खास वास्ता नहीं रखती थी पर अब जैसे सब उस की आंखो के सामने कौंध रहा था. घर में हर पल गहरी होती लाश की बदबू से उस का दम घुटने लगा था लेकिन वह मजबूर थी.
वहां, सोसाइटी के लोगों के पास अब एकदूसरे की तांकाझांकी करने का पूरा समय था. लोगों ने नोटिस करना शुरू किया कि नैना और अमन को देखे उन्हें जाने कितने दिन हो गए. इस पर एक दिन बालकनी में खड़ी महिमा ने बगल वाली ज्योत्सना को कहा कि उसे लगता है कि नैना या अमन में से किसी एक को कोरोना हो गया है जिस कारण वे आइजोलेशन में हैं और इस से उन की पूरी सोसाइटी की जान खतरे में आ सकती है. ज्योत्सना ने यही बात अपनी पड़ोसन मिनी को बताई, मिनी ने कमलेश को और उस ने नीतिका को. पूरी सोसाइटी में बात फैल गई कि नैना या अमन को कोरोना हुआ है.
लोगों ने उन दोनों की कंप्लैन कोरोनावायरस हेल्पलाइन पर की और अगली सुबह नैना के घर के बाहर डाक्टरों की टीम खड़ी थी. सभी के मुंह पर मास्क था लेकिन उन्हें माजरा समझने में देर नहीं लगी. दरवाजे के बाहर तक लाश की बदबू आने लगी थी. नैना ने घंटी सुनी लेकिन वह दरवाजा खोलने की हिम्मत नहीं कर पाई. वह डर से कांपने लगी और बाथरूम में जा कर बैठ गई. दरवाजा खोला गया और दरवाजा खुलते ही नैना का राज भी खुल गया.
अमन की लाश हिरासत में ली गई. नैना और अमन के घरवालों को खबर भेजी गई. लौकडाउन के चलते वे अपने घरों में इस दुख से तड़पने को मजबूर थे. विकास को भी पकड़ा गया. नैना और विकास के खिलाफ सबूतों की लंबी लिस्ट थी पुलिस के पास. दोनों के मैसेज, कौल रिकोर्ड्स, हाई डोज वाला अमन के बैग में पड़ा सड़ा हुआ लंच, वास के टुकड़े और अमन की लाश.
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नैना ने जो अपराध किया उस की सजा तो उसे मिलेगी ही, लेकिन यह अपराध एक दिन या दो दिन पहले नहीं उपजा था. इस की जड़ें नैना के जीवन में बहुत पहले से ही उपजने लगी थीं. खैर, अमन की जान गई, नैना का वर्तमान भविष्य सब गया और रह गया तो बस उस का यह अपराध.
“मुझे बहुत घबराहट हो रही है. तुम आ जाओ ना, कैसे भी आओ बस आ जाओ. मुझे अब डर लग रहा है…बहुत डर. तुम सुन रहे हो न? हैलो… हैलो… विकास… तुम सुन रहे हो न.. हैलो…..” उस तरफ से फोन कटा तो मानो नैना की सांसे भी थमने लगी. उस ने सोफे के बगल में पड़ी पति अमन की लाश की तरफ एक बार फिर नजर घुमाई और उस के होंठ थरथराने लगे और वह विकास को फिर फोन मिलाने लगी.
नैना और अमन की शादी जिस समय हुई थी तब नैना महज 23 साल की थी. कालेज के समय में तो कितने रिलेशनशिप्स रहे थे उस के लेकिन जब उस के लिए अमन का रिश्ता आया तो वह झट मान गई. मानती कैसे नहीं, अमन अच्छे घर का पैसे वाला आदमी था हालांकि उम्र में 6 साल बड़ा था नैना से लेकिन नैना को इस से कुछ खासा फर्क नहीं पड़ा था. उस की आंखों में तो जनकपुरी का 4 बीएचके का फ्लैट चमक रहा था जिस की तस्वीरें अपनी सहेलियों को भेजभेज कर वह दिखा देगी कि उस की जिंदगी भी क्या जिंदगी है. नैना की शादी के दिन करीब आ रहे थे तो उस के इंस्टाग्राम और व्हाट्सेप पर मैसेजों की कतारें बढ़ने लगी थीं. कभी एक्स बौयफ्रेंड का मैसेज होता तो कभी उस बौयफ्रेंड का जिस से वह ब्रेकअप करना ही भूल गई थी.
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नैना के मातापिता उस की इन हरकतों से अंजान थे. नैना अपने दोनों भाइयों से छोटी थी. यही कारण था कि उसे जितना रोका जाता वह उतना ही पंख फड़फड़ा उड़ने की कोशिश करती. हमेशा से गर्ल्स स्कूल में पढ़ी नैना के 10वीं से 12वीं कक्षा के बीच ही 3 बौयफ्रेंड रहे थे. पहले से तो उसे लगा जैसे उसे प्यार हो गया है लेकिन जब वह उस से अपने लिए कुछ मांगती और वह मना कर देता तो वह खीझ उठती. वह उस से अपनी सहेली कविता की मदद से मिली थी. कविता के मोहल्ले का ही लड़का था वह और नैना के स्कूल की छुट्टी के समय स्कूल के बाहर खड़ा होता था. नैना जब कविता के बौयफ्रेंड को देखती तो उसे लगता जैसे कविता ने जानबूझ कर उसे इस कालेकलूटे लड़के के साथ बांधा है. सो, पढ़ाई का बहाना मार नैना ने उस से ब्रेकअप कर लिया.
नैना ने जब कविता के बौयफ्रेंड नितिन को देखा था तभी से उस पर मोहित होने लगी थी. स्कूल से बंक मार जब कविता, नैना, साक्षी और तान्या घूमने गईं थीं तो वहां नितिन और साक्षी का बौयफ्रेंड विनय भी आया था. जब भी नैना का नितिन से सामना होता वह ऐसे दिखाने की कोशिश करती कि वह बेहद शालीन और शांत किस्म की लड़की है जबकि नितिन जानता था कि वह कितनी तेजतर्रार है. कविना ने नैना को बताया था कि नितिन अकसर उसे किस करने के लिए कहता था जिस पर वह मना कर देती थी. उस दिन लोधी गार्डेन घूमते हुए जब साक्षी, तान्या, विनय और कविता तस्वीरें क्लिक कर रहे थे तब नैना नितिन की तरफ इशारा कर झील के पास जाने लगी. नितिन ने कविता से कहा कि उसे यहां गर्मी लग रही है और वह भी झील के पास जा रहा है. झील के पास पहुंच बेंच पर बैठी नैना को देख नितिन उस के पास जा कर बैठ गया. नैना उस की आंखों में देख धीरेधीरे आंखें बंद करती हुई आगे झुकने लगी. नितिन ने मौका हाथ से जाने नहीं दिया और आगे झुक नैना को किस करने लगा. कविता नितिन को ढूंढते हुए वहां पहुंची तो नैना और नितिन को एकदूसरे को किस करते देख विफर पड़ी. वह उन दोनों को गालियां देने लगी जिस पर नैना ने भी उसे भुला भला कहना शुरू कर दिया. उस दिन के बाद न नैना और कविता ने एकदूसरे से कभी बात की और न नितिन ने उन दोनों से.
नैना 12वीं में थी तो उस के घर के बगल में रहने वाले आकाश से उसे प्यार हो गया या उसे लगा कि उसे प्यार हो गया. नैना का भाई शुभम मेरठ में पढ़ रहा था क्योंकि ग्रेजुएशन के बाद उस का कोई एंट्रैन्स क्लियर नहीं हुआ था कि वह दिल्ली में ही पढ़ सके. नैना के सब से बड़े भैया नाइट शिफ्ट में नौकरी करते थे इसीलिए दिनभर सोते थे और रात में औफिस जाते थे. मम्मीपापा को बस एक फिक्र थी कि नैना थोड़ा पढ़ ले और अच्छे घर में उस की शादी हो जाए. उन्हें नैना की परवरिश या व्यवहार में कभी कुछ गलत लगा ही नहीं. नैना शाम को भैया के औफिस के लिए घर से निकलते ही अपने कमरे में चली जाती थी. नैना के 50 गज के घर में उस का कमरा सब से ऊपर था. नैना की बालकनी और आकाश की बालकनी एकदूसरे से जुड़ी हुई थी. नैना बालकनी की ग्रिल पर चादर सुखाने के बहाने डाल देती और उस के सहारे बैठ जाती. आकाश भी यही किया करता. दोनों एकदूसरे से बातें करते और किसी को दिखते भी नहीं. नैना जब कालेज के फर्स्ट इयर में आई तो उस का मन आकाश से ऊब गया. अपने कालेज के बौयफ़्रेंड्स के साथ वह कितनी ही बार हमबिस्तर भी हुई थी लेकिन उसे रिलेशनशिप से बोरियत होने लगती और वह कोई न कोई बहाना बना ब्रेकअप कर लेती.
अमन से शादी के बाद जब नैना इस घर में आई थी तो उसे मानो वह सब मिल गया था जिस की उसे चाहत थी, पैसा, आजादी और लक्जरी. अमन एक मल्टी नैशनल कंपनी में एचआर की पोस्ट पर था. अच्छा कमाता था, चालबाजियों से दूर शांत किस्म का लड़का. उस की भी कालेज के समय से कई गर्लफ्रेंड्स रही थीं लेकिन वह हमेशा से सीरियस रिलेशनशिप्स से दूर रहा था. उस के मम्मीपापा और बहन चंडीगढ़ में रहते थे और वह यहां दिल्ली में. चडीगढ़ में भी उस का अच्छा खासा घरबार था. अमन हमेशा से एक ही शर्त पर रिलेशनशिप में आता रहा कि वह शादी की कमिटमेंट नहीं कर सकता क्योंकि उस के मातापिता जातिधर्म को अत्यधिक महत्व देते हैं और इसलिए वह उन की मर्जी से ही शादी करेगा. औफिस में उसे एक लड़की बेहद पसंद थी लेकिन फिर वही कि वह शादी नहीं करेगा इसलिए वह लड़की उस के साथ कुछ दिन सैक्सुअल रिलेशनशिप में रही और फिर उस ने भी अमन से ब्रेकअप कर लिया. इस ब्रेकअप के बाद ही अमन के घरवालों ने उसे नैना से मिलवाया और किसी पंडेपुजारी और रिश्तेदारी के चलते दोनों की शादी हो गई. नैना दुबलीपतली, चटख गोरे रंग की, लंबे बाल और मदमस्त चाल वाली लड़की थी तो वहीं अमन मझले कदकाठी का गोरा मगर कम आकर्षक किस्म का लड़का था. नैना को देखते ही अमन उस पर लट्टू हो गया था तो वहीं अमन के स्टेटस ने नैना का दिल जीत लिया था.
शादी के कुछ महीने तो नैना और अमन ने बड़े मजे से गुजारे, घूमना फिरना, ढेरों तस्वीरें लेना उन्हें अपने सोश्ल मीडिया पर पोस्ट करना, सैक्स का लुत्फ उठाना और नएनए एक्सपेरीमेंट्स करना. लेकिन, धीरेधीरे नैना इस जिंदगी से भी ऊबने लगी. अमन नैना की आंखों में झांकने की कोशिश करता और नैना अपनी निगाहें हटा लेती. सैक्स के तुरंत बाद भी जब अमन उसे बाहों में भरता तो नैना करवट ले सो जाती. नैना अपनी सहेलियों से अमन के परफ़ौर्मेंस को ले कर बातें करती तो कोई उस पर हंसने लगती तो कोई कहती पति के साथ रात में मज़ा नहीं तो दिन के लिए कोई और ढूंढ़ ले, और फिर यहां वहां की बातें होने लगतीं.
नैना घर पर ही रहती थी, अमन ने कई बार उसे कहा कि वह घर पर बोर हो तो नौकरी कर सकती है.
लेकिन नैना के मन में नौकरी का दूरदूर तक ख्याल नहीं था. एक दिन यों ही इंस्टाग्राम पर उसे किसी लड़के का मैसेज आया और नैना उस से बातें करने लगी. नौर्मल फ्लर्टिंग से शुरू हुई बात सैकस्टिंग तक पहुंच गई. पहले वह उस लड़के को डीप नेक वाली तस्वीरें भेजती और फिर अपनी सैक्सी लौंजरी फ़्लौंट करने लगी. नैना को इन सब में मजा आने लगा. बात एकदूसरे से मिलने तक भी पहुंची और एकदिन नैना दोपहर 1 बजे घर से निकली और शाम 5 बजे लौटी. आजकल रूम मिलना भी कोई मुश्किल काम नहीं. कामवाली को उस ने छुट्टी दे ही रखी थी तो उसे कोई टेंशन नहीं थी.
यह लड़का यही कोई 22 साल का था तो नैना को वैसे भी इस से प्यार जैसा कोई मतलब नहीं था लेकिन सैक्स में नैना को मजा आ रहा था. इस लड़के के साथ दो महीने टाइमपास के बाद नैना दूसरे और फिर तीसरे लड़के के साथ भी चैटिंग, सैक्सस्टिंग और फिर सैक्स करने लगी. अमन इन सब से अंजान था और नैना उसे शक का कोई मौका भी नहीं देती थी.
इसी तरह एक दिन वह विकास से मिली. विकास उसे अपनी एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में मिला था. विकास ने नैना को देखा तो उस पर लट्टू हो गया. विकास आकर्षक व्यक्तित्व का व्यक्ति था, लंबा कद, लहराते बाल, एमफिल का स्टूडेंट. नैना की शादी को अभी 2 साल भी नहीं हुए थे. विकास की हमउम्र भी थी. पार्टी में उस ने पेंसिल स्कर्ट और पीच कलर का टौप पहना हुआ था. गले में एक चैन और सिंदूर तो वह अब लगाती ही नहीं थी. इतनी अच्छी पर्स्नालिटी की लड़की पर आखिर किस का दिल न आए.
दोनों का इंटरोडक्शन हुआ और बातें शुरू होने लगीं. पसंदनापसंद, खूबसूरती की तारीफें, गाने डेडिकेट करना, साथ घूमनाफिरना, क्लब जाना और न जाने क्या क्या. नैना को हर समय विकास का ख्याल आता रहता, उस से मिलने का मन करता. वह उसे चाहने लगी थी और अब अमन के साथ उसे कोई खुशी नहीं थी.
‘सुनो,’ नैना ने एक दिन विकास को मैसेज किया.
‘कहो,’ विकास का जवाब आया.
‘मैं सोच रही थी कि आज कहीं चलते हैंम आई मीन समझ रहे हो न?’ नैना रोमांटिक होते हुए कहने लगी.
‘कहां जाना है?’ विकास मंदमंद मुसकाते हुए कहने लगा.
‘ज्यादा भोले मत बनो. तुम्हें पता है मैं कहां जाने की बात कर रही हूं, रूम में चलते हैं कहीं,’ नैना ने बनावटी अंदाज में कहा.
‘अच्छा क्या करेंगे,’ विकास भी बनावटी भोलेपन से कहने लगा.
‘अच्छा, बताऊं तुम्हें अब? जाओ नहीं जाना कहीं.’
‘अरे बाबा, मजाक कर रहा हूं मेरी जान, तुम समझती ही नहीं हो. मैं तो कब से तड़प रहा था.’
बस फिर क्या, नैना और विकास के मिलनेजुलने और सैक्स का सिलसिला चल पड़ा. अब वह बाहर जाने की बजाए विकास को घर बुलाने लगी.
एक दिन नैना ने अपनी कामवाली को छुट्टी दे रखी थी. विकास और नैना बेड पर लेटे हुए थे. विकास अनायास ही बोल पड़ा, ‘नैना, अपने पति को तलाक दे दो. मुझे तुम से शादी करनी है, हमेशा तुम्हारे साथ ही रहना है. हम दोनों साथ रहेंगे हमेशा.’
‘बेबी, तुम कमाते हो नहीं, तलाक से एक पैसा नहीं मिलेगा, खाएंगे क्या?’ नैना विकास के बालों को सहलाते हुए बोली.
‘तलाक नहीं दे सकती तो हम कबतक ऐसे छुपछुप कर मिलते रहेंगे?’
‘और कर भी क्या सकते हैं? तुम खुद बताओ?’ नैना बोल उठी.
विकास उठ कर अपने कपड़े पहनने लगा. उस का मन उदास होने लगा था. ‘हम कुछ दिन नहीं मिलेंगे अब,’ विकास ने कहा.
‘क्यों? अचानक यह शादी की बात कर के तुम मुझे उलझन में डाल रहे हो. तुम जानते हो मैं अमन को नहीं छोड़ सकती ऐसे, फिर भी?’
‘मैट्रो से आना अब सही नहीं है. तुम ने सुना न कोरोनावायरस के बारे में. मैं बस कुछ दिन रिस्क नहीं लेना चाहता. और तुम्हें इस बीच हमारे रिश्ते के बारे में सोचने का समय भी मिल जाएगा.’
‘बेबी, बस यही है तुम्हारी मोहब्बत? कोरोना से इतना डर कि मुझ से नहीं मिलोगे?’
‘कम से कम मुझे तुम से मोहब्बत तो है, तुम्हारी तरह दो नाव पर सवारी तो नहीं कर रहा मैं,’ विकास ने तंज कसते हुए कहा.
‘अच्छा, तो क्या करूं? मार दूं क्या अपने पति को तुम्हारे लिए?’ नैना अचानक चिल्ला उठी.
‘हां, मार दो,’ विकास ने कहा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया.
घड़ी में 8 बजकर 16 मिनट हुए और दरवाजे की बेल बजी. अमन को देख नैना ने मुसकुराते हुए उस के हाथ से बैग लिया. अमन अपने मुंह से मास्क हटाने लगा और सोफे पर जा बैठ गया. नैना अमन के लिए पानी का गिलास ले आई.
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‘कोरोनावायरस बहुत ज्यादा फैलने लगा है न?’ नैना ने अमन को गिलास थमाते हुए कहा.
‘हां, बहुत ज्यादा. सुनने में आ रहा है कि जल्द ही प्रधानमंत्री इस पर कुछ ऐक्शन लेने वाले हैं. हमारा काम भी वर्क फ़्रौम होम होने वाला है जल्दी ही. चलो अच्छा है इस बहाने तुम्हारे साथ समय बिताने का मौका भी मिलेगा.’
‘हां, डार्लिंग बिलकुल,’ नैना ने कहा और झूठी मुस्कराहट के साथ अमन को देखने लगी.
‘नैना, मुझे लग रहा है मुझे नई नौकरी के बारे में सोचना चाहिए.’
‘क्यों?’
‘मैं काफी समय से इंक्रीमेंट के बारे में सोच रहा हूं पर यह कंपनी खुद ही नुकसान में चल रही है तो नहीं करेगी.’
‘अच्छा, तुम्हें जैसा ठीक लगे.’
अमन बाथरूम में था जब नैना ने विकास को मैसेज किया, ‘मेरे पास एक प्लान है.’
अगले दिन प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि इस रविवार जनता कर्फ़्यू लगने वाला है. अमन की शनिवार को अकसर छुट्टी होती है लेकिन इस बार उसे औफिस बुलाया गया था. नैना ने विकास के साथ अमन को जान से मारने का प्लान ऐसा बनाया था कि किसी को उस पर भूल कर भी शक नहीं होता और वह अमन के मरने के बाद चैन से विकास के साथ रहती.
दिल्ली जल बोर्ड में नौकरी करने वाला संजीव कौशिक अपनी पत्नी अंजू कौशिक को हर तरह से खुश रखता था. वह जो भी मांग करती, संजीव उसे जल्द से जल्द पूरी करने की कोशिश करता था. इस के बावजूद भी अंजू उसे पहले की तरह प्यार नहीं करती. आए दिन पति के प्रति उस का व्यवहार बदलता जा रहा था. बेटे के भविष्य को देखते हुए संजीव अपने घर में कलह नहीं करना चाहता था पर अंजू उस की बात को गंभीरता से समझने की कोशिश नहीं कर रही थी.
संजीव फरीदाबाद की ग्रीनफील्ड कालोनी का रहने वाला था. दिल्ली ड्यूटी करने के बाद जब वह घर पर पहुंचता तो घर वाले अंजू के बारे में बताते कि वह बेलगाम हो कर अकेली पता नहीं कहांकहां घूमती है. संजीव इस बारे में जब पत्नी से पूछता तो वह उलटे उस से झगड़ने पर आमादा हो जाती थी. इस के बाद संजीव को भी गुस्सा आ जाता तो वह उस की पिटाई कर देता था. इस तरह उन दोनों के बीच आए दिन झगड़ा होने लगा.
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संजीव अपने स्तर से यही पता लगाने की कोशिश करने लगा कि आखिर उस की पत्नी का किस के साथ चक्कर चल रहा है. पर उसे इस काम में सफलता नहीं मिल सकी. आखिर इसी साल जनवरी महीने में जब अंजू घर से भाग गई तो हकीकत सामने आई. पता चला कि अंजू के अपने ही ननदोई यानी संजीव के बहनोई राजू के साथ ही नाजायज संबंध थे.
जबकि संजीव का शक किसी मोहल्ले वाले पर था, लेकिन उसे क्या पता था कि उस का बहनोई ही आस्तीन का सांप बना हुआ है. अंजू जब राजू के साथ भागी थी तो अपने बेटे को भी साथ ले गई थी. तब संजीव ने फरीदाबाद के सेक्टर-7 थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इस के करीब एक महीने बाद अंजू को करनाल से बरामद किया गया था.
घर लौटने के बाद अंजू ने अपने किए की पति से माफी मांगी और भविष्य में राजू से न मिलने का वादा भी किया था. संजीव ने उसे माफ कर फिर से स्वीकार कर लिया. लेकिन कहते हैं कि चोर चोरी भले छोड़ दे लेकिन हेराफेरी नहीं छोड़ता. यही हाल अंजू का भी था.
कुछ दिनों तक तो अंजू ठीक रही लेकिन जब उसे अपने ननदोई यानी प्रेमी राजू की याद आती तो वह बेचैन रहने लगी. उधर राजू भी अंजू से मिलने के लिए बेताब था.
दोनों ही जब एकदूसरे से मिलने के लिए मचलने लगे तब वे चोरीछिपे मिलने लगे. संजीव को जब पता चला तो उस ने पत्नी को समझाया पर वह नहीं मानी.
वैसे भी जब किसी महिला के एक बार पैर फिसल जाते हैं तो वह रोके से भी नहीं रुकते. क्योंकि अवैध संबंधों की राह बड़ी ही ढलवां होती है. उस राह पर यदि कोई एक बार कदम रख देता है तो उस का संभलना मुश्किल होता है. यही हाल अंजू का हुआ.
संजीव अंजू के चालचलन से बहुत परेशान हो चुका था. उस की वजह से उस की रिश्तेदारियों में ही नहीं, बल्कि मोहल्ले में भी बदनामी हो रही थी. पत्नी को समझासमझा कर वह हार चुका था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह ऐसी बदचलन पत्नी का क्या करे. पत्नी की वजह से वह तनाव में रहने लगा.
17 मार्च, 2018 को भी किसी बात को ले कर संजीव का पत्नी से झगड़ा हो गया. उस समय उस का 15 वर्षीय बेटा मनन अपने ताऊ के यहां था. झगड़े के दौरान अंजू ने ड्रेसिंग टेबल से कैंची निकाल कर पति पर हमला कर दिया. बचाव की कोशिश में संजीव की छोटी अंगुली (कनिष्ठा) कट गई. अंगुली कटने पर संजीव के हाथों से खून टपकने लगा.
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इस के बाद संजीव को गुस्सा आ गया. उस ने पत्नी से कैंची छीन कर उसी कैंची से उस की गरदन पर ताबड़तोड़ वार करने शुरू कर दिए. उस ने उस की गरदन पर तब तक वार किए, जब तक उस की मौत नहीं हो गई. इस के बाद उस ने उस की गरदन काट कर अलग कर दी.
पत्नी की हत्या करने के बाद संजीव ने खून से सने अपने हाथपैर साफ किए और कपड़े बदल कर उस ने कहीं भाग जाने के मकसद से एक बैग में अपने कुछ कपड़े भर लिए. फिर वह अपने बड़े भाई के पास गया. वहां मौजूद बेटे ने बैग के बारे में पूछा तो उस ने बता दिया कि इस में कपड़े हैं जो धोबी को देने हैं. फिर वह वहां से चला गया.
दोपहर करीब एक बजे मनन जब घर पहुंचा तो दरवाजे पर ताला लगा हुआ था. उस ने पड़ोसियों से अपनी मां के बारे में पूछा तो कुछ पता नहीं चला. पिता को फोन मिलाया तो वह भी बंद मिला. तब उस ने फोन कर के अपने ताऊ को वहां बुला लिया.
ताऊ ने शक होने के बाद पुलिस को सूचना दी. पुलिस जब वहां पहुंची तो आसपास के लोग जमा थे. कमरे का ताला तोड़ कर पुलिस जब कमरे में गई तो बैडरूम में अंजू की लाश पड़ी थी, जिस का सिर धड़ से अलग था. फिर पुलिस ने जरूरी काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.
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पत्नी की हत्या करने के बाद संजीव 3 दिनों तक इधरउधर घूमता रहा. बाद में उसे लगा कि चाहे वह कितना भी छिपा रहे, पुलिस एक न एक दिन उसे गिरफ्तार कर ही लेगी. यही सोच कर उस ने खुद ही न्यायालय में आत्मसमर्पण करने का फैसला ले लिया और 21 मार्च, 2018 को फरीदाबाद न्यायालय में पहुंच कर आत्मसमर्पण कर दिया.
कोर्ट ने इस की सूचना डीएलएफ क्राइम ब्रांच को दे दी. तब क्राइम ब्रांच के इंचार्ज अशोक कुमार कोर्ट पहुंच गए. उन्होंने संजीव कौशिक को गिरफ्तार कर पूछताछ की, जिस में संजीव ने अपना अपराध स्वीकार कर पत्नी की हत्या में प्रयुक्त कैंची आदि पुलिस को बरामद करा दी. पुलिस ने संजीव कौशिक से पूछताछ के बाद उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.
मामला 1
14 मई, 2019 को इंदौर शहर में एक औरत के आपरेशन में डाक्टरों ने उस के प्राइवेट पार्ट से मोटरसाइकिल का एक पार्ट निकाला, जो बच्चेदानी और पेशाब की थैली के बीच में फंसा था.
पार्वती (बदला नाम) इंदौर के स्कीम नंबर 71 में अपने पति प्रकाश भील के साथ एक झुग्गी में रहती थी. वे दोनों मेहनतमजदूरी कर के अपना और अपने 6 बच्चों का पेट पाल रहे थे.
बात अब से तकरीबन 2 साल पहले की है जब एक रात उन दोनों में जम कर झगड़ा हुआ. झगड़े की वजह थी पार्वती का शक कि प्रकाश के किसी औरत से नाजायज संबंध हैं.
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जैसे ही पार्वती ने इस बात पर एतराज जताया तो ‘तूतू मैंमैं’ शुरू हो गई जो झगड़े में तबदील हुई तो गुस्साए प्रकाश ने पार्वती के प्राइवेट पार्ट में बेरहमी से मोटरसाइकिल का क्लच लीवर घुसेड़ दिया.
उस समय चूंकि प्रकाश के साथसाथ पार्वती ने भी शराब पी रखी थी, इसलिए उसे दर्द महसूस नहीं हुआ और वह सो गई. लेकिन दर्द दूसरे दिन भी बरकरार रहा तो वह घबरा गई. बात कुछ ऐसी थी कि किसी को बताते हुए भी उसे शर्म आ रही थी.
इस शर्म का खमियाजा पार्वती दर्द की शक्ल में 2 साल झेलती रही, लेकिन 12 मई, 2019 को जब दर्द बरदाश्त के बाहर हो गया तो वह एमवाई अस्पताल गई जहां ऐक्सरे होने पर पता चला कि उस के प्राइवेट पार्ट के भीतर कोई भारीभरकम चीज घुसी हुई है.
पार्वती ने डाक्टरों को 2 साल पहले का सच बताया तो वे दहल गए और उसे पहले पुलिस में रिपोर्ट करने का मशवरा दिया. प्रकाश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने के बाद डाक्टरों ने आपरेशन कर उस के प्राइवेट पार्ट से 9 सैंटीमीटर लंबा और 3 सैंटीमीटर चौड़ा मोटरसाइकिल का क्लच लीवर निकाला.
एमवाई अस्पताल की औरतों की नामी डाक्टर सोमेन भट्टाचार्य समेत डेढ़ दर्जन डाक्टरों की टीम ने इस आपरेशन को अंजाम दिया तब कहीं जा कर पार्वती की जान बच पाई.
मामला 2
दूसरा हादसा भोपाल के हनुमानगंज थाने के हमीदिया रोड का है. 13 मई, 2019 की सुबह निशा (बदला नाम) जब काम पर जा रही थी तो उस के पति रामप्रकाश ने उस पर तेजाब से हमला कर दिया. इस तेजाबी हमले में निशा बुरी तरह झुलस गई और राहगीरों ने आटोरिकशा में ले जा कर उसे हमीदिया अस्पताल में भरती कराया.
जिस भीड़ ने पति को पकड़ा, उसे नहीं मालूम था कि मामला क्या है. लिहाजा, उन्होंने रामप्रकाश को लुटेरा समझ कर तबीयत से धुन दिया जिस से वह भी अधमरा हो गया. निशा की छाती, पीठ और गरदन बुरी तरह झुलस गई थी.
जब थाने में मामला दर्ज हुआ तब पता चला कि 38 साला रामप्रकाश एक होटल में खाना बनाने का काम करता था. उस ने तकरीबन 15 साल पहले निशा से लव मैरिज की थी और दोनों के 3 बच्चे थे.
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कुछ दिनों से रामप्रकाश को शक हो गया था कि निशा के एक बैंक मुलाजिम से संबंध हैं तो उस ने बीवी के साथ मारपीट शुरू कर दी.
रामप्रकाश आदतन शराबी था. जब रोजरोज की कलह और मारकुटाई निशा की बरदाश्त से बाहर होने लगी तो वह रामप्रकाश से अलग हो कर द्वारिका नगर महल्ले में किराए का मकान ले कर रहने लगी.
लेकिन रामप्रकाश ने वहां भी निशा का पीछा नहीं छोड़ा. वह अकसर वहां पहुंच कर पत्नी को मारता था.
तंग आ कर निशा ने वकील के जरीए उसे तलाक का नोटिस भिजवा दिया तो रामप्रकाश आगबबूला हो गया. इस से उस का शक और पुख्ता हो गया.
तलाक के नोटिस को भी उस ने अपनी बेइज्जती समझा. लिहाजा, हादसे वाले दिन वह स्टील के बरतन में तेजाब ले कर बस स्टौप पर निशा का इंतजार करने लगा और जैसे ही वह आई तो उस पर तेजाब उड़ेल दिया.
प्रकाश की तरह रामप्रकाश भी जेल में है. अपने बयान में उस ने पुलिस को बताया कि उस का इरादा तो पत्नी को मार डालने का था, लेकिन वह बच गई.
मामला 3
सुनील (बदला नाम) अपनी पत्नी ज्योति (बदला नाम) के साथ शराब के नशे में मारपीट करता था. उसे भी पत्नी के चालचलन पर शक था.
पत्नी पुलिस वाली हो तो उस के साथ जरूरत से ज्यादा मारपीट करना मुमकिन नहीं रह जाता, इसलिए सुनील ने दूसरा तरीका अपनाया. उस ने ज्योति के पर्सनल फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर दिए थे. इस से ज्योति का किसी को मुंह दिखाना दूभर हो गया तो उस ने झक मार कर कमला नगर थाने में सुनील की इस करतूत की रिपोर्ट लिखाई.
सुनील भी प्रकाश और रामप्रकाश की तरह जेल में बंद है.
तीसरे का रोल अहम
तीनों ही मामलों में एक बात समान है कि पतिपत्नी के बीच कोई तीसरा या तीसरी थी जो पत्नी की ही ऐसी गत की वजह बने. इस में नुकसान भी पत्नी का ही हुआ जिस पर यह कहावत लागू होती है कि छुरा खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरे पर कटना तो खरबूजे को ही पड़ता है.
शुरू के 2 मामलों में तीसरे या तीसरी की ऐंट्री शादी के कई साल बाद हुई जबकि तीसरे मामले में तीसरे को आए ज्यादा दिन नहीं हुए थे यानी शक इस तरह की वारदातों की बड़ी वजह है जिस के चलते पतिपत्नी रोज झगड़ते हैं, फिर एक दिन पति अपनी मर्दानगी दिखा ही देता है. इस के बाद वह अपने अंजाम और बच्चों की जिंदगी की भी परवाह नहीं करता है.
शादीशुदा जिंदगी में कोई पति या पत्नी यह बरदाश्त नहीं कर पाते हैं कि उन के पार्टनर के कहीं और संबंध बनें तो यह हक कम पार्टनर का आदी हो जाना ज्यादा है. पार्टनर का अलग कहीं संबंध बना लेना कोई नई बात नहीं है और इस में पत्नियां भी पीछे नहीं रहती हैं.
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लेकिन अफसोस की बात यह कि पिटती हमेशा पत्नी ही है क्योंकि औरत होने के नाते वह कुदरती तौर पर कमजोर होती है और घर के बाहर उस का कोई सहारा आमतौर पर नहीं होता है.
पुलिस में जाना भी इस समस्या का हल नहीं है क्योंकि पुलिस वाले जब तक कोई बड़ी वारदात न हो तब तक पतिपत्नी के बीच दखल नहीं देते हैं.
जाएं तो जाएं कहां
निशा ने सही कदम उठाया था लेकिन अलग होने के बाद भी पति उस का पीछा नहीं छोड़ रहा था. शादी के
5-6 साल बाद अगर पतिपत्नी में झगड़े होते हैं और पत्नी अलग रहने का फैसला लेती है तब उस का साथ कोई नहीं देता और कोई देता भी है तो उस की कीमत वसूलता है.
पत्नियां अगर मायके में जा कर रहें तो वहां भी बोझ समझी जाती हैं और उन्हें अपने ही घर में नौकरों की तरह काम करना पड़ता है.
फिर पति की मारकुटाई की सताई औरतें जाएं तो जाएं कहां? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है और इस का फायदा ही पति उठाते हैं.
नौबत या बात जब जान लेने और देने तक आ जाए तब जरूर पत्नियों को संभल जाना चाहिए और यह समझना चाहिए कि रोजरोज एक ही मसले पर कलह किसी के लिए ठीक नहीं, इसलिए कलह की वजह कुछ भी हो, पति के मुंह ज्यादा नहीं लगना चाहिए. खासतौर से उस वक्त, जब वह शराब के नशे में हो.
तो क्या फिर पत्नियां यों ही पिटती रहेंगी या फिर पति की हैवानियत का शिकार होती रहेंगी? इस सवाल का जवाब बड़े अफसोसजनक ढंग से हां में ही निकलता है, क्योंकि समाज मर्दों का है, घर के मुखिया वे ही होते हैं और पत्नी जब ज्यादा खिलाफत या कलह करती है, तो उसे मारने तक उतारू हो आते हैं.
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चिंता की बात हैवान शौहरों की तादाद में इजाफा होना है. रोज हजारों पार्वती, निशा और ज्योति शौहर की हैवानियत का शिकार हो रही होती हैं, लेकिन कड़वा सच यही है कि वे जाएं तो जाएं कहां?
बिहार की राजधानी पटना के तकरीबन हर इलाके में जैंट्स पार्लरों की भरमार सी है. चमचमाते और रंगबिरंगे पार्लर मनचले नौजवानों और मर्दों को खुलेआम न्योता देते रहते हैं. इन पार्लरों के आसपास गहरा मेकअप किए इठलातीबलखाती और मचलती लड़कियां मोबाइल फोन पर बातें करती दिख जाती हैं. अपने परमानैंट ग्राहकों को सैक्सी बातों से रिझातीपटाती नजर आ ही जाती हैं. वैसे, इन पार्लरों में हर तरह की ‘सेवा’ दी जाती है. कुरसी के हैडरैस्ट के बजाय लड़कियों के सीने पर सिर रख कर शेव बनवाने और फेस मसाज का मजा लीजिए या फिर लड़कियों के गालों पर चिकोटियां काटते हुए मसाज का मजा लीजिए.
फेस मसाज, हाफ बौडी मसाज से ले कर फुल बौडी मसाज की सर्विस हाजिर है. जैसा काम, वैसी फीस यानी पैसा फेंकिए और केवल तमाशा मत देखिए, बल्कि खुद भी तमाशे में शामिल हो कर जिस्मानी सुख का भरपूर मजा उठाइए.
जैंट्स पार्लरों में ग्राहकों से मनमाने दाम वसूले जाते हैं. शेव बनवाने की फीस 5 सौ से एक हजार रुपए तक है. फेस मसाज कराना है, तो एक हजार से 2 हजार रुपए तक ढीले करने होंगे. हाफ बौडी मसाज के लिए 3 हजार से 5 हजार रुपए देने पड़ेंगे और फुल बौडी मसाज के तो कोई फिक्स दाम नहीं हैं.
पटना के बोरिंग रोड, फ्रेजर रोड, ऐक्जिबिशन रोड, डाकबंगला रोड, कदमकुआं, पीरबहोर, मौर्यलोक कौंप्लैक्स, स्टेशन रोड, राजा बाजार, कंकड़बाग, एसके नगर वगैरह इलाकों में जैंट्स मसाज पार्लरों की भरमार है.
पिछले कुछ महीनों में पुलिस की छापामारी से जैंट्स पार्लरों का धंधा कुछ मंदा तो हुआ?है, पर पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है. थानों की मिलीभगत से जैंट्स पार्लरों का खेल चल रहा है.
कुछ साल पहले तक मसाज पार्लरों में नेपाली और बंगलादेशी लड़कियों की भरमार थी, पर अब उन की तादाद कम हुई है. बिहार और उत्तर प्रदेश की लड़कियां अब उन में काम कर रही हैं. इन में ज्यादातर गरीब घरों की लड़कियां ही होती हैं, जो पेट की आग बुझाने के लिए यह धंधा करने को मजबूर हैं.
फ्रेजर रोड के एक पार्लर में काम करने वाली सलमा बताती है कि उस का शौहर उसे छोड़ कर मुंबई भाग गया. अपनी 7 साल की बेटी को पालने के लिए उसे मजबूरी में मसाज पार्लर में काम करना पड़ा.
इसी तरह पति की मौत हो जाने के बाद ससुराल वालों की मारपीट की वजह से रोहतास से भाग कर पटना पहुंची सोनी काम की खोज में बहुत भटकी, पर उसे कोई काम नहीं मिला. बाद में उस की सहेली ने उसे जैंट्स पार्लर में काम दिलाया.
सोनी बताती है कि पहले तो उसे मर्दों की सैक्सी निगाहों और हरकतों से काफी शर्म आती थी. कई बार यह काम छोड़ने का मन किया, पर अब इन सब की आदत हो गई है.
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समाजसेवी प्रवीण सिन्हा कहते हैं कि ऐसे पार्लरों में काम करने वाली ज्यादातर लड़कियों और औरतों के पीछे बेबसी और मजबूरी की कहानी होती है. कुछ लड़कियां ही ऐसी होती हैं, जो ऐशमौज करने और महंगे शौक पूरा करने के लिए मसाज करने और जिस्म बेचने का काम करती हैं.
वहां आसपास रहने वाले लोगों की कई शिकायतों के बाद कभीकभार पुलिस जागती है और एकसाथ कई मसाज पार्लरों पर छापामारी कर कई लड़कियों, पार्लर चलाने वालों और दर्जनों ग्राहकों को पकड़ कर ले जाती है.
पुलिस देह धंधा करने के आरोप में लड़कियों और ग्राहकों की धरपकड़ करती है. 2-3 दिनों तक तो पार्लर पर ताला दिखता है और फिर पुलिस, कानून और समाज के ठेकेदारों को ठेंगा दिखाते हुए धंधा चालू हो जाता है और बेधड़क चलता रहता है.
पुलिस के एक आला अफसर कहते हैं कि जिस्मानी धंधे की शिकायत मिलने के बाद ही पुलिस छापामारी करती है. प्रिवैंशन औफ इम्मोरल ट्रैफिक ऐक्ट के तहत शिकायतों के बाद छापामारी की जाती है. पार्लर से पकड़ी गई लड़कियां या औरतें यह नहीं बताती हैं कि उन्हें जबरदस्ती या लालच दे कर काम कराया जा रहा है. वे तो पुलिस को यही बयान देती हैं कि वे अपनी मरजी से काम कर रही हैं. अगर वे देह बेचने को मजबूर नहीं की गई हैं, तो प्रिवैंशन औफ इम्मोरल ट्रैफिक ऐक्ट बेमानी हो जाता है. इस से कानून कुछ नहीं कर पाता है.
पुलिस के एक रिटायर्ड अफसर की मानें, तो ऐसे पार्लरों पर छापामारी पुलिस के लिए पैसा उगाही का जरीया भर है. पुलिस को पता है कि ऐसे मसाज पार्लरों पर कानूनी कार्यवाही नहीं हो सकती है, वह महज रोबधौंस दिखा कर ‘वसूली’ कर लड़कियों और संचालकों को छोड़ देती है. जो पार्लर सही समय पर थानों में चढ़ावा नहीं चढ़ाते हैं, वहीं छापामारी की जाती है.
पटना हाईकोर्ट के वकील उपेंद्र प्रसाद कहते हैं कि जिस्म के धंधे और यौन शोषण की शिकायत पर कानूनी कार्यवाही तभी हो सकती है, जब वह दबाव बना कर कराया जा रहा हो. जब किसी औरत का जबरन या खरीदफरोख्त के लिए यौन शोषण नहीं किया जा रहा है, तो वह कानूनन देह धंधा नहीं माना जाएगा.
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मसाज पार्लरों से पकड़ी गई लड़कियां कभी यह नहीं कहती हैं कि उन से जबरन कोई काम कराया जा रहा है, फिर यह कैसे कहा जा सकता है कि किसी जैंट्स पार्लर में जिस्मफरोशी का धंधा चलता है?
लेखक- अहमद यार खान
इस पर दोनों गुत्थमगुत्था हो गए. लड़कों ने बीचबचाव कराया. सफदर ने धमकी दी कि वह उसे जान से मारेगा. सफदर वहां से चला आया.
अरशद की बात सुन कर मुझे खयाल आया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सफदर ने अपनी मां की हत्या खुद ही कर दी हो. अगर ऐसा हुआ हो तो फिर सवाल यह था कि सफदर की हत्या किस ने की? जबकि जो पग चिह्न शादो की लाश के पास पाए गए थे, वही सफदर के घर के सहन में पाए गए. दोनों क ी हत्या भी एक ही तरह से की गई थी.
मुझे यह देखना था कि वह आदमी कौन था. सब से पहले मैं ने परवीन से बात करने के बारे में सोचा. मैं ने नंबरदार से कहा कि वह परवीन को बुलाए. उस ने अपनी नौकरानी को परवीन को बुलाने भेज दिया.
वह लड़की आ कर मेरे सामने बैठ गई. वह करीब 16-17 साल की होगी. वह मामूली सी लड़की घबराई हुई थी. मैं ने सब से पहले उस से अपनी कलाई दिखाने के लिए कहा. उस ने कलाई आगे कर दी. उस में लाल रंग की बची हुई चूडि़यां थीं और उस की कलाई पर चूड़ी के कुछ घाव भी थे.
मैं ने उस से बड़े प्यार से कहा, ‘‘चूड़ी तो बहुत अच्छी पहन रखी हैं. लगता है कहीं गिरने से टूट गई हैं.’’
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‘‘हां, मैं गिर गई थी.’’ वह कलाइयों को देख कर बोली, ‘‘चोट भी लगी और चूडि़यां भी टूट गईं.’’
‘‘कहां गिरी थीं?’’
वह एकदम घबरा गई. फिर संभल कर बोली, ‘‘वो…एक सहेली के घर गिरी थी.’’
‘‘कौन सी सहेली?’’ मैं ने उस की आंखों में आंखें डाल कर कहा, ‘‘उस का नाम बताओ?’’
वह सोच में पड़ गई. सीधीसादी देहाती लड़की थी. उस में चालाकी नहीं थी. कोई चालाक लड़की होती तो तुरंत कोई नाम बता देती.
‘‘मैं तुम्हारी सहेली का नाम बता देता हूं, जिस के घर में तुम्हारी चूडि़यां टूटी थीं.’’ मैं ने जेब से रूमाल में बंधे चूडि़यों के टुकड़े उस के सामने रख दिए और कहा, ‘‘मैं तुम्हारी सहेली के घर से उठा लाया हूं.’’
चूडि़यों के टुकड़े देख कर उस की हालत ऐसी हो गई जैसे अभी बेहोश हो कर गिर जाएगी. मैं ने उसे तसल्ली दी, ‘‘घबराने की जरूरत नहीं है. किसी से मिलना कोई पाप नहीं है और न ही यह कोई अपराध है.’’
वह फिर संभल गई.
‘‘सफदर की हत्या हो गई है और मुझे उस के हत्यारे को पकड़ना है. तुम इस मामले में मेरी मदद करो. यह बताओ, वहां कौन आया था, तुम्हारा बाप या भाई?’’ मैं ने उस के चेहरे पर नजरें जमा कर कहा.
‘‘उन में से कोई नहीं आया था. उन्हें तो इस मामले की खबर भी नहीं है. वह अब्बास था.’’
सुन कर मुझे झटका सा लगा. उस ने कहा, ‘‘वह वहां पहले से मौजूद था.’’
मैं ने उस से कहा, ‘‘तुम ने वहां जो कुछ देखा, वह मुझे सचसच बताओ.’’
उस के जवाब में परवीन ने मुझे सब कुछ बता दिया. अपने और सफदर के संबंध के बारे में भी.
उस ने बयान में बताया कि वह सफदर से चोरीछिपे मिलती थी. जब सफदर की मां की हत्या हो गई तो वह उस के घर जा कर मिलती थी. घटना वाले दिन भी वह रात में सफदर के घर गई. दरवाजा खुला था.
वह अंदर गई तो देखा सफदर जमीन पर पड़ा था और उस की गरदन में कपड़ा पड़ा हुआ था. फिर वह आदमी सीधा खड़ा हो गया.
यह देख कर परवीन की चीख निकल गई. चीख सुन कर वह उस की ओर पलटा. वह अब्बास था. परवीन उसे देख कर भागना चाहती थी, लेकिन उस के कदम वहीं जम गए. अब्बास ने उस की कलाई पकड़ कर खींचा तो चूडि़यां टूट गईं.
उस के बाद अब्बास ने पूरी ताकत से उस की गरदन अपनी बाजुओं में दबा ली, जिस से उस की आंखें निकल आईं और सांसें उखड़ने लगीं. वह अपनी गरदन छुड़ाने की कोशिश करने लगी. अपने नाखूनों से उस की कलाई को नोचा लेकिन अब्बास पर उस का कोई असर नहीं हुआ. मौत उस की आंखों के सामने नाचने लगी.
फिर अब्बास ने उस की गरदन छोड़ दी और वह सफदर के ऊपर गिर गई. अब्बास बोला, ‘‘यह केवल नमूना था, अगर तूने अपनी जबान खोली तो तुझे भी मार दूंगा.’’
वह इतना डर गई थी कि कुछ बोल नहीं सकी.
‘‘एक बात याद रखना परवीन,’’ अब्बास ने उस से कहा, ‘‘अगर तूने जबान खोली तो फिर मैं पूरे गांव को बता दूंगा कि तू सफदर के साथ कौन सा खेल खेल रही थी. सोच ले, तेरे मांबाप का क्या हाल होगा. उन में जरा भी शर्म होगी तो डूब मरेंगे.’’
अब्बास ने परवीन को इतना डरा दिया था कि वह बिलकुल चुप रहने लगी थी. मैं ने परवीन को भेज दिया और थाने आ कर एएसआई और एक कांस्टेबल को अब्बास को गिरफ्तार करने के लिए भेज दिया. यह दोहरे हत्याकांड की कहानी थी. मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि अब्बास ने मांबेटे की हत्या क्यों की थी, जबकि वह शादो और उस के बेटे से बहुत प्यार करता था.
एएसआई अब्बास को हथकड़ी लगा कर ले आया. वह बहुत गुस्से में था. दोनों मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गए. अब्बास बोला, ‘‘यह ज्यादती है. आप मुझे कहते, मैं दौड़ा चला आता.’’
मैं ने रूखेपन से कहा, ‘‘कोई ज्यादती नहीं है अब्बास, हत्यारों को इसी तरह थाने लाया जाता है.’’
‘‘लगता है तुम्हें अब भी मेरे ऊपर शक है?’’ अब्बास अकड़ में बोला.
मैं ने कहा, ‘‘शक नहीं है, दोनों हत्याएं तुम ने की हैं. मेरे पास पक्के सबूत हैं. कहो तो एकएक तुम्हारे सामने रख दूं. अच्छा यही है कि तुम अपना अपराध स्वीकार कर लो और बयान दे दो.’’
मेरी बात सुन कर पहले तो वह घबराया और फिर हर अपराधी की तरह अपने आप को निर्दोष बताने लगा. मैं ने उस से क हा, ‘‘अपनी आस्तीन ऊपर करो.’’
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उसने बांह ऊपर की तो परवीन के नाखूनों से लगे घाव दिखाई दे गए.
वह घबरा गया, ‘‘वो…वो…’’
‘‘झूठ मत बोलना, परवीन ने मुझे सब कुछ बता दिया है. बोलो, अपना अपराध स्वीकार करते हो?’’
वह ऐसे ढीला पड़ गया, जैसे गुब्बारे से हवा निकल गई हो. मैं ने उस से कहा, ‘‘तुम ने दोनों की हत्या क्यों की?’’
‘‘मैं ने केवल सफदर की हत्या की है. शादो की हत्या उस के बेटे सफदर ने की थी. वह हमारा मिलना पसंद नहीं करता था.’’ अब्बास ने कहा.
उस के इस बयान से सारा मामला समझ में आ गया. सफदर को उस की मां का अब्बास से मिलना अच्छा नहीं लगता था. वह उस लड़के के तानों से दुखी था.
अब्बास ने बताया कि जब सफदर के पिता की मृत्यु हो गई थी तब सफदर छोटा था. लेकिन जब वह बड़ा हुआ तो उसे उस की मां का अब्बास से मिलना अच्छा नहीं लगता था. कई बार वह इस मामले में अपनी मां से लड़ा भी था.
घटना वाली रात शादो और अब्बास खंडहर में बैठे थे कि सफदर वहां आ गया. अब्बास ने मुझ से झूठ कहा था कि वह अंधेरे में आने वाले को पहचान नहीं सका था. शादो ने सफदर को देखते ही कहा, ‘‘तुम पीछे से निकल जाओ, मैं सफदर को संभाल लूंगी.’’
बाद में पता लगा शादो की हत्या हो गई.
शादो के मरने के बाद अब्बास बहुत दुखी हुआ और मौके की तलाश में रहा कि सफदर को ठिकाने लगाए. फिर एक रात उस ने सफदर को भी ठिकाने लगाने का फैसला कर लिया. इस के लिए वह उस के घर गया.
सफदर उसे देख कर हैरान हुआ. उस ने कहा कि वह उस से कुछ बात करने आया है, लेकिन सफदर को पता नहीं था कि अब्बास के रूप में उस की मौत आई है.
सफदर उसे ले कर अंदर कमरे में जाने लगा. अब्बास ने मौका देख कर पीछे से उस के गले में पड़े गमछे को उस की गरदन में लपेट कर खींच लिया और उसे दबाता चला गया.
सफदर बहुत उछला कूदा, लेकिन अब्बास ताकतवर था. उस ने सफदर को नीचे गिरा कर उस पर पैर रख दिया और तब तक नहीं छोड़ा जब तक उस का दम नहीं निकल गया.
अब्बास ने गमछा गरदन में ही रहने दिया. उस ने अपनी शादो का बदला बिलकुल वैसे ही लिया था, जैसे उस ने अपनी मां को गले में दुपट्टे का फंदा डाल कर मारा था. फिर परवीन दिखाई दी. उस के बाद की कहानी परवीन सुना चुकी थी. यह बयान दे कर वह बच्चों की तरह फूटफूट कर रोने लगा. मैं उस की भावनाओं को समझ रहा था. वह मांबेटे से बहुत प्यार करता था.
केस तैयार कर के मैं ने अदालत में दाखिल कर दिया. अब्बास अपने बयान पर कायम रहा. मैं ने परवीन की गवाही भी दिलवाई, जिस के कारण वह गांव में बदनाम भी हो गई. अदालत ने उसे मृत्युदंड दिया. उस के वकील ने अपील के लिए कहा, लेकिन उस ने यह कह कर मना कर दिया कि शादो के बिना अब वह जीना नहीं चाहता.
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इस कहानी का एक दुखद पहलू यह भी रहा कि बदनामी की वजह से परवीन ने नहर में कूद कर जान दे दी. मुझे इस का बहुत दुख हुआ. लेकिन मैं क्या करता, क्योंकि बिना गवाही के अदालत सजा नहीं देती.
लेखक- अहमद यार खान
मेरी इस बात से सलामत के चेहरे का रंग उड़ गया. उस ने सोचा भी नहीं होगा कि मैं इतना सब कुछ जान गया हूं. वह घबरा कर मेरी ओर देखने लगा. उस के चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था. मैं ने उसे कमजोर पा कर और दबाव बनाया, ‘‘फिर तुम ने अपनी धमकी पर अमल कर दिया. अब्बास कैसे बच निकला?’’
‘‘वह तो…वह तो…’’ उस ने हकलाते हुए कहा, ‘‘मैं ने उसे डराने के लिए कहा था. अगर हत्या ही करनी होती तो मैं अब्बास की करता.’’
‘‘यह भी तो हो सकता है जब तुम वहां पहुंचे तब तक अब्बास आया ही न हो और शादो को अकेला पा कर तुम ने उस के साथ जबरदस्ती की हो. जब वह तुम्हारे काबू में नहीं आई तो तुम ने उसी के दुपट्टे से गला दबा कर उसे मार डाला, जिस से वह किसी को कुछ बता न सके.’’
मैं ने पुलिसिया लहजे में कहा तो वह कसमें खाखा कर मुझे यकीन दिलाने लगा कि हत्या उस ने नहीं की. लेकिन मैं उस की कसमों पर विश्वास नहीं कर सकता था.
मैं ने उस से पूछा कि घटना वाली रात वह कहां था तो उस ने बताया कि वह घर में ही था. मैं ने सलामत से कहा कि वह झूठ बोलने की कोशिश न करे, क्योंकि वह जो कुछ भी कहेगा, मैं उस की पुष्टि अपना आदमी भेज कर करा लूंगा.
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कांस्टेबल ने आ कर इशारे से बताया कि अब्बास आ गया है.
मैं ने कहा, ‘‘सलामत को ले जा कर लौकअप में बंद कर दो और उसे यहां भेज दो.’’
पूछताछ के दौरान अब्बास ने बताया कि हत्या वाली रात वह शादो के साथ ही था. उसे जरा भी अनुमान नहीं था कि वह मर जाएगी, नहीं तो वह उसे छोड़ कर नहीं आता.
अब्बास के अनुसार, शादो ने अपनी जिंदगी के अकेलेपन में उस पर भरोसा किया और उस से शादी भी करना चाहती थी. लेकिन उस के घर वाले उस की शादी अपनी जानपहचान में कराना चाहते थे. जबकि शादो को वह आदमी बिलकुल पसंद नहीं था. उस ने बहाना बनाया कि मैं अपने बेटे पर सौतेले बाप का साया नहीं पड़ने देना चाहती.
अब्बास उस से सच्चा प्रेम करता था. उस ने शादो से कई बार शादी के लिए कहा लेकिन उस ने मना कर दिया. शादो ने उसे बताया कि जिस आदमी से उस का रिश्ता उस के घर वाले चाहते थे, वह पहले से ही शादीशुदा था और उस के 2 बच्चे भी थे. साथ ही शादो की छोटी बहन की शादी उस आदमी के छोटे भाई से हुई थी. अगर शादो उस आदमी को छोड़ कर कहीं और शादी करती तो उस आदमी के घर वाले उस की बहन का घर बरबाद कर देते. इसलिए उस ने शादी न करने का फैसला कर लिया था.
जब कोई राह नहीं मिली तो शादो और अब्बास ने खुदा को गवाह बना कर एकदूसरे को पतिपत्नी मान लिया था. लेकिन उस की कानूनी और सामाजिक हैसियत कोई नहीं थी. वे दोनों खंडहर में मिला करते थे. उस रात भी वे दोनों साथ थे. अचानक पत्तों के चरमराने की आवाज सुन कर अब्बास ने शादो से कहा कि वह दूसरी ओर से निकल जाए. अब्बास भी खंडहर के दूसरी ओर से निकल कर गांव आ गया.
अगली सुबह पता लगा कि शादो की हत्या हो गई. यह दास्तां सुनाने के बाद अब्बास ने फिर से अफसोस जाहिर किया, ‘‘अगर उसे पता होता तो वह शादो को अकेला नहीं छोड़ता और कायरों की तरह गांव नहीं आता.’’
मैं ने उस से पूछा, ‘‘तुम्हें किसी पर शक है? सलामत ने तुम दोनों को मारने की धमकी दी थी.’’
लेकिन अब्बास ने यह कह कर सलामत को शक के दायरे से बाहर कर दिया कि उस रात जो आदमी आ रहा था, उस का साया छोटा था और सलामत कद में लंबा है.
उस के बयान से यह बात तो साफ हो गई कि सलामत निर्दोष है. मैं ने उस से बहुत से सवाल किए और यह कह कर उसे जाने दिया कि अगर इस मामले में उसे कुछ पता लगे तो हमें सूचित करे. मैं ने सलामत को भी जाने दिया.
अगले दिन सूचना मिली कि शादो के मांबाप और भाई रफीक अकसर उस से मिलने आया करते थे. जब उस के घर वालों को शादो और अब्बास के संबंधों का पता लगा तो रफीक ने शादो से सख्ती से पूछताछ की. शादो ने कसम खा कर उसे यकीन दिलाया कि उस के किसी से भी संबंध नहीं हैं.
हत्या से एक दिन पहले रफीक ने शादो से कहा था कि अगर उसे पता लगा कि लोग जो कुछ कहते हैं, वह सच है तो अपने हाथों से उस का गला घोंट देगा. और अगली ही रात शादो की गला घोंट कर हत्या कर दी गई.
शादो के घर वाले उस के क्रियाकर्म के लिए गांव में ही रुके हुए थे. मैं ने कांस्टेबल को भेज कर शादो के भाई रफीक को थाने बुलवा लिया.
पूछताछ के दौरान रफीक ने यह तो मान लिया कि उस का शादो से झगड़ा हुआ था. लेकिन उस की हत्या की बात से साफ इनकार करते हुए बोला कि वह उस दिन अपने एक दोस्त की शादी में गया हुआ था.
मुझे उस की बात में सच्चाई लग रही थी. मैं ने एक कांस्टेबल को शहर भेज कर सच्चाई पता करने के लिए कहा. उस के बाद मैं ने रफीक को इस ताकीद के साथ जाने दिया कि बिना इजाजत वह गांव छोड़ कर न जाए.
2 घंटे बाद कांस्टेबल लौट आया और उस ने रफीक की बात की पुष्टि कर दी. मैं सिर पकड़ कर बैठ गया. हत्या हुए 2 दिन हो गए थे, लेकिन मेरी जांच एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी थी.
अगली सुबह एक कांस्टेबल ने घर आ कर जो खबर सुनाई, उस ने मेरे होश उड़ा दिए. उस ने बताया कि नंबरदार खबर लाया है. शादो का बेटा सफदर घर में मरा पड़ा है. किसी ने उसे गला घोंट कर मार दिया है.
मैं तुरंत थाने पहुंचा. मैं ने नंबरदार से पूछा तो उस ने बताया कि शादो के क्रियाकर्म के बाद सब लोग अपनेअपने घर चले गए. सफदर के नानानानी और मामा ने उस से साथ शहर चलने के लिए कहा तो उस ने मना कर दिया कि वह कुछ दिन बाद आ जाएगा.
वह हर रोज सुबह को योगा करने जाता था. उस दिन सुबह को उस का एक दोस्त उसे बुलाने घर गया. सफदर घर में अकेला रहता था. उस ने दरवाजा खटखटाया. जब काफी देर तक कोई जवाब नहीं मिला तो उस ने दरवाजे को धक्का दिया. दरवाजा खुला हुआ था. उस ने अंदर जा कर देखा तो सफदर मरा पड़ा था.
वह डर गया और सीधा नंबरदार की हवेली जा कर उसे पूरी बात बताई. नंबरदार तुरंत उस के साथ आया और अंदर सफदर की लाश देखी. उस ने घर की कुंडी लगा दी और सीधा थाने आया. मैं 2 कांस्टेबलों को ले कर घटनास्थल पर पहुंचा.
घर के अंदर जा कर लाश को देखा. जैसे मां को गला घोंट कर मारा गया था, उसी तरह बेटे को भी मारा गया था. सफदर अपने गले में एक गमछा डाले रखता था, उसी गमछे से पीछे की ओर खींच कर उस की हत्या की गई थी. मैं ने वहां कांच की चूडि़यों के टुकड़े बिखरे हुए देखे.
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उन टुकड़ों को मैं ने जेब में रख लिया. मैं ने लाश की बहुत बारीकी से जांच की. उस के शरीर पर कोई घाव नहीं था. कमरे का सामान भी ज्यों का त्यों था, कोई चीज बिखरी हुई नहीं थी.
इस का मतलब उसे अचानक ही मारा गया था. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद मैं ने सहन में जा कर देखा, वहां मुझे पैरों के निशान दिखाई दिए. वे निशान बिलकुल वैसे थे जो शादो की लाश के पास मिले थे. इस का मतलब यह था कि दोनों हत्याएं एक ही आदमी ने की थीं. अब इस हत्या में एक नई बात यह हुई कि इस में एक औरत भी शामिल हो गई थी, क्योंकि वहां से चूडि़यों के टुकड़े पाए गए थे.
मैं ने सफदर के दोस्त अरशद को अपने पास बिठा लिया. फिर उस से बड़े प्यार से कहा, ‘‘मुझे तुम्हारे दोस्त की हत्या का बड़ा दुख है. मैं उस के हत्यारे को पकड़ना चाहता हूं. मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत है. तुम्हारा दोस्त किसी लड़की के चक्कर में मारा गया है. यह बताओ उस का किसी लड़की के साथ संबंध था?’’
उस ने कहा, ‘‘यह मेरे और मेरे दोस्त के बीच का राज है. मैं किसी को बताना नहीं चाहता था, लेकिन अब जब मेरा यार ही नहीं रहा तो छिपाने से क्या फायदा. गांव की एक लड़की परवीन उस पर मरती थी और दोनों चोरीछिपे मिलते थे. सफदर उस लड़की के साथ सीरियस नहीं था, जबकि परवीन उस से शादी करना चाहती थी. सफदर उसे धोखा दे रहा था, उस के साथ प्रेम के नाम पर पाप का खेल खेल रहा था.’’
अरशद ने बताया कि सफदर ने उसे बताया था कि परवीन उस की वजह से कुंवारी मां बनने वाली है. वह सफदर से मिन्नतें करती थी कि जितनी जल्दी हो सके, उस से शादी कर ले, जिस से वह बदनामी से बच जाए. लेकिन सफदर उसे टालता रहा. उस का परवीन से शादी करने का कोई इरादा नहीं था.
अब देखिए मां भी प्रेम जाल में फंस कर मारी गई और बेटा भी उसी खेल में मारा गया. मैं ने अरशद से पूछा कि लड़की के घर वालों को पता था तो उस ने कहा पता नहीं. वैसे उस ने कहा कि सफदर रोज योगा करने जाया करता था. वहां एक नीची जाति के लड़के ने सफदर को कुछ कह दिया तो उस ने कहा, ‘‘छोटा मुंह, बड़ी बात न कर.’’
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जवाब में उस लड़के ने कहा, ‘‘हम गरीब जरूर हैं लेकिन बेशर्म नहीं हैं. इतने ही शर्मदार हो तो पहले अपनी मां और अब्बास को मारो, फिर हम से बात करना.’’