दरवाजा खोला तो पोस्टमैन ने सीमा के हाथ में चिट्ठी दे कर दस्तखत करने को कहा.
‘‘किस की चिट्ठी है?’’ मैं ने बैठेबैठे ही पूछा.
चिट्ठी देख कर सीमा ठिठक गई और आश्चर्य से बोली, ‘‘किसी सौलिसिटर की है. लिफाफे पर भेजने वाले का नाम ‘जौन मार्र्टिन-सौलिसिटर्स’ लिखा है.’’
यह सुनते ही मैं ने चाय का प्याला होंठों तक पहुंचने से पहले ही मेज पर रख दिया. इंगलैंड में मैं वैध रूप से आया था और 65 वर्ष की आयु में वकील का पत्र देख कर दिल को कुछ घबराहट सी होने लगी थी. उत्सुकता और भय का भाव लिए पत्र खोला तो लिखा था.
‘‘जेम्स वारन, 30 डार्बी एवेन्यू, लंदन निवासी का 85 वर्ष की आयु में 28 नवंबर, 2004 को देहांत हो गया. उस की वसीयत में अन्य लोगों के साथ आप का भी नाम है. जेम्स की वसीयत 15 दिसंबर, 2004 को 3 बजे जेम्स वारन के निवास पर पढ़ी जाएगी. आप से अनुरोध है कि आप निर्धारित तिथि पर वहां पधारें या आफिस के पते पर टेलीफोन द्वारा सूचित करें.’’
‘‘यह जेम्स वारन कौन है?’’ सीमा ने उत्सुकता से कहा, ‘‘मेरे सामने तो आप ने कभी भी इस व्यक्ति का कोई जिक्र नहीं किया.’’
मैं जैसे किसी पुराने टाइमजोन में पहुंच गया. चाय का एक घूंट पीते हुए मैं ने सीमा को बताना शुरू किया.
उस समय मैं अविवाहित था और लंदन में रहता था. मैं कभीकभी 2 मील की दूरी पर स्थित एवेन्यू पार्क में जाता था. वहां एक अंगरेज वृद्ध जिस की उम्र लगभग 55-60 की होगी, बैंच पर अकेला बैठा रहता और वहां से गुजरने वाले हर व्यक्ति को हंस कर ‘गुडमार्निंग’ या ‘गुड डे’ इस अंदाज में कह कर अभिवादन करता, मानो कुछ कहना चाहता हो.
इंगलैंड में धूप खिलीखिली हो तो कौन उस बूढ़े की ऊलजलूल बातों में समय गंवाए? यह सोच कर लोग उसे नजरअंदाज कर चले जाते और वह बैंच पर अकेला बैठा होता था. मैं भी औरों की तरह अकसर आंखें नीची किए कतरा कर चला जाता था.
हर रोज अंधेरा शुरू होने से पहले बूढ़ा अपनी जगह से उठता और धीरेधीरे चल देता. मैं कभी अनायास ही पीछे मुड़ कर देखता तो हाथ हिला कर वह ‘हैलो’ कह कर मुसकरा देता. मैं भी उसी प्रकार उत्तर दे कर चला जाता.
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यह क्रम चलता रहा. एक दिन रात को ठीक से नींद नहीं आई तो विचारों के क्रम में बारबार बूढे़ की आकृति सामने आती रही, फिर नींद लगी तो देर से सो कर उठा. सामान्य कार्यों के बाद कुछ भोजन कर कपड़े बदले और पार्क जा पहुंचा.
देखा तो बूढ़ा उसी बैंच पर मुंह नीचे किए बैठा हुआ था. इस बार कतराने के बजाय मैं ने उस से कहा, ‘हैलो, जेंटिलमैन.’
बूढ़े ने मुंह ऊपर उठाया. उस की नजरें कुछ क्षणों के लिए मेरे चेहरे पर अटक गईं. फिर एकदम से उस की आंखों में चमक सी आ गई. वह बड़े उल्लास- पूर्वक बोला, ‘हैलो, सर. आप मेरे पास बैठेंगे क्या?’
मैं उसी बैंच पर उस के पास बैठ गया. बूढ़े ने मुझ से हाथ मिलाया, जैसे कई वर्षों के बाद कोई अपना मिला हो. मैं ने पूछा, ‘आप कैसे हैं?’
जब भी 2 व्यक्ति मिलते हैं तो यह एक ऐसा वाक्य है जो स्वत: ही मुख से निकल जाता है. कुछ देर मौन ने हम को अलग रखा था पर मैं ने ही फिर पूछा, ‘आसपास में ही रहते हैं?’
मेरे इस सवाल पर ही उस ने बिना झिझक के कहना शुरू कर दिया, ‘मेरा नाम जेम्स वारन है. 30 डार्बी एवेन्यू, फिंचले में अकेला ही रहता हूं.’
मैं ने कहा, ‘मिस्टर वारन…नहीं, नहीं…जेम्स.’
‘आप मुझे जेम्स कह कर ही पुकारें तो मुझे अच्छा लगेगा,’ जेम्स ने मेरी बात पूरी होने से पहले ही कह दिया.
मैं जानता था कि जेम्स वारन के पास कहने को बहुत कुछ है, जिसे उस ने अपने अंदर दबा कर रखा है क्योंकि कोई सुनने वाला नहीं है. उस के अचेतन मन में पड़ी हुई पुरानी यादें चेतना पर आने के लिए जाने कब से संघर्ष कर रही होंगी किंतु किस के पास इस बूढ़े की दास्तान सुनने के लिए समय है?
जेम्स ने एक आह सी भरी और कहना शुरू किया.
‘मैं अकेला हूं और 4 बेडरूम के मकान की भांयभांय करती दीवारों से पागलों की तरह बातें करता रहता हूं.’
इतना कह कर जेम्स ने चश्मे को उतारा और उसे साफ कर के दोबारा बोलना शुरू किया.
‘ऐथल, यानी मेरी पत्नी, केवल सुंदर ही नहीं, स्वभाव से भी बहुत अच्छी थी. हम दोनों एकदूसरे की सुनते थे. उस के साथ दुख का आभास ही नहीं होता था तो दुख की पहचान कैसे होती?
‘एक दिन पत्नी ने मुझे जो बताया उसे सुन कर मैं फूला न समाया. पिता बनने की खबर ने मुझे ऐसे हवाई सिंहासन पर बैठा दिया जैसे एक बड़ा साम्राज्य मेरे अधीन हो. मेरी मां ने दादी बनने की खुशी में घर पर परिचितों को बुला कर पार्टी दे डाली. इसी तरह 8 महीने आनंद से बीत गए. ऐथल ने अपने आफिस से अवकाश ले लिया था. मैं सारे दिन बच्चे और ऐथल के बारे में सोचता रहता.
‘एक रात मूसलाधार वर्षा हो रही थी. ऐथल को ऐसा तेज दर्द हुआ जो उस के लिए सहना कठिन था. मैं ने एंबुलेंस मंगाई और ऐथल की कराहटों व अपनी घबराहट के साथ अस्पताल पहुंच गया.
‘नर्सों ने एंबुलेंस से ऐथल को उतारा और तेजी से आई.सी.यू. में ले गईं. डाक्टर ने ऐथल की हालत जांच कर कहा कि शीघ्र ही आपरेशन करना पड़ेगा. अंदर डाक्टर और नर्सें ऐथल और बच्चे के जीवन और मौत के बीच अपने औजारों से लड़ते रहे, बाहर मैं अपने से लड़ता रहा. काफी देर बाद एक नर्स ने आ कर बताया कि तुम एक लड़के के पिता बन गए हो. खुशी में एक उन्माद सा छा गया. नर्स को पकड़ कर मैं नाचने लगा था. नर्स ने मुझे जोर से झंझोड़ सा दिया पर मेरा हाथ जोर से दबाए रही. कहने लगी कि मिस्टर वारन, मुझे बहुत ही दुख से कहना पड़ रहा है कि डाक्टरों की हर कोशिश के बाद भी आप की पत्नी नहीं बच सकी.
जेम्स ने आंखों से चश्मा उतार कर फिर साफ किया. उस की आंखें आंसुओं के भार को संभाल नहीं पाईं. उस ने एक लंबी सांस छोड़ी और अपनी इस वेदना भरी कहानी को जारी करते हुए बोला, ‘मां पोते की खुशी और ऐथल की मृत्यु की पीड़ा में समझौता कर जीवन को सामान्य बनाने की कोशिश करने लगीं. मेरी मां बड़ी साहसी थीं. उन्होंने बच्चे का नाम विलियम वारन रखा क्योंकि विलियम ब्लेक, ऐथल का मनपसंद लेखक था.’
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‘इसी तरह 8 साल बीत गए. मां बहुत बूढ़ी हो चुकी थीं. एक दिन वह भी विलियम को मुझे सौंप कर इस संसार से विदा ले कर चली गईं. उस दिन से विलियम के लिए मैं ही मां, दादी और पिता के कर्तव्यों को पूरी जिम्मेदारी से निभाता. उसे सुबह नाश्ता दे कर स्कूल छोड़ कर अपने दफ्तर जाता. वहां से भी दिन के समय स्कूल में फोन पर उस की टीचर से उस का हाल पूछता रहता. विलियम की उंगली में यदि जरा सी भी चोट लग जाती तो मुझे ऐसा लगता जैसे मेरे सारे शरीर में दर्द फैल गया हो.
‘इतने लाड़प्यार में पलते हुए वह 18 वर्ष का हो गया. ए लेवल की परीक्षा में ए ग्रेड में पास होने की खबर सुन कर मैं बेहद खुश हुआ था. जब उस ने आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से आनर्स की डिगरी पास की तो मेरे आनंद का पारावार न था.
‘विलियम की गर्लफ्रेंड जैनी जब भी उस के साथ घर आती तो मैं खुशी से नाच पड़ता. जैनी और विलियम का विवाह उसी चर्च में संपन्न हुआ जहां मेरा और ऐथल का विवाह हुआ था. एक साल के बाद ही विलियम और जैनी ने मुझे दादा बना दिया. उस दिन मुझे मां और ऐथल की बड़ी याद आई. मेरी आंखें भर आईं. पोते का नाम जार्ज वारन रखा.
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‘हंसतेखेलते एक साल बीत गया. इतनी कशमकश भरे जीवन में अब आयु ने भी शरीर से खिलवाड़ करना शुरू कर दिया था.
‘डैडी, जैनी और मुझे, कंपनी एक बहुत बड़ा पद दे कर आस्टे्रलिया भेज रही है. वेतन भी बहुत बढ़ा दिया है. मकान, गाड़ी, हवाई जहाज की यात्रा के साथसाथ कंपनी जार्ज के स्कूल का प्रबंध आदि की सुविधाएं भी दे रही है, विलियम ने बताया तो मेरी आंखें खुली की खुली ही रह गईं.