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कल तुम बिजी आज हम बिजी
आधुनिक युग की त्रासदी यह है कि महत्त्वाकांक्षी मातापिता के पास बच्चों के लिए वक्त नहीं है. और जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उन के पास मातापिता के लिए वक्त नहीं होता.
भाग - 1
उन की हरकत से बगल में सोई शालिनी की नींद खुल गई. देखा तो सीने पर हाथ रखे मुकेश कराह रहे हैं. अपने पारिवारिक डाक्टर को शालिनी ने फोन लगाया.
भाग - 2
गरमी के दिन थे. स्कूल बंद हो गए तब भी बंटी नियम से पालनाघर जाता. एक दिन शाम को शालिनी, बंटी को ले कर लौटी तो उसी समय लखनऊ से मुकेश के पापा का फोन आया था.
भाग - 3
जाने वाले दिन सुबह बंटी दादी से विदा लेने आया था. वह कुछ उदास सा था, यह देख कर दादी का दिल भर आया. वह पोते को ले कर बाहर आ गईं.
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