जैसलमेर शहर से मात्र 2 कोस दूर उत्तर मे स्थित इस बुर्ज के 3 तरफ खाई थी. इस के 2 उद्देश्य थे. एक, अगर हमला हो तो अच्छे मोर्चे की तरह उस का इस्तेमाल किया जाए. क्योंकि वह मोटी दीवारों का गोल बुर्ज था, जिस में हथियार चलाने के लिए स्थान बनाए गए थे.
दूसरा उपयोग अय्याशी के लिए था. बुर्ज में घुसते ही बाईं तरफ ऊपर जाने की सीढि़यां. दाईं तरफ शौचालय. बीच में हाल. हाल के बाईं तरफ बहुत बड़ा झरोखा था, जिस पर एक साथ 10 आदमी बैठ सकते थे. वहां से दूरदूर तक फैली धरती के नजारे देखने लायक थे. दूसरी तरफ भी झरोखा था. इस तरह वह हवादार हो गया था.
इस हाल के अंदर एक निजी कक्ष था. इस का झरोखा दक्षिण की तरफ था. वह झरोखा भी काफी बड़ा था. इस पर 4-5 लोग आराम से बैठ सकते थे. यह कक्ष छोटा था, मगर इस में एक बड़ा पलंग आसानी से आ सकता था. सालम ने इसे भोग का स्थान बना लिया था. राज्य की हर सुंदर स्त्री उसे अपने लिए पैदा हुई लगती थी. गुलाबी जैसी कुछ औरतें उस की मदद करती थीं.
इस बुर्ज में कई स्त्रियों की चीखें घुटघुट कर रह गईं. अकसर यहां शाम होते ही किसी स्त्री की पालकी आती और देर रात वापस जाती. सारी जनता में भय था. लोग सालम से तो डरते ही थे, गुलाबी, खेमा जैसे लोगों से भी दूर रहने की कोशिश करते थे.
बहूबेटियों को हवेली के पास फटकने तक नहीं दिया जाता था. इस हद तक आतंक था कि अगर किसी को उस तरफ से जाना भी पड़ता तो चेहरे पर राख मल कर जाती ताकि उस का गोरा रंग और सुंदर रूप छिप जाए. फिर भी हर समय यही भय रहता कि कहीं सालम या उस के दलालों की नजर न पड़ जाए. अगर नजर में चढ़ गई तो दुर्भाग्य के पंजे से कोई नहीं बचा सकता था.
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अन्य जाति की स्त्रियों के साथ वह दुराचरण करता, मगर अपनी ही जाति बनिया (माहेश्वरी) स्त्रियों के साथ वह रियायत बरतता. यह रियायत स्त्रियों के लिए थी, लड़कियों के लिए नहीं. वह उन से विवाह कर लेता था.
सालम ने 6 विवाह किए थे. उस के 6 पत्नियां थीं. फिर भी वह हर रात बुर्ज पर जा कर किसी न किसी कि आबरू लूटता था. इज्जत लुटा कर स्त्रियां या लड़कियां चुप रह जातीं, मगर दीवान सालम ने आना भाटी की बहन की इज्जत लूटी तो वह गड़ीसर में जा कर डूब मरी. आना को सालम की करतूत पता चली तो उस ने तलवार से दीवान पर हमला किया.
तलवार सालम के सिर की पगड़ी से टकरा कर बाएं कंधे में जा गड़ी. अत्यधिक गुस्से के कारण वह उस पर दूसरा वार नहीं कर पाया. आना भाटी काठ हो गया था. न हिला न भागा. तभी कई लोगों ने उसे दबोच लिया. तलवार छीन ली और पीटते हुए उसे कोतवाली ले गए. वहां पर आना को मारापीटा गया और पूछा गया कि यह सब किस का षडयंत्र था. मगर आना कुछ नहीं बोला.
सालम के बेटे बिशन सिंह ने कोतवाल से कहा कि जैसे भी हो, इस से षडयंत्रकारियों के नाम उगलवाओ. षडयंत्र था ही नहीं तो आना किस के नाम बताता. आना ने दीवान पर हमला क्यों किया, गड़ीसर पर मिली बहन की लाश ने सारी कहानी खोल कर रख दी थी. आना भाटी दीवान का सुरक्षा गार्ड था. दीवान ने उसी गार्ड की बहन की इज्जत लूटी थी.
दीवान मरा नहीं था. वह घायल हो गया था. उस का वैद्य ने इलाज शुरू किया. सालम ने सातवीं शादी भी की. वह शादी तो कर लेता था लेकिन पत्नियों की शारीरिक जरूरत का खयाल नहीं रखता था. क्योंकि उसे तो किसी नई लड़की या महिला के साथ रात गुजारने की आदत बन चुकी थी. इसलिए उस की सातवीं पत्नी घाटण बहू अपनी सौतन औरतों के कहने पर हवेली में ही अपने जिस्म की आग बुझाने का कोई उपाय ढूंढने लगी.
उस की सभी सौतनों ने अपनेअपने हिसाब से टाइमपास का साधन चुन लिया था. उस की सौतन ने कहा था, ‘‘तुम्हें अपने जीने के साधन खुद तलाश करने पड़ेंगे. दीवान सा के भरोसे उम्र नहीं निकल सकती.’’
बस घाटण बहू ने यह बात गांठ बांध ली और अपने लिए साधन तलाशने लगी. ऐसे में एक रात उस की मुलाकात कस्तूरी के बेटे कोजा से हुई. उस रात गुलाबी की तबीयत खराब थी, इस कारण कोजा हवेली आया था. घाटण बहू ने दीवान सा की इस प्रतिमूर्ति को देखा तो वह उस पर मुग्ध हो गई. उस ने कोजा से कहा कि आज से तुम मेरे पास रहोगे. गुलाबी आए न आए, तुम मेरा काम करोगे. समझे. कोजा ने हां भर दी.
घाटण बहू ने कोजा को हवेली में अपने सामने वाला कमरा रहने को दे दिया. कोजा हवेली में आनेजाने लगा और घाटण बहू की हाजिरी बजाने लगा. घाटण बहू ने कोजा के साथ एक दुनिया रचाई और उस में मस्त हो गई. कोजा उस का नौकर, दोस्त, हमदर्द, प्रेमी सभी कुछ बन गया था.
उधर कोजा के रंगढंग देख कर उस की मां कस्तूरी का दिल बैठ रहा था. घाटण बहू की मेहरबानी और निकटता ने कोजा के स्वभाव को बदल डाला था. पहले नौकरी पर रखना और उस के बाद वहीं रह जाना, अच्छे संकेत नहीं थे. ऐसे में मां ने कोजा को बहुत समझाया और यहां तक कहा कि सालम तेरे पिता हैं, इस नाते घाटण बहू तेरी मां है.
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मगर कोजा ने कहा कि मैं एक रखैल की नाजायज औलाद हूं. मैं उस पापी दीवान से बदला ले रहा हूं, जिस ने मेरी मां को ब्याहता होने के बावजूद मुकलावा करने के बजाय खुद की रखैल बनाया और इज्जत से खेलता रहा. मैं उस से बदला ले रहा हूं. चाहे वह मेरी जान ही क्यों न ले ले.
एक रोज सालम के कानों में घाटण बहू और कोजा की खिलखिलाती हंसी सुनाई दी. दीवान को पता चला कि यह हंसी उस की रखैल के बेटे और उस की सातवीं पत्नी घाटण बहू की है. दीवान ने कोजा के हवेली आने पर प्रतिबंध लगा दिया. मगर घाटण बहू ने उसे हवेली में आने की स्वीकृति दे दी.
दीवान का आदेश भारी पड़ा. कोजा के विरह में घाटण बहू ने दूध में जहर मिला कर दीवान सालम सिंह को रास्ते से हटा दिया. उस के बाद वह फिर से कोजा के साथ रहने लगी.
जब दीवान के बेटे को पता चला कि उस की विधवा मां एक गोले के साथ मौजमस्ती करती है तो उस ने दोनों को तलवार से काट डाला.