शादी से पहले दूल्हे का खेल : भाग 1

दरअसल, 13 दिसंबर को कानपुर में हरप्रीत कौर की रिंग सेरेमनी थी. उस का मंगेतर युवराज सिंह दिल्ली के बंगला साहिब गुरुद्वारे में रहता था. हरप्रीत कौर की भाभी व भाई सुरेंद्र सिंह भी दिल्ली में ही रहते थे. हरप्रीत भाई से मिलने तथा अपनी सगाई का सामान खरीदने के लिए 9 दिसंबर, 2019 की रात घर से निकली थी.

बेटी सफर में अकेली हो तो मांबाप की चिंता स्वाभाविक है. गुरुवचन सिंह को भी बेटी की चिंता थी. अत: हालचाल जानने के लिए उन्होंने रात 12 बजे बेटी को काल लगाई, पर उस का फोन स्विच्ड औफ था. उन्होंने सोचा कि वह सो गई होगी. लेकिन मन में शक का बीज पड़ गया था, जिस ने सवेरा होतेहोते वृक्ष का रूप ले लिया. सुबह 7 बजे उन्होंने फिर से हरप्रीत को काल लगाई, पर फोन अब भी बंद था.

इस से गुरुवचन सिंह की चिंता और बढ़ गई. उन्होंने दिल्ली में रहने वाले बेटे सुरेंद्र सिंह को फोन पर सारी बात बताई. सुरेंद्र सिंह ने उन्हें बताया कि हरप्रीत कौर अभी तक यहां नहीं पहुंची है. इस के बाद सुरेंद्र सिंह बहन की खोज में निकल पड़ा.

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सुरेंद्र सिंह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचा क्योंकि श्रमशक्ति एक्सप्रैस नई दिल्ली तक ही आती है. वहां उस ने स्टेशन का हर प्लेटफार्म छान मारा लेकिन उसे हरप्रीत कौर नहीं दिखी. उस ने वेटिंग रूम में भी चेक किया, पर हरप्रीत कौर वहां भी नहीं थी.

सुरेंद्र सिंह ने सोचा कि हो न हो, हरप्रीत अपने मंगेतर युवराज सिंह के पास चली गई हो? मन में यह विचार आते ही सुरेंद्र सिंह ने हरप्रीत के मंगेतर युवराज से फोन पर बात की, ‘‘युवराज, हरप्रीत तेरे पास तो नहीं आई?’’

‘‘नहीं तो,’’ युवराज ने जवाब दिया. फिर उस ने पूछा, ‘‘सुरेंद्र बात क्या है, हरप्रीत को ले कर तू इतना परेशान क्यों है?’’

‘‘क्या बताऊं… हरप्रीत कल रात कानपुर से दिल्ली आने को निकली थी, पर वह अभी तक यहां नहीं पहुंची. स्टेशन पर आ कर मैं ने चप्पाचप्पा छान मारा पर वह कहीं नहीं दिख रही. मैं बहुत परेशान हूं. समझ में नहीं आ रहा कि हरप्रीत गई तो कहां गई?’’

‘‘तुम परेशान न हो. मैं तुम्हारे पास आ रहा हूं.’’ युवराज बोला और कुछ देर बाद वह नई दिल्ली स्टेशन पहुंच गया. वह भी सुरेंद्र सिंह के साथ हरप्रीत की खोज करने लगा. दोनों ने नई दिल्ली स्टेशन का कोनाकोना छान मारा, लेकिन हरप्रीत का कुछ पता न चला. दिल्ली में सुरेंद्र व युवराज के कुछ परिचित थे. हरप्रीत भी उन्हें जानती थी. उन परिचितों के यहां भी सुरेंद्र सिंह ने बहन की खोज की, पर उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

सुरेंद्र सिंह के पिता गुरुवचन सिंह मोबाइल पर उस के संपर्क में थे. सुरेंद्र पिता को पलपल की जानकारी दे रहा था. जब सुबह से शाम हो गई और हरप्रीत का कुछ भी पता नहीं चला तो गुरुवचन सिंह चिंतित हो उठे. तब वह कानपुर रेलवे स्टेशन पर स्थित जीआरपी (राजकीय रेलवे पुलिस) थाना पहुंच गए. उन्होंने थानाप्रभारी को बेटी के लापता होने की बात बताते हुए बेटी की गुमशुदगी दर्ज करने की मांग की.

लेकिन थानाप्रभारी ने गुरुवचन सिंह की बात को तवज्जो नहीं दी. उन्होंने यह कह कर उन्हें वापस भेज दिया कि बेटी जवान है हो सकता है किसी के साथ सैरसपाटा के लिए निकल गई हो, 1-2 रोज इंतजार कर लो. उस के बाद न लौटे तो हम गुमशुदगी दर्ज कर लेंगे.

गुरुवचन सिंह बुझे मन से वापस घर आ गए. गुरुवचन सिंह और उन की पत्नी गुरप्रीत कौर ने वह रात आंखों ही आंखों में काटी. दोनों के मन में तरहतरह की आशंकाएं उमड़नेघुमड़ने लगी थीं.

अब तक गुरुवचन सिंह की युवा बेटी के गायब होने की खबर कई गुरुदारों तथा सिख समुदाय में फैल गई थी. लोगों की भीड़ उन के घर पर जुटने लगी थी. गुरुद्वारे के जत्थे की महिलाएं भी आ गई थीं. सभी तरहतरह के कयास लगा रही थीं. गुरुवचन सिंह ने अपने खास लोगों से बंद कमरे में विचारविमर्श किया और जीआरपी थाने जा कर हरप्रीत की गुमशुदगी दर्ज कराने का निश्चय किया.

11 दिसंबर, 2019 की दोपहर गुरुवचन सिंह अपने परिचितों के साथ एक बार फिर कानपुर जीआरपी थाने पहुंचे. इस बार दबाव में बिना नानुकुर के थाना पुलिस ने हरप्रीत कौर की गुमशुदगी दर्ज कर ली. गुरुवचन सिंह एवं उन के परिचितों ने पुलिस से सीसीटीवी की फुटेज दिखाने का अनुरोध किया.

इस पर पुलिस ने व्यस्तता का हवाला दे कर फुटेज दिखाने को इनकार कर दिया लेकिन जब दवाब बनाया गया तो फुटेज दिखाई. फुटेज में हरप्रीत कौर स्टेशन की कैंट साइड से बाहर निकलते दिखाई दी. उस के बाद पता नहीं चला कि वह कहां गई.

गुरुवचन सिंह जवाहर नगर में रहते थे. यह मोहल्ला थाना नजीराबाद के अंतर्गत आता है. शाम 5 बजे वह परिचितों के साथ थाना नजीराबाद जा पहुंचे. उस समय थानाप्रभारी मनोज रघुवंशी थाने पर ही मौजूद थे.

गुरुवचन सिंह ने उन्हें अपनी व्यथा बताई और बेटी की गुमशुदगी दर्ज करने की गुहार लगाई. थानाप्रभारी ने तत्काल गुरुवचन सिंह की बेटी हरप्रीत कौर की गुमशुदगी दर्ज कर ली. उन्होंने बेटी को तलाशने में हर संभव कोशिश करने का आश्वासन दिया.

इधर 12 दिसंबर की अपराह्न 3 बजे कानपुर के ही थाना महाराजपुर की पुलिस को हाइवे के किनारे झाडि़यों में एक युवती की लाश पड़ी होने की सूचना मिली. सूचना पाते ही थानाप्रभारी ए.के. सिंह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

लाश तिवारीपुर स्थित राधाकृष्ण मुन्नीदेवी महाविद्यालय के समीप हाइवे किनारे झाडि़यों में पड़ी थी. उन्होंने घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया.

मृतका की उम्र 22 साल के आसपास थी. उसे देखने से लग रहा था कि उस की हत्या 2-3 दिन पहले कहीं और कर के लाश वहां डाली गई थी. मृतका के शरीर पर कोई जख्म वगैरह नहीं था जिस से प्रतीत हो रहा था कि उस की हत्या गला दबा कर की गई होगी. उस के पास ऐसी कोई चीज नहीं मिली जिस से उस की शिनाख्त हो सके.

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थानाप्रभारी ने हुलिए सहित एक युवती की लाश पाए जाने की सूचना वायरलेस द्वारा कानपुर नगर तथा देहात के थानों को प्रसारित कराई ताकि मृतका की पहचान हो सके. इस सूचना को जब नजीराबाद थानाप्रभारी मनोज रघुवंशी ने सुना तो उन का माथा ठनका. क्योंकि उन के यहां भी एक दिन पहले 22 वर्षीय युवती हरप्रीत कौर की गुमशुदगी दर्ज हुई थी.

उन्होंने आननफानन में हरप्रीत कौर के पिता गुरुवचन सिंह को थाने बुलवा लिया. फिर उन्हें साथ ले कर वह महाराजपुर में मौके पर पहुंच गए. गुरवचन सिंह उस लाश को देखते ही फफक पड़े, ‘‘सर, यह शव हमारी बेटी हरप्रीत का ही है. इसे किस ने और क्यों मार डाला?’’

हरप्रीत की लाश पाए जाने की सूचना जब अन्य घरवालों को मिली तो घर में कोहराम मच गया. मां, बहन, भाई व परिजन घटनास्थल पर पहुच गए. हरप्रीत का शव देख कर सभी बिलख पड़े. थानाप्रभारी ने हरप्रीत कौर की हत्या की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी.

कुछ ही देर बाद एसएसपी अनंतदेव तिवारी, एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा सीओ (नजीराबाद) गीतांजलि सिंह भी मौके पर पहुंच गईं. मौके से साक्ष्य जुटाए गए. खोजी कुत्ता शव को सूंघ कर राधाकृष्ण मुन्नीदेवी महाविद्यालय की ओर भौंकता हुआ आगे बढ़ा फिर कुछ दूर जा कर वापस आ गया.

खोजी कुत्ता हत्या से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं जुटा पाया. घटना स्थल से न तो मृतका का मोबाइल फोन बरामद हुआ और न उस का बैग. निरीक्षण के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम हेतु लाला लाजपत राय अस्पताल भेज दिया.

13 दिसंबर, 2019 को हरप्रीत हत्याकांड की खबर समाचारपत्रों में सुर्खियों में छपी तो सिख समुदाय के लोगों में रोष छा गया. सुबह से ही लोग पोस्टमार्टम हाउस पहुंचने लगे. दोपहर 12 बजे तक पोस्टमार्टम हाउस पर भारी भीड़ जुट गई. सपा विधायक इरफान सोलंकी तथा अमिताभ बाजपेई भी वहां पहुंच गए. विधायकों के आने से भीड़ ज्यादा उत्तेजित हो उठी. लोगों में पुलिस की लापरवाही के प्रति गुस्सा था.

अत: पुलिस विरोधी नारेबाजी शुरू हो गई. यह देख कर थानाप्रभारी मनोज रघुवंशी के हाथपांव फूल गए. उन्होंने घटना की जानकारी आला अधिकारियों को दी तो एडीजी प्रेम प्रकाश, आईजी मोहित अग्रवाल, एसएसपी अनंतदेव तिवारी, एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता, तथा सीओ गीतांजलि सिंह लाला लाजपतराय अस्पताल आ गईं.

वहां जुटी भीड़ को देखते हुए एसएसपी ने मौके पर नजीराबाद, स्वरूप नगर, फजलगंज, काकादेव थाने की फोर्स भी बुला ली. बवाल की जानकारी पा कर जिलाधिकारी विजय विश्वास पंत भी मौके पर आ गए.

सपा विधायक माहौल को बिगाड़ न दें, इसलिए पुलिस अधिकारियों ने भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी तथा गुरु सिंह सभा, कानपुर के नगर अध्यक्ष सिमरन जीत सिंह को वहां बुलवा लिया. भाजपा विधायक व पुलिस अधिकारियों ने मृतका के परिजनों से बातचीत शुरू की.

मृतका के पिता गुरुवचन सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बेहद लापरवाही की. पुलिस यदि सक्रिय होती, तो शायद आज उन की बेटी जिंदा होती. वह थानों के चक्कर लगाते रहे, कहते रहे कि जल्द से जल्द उन की बेटी के हत्यारों को गिरफ्तार किया जाए. उन्होंने जिलाधिकारी के समक्ष तीसरी मांग यह रखी कि उन्हें कम से कम 5 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जाए.

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गुरुवचन सिंह की इन मांगों के संबंध में विधायक सुरेंद्र मैथानी तथा गुरु सिंह सभा नगर अध्यक्ष सिमरन जीत सिंह ने जिलाधिकारी तथा पुलिस अधिकारियों से विचारविमर्श किया. अंतत: उन की सभी मांगें मान ली गईं. अधिकारियों के आश्वासन के बाद माहौल शांत हो गया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

शादी से पहले दूल्हे का खेल : भाग 2

3 डाक्टरों के एक पैनल ने हरप्रीत कौर के शव का पोस्टमार्टम किया. पैनल में डिप्टी सीएमओ डा. ए.बी. मिश्रा, डा. कृष्ण कुमार तथा डा. एस.पी. गुप्ता को शामिल किया गया. पोस्टमार्टम के दौरान वीडियोग्राफी भी की गई. डाक्टरों ने विसरा के साथ ही स्लाइड बना कर डीएनए सैंपल जांच के लिए सुरक्षित रख लिए.

पोस्टमार्टम के बाद हरप्रीत के शव को जवाहर नगर गुरुद्वारा लाया गया. यहां जत्थे की महिलाओं की पुलिस से झड़प हो गई. सीओ गीतांजलि सिंह ने किसी तरह महिलाओं को समझाया. उस के बाद मृतका के शव को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बर्रा स्थित स्वर्गआश्रम लाया गया. जहां परिजनों ने उसे नम आंखों से अंतिम विदाई दी.

दरअसल हरप्रीत कौर की 13 दिसंबर को कानपुर में रिंग सेरेमनी थी. सगाई वाले दिन ही उस की अर्थी उठी. इसलिए जिस ने भी मौत की खबर सुनी, उस की आंखें आंसू से भर आईं. यही कारण था कि उस की शवयात्रा में भारी भीड़ उमड़ी. भीड़ में गम और गुस्सा दोनों था. गम का आलम यह रहा कि सिख समुदाय के अनेक घरों तथा गुरुद्वारे में खाना तक नहीं बना.

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एसएसपी अनंतदेव तिवारी ने हरप्रीत हत्याकांड को बेहद गंभीरता से लिया. उन्होंने हत्या के खुलासे की जिम्मेदारी एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता को सौंपी. अपर्णा गुप्ता ने खुलासे के लिए एक स्पैशल टीम गठित की.

इस टीम में नजीराबाद थानाप्रभारी मनोज रघुवंशी, सीओ गीतांजलि सिंह, कई थानों के तेजतर्रार दरोगाओं तथा कांस्टेबलों को सम्मिलित किया गया. अब तक थानाप्रभारी ने गुमशुदगी के इस मामले को भा.द.वि. की धारा 302, 201 के तहत अज्ञात हत्यारों के विरूद्ध तरमीम कर दिया था.

एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता द्वारा गठित टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. रिपोर्ट के मुताबिक हरप्रीत की हत्या गला दबा कर की गई थी. दुष्कर्म की आशंका के चलते स्लाइड बनाई गई थी तथा जहर की आशंका को देखते हुए विसरा भी सुरक्षित कर लिया गया था. स्लाइड व विसरा को परीक्षण हेतु लखनऊ लैब भेजा गया.

टीम ने मृतका के पिता गुरुवचन सिंह का बयान दर्ज किया. उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी हरप्रीत कौर का रिश्ता दिल्ली के बंगला साहिब गुरुद्वारा में क्लर्क के पद पर सेवारत युवराज सिंह के साथ तय हुआ था. 13 दिसंबर को उस की सगाई थी.

वह सामान की खरीदारी करने 9 दिसंबर को दिल्ली जाने के लिए कानपुर रेलवे स्टेशन पहुंची थी. बेटी तो दिल्ली नहीं पहुंची, अपितु उस की मौत की खबर जरूर मिल गई.

‘‘हरप्रीत का मंगेतर युवराज कहां है? क्या वह तुम से मिलने तुम्हारे घर आया है?’’ थानाप्रभारी ने गुरुवचन सिंह से पूछा.

‘‘नहीं, वह मौत की खबर पा कर भी कानपुर नहीं आया. 12 दिसंबर को उस से बात जरूर हुई थी. उस के बाद उस से संपर्क नहीं हो पाया. युवराज का मोबाइल फोन भी बंद है.’’ गुरुवचन सिंह ने पुलिस को जानकारी दी.

गुरुवचन सिंह की बात सुन कर मनोज रघुवंशी का माथा ठनका, इस की वजह यह थी कि जिस की होने वाली पत्नी की हत्या हो गई हो, वह खबर पा कर भी न आए, यह थोड़ा अजीब था. ऊपर से उस ने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया था. इन सब वजहों से उन्हें लगा कि कुछ तो गड़बड़ है.

हरप्रीत कौर घर से कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंची थी. स्टेशन से ही वह गायब हुई थी. पुलिस टीम जांच करने स्टेशन पहुंची. कानपुर रेलवे स्टेशन की जीआरपी पुलिस की मदद से सीसीटीवी फुटेज देखे गए तो हरप्रीत कौर स्टेशन से कैंट साइड में बाहर जाते दिखी.

इस के बाद पुलिस ने रेल बाजार के हैरिशगंज क्षेत्र के एक सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो इस फुटेज में 9 दिसंबर की रात 10 बजे हरप्रीत के अलावा 3 अन्य लोग कार में बैठे दिखे.

पुलिस ने उन की पहचान कराने के लिए यह फुटेज गुरुवचन सिंह को दिखाई तो उन्होंने उन में से एक युवक की तत्काल पहचान कर ली. यह कोई और नहीं बल्कि हरप्रीत का मंगेतर युवराज सिंह था. 2 अन्य युवकों को वह नहीं पहचान पाए.

युवराज सिंह पुलिस की रडार पर आया तो पुलिस ने युवराज तथा हरप्रीत के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. इस से पता चला कि 9 दिसंबर को युवराज और हरप्रीत के बीच कई बार बात हुई थी.

हरप्रीत ने अपने मोबाइल फोन से उसे आखिरी मैसेज भी भेजा था. लेकिन उस ने हरप्रीत से अपने एक दूसरे फोन नंबर से बात की थी. उस के पहले उस के फोन की लोकेशन 9 दिसंबर की रात दिल्ली की ही मिल रही थी.

पुलिस टीम को समझते देर नहीं लगी कि युवराज सिंह शातिर दिमाग है. उस ने ही अपने साथियों के साथ मिल कर अपनी मंगेतर हरप्रीत की हत्या की है. पुलिस को उस पर शक न हो इसलिए वह अपना एक मोबाइल फोन दिल्ली में ही छोड़ आया था. हत्या में कार का प्रयोग भी हुआ था. इस का पता लगाने पुलिस टीम बारा टोल प्लाजा पहुंची. क्योंकि इसी टोल प्लाजा से कानपुर शहर का आवागमन दिल्ली आगरा की ओर होता है.

पुलिस टीम ने बारा टोल प्लाजा के सीसीटीवी फुटेज देखे तो हैरान रह गई. दिल्ली नंबर की टैक्सी वैगन आर कार 7 घंटे में 4 बार टोल से इधर से उधर क्रास हुई थी. 9 दिसंबर की रात साढ़े 8 बजे वह टैक्सी कानपुर शहर आई.

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रात 12.36 बजे वह वापस दिल्ली की तरफ गई. फिर 45 मिनट बाद रात 1.19 बजे कार वापस कानपुर की तरफ आई. इस के बाद रात 3.36 बजे वापस बारा टोल प्लाजा क्रास कर दिल्ली की ओर चली गई.

इस बीच पुलिस ने डाटा डंप करा कर कई संदिग्ध नंबर निकाले तथा इन नंबरों की जानकारी जुटाई. कार पर अंकित नंबर डीएल1आरटीए 5238 की आरटीओ कार्यालय से जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि कार का रजिस्ट्रैशन तरसिक्का (अमृतसर) निवासी सुखविंदर सिंह के नाम है.

एक अन्य संदिग्ध मोबाइल नंबर की जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि वह नंबर अमृतसर (पंजाब) जिले के जुगावा गांव निवासी सुखचैन सिंह का है. हरप्रीत का मंगेतर युवराज सिंह भी इसी जुगावा गांव का रहने वाला था.

पुलिस टीम जांच के आधार पर अब तक हरप्रीत कौर हत्याकांड के खुलासे के करीब पहुंच चुकी थी. अत: टीम ने जांच रिपोर्ट से एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता को अवगत कराया तथा युवराज सिंह तथा उस के साथियों की गिरफ्तारी की अनुमति मांगी.

अपर्णा गुप्ता ने जांच रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तारी का आदेश दे दिया. इस के बाद पुलिस पार्टी हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए दिल्ली व पंजाब रवाना हो गई.

15 दिसंबर, 2019 को पुलिस टीम युवराज सिंह की तलाश में दिल्ली स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारा पहुंची. पता चला कि युवराज सिंह का असली नाम जुगराज सिंह है. 5 दिसंबर से वह ड्यूटी पर नहीं आ रहा है. गुरुद्वारे में वह क्लर्क के पद पर तैनात था.

युवराज सिंह जब गुरुद्वारे में नहीं मिला तब पुलिस टीम ने युवराज सिंह व उस के दोस्त सुखचैन सिंह की तलाश में उस के गांव जुगावा (अमृतसर) में छापा मारा. लेकिन वह दोनों अपनेअपने घरों से फरार थे. उन का मोबाइल फोन भी बंद था, जिस से उन की लोकेशन नहीं मिल पा रही थी.

युवराज सिंह तथा सुखचैन सिंह जब पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े तो पुलिस टीम को निराशा हुई लेकिन टीम ने हिम्मत नहीं हारी. इस के बाद टीम ने रात में तरसिक्का (अमृतसर) निवासी सुखविंदर सिंह के घर दबिश दी. सुखविंदर सिंह घर में ही था और चैन की नींद सो रहा था. पुलिस टीम ने उसे दबोच लिया और उस की कार भी अपने कब्जे में ले ली. पुलिस टीम कार सहित सुखविंदर सिंह को कानपुर ले आई.

एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा सीओ (नजीराबाद) गीतांजलि सिंह ने थाना नजीराबाद में सुखविंदर सिंह से हरप्रीत कौर की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया. उस ने हत्या में शामिल होना कबूल कर लिया. कार की डिक्की से उस ने मृतका हरप्रीत का ट्रौली बैग तथा मोबाइल फोन भी बरामद करा दिया.

सुखविंदर सिंह ने बताया कि हरप्रीत कौर की हत्या उस के मंगेतर जुगराज सिंह उर्फ युवराज सिंह ने अपने गांव के दोस्त सुखचैन सिंह के साथ मिल कर रची थी. हत्या में वह भी सहयोगी था. हत्या के बाद शव को ठिकाने लगाने के बाद वह तीनों रात में ही दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे. कार उस की खुद की थी.

दिल्ली में वह उस कार को टैक्सी के रूप में चलाता था. सुखविंदर सिंह ने बताया कि वह हत्या करना नहीं चाहता था, लेकिन दोस्त जुगराज सिंह की शादीशुदा जिंदगी तबाह होने से बचाने के लिए वह हत्या जैसे जघन्य अपराध में शामिल हो गया.

चूंकि सुखविंदर सिंह ने हत्या का परदाफाश कर दिया था और हत्या में प्रयुक्त कार भी बरामद करा दी थी. साथ ही मृतका का ट्रौली बैग तथा मोबाइल फोन भी बरामद करा दिया था. अत: एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता ने सीओ गीतांजलि सिंह के कार्यालय परिसर में आननफानन में प्रैस वार्ता की.

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पुलिस ने कातिल सुखविंदर सिंह को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा कर दिया. पुलिस पूछताछ में प्यार में धोखा खाई एक युवती की मौत की सनसनीखेज कहानी प्रकाश में आई.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

ऐसा भी होता है प्यार : भाग 2

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कमला गुस्से से बोली, ‘‘कुलच्छिनी, मुंहजली, तू इतनी बड़ी रासलीला रचाती रही और मुझे खबर तक नहीं लगी. मांबाप की नाक कटाते हुए तुझे शर्म नहीं आई. अगर हमें पता होता कि तू बड़ी हो कर हमारी छाती पर मूंग दलेगी तो जन्मते ही तेरा गला दबा देती. आज के बाद अगर तू राजेश से मिली या बात की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

‘‘लेकिन मां, तुम मेरी बात तो सुन लो.’’

‘‘चुपऽऽ अब क्या रह गया है सुननेसुनाने को. हमारी इज्जत तो तूने मिट्टी में मिला दी.’’

कमला गुस्से में पैर पटकती हुई दूसरे कमरे में चली गई. पूनम कमरे में खड़ी आंसू बहाती रही. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करे? एक तरफ मांबाप की इज्जत थी तो दूसरी ओर उस का प्यार.

कमला ने पूनम की हरकतों की जानकारी पति को दी तो गिरजाशंकर को बहुत दुख हुआ. उसी पूनम ने पिता के विश्वास को तोड़ दिया था. गिरजाशंकर ने पूनम को प्यार से समझाया और अपने कदम वापस खींचने को कहा. पूनम ने भी पिता से वादा कर लिया कि अब वह राजेश से कभी नहीं मिलेगी. इस के बाद पूनम को कालेज जाना बंद करा दिया गया. कमला उस पर कड़ी नजर रखने लगी.

लेकिन पूनम अपने वादे पर कायम नहीं रह सकी. पूनम और राजेश एकदो माह तक एकदूसरे के लिए तड़पते रहे, फिर जब उन से नहीं रहा गया तो दोनों चोरीछिपे मिलने लगे. उन का मिलन महीने में बमुश्किल एक या 2 बार हो पाता था. बाकी दिनों में दोनों मोबाइल पर बात कर के दिल की लगी बुझाते थे.

ऐसे ही एक रात पूनम राजेश से मोबाइल पर बतिया रही थी कि तभी कमला की आंख खुल गई. वह समझ गई कि पूनम राजेश से ही बात कर रही है. वह आहिस्ता से उठी और पूनम के हाथ से मोबाइल छीन कर दूर फेंक दिया, फिर उसे थप्पड़ घूंसों से पीटने लगी. पिटाई के दौरान कमला ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई.

मां की पिटाई से पूनम तिलमिला उठी और बोली, ‘‘मां, तुम मुझे मारपीट कर जख्मी तो कर सकती हो, लेकिन मेरे प्यार को कम नहीं कर सकतीं. मैं राजेश से प्यार करती हूं और करती रहूंगी. शादी भी उसी से करूंगी.’’

बेटी की ढिठाई पर कमला को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन किसी तरह गुस्से को काबू में कर के वह दूसरे कमरे में चली गई. अगले कई दिनों तक मांबेटी के बीच बात नहीं हुई. पूनम को अब सारा जहां वीराना लगने लगा.

वह कोई काम करने बैठती तो राजेश का चेहरा सामने आ जाता. फिर वह उसी के बारे में सोचने लगती. मां ने उस का मोबाइल फोन भी छीन लिया था, जिस की वजह से अब वह राजेश से भी बात नहीं कर पाती थी.

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दूसरी ओर पूनम से संपर्क न हो पाने के कारण राजेश की स्थिति भी पागलों जैसी हो गई थी. वह रातदिन पूनम से मिलने के उपाय सोचता रहता था, लेकिन मिल नहीं पाता था. फोन पर भी पूनम से संपर्क नहीं हो पा रहा था, जिस से उस की बेचैनी बढ़ती जा रही थी.

कहते हैं, जहां चाह होती है वहां राह मिल ही जाती है. एक दिन राजेश मोटरसाइकिल से पूनम के गांव आया. उस ने पूनम के घर के चक्कर लगाए तो पूनम उसे दरवाजे पर दिख गई. उस ने इशारा कर पूनम को गांव के बाहर आने को कहा. पूनम ने हिम्मत जुटाई और बहाना कर के घर से निकल आई.

गांव के बाहर सड़क पर राजेश उस के इंतजार में खड़ा था. पूनम के आते ही उस ने उसे मोटरसाइकिल पर बिठाया और सड़क किनारे बगीचे में पहुंच गया. वहां दोनों एक पेड़ की ओट में बैठ कर बतियाने लगे. राजेश बोला, ‘‘पूनम, अब मुझ से तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं होती. तुम नहीं मिली तो मैं जीवित नहीं रह पाऊंगा.’’

राजेश की बात सुन कर पूनम उस के सीने से लिपट गई. उस की आंखों से आंसू बहने लगे. कुछ देर में जब आंसुओं का सैलाब थमा तो पूनम बोली, ‘‘राजेश, तुम्हारी जुदाई मुझ से भी बरदाश्त नहीं होती, मैं भी तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगी. तुम कुछ करो.’’

‘‘मेरा भी यही हाल है पूनम. घरसमाज के लोग हमें जीने नहीं देंगे. अब तो एक ही रास्ता बचा है.’’

‘‘वह क्या?’’ पूनम ने पूछा.

‘‘यही कि हम आत्महत्या कर लें और दुनिया को दिखा दें कि हम सच्चे प्रेमी थे. क्योंकि सच्चा प्यार करने वाले जान तो दे सकते हैं किंतु जुदाई बरदाश्त नहीं कर सकते.’’

‘‘क्या इस के अलावा और कोई रास्ता नहीं है?’’ पूनम ने पूछा.

‘‘एक रास्ता और भी है.’’ राजेश बोला.

‘‘क्या?’’

‘‘यही कि तुम मेरे साथ नोएडा भाग चलो. वहां हम दोनों मंदिर में शादी कर लेंगे. दोनों पतिपत्नी बन जाएंगे तो फिर हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा.’’

‘‘तुम ठीक कहते हो, मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूं.’’ इस के बाद पूनम और राजेश ने साथ भागने की योजना बनाई. दोनों ने दिन व तारीख भी तय कर ली. इस के बाद पूनम तैयारी में जुट गई. उस ने अपने मातापिता को आभास तक नहीं होने दिया कि वह उन की इज्जत को छुरा घोंपने जा रही है.

उन्हीं दिनों एक रात जब कमला गहरी नींद में सो गई तो पूनम उठी, उस ने अपना जरूरी सामान बैग में रखा और दबेपांव घर के बाहर आ गई. गांव के बाहर सड़क किनारे राजेश मोटरसाइकिल लिए खड़ा था. पूनम के आते ही उस ने उसे मोटरसाइकिल पर बिठाया और वहां से निकल गया.

नोएडा में राजेश 12-22 चौड़ा मोड़ पर वेद मंदिर के पास किराए के मकान में रहता था. पूनम को वह अपने इसी मकान में ले गया. उस ने अपनी प्रेमकहानी अपनी भाभी सरिता को बताई और भैया के साथ शीघ्र आने का अनुरोध किया.

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लेकिन उस का भाई श्याम सिंह यादव इतना नाराज हुआ कि उस ने आने से साफ इनकार कर दिया. इस के बाद राजेश ने मंदिर में पूनम की मांग में सिंदूर भर कर उस के साथ प्रेम विवाह कर लिया और दोनों पतिपत्नी की तरह रहने लगे.

उधर सुबह को कमला सो कर उठी तो बगल की चारपाई पर पूनम को न देख उस का माथा ठनका. उस ने घर के अंदर पूनम को ढूंढा, लेकिन जब वह कहीं नहीं दिखी तो वह दरवाजे पर पहुंची. दरवाजे की कुंडी खुली हुई थी.

कमला ने झकझोर कर पति को जगाया और पूनम के लापता होने की बात बताई. सुन कर गिरजाशंकर घबरा गया. उस ने घरबाहर सब जगह पूनम की खोज की. पर जब वह नहीं मिली तो दोनों ने माथा पीट लिया. दोनों जान गए कि पूनम उन की इज्जत पर दाग लगा कर अपने प्रेमी राजेश के साथ भाग गई है.

कमला और गिरजाशंकर कई दिनों तक पूनम के भागने वाली बात छिपाए रहे. लेकिन ऐसी बातें छिपती कहां हैं. इस बीच पूरा गांव जान गया कि पूनम किसी लड़के साथ भाग गई है.

पूनम को ले कर गांव में तरहतरह की बातें होने लगी थीं. खासकर औरतें ज्यादा चटखारे ले कर बातें कर रही थीं. पूनम के इस कदम से गिरजाशंकर की इज्जत मिट्टी में मिल गई थी.

पूनम अपने साथ मोबाइल ले गई थी. उस का मोबाइल नंबर गिरजाशंकर के पास था. उस ने पूनम से बात करने की कोशिश की, लेकिन फोन बंद होने की वजह से बात नहीं हो पाई. इसी बीच कमला को पूनम की एक कौपी पर दर्ज राजेश के घर व नोएडा का पता मिल गया.

कमला ने पति पर दबाव बनाया कि वह थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज कराए. पत्नी की बात मान कर गिरजाशंकर थाना गुरसहायगंज जा पहुंचा. थाने पर उस समय थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह मौजूद थे. गिरजाशंकर ने उन्हें सारी बात बताई और रिपोर्ट दर्ज करने की गुहार लगाई.

थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने गिरजाशंकर को विश्वास दिलाया कि वह उस की बेटी पूनम को बरामद करने का पूरा प्रयास करेंगे. इस के साथ ही उन्होंने गिरजाशंकर की तहरीर पर भादंवि की धारा 363, 366 के तहत राजेश कुमार यादव के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली. इस मामले की विवेचना चौकी इंचार्ज देवेंद्र कुमार को सौंपी गई.

एसपी के आदेश पर गिरफ्तारी

चौकी इंचार्ज देवेंद्र कुमार ने जांच शुरू की तो पता चला पूनम बालिग है और अपनी मरजी से अपने प्रेमी राजेश के साथ भागी है. उसे बलपूर्वक भगा कर नहीं ले जाया गया. यह पता चलने के बाद राजबहादुर सिंह ने जांच में कोई रुचि नहीं दिखाई.

हालांकि वह दबिश का परचा काटते रहे. गिरजाशंकर जब भी बेटी के बारे में पूछने थानाचौकी जाता तो उसे आश्वासन मिलता कि उस की बेटी जल्द बरामदगी हो जाएगी.

धीरेधीरे 3 महीने बीत गए. लेकिन पूनम की बरामदगी नहीं हो सकी. तब गिरजाशंकर अपनी फरियाद ले कर एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह के औफिस पहुंचा. गिरजाशंकर ने उन्हें पूनम के बरामद न होने की बात बताई, साथ ही पुलिस की भी शिकायत की. एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने गिरजाशंकर की व्यथा को समझ कर आश्वासन दिया कि उस की बेटी जल्द ही मिल जाएगी.

अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने पूनम के मामले को गंभीरता से लिया और थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह को आदेश दिया कि वह पूनम को शीघ्र बरामद कर नामजद आरोपी को बंदी बना कर जेल भेजें.

आदेश पाते ही थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने राजेश के घर हरदासपुर जमाली गांव में छापा मारा, लेकिन राजेश व पूनम वहां नहीं मिले. इस पर पुलिस ने उस के भाई श्याम सिंह और बद्रीप्रसाद को हिरासत में ले लिया और उन से राजेश व पूनम के बारे में जानकारी जुटाई.

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श्याम सिंह यादव ने थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह को बताया कि राजेश पूनम को ले कर नोएडा के सेक्टर 12-22 मोड़ के पास रह रहा है. पता चला है कि उन दोनों ने शादी कर ली है. यह पता लगते ही पुलिस नोएडा पहुंची और पूनम को राजेश के कमरे से बरामद कर लिया. राजेश को हिरासत में ले लिया गया. पुलिस दोनों को थाना गुरसहायगंज ले आई.

बेटी की बरामदगी की जानकारी कमला और गिरजाशंकर को मिली तो दोनों थाने पहुंच गए. वहां दोनों पूनम को मनाने में जुट गए. लेकिन पूनम ने मांबाप के साथ जाने से साफ मना कर दिया.

इस के बाद थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने पूनम को महिला पुलिस संरक्षण में डाक्टरी परीक्षण हेतु जिला अस्पताल कन्नौज भेजा. डाक्टरी परीक्षण के बाद पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पूनम का बयान मजिस्ट्रैट के सामने दर्ज कराया.

जीत गया प्यार

अपने बयान में पूनम ने कहा कि वह राजेश से प्रेम करती है. उस के साथ उस ने मंदिर में विवाह भी कर लिया है. अब वह उस की पत्नी है. राजेश उसे भगा कर नहीं ले गया था. उस के मांबाप ने राजेश के विरुद्ध गलत रिपोर्ट दर्ज कराई है. वह मांबाप के घर नहीं जाना चाहती, बल्कि अपने पति राजेश के साथ रहना चाहती है.

चूंकि पूनम ने राजेश के साथ जाने की इच्छा जाहिर की थी, इसलिए मजिस्ट्रैट ने पूनम को राजेश के साथ रहने की इजाजत दे दी. लेकिन राजेश पुलिस हिरासत में था.

पुलिस ने पूनम के बयान के दूसरे दिन राजेश को कन्नौज कोर्ट में पेश किया. राजेश के भाई श्याम सिंह ने वकील के जरिए पहले ही कोर्ट में जमानती प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया था. चूंकि पूनम ने अपने बयान में राजेश को निर्दोष बताया था, इसी आधार पर उसे जमानत मिल गई.

राजेश की जमानत के बाद थाना गुरसहायगंज में पंचायत हुई. पंचायत की अगुवाई थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह ने की. इस पंचायत में पूनम के मातापिता को बुलवाया गया और खुशीखुशी बेटी की शादी कर उसे विदा करने का अनुरोध किया गया.

थोड़ी नानुकुर के बाद पूनम के मातापिता राजी हो गए. इस के बाद थाने में धूमधाम से पूनम और राजेश की शादी हो गई. वरवधू को थानाप्रभारी राजबहादुर सिंह के अलावा राजेश के भाई श्याम सिंह, उन की पत्नी सरिता तथा अन्य लोगों ने आशीर्वाद दिया. देर से ही सही, पूनम और राजेश के प्यार की अच्छी परिणति हुई. पूनम अब राजेश के साथ सुखमय जीवन बिता रही है.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

ऐसा भी होता है प्यार : भाग 1

पूनम की झील जैसी गहरी, कजरारी आंखों में गजब की कशिश थी. गोल चेहरा, गुलाबी होंठ और भरे हुए गालों वाली पूनम ने जब उम्र के 18 साल पार किए तो वह गांव के युवकों की नजरों में चुभने लगी थी. जब पूनम स्कूल जाने के लिए या किसी काम से घर से बाहर निकलती, तो गांव लड़के उसे छेड़ने लगते. उन की यही छेड़छाड़ पूनम को जवान और खूबसूरत होने का अहसास कराती थी.

पूनम के पिता गिरजाशंकर कन्नौज जिले में पड़ने वाले थाना गुरसहायगंज के गांव ताखेपुरवा के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी कमला के अलावा 2 बेटियां थीं सुधा और पूनम उर्फ मोनी. साथ ही एक बेटा भी अजय.

गिरजाशंकर के पास 5 बीघा उपजाऊ जमीन थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. कृषि की आय से ही वह परिवार का पालनपोषण करता था. कुल मिला कर गिरजाशंकर का खातापीता परिवार था. बहुत सुखी नहीं तो गांव के हिसाब से उस के घर में किसी चीज की कमी नहीं थी.

भाईबहनों में पूनम सब से छोटी थी. उस की बड़ी बहन सुधा की शादी फर्रुखाबाद शहर के रहने वाले आलू व्यवसाई रामकुमार के साथ हुई थी. वह अपनी ससुराल में सुखी थी. पूनम पढ़ने में तेज थी, उस ने गांव के माध्यमिक विद्यालय से प्रथम श्रेणी में हाईस्कूल पास किया था. आगे की पढ़ाई के लिए उस ने गुरसहायगंज के सरस्वती देवी इंटर कालेज में 11वीं में प्रवेश ले लिया था. पढ़ाई के साथ पूनम घरेलू कामों में मां का हाथ भी बंटाती थी.

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आहिस्ताआहिस्ता जवानी के शिखर की ओर कदम बढ़ा रही पूनम के मातापिता गिरजाशंकर और कमला को उस की शादी की चिंता सताने लगी थी. वे लोग बेटी की शादी किसी खातेपीते, संस्कारवान परिवार में करना चाहते थे ताकि उस का भविष्य उज्ज्वल रहे.

पूनम के विवाह के लिए गिरजाशंकर सालों से पैसा जमा कर रहे थे. आजकल ज्यादातर मांबाप दहेज के नाम पर धनधान्य दे कर बेटियों का भविष्य बनाने की कोशिश करते हैं. गिरजाशंकर की सोच भी ऐसी ही थी. इस के लिए वह प्रयासरत भी थे.

मांबाप जहां अपने हिसाब से पूनम के लिए सपने देख रहे थे, वहीं पूनम अपने हिसाब से भावी जीवनसाथी को ले कर सपने बुन रही थी. वह सोच रही थी कि उस का जीवनसाथी उसी की तरह पढ़ालिखा, सुंदर सलोना और मृदुभाषी हो. वह इतना प्यार करने वाला हो कि जहां वह कदम रखे, उस का जीवनसाथी उस जगह अपनी हथेली पसार दे. टीवी, इंटरनेट और मोबाइल ने पूनम के सपनों को पंख लगा दिए थे.

टीवी पर पूनम जब कभी दहेज प्रताड़ना की खबरें देखती तो उसे बड़ी कोफ्त होती. वह सोचती दुनिया में कैसेकैसे लोग हैं जो चंद रुपयों के लिए अपनी जीवनसंगिनी को मंझधार में छोड़ देते हैं. दहेज के लोभी लोगों से पूनम नफरत करती थी.

घरवर की तलाश

पूनम को पता था कि उस के मांबाप उस के भावी जीवनसाथी के लिए पैसों के मामले में किसी भी हद तक जा सकते हैं. वे लोग हर हाल में उस के सुखद भविष्य के लिए वह सब भी करेंगे, जो उन की हैसियत के बाहर होगा. लेकिन पूनम किसी दहेज लोलुप से शादी नहीं करना चाहती थी. वह नहीं चाहती थी कि उस के पिता कर्ज में डूबें, किसी साहूकार के सामने हाथ फैलाएं.

समय अपनी निर्बाध गति से दौड़ता रहा. गिरजाशंकर ने पूनम के लिए अच्छे घरवर की मुहिम सी छेड़ दी. उस ने अपने नातेरिश्तेदारों को भी पूनम के लिए अच्छा घरवर बताने के लिए कह दिया. 19वां बसंत पार करने के बाद पूनम का रूप और भी निखर गया था. गिरजाशंकर और कमला यही सोचते थे कि कोई अच्छा लड़का मिल जाए तो पूनम की शादी जल्दी कर दें. पूनम को नापसंद किए जाने की रत्ती भर भी गुंजाइश नहीं थी.

कई लड़के और उन के परिवार पूनम को  देखने के लिए गिरजाशंकर के घर आए. उन लोगों ने पूनम को पसंद भी किया, लेकिन पूनम ने रिश्ता ठुकरा दिया. कारण पूनम को जो लोग देखने आए थे, सब दहेज के लालची थे. कोई लाखों का कैश मांग रहा था तो कोई कार की डिमांड कर रहा था. पूनम को दहेज लोभियों से नफरत थी, सो उस ने शादी से इनकार कर दिया.

पूनम ने शादी से इनकार जरूर कर दिया था, लेकिन वह शादी के प्रति सजग भी थी और गंभीर भी. उसे मोबाइल पर इंटरनेट चलाने का बड़ा शौक था. फुरसत में वह सोशल साइट फेसबुक पर नएनए फ्रेंड बनाती और उन से चैटिंग करती. जो युवक उसे मन भाता, उस का मोबाइल नंबर ले कर वह उसे अपना नंबर दे देती थी. वह ऐसे दोस्तों से बात भी करती थी. अगर किसी युवक से बतियाना अच्छा लगता तो वह उस का फोन रिसीव करती, अन्यथा डिसकनेक्ट कर देती.

चैटिंग सर्फिंग के दौरान फेसबुक पर पूनम का परिचय राजेश कुमार यादव से हुआ. पूनम ने उस की प्रोफाइल देखी तो पता चला, उस की उम्र 27 साल है और वह फिरोजाबाद के जसराना थाना क्षेत्र के गांव हरदासपुर जमाली का रहने वाला है. उस के 2 अन्य भाई थे, जो किसान थे. जबकि वह बीए पास कर चुका था.

राजेश कुमार यादव पढ़ालिखा भी था और दिखने में स्मार्ट भी. राजेश की हकीकत जान कर पूनम का रुझान उस की ओर हो गया. फेसबुक के माध्यम से पूनम राजेश के संपर्क में आ गई, दोनों चैटिंग करते थे. दोनों ने अपने मोबाइल नंबर भी एकदूसरे को दे दिए थे, जिस से उन के बीच अकसर बातें होने लगी थीं.

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बातों के दौरान पूनम राजेश के परिवार के बारे में अधिक से अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश करती थी. कह सकते हैं कि पूनम राजेश से प्रभावित थी, इसीलिए उस के बारे में इतनी खोजबीन कर रही थी.

एक दिन बातचीत के दौरान पूनम ने कहा, ‘‘राजेश, मैं ने तुम्हारे परिवार के बारे में बहुत कुछ पूछ और जान लिया लेकिन यह नहीं पूछा कि तुम करते क्या हो?’’

राजेश खिलखिला कर हंसते हुए बोला, ‘‘पूनम, मुझे झूठ बोलने की आदत नहीं है, इसलिए सच बताऊंगा. सच्चाई यह है कि मैं बेरोजगार नहीं हूं. सर्विस करता हूं और नोएडा में रहता हूं.’’

पूनम मन ही मन खुश हुई और बोली, ‘‘राजेश, मुझे यह जान कर बेहद खुशी हुई कि तुम बेरोजगार नहीं हो. सर्विस करते हो और अपने परिवार पर बोझ नहीं हो.’’

अब तक दोनों की दोस्ती गहरा गई थी. पूनम को लगा कि राजेश ही उस के सपनों का राजकुमार है, इसलिए उस का मन राजेश को देखने, उस से मिलने और आमनेसामने बैठ कर बातें करने का होने लगा.

इसीलिए एक रोज उस ने बातोंबातों में राजेश को अपने गांव के निकटवर्ती कस्बे गुरसहायगंज आने को कह दिया. दिन, तारीख व समय भी उसी दिन निश्चित हो गया. गुरसहायगंज में मिलने में इसलिए कोई परेशानी नहीं थी, क्योंकि पूनम वहां पढ़ने जाती थी. पूनम के इस बुलावे को राजेश ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

निश्चित दिन राजेश तय समय पर गुरसहायगंज पहुंच गया. मोबाइल के माध्यम से दोनों एकदूसरे के संपर्क में थे. पूनम उस से बस स्टौप से लगभग एक किलोमीटर दूर रामजानकी मंदिर के पास मिली. दोनों ने अपनी वेशभूषा एकदूसरे को बता दी थी, इसलिए एकदूसरे को पहचानने में परेशानी नहीं हुई.

प्यार के 2 कदम

राजेश कुमार यादव का व्यक्तित्व आकर्षक था तो पूनम भी खूबसूरत और जवानी से भरपूर थी. राजेश से बातें करतेकरते पूनम सोचने लगी कि उस ने भावी पति के रूप में जैसे सुंदर और सजीले युवक के सपने संजोए थे, राजेश वैसा ही सुंदर, सजीला युवक है. अगर राजेश से उस की शादी हो जाए तो उस का जीवन सुखमय हो जाएगा.

पूनम इसी सोच में डूबी थी कि राजेश बोला, ‘‘तुम इतनी सुंदर होगी, मैं सोच भी नहीं सकता था. जैसा तुम्हारा नाम है, वैसा ही रूप भी है. तुम वास्तव में पूनम का चांद हो. वैसे बुरा न मानो तो एक बात बोलूं.’’

पूनम की धड़कनें तेज हो गईं. उस ने सोचा कहीं ऐसा तो नहीं कि जो वह सोच रही है, राजेश भी वही सोच रहा हो. मन की बात मन में छिपा कर वह बोली, ‘‘जो कहना चाहते हो, बेहिचक कहो.’’

‘‘तुम्हें देखते ही दिल में प्यार का अहसास जाग उठा है,’’ कहते हुए राजेश उस के हाथ पर हाथ रख कर बोला, ‘‘आई लव यू पूनम.’’

प्रेम निवेदन सुनते ही पूनम मानो आपे में नहीं रह पाई. उस ने अपना दूसरा हाथ उठा कर राजेश के हाथ पर रख कर कह दिया, ‘‘आई लव यू टू.’’

फलस्वरूप चंद मिनटों में दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई. इस के बाद पूनम घर वालों की आंख में धूल झोंक कर राजेश से मिलने लगी. राजेश घर वालों को बिना कुछ बताए पूनम के प्यार में बंध गया. जैसेजैसे समय बीतने लगा, दोनों का प्यार दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगा. पूनम कालेज जाने के बहाने घर से निकलती और राजेश को मिलने के लिए गुरसहायगंज बुला लेती.

इस के लिए वह राजेश को फोन कर के मिलने का दिन, समय पहले ही तय कर लेती थी. गुरसहायगंज व्यापारिक कस्बा है, जहां दरजनों ऐसे लौज और होटल हैं, जहां आसानी से कमरा उपलब्ध हो जाता है. दोनों प्रेमी ऐसे ही लौज व होटल में मिलते थे.

राजेश कुमार यादव मूलरूप से फिरोजाबाद जिले के थाना जसराना के हरदासपुर जमाली गांव का रहने वाला था. उस के 2 भाई थे श्याम सिंह व बद्रीप्रसाद यादव, जो गांव में किसानी करते थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. गांव में उन का पक्का दोमंजिला मकान था, जिस में हर सुविधा उपलब्ध थी.

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दोनों भाई विवाहित थे और संयुक्त परिवार की तरह साथसाथ रहते थे. राजेश अभी कुंवारा था. बीए पास करने के बाद उस ने कंप्यूटर का प्रशिक्षण लिया था. इस के बाद वह नोएडा की एक कंपनी में काम करने लगा था. नौकरी के दौरान ही उस की दोस्ती पूनम से हो गई थी और वह उस से मिलने आने लगा था.

राजेश और पूनम एकदूसरे से बेइंतहा प्यार करने लगे. दोनों शादी करना चाहते थे. लेकिन दोनों शादी कर पाते, उस के पहले ही उन के प्यार का भांडा फूट गया. हुआ यह कि एक रोज पूनम ने राजेश को मिलने के लिए गुरसहायगंज बुलाया. जब दोनों रामजानकी मंदिर परिसर में आपस में बातें करते हुए हंसबोल रहे थे, गांव के एक युवक ने पूनम को देख लिया.

उस ने गांव लौट कर पूनम की मां कमला के कान भर दिए. सयानी बेटी का किसी अनजान युवक से हंसनाबतियाना कमला को नागवार लगा, वह तिलमिला उठी.

कुछ देर बाद पूनम घर वापस आई तो मां का चेहरा तमतमाया हुआ था. पहले तो वह सहम गई फिर सहजता से बोली, ‘‘मां, क्या बात है? तुम नाराज क्यों हो? क्या पिताजीने कुछ ऊटपटांग कह दिया?’’

कमला गुस्से से बोली, ‘‘बाप को बीच में क्यों लाती है, पहले तू यह बता कि आ कहां से रही है?’’

‘‘मां, मैं कालेज गई थी और वहीं से आ रही हूं. पर यह सब क्यों पूछ रही हो? क्या तुम्हें मुझ पर कोई शक है?’’

‘‘हां शक है, क्योंकि तू कालेज गई ही नहीं थी, बल्कि किसी से इश्क लड़ा रही थी. सचसच बता, कौन है वह, जिस ने तुझे भरमा लिया है?’’

‘‘मां, यह सब झूठ है, किसी ने तुम्हारे कान भर दिए हैं.’’ पूनम ने सफेद झूठ बोला.

‘‘बुलाऊं रामनरेश को, जिस ने तुम दोनों को रामजानकी मंदिर में इश्क लड़ाते देखा था.’’ कमला ने सच्चाई बता दी.

रामनरेश का नाम सुन कर पूनम चौंक पड़ी. वह जान गई कि उस के प्यार का भांडा फूट गया है. अब सच्चाई बताने में ही भलाई थी. अत: वह बोली, ‘‘मां, मैं राजेश से बतिया रही थी. मैं ने आप से झूठ बोला था कि कालेज गई थी. राजेश पढ़ालिखा स्मार्ट युवक है.’’

‘‘पहले तू यह बता कि राजेश है कौन? उस से तेरी दोस्ती कैसे हुई?’’ कमला ने पूछा.

पूनम बोली, ‘‘मां, राजेश नोएडा में रह कर नौकरी करता है. वह फिरोजाबाद का रहने वाला है. हमारी दोस्ती फेसबुक पर हुई थी. फिर मोबाइल फोन पर बातें करने लगे. इस के बाद वह मुझ से मिलने आने लगा. हम दोनों एकदूसरे से बेहद प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं.’’

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

जिस्मफरोशी के नए अड्डे : भाग 3

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पूनम का यह आइडिया अमन को पसंद आया. चूंकि वह स्वयं बाजारू औरतों का रसिया था, इसलिए जानता था कि देह व्यापार से अधिक मजेदार और कमाऊ धंधा कोई दूसरा नहीं. हालांकि इस धंधे में पुलिस द्वारा पकड़े जाने का अंदेशा बना रहता है, पर जोखिम लिए बिना पैसा भी तो छप्पर फाड़ कर नहीं बरसता.

आधा पैसा अमन ने लगाया, आधा पूनम ने. फिफ्टीफिफ्टी के पार्टनर बन कर दोनों ने कृष्णानगर स्थित किराए के मकान में वेलकम स्पा खोल लिया. यह लगभग एक साल पहले की बात है.

चूंकि पूनम खुद कालगर्ल थी, इसलिए अनेक देहजीवाओं से उस की दोस्ती थी. उन में से ही कुछ देहजीवाओं को उस ने मसाजर के तौर पर स्पा में रख लिया. वे केवल नाम की मसाजर थीं, वे तो केवल अंगुलियों के कमाल से कस्टमर की भावनाएं जगाने और बेकाबू होने की सीमा तक भड़काने में माहिर थीं. कस्टमर भी ऐसे आते थे, जिन्हें मसाज से कोई वास्ता नहीं था. कामपिपासा शांत करने के लिए उन्हें हसीन बदन चाहिए होता था.

चंद दिनों में ही स्पा की आड़ में देह व्यापार कराने का अमन और पूनम का यह धंधा चल निकला. स्पा के दरवाजे हर आदमी के लिए खुले रहते थे. शर्त केवल यह थी कि जेब में माल होना चाहिए.

बीच शहर में खुल्लमखुल्ला देह व्यापार होता रहे और पुलिस को खबर न हो, यह संभव नहीं होता.

वेलकम स्पा में होने वाले देह व्यापार की जानकारी स्थानीय थाना पुलिस को थी, पर किसी वजह से वह आंखें बंद किए थी. एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा ने जब औपरेशन क्लीन चलाया, तब छापा पड़ा और स्पा से 2 पुरुष अमन, आलोक तथा 2 महिलाएं पूनम व माया देह व्यापार करते पकड़ी गईं.

पुलिस टीम द्वारा छापे में पकड़ी गई कविता बकेवर कस्बे की रहने वाली थी. उस के पिता कानपुर में पनकी स्थित एक प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करते थे. लेकिन कुछ वर्ष पूर्व संदिग्ध परिस्थितियों में उन की मौत हो गई थी.

पति की मौत के बाद कविता की मां ने स्वयं को टूट कर बिखरने नहीं दिया. कभी स्वरोजगार तो कभी मेहनत मजदूरी कर के अपना और बेटी कविता की परवरिश करती रही. वक्त थोड़ा आगे बढ़ा.

कविता ने किशोरावस्था में प्रवेश किया. चेहरे पर लुनाई झलक मारने लगी. कच्ची कली मसलने के शौकीनों को यही तो चाहिए था. कविता को बड़ा लालच दे कर वे एकांत में उस के संग बड़ेबड़े काम करने लगे. कुछ ही समय बाद कविता कली से फूल बन गई. कविता को जो बुलाता, उस के साथ चली जाती.

जिस्मानी खेल में कविता को आनंद तो बहुत मिला पर बदनामी भी कम नहीं हुई. कस्बे में वह बदनाम लड़की के रूप में जानी जाने लगी. बेटी की करतूतें मां के कानों तक पहुंचीं तो उस ने सिर पीट लिया, ‘‘मुझ विधवा के पास एक इज्जत थी, वह भी इस लड़की ने लुटा दी. मैं तो हर तरह से कंगाल हो गई.’’

बेटी गलत राह पर चलने लगे तो हर मांबाप को उसे सुधारने की एक ही राह सूझती है शादी. कविता की मां ने भी उस का विवाह रोहित के साथ कर दिया. रोहित इटावा के सिविल लाइंस में रहता था और गल्लामंडी में काम करता था.

रोहित टूट कर चाहने वाला पति था. वह अपनी हैसियत के दायरे में कविता की फरमाइश भी पूरी करता था. इसलिए कविता रम गई. 3-4 साल मजे से गुजरे, उस के बाद कविता को रोहित बासी लगने लगा. पति से अरुचि हुई तो कविता का मन अतीत में खोने लगा.

इन्हीं दिनों कविता की मुलाकात स्पा संचालिका पूनम से हुई. उस ने कविता को मसाज पार्लर खोलने की सलाह दी. यही नहीं, पूनम ने कविता को मसाज पार्लर चलाने के गुर भी सिखाए. पूनम की सलाह पर पति के सहयोग से कविता ने सिविल लाइंस में ग्लैमर मसाज सेंटर खोला. कविता ने मसाज के लिए कुछ देहजीवाओं को भी रख लिया.

शुरूशुरू में उसे मसाज पार्लर में कमाई नहीं हुई. लेकिन जब उस ने मसाज की आड़ में देह व्यापार शुरू किया तो नोटों की बरसात होने लगी. औपरेशन क्लीन के तहत जब कविता के मसाज सेंटर पर छापा पड़ा तो यहां से 4 युवतियां कविता, गौरी, रिया तथा शमा और 3 पुरुष रोहित, उमेश व पवन पकड़े गए.

पुलिस छापे में पकड़ी गई अर्चना कच्ची बस्ती इटावा की रहने वाली थी. अर्चना को उस के पिता रामप्रसाद ने ही बरबाद कर दिया था. 30 वर्षीय अर्चना शादीशुदा थी. उस का विवाह जय सिंह के साथ हुआ था. जय सिंह में मर्दों वाली बात नहीं थी. सो अर्चना ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी थी. उस ने पिता को साफ बता दिया था कि अब वह ससुराल नहीं जाएगी.

रामप्रसाद तनहा जिंदगी गुजार रहा था. उस की पत्नी की मौत हो चुकी थी और बड़ा बेटा अलग रहता था. जब अर्चना ससुराल छोड़ कर आ गई तो रामप्रसाद की रोटीपानी की दिक्कत खत्म हो गई. अर्चना ने पिता की देखभाल की जिम्मेदारी संभाल ली. अर्चना ने अपना बिस्तर पिता के कमरे में ही बिछा लिया.

रामप्रसाद हर रात अर्चना के खुले अंग देखता था. उन्हीं को देखतेदेखते उस के मन में पाप समाने लगा. वह भूल गया कि अर्चना उस की बेटी है. मन में नकारात्मक एवं गंदे विचार आने लगे. वह हवस पूरी करने का मौका देखने लगा.

एक रात अर्चना गहरी नींद सो रही थी, तभी रामप्रसाद उठा और अर्चना की गोरी, सुडौल और चिकनी पिंडलियों को सहलाने लगा. रामप्रसाद की अंगुलियों की हरकत से अर्चना हड़बड़ा कर उठ बैठी, ‘‘पिताजी यह क्या कर रहे हो?’’

रामप्रसाद ने घबराने के बजाए अर्चना को दबोच लिया और उस के कान में फुसफुसाया, ‘‘चुप रह, शोर मचाने की कोशिश की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

अर्चना ने हवस में अंधे हो चुके पिता को दूर धकेलने की कोशिश की. उसे पवित्र रिश्ता याद दिलाया. मगर रामप्रसाद ने उसे अपनी हसरत पूरी करने के बाद ही छोड़ा. इस के बाद यह खेल हर रात शुरू हो गया. अर्चना को भी आनंद आने लगा. जब दोनों का स्वार्थ एक हो गया तो पवित्र रिश्ते की पुस्तक में पाप का एक अलिखित समझौता हो गया.

लगभग एक साल तक बापबेटी रिश्ते को कलंकित करते रहे. उस के बाद अर्चना का मन बूढ़े बाप से भर गया. अब वह मजबूत बांहों की तलाश में घर के बाहर ताकझांक करने लगी. एक रोज उस की मुलाकात एक कालगर्ल संचालिका से हो गई. उस ने उसे पैसों और देहसुख का लालच दे कर देह व्यापार के धंधे में उतार दिया.

छापे में पकड़ी गई रीतू, शालू और साधना (काल्पनिक नाम) हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की छात्राएं थीं. तीनों गरीब परिवार की थीं. उन्हें ऊंचे ख्वाब और महंगे शौक ने यह धंधा करने को मजबूर किया. देह व्यापार में लिप्त संचालिकाओं ने इन छात्राओं को सब्जबाग दिखाए. हाथ में महंगा मोबाइल तथा रुपए थमाए, फिर देहधंधे में उतार दिया.

ये छात्राएं स्कूलकालेज जाने की बात कह कर घर से निकलती थीं और देह व्यापार के अड्डे पर पहुंच जाती थीं. घर आने में कभी देर हो जाती तो वे एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बना देतीं. पकड़े जाने पर जब पुलिस ने उन के घर वालों को जानकारी दी तो वह अवाक रह गए. उन का सिर शर्म से झुक गया.

कुछ कहानियां मजबूरी की

छापा पड़ने के दौरान पकड़ी गई अमिता, मानसी व काजल घरेलू महिलाएं थीं. आर्थिक तंगी के कारण इन्हें देह व्यापार का धंधा अपनाना पड़ा. अमिता नौकरी के बहाने घर से निकलती थी और देह व्यापार के अड्डे पर पहुंच जाती थी. मानसी का पति टीबी का मरीज था. दवा और घर खर्च के लिए उस ने यह धंधा अपनाया.

2 बच्चों की मां काजल की उस के पति से नहीं बनती थी, इसलिए वह पति से अलग रहती थी. घर खर्च, बच्चों की पढ़ाई तथा मकान के किराए के लिए उसे यह धंधा अपनाना पड़ा.

पुलिस द्वारा पकड़े गए अय्याशों में 3 महेश, मनीष और राजू दोस्त थे. तीनों चंद्रनगर में रहते थे और एक ही फैक्ट्री में काम करते थे. विक्की, रमेश और पंकज ठेकेदारों के साथ काम करते थे और कृष्णानगर में रहते थे. उमेश और अशोक प्राइवेट नौकरी करते थे. ये भरथना के रहने वाले थे.

पुलिस ने थाना सिविललाइंस में आरोपियों के खिलाफ अनैतिक देह व्यापार अधिनियम 1956 की धारा 3, 4, 5, 6, 7, 8 और 9 के तहत केस दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में कुछ पात्रों के नाम काल्पनिक हैं.

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जिस्मफरोशी के नए अड्डे : भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- जिस्मफरोशी के नए अड्डे : भाग 1

नेहा बेहद खूबसूरत थी. वह कस्बे के बाल भारती स्कूल में 10वीं की छात्रा थी. 16-17 साल की उम्र ही ऐसी होती है कि लड़कियां खुली आंखों से सपने देखने लगती हैं. नेहा भी इस का अपवाद नहीं थी. उम्र के तकाजे ने उस पर भी असर किया और वह इंटरमीडिएट में पढ़ने वाले अर्जुन से दिल लगा बैठी. दोनों का प्यार परवान चढ़ा तो उन के प्यार के चर्चे होने लगे.

पिता को जब नेहा के बहकते कदमों की जानकारी हुई तो वह चिंता में पड़ गए. नेहा उन की पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर कोई दूसरा कदम उठाए, उस के पहले ही उन्होंने उस की शादी करने का फैसला किया. दौड़धूप के बाद उन्होंने नेहा का विवाह इकदिल कस्बा निवासी गोपीनाथ के बेटे मनोज से कर दिया.

खूबसूरत नेहा से शादी कर के मनोज बहुत खुश हुआ. शादी के एक साल बाद नेहा एक बेटे की मां बन गई, जिस का नाम हर्ष रखा गया. बस इस के कुछ दिनों बाद से ही नेहा मनोज की नजरों से उतरनी शुरू हो गई.

इस की वजह यह थी कि शादी के बाद भी नेहा मायके के प्रेमी अर्जुन को भुला नहीं पाई थी. वह नेहा से मिलने आताजाता रहता था. यह बात मनोज को भी पता चल गई थी.

वक्त गुजरता गया. वक्त के साथ मनोज के मन में यह शक भी बढ़ता गया कि हर्ष उस की नहीं बल्कि अर्जुन की औलाद है. हर्ष की पैदाइश को ले कर मनोज नेहा से कुछ कहता तो वह चिढ़ कर झगड़ा करने लगती. रोजरोज के झगड़े से तंग आ कर एक रोज उस ने पति को सलाह दी कि अगर तुम्हें लगता है कि अर्जुन से अब भी मेरे संबंध हैं तो यह घर छोड़ कर इटावा शहर में बस जाओ.

नेहा की यह बात मनोज को अच्छी लगी. मनोज का दोस्त अनुज इटावा शहर में ठेकेदारी करता था. उस ने इटावा जा कर अनुज से बात की. अनुज ने अपने स्तर से उसे अपने यहां काम पर लगा लिया और स्टेशन रोड स्थित एक मकान में किराए पर कमरा दिलवा दिया. मनोज अपने बीवीबच्चे को वहीं ले आया.

शहर आ कर मनोज ने चैन की सांस ली. उस के मन से अर्जुन को ले कर जो शक बैठ गया था, वह धीरेधीरे उतरने लगा. नेहा ने भी सुकून की सांस ली कि अब उस के घर में कलह बंद हो गई. दोनों के दिन हंसीखुशी से बीतने लगे.

पर खुशियों के दिन अधिक समय तक टिक न सके. दरअसल, इटावा शहर आ कर मनोज को भी शराब की लत लग गई थी. पहले वह बाहर से पी कर आता था, बाद में दोस्तों के साथ घर में ही शराब की महफिल जमाने लगा. रोज शराब पीने से एक ओर मनोज जहां कर्ज में डूबता जा रहा था, वहीं कुछ दिनों से नेहा ने महसूस किया कि पति के दोस्त शराब पीने के बहाने उस की सुंदरता की आंच में आंखें सेंकने आते हैं. ऐसे दोस्तों में एक अनुज भी था.

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नेहा ने कई बार मनोज से कहा भी कि वह छिछोरे दोस्तों को घर न लाया करे, लेकिन वह नहीं माना. मनोज क्या करना चाहता है, नेहा समझ नहीं पा रही थी. जब तक वह समझी, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

एक शाम मनोज काम से कुछ जल्दी घर  आ गया. आते ही बोला, ‘‘नेहा, तुम सजसंवर लो. तुम्हें मेरे साथ चलना है. हम वहां नहीं गए तो वह बुरा मान जाएगा.’’

नेहा खुश हो गई. मुसकरा कर बोली, ‘‘आज बड़े मूड में लग रहे हो. वैसे यह तो बता दो कि जाना कहां है?’’

‘‘मेरे दोस्त अनुज को तुम जानती हो. आज उस ने हमें खाने पर बुलाया है.’’ मनोज ने कहा.

मनोज ने बीवी को ही झोंका धंधे में

अनुज का नाम सुनते ही नेहा के माथे पर शिकन पड़ गई, क्योंकि उस की नजर में अनुज अच्छा आदमी नहीं था. मनोज के साथ घर में बैठ कर वह कई बार शराब पी चुका था और नशे में उसे घूरघूर कर देखता रहता था. नेहा की इच्छा तो हुई कि वह साफ मना कर दे, लेकिन उस ने मना इसलिए नहीं किया कि मनोज का मूड खराब हो जाएगा. वह गालियां बकनी शुरू कर देगा और घर में कलह होगी.

नेहा नहाधो कर जाने को तैयार हो गई तो मनोज आटो ले आया. दोनों आटो से अनुज के घर की ओर चल पड़े. थोड़ी देर में आटो रुका तो नेहा समझ गई कि अनुज का घर आ गया है. मनोज ने दरवाजा थपथपाया तो दरवाजा अनुज ने ही खोला. मनोज के साथ नेहा को देख कर अनुज का चेहरा चमक उठा. उस ने हंस कर दोनों का स्वागत किया और उन्हें भीतर ले गया.

घर के भीतर सन्नाटा भांयभांय कर रहा था. सन्नाटा देख कर नेहा अनुज से पूछ बैठी, ‘‘आप की पत्नी नजर नहीं आ रहीं, कहां हैं?’’

‘‘वह बच्चों को ले कर मायके गई है.’’ अनुज ने हंस कर बताया.

नेहा ने पति को घूर कर देखा तो वह बोला, ‘‘थोड़ी देर की तो बात है, खापी कर हम घर लौट चलेंगे.’’

अनुज किचन से गिलास और नमकीन ले कर आ गया. पैग बने, चीयर्स के साथ जाम टकराए और दोनों दोस्त अपना हलक तर करने लगे. फिर तो ज्योंज्यों नशा चढ़ता गया, त्योंत्यों दोनों अश्लील हरकतें व भद्दा मजाक करने लगे. पीने के बाद तीनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया. खाना खाने के बाद मनोज पास पड़ी चारपाई पर जा कर लुढ़क गया.

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इसी बीच अनुज ने नेहा को अपनी बांहों में जकड़ लिया और अश्लील हरकतें करने लगा. नेहा ने विरोध किया और इज्जत बचाने के लिए पति से गुहार लगाई. लेकिन मनोज उसे बचाने नहीं आया. अनुज ने उसे तभी छोड़ा जब अपनी हसरतें पूरी कर लीं.

उस के बाद दोनों घर आ गए. जैसेतैसे रात बीती. सुबह मनोज जब काम पर जाने लगा तो उस से बोला, ‘‘नेहा, तुम सजसंवर कर शाम को तैयार रहना. आज रात को भी हमें एक पार्टी में चलना है.’’

नेहा ने उसे सुलगती निगाहों से देखा, ‘‘आज फिर किसी दोस्त के घर पार्टी है…’’

मनोज मुसकराया, ‘‘बहुत समझदार हो.  मेरे बिना बताए ही समझ गई. जल्दी से अमीर बनने का यही रास्ता है.’’ मनोज ने जेब से 2 हजार रुपए निकाल कर नेहा को दिए, ‘‘यह देखो, अनुज ने दिए हैं. इस के अलावा एक हजार रुपए का कर्ज भी उस ने माफ कर दिया.’’

नेहा की आंखें आश्चर्य से फट रह गईं. मनोज ने उस से देह व्यापार कराना शुरू कर दिया था. कल कराया. आज के लिए उस ने ग्राहक तय कर के रखा हुआ था. शाम को मनोज ने नेहा को साथ चलने को कहा तो उस ने मना कर दिया. इस पर मनोज ने उसे लातघूंसों से पीटा और जबरदस्ती अपने साथ ले गया.

इस के बाद तो यह एक नियम सा बन गया. मनोज रात को रोजाना नेहा को आटो से कहीं ले जाता. वहां से दोनों कभी देर रात घर लौटते, तो कभी सुबह आते. कभी मनोज अकेला ही रात को घर आता, जबकि नेहा की वापसी सुबह होती. नेहा भी इस काम में पूरी तरह रम गई.

धीरेधीरे जब ग्राहकों की संख्या बढ़ी तो नेहा ग्राहकों को अपने घर पर ही बुलाने लगी. छापे वाले दिन मनोज ने जिस्मफरोशी के लिए 2 ग्राहक तैयार किए थे. पहला ग्राहक मौजमस्ती कर के चला गया था, दूसरा ग्राहक सुनील जब नेहा के साथ था, तभी पुलिस टीम ने छापा मारा और वे तीनों पकड़े गए.

पुलिस द्वारा पकड़ी गई पूनम इकदिल कस्बे में रहती थी. उस के मांबाप की मृत्यु हो चुकी थी. एक आवारा भाई था, जो शराब के नशे में डूबा रहता था. कम उम्र में ही पूनम को देह सुख का चस्का लग गया था. पहले वह देह सुख एवं आनंद के लिए युवकों से दोस्ती गांठती थी, फिर वह उन से अपनी फरमाइशें पूरी कराने लगी. यह सब करतेकरते वह कब देहजीवा बन गई, स्वयं उसे भी पता नहीं चला.

पूनम को भिन्नभिन्न यौन रुचि वाले पुरुष मिले तो वह सैक्स की हर विधा में निपुण हो गई. अमन नाम का युवक तो पूनम का मुरीद बन गया था. अमन शादीशुदा और 2 बच्चों का पिता था.

पूनम और अमन की जोड़ी

उस की पत्नी साधारण रंगरूप की थी. वह कपड़े का व्यापार करता था और इटावा के सिविल लाइंस मोहल्ले में रहता था. अमन को जब भी जरूरत होती, वह पनूम को फोन कर होटल में बुला लेता.

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एक रात अमन से पूनम बोली, ‘‘अमन क्यों न हम दोनों मिल कर स्पा खोल लें. मसाज की आड़ में वहां देहव्यापार कराएंगे. शौकीन अमीरों को नया अनुभव और उन्माद मिलेगा तो हमारे स्पा में ग्राहकों की भीड़ लगी रहेगी. थोड़े समय में हम दोनों लाखों में खेलने लगेंगे.’’

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जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

जिस्मफरोशी के नए अड्डे : भाग 1

इटावा के सिविल लाइंस क्षेत्र में रहने वाले उमेश शर्मा बैंक औफ बड़ौदा में सीनियर मैनेजर थे. वह 2 साल पहले रिटायर हो गए थे. रिटायर होने के बाद उन्होंने खुद को समाजसेवा में लगा दिया था. अपनी सेहत के प्रति वह सजग रहते थे, इसीलिए वाकिंग करने नियमित विक्टोरिया पार्क में जाते थे.

इटावा का विक्टोरिया पार्क वैसे भी पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है. पहले यहां एक बहुत बड़ा पक्का तालाब था. ब्रिटिश शासनकाल में महारानी विक्टोरिया यहां आई थीं तो उन्होंने इस पक्के तालाब में नौका विहार किया था. इस के बाद यहां विक्टोरिया मैमोरियल की स्थापना हुई. अब यह पार्क एक रमणीक स्थल बन गया है.

एक दिन उमेश शर्मा विक्टोरिया पार्क गए तो वहां उन की मुलाकात देवेश कुमार से हुई जो उन का दोस्त था. उसे देख कर वह चौंक गए. क्योंकि 50-55 की उम्र में भी वह एकदम फिट था. उमेश शर्मा उस से 8-10 साल पहले तब मिले थे, जब देवेश कुमार की पत्नी का देहांत हुआ था.

वर्षों बाद दोनों मिले तो वे पार्क में एक बेंच पर बैठ कर बतियाने लगे. उमेश ने महसूस किया कि पत्नी के गुजर जाने के बाद देवेश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा था, वह पहले से ज्यादा खुश दिखाई दे रहा था.

काफी देर तक दोनों इधरउधर की बातें करते रहे. उसी दौरान उमेश शर्मा ने पूछा, ‘‘देवेश यार, यह बताओ तुम्हारी सेहत का राज क्या है. लगता है भाभीजी के गुजर जाने के बाद

तुम्हारे ऊपर फिर से जवानी आई है. क्या खाते हो तुम, जो तुम्हारी उम्र ठहर गई है.’’

‘‘उमेश भाई, खानापीना तो कोई खास नहीं है. मैं भी वही 2 टाइम रोटी खाता हूं जो आप खाते हो. लेकिन मैं अपनी मसाज पर ज्यादा ध्यान देता हूं.’’ देवेश बोला.

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‘‘मसाज’’ उमेश शर्मा चौंके.

‘‘हां भई, मैं सप्ताह में 1-2 बार मसाज जरूर कराता हूं.’’

‘‘लगता है, मसाज किसी अच्छे मसाजिए से कराते हो?’’ उमेश शर्मा ने ठिठोली की.

‘‘सही कह रहे हैं आप, मैं जिन से मसाज कराता हूं वे सारे मसाजिए बहुत अनुभवी हैं. वे शरीर की नसनस खोल देते हैं. आप भी एक बार करा कर देखो, फिर आप को भी ऐसी आदत पड़ जाएगी कि शौकीन बन जाओगे.’’ देवेश ने कहा.

‘‘अरे भाई, आप ठहरे बड़े बिजनैसमैन और हम रिटायर्ड कर्मचारी, इसलिए हम भला आप की होड़ कैसे कर सकते हैं. सरकार से जो पेंशन मिलती है, उस से गुजारा हो जाए वही बहुत है. वैसे जानकारी के लिए यह तो बता दो कि मसाज कराते कहां हो?’’ उमेश शर्मा ने पूछा.

‘‘उमेश भाई, आप अभी तक सीधे ही रहे. मैं आप के सिविल लाइंस एरिया के ही ग्लैमर मसाज सेंटर पर जाता हूं. वहां पर लड़कियां जिस अंदाज में मसाज के साथ दूसरे तरह का जो मजा देती हैं, वह काबिलेतारीफ है. आप को तो पता ही है कि मैं शौकीनमिजाज हूं, लड़कियों का कद्रदान.’’ देवेश ने बताया.

‘‘देवेश, तुम इस उम्र में भी नहीं सुधरे.’’ उमेश शर्मा बोले.

‘‘देखो भाई, मेरा जिंदगी जीने का तरीका अलग है. मैं लाइफ में फुल एंजौय करता हूं. कमाई के साथ लाइफ में एंजौय भी जरूरी है. भाई उमेश, मैं अपने तजुर्बे की बात आप को बता रहा हूं. देखो, मैं ने कृष्णानगर के वेलकम स्पा सेंटर के अलावा अन्य कई होटलों में चल रहे मसाज सेंटरों की सेवाएं ली हैं, लेकिन जितना मजा मुझे ग्लैमर मसाज सेंटर में आता है, उतना कहीं और नहीं आया.

ग्लैमर मसाज सेंटर की संचालिका कविता स्कूल, कालेज गर्ल से ले कर हाउसवाइफ तक उपलब्ध कराने में माहिर है. मेरी बात मानो तो एक बार आप भी मेरे साथ चल कर जलवे देख लो.’’ देवेश ने उमेश शर्मा को उकसाया.

‘‘नहीं देवेश, आप को तो पता है कि मैं इस तरह के कामों से बहुत दूर रहता हूं.’’ उमेश शर्मा ने कहा. कुछ देर बात करने के बाद दोनों अपनेअपने रास्ते चले गए.

देवेश से बातचीत में उमेश शर्मा को चौंकाने वाली जानकारी मिली थी. वह यह जान कर आश्चर्यचकित थे कि उन की कालोनी में मसाज सेंटर के नाम पर जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा था और उन्हें जानकारी तक नहीं थी. इस धंधे में स्कूल कालेज की लड़कियों को फांस कर ये लोग उन की जिंदगी तबाह कर रहे थे. चूंकि उमेश शर्मा खुद समाजसेवी थे, इसलिए वह इस बात पर विचार करने लगे कि जिस्मफरोशी के अड्डों को कैसे बंद कराया जाए.

उमेश शर्मा का इटावा के एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा से परिचय था. वह सामाजिक क्रियाकलापों को ले कर एसएसपी साहब से कई बार मुलाकात कर चुके थे. लिहाजा उन्होंने सोच लिया कि इस बारे में एसएसपी से मुलाकात करेंगे. और फिर एक दिन एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा से मिल कर उमेश शर्मा ने उन्हें स्पा और मसाज सेंटरों की आड़ में चल रहे जिस्मफरोशी के धंधे की जानकारी दे दी.

एसएसपी ने इस सूचना को गंभीरता से लिया. जैसी उन्हें सूचना मिली, उस के अनुसार यह धंधा शहर की पौश कालोनियों के अलावा कुछ होटलों में भी चल रहा था. इसलिए उन्होंने  सूचना की पुष्टि के लिए अपने खास सिपहसालारों तथा मुखबिरों को लगा दिया और उन से एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा.

एक सप्ताह बाद मुखबिरों व सिपहसालारों ने जो रिपोर्ट एसएसपी संतोष कुमार मिश्र के समक्ष पेश की, वह चौंकाने वाली थी. उन्होंने बताया कि स्पा और मसाज सेंटरों में ही नहीं, बल्कि शहर के कई मोहल्लों में देहव्यापार जोरों से चल रहा है. उन्होंने कुछ ऐसे मकानों की भी जानकारी दी, जहां किराएदार बन कर रहने वाली महिलाएं देह व्यापार में संलग्न थीं.

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रिपोर्ट मिलने के बाद एसएसपी ने एएसपी (सिटी) डा. रामयश सिंह, एएसपी (ग्रामीण) रामबदन सिंह, महिला थानाप्रभारी सुभद्रा कुमारी, क्राइम ब्रांच तथा 1090 वूमन हेल्पलाइन की प्रमुख मालती सिंह को बुला कर एक महत्त्वपूर्ण बैठक बुलाई.

बैठक में एसएसपी ने शहर में पनप रहे देह व्यापार के संबंध में चर्चा की तथा उन अड्डों पर छापा मारने की अतिगुप्त रूपरेखा तैयार की. इस का नाम उन्होंने ‘औपरेशन क्लीन’ रखा.

इस के लिए उन्होंने 4 टीमों का गठन किया. टीमों के निर्देशन की कमान एएसपी (सिटी) डा. रामयश तथा एएसपी (ग्रामीण) रामबदन सिंह को सौंपी गई.

योजना के अनुसार 22 सितंबर, 2019 की रात 8 बजे चारों टीमों ने सब से पहले सिविल लाइंस स्थित ग्लैमर मसाज सेंटर पर छापा मारा. छापा पड़ते ही मसाज सेंटर में अफरातफारी मच गई. यहां से पुलिस ने संचालिका सहित 4 महिलाओं तथा 3 पुरुषों को गिरफ्तार किया.

काउंटर पर बैठी महिला को छोड़ कर सभी महिलापुरुष अर्धनग्न अवस्था में पकड़े गए थे. इन में एक छात्रा भी थी. उस का स्कूल बैग भी बरामद हुआ.

मसाज सेंटर पर छापा मारने के बाद संयुक्त टीमों ने कृष्णानगर स्थित वेलकम स्पा सेंटर पर छापा मारा. यहां से पुलिस टीम ने नग्नावस्था में 2 पुरुष तथा 2 महिलाओं को पकड़ा. पकड़े जाने के बाद वे सभी छोड़ देने को गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन पुलिस ने उन की एक नहीं सुनी.

इस के बाद पुलिस ने स्टेशन रोड स्थित एक मकान पर छापा मारा. पूछने पर पता चला कि पकड़ी गई महिला तथा पुरुष पतिपत्नी हैं. पति ही पत्नी की दलाली करता था. पत्नी के साथ एक ग्राहक भी पकड़ा गया. इस मकान से पुलिस ने 2 संदिग्ध महिलाओं को भी गिरफ्तार किया. लेकिन जब उन दोनों से पूछताछ की गई तो वे निर्दोष साबित हुईं. अत: उन दोनों को पुलिस ने छोड़ दिया.

पुलिस टीमों को सफलता पर सफलता मिलती जा रही थी. अत: टीमों का हौसला भी बढ़ता जा रहा था. इस के बाद पुलिस ने चंद्रनगर, शांतिनगर तथा सैफई रोड स्थित कुछ मकानों पर छापा मारा और वहां से 7 महिलाओं तथा 8 पुरुषों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया. पकड़ी गई युवतियों में 2 छात्राएं थीं जो कालेज जाने के बहाने घर से निकली थीं और देह व्यापार के अड्डे पर पहुंच गई थीं.

पुलिस टीम ने शहर के 2 होटलों तथा एक रेस्तरां पर भी छापा मारा लेकिन यहां से कोई नहीं पकड़ा गया. हालांकि होटल से 2 प्रेमी जोड़ों से पूछताछ की गई, पूछताछ में पता चला कि उन की शादी तय हो चुकी थी, इसलिए पुलिस ने उन्हें जाने दिया. रेस्तरां से पुलिस ने एक शादीशुदा जोड़े से भी पूछताछ की, जो रिलेशनशिप में रह रहे थे. वेरीफिकेशन के बाद पुलिस ने उन्हें भी जाने दिया.

छापे में पुलिस टीमों ने 14 कालगर्ल्स तथा 15 ग्राहकों को पकड़ा था. कालगर्ल्स को महिला थाना तथा पुरुषों को सिविल लाइंस थाने में बंद किया गया. महिला थानाप्रभारी सुभद्रा कुमारी वर्मा ने कालगर्ल्स से पूछताछ की.

पकड़ी कालगर्ल्स नेहा, माया, कविता, पूनम, गौरी, रिया, शमा, रीतू, साधना, शालू, अर्चना, दीपा, अमिता तथा मानसी थीं, वहीं जो ग्राहक गिरफ्तार हुए थे, उन के नाम पंकज, मनोज, अशोक, सुनील, अमन, आलोक, रमेश, पवन, रोहित, विक्की, उमेश, राजू, महेश, मनीष तथा प्रमोद थे. ये सभी इटावा, भरथना, इकदिल तथा बकेवर के रहने वाले थे.

अभियुक्तों की गिरफ्तारी की सूचना पर एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा भी महिला थाने पहुंच गए. वहीं पर उन्होंने प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित कर पत्रकारों को विभिन्न जगहों से गिरफ्तार की गई कालगर्ल्स और ग्राहकों की जानकारी दी.

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कहीं खुद पति पत्नी का दलाल तो कहीं मजबूर लड़कियां

पकड़ी गई कालगर्ल्स से विस्तृत पूछताछ की गई तो सभी ने इस धंधे में आने की अलगअलग कहानी बताई. नेहा मूलरूप से इटावा जिले के लखुना कस्बे की रहने वाली थी. 3 भाईबहनों में वह सब से बड़ी थी. उस के पिता एक ज्वैलर्स के यहां काम करते थे.

पिता को मामूली वेतन मिलता था, जिस से परिवार का भरणपोषण भी मुश्किल से होता था. भरणपोषण के लिए कभीकभी उन्हें कर्ज भी लेना पड़ जाता था. जब वह इस कर्ज को समय पर चुकता नहीं कर पाते थे, तो उन्हें बेइज्जत भी होना पड़ता था.

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विकास दुबे : नेताओं और पुलिसवालों की छत्रछाया में बना गैंगस्टर

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