मनीत का आत्मघाती कदम

मनीत का आत्मघाती कदम : भाग 1

4 जून, 2020 की शाम 7 बजे 24 वर्षीय सिपाही मनीत प्रताप सिंह ड्यूटी कर के जब वापस अपने कमरे पर लौटा तो वह अकेला नहीं था, बल्कि उस के साथ उस की खूबसूरत और कमसिन प्रेमिका संध्या भी थी.

उस के साथ संध्या को देख कर मनीत के दोनों दोस्त सिपाही जमील खान और सिपाही अनिल कुमार गौतम हौले से मुस्कराए तो वह भी मुसकरा दिया और संध्या को ले कर कमरे में चला गया.

वे तीनों दोस्त मुरादाबाद के कटघर थाने की आदर्श नगर कालोनी में स्थित कमल गुलशन के मकान में किराए पर रहते थे. वे तीनों रूम पार्टनर थे और एक ही कमरे में रहते थे. जिन में जमील खान और अनिल गौतम कटघर थाने में तैनात थे और मनीत पुलिस लाइन में आमद था. वैसे मनीत सिंह मूलरूप से बुलंदशहर के कोतवाली थाने के रसूलपुर का रहने वाला था. उस की जौइनिंग 2018 बैच की थी. हालफिलहाल उस की ड्यूटी मुरादाबाद (देहात) विधानसभा से विधायक हाजी इकराम कुरैशी की सुरक्षा में चल रही थी.

बहरहाल, संध्या को ले कर पहुंचे मनीत ने वर्दी बदल कर सादे कपड़े पहन लिए और दोनों दोस्तों से कहा कि वह संध्या को ले कर शहर घूमने जा रहा है. लौटने में उसे देर हो सकती है. आप दोनों अपना खाना बना कर खा लेना. हम घूम कर वापस लौटने के बाद अपना खाना बना लेंगे.

ये भी पढ़ें- फिरौती वसूलने साथ आये पति पत्नी

इतना कह कर उस ने बरामदे में खड़ी बाइक बाहर निकाली और संध्या को पीछे बिठा कर निकल गया.

करीब 3 घंटे दोनों बाहर घूमे और रात 10 बजे के करीब कमरे पर लौटे. चूंकि कमरा एक ही था. वहां संध्या रुकी हुई थी इसलिए मनीत के दोनों दोस्त उन्हें कमरे में छोड़ कर छत पर सोने चले गए.

मनीत घर आ कर दुकान से 2 बड़े पैकेट मैगी और 1 लीटर वाली कोल्डड्रिंक की एक बोतल ले आया. संध्या ने मैगी बनाई और 2 कटोरियों में मैगी ले कर कमरे में आई, जहां मनीत उस का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. फिर मनीत ने पहले से ला कर रखी कोल्डड्रिंक स्टील के 2 खाली गिलासों में भर कर एक गिलास संध्या की ओर बढ़ा दिया और दूसरा गिलास खुद लिया.

दोनों ने मैगी खा कर कोल्डड्रिंक पी. थोड़ी भूख शांत हुई. मनीत और संध्या दोनों एकदूसरे के हाथों को थामे और आंखों में आंखें डाले नीचे फर्श पर चादर बिछा कर बैठे थे. एकदूसरे को करीब पा कर वे दोनों बेहद खुश थे. खुश होते भी क्यों नहीं, एक होने में उन के बीच में बस एक रात की दूरी थी.

अगले दिन यानी 5 जून, 2020 को दोनों कोर्टमैरिज करने वाले थे. मैरिज के बाद दोनों जनमजनम के लिए एकदूसरे के हो जाने वाले थे.

कहते हैं, आग और फूस पासपास हो, तो वहां अकसर आग लग ही जाती है. मनीत और संध्या सामाजिक मानमर्यादाओं की सीमाएं लांघते हुए जिस्मानी रिश्तों से एक हो चुके थे, इसीलिए संध्या प्रेमी मनीत पर शादी के लिए दबाव बनाए हुए थी.

दबाव में आ कर ही उस ने संध्या से शादी के लिए हामी भरी थी और उसे कमरे पर बुलाया था. खानेपीने के बाद नीचे फर्श पर बिछे चादर पर दोनों बैठे हुए थे. मनीत संध्या की हथेली थामे उस की झील सी गहरी आंखों में डूबता जा रहा था.

संध्या के मखमली स्पर्श से मनीत का रोमरोम खिल उठा था. वे दोनों मर्यादाओं में बंधे थे, भविष्य के सपनों को ले कर दोनों देर तक बातें करते रहे. इस बीच मनीत फोन पर अपने घर वालों से अपनी शादी के सिलसिले में बात भी करता रहा.

फोन पर बात करतेकरते मनीत अचानक से गंभीर हो गया और नीचे फर्श से उठ कर बैड पर बैठ गया. तो संध्या भी नीचे से उठ कर बैड पर बैठ गई और उस की गोद में अपना सिर रख कर बिस्तर पर पसर गई.

‘‘क्या हुआ? अचानक से गंभीर क्यों हो गए?’’ संध्या ने मनीत की आंखो में आंखें डाल कर सवाल किया.

‘‘कुछ नहीं, बस ऐसे ही…’’ कहतेकहते मनीत रुक गया.

‘‘मुझ से कोई भूल हो गई है क्या या मैं ने कुछ ऐसावैसा कह दिया, जिस से तुम्हें बुरा लग गया. अगर ऐसा है तो मुझे माफ कर दो. सौरी बाबा आइ एम वैरी सौरी.’’ दोनों कान पकड़ते हुए संध्या बोली.

‘‘तुम क्यों सौरी कह रही हो?’’ कान से संध्या का हाथ हटाते हुए उस ने आगे कहा, ‘‘मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है और न ही तुम ने कुछ कहा है. सौरी तो उन्हें बोलना चाहिए जो हमारे प्यार के दुश्मन हैं. माफी तो उन्हें मांगनी चाहिए, जो हमें एक होने से रोकते हैं. लेकिन संध्या तुम चिंता मत करना, हमें एक होने से कोई नहीं रोक सकता. चाहे हमें जमाने से ही क्यों न लड़ना पडे. हम लड़ेंगे और एक भी होंगे. मनीत ने कभी हारना नहीं सीखा है. दुश्मन चाहे हमारे अपने ही क्यों न हों, मोहब्बत की जंग हम उन से जीत के रहेंगे.’’

‘‘घर वालों से तुम्हारी बात हुई है क्या? उन्होंने तुम्हें कुछ कहा है?’’

‘‘वे हमारी शादी के खिलाफ हैं. कहते हैं ये शादी नहीं होने देंगे.’’

‘‘तो फिर क्या होगा?’’

ये भी पढ़ें- 2 किरदारों का चरित्र

‘‘होगा क्या, मैं ने जो निश्चय किया है, वही होगा. मेरा निश्चय पत्थर पर खींची लकीर जैसा है, उसे कोई भी नहीं मिटा सकता.’’

कहते हुए मनीत ने बैड पर पड़ी कारबाइन दोनों हाथों से उठाई, उसे देखा. संध्या कुछ समझ पाती इस से पहले मनीत ने कारबाइन अपने सीने से सटा कर उस का ट्रिगर दबा दिया. कारबाइन से निकली गोली मनीत के दिल और फेफड़े को चीरती हुई शरीर के पार निकल गई. मनीत बिस्तर से नीचे फर्श पर धड़ाम से जा गिरा.

मनीत ने आत्महत्या कर ली थी. गोलियों की तड़तड़ाहट सुन कर मकान की छत पर सो रहे जमील और अनिल दौड़ेभागे नीचे कमरे में पहुंचे. कमरे का दृश्य देख कर दोनों हैरान रह गए. मनीत खून में डूबा बिलकुल शांत पड़ा था. उस से 2 कदम दूर खड़ी संध्या थरथर कांप रही थी. उस के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था.

उस के मुंह से कोई बोल नहीं फूट रहा था. जिस यार की बांहों में थोड़ी देर पहले वह झूल रही थी. जिन हाथों से अपने मांग में सिंदूर भरने के ख्वाब देख रही थी, वह सब रेत के मकान की तरह भरभरा कर ढह गया था.

बदहवास संध्या मनीत को देखे जा रही थी. जमील और अनिल कमरे के अंदर दाखिल हुए तो संध्या डर गई, ‘‘मैं ने नहीं मारा इन्हें…मैं ने नहीं मारा.’’ कहती चली गई.

‘‘ये सब कैसे हुआ संध्या?’’ अनिल ने सवाल किया.

‘‘थोड़ी देर पहले मनीत ने फोन पर अपने घर वालों से बात की. उस के बाद न जाने ऐसा क्या हुआ, वह एकदम से गंभीर हो गया. जब मैं ने पूछा कि क्या बात है, तुम अचानक से क्यों गंभीर हो गए तो उस ने बताया उस के घर वाले शादी के खिलाफ हैं, वे शादी करने पर ऐतराज जता रहे हैं. उस के बाद मैं कुछ समझ पाती कि मनीत ने खुद को गोली मार ली.’’ कह कर संध्या बिलखबिलख कर रोने लगी.

संध्या के कथनानुसार, मनीत ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली थी. उसी वक्त जमील ने फोन कर के थानेदार (कटघर) विकास कुमार, सीओ (कटघर) पूनम सिरोही, एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद, एसएसपी अमित पाठक और आईजी रमित शर्मा को घटना की सूचना दी थी.

ये भी पढ़ें- हिमानी का याराना: भाग 1

चूंकि मामला विभाग से जुड़ा हुआ था, इसलिए सूचना मिलते ही कुछ ही देर में एसओ (कटघर) विकास कुमार, सीओ (कटघर) पूनम सिरोही और एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद घटनास्थल पहुंच गए थे.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

फिरौती वसूलने साथ आये पति पत्नी

‘हेलो’

‘हेलो’ फोन आने पर गोंडा जिले के रहने वाले बीड़ी कारोबारी हरी गुप्ता ने कहा.

फोन पर धमकाते हुए एक महिला की आवाज आती है “आवाज न आ रही हो तो बताओ, आवाज न आ रही हो तो बताओ, आपका लड़का किडनैप हो चुका है.”

हरी गुप्ता ‘अच्छा, तो क्या करना पड़ेगा?’

महिला : 4 करोड़ की व्यवस्था करो, हम शाम तक फोन करेंगे. ज्यादा दिमाग लगाने की कोशिश न करना. जो करोगे हमको सब पता चल जाएगा, अभी तक सब ठीक है वरना कानपुर वाला मैटर तो जानते हो न..?

ये भी पढ़ें- 2 किरदारों का चरित्र : भाग 1

हरी गुप्ता : हां… कौन कानपुर वाला..?

महिला :  विकास दुबे वाला… जानते ही हो पुलिस किसका कितना साथ देती है… पुलिस के पास जाना चाहो तो जाओ…मै मना नहीं कर रही है.. बस आपका लड़का आपको नहीं मिलेगा.

हरी गुप्ता : हमें हमारा लड़का चाहिए बस.

महिला : आपको अपना लड़का चाहिए ? दो तीन घंटे बाद मैं फोन करूंगी… बस हां या न में जवाब देना…. और अगर आपने कुछ भी कदम उठाने की कोशिश की तो लड़के की उम्मीद छोड़ दीजिए.

हरी गुप्ता :  जी जी… नहीं हम कोई कदम नहीं उठाएंगे.

हरी गुप्ता : ‘जी ठीक है’. फोन सुनने के बाद हरी गुप्ता के पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई. बच्चे के ना मिलने से परेशान हरी गुप्ता की आंखों के सामने बच्चे के अपहरण करने का पूरा घटनाक्रम  घूम गया. किस तरह कुछ ही घण्टे पहले उनकी आंखों के सामने से 8 साल के बेटे का अपहरण हो गया था.

मास्क देने के बहाने हुआ अपहरण

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 200 किलोमीटर दूर गोंडा जिले में करनैलगंज कोतवाली क्षेत्र में गाड़ी बाजार में रहने वाले बीड़ी कारोबारी राजेश गुप्ता के घर पर गुरुवार 23 जुलाई 2020 की दोपहर अल्ट्रो कार से कुछ लोग आते है. राजेश गुप्ता के घर के सामने उनके बेटे हरि गुप्ता अपने 8 साल के बेटे आयुष उर्फ नामो के साथ खड़े थे. उन लोगो ने हरी गुप्ता से उनका मोबाइल नम्बर मंगा और खुद को स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी बता कर कहा कि ‘किसी को गाड़ी तक भेज दीजिये मास्क दे दे’.

यह बात सुनकर 8 साल का आयुष उनके साथ चला गया. जब कुछ देर आयुष नही वापस आया तब उसकि खोजबीन की गई. वँहा लगे सीसीटीवी में देखा गया कि आयुष को उसी मास्क देने वाली कार में बैठा कर ले जाया गया है. कुछ देर तो गाड़ी दिखती है पर फिर कच्चे रास्ते मे उतर जाती है जंहा से वो दिखना बन्द हो जाती है. शाम को करीब 4 बजे हरिगुप्ता के मोबाइल पर फोन आने के बाद पता चलता है कि आयुष का अपहरण कर लीया गया है और अपहरण करने वाले 4 करोड़ की फिरौती मांग रहे है.

एसटीएफ ने संभाली कमान

हरी गुप्ता और उनका परिवार उहापोह के बाद पूरी जानकारी करनैलगंज थाने की पुलिस को देता है. अपहरण की बात पता चलते ही राजधानी लखनऊ तक पुलिस विभाग को इसकी सूचना मिलती है. पुलिस विभाग ने अपहरण करने वालो का पता लगाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स को लगाती है. इसके बाद पुलिस 17 घण्टो की कड़ी मेहनत के बाद बच्चे को सकुशल बरामद करने में सफल हो जाती है.

यूपी एडीजी (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि पुलिस कार्रवाई में दो बदमाश उमेश यादव और दीपू कश्यप घायल हुए हैं. सूरज पांडेय, छवि पांडेय को गिरफ्तार किया गया है. घटना में एक ऑल्टो गाड़ी बरामद की गई है. अपराधियों से पिस्टल और दो तमंचे भी बरामद हुए हैं. घायल बदमाशों का इलाज चल रहा है. पुलिस की ओर से बदमाशों का मेडिकल कराया जाएगा और आगे की कार्रवाई की जाएगी. जो अन्य लोग शामिल होंगे उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी.

पति पत्नी है मुख्य आरोपी

अपहरण की इस घटना में मुख्य आरोपी के रूप में सूरज पांडये और उसकी पत्नी छवि पांडये का नाम लिया जा रहा है. पुलिस के अनुसार छवि की जिम्मेदारी फोन करके फिरौती मांगने की थीं. इस घटना में सूरज पांडे पुत्र राजेंद्र पांडे निवासी शाहपुर थाना परसपुर गोंडा, सूरज का भाई राज, उमेश यादव पुत्र रमाशंकर यादव निवासी सकरोड़ा पूर्वी थाना करनैलगंज गोंडा, दीपू कश्यप पुत्र राम नरेश कश्यप निवासी सोनवारा थाना करनैलगंज गोंडा  शामिल थे.

ये भी पढ़ें- हिमानी का याराना: भाग 1

अनाड़ी निकली छवि

छवि पाण्डेय सूरज पाण्डेय की पत्नी है. छवि भी इस किडनैपिंग केस में शामिल थी. उसने ही बच्चे के कारोबारी पिता को फिरौती के लिए फोन किया था. उसने फोन करके चार करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी.

फिरौती की कॉल रिकॉर्डिंग से पुलिस को यह पता लगा की अपराधी पेशेवर नहीं है.  बच्चे का अपहरण करने वाले बदमाशो ने जब फिरौती के लिए जब कारोबारी को फोन आया तो उन्होंने इस कॉल को अपने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर लिया. फिरौती की कॉल रिकॉर्डिंग पुलिस को दी. पुलिस ने जब इसे सुना तो उन्हें यह स्पष्ट हो गया कि किडनैपर्स कोई प्रोफेशनल नहीं हैं. छवि फोन पर कारोबारी से बात हुए अटक भी रही थी. छवि और कारोबारी के बीच हुई बातचीत के वायरल ऑडियो में छवि ने फिरौती के लिए कारोबारी को धमकी दी. अपहरणकर्ता ने कहा कि पुलिस के पास जाना चाहो तो जाओ लेकिन फिर आपका लड़का नहीं मिलेगा. उसने ये भी कहा कि फिरौती का जवाब हां या ना में ही मिलना चाहिए.

छवि का पति सूरज पांडे  राजेंद्र पांडे का पुत्र है और शाहपुर थाना परसपुर, जनपद गोंडा का रहने वाला है. जानकारी के मुताबिक छवि उन्नाव की है लेकिन उसकी शादी सूरज के साथ हुई है, तबसे वे गोंडा में ही रह रहे हैं.

तीसरे आरोपी का नाम उमेश यादव है जो रमाशंकर यादव का बेटा है और सकरोड़ा पूर्वी थाना करनैलगंज जनपद गोंडा का रहने वाला है. चौथा आरोपी दीपू कश्यप है जो राम नरेश कश्यप का बेटा है और सोनवारा, थाना करनैलगंज, जनपद गोंडा का निवासी है. पुलिस ने सभी को पकड़ लिया है.

ये भी पढ़ें- इश्किया आग : भाग 1

2 किरदारों का चरित्र : भाग 3

एक दिन उस ने पति को रानी से बात करते सुन लिया. उस रात इस बात को ले कर दोनों के बीच खूब झगड़ा हुआ था. उस ने खुल कर पति से कह दिया कि वह अपने जीते जी सिंदूर का बंटवारा नहीं कर सकती है. उस औरत से अपने संबंध तोड़ ले, वरना इस का परिणाम बहुत बुरा हो सकता है.

रानी को ले दोनों के बीच घर में एक बार जो संग्राम छिड़ा तो थमने का नाम ही नहीं ले रहा था. पत्नी के लाख मना करने के बावजूद संदीप रानी से अलग होने का नाम ही नहीं ले रहा था. उस ने साफ तौर पर पत्नी से कह दिया था कि चाहे जो हो जाए, वह रानी का साथ नहीं छोड़ सकता. पति का दोटूक जवाब सुन कर प्रियंका ठगी रह गई थी, पर हार मानने वालों में से वह नहीं थी.

एक छत के नीचे दोनों किसी अजनबी की तरह रह रहे थे. दोनों के बीच धीरेधीरे मतभेद बढ़ता गया. प्यार की जगह नफरत का साम्राज्य बढ़ता गया. यहां तक कि उन के बीच बातें भी बंद हो गई थीं. प्रियंका ने पति से तलाक लेने के लिए अपने वकील के जरिए पारिवारिक न्यायालय में भरणपोषण की एक याचिका दायर करा दी थी. उस ने याचिका में दोनों बेटियों की परवरिश के लिए गुजारा भत्ता के लिए 14 हजार रुपए महीने के खर्चे और 25 लाख का दावा किया था.

ये भी पढ़ें- हम खो जाएंगे : भाग 2

भले ही उन के बीच बातचीत होनी बंद हो गई थी, पर इतना जरुर था कि वह घर की जरूरतों को पूरी करता था. बेटियों को भरपूर प्यार देने में कोताही नहीं करता था.

प्रियंका के भी बहक गए कदम

इसी बीच प्रियंका के जीवन में एक नए किरदार ने एंट्री ली. प्रियंका की बड़ी बेटी रिया बोनांजा स्कूल में पढ़ती थी. बेटी को स्कूल पहुंचाने प्रियंका ही जाती थी. जातेआते रास्ते में सगमनिया के रहने वाले अनूप कुमार सिंह (21 साल) से उस का परिचय हो गया. वह भी अपने भाई की बेटी को स्कूल पहुंचाने जाता था.

अनूप देखता था कि वह जब भी उस से मिलता था प्रियंका उदास और दुखी रहती थी. एक दिन बातोंबातों में अनूप ने उस के हर घड़ी उदास रहने की बात पूछ ली.

प्रियंका की दुखती रग पर पहली बार किसी ने हाथ रखा था. वह भावुक हो गई और अपने घर की कहानी उसे सुना बैठी. उस की कारुणिक कथा सुन कर अनूप का मन द्रवित हो उठा.

बातों से उस ने उसे सहारा दिया तो प्रियंका अपने से 9 साल छोटे अनूप की ओर अनायास ही खिंची चली गई. अनूप से बात कर के उस के मन को शांति मिलती थी और खुद को काफी हलका महसूस करती थी.

धीरेधीरे दोनों के बीच दोस्ती ने प्यार का रूप ले लिया था. पति के ड्यूटी चले जाने के बाद प्रियंका प्रेमी अनूप को अपने कमरे पर बुलाती और दिन भर रंगरलियां मनाती थी.

बात घटना से 15 दिन पहले 16 मई, 2020 की है. उस दिन संदीप ड्यूटी से छुट्टी ले कर जल्दी घर वापस लौट आया था. घर में एक अजनबी युवक को पत्नी के साथ देख कर उस का खून खौल उठा. भले ही पतिपत्नी के बीच अनबन चल रही थी. लेकिन प्रियंका अभी भी उस की पत्नी थी. पत्नी को किसी और की बांहों में देख कर कोई भी पुरुष आपा खो सकता था. संदीप भी आपा खो चुका था. उस ने जम कर दोनों पर लातघूंसे बरसाए.

अनूप किसी तरह अपनी जान बचा कर वहां से भाग गया लेकिन प्रियंका की तो शामत आ चुकी थी. संदीप ने अपना सारा गुस्सा उस पर उतार दिया था. पति द्वारा प्रेमी की पिटाई करना प्रियंका को अच्छा नहीं लगा था.

प्रियंका और उस के प्रेमी ने रची साजिश

फिर क्या था? दोनों ने संदीप को रास्ते से हटाने की योजना बना ली. अपनी योजना में अनूप ने अपने जिगरी यार सनी कुमार (20 साल) को थोड़ा पैसों का लालच दे कर मिला लिया, जो उसी के गांव का रहने वाला था.

उस दिन के बाद घटना से 3 दिन पहले 28, 29 और 30 मई तक अनूप और सनी दोनों ने मिल कर संदीप की रेकी की. उन्होंने पता लगा लिया कि संदीप घर से कब निकलता है? घर वापस कब लौटता है? किसकिस से मिलता है?

वैसे भी प्रियंका ने पति की सारी गतिविधियों के बारे में उसे विस्तार से बता दिया था. बस योजना को अंजाम देना था.

प्रियंका और उस के प्रेमी अनूप ने योजना ऐसी बनाई थी कि संदीप की मौत हत्या नहीं वरन स्वाभाविक मौत लगे ताकि किसी का उन पर शक न जाए. यानी सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

योजना के अनुसार, 31 मई, 2020 की रात 11 बजे प्रियंका ने अनूप को फोन कर के बता दिया कि उस ने घर का मुख्यद्वार खोल दिया है. अनूप अपने दोस्त सनी के साथ प्रियंका के घर पहुंचा. उस ने सनी से बाहर ही रह कर देखभाल करने को कहा. फिर वह चुपके से आ कर घर की सीढि़यों के नीचे छिप गया और प्रियंका को अपने आने की सूचना फोन पर दे दी.

सब कुछ योजना के मुताबिक चल रहा था. संदीप को अपना फोन ले कर छत पर जाने के करीब डेढ़ घंटे बाद रात साढ़े 12 बजे प्रियंका और उस का प्रेमी अनूप दबे पांव छत पर पहुंचे. संदीप फोन पर रानी से बात करने में मशगूल था. उस ने जैसे ही दोनों को एक साथ अपनी ओर आते देखा, वहां से भागना चाहा. तब तक दोनों ने झपट्टा मार कर उसे अपने काबू में ले लिया.

ये भी पढ़ें- हिमानी का याराना: भाग 1

प्रियंका ने उस के हाथ से फोन छीन कर अपने कब्जे में ले लिया. फिर दोनों ने मिल कर संदीप को छत से नीचे गिरा दिया. संदीप के नीचे गिरते ही अनूप सीढि़यों से तेजी से नीचे आया और प्रियंका फोन ले कर अपने कमरे में चली गई ताकि किसी को शक न हो. फिर वह तेजी से वहां पहुंच गया, जहां संदीप दर्द के मारे कराह रहा था. लेकिन अभी वह जिंदा था.

प्लानिंग से की थी हत्या

तब तक प्रियंका भी वहां पहुंच गई थी. उस समय सनी वहां मौजूद नहीं था. अनूप और प्रियंका दोनों मिल कर उसे वहां से घसीटते हुए कुछ और दूर लाए, जहां एक बड़ा पत्थर मौजूद था. फिर प्रियंका की आंखों के सामने अनूप ने वह पत्थर उठा कर संदीप के सिर पर जोरदार वार किया.

संदीप के मुंह से एक दर्दनाक चीख निकली और वह मौत की आगोश में समा गया. उस के बाद उसे स्वाभाविक मौत का रूप देने के लिए उस के पास उस का मोबाइल फोन रख दिया. फिर अपने फोन से सनी को फोन कर उसे मौके पर बुलाया ताकि वह अनूप को वहां से घर ले जा सके.

अनूप के मौके से जाने के बाद प्रियंका अपने कमरे में वापस लौट आई. उस ने यही सोचा था कि थोड़ी देर बाद वह पति को ढूंढते हुए छत पर जाएगी. जब वहां उस का पति नहीं मिलेगा तो साक्ष्य के तौर पर मकान मालिक को ले कर पति को ढूंढेगी ताकि किसी को उस पर शक न हो और वह बेदाग बच जाए.

योजना के अनुसार प्रियंका ने वही किया. पहले पति को ढूंढने का नाटक किया. जब उस का पता नहीं चला तो 2 बजे रात में मकान मालिक कैलाश गुप्ता को नींद से जगा कर अचानक पति के गायब होने की जानकारी दे उसे ढुंढवाने में उन से मदद मांगी.

कैलाश गुप्ता ने प्रियंका के साथ पूरा घर छान मारा, लेकिन संदीप का कहीं पता नहीं चला था. जब वे दोनों उसे तलाशते हुए मकान के पीछे गए तो वहां संदीप की लाश मिली.

कहते हैं, कातिल लाख शातिर क्यों न हो, वह कोई न कोई गलती कर बैठता है. प्रियंका और उस के प्रेमी अनूप से भी एक गलती हो चुकी थी. कानून के शातिर खिलाडि़यों ने जांच कर उसी गलती की डोर पकड़ ली और पटवारी संदीप सिंह की मौत की गुत्थी सुलझा दी.

वह गलती थी संदीप के शरीर को मौके से करीब 15 फीट दूर घसीट कर ले आना और फोन का सुरक्षित पाया जाना.

जिद्दी प्रियंका थोड़ी सूझबूझ और धैर्य से काम लेती तो शायद उस के रिश्ते सुधर सकते थे. उस का सुहाग भी जिंदा रहता और बेटियां पिता के प्यार से महरूम भी न होतीं, लेकिन उस के गुस्से की सनक ने उसी के हाथों उस के परिवार में आग लगा दी और भरापूरा आशियाना जल कर खाक हो गया.

ये भी पढ़ें- इश्किया आग : भाग 1

खैर कथा लिखे जाने तक प्रियंका सिंह, अनूप कुमार सिंह और सनी कुमार तीनों गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए, जहां वे सलाखों के पीछे कैद अपने गुनाहों की सजा काट रहे थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

2 किरदारों का चरित्र : भाग 2

घटना वाली रात प्रियंका ने 2 अलगअलग फोन नंबरों पर बात की थी. एक काल रात करीब 11 बजे की थी और दूसरी काल दूसरे नंबर पर रात डेढ़ बजे के आसपास की थी. ये कौन हो सकते हैं, इस का पता तो प्रियंका से पूछताछ करने पर ही चल सकता था.

पुलिस ने दोनों नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर शक के आधार पर प्रियंका के नंबर को सर्विलांस पर लगवा दिया. उधर दोनों नंबरों की डिटेल्स पुलिस के हाथ लग चुकी थी. उन दोनों नंबरों में एक नंबर अनूप कुमार सिंह का था और दूसरा नंबर सनी कुमार सिंह का. दोनों एक ही मोहल्ले सगमनिया के रहने वाले थे.

वैज्ञानिक साक्ष्यों और काल डिटेल्स के आधार पर पुलिस ने पटवारी संदीप सिंह की मौत की गुत्थी करीबकरीब सुलझा ली थी. साक्ष्यों के आधार पर यह सिद्ध हो चुका था पति की मौत में पत्नी का हाथ है.

इसी बीच एक चौंकाने वाली बात पुलिस को पता चली. प्रियंका ने अपने नंबर से अनूप को फोन किया था. सर्विलांस पर लगे उस के नंबर पर हुई बातचीत को साइबर सेल प्रभारी दीपेश पटेल ने सुन लिया था. प्रियंका अनूप से कह रही थी कि पुलिस को उस पर शक हो गया है. अब क्या होगा? अब तो हम पकड़े जा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- जब मुरदे ने दे दी खुद की गवाही : अपराधी चाहे जितनी चालाकियां कर ले, कानून से नहीं बच सकता

इस के बाद प्रियंका के बचने की कोई गुंजाइश नहीं बची थी. 5 जून को दोपहर इंसपेक्टर मोहित सक्सेना पूरी टीम के साथ संतोषी माता मंदिर स्थित कैलाश गुप्ता के घर पहुंचे, जहां प्रियंका रहती थी. उस समय घर पर संदीप के घर वाले और पत्नी प्रियंका मौजूद थी. सामने खड़ी पुलिस को देख कर प्रियंका के चेहरे पर पसीने की बूंदें छलक आईं. उसी वक्त इंसपेक्टर मोहित सक्सेना ने कहा, ‘‘आप का खेल खत्म हुआ, प्रियंका. अब हमारे साथ चलिए.’’

‘‘क…कहां चलें? आप के कहने का क्या मतलब है?’’ हकलाती हुई प्रियंका ने पूछा.

‘‘थाने चल कर सब पता चल जाएगा. अरेस्ट हर सरला.’’ इंसपेक्टर सक्सेना ने साथ आई दोनों महिला सिपाहियों सरला शर्मा और प्रियंका चतुर्वेदी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया.

पुलिस प्रियंका सिंह को गिरफ्तार कर के थाने ले आई. उस के गिरफ्तार होने की सूचना उन्होंने एसपी रियाज इकबाल, एएसपी गौरव सिंह सोलंकी और सीएसपी विजय को दे दी थी.

प्रियंका ने कबूला गुनाह

सूचना मिलते ही पूछताछ करने के लिए एसपी इकबाल थाने पहुंच गए. प्रियंका कोई हार्डकोर क्रिमिनल तो थी नहीं कि घंटों पुलिस को यहांवहां घुमाती. पुलिस को देखते ही उस की हालत पतली हो गई थी. फिर क्या था. उस ने आसानी से अपना जुर्म कबूल करते हुए कहा कि उसी ने अपने प्रेमी अनूप कुमार सिंह और उस के दोस्त सनी के साथ मिल कर पति की हत्या कराई थी. अगर वो उसे नहीं मरवाती तो पति अपनी प्रेमिका के साथ मिल कर उस की हत्या करवा देता.

प्रियंका का सनसनीखेज बयान सुन कर पुलिस चौंकी. दोनों ही नैतिक पतन चरित्र वाले किरदार थे. दोनों के ही चरित्र मैले हो चुके थे. मैले चरित्र वाले पति और पत्नी दोनों एकदूसरे के जानी दुश्मन बने हुए थे. आगे की कहानी प्रियंका पुलिस के सामने परत दर परत खोलती चली गई. पूछताछ के बाद पटवारी की हत्या की कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

कहते हैं, जोडि़यां ऊपर से बन कर आती हैं, यहां तो सिर्फ फेरे लेते हैं 7 वचनों के बंधन में बंधने के लिए. संदीप और प्रियंका के साथ भी ऐसा ही हुआ था. सामान्य कदकाठी और सुदर नैननक्श वाली प्रियंका के गोरे बदन पर संदीप की जब पहली बार नजर पड़ी थी, वह अपलक उसे निहारता रह गया था.

दोनों की मुलाकात एक शादी की पार्टी में हुई थी. जहांजहां प्रियंका जाती, उस की हसरत भरी निगाहें उस का पीछा करती रहतीं. इस बात से बेखबर अल्हड़ प्रियंका मदमस्त बिंदास हो कर पार्टी का लुत्फ उठाती रही.

प्रियंका पहली ही नजर में संदीप के दिल में मुकाम कर गई थी. पार्टी में जब तक वह रहा, उस की नजरें सिर्फ प्रियंका पर टिकी हुई थीं. जब पार्टी समाप्त हुई तभी वह अपने घर वापस लौटा. तब वह गांव में रह रहा था और वहीं से अपनी बाइक से ड्यूटी करने सगौनी जाया करता था. ये 6 साल पहले की बात है.

प्रियंका के इश्क में संदीप इस कदर डूब चुका था कि उसे इस के अलावा कुछ भी नहीं सूझ रहा था. उस दिन के बाद से संदीप प्रियंका की तलाश में जुट गया था. आखिरकार उस की मेहनत रंग लाई और उस ने उसे ढूंढ ही लिया.

दरअसल, संदीप जिस दोस्त की पार्टी में शरीक हुआ था, उसी से प्रियंका का हुलिया बता कर उस के बारे में पूछ लिया था. दोस्त ने ही उस लड़की का नाम प्रियंका बताया था. वह भी सतना की रहने वाली थी.

संदीप को भा गई थी प्रियंका

संदीप दोस्त के जरिए प्रियंका से मिलने पहली बार उस के घर पहुंच गया था. प्रियंका के घर वालों से उस के दोस्त ने ही संदीप का परिचय करवाया था. बातोंबातों में प्रियंका के घरवालों ने जाना कि संदीप सरकारी नौकरी करता है. वह चकबंदी विभाग में पटवारी के पद पर कार्यरत है.

ये भी पढ़ें- अपराधी आगे आगे, पुलिस पीछे पीछे

खैर, संदीप को देख कर प्रियंका चकित रह गई थी. वह वही लड़का था, जो उस दिन पार्टी में उसे ही घूर रहा था और आज उस के घर तक पहुंच गया था. यह देख कर वह नतमस्तक थी. ऐसा नहीं था कि वह पार्टी में इतना बेसुध थी कि उसे कुछ दिख नहीं रहा था बल्कि वो संदीप की नजरों पर अपनी नजरें गड़ाए बैठी थी. वह देख रही थी कि संदीप की नजरें बड़ी शिद्दत उसे देख रही थीं. यह देख कर वह मन ही मन मुसकराए जा रही थी.

प्रियंका अपने घर में सब से बड़ी थी. उस से 2 छोटे भाईबहन और थे. प्रियंका ग्रैजुएशन कर चुकी थी. ग्रैजुएशन करने के बाद खाली समय में उस ने कंप्यूटर कोर्स करना शुरू कर दिया था.

काफी खुशमिजाज और खुले विचारों वाली वह आधुनिक युवती थी. एक लड़की को कितनी मर्यादा में रहना चाहिए, वह अच्छी तरह जानती थी और उसी मर्यादा के दायरे में रहती थी. उस दिन के बाद संदीप को जब भी मौका मिलता था, अंकल आंटी से मिलने के बहाने प्रियंका के घर आ जाया करता था.

घर पहुंचते ही उस की नजरें प्रियंका की खोज में जुट जाती थीं. जब तक वह उसे देख नहीं लेता था, उस के मन को सुकून नहीं मिलता था.

प्रियंका संदीप की नजरों को पहचानती थी. वह उस से बेहद मोहब्बत करता था. वह भी चुपकेचुपके संदीप से प्यार करने लगी थी और अपने दिल के कोरे कागज पर अपने महबूब संदीप का नाम लिख लिया था.

मौका देख कर दोनों एकदूसरे से अपने प्यार का इजहार भी कर चुके थे. इश्क के रथ पर सवार मोहब्बत के शहजादे खुले आसमान में पंख फैलाए ऊंचीऊंची कुलांचे भर रहे थे. जल्द ही दोनों ने एक होने का फैसला कर लिया था.

दोनों ने की थी कोर्टमैरिज

फिर क्या था संदीप और प्रियंका ने घर वालों की मरजी के खिलाफ कोर्ट मैरिज कर ली. संदीप के घर वालों ने प्रियंका को अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया था, लेकिन प्रियंका के घर वालों ने बेटी से अपने संबंध हमेशा के लिए तोड़ लिए थे. प्रियंका को पा कर संदीप बेहद खुश था. खुश भला क्यों न हो, उस के मन की मुराद जो पूरी हुई थी.

आहिस्ताआहिस्ता दोनों के जीवन की गाड़ी पटरी पर चल रही थी. रिया और प्रिया नाम के 2 फूल उन की बगिया में खिल चुके थे. दोनों बेटियों को पा कर उन के जीवन की सारी मुरादें पूरी हो गई थीं. उन का जीवन खुशी से बीत रहा था. पता नहीं दोनों के खुशहाल जीवन में किस की बुरी नजर लगी कि उन के घर से सुख और चैन दोनों काफूर हो गए थे. कल तक एकदूसरे के बिना न रह पाने वाले प्रेमी से पतिपत्नी बने आज एकदूसरे के खून के प्यासे बन गए थे.

धीरेधीरे संदीप के सिर से प्रियंका के इश्क का भूत उतर चुका था. उस की जिंदगी में एक नई युवती दखल दे चुकी थी. दरअसल, हुआ यूं कि संदीप जहां नौकरी करता था, उसी के साथ रीवा जिले की रहने वाली रानी (परिवर्तित नाम) नाम की एक कुंवारी युवती भी पदस्थ थी. वह भी पटवारी थी. दोनों में गहरी दोस्ती थी. उस का दिल रानी पर आ गया था.

संदीप की जिंदगी में आई रानी

शाम को छुट्टी मिलते ही संदीप घर वापस लौट आता था. रात को खाना खाने के बाद वह अपना फोन ले कर छत पर चला जाता था. वहां इत्मीनान से घंटों तक रानी से बातें करता. देर रात 12-1 बजे के करीब कमरे में लौटता. ये संदीप का रोजाना का रुटीन बन चुका था. शुरू के दिनों में प्रियंका यही समझती रही कि औफिस के किसी साथी से जरूरी बात करते होंगे.

ये भी पढ़ें- हम खो जाएंगे : भाग 2

लेकिन जब महीनों तक यही रुटीन बन गया था तो प्रियंका को पति पर कुछ शक हुआ. उसे लगा कि दाल में कुछ काला है. यह बात दिमाग में आने के बाद से प्रियंका ने पति पर अपनी नजर पैनी कर दी थी. पति फोन ले कर जब भी रात में छत पर पहुंचता था, बिल्ली के मानिंद वह भी दबेपांव उस के पीछेपीछे हो लेती थी. आखिरकार उस की मेहनत रंग लाई.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

2 किरदारों का चरित्र : भाग 1

32 वर्षीय संदीप सिंह अपने परिवार सहित सतना जिले के कोलगवां थाना क्षेत्र के संतोषी माता मंदिर कालोनी में कैलाश गुप्ता के मकान में किराए पर रहता था. उस के परिवार में पत्नी प्रियंका सिंह और 2 बेटियां थीं. हालांकि संदीप मूलरूप से महादेवा बिहरा क्रमांक-1, सतना का रहने वाला था.

चूंकि वह पेशे से पटवारी था और सगौनी तहसील में पदस्थ था, गांव से नौकरी जानेआने में उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, इसीलिए उस ने शहर में किराए का कमरा ले लिया था ताकि नौकरी पर आराम से आजा सके.

ऐसा नहीं था कि संदीप का पत्नी और बच्चों के अलावा कोई और नहीं था. उस के मांबाप गांव में अपने पुश्तैनी मकान में अन्य बच्चों के परिवार के साथ रहते थे. वह भी सरकारी नौकरी से रिटायर्ड थे. इसलिए गांव में रहते थे. संदीप का जब भी मांबाप से मिलने का मन करता था, वह महीने में एकदो बार गांव जा कर उन से मिल कर उसी दिन वापस लौट आता था.  ऐसे में संदीप और उस के परिवार की जिंदगी मजे से कट रही थी.

ये भी पढ़ें- हिमानी का याराना

बात 31 मई, 2020 की है. संदीप और उस का परिवार रात 10 बजे खाना खा कर फारिग हुए तो प्रियंका बरतनों को साफ करने किचन में चली गई. उस ने दोनों बेटियों को खिलापिला कर पहले ही सुला दिया था. संदीप की पुरानी आदत थी कि वह रात का खाना खाने के बाद कम से कम एकडेढ़ घंटे टहलता जरूर था.

उस रात भी खाना खाने के बाद संदीप अपना फोन ले कर मकान की छत पर टहलने गया. वह ग्राउंड फ्लोर पर रहता था. उस समय रात के 11 बज रहे थे. प्रियंका जब किचन की साफसफाई कर के फारिग हुई तो दीवार घड़ी पर नजर दौड़ाई.

घड़ी में उस समय रात के 12 बज रहे थे. अकसर यही समय हो जाया करता था उसे किचन से फारिग होतेहोते.

दिन भर के कामों और 2-2 बच्चों की देखभाल करतेकरते प्रियंका बुरी तरह थक जाती थी. इस रात भी वह बुरी तरह थक गई थी. किचन से फारिग हो कर जैसे ही वह बिस्तर पर लेटी, उस की आंखें लग गईं. दु:स्वप्न देख अचानक प्रियंका की नींद टूटी तो वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गई. उस ने दीवार घड़ी पर नजर डाली, उस समय रात के 2 बज चुके थे. पति संदीप बिस्तर पर नहीं था.

पति को बिस्तर पर न पा कर प्रियंका हैरान रह गई. उस ने सोचा इतनी रात गए वह छत पर क्या रह रहे होंगे. वह पति को बुलाने छत पर गई तो देखा, पति छत पर नहीं थे. यह देख कर प्रियंका हैरान रह गई कि पति कमरे में नहीं हैं और छत पर भी नहीं हैं तो कहां चले गए. उस ने सोचा कहीं ऐसा तो नहीं कि टहलतेटहलते छत से नीचे गिर गए हों.

अपनी तसल्ली के लिए उस ने ऊपर छत से नीचे झांक कर देखा, लेकिन नीचे भी कुछ नहीं दिखाई दिया. यह सोच कर प्रियंका और भी हैरान थी कि रहस्यमय ढंग से पति कहां गायब हो गए. उस ने ऊपर से नीचे तक सब जगह देख लिया था. संदीप का कहीं पता नहीं चला तो वह बुरी तरह घबरा गई और मकान मालिक कैलाश गुप्ता को नींद से जगा कर पति के अचानक गायब हो जाने की बात बताई.

प्रियंका की बात सुन क र मकान मालिक गुप्ता की नींद उड़ गई थी कि वह अचानक से घर से कहां गायब हो सकता है? बड़ी हैरान कर देने वाली बात थी यह. मकान मालिक भी प्रियंका के साथ संदीप को ढूंढने में जुट गए.

नीचे से ऊपर तक एक बार फिर से दोनों ने संदीप को तलाशा, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. फिर दोनों उसे ढूंढते हुए मकान के पीछे यह सोच कर गए कि कहीं ऐसा तो नहीं कि छत के ऊपर से नीचे जा गिरा हो. टौर्च की रोशनी में दीवार से करीब 5-6 फीट दूरी छान मारी, फिर भी संदीप का कहीं पता नहीं चला. उधर प्रियंका पति को ढूंढतेढूंढते कुछ आगे बढ़ गई थी.

तभी अचानक प्रियंका के मुंह से जोर से चिल्लाने की आवाज आई. चिल्लाने की आवाज सुन कर कैलाश गुप्ता डर गए और उसी ओर दौड़े, जिस ओर से आवाज आई थी. देखा जमीन पर संदीप का शव पड़ा था. उस के सिर से खून बह रहा था. उस की लाश के पास खून से सना एक पत्थर पड़ा था. पास में ही उस का मोबाइल पड़ा था. प्रियंका पति के पास बैठ कर विलाप कर रही थी.

मामला बड़ा संदिग्ध लग रहा था. छत से गिर कर संदीप की मौत हुई थी, यही कह कर प्रियंका विलाप करती रही. पटवारी संदीप की छत से गिर कर मौत की खबर सुन कर पासपड़ोस के लोग रात में ही मौके पर जुटने लगे थे. प्रियंका ने ससुर छोटेलाल सिंह को फोन कर के पति के छत से गिर कर मौत हो जाने की सूचना दे दी थी. बेटे के मौत की खबर जैसे ही घर वालों को मिली, घर में कोहराम मच गया. सहसा किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि संदीप अब इस दुनिया में नहीं रहा.

संदीप की मौत की खबर मिलते ही छोटेलाल बेटों के साथ घटनास्थल पहुंचे. उस समय सुबह के 10 बज चुके थे. संदीप की लाश देख कर किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि उस की मौत छत से गिर कर हुई है. इसी बीच किसी ने घटना की सूचना कोलगवां थाने को दे दी.

घटना की सूचना पा कर कोलगवां थाने के इंसपेक्टर मोहित सक्सेना अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे. उन की टीम में एसआई शैलेंद्र सिंह, डी.आर. शर्मा, कांस्टेबल आर. बृजेश सिंह, देवेंद्र सेन और पुष्पेंद्र बागरी शामिल थे.

इंसपेक्टर मोहित सक्सेना ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. लाश के पास एक बड़ा पत्थर खून से सना पड़ा था. वहीं लाश के पास ही मृतक का मोबाइल फोन गिरा पड़ा था. जो बिल्कुल सहीसलामत था. मोबाइल पर खरोंच तक नहीं आई थी.

उस के बाद इंसपेक्टर सक्सेना ने मौके पर मौजूद मृतक की पत्नी प्रियंका, जिस का रोरो कर हाल बुरा हो रहा था और पिता छोटेलाल सिंह के बयान लिए. पत्नी प्रियंका ने छत से गिर कर पति की मौत होना बताया था.

ये भी पढ़ें- इश्किया आग : भाग 1

लाश की पोजिशन और घटनास्थल देख कर पता नहीं क्यों इंसपेक्टर सक्सेना मृतक की पत्नी का बयान पचा नहीं पा रहे थे. सब से आश्चर्य वाली बात तो ये थी मृतक करीब 28-30 फीट की ऊंचाई से जमीन पर गिरा था और उस की मौत हो गई थी. लेकिन उस के मोबाइल फोन पर खरोंच तक नहीं आई थी. ऐसे कैसे हो सकता था? यह बात उन के गले नहीं उतर रही थी.

उसी समय उन्होंने एसपी रियाज इकबाल, एएसपी गौरव सिंह सोलंकी, सीएसपी विजय प्रताप और एफएसएल टीम प्रभारी डा. महेंद्र सिंह को फोन कर के सूचना दे दी थी.

सूचना मिलने के थोड़ी देर बाद मौके पर सारे पुलिस अधिकारी पहुंच चुके थे. पुलिस अधिकारियों ने मौके का बारीकी से मुआयना किया. उन्हें भी पटवारी संदीप सिंह की मौत छत से गिरने से हुई हो, ऐसा नहीं लग रहा था. बल्कि यह हत्या का मामला लग रहा था. लेकिन यह बात पुलिस ने अपने तक ही सीमित रखी ताकि किसी को शक न हो, नहीं तो कातिल मौके का लाभ उठा कर फरार हो सकता था.

बहरहाल, पुलिस ने लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया और मौके से मृतक का मोबाइल फोन और खून सना पत्थर बतौर साक्ष्य अपने कब्जे में ले कर पुलिस थाने लौट आई थी.

पुलिस ने पटवारी संदीप सिंह की संदिग्ध मौत की जांच शुरू कर दी. फिलहाल न तो मृतक की पत्नी प्रियंका ने और न ही पिता छोटेलाल सिंह ने हत्या की कोई तहरीर पुलिस को दी.

पुलिस ने घटना को रीक्रिएट किया

2 जून, 2020 को एसपी रियाज इकबाल, एएसपी गौरव सिंह सोलंकी, सीएसपी विजय प्रताप, इंस्पेक्टर मनोज सक्सेना और एफएसएल प्रभारी डा. महेंद्र सिंह घटनास्थल पर पहुंचे और घटना का रीक्रिएशन किया. पुलिस अधिकारियों ने मृतक संदीप के वजन के बराबर एक डमी तैयार की और वह डमी उसी छत से धक्का दे कर नीचे गिराई. डमी दीवार से 5 फीट की दूरी पर जा कर गिरी. यह क्रिया उन्होंने 3 बार की थी. तीनों बार डमी 5 फीट की दूरी पर जा कर गिरी थी. जबकि संदीप की लाश दीवार से 15 फीट की दूरी पर मिली थी.

यह कैसे संभव हो सकता है. यह सोच कर पुलिस अधिकारियों का माथा ठनक गया. वैज्ञानिक तर्कों से भी यह सिद्ध हो गया कि संदीप की मौत छत से गिरने से नहीं बल्कि एक साजिश के तहत उस की हत्या की गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सिर में गहरी चोट के कारण मौत होने का उल्लेख था.

ये भी पढ़ें- जब मुरदे ने दे दी खुद की गवाही : अपराधी चाहे जितनी चालाकियां कर ले, कानून से नहीं बच सकता

अब तक की जांचपड़ताल से यह सिद्ध हो चुका था कि पटवारी संदीप सिंह की हत्या की गई थी. पुलिस को आश्चर्य तब हुआ जब मृतक संदीप सिंह और उस की पत्नी प्रियंका के फोन का काल डिटेल्स निकलवा कर अध्ययन किया गया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

2 किरदारों का चरित्र

इश्किया आग : भाग 2

लेखक- पी.एल. कश्यप

चूंकि ज्ञान सिंह और रामकुमार के गांवों में महज 3 किलोमीटर की दूरी थी. ज्ञान सिंह का रामकुमार के घर भी आनाजाना हो गया और धीरेधीरे रामकुमार ज्ञान सिंह का विश्वासपात्र बन गया.

इसी दौरान ज्ञान सिंह की नजरें रामकुमार की पत्नी कमला पर जा टिकीं. रामकुमार दिन में जब दूध ले कर शहर को निकल जाता तो ज्ञान सिंह दोपहर के वक्त कमला के घर में बैठ कर उस से घंटों बतियाता. दरअसल वह उस के मन को टटोला करता था.

कमला की नजरों ने ज्ञान सिंह के मन को भांप लिया कि वह क्या चाहता है. ज्ञान सिंह कमला को भाभी कहता था. उम्र में वह कमला से काफी छोटा था. इसलिए दोनों में नजदीकियां काफी बढ़ गईं. वक्तजरूरत पर ज्ञान सिंह ने पैसे से मदद कर कमला का मन जीत लिया था. धीरेधीरे वह भी उस की तरफ आकर्षित होने लगी और कमला का झुकाव ज्ञान सिंह की तरफ हो गया था. फिर दोनों में करीबी रिश्ता बन गया.

ये भी पढ़ें- धर्म की दोधारी तलवार : भाग 3

एक दिन कमला ने मौका देख कर ज्ञान सिंह से कहा, ‘‘तुम मेरे मकान के नजदीक खाली पड़े खंडहर में दूध की डेयरी का काम क्यों नहीं शुरू कर देते. तुम्हारे भाईसाहब को भी शिवपुरी मानपुर लाला से जा कर रोजाना दूध लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी और उन्हें भी आसानी हो जाएगी. समय निकाल कर मैं भी दूध की डेयरी पर हाथ बंटा दिया करूंगी. बच्चों का खर्च उठाने के लिए मुझे भी धंधा मिल जाएगा.’’

कमला की बात सुन कर ज्ञान सिंह हंसते हुए बोला, ‘‘अच्छा तो यह बात है. मैं अपने रिश्तेदार अंकित यादव से इस बारे में बात करूंगा.’’

ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू अंकित यादव का रिश्तेदार था. उस के अंकित के परिवार से अच्छे संबंध थे. ज्ञान सिंह ने अंकित के सामने यह प्रस्ताव रखा कि वह शिवपुरी बरा खेमपुर में दूध की डेयरी खोलना चाहता है. अंकित ने ज्ञान सिंह के प्रस्ताव को सुन कर हामी भर ली और शिवपुरी बरा खेमपुर में रामकुमार के आवास के पास ही दूध की डेयरी खोल ली और दूध के कारोबार की जिम्मेदारी कमला के पति रामकुमार को सौंप दी. कमला ज्ञान सिंह की इस पहल से काफी खुश थी.

गांव में दूध की डेयरी खुल जाने के बाद कमला और ज्ञान सिंह की नजदीकियां बढ़ गईं तो दोनों ने इस का भरपूर फायदा उठाया. रामकुमार भी पहले से अधिक ज्ञान सिंह की डेयरी पर समय बिताने लगा. रामकुमार ज्ञान सिंह की काली करतूतों से अनजान था. धीरेधीरे ज्ञान सिंह और कमला की नजदीकियों की चर्चा रामकुमार के कानों तक पहुंच गई.

पहले तो रामकुमार ने इन चर्चाओं पर विश्वास नहीं किया. उस ने कहा कि जब तक वह आंखों से देख नहीं लेगा, विश्वास नहीं करेगा. लेकिन फिर एक दिन कमला और ज्ञान सिंह को रामकुमार ने अपने ही घर में आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया.

उस समय रामकुमार कमला से कुछ नहीं बोला लेकिन रात का खाना खा कर रामकुमार ने फुरसत के क्षणों में कमला से पूछा, ‘‘क्यों, मैं जो कुछ सुन रहा हूं और जो कुछ मैं ने अपनी आंखों से देखा, वह सच है?’’

चतुर कमला ने दोटूक जवाब देते हुए ज्ञान सिंह से अपने संबंधों की बात नकार दी. लेकिन रामकुमार के मन में संदेह का बीज पनपते ही घर में कलह की नींव पड़ गई. धीरेधीरे उस का मन ज्ञान सिंह की डेयरी पर काम करने को ले कर उचटने लगा.

मन में दरार पड़ते ही उस ने ज्ञान सिंह से साफ कह दिया कि उस की पत्नी और उस के बीच जो कुछ भी चल रहा है, वह उस के जीवन में जहर घोल रहा है. उस ने ज्ञान सिंह से उस की डेयरी पर काम करने के लिए न केवल इनकार कर दिया, बल्कि ज्ञान सिंह की डेयरी पर काम भी छोड़ दिया. दोनों की दोस्ती कमला को ले कर दुश्मनी में बदल गई.

यह बात ज्ञान सिंह और कमला को अच्छी नहीं लगी. कमला ने पति से कहा कि उस ने ज्ञान सिंह का कारोबार छोड़ कर दुश्मनी मोल ले ली है, लेकिन रामकुमार ने उस की एक नहीं सुनी. इतना ही नहीं, उस ने पत्नी कमला पर दबाव बना कर पत्नी की तरफ से ज्ञान सिंह के खिलाफ थाना बख्शी का तालाब में एससी/एसटी एक्ट के तहत शिकायत दर्ज करवा दी. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद ज्ञान सिंह की बदनामी हुई तो कुछ लोगों ने गांव में ही दोनों का फैसला करा दिया.

ज्ञान सिंह की दूध की डेयरी पर काम बंद करने एवं थाने में शिकायत दर्ज कराने को ले कर ज्ञान सिंह के मन में काफी खटास पैदा हो गई थी. दूसरे, दूध की डेयरी की जिम्मेदारी भी ज्ञान सिंह पर स्वयं आ पड़ी. रामकुमार ने भी अपनी मेहनतमजदूरी के वास्ते शहर जा कर काम ढूंढ लिया.

पुलिस की जानकारी में आया कि एक बार ज्ञान सिंह ने शहर के एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा रामकुमार पर हमला करवा दिया था. उस दिन से रामकुमार और ज्ञान सिंह दोनों एकदूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए. उस दिन घर लौट कर रामकुमार ने कमला को खूब खरीखोटी सुनाई थी.

रामकुमार ने कमला को हिदायत देते हुए ज्ञान सिंह ने दूर रहने की चेतावनी दे दी. ऐसा न करने पर उस ने अंजाम भुगतने की धमकी भी दी. लेकिन दोनों में से कोई भी रामकुमार की हिदायतों को मानने के लिए तैयार नहीं था.

इधर कमला की भी मजबूरी थी. वह ज्ञान सिंह द्वारा वक्तवक्त पर आर्थिक मदद के कारण उस के दबाव और अहसानों से दबती चली गई. रामकुमार इस बात से बिलकुल अंजान था. कमला ने ज्ञान सिंह से ली हुई रकम को चुकता करने के लिए डेयरी पर आनेजाने का सिलसिला जारी रखा.

वह चाहती थी कि ज्ञान सिंह की दूध की डेयरी पर अधिक से अधिक दिनों तक काम कर के उस की ली हुई आर्थिक मदद में उधार की रकम की देनदारी को चुकता कर दे.

ये भी पढ़ें- विधायक का खूनी पंजा

रामकुमार को कमला का उस की डेयरी पर आनाजाना बिलकुल नहीं भाता था. लेकिन कमला ने पति की चिंता नहीं की. वह पति से ज्यादा प्रेमी ज्ञान सिंह को चाहती थी. इस की एक वजह यह थी कि ज्ञान सिंह उच्च जाति का धनवान व्यक्ति था. रामकुमार से अनबन कर लेने पर उसे कोई नुकसान नहीं था, लेकिन ज्ञान सिंह से अलग हो जाने पर गृहस्थी का सारा खेल बिगड़ सकता था.

इसी वजह से कमला ने ज्ञान सिंह से मिलनाजुलना जारी रखा. रामकुमार मन ही मन कुढ़ता रहता और रोजाना घर में कलह होती रहती. पति के चाहते हुए भी कमला ज्ञान सिंह को अपनी जिंदगी से दूर करने का विकल्प नहीं ढूंढ पा रही थी.

ज्ञान सिंह ने एक दिन कमला से कहा, ‘‘भाभी, पानी सिर से ऊपर हो चुका है. अब एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं. तुम ही बताओ कुछ न कुछ तो करना होगा.’’

कमला ने कहा, ‘‘तुम ही बताओ, कौन सा रास्ता निकाला जाए.’’

ज्ञान सिंह ने कमला से मिल कर अपने मन की छिपी हुई बात बताते हुए कहा कि तुम्हारे पास मेरी जो 20 हजार रुपए की रकम है, वह तुम्हें वापस करनी थी. उन में से अब 13 हजार रुपए देने होंगे और रामकुमार को किराए के लोगों से बुला कर शाम के समय लखनऊ से गांव लौटते समय रास्ते से हटा देंगे.

इस प्रस्ताव को सुन कर कमला भी खुश हो गई. उस ने ज्ञान सिंह को रजामंदी दे दी, फिर ज्ञान सिंह ने कमला के साथ मिल कर षडयंत्रपूर्वक एक योजना बना ली. तब ज्ञान सिंह ने कमला के पति रामकुमार को रास्ते से हटाने के लिए अंकित यादव को इस वारदात के लिए राजी कर लिया. ज्ञान सिंह ने उस से और किराए के आदमी जुटाने को कहा.

तब अंकित यादव ने रामकुमार की हत्या के लिए 20 हजार रुपए में सौदेबाजी पक्की कर ली. इस काम के लिए उस ने राजा, निवासी बरगदी, के.डी. उर्फ कुलदीप सिंह निवासी बख्शी का तालाब, उत्तम कुमार निवासी अस्ती रोड, गांव मूसानगर को तैयार किया.

राजा के कहने पर कमला और ज्ञान सिंह ने 13 हजार रुपए अंकित यादव को सौंप दिए और 7 हजार रुपए काम हो जाने के बाद देने का वादा कर लिया गया.

सभी ने तय किया कि 25 दिसंबर, 2019 को लखनऊ से आते समय भखरामऊ गोलइया मोड़ पर रामकुमार की हत्या को अंजाम दिया जाएगा. योजना के अनुसार 25 दिसंबर, 2019 की शाम को के.डी. सिंह के साथ राजा और उस के साथी पहुंच गए. राजा ने रामकुमार पर बाइक से आते समय तमंचे से हमला कर दिया. उस समय बाइक रामकुमार स्वयं चला रहा था और उस का भतीजा मतोले पीछे बैठा हुआ था.

ये भी पढ़ें- अपराधी आगे आगे, पुलिस पीछे पीछे

पुलिस को अभी 2 अभियुक्तों राजा व कुलदीप सिंह की तलाश थी. पुलिस द्वारा मुखबिरों का जाल फैला दिया गया था. मुखबिर की सूचना पर 3 जनवरी, 2020 को राजा व कुलदीप दोनों को मय तमंचे और बाइक के साथ गिरफ्तार कर लिया गया. राजा ने पुलिस के साथ जा कर हमले में उपयोग किया गया तमंचा बरामद करा दिया. पुलिस ने अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

इश्किया आग : भाग 1

लेखक- पी.एल. कश्यप

शाम के यही कोई 6 बजे थे. धुंधलका उतर आया था. लखनऊ से सीतापुर जाने वाले मार्ग पर एक कस्बा है बख्शी का तालाब. इसी कस्बे से शिवपुरी बराखेमपुर गांव को एक रोड जाती है. सायंकाल का वक्त होने के कारण वह रोड सुनसान थी.

अचानक गुडंबा की तरफ से आ रही एक बाइक गोलइया मोड़ पर आ कर रुकी. बाइक पर 3 व्यक्ति सवार थे. वे सड़क किनारे खड़े हो कर किसी के आने का इंतजार करने लगे. कुछ देर के बाद सामने से एक बाइक आती हुई दिखाई दी, जिस पर 2 लोग बैठे थे.

इस से पहले कि मामला कुछ समझ में आता कि सड़क किनारे खड़े उन तीनों व्यक्तियों में से एक ने सामने से आती हुई उस बाइक को रोका. उस बाइक पर रामकुमार और उस का भतीजा मतोले बैठे थे, जो शिवपुरी बराखेमपुर में रहते थे.

ये भी पढ़ें- अपराधी आगे आगे, पुलिस पीछे पीछे

जैसे ही रामकुमार ने बाइक की गति धीमी की, तभी उन तीनों में से एक व्यक्ति ने तमंचे से फायर कर दिया. गोली बाइक रामकुमार के लगी जिस से बाइक सहित वे दोनों लड़खड़ा कर गिर पड़े. उन के गिरते ही तीनों हमलावर घटनास्थल से फरार हो गए. यह घटना 25 दिसंबर, 2019 की है.

रात काफी हो गई थी. मतोले ने उसी समय फोन कर के यह सूचना रामकुमार की पत्नी कमला को देते हुए कहा, ‘‘चाची, ज्ञानू ने अपने 2 साथियों राजा व अंकित के साथ चाचा रामकुमार पर हमला कर दिया है. उन के पेट में गोली लगी है. चाचा गोलइया मोड़ के पास घायल पड़े हैं.’’

यह खबर सुनते ही कमला फफक कर रो पड़ी. उस ने अपने जेठ यानी मतोले के पिता जयकरण व देवर दिनेश व अन्य परिवारजनों को यह जानकारी दे दी.

घटनास्थल गांव से 4-5 सौ मीटर की दूरी पर था. इसलिए जल्द ही परिवार व मोहल्ले वाले घटनास्थल पर पहुंच गए. परिवारजन घायल रामकुमार कोे बाइक से बख्शी के तालाब तक ले आए, फिर वहां से वाहन द्वारा लखनऊ के केजीएमयू मैडिकल अस्पताल ले गए.

रामकुमार की हालत गंभीर थी. उस के पेट में गोली लगने से खून ज्यादा मात्रा में बह चुका था, डाक्टरों की लाख कोशिशों के बाद भी रामकुमार को बचाया नहीं जा सका. मैडिकल कालेज में उपचार के दौरान उस की मृत्यु हो गई.

चूंकि मामला हत्या का था, इसलिए अस्पताल प्रशासन ने इस की सूचना स्थानीय थाना बख्शी का तालाब में दे दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी बृजेश सिंह, एसएसआई कुलदीप कुमार सिंह और एसआई योगेंद्र कुमार, अवनीश कुमार और सिपाही नितेश मिश्रा के साथ मैडिकल कालेज जा पहुंचे.

डाक्टरों से बातचीत करने के बाद उन्होंने मृतक के परिजनों से पूछताछ की तो मतोले ने थानाप्रभारी को हमलावरों के नाम भी बता दिए. जरूरी काररवाई करने के बाद पुलिस ने रामकुमार का शव अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिया. इस के बाद थानाप्रभारी रात में ही घटनास्थल पर पहुंच गए. रोशनी की व्यवस्था कर उन्होंने घटनास्थल से खून आलूदा मिट्टी से सबूत एकत्र किए.

अगले दिन 26 दिसंबर, 2019 को पोस्टमार्टम होने के बाद रामकुमार का शव उस के परिजनों को सौंप दिया. अंतिम संस्कार के बाद थानाप्रभारी ने रामकुमार की पत्नी कमला की ओर से ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू और राजा के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 120बी व एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. चूंकि मुकदमे में एससी/एसटी एक्ट की धारा भी लगी थी, इसलिए इस की जांच की जिम्मेदारी सीओ स्वतंत्र सिंह ने संभाली.

पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि मृतक की पत्नी कमला का चरित्र ठीक नहीं था, इसलिए पुलिस ने कमला का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया और उस से ज्ञान सिंह यादव का फोन नंबर भी प्राप्त कर लिया. पुलिस ने उन के नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई.

घटना का चश्मदीद मृतक का भतीजा मतोले था, पूछताछ करने पर मतोले ने पुलिस को बताया कि पड़ोस की दूध की डेयरी पर काम करने वाले ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू ने उस से कई बार कहा कि तुम शहर में कामधंधे के लिए अपने चाचा रामकुमार के साथ न जाया करो, क्योंकि तुम्हारे चाचा से मेरी रंजिश चल रही है. उस ने अपने दोस्तों के साथ घेर कर चाचा को गोली मार दी.

ये भी पढ़ें- हम खो जाएंगे

उधर पुलिस ने कमला और ज्ञान सिंह के फोन नंबरों की काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो इस बात की पुष्टि हो गई कि कमला और ज्ञान सिंह के बीच दाल में कुछ काला अवश्य है.

एसएसआई कुलदीप सिंह ने इस बारे में मतोले से पूछा तो उस ने हां में सिर हिला दिया. ऐसे में कमला से पूछताछ करनी जरूरी थी. इसलिए 26 दिसंबर, 2019 की शाम एसएसआई कुलदीप सिंह अपने सहयोगियों एसआई अवनीश कुमार, हंसराज, महिला सिपाही श्रद्धा शंखधार, नेहा शर्मा को साथ ले कर कमला के घर पहुंचे. रात में पुलिस को अपने घर आया देख कर कमला सकपका गई. उस के चेहरे का रंग उतर गया. उस ने पूछा, ‘‘दरोगाजी, इतनी रात को घर आने का क्या मकसद है?’’

‘‘मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू से तुम्हारे पति रामकुमार की कोई रंजिश थी? मुझे पता चला है कि तुम्हारे पति पर ज्ञान सिंह ने ही भाड़े के लोगों के साथ हमला कराया था. पुलिस उसी की तलाश में गांव आई है.’’ एसएसआई ने कहा.

यह कह कर एसएसआई ने कमला के दिमाग से शक का कीड़ा निकाल दिया, ताकि उसे लगे कि वह पुलिस के शक के दायरे में नहीं है. इस केस की जांच में सहयोग करने के लिए तुम्हें कल सुबह थाने आना होगा. इस पूछताछ में पुलिस को ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू व अंकित यादव के खिलाफ कुछ और तथ्य मिल गए.

अगले दिन पुलिस टीम ज्ञान सिंह यादव उर्फ ज्ञानू, अंकित आदि की तलाश में उन के घर गई तो वे घरों पर नहीं मिले. पता चला कि कमला भी अपने घर से फरार हो गई है. इस से पुलिस को पूरा विश्वास हो गया कि ये लोग इस अपराध से जुड़े हैं. इसलिए पुलिस ने तीनों के पीछे मुखबिर लगा दिए.

मुखबिरों द्वारा पुलिस को पता चला कि कमला अपने प्रेमी ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू व उस के दोस्त अंकित यादव के साथ फरार होने के लिए गांव से निकल कर भगतपुरवा तिराहा, भाखामऊ रोड पर खड़ी है. कुछ ही देर में थाना बख्शी का तालाब से एक पुलिस टीम वहां पहुंच गई. वहीं से पुलिस ने कमला, ज्ञान सिंह और अंकित को गिरफ्तार कर लिया.

एक मुखबिर की सूचना पर एक अन्य आरोपी उत्तम कुमार को भैसामऊ क्रौसिंग से एक तमंचे व 2 कारतूस सहित गिरफ्तार कर लिया गया.

थाने पहुंच कर कमला निडरता के साथ बोली, ‘‘दरोगाजी, हमें थाने बुला कर काहे बारबार परेशान कर रहे हैं.’’

इतना सुनते ही थानाप्रभारी बृजेश कुमार सिंह ने महिला सिपाही नेहा शर्मा और सिपाही शंखधार को बुला कर कहा, ‘‘इस औरत को हिरासत में ले लो. एक तो इस ने अपने प्रेमी के साथ मिल कर अपने पति की हत्या करने की साजिश रची और ऊपर से स्वयं पतिव्रता बनने का नाटक कर रही है.’’

थानाप्रभारी ने हंसते हुए कमला से कहा, ‘‘परेशान न हो शाम तक तुम्हें घर वापस भेज दिया जाएगा. कुछ अधिकारी यहां आ रहे हैं, तुम उन्हें सचसच बता देना.’’

सीओ स्वतंत्र सिंह भी जांच हेतु थाने पहुंच गए. सूचना पा कर एसपी (ग्रामीण) आदित्य लंगेह भी थाना बख्शी का तालाब आ पहुंचे. चारों आरोपियों को अधिकारियों के सामने पेश किया गया.

चारों आरोपियों ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि कमला के गांव के ही निवासी ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू से अवैध संबंध थे. उन्होंने ही रामकुमार को ठिकाने लगाया था. उन चारों से हुई पूछताछ के आधार पर रामकुमार हत्याकांड की गुत्थी सुलझ गई.

पूछताछ में कमला और ज्ञान सिंह के अवैध संबंधों की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार है—

लखनऊ से 20 किलोमीटर दूर लखनऊ-सीतापुर राजमार्ग के किनारे तहसील बख्शी का तालाब है. इसी क्षेत्र में गांव शिवपुरी बरा खेमपुर है. रामकुमार रावत का परिवार इसी गांव में रहता था.

रामकुमार रावत अपने परिवार में सब से बड़ा था. उस के अन्य 2 भाई दिनेश (35 साल) व राजेश (30 साल) थे. रामकुमार का विवाह करीब 15 साल पहले मूसानगर के निकट कुरसी गांव की रहने वाले शिवचरण रावत की बेटी कमला के साथ हुआ था. उस के 2 बच्चे थे. रामकुमार लखनऊ के आसपास कामधंधे की तलाश में जाता रहता था.

ये भी पढ़ें- धर्म की दोधारी तलवार : भाग 3

उस के पड़ोस में ही ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू रहता था, जो मूलरूप से शिवपुरी मानपुर लाला, थाना बख्शी का तालाब का रहने वाला था. ज्ञान सिंह अविवाहित था. रामकुमार की पत्नी कमला की उम्र लगभग 40 वर्ष के आसपास रही होगी. कमला की एक बहन रामप्यारी शिवपुरी मानपुर लाला में रहती थी. निकटवर्ती रिश्तेदारी होने के कारण कमला का अपनी बहन के गांव शिवपुरी मानपुर लाला अकसर आनाजाना लगा रहता था.

ज्ञान सिंह उर्फ ज्ञानू अपने गांव में दूध की डेयरी का काम करता था. वह रोजाना अपने गांव से दूध इकट्ठा कर बाइक से बख्शी का तालाब कस्बे में बेचने के लिए आताजाता था. कमला की बहन रामप्यारी के कहने पर ज्ञान सिंह ने कमला के पति रामकुमार को अपने साथ दूध के काम पर लगा दिया.

इस के बाद दूध इकट्ठा करने का काम रामकुमार करने लगा. बाद में वह दूध बेचने के लिए लखनऊ व निकटवर्ती इलाकों में निकल जाता था और दूध बेच कर शाम तक अपने गांव शिवपुरी बराखेमपुर लौट आता था. रामकुमार की दिन भर की यही दिनचर्या थी. इस तरह कई सालों तक रामकुमार ज्ञान सिंह के साथ रह कर दूध बेचने का काम करता रहा.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

जब मुरदे ने दे दी खुद की गवाही : अपराधी चाहे जितनी चालाकियां कर ले, कानून से नहीं बच सकता

अपराधी चाहे जितना शातिर हो, अपराध करते समय वह कितने ही हथकंडे अपना ले, कानून की नजरों से न बच सकता है न छिप सकता है.

हाल ही में एक ऐसी ही घटना घटी जिस पर यकीन करना एकबारगी कठिन लगता है.

जमीन संबंधी विवाद

घटना बिहार के बक्सर जिले की है, जहां रामधनी नाम का एक शख्स मठिया मोङ पर लिट्टी बेच कर घर चलाता था. जगह भीङभाङ वाली थी, इसलिए उसे दिनभर में अच्छी आमदनी हो जाती थी.

ये भी पढ़ें- अपराधी आगे आगे, पुलिस पीछे पीछे

वह अपने इस व्यवसाय को बढ़ाने की सोच रहा था और इसीलिए उस ने सोचा कि क्यों न वह जमीन का एक टुकड़ा बेच कर कारोबार बढ़ाने में लगा दे.

उस ने अपने जमीन के एक टुकङे को बेचा तो यह बात उस के विरोधियों को खटकने लगी. इस पर अच्छाखासा विवाद भी शुरू हो गया.

इस विवाद से छुटकारा पाने के लिए उस ने अपने विरोधियों से बातचीत करनी चाही और एक सुबह उन से मिलने पहुंच गया.

हत्या कर कब्र में दफना दिया

मगर विरोधियों ने इस दौरान न सिर्फ  उस की हत्या कर दी, बल्कि पेशेवर तरीके से लाश को जमीन में दफना दिया. लाश सङ कर जल्दी जमीन में जल्द मिल जाए इस के लिए अपराधियों ने कब्र में नमक भी डाल दिया.

उधर सुबह का निकला रामधनी घर नहीं लौटा तो घर वालों को इस बात की चिंता हुई.

घर वालों ने पुलिस को घटना के बारे में बताया और कहा कि रामधनी घर नहीं लौटा है. पुलिस को बताने के बाद वे जगहजगह उसे ढूंढ़ने भी निकल पङे लेकिन रामधनी जीवित हो तब तो मिलता.

ढूंढ़ने के दौरान ही घर वाले एक कब्रिस्तान पहुंचे तो वहां देखा कि एक मुरदे का पैर कब्र से बाहर है. घर वालों ने पैर को तुरंत पहचान लिया. कब्र में रामधनी की लाश पङी थी.

ये भी पढ़ें- हम खो जाएंगे

घटना की सूचना पुलिस को दी गई. पुलिस ने शव को कब्र से निकाला और जरूरी तफ्तीश शुरू कर दी.

ऐसे मिला सुराग

दरअसल, मौनसून के दिनों वहां तेज बारिश हो रही थी और इस बारिश में मिट्टी बही तो मुरदे का एक पैर कब्र से बाहर आ गया. घर वालों ने तुरंत उस की पहचान कर पुलिस में सूचना दी.

खबरों की मानें तो पुलिस को हत्या करने वालों का सुराग मिल गया है और जल्दी ही सभी अपराधी पुलिस गिरफ्त में होंगे.

रामधनी की हत्या से लोगों में गुस्सा तो है पर वे मानते हैं कि मर कर भी रामधनी ने अपनी मौत की गवाही दे दी और पुलिस को सुराग भी ताकि जल्द ही हत्यारों पर कानूनी काररवाई हो.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें