समाज में फैली कई बुराइयों की लत लोगों में इस कदर हावी है कि उन्हें अच्छे बुरे कामों में अंतर नहीं दिखता. जुआं,सट्टा और लाटरी का खेल हो या शराब, गांजा, स्मैक का नशा हो, इनकी लत जिसे पड़ जाए, उसे इंसान से शैतान बनने में देर नहीं लगती. नशे के आदी हो चुके लोगों को यदि नशा करने नहीं मिलता,तो उसे पाने के लिए वे किसी भी हद तक चले जाते हैं. नशे की लत का शिकार हुए लोगों को अपने घर परिवार या रिश्तों की कोई फ़िक्र नहीं होती.नशे के लिए अपने घर के वर्तन और बहु वेटियों की इज्जत तक नीलाम कर देते हैं.
एक यैसी ही घटना हाल ही में मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में हुई है, जिसमें नशे की आदत के चलते कर्ज में डूबे एक जीजा ने अपने सगे साले का कत्ल कर दिया.
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नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर छोटे से गांव भैंसा पाला में रहने वाले किसान सुरेश पटेल के पास भी 20 एकड़ ज़मीन है. अपनी जमीन पर गन्ना,धान और गेहूं जैसी फसलों का उत्पादन करने वाले सुरेश की माली हालत भी अच्छी है. सुरेश के छोटे से परिवार में 28 साल का एक लड़का विनय और एक 25 साल की वेटी का बिबाह आज से 4 साल पहले पास के ही नबलगांव के प्रदीप कुमार लोधी के साथ हुआ था. 30 साल का प्रदीप ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के तहत रोजगार सहायक की नौकरी करता था.लेकिन शराब पीने , और जुआं खेलने के शौक की वजह से अपनी महिने भर की पगार उसे कम पड़ने लगी थी. प्रदीप के जब बच्चे हो गये तो यैसे में उसकी पत्नी उसे शराब छोड़ने और दो पैसे बचाकर रखने की नसीहत देने लगी .,लेकिन प्रदीप शराब और कबाब को छोड़ने तैयार नहीं था.
गरीब मजदूरों को काम देने के लिए चलने वाली मनरेगा योजना की निगरानी के लिए नियुक्त प्रदीप ने करीब एक साल पहले फर्जी अगूंठा लगाकर मजदूरों की लाखों रुपए की मजदूरी हड़प ली थी . गांव के मजदूरों ने इसकी शिकायत जनपद और जिला पंचायत में कर दी .जिला पंचायत के अधिकारियों ने जांच में प्रदीप को सरकारी रकम के गबन के आरोप में नौकरी से निकाल दिया. सरकारी नौकरी से निकाले जाने के बाद वह परेशान रहने लगा.
भैंसा पाला गांव से महज 5 किमी दूर नबलगांव में रहने वाले प्रदीप लोधी के पिता एक छोटे से किसान है,जिनके पास 5-6 एकड़ जमीन है.रोजगार सहायक के पद पर कार्यरत प्रदीप लोधी पर गबन का मामला कायम होने से जब नौकरी हाथ से चली गयी तो शराब और जुआं का शौकीन प्रदीप गांव के लोगों से कर्ज लेकर अपने शौक पूरे करने लगा. नौकरी से बहाली के लिए गबन की रकम भरने के लिए लाखों रुपए की उसे जरूरत थी. वह रात दिन इसी उधेड़बुन में लगा रहता कि पैसों का इंतजाम किस तरह करे और नौकरी से बहाल हो जाए. एक दिन अपने दोस्त पवन के साथ शराब पी रहे प्रदीप के शातिर दिमाग में एक आइडिया आया.
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प्रदीप का साला विनय ग्राम भैसा से लगी करीव 20 एकड कृषि भूमि का अकेला मालिक था. जिसकी कीमत आज करोड़ों रुपए है. प्रदीप ने सोचा कि यदि विनय को रास्ते से हटा दिया जाए, तो ससुराल की 20 एकड़ जमीन में से आधा हिस्से की 10 एकड़ जमीन उसकी पत्नी को मिल जाएगी और उसकी तंगहाली हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जायेगी. प्रदीप ने इस काम में मदद के लिए अपने मित्र पवन को तैयार कर लिया . पवन नबलगांव में ही एक छोटी सी दुकान चलाता था. लेकिन मंहगे मोबाइल और शराब ,कबाब के शौकीन पवन के शौक उस दुकान की आमदनी से पूरे नहीं हो रहे थे. प्रदीप ने पवन सेन को 20 लाख रूपये देने का लालच दिया तो वह इस काम के लिए जल्द ही तैयार हो गया. दोनों ने उसी रात विनय की हत्या करने की प्लानिंग बनाई. पहले तो पवन ने अपने एक परिचित से एक देशी कट्टा (पिस्टल)का जुगाड किया.फिर 22 जुलाई 2020 को अचानक प्रदीप ने साले विनय को फोन करके बताया कि आज पार्टी होगी ,तुम अपने खेत पर मिलना . चूंकि इसके पहले भी इस तरह की पार्टियां होती रहती थी, इसलिए विनय ने भी जीजा की खातिरदारी के लिए हामी भर दी.घटना वाले दिन शाम को प्रदीप और पवन मोटरसाइकिल पर सवार होकर नरसिंहपुर गये, जहां शराब की दुकान से दो बोतल और मीट मार्केट से मटन लेकर सीधे विनय के खेत पर बने नलकूप पर पहुंच गये.
योजना के अनुसार वहां शराब पीने और मीट खाने के बाद बातों के दौरान ही प्रदीप ने पहले से लोड किये गये देशी कट्टे से गोली चला दी,जो विनय को नाक और आंख के बीच लगी.
गोली लगते ही कुछ समय वह तड़फड़ाता रहा. जब दोनों को यकीन हो गया कि विनय की मौत हो चुकी है,तो दोनों रात के अंधेरे में ही मोटर साइकिल से अपने गांव बापस आ गये.
सुबह जब विनय की मौत की खबर ससुराल से मिली तो पत्नी को लेकर ससुराल पहुंच गया. प्रदीप ससुराल में विनय की मौत पर दुखी होने का ढोंग करता रहा और पोस्ट मार्टम से लेकर अंतिम क्रिया कर्म में शामिल रहकर पुलिस की गतिविधियों पर नजर भी रखता रहा.
कहते हैं कि कानून के लंबे हाथ अपराधी को पकड़ ही लेते हैं , इसलिए प्रदीप भी पुलिस की निगाह से बच न सका.पुलिस को गांव वालों से पूछताछ में पता चला कि वह घटना वाले दिन विनय के खेत पर दिखा था.
विनय की मौत के बाद प्रदीप अपनी पत्नी के साथ अपनी ससुराल में ही मौजूद था.इसलिए पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो पहले तो वह पूरी घटना से अनजान बना रहा.लेकिन पुलिस थाने में बुलाकर जब प्रदीप और पवन से कड़ाई से पूछताछ की गई तो दोनों ने विनय की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया . जमीन हड़पने और रूपए पैसों के लालच में अपने इकलौते साले विनय की हत्या का मास्टर माइंड विनय की बहिन का सुहाग प्रदीप लोधी ही निकला. जिसने भी इस खुलासे को सुना, वह अबाक रह गया. एक भाई ने जिस बहिन को हंसी खुशी बैंण्ड-बाजों के साथ अपने पति के घर विदा किया था, उसी पति ने अपनी पत्नी के भाई को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला कर दिया.
यह कहानी बताती है कि शराब और कबाब के शौक ने किस तरह दो युवकों को अपराधी बना दिया. एक शराबी पति के द्वारा अपने ससुराल की जमीन पाने के लिए अपने इकलौते साले की हत्या कर दी गई .वह भी उस समय जब कि महज कुछ दिन बाद भाई बहिन के पवित्र रिश्ते को रेशम की डोर से कई जन्मों तक बांधे रखने के लिए बहिन अपनी रक्षा की कामना भाई से करते हुऐ उसे राखी बांधती है और इस रेशम की डोर से अपनी रक्षा की दीवार को मजबूत करने का भरोसा भाई से रखती है. लेकिन रक्षाबंधन आने के पहले ही लोभ की सारी हदें पार करते हुए अपनी गंदी हसरतों, नशा की लतों को पूरा करने के लिए खुद अपनी ही पत्नी के इकलौते भाई का ही खून कर दिया.
आज भी समाज का एक बड़ा तबका दिन रात हाड़ तोड़ मेहनत,मजदूरी करके रूपए तो कमाता है, लेकिन घर पहुंचने के पहले आधे रूपयों की शराब पी जाता है. घर में बीबी , बच्चे इंतजार करते हैं कि परिवार का मुखिया राशन पानी लेकर आयेगा, लेकिन नशे में धुत ये मुखिया घर जाकर बीबी , बच्चों के साथ मारपीट करता है. नशे की लत में पड़े हुए यैसे लोग जघन्य अपराध करके जेल पहुंच जाते हैं और बीबी बच्चों को यतीम होकर रहना पड़ता है.
दरअसल यैसे लोगों को नशा परोसने में सरकार चलाने वाले नेताओं का योगदान कम नहीं है. चुनाव के बक्त वोट हासिल करने के लिए इन्हें मुफ्त में शराब , कबाब और रूपए बांटने वाले नेता ही इन्हें आगे के लिए मुफ्त खोरी की लत लगा देते हैं.
आज भी समाज में कुछ लोग जो नशे की लत से दूर हैं,वे अपना जीवन खुशियों के संग जी रहे हैं.नशे का जहर पूरे परिवार के जीवन को तहस नहस कर देता है और पूरी उम्र रुपए पैसों की तंगहाली झेलना पड़ती है.