डर्टी फिल्मों का चक्रव्यूह : भाग 3

साइबर सेल पुलिस ने जेल में बंद गजेंद्र का अदालत से प्रोडक्शन वारंट हासिल करने की प्रक्रिया शुरू की, ताकि उस से पोर्न फिल्मों के मामले में पूछताछ की जा सके.

लगातार भागदौड़ के बीच, साइबर सेल पुलिस ने 10 अगस्त को गिरोह के सरगना ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया. वह इस मामले में अग्रिम जमानत के प्रयास में इंदौर आया था, तभी पुलिस को सूचना मिल गई और उसे पकड़ लिया गया. दूसरी ओर, गजेंद्र उर्फ गज्जू उर्फ गोवर्धन चंद्रावत को जेल से प्रोडक्शन वारंट के तहत रिमांड पर लिया गया.

ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर से पूछताछ में पता चला कि वह मूलरूप से दमोह का रहने वाला है. बीबीए और एमबीए तक शिक्षित ब्रजेंद्र 2011 में इंदौर आया था. पहले वह इंदौर में बौंबे हौस्पिटल के पीछे एक गेस्टहाउस में रहता था. बाद में टाउनशिप व पौश कालोनियों में किराए पर रहा.

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इस दौरान ब्रजेंद्र की मुलाकात भोपाल के राजीव सक्सेना से हुई. राजीव एक सीरियल बना रहा था. उस ने ब्रजेंद्र को अपनी प्रोडक्शन कंपनी में मैनेजर रख लिया. यहां से उस ने फिल्म व सीरियल बनाने का अनुभव प्राप्त किया. राजीव ने कुछ महीने तक काम कराने के बाद ब्रजेंद्र को उस के मेहनताने का एक रुपया भी नहीं दिया और भोपाल चला गया.

2014 में उस ने बिपाशा बसु के साथ एक फिल्म में साइड रोल किया था. इस के अलावा एक हौलीवुड फिल्म में भी उसे छोटा सा रोल मिला था. एक वीडियो एलबम अजब इश्क में शान ने एक गाना गाया था, उस का पिक्चराइजेशन ब्रजेंद्र ने किया था. फिल्मों के सिलसिले में वह मुंबई आताजाता रहता था. इस दौरान उस के कई डायरेक्टर, प्रोड्यूसरों से अच्छे संपर्क बन गए थे, लेकिन फिल्मों में उसे अच्छा मुकाम नहीं मिल पाया था.

खुद डायरेक्टर बनने की ठानी

आखिर ब्रजेंद्र ने खुद ही फिल्म डायरेक्टर बनने की बात सोची. उस ने खुद का प्रोडक्शन हाउस बना लिया. 2015 में ब्रजेंद्र ने मुंबई के अंधेरी स्थित रजिस्ट्रेशन औफिस में स्टार फिल्म्स के नाम से एक कंपनी रजिस्टर्ड करवाई थी. उस ने परिवर्तन नाम से एक सीरियल भी बनाया. कुछ वीडियो सौंग्स भी शूट किए.

उस ने ‘द डेट’ नाम की एक फिल्म भी बनाई, लेकिन उस की क्वालिटी अच्छी नहीं होने से कोई खरीदार नहीं मिला. अच्छी क्वालिटी की फिल्म बनाने के लिए करोड़ों रुपए की जरूरत होती है. इतना पैसा ब्रजेंद्र के पास नहीं था.

ब्रजेंद्र के इंदौर में कई ऐसे लोगों से संपर्क हो गए थे, जो मौडलिंग, फैशन शो और विज्ञापन के लिए कलाकार व कास्टिंग का काम करते थे.

इन के माध्यम से वह उभरती मौडल्स को अपने जाल में फांसता. खुद को मुंबई का डायरेक्टर, प्रौड्यूसर बता कर मौडल्स को वेब सीरीज व सीरियल में काम दिलाने के नाम पर इंदौर बुलाता.

फिर आलीशान बंगलों व फार्महाउसों में बोल्ड सीन के नाम पर अश्लील फिल्म शूट कर ली जाती. शूटिंग के दौरान हालांकि वह मौडल को इस बात का विश्वास दिलाता था कि शूट किए गए अश्लील सीन एडिटिंग में हटा दिए जाएंगे, लेकिन वह ऐसा करता नहीं था. फिल्मों के फाइनेंसर और बंगलों व फार्महाउस के मालिक को खुश करने के लिए भी वह मौडल्स को धमका कर या दबाव बना कर शारीरिक शोषण के लिए तैयार करता था.

पोर्न फिल्म तैयार होने पर वह मुंबई के लोगों के मार्फत 10 लाख रुपए तक में फिल्म बेच देता था. वह हर बार नए चेहरे और नए कंटेंट पर ज्यादा ध्यान देता था ताकि पोर्न मार्केट में फिल्म की अच्छी कीमत मिल सके.

सन 2018 में आष्टा के ओम ठाकुर ने ‘उल्लू’ ऐप का एग्रीमेंट दिखा कर इंदौर में 4 एडल्ट एपिसोड बनाने के लिए ब्रजेंद्र से संपर्क किया था, लेकिन ओम ठाकुर का एग्रीमेंट फर्जी निकला. उस ने ब्रजेंद्र को कोई पैसा नहीं दिया. ब्रजेंद्र ने मिलिंद डावर के जरिए इंदौर की 5 मौडल्स को कास्ट कर के ये एपिसोड बनाए थे. उस ने सैक्स रैकेट से जुड़े गजेंद्र उर्फ गज्जू को लीड हीरो के रूप में साइन किया था. इन एपिसोड की शूटिंग इंदौर में स्कीम नंबर 78 में योगेंद्र जाट का आधुनिक सुखसुविधाओं वाला फार्महाउस किराए पर ले कर की गई थी.

ब्रजेंद्र ने शुभेंद्र गुर्जर के साथ मिल कर भी एक मूवी बनाई थी. शुभेंद्र भी उभरती मौडल्स के हौट वीडियो एलबम और फिल्में बनाता था.

गिरोह के सरगना ब्रजेंद्र ने पुलिस को बताया कि उस ने इंदौर में मौडल ऐश्वर्या के साथ जो पोर्न फिल्म शूट की थी, वह मुंबई के विजयानंद को एडिटिंग के लिए दे दी थी. विजयानंद पर भी इस तरह की पोर्न फिल्में बनाने के आरोप हैं. इस बीच, कोरोना के चलते लौकडाउन की वजह से वह फिल्म विजयानंद के पास ही रह गई.

उस ने वह फिल्म हाई डेफिनिशन कंपनी के अशोक सिंह को दे दी. अशोक ने वह फिल्म फेनियो मूवी के संजय परिहार को बेच दी. संजय ने उसे पोर्न साइट पर अपलोड कर दिया था. इस के बाद ही मौडल ऐश्वर्या को इस बात की जानकारी हुई थी.

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पुलिस की जांच में सामने आया कि गजेंद्र उर्फ गजानंद मूलरूप से गरोठ का रहने वाला है. उस ने 2012 में इंदौर आ कर ड्राइवर की नौकरी की. 2014 में देवास में उस की मुलाकात पवन सोनगरा से हुई. पवन ने उस से देह व्यापार एजेंट के रूप में काम कराया. 2018 में पवन के निधन के बाद उस ने खुद का काम शुरू कर दिया. उस के कई विदेशी युवतियों से भी संपर्क थे. वह वाट्सऐप पर युवतियों के फोटो भेज कर ग्राहक ढूंढता था.

इंदौर में एरोड्रम इलाके में जिस शिमला फार्महाउस में ब्रजेंद्र व मिलिंद आदि ने मौडल ऐश्वर्या के साथ पोर्न फिल्म शूट की थी, उस फार्महाउस का मालिक पहले अजय गोयल होने की बात सामने आई थी.

बाद में फर्नीचर व्यवसायी ओमप्रकाश बड़के ने पुलिस को बताया कि फार्महाउस उस का है. उन्हें फार्महाउस का मेंटिनेंस कराना था. साढ़ू अशोक गोयल ने फार्महाउस की चाबी ले कर वहां का मेंटिनेंस कराने की बात कही. थी. इसी दौरान पोर्न फिल्म की शूटिंग की गई थी.

पुलिस इस मामले में बाकी आरोपियों की तलाश कर रही है. हालांकि देरसबेर आरोपी पकड़े जा सकते हैं, लेकिन सवाल यह है कि अश्लीलता के महासागर में इन छोटी मछलियों के पकड़ में आने से क्या पोर्न फिल्मों की गंदगी रुक जाएगी? यह इसलिए भी मुश्किल लगता है, क्योंकि आज मोबाइल हर इंसान की पहुंच में है. मोबाइल के जरिए ही यह गंदगी बच्चों से ले कर बूढ़ों तक सहजता से पहुंच रही है.

– कहानी पुलिस सूत्रों पर आधारित, मौडल ऐश्वर्या का नाम बदला हुआ है

डर्टी फिल्मों का चक्रव्यूह : भाग 2

शूटिंग के दौरान ये लोग मौडल युवतियों को भरोसा दिलाते थे कि इस फिल्म की एडिटिंग के दौरान अश्लील दृश्य हटा दिए जाएंगे. लेकिन बाद में इन फिल्मों को ये लोग बिना एडिट किए ही मुंबई में रहने वाले अशोक सिंह व विजयानंद पांडेय के माध्यम से लाखों रुपए में पोर्न साइटों को बेच देते थे.

पुलिस जांचपड़ताल में जुटी थी कि मध्य प्रदेश के रीवा और इंदौर की रहने वाली 2 मौडलों ने 31 जुलाई को साइबर सेल को ऐसी ही शिकायतें दीं. पुलिस ने दोनों के बयान दर्ज किए. इन युवतियों ने बताया कि इस गिरोह में कई बड़े लोग भी शामिल हैं. गिरोह के कुछ सदस्यों ने कुछ समय पहले स्टार फिल्म्स के नाम पर उन से मूवी बनाने का करार किया था.

बाद में बोल्ड वेब सीरीज बनाने की बात कह कर अश्लील वीडियो तैयार कर ली गईं. इस पोर्न फिल्म को मुंबई में लाखों रुपए में बेचा गया. यह वीडियो क्लिप ‘देसी आयटम’ के नाम से पोर्न साइट पर डाल दी गई. इतना ही नहीं, मूवी के लिए किए गए करार के मुताबिक पैसे भी नहीं दिए गए, बल्कि ब्लैकमेल कर शारीरिक शोषण किया गया.

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दूसरी ओर, पुलिस ने दोनों गिरफ्तार आरोपियों मिलिंद और अंकित को रिमांड पर ले कर एरोड्रम इलाके में गांधीनगर से लगे शिमला फार्महाउस पर छानबीन की, जहां फिल्म की शूटिंग की गई थी.

पता चला इस फार्महाउस का मालिक अजय गोयल था. अजय की तलाश की गई, लेकिन वह नहीं मिला. इस बीच, एक उद्योगपति ने पुलिस से संपर्क कर बताया कि फार्महाउस का मालिक वह है न कि अजय गोयल.

फार्म हाउस किसी का, खेल खेला किसी और ने

मालिक ने अजय को अपना फार्महाउस कुछ दिनों के लिए किराए पर दिया था. पुलिस को इस दौरान स्कीम 78 और 114 के 2 आलीशान बंगलों में भी फिल्म की शूटिंग करने का पता चला. इसी के साथ गिरोह में प्रमोद, युवराज आदि के शामिल होने की जानकारी भी मिली.

पुलिस ने शूटिंग वाले बंगलों के मालिकों, गिरोह के सरगना ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर और गजेंद्र सिंह सहित अन्य आरोपियों की तलाश के लिए टीम गठित की. इस के साथ ही मिलिंद व अंकित के मोबाइल व लैपटौप की भी जांच शुरू कर दी. जिन साइटों पर फिल्में अपलोड की गईं, उन के संचालकों को पुलिस ने नोटिस भेज कर जवाब मांगा.

जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि वेब सीरीज के नाम पर उभरती मौडल्स के हौट वीडियो शूट करने के अलावा कई नामी ब्रांड्स के ऐड शूट करने के नाम पर भी महिला पुरुष मौडल्स से धोखाधड़ी की गई थी.

पुलिस को शिकायतें मिली कि कपड़ों, कौस्मेटिक, ज्वैलरी, गारमेंट्स, जूते व इलेक्ट्रौनिक्स प्रौडक्ट के विज्ञापनों के नाम पर हौट फोटो शूट कराए गए, लेकिन मौडल्स को न तो पैसा दिया गया और न ही कोई सर्टिफिकेट या ब्रैंड कंपनी का लेटर.

पीड़ित युवतियों ने पुलिस को यह भी बताया कि जिन फार्महाउसों या बंगलों में शूटिंग की जाती थी, गिरोह के लोग उन पर उन के मालिकों से शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाते थे. पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि गिरोह में हाई प्रोफाइल एस्कार्ट सर्विस से जुड़ी युवतियां भी शामिल थीं.

ये एस्कौर्ट हौट फिल्म शूट के नाम पर नई मौडल्स को शूट के लिए उकसाती थीं. फिर कैमरा बंद करने का बहाना कर उन के न्यूड सीन शूट करा देती थीं. बातों में लगा कर कई सीन बंगलों के कमरों में लगे गुप्त कैमरों से भी शूट किए जाते थे.

ऐसे सीन कैमरे में कैद हो जाने के बाद उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था. उन से अश्लील दृश्यों की शूटिंग कराई जाती थी और फाइनेंसर या फार्महाउस के मालिक से शारीरिक संबंध बनाने के लिए धमकाया जाता था.

एक अन्य युवती ने पुलिस से संपर्क कर बताया कि उस के साथ भी ऐसा ही किया गया था. फिल्म शूटिंग के नाम पर उसे 10 दिन तक बंगले में बंधक बना कर रखा गया. उसे किसी से मिलने भी नहीं दिया गया. यहां तक कि उस का मोबाइल भी छीन लिया गया था. किसी को बताने पर बदनाम करने की धमकी दी गई.

ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर खुद को टीवी व फिल्म प्रोडक्शन कंपनी का मालिक बताता था. सोशल मीडिया अकाउंट में कई बौलीवुड ऐक्टर उस की फ्रैंड लिस्ट में शामिल थे.

पुलिस में सब से पहली शिकायत दर्ज कराने वाली मौडल ऐश्वर्या को इसी साल फरवरी में ब्रजेंद्र सिंह और उस के साथी खजुराहो फिल्म फेस्टिवल में भी ले गए थे. वहां इन लोगों ने मौडल को कई लोगों से मिलाया और झांसा दिया कि ये लोग टीवी सीरियल और वेब सीरीज में आसानी से रोल दिलवा देंगे.

पुलिस लगातार पोर्न फिल्म बनाने वाले आरोपियों की तलाश में उन के ठिकानों पर दबिश दे रही थी. इस दौरान पता चला कि बिचौली मर्दाना, रितुराज मेंशन, संपत हिल्स में रहने वाला गजेंद्र सिंह हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट मामले में 5 जुलाई से जेल में बंद है. उसे कुछ दिन पहले इंदौर की सराफा पुलिस ने एक होटल में दबिश दे कर पकड़ा था. उस होटल में वह सैक्स रैकेट से जुड़ी उजबेकिस्तान की एक मौडल युवती को सप्लाई करने गया था.

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पुलिस की दबिश के दौरान गजेंद्र उर्फ गोवर्धन उर्फ गज्जू चंद्रावत के घर पर एक कार मिली. इस कार पर एक न्यूज चैनल और प्रैस का स्टीकर लगा हुआ था. वह खुद को पत्रकार बता कर घूमता था. गजेंद्र ने इंदौर की मौडल की शूट की गई पोर्न फिल्म में हीरो का रोल किया था.

5 अगस्त को एक और मौडल ने साइबर सेल में शिकायत की. उस ने बताया कि वह फिल्मों में काम करती है. 2014 में एक फोटो शूट के दौरान वह ब्रजेंद्र और शुभेंद्र से मिली थी. ब्रजेंद्र ने उसे अपनी निर्माणाधीन फिल्म में रोल और 2 लाख रुपए देने का वादा किया था. बाद में उस ने शूटिंग में अश्लील फिल्म बना ली और 2 लाख रुपए भी नहीं दिए. मौडल ने पैसों के लिए दबाव बनाया तो उस ने वीडियो वायरल करने की धमकी दी.

पिछले साल ब्रजेंद्र ने एक युवती की मुलाकात मुंबई के एक डायरेक्टर राज से करवाई. उसे फिल्म शूटिंग के मेहनताने के रूप में रोजाना 10 हजार रुपए देने की बात तय हुई. फिल्म के नाम पर अश्लील सीन शूट कर लिए गए और उन्हें पोर्न साइट पर डाल दिया गया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

डर्टी फिल्मों का चक्रव्यूह : भाग 1

जुलाई के आखिरी सप्ताह में इंदौर की एक मौडल साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह से मिली. मौडल ने खुद का नाम ऐश्वर्या बताते हुए कहा कि वह धामनोद की रहने वाली है और  पिछले कई साल से इंदौर में रह कर मौडलिंग करती है.

परेशान दिख रही ऐश्वर्या ने एसपी को बताया कि पिछले साल दिसंबर में उस के पास ब्रजेंद्र सिंह नाम के शख्स का फोन आया था. उस ने खुद को मुंबई का डायरेक्टर और प्रोड्यूसर बताया. वह एक बड़े बैनर पर ओटीटी प्लेटफौर्म के लिए फिल्म बनाना चाहता था. उस ने इस फिल्म में ऐश्वर्या को लौंच करने की बात कही. बाद में ब्रजेंद्र ने उसे इंदौर में एरोड्रम रोड पर एक फार्महाउस में बुलाया.

तय समय पर वह उस फार्महाउस पर पहुंची. वहां ब्रजेंद्र सिंह के अलावा मिलिंद भी मिला. कई और लोग भी थे. कैमरों लाइटों सहित फिल्म की शूटिंग का पूरा साजोसामान भी था. ऐश्वर्या मिलिंद को पहले से जानती थी.

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मिलिंद टी सीरीज और अल्ट बालाजी के लिए वेब सीरीज तथा सीरियलों के लिए कास्टिंग का काम करता था.

ऐश्वर्या ने एसपी को बताया कि ब्रजेंद्र और मिलिंद ने उसे बालाजी की एक बोल्ड वेब सीरीज में काम दिलाने की बात कही, लेकिन इस के लिए कुछ बोल्ड सीन शूट करने की शर्त थी. मिलिंद ने ऐश्वर्या को विश्वास दिलाने के लिए मोबाइल पर एकता कपूर की कथित पीए युवती से उस की बात भी कराई.

एकता कपूर की उस कथित पीए ने उसे बालाजी की वेब सीरीज के बारे में बताया. पीए से बातें करने के बाद वह आश्वस्त हो गई कि उसे वेब सीरीज में काम मिल जाएगा. ओटीटी प्लेटफौर्म पर जाने का यह अच्छा मौका था.

कथित पीए युवती ने मिलिंद से कहा कि वेब सीरीज के लिए प्रोमो बना कर कंपनी को भेजो. इस के बाद ब्रजेंद्र सिंह और मिलिंद ने उसे बोल्ड सीन देने के लिए 25 हजार रुपए देने का वादा किया.

बाद में प्रोमो के नाम पर अश्लील फिल्म शूट कर ली गई. इस फिल्म में मेल एक्टर मिलिंद और गजेंद्र सिंह थे. ब्रजेंद्र सिंह और उस के साथियों ने फिल्म शूट की. इन लोगों ने कहा कि एडिटिंग के दौरान इस में से अश्लील कंटेंट हटा कर प्रोमो कंपनी को भेजा जाएगा.

इतनी बातें बताते बताते ऐश्वर्या की आंखों में आंसू आ गए. एसपी जितेंद्र सिंह ने उसे दिलासा देते हुए पूरी बात बताने को कहा ताकि अपराधियों तक पहुंचा जा सके. टेबल पर रखे गिलास से पानी के कुछ घूंट पीने के बाद ऐश्वर्या ने एसपी से कहा कि इन लोगों ने बाद में फिल्म को एडिट किए बिना ही पोर्न वेबसाइट को बेच दिया.

ऐश्वर्या ने रोते हुए बताया कि वह फिल्म पोर्न वेबसाइट पर अपलोड होने के कुछ ही दिन में 4 लाख लोगों ने देख ली. कुछ दिन बाद एक परिचित से उसे इस की जानकारी मिली, तो वह घबरा गई. उस ने मिलिंद और ब्रजेंद्र सिंह से संपर्क किया, तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया.

एसपी जितेंद्र सिंह ने ऐश्वर्या से लिखित शिकायत ली और उसे काररवाई करने का भरोसा दे क र भेज दिया. जातेजाते ऐश्वर्या ने एसपी को यह भी बताया कि ऐसा अकेले उस के साथ नहीं हुआ है. कई दूसरी मौडल युवतियों के साथ भी इन्होंने यही किया है. ये लोग पोर्न सीन शूट करने के नाम पर जो पैसा तय करते, शूटिंग के बाद उतना पैसा भी नहीं देते थे. ये लोग फिल्म पोर्न वेबसाइटों को बेचने के साथसाथ कई तरीकों से मौडल्स का दैहिक शोषण भी करते थे.

मामला बेहद गंभीर था. ज्यादातर लोग जानते हैं कि ऐसी फिल्में बनती हैं और पोर्न साइटों पर खूब देखी जाती हैं. माना यह जाता है कि इस तरह की अधिकांश फिल्में मुंबई में बनती हैं. लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसी घिनौनी फिल्में बनना बेहद चिंता की बात थी.

मोबाइल इंटरनेट से बढ़ी पोर्न फिल्मों की मार्केट

दरअसल, जब से बच्चों से ले कर बूढ़ों तक के हाथ में इंटरनेट के साथ मोबाइल आ गया है, तब से पोर्न फिल्म अधिकांश मोबाइलधारकों तक पहुंच गई हैं. इस से सामाजिक पतन होने के साथ अपराध भी बढ़ रहे हैं और घरेलू रिश्ते भी टूट रहे हैं.

पोर्न फिल्में देखना जितना बड़ा अपराध है, उस से बड़ा अपराध बिना सहमति के ऐसी फिल्में बनाना है. इस सब से न केवल युवा पीढ़ी भटक रही है बल्कि उस की मानसिकता भी घृणित होती जा रही है.

एसपी जितेंद्र सिंह ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की.

इस टीम ने जरूरी जांचपड़ताल के बाद 30 जुलाई को 2 लोगों मिलिंद डावर और अंकित सिंह चावड़ा को गिरफ्तार कर लिया. इंदौर की रेसकोर्स रोड निवासी मिलिंद फैशन शो और विज्ञापन के लिए बैकग्राउंड कलाकार व कास्टिंग का काम करता था.

वह एमडीएफएम नाम की मौडलिंग एजेंसी चलाने के साथसाथ टी सीरीज और अल्ट बालाजी के लिए वेब सीरीज व सीरियलों के लिए भी कास्टिंग का काम करता था.

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इंदौर की गुरु गोविंदसिंह कालोनी का रहने वाला अंकित चावड़ा एनएमएच फिल्म प्रोडक्शन हाउस में कैमरामैन था. पुलिस को जांचपड़ताल में पता चला कि ये लोग मौडल युवतियों को टीवी सीरियल और ओटीटी प्लेटफार्म पर वेब सीरीज में मौका दिलाने का झांसा दे कर जाल में फंसाते थे. इस का अश्लील फिल्में बनाने का काला कारोबार इंदौर के अलावा कई अन्य बड़े शहरों में चल रहा था. इस काले धंधे में डायरेक्टर ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर, राजेश गुर्जर, गजेंद्र सिंह, सुनील जैन, अनिल द्विवेदी, अशोक सिंह व विजयानंद पांडेय आदि शामिल थे.

मिलिंद डावर इस गिरोह के लिए मध्य प्रदेश की मौडल युवतियों को तरहतरह के झांसे दे कर फिल्म, वेब सीरीज या सीरियल आदि में रोल दिलाने के नाम पर जाल में फंसाता था. वह चूंकि मौडलिंग एजेंसी, फैशन शो और विज्ञापनों के लिए बैकग्राउंड कलाकारों की कास्टिंग का काम करता था, इसलिए उस के तमाम मौडलों के अलावा मुंबई के कई नामी रंगमंच कलाकारों से भी अच्छे संबंध थे.

इन्हीं संबंधों की आड़ में जब वह मौडल युवतियों को बौलीवुड में अच्छे रोल दिलाने की बात कहता, तो मौडल उस की बातों पर सहज ही भरोसा कर लेती थी.

मिलिंद मौडल युवतियों को जाल में फंसाने के बाद ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर (ठाकुर) से मिलवाता था. ब्रजेंद्र खुद को मुंबई का डायरेक्टर, प्रोड्यूसर बता कर कहता था कि बोल्ड सीन आज की जरूरत हैं. प्रत्येक सीन के लिए वह 25 हजार रुपए देने की बात कहता था. जब लड़की तैयार हो जाती तो वह अपने सहयोगियों के साथ बोल्ड सीन के नाम पर अश्लील फिल्में शूट कर लेता था.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

इश्क की फरियाद: भाग 1

लेखक- अलंकृत कश्यप

25 अप्रैल, 2019 को कोराना गांव के लोगों ने बाकनाला पुल के नीचे एक युवक का शव पड़ा देखा.

कोराना गांव लखनऊ के थाना मोहनलालगंज के अंतर्गत आता है, जो  लखनऊ मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर है. ग्रामीणों ने जब नजदीक जा कर देखा तो उन्होंने मृतक को पहचान लिया.

वह 45 वर्षीय आशाराम रावत का शव था, जो डलोना गांव का रहने वाला था. वह मोहनलालगंज में राजकुमार का टैंपो किराए पर चलाता था. उसी समय किसी ने इस की सूचना थाना मोनहलालगंज पुलिस को दे दी तो कुछ ही देर में थानाप्रभारी गऊदीन शुक्ल एसआई अनिल कुमार और हैडकांस्टेबल राजकुमार व लाखन सिंह को साथ ले कर घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.

पुलिस दल जब घटनास्थल पर पहुंचा तो उन्होंने शव देखते ही पहचान लिया क्योंकि वह टैंपो चालक आशाराम रावत का था. उस के हाथपैर लाल रंग के अंगौछे से बंधे थे और गला कटा हुआ था. उस के रोजाना मोहनलालगंज क्षेत्र में सवारी टैंपो चलाने के कारण पुलिस वाले भी उस से परिचित थे.

वहां से एक किलोमीटर दूरी पर स्थित अवस्थी फार्महाउस के पास एक टैंपो लावारिस हालत में मिला. टैंपो की तलाशी लेने पर जो कागज बरामद हुए, उस से पता चला कि वह टैंपो इंद्रजीत खेड़ा के रहने वाले राजकुमार का है. लोगों ने बताया कि यह वही टैंपो है, जिसे आशाराम चलाता था.

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यह हत्या का मामला था. यह भी लग रहा था कि आशाराम की हत्या किसी अन्य स्थान पर कर के उस का शव यहां फेंका गया था. क्योंकि वहां पर खून भी नहीं था.

पुलिस ने मृतक के घर सूचना भिजवाई तो उस की पत्नी रामदुलारी उर्फ निरूपमा रोतीबिलखती मौके पर आ गई. उस ने उस की पहचान अपने पति आशाराम रावत के रूप में की. वह रोजाना की तरह कल सुबह करीब 8 बजे टैंपो ले कर घर से निकले थे.

देर रात तक जब वह घर न लौटे तो बड़े बेटे 16 वर्षीय सौरभ ने उन्हें फोन लगाया तो आशाराम ने कुछ देर बाद लौटने को कहा था. काफी देर बाद भी जब वह घर नहीं आया तो निरूपमा ने भी पति को फोन कर के जानना चाहा कि वह कहां हैं. किंतु फोन बंद होने के कारण बात नहीं हो सकी. तब रात में ही मोहनलालगंज और निकटतम पीजीआई थाने जा कर निरूपमा ने पति के बारे में मालूमात की लेकिन कुछ पता न चलने पर वह निराश हो कर घर लौट आई थी.

लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. निरूपमा की तरफ से पुलिस ने गांव के दबंग मोहित साहू, उस के भाई अंजनी साहू, दोस्त अतुल रैदास निवासी जिला कटनी, मध्य प्रदेश और अब्दुल हसन निवासी सीतापुर के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 506 और 3(2)(5) एससी/एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

मामला एससी/एसटी उत्पीड़न का था, इसलिए इस की जांच एसपी द्वारा सीओ राजकुमार शुक्ला को सौंपी गई. रिपोर्ट नामजद थी इसलिए पुलिस ने आरोपियों के ठिकानों पर दबिश डाली. लेकिन वे पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े. तब पुलिस ने मुखबिरों को सतर्क कर दिया.

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आरोपी लिए हिरासत में

पुलिस ने आरोपियों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर उस का अध्ययन किया तो उस से उन सब के 24 अप्रैल की रात के एक साथ होने की पुष्टि मिली. इसी बीच 26 अप्रैल को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर मोहित साहू और उस के भाई अंजनी साहू को गिरफ्तार कर लिया.

दोनों भाइयों से आशाराम रावत की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने उस की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. पूछताछ के बाद हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

लखनऊ-रायबरेली राजमार्ग पर शहर की व्यस्ततम कालोनी के बाहर लखनऊ एवं उन्नाव की सीमा पर थाना पीजीआई है. इसी थाने के अंतर्गत गांव डलोना है. इसी गांव में आशाराम रावत का परिवार रहता है. आशाराम का विवाह करीब 9 साल पहले डलोना गांव के ही प्रीतमलाल की सब से बड़ी बेटी रामदुलारी उर्फ निरूपमा के साथ सामाजिक रीतिरिवाज के साथ हुआ था.

रामदुलारी का जीवन ससुराल में हंसीखुशी के साथ अपने पति के साथ बीत रहा था. धीरेधीरे वह 2 बेटों और एक बेटी की मां बन गई. इस समय बड़े बेटे सौरभ की उम्र लगभग 16 साल है. हालांकि आशाराम मूलरूप से लखनऊ के थाना गोसाईगंज के गांव कमालपुर का रहने वाला था, किंतु कामधंधे की तलाश में वह डलोना आ कर रहने लगा. यहां वह टैंपो चलाने लगा.

निरूपमा गोरे रंग की स्लिम शरीर वाली युवती थी. उस के चेहरे पर आकर्षण था. आशाराम टैंपो चालक होने के कारण व्यस्त रहता था. इसलिए घर के सारे काम वह ही करती थी, जिस की वजह से उसे घर से बाहर आनाजाना पड़ता था. तब गांव के कुछ लड़कों की नजरें निरूपमा को चुभती हुई महसूस होती थीं. लेकिन वह उन की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देती थी.

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निरूपमा के पीछे पड़ गया था मोहित

उन्हीं लड़कों में से एक मोहित साहू तो जैसे उस के पीछे पड़ गया था. मोहित की दूध डेयरी थी. दूध देने के बहाने वह निरूपमा के पास जाया करता था. इस से पहले निरूपमा ने उस की डेयरी पर करीब डेढ़ साल तक काम भी किया था. उसी दौरान वह निरूपमा के प्रति आकर्षित हो गया था. वह उसे मन ही मन प्यार करने लगा था. फिर एक दिन उस ने अपने मन की बात निरूपमा से कह भी दी.

निरूपमा ने उसे झिड़कते हुए कहा कि तुम ने मुझे समझ क्या रखा है. आइंदा मेरे रास्ते में आने की कोशिश मत करना वरना अंजाम बुरा होगा. निरूपमा की इस बेरुखी पर वह काफी आहत हुआ. लेकिन इस के बावजूद मोहित ने उस का पीछा करना नहीं छोड़ा. उसे देख कर निरूपमा आगबबूला हो उठती थी.

अकसर मोहित के द्वारा फब्तियां कसने पर निरूपमा ने कई बार उस की पिटाई कर दी थी किंतु इश्क में अंधे मोहित पर इस का कोई असर नहीं हुआ.

निरूपमा उस से तंग आ चुकी थी. एक दिन उस ने अपने पति आशाराम को मोहित की हरकतों से अवगत कराया तो आशाराम ने निरूपमा को ही चुप रहने की सलाह दी. उस ने कहा कि वह आतेजाते मोहित को समझा देगा कि गांवघर की बहूबेटियों की इज्जत पर इस तरह कीचड़ उछालना अच्छा नहीं है.

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एक दिन आशाराम ने मोहित से बात की और अपनी इज्जत की दुहाई देते हुए कहा कि आइंदा वह ऐसा न करे.

कुछ दिन तक तो मोहित शांत रहा किंतु वह अपनी आदतों से मजबूर था. उस का बस एक ही मकसद था कि किसी भी तरह निरूपमा को पाना. कामधंधा छोड़ कर वह दीवानगी में इधरउधर निरूपमा की तलाश में लगा रहता. अंतत: उस ने एक भयानक निर्णय ले लिया.

कहानी सौजन्य – मनोहर कहानियां

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में

इश्क की फरियाद: भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- इश्क की फरियाद: भाग 1

लेखक- अलंकृत कश्यप

मोहित ने फांदी दीवार

गरमी की वजह से उस की आंखों से नींद कोसों दूर थी और बेचैनी से वह इधरउधर करवटें बदल रही थी. तभी अचानक घर में किसी के कूदने की आहट सुनाई दी. धीरेधीरे वह काला साया उस की ओर बढ़ने लगा तो निरूपमा ने पहचानने की कोशिश करते हुए पूछा, ‘‘कौन?’’

निरूपमा की आवाज सुन कर काला साया कुछ क्षणों के लिए ठिठक गया. उस की खामोशी देख कर निरूपमा का माथा ठनका. उस ने सोचा कि यह मोहित ही होगा. उस ने पास आ कर देखा तो वह मोहित ही निकला.

उस रात मोहित काफी देर तक निरूपमा से मिन्नतें करता रहा कि वह एक बार उस की बात मान ले. किंतु निरूपमा ने उसे बुरी तरह डपट दिया. शोरशराबे से उस का पति आशाराम भी जाग गया. आशाराम ने भी मोहित को डांट दिया. उस दिन मोहित को अत्यधिक विरोध सहना पड़ा, जिस से वह अपमानित हो कर तिलमिला कर रह गया.

मोहित अपनी बेइज्जती पर भलाबुरा कहता हुआ उलटे पैरों वापस लौट गया. लेकिन मोहित ने तय कर लिया था कि वह इस अपमान का बदला जरूर लेगा.

अगले दिन शाम के समय उस ने अपने भाई अंजनी, दोस्त अतुल रैदास और अब्दुल हसन को सारी बात बताई और कहा कि वह आशाराम को रास्ते से हटाना चाहता है. भाई और दोनों दोस्तों ने घटना को अंजाम देने के लिए उस का साथ देने की हामी भर दी.

इश्क के जुनून में अंधे मोहित ने निरूपमा का प्यार पाने के लिए अब कुचक्र रचना शुरू कर दिया. 24 अप्रैल, 2019 को शाम के वक्त आशाराम घर डलोना जाने वाली सवारियों का इंतजार कर रहा था. उसी समय मोहित अपने भाई अंजनी के साथ उस के टैंपो में आ कर बैठ गया. तभी मोहित ने ड्राइविंग सीट पर बैठे आशाराम से पीछे वाली सीट पर आ कर बैठने को कहा.

आशाराम मोहित साहू के पास बैठ कर बोला, ‘‘जरा सवारी ढूंढ लूं. तब तक तुम लोग बैठो, मैं अभी आता हूं.’’

‘‘नहीं यार, आज गाड़ी में कोई और नहीं चलेगा, हम तीनों ही चलेंगे. लो, पहले यह जाम पियो.’’ मोहित ने उस की तरफ शराब से भरा डिस्पोजेबल ग्लास बढ़ाते हुए कहा.

‘‘नहीं, मैं दिन में शराब नहीं पीता हूं, सवारियों को ऐतराज होता है.’’ आशाराम टैंपो की पिछली सीट से उतरते हुए बोला.

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‘‘नहीं, तुम्हें आज मेरे साथ बैठ कर तो पीनी ही पड़ेगी.’’ मोहित ने जोर देते हुए कहा.

साजिशन पिलाई शराब

कोई बखेड़ा खड़ा न हो जाए, यही सोच कर वह फिर से पिछली सीट पर आ कर बैठ गया. पिछले दिनों हुई कहासुनी को नजरअंदाज करते हुए मोहित के हाथ से गिलास ले कर एक ही सांस में वह शराब पी गया.

इस के बाद मोहित ने उसे 2 पेग और पिलाए. मोहित आशाराम को देख कर भौचक्का रह गया. फिर उस ने अंजनी को पैसे देते हुए कहा, ‘‘ले भाई, अंगरेजी की एक बोतल और ले आओ. अब हम लोग अतुल रैदास के कमरे पर चलेंगे, फिर वहीं बैठ कर पीएंगे.’’

अंजनी थोड़ी देर में दारू की बोतल ले आया. तब मोहित ने आशाराम से कहा, ‘‘अब तुम हम लोगों को अतुल रैदास के यहां छोड़ आओ, फिर अपने घर को चले जाना.’’

आशाराम उन से विवाद मोल नहीं लेना चाहता था. यही सोच कर वह उन दोनों के साथ गांव की ओर रवाना हो गया.

उस समय शाम के लगभग 7 बज चुके थे. जब वह घर नहीं पहुंचा तो उस के बडे़ बेटे सौरभ ने काल की. उस समय आशाराम ने उस से कहा था कि वह थोड़ी देर में घर आ जाएगा.

मोहित और उस के भाई अंजनी को अतुल रैदास के कमरे पर पहुंचाने के बाद जब आशाराम घर लौटने लगा तो मोहित ने आशाराम को रोक लिया और कहा कि अब यहां हम लोग जम कर पिएंगे. आशाराम मना नहीं कर सका. उन्होंने आशाराम को जम कर शराब पिलाई. जब वह नशे में धुत हो गया तब मोहित, अंजनी और अतुल ने आशाराम के गमछे से हाथपैर बांधने के बाद उस का गला घोंट कर हत्या कर दी. इस के बाद उन्होंने चाकू से उस का गला रेत दिया. अब्दुल हसन भी वहां आ चुका था. अब्दुल हसन उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर का रहने वाला था. वहां रह कर मजदूरी करता था.

इन लोगों ने मिल कर आशाराम के शव को उसी के टैंपो में लाद कर कोराना गांव के पास बाकनाला पुल के नीचे जा कर फेंक दिया. तब तक काफी रात हो चुकी थी, जिस से लाश ठिकाने लगाते समय उन्हें किसी ने नहीं देखा. उस का टैंपो उन्होंने अवस्थी फार्महाउस के पास खड़ा कर दिया था, जो बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया था.

सुबह होने पर लोगों ने आशाराम की लाश देखी तो सूचना पुलिस को दी गई.

उन की निशानदेही पर पुलिस ने अतुल रैदास के कमरे से वह चाकू भी बरामद कर लिया, जिस से आशाराम का गला काटा गया था. मोहित साहू और अंजनी साहू से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

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इस के बाद पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई. इस के 3 दिन बाद ही अब्दुल हसन व अतुल रैदास को 30 अप्रैल, 2019 को गिरफ्तार कर लिया गया. इन्होंने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इन दोनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने इन्हें भी जेल भेज दिया. कथा लिखने तक सभी हत्यारोपी जेल में बंद थे.

कहानी सौजन्य – मनोहर कहानियां

नक्कल-असल नक्सलवाद! का मकड़जाल

यह किसी से छुपी हुई बात नहीं की छत्तीसगढ़ नक्सलवाद का गढ़ माना जाता है. यहां का “बस्तर अंचल” नक्सलवाद का केंद्र बिंदु है, जहां से कई प्रदेशों में नक्सलवाद की गतिविधियां चलती रहती है. वहीं दूसरी तरफ नक्सलवाद की आड़ में नकली नक्सलवादी भी पैदा हो गए हैं जो लोगों को ब्लैकमेल करते हैं फिरौती मांगते हैं और ऐश की जिंदगी जीते हैं . छत्तीसगढ़ की आवाम तथा दो प्रकार के नक्सलवाद से पीड़ित है एक है असल जो बंदूक की नोक पर लोगों को मार रहा है और समानांतर सरकार चला रहा है. दूसरा नकली नक्सलवाद जो भय पैदा करके पैसे ऐंठ रहा है. छत्तीसगढ़ की

पखांजुर पुलिस को मछली व्यापारियों से फर्जी नक्सली बनकर फिरौती की रकम मांगने मामले में बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस ने 24 घंटे में ही 2 महिला, 2 नाबालिग सहित 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया. ये सभी आरोपी पिव्ही गांव में मछली पालन करने वाले दो व्यापारी से फर्जी नक्सली बनकर पत्र में 5-5 लाख रुपए और 1-1 बोरी चावल मांगा गया था. साथ ही दोनों व्यापारियों को फोन कर धमकी भी दी थी.थाना प्रभारी  के मुताबिक इस घटना के मास्टर माइंड महिला वैजू ध्रुव और अपने प्रेमी जोगेन बिस्वास ने प्लानिंग किया और बाकी सहयोगी सदस्यों को एकत्रित कर वारतदात को अंजाम दिया है. पहले तो पत्र के माध्यम से दोनों व्यापारी  से फिरौती मांगी गई, फिर दोनों ही व्यापारी को फोन पर धमकी भी दी गयी. पुलिस ने शिकायत के बाद जांच शुरु की और मोबाइल नंबर ट्रेस कर सभी आरोपियों को लोकेशन के आधार पर गिरफ्तार किया है. इनके खिलाफ धारा 384,507,120 के तहत कार्रवाई की गई है.

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घटना के मास्टर माइंड वैजू ध्रुव नक्सली हिंसा में सन् 2010 में भुसकी मोड़ पर पुलिस पार्टी पर किये गए फायरिंग में भी शामिल थी. उस घटना में पुलिस आरक्षक बिष्णु लारिया शहीद हो गए थे. उस घटना में नक्सली वैजू ध्रुव नामक नाबालिग महिला नक्सली को बड़गांव थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.

भूपेश बघेल के समक्ष बड़ी चुनौती

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी है जिसने झीरम घाटी नक्सल वादी हत्याकांड में अपने बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं को खोया है तत्कालीन समय के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल बस्तर टाइगर कहे जाने वाले महेंद्र कर्मा एक समय के देश के बहुत चर्चित नेता विद्याचरण शुक्ल जैसे अनेक लोग झीरम कांड में खेत रहे ऐसे में कांग्रेस पार्टी आज जब सत्ता में है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष यह बड़ी चुनौती है कि किस तरह छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त कराएं और इस तरफ भूपेश बघेल सरकार निरंतर प्रयासरत दिखाई भी देती है हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को पत्र लिखकर पुणे मांग की है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को समूल नष्ट करने के लिए केंद्र गंभीरता के साथ राज्य सरकार का साथ दें छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपनी गहरी जड़ें जमा चुका है उसे नष्ट करना आसान नहीं होगा मगर फिर भी अगर ईमानदारी से प्रयास किया जाए तो क्या नहीं हो सकता क्योंकि कांग्रेस ने नक्सलवाद का दंश रहा है अतः राजनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि भूपेश बघेल सरकार बड़ी गंभीरता से नक्सलवाद को खत्म करने में  लगी हुई है . इस हेतु छत्तीसगढ़ पुलिस जनता प्रयास करती हुई भी दिखाई दे रही है छत्तीसगढ़ में अब ऐसा कोई दिन नहीं होता जब कोई नक्सलवादी पुलिस के द्वारा मार न गिराया जाता हो या फिर आत्मसमर्पण न कर रहा हो.

इसी तरह पुलिस नक्सलवाद के खाल को पहन कर लोगों को ठगने वालों को भी जेल भेजने में लगी हुई है. जो एक सकारात्मक कदम कहा जा सकता है.

आपरेशन तेज, तेज और तेज

छत्तीसगढ़ में इन दिनों “नक्सलवाद” को खत्म करने के लिए पुलिस भी प्रयासरत दिखाई दे रही है. जी पुलिस के मुखिया डीएम अवस्थी की अध्यक्षता में  निरंतर बैठकर हो रही है यहां पुलिस मुख्यालय में नक्सल विरोधी अभियान तेज करने के लिए स्टेट लेवल कोऑर्डिनेशन कमेटी  बनाई गई है. बैठक में सुरक्षाबलों के बीच बेहतर तालमेल बनाने और नक्सल विरोधी अभियान अधिक प्रभावी तरीके से चलाने पर चर्चा होती है  कमेटी की बैठक मे सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, आईबी के अधिकारी, बस्तर संभाग के आईजी और पुलिस अधीक्षक मौजूद रहते हैं.

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यही नही स्टेट कोऑर्डिनेशन कमेटी लेवल की बैठक  मे तय हुआ है कि बारिश के बाद आगामी तीन माह में नक्सलियों के विरूद्ध और अधिक तेजी से ऑपरेशन चलाया जाए.  नक्सल विरूद्ध अभियान की आगामी कार्य योजना  बनाई जा रही है. नक्सल प्रभावित इलाकों में ऑपरेशन तेज करने के लिए पुल-पुलियों का निर्माण तेजी से किया जाये.सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे कोर एरिया वाले स्थानों पर प्लानिंग करके नक्सलियों के विरूद्ध कार्रवाई को अमलीजामा पहनाया जा रहा है नक्सलियों के साथ उनके समर्थकों पर भी कड़ी कार्यवाही  छत्तीसगढ़ में अब दिखने लगी है. सरकार  ने सुरक्षाबलों के अधिकारियों को नक्सलियों की सप्लाई चेन तोड़ने के निर्देश दिये है. नक्सलियों तक पहुंचने वाले राशन, दवाई और हथियारों की सप्लाई चेन तोड़कर प्रभावी कार्यवाही  के नजारे अब दिखने लगे है.

औलाद की खातिर : भाग 2

लेडी डाक्टर के जवाब से उमा के मन पर छाया अपराधबोध छंट गया. अब पति से उसे चिढ़ हो गई. वह सोचने लगी कि जरूर उसे पता होगा कि वह बेटा पैदा करने लायक नहीं. इसीलिए लड़कियों की हिमायत करता है.

उस दिन जब देवकुमार वापस आया तो उमा बोली, ‘‘तुम ने बता कर बहुत अच्छा किया, हकीकत बता कर मेरी आंखें खोल दीं.’’

‘‘भाभी, यह तो अच्छी बात है.’’

‘‘और अच्छी बात तब होगी, जब तुम यह बताओ कि तुम्हारे भैया का इलाज कहां कराऊं, जिस से हमारे आंगन में भी बेटा खेलेकूदे.’’

देवकुमार समझ रहा था कि भाभी बेटा पैदा करने के लिए उतावली है और उस के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है. अत: उस ने जाल फैलाया, ‘‘भाभी, भैया का इलाज तो संभव नहीं है, लेकिन तुम जरूर पुत्रवती हो सकती हो.’’

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‘‘वो कैसे?’’ उमा की आंखों में उम्मीद की किरण दिखने लगी.

‘‘तुम्हें किसी दूसरे से नियोग करना होगा.’’ वह बोला.

‘‘नियोग में क्या करना होगा?’’ उमा ने पूछा.

‘‘तुम्हें पराए मर्द के साथ मिलन करना होगा.’’ देवकुमार ने बताया.

‘‘क्या बकवास कर रहे हो’’ उमा आंखें दिखाने लगी, ‘‘ऐसी बात कहते हुए तुम्हें शर्म आनी चाहिए. तुम्हारे भैया ने सुना तो न जाने क्या कर डालेंगे.’’

‘‘तो फिर बेटियों से ही संतोष करो.’’

उमा कई दिन तक सोचती रही. उस ने अपनी इच्छा दबाने का भी प्रयास किया, परंतु नाकाम रही. किसी भी दशा में वह बेटे को जन्म देना चाहती थी. बहुत सोचने के बाद वह पतित होने को तैयार हो गई.

दूसरे दिन उस ने देवकुमार को अपना निर्णय सुना दिया, ‘‘ मैं तुम्हारी सलाह पर अमल करने को तैयार हूं. सवाल यह है कि यह काम होगा कैसे?’’

‘‘भाभी, काम भी हो जाएगा और किसी को भनक तक नहीं लगेगी.’’

‘‘कैसे?’’

‘‘मैं हूं न, मेरी नसों में भी वही खून है, जो भैया के शरीर में है. खून वही रहेगा, पर शरीर बदल जाएगा. इस तरह भैया की नस्ल भी खराब नहीं होगी.’’

‘‘सोच कर बताऊंगी.’’

उमा ने काफी सोचा. फिर फैसला किया कि उसे हर हाल में बेटा चाहिए, इस के लिए वह देवकुमार से नियोग करेगी. अगले दिन उमा ने देवकुमार को नियोग करने की सहमति दे दी.

देवकुमार बेताब था तो उमा शर्म से गड़ी जा रही थी. देवकुमार ने उसे बांहों में ले कर प्यार करना शुरू किया तो उस की शर्म जाती रही. फिर वे वासना के सागर में गोते लगाने लगे. देवकुमार के नए जोश और उमा के अनुभव ने ऐसा कमाल दिखाया कि इस पहले मिलन से वे एकदूसरे के दीवाने हो गए.

कई महीने बीतने के बाद उमा को देवकुमार से गर्भ नहीं ठहरा, पर अवैध संबंध का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा. उमा तन से देवकुमार की हुई तो उसे मन से भी उस की होते देर नहीं लगी.

कोरोना महामारी के चलते देश में लौकडाउन हुआ तो 24 मई, 2020 को शिवकुमार पत्नी, बच्चों और देवकुमार के साथ फरीदाबाद से गांव वापस आ गया. फरीदाबाद में तो शिवकुमार के न रहने पर दोनों खूब मस्ती करते थे. लेकिन गांव आने पर शिवकुमार के साथसाथ घर के और लोग भी थे. उन सब की नजरों  से बच कर मिलना आसान नहीं था लेकिन दोनों किसी तरह मिल कर मिलन का आनंद ले लेते थे.

14 जुलाई, 2020 की सुबह शिवकुमार की लाश घर से 200 मीटर दूर भीटे में पड़ी मिली. सुबह गांव की महिलाएं उधर गईं तो देखा, तब उन्होंने इस की जानकारी घरवालों को दी. घरवाले वहां पहुंच कर रोनेबिलखने लगे. गांव के ही शुभम सिंह नाम के व्यक्ति ने पुलिस को घटना की सूचना दी.

सूचना पा कर एसओ मनबोध तिवारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मृतक शिवकुमार की लाश का उन्होंने निरीक्षण किया. उस के सिर पर किसी तेज धारदार हथियार के गहरे निशान थे. आसपास का निरीक्षण करने पर घटना से संबंधित कोई सुराग हाथ नहीं लगा.

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पूछताछ के दौरान परिजन कुछ भी बताने से हिचक रहे थे. घटना की सूचना देना तो दूर वह लाश का अंतिम संस्कार करने की तैयारी कर रहे थे. इस पर एसओ को शक हो गया कि मृतक के घर वाले जानते हैं कि किस ने उन के बेटे की हत्या की है.

लेकिन हत्यारा भी कोई अपना करीबी होने के कारण मुंह नहीं खोल रहे हैं. फिलहाल एसओ मनबोध तिवारी ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी.

पुलिस ने शिवकुमार के पिता उदयभान सिंह की तरफ से अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

एसओ मनबोध तिवारी ने घटना के संबंध में गांव वालों से पूछताछ की तो पता चला कि घटना वाले दिन शाम को शिवकुमार का अपने भाई देवकुमार से झगड़ा हुआ था. इस से पहले भी दोनों भाइयों का एकदो बार झगड़ा हो चुका था. देवकुमार घर से फरार भी था. इसलिए एसओ तिवारी का शक देवकुमार पर पुख्ता हो गया.

17 जुलाई, 2020 को उन्होंने मुखबिर की सूचना पर धनपतगंज से देवकुमार को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म  स्वीकार कर लिया.

घटना से 3 दिन पहले शिवकुमार ने उमा और देवकुमार को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. जिस के बाद शिवकुमार ने दोनों को मारापीटा. इस के बाद शिवकुमार का देवकुमार से कई बार झगड़ा हुआ.

13 जुलाई को घटना वाली रात भी दोनों में उमा को ले कर झगड़ा हुआ. उसी रात शिवकुमार का अचानक पेट खराब हो गया. उसे दस्त हो गए. वह भीटे (गांव के बाहर स्थित टीले) की तरफ गया. पहले से जाग रहे देवकुमार ने उसे जाते देखा तो उसे भाई को सबक सिखाने का अच्छा मौका मिल गया. उस ने घर में रखी कुल्हाड़ी उठा ली और उस के पीछेपीछे हो लिया.

भीटे में पहुंचते ही देवकुमार ने पीछे से शिवकुमार के सिर पर कुल्हाड़ी से कई वार किए. शिवकुमार जमीन पर गिर कर तड़पने लगा. चंद पलों में ही उस की मौत हो गई. भाई को मारने के बाद देवकुमार घर से फरार हो गया.

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लेकिन उस का गुनाह छिप न सका और वह पकड़ा गया. देवकुमार की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी भी बरामद हो गई. आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद देवकुमार को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

(कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित)

औलाद की खातिर : भाग 1

35 वर्षीय शिवकुमार सिंह उत्तर प्रदेश के जिला सुलतानपुर के गांव लखनेपुर का निवासी था. उस के पिता उदयभान सिंह खेतीबाड़ी का काम करते थे. शिवकुमार के 3 भाई थे. एक बड़ा राजकुमार और 2 छोटे नरेश और देवकुमार. राजकुमार का विवाह हो चुका था, वह पिता के साथ खेती के काम में हाथ बंटाता था.

शिवकुमार का विवाह करीब 12 साल पहले उमा से हुआ था. बाद में वह 2 बेटियों की मां बनी.

उमा जब पहली बार गर्भवती हुई, तब उस की चाह बेटे की थी. यह चाहत दूसरी बार भी बनी रही. दोनों बार उमा को निराश होना पड़ा.

शिवकुमार को पता था कि बेटा न होने से उमा दुखी है. वह उसे समझाता भी था, लेकिन वह बेटा न होने के गम में घुलती रहती है. यह अलग बात है कि कई मायनों में बेटियां बेटों से लाख गुना बेहतर होती हैं.

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उमा के जी में तो आग लगी रहती कि सब के बेटे हुए, पर उसे नहीं हुआ. उस में ऐसी कौन सी कमी है, जो बेटी पर बेटी हो गई.

बच्चों के बड़े होने पर खर्च तो बढ़ा, लेकिन आमदनी उस हिसाब से नहीं बढ़ी. शिवकुमार बाहर जा कर काम करने की सोचने लगा. उस के गांव के कुछ लोग फरीदाबाद में काम करते थे. शिवकुमार ने उन से बात की तो दोस्तों ने काम पर लगवाने का वादा कर उसे फरीदाबाद बुला लिया. शिवकुमार पत्नी और बच्चों को छोड़ कर फरीदाबाद चला गया.

फरीदाबाद में एक फैक्ट्री में उस की नौकरी लग गई. वहां काम पर लगने के कुछ दिन बाद ही उस ने किराए पर कमरा ले लिया. रहने का सही ठिकाना हुआ तो वह गांव आ कर पत्नी उमा और दोनों बेटियों को अपने साथ फरीदाबाद ले गया. इस तरह उस की गृहस्थी की गाड़ी ठीकठाक चलने लगी.

शिवकुमार का छोटा भाई देवकुमार गांव में बेरोजगार घूमता था. उस ने कुछ दिनों बाद देवकुमार को भी फरीदाबाद बुला लिया. उस ने उसे भी काम पर लगवा दिया. दोनों भाई अच्छा कमाने लगे.

उमा के लिए फरीदाबाद अजनबी शहर था. वह दिन भर कमरे में ही रहती थी और कमरे में 2 ही इंसान थे, जिन से वह बात कर सकती थी, एक पति और दूसरा देवर.

पति से तो उमा सीमित बात करती लेकिन देवर देवकुमार से खूब गपशप करती थी. देवकुमार उमा से आयु में छोटा था और अविवाहित भी. वैसे भी देवरभाभी का रिश्ता होने के कारण उन में खूब पटती थी.

पहले तो उमा के प्रति देवकुमार की नीयत में खोट नहीं थी. लेकिन जब से उमा ने उस के सामने बेटा न होने का राग अलापना शुरू किया, तब से देवकुमार की नीयत डोलने लगी. भाभी की इसी कमजोरी का लाभ उठा कर देवर देवकुमार अपना उल्लू सीधा करने की सोचने लगा.

एक दिन काम से वापस आ कर देवकुमार जब उमा के पास बैठा तो उमा ने फिर अपने दुखड़े का पुलिंदा खोल दिया, ‘‘पता नहीं, मैं ने ऐसा कौन सा अपराध किया था, जिस का दंड बेटियों के तौर पर मुझे मिल रहा है.’’

देवकुमार को अपना उल्लू सीधा करने की दिशा मिल गई, ‘‘भाभी, बेटा और बेटी तो समान होते हैं, फिर तुम्हें बेटियों से चिढ़ क्यों है.’’

‘‘मुझे बेटियों से चिढ़ नहीं, अपने नसीब से शिकायत है.’’ उमा बोली, ‘‘2 बेटियों में से एक भी बेटा हो गया होता तो आज मेरे कलेजे में आग न लगी होती. कम से कम बुढ़ापे का सहारा और चिता में आग देने वाला भी तो कोई होना चाहिए. बेटा न होने से हमारे बाद तुम्हारे भैया का वंश ही खत्म हो जाएगा.’’

‘‘भाभी, विश्वास रखो,’’ देवकुमार ने आकाश की ओर उंगली उठाई, ‘‘नीली छतरी वाले के घर देर है, अंधेर नहीं. भाभी, लगातार 2 बेटियां होने से तुम खुद को दोषी क्यों मानती हो,’’ देवकुमार ने स्वार्थ की बिसात पर शातिर चाल चली, ‘‘तुम्हारी यह इच्छा जरूरी पूरी होगी.’’

उमा ने उस की आंखों में देखा, ‘‘यह तुम किस आधार पर कह रहे हो?’’

‘‘इसलिए कि शायद तुम्हें पता नहीं कि बेटा हो या बेटी, उस के लिए जिम्मेदार मां नहीं पिता होता है.’’

उमा ने चौंक कर उस की ओर देखा,‘‘मैं समझी नहीं, खुल कर बोलो.’’

‘‘भाभी जमीन को जोत कर उस में जिस पौधे का बीज डाला जाए, वही पौधा उगता है.’’ देवकुमार ने कायदे से समझाया, ‘‘अगर बीज खराब हो तो वह अंकुरित नहीं होता, मिट्टी में ही पड़ा रह कर सड़ जाता है.’’

‘‘हां, सड़ जाता है.’’

‘‘और बीज कमजोर होता है, तो उस से निकला पौधा भी कमजोर होता है न.’’

‘‘हां, होता है.’’

‘‘बस बेटियां होने की भी यही वजह है.’’ देवकुमार ने उमा को अपने शब्दों में समझा कर उस की दुखती रग पर उंगली रखी, ‘‘शिवकुमार भैया अंदर से कमजोर हैं. दरजन भर बच्चे पैदा कर लो, लड़की ही होगी. और तुम लड़के के लिए तरसती रहोगी.’’

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उमा गहरी सोच में डूब गई. देवकुमार ने उस की भावनाओं पर एक और चोट की, ‘‘मेरी बात का विश्वास न हो तो किसी पढ़े लिखे समझदार व्यक्ति से पूछ लो.’’

उमा की सोच और गहरी हो गई. उमा को इसी भंवर में फंसा छोड़ कर देवकुमार सोने चला गया. मन ही मन खुश होते हुए वह सोच रहा था कि तीर सही निशाने पर लगा है, असर जरूर देखने को मिलेगा. देवकुमार का सोचना सही था. उस की बात ने उमा के दिल पर गहरा असर किया था.

उमा कुछ देर बाद सोच के भंवर से निकली और उस ने तय किया कि वह पता करेगी कि क्या वास्तव में संतान के लिंग धारण का जिम्मेदार पिता होता है.

अगले ही दिन बीमारी का बहाना बना कर उमा एक लेडी डाक्टर के यहां गई. उस ने डाक्टर से पूछा तो उस ने कहा कि संतान के लिंग निर्धारण का उत्तरदायी पिता होता है. डाक्टर ने उमा को एक्सवाई की थ्योरी भी समझा दी.

जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

औलाद की खातिर

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