पूछताछ के बाद पुलिस टीम ने अपनी जांच 3 बिंदुओं पर केंद्रित की. पहली नशेबाजी, दूसरी पारिवारिक कलह और तीसरी आशनाई. पुलिस टीम ने त्वरित काररवाई करते हुए मृतक विष्णु के कई नशेबाज दोस्तोंं को पकड़ा और उन से कड़ी पूछताछ की. लेकिन उन्होंने हत्या करने की बात स्वीकार नहीं की. पारिवारिक कलह की जांच में भी हत्या का कोई कारण या सबूत नहीं मिला.
अब पुलिस टीम ने अपना सारा ध्यान आशनाई पर केंद्रित किया. इस दिशा में जांच से पता चला कि शालू की पहली शादी कन्नौज जनपद के कस्बा गुरसहायगंज निवासी रामू के साथ हुई थी, लेकिन साल भर बाद ही शालू ने उस से तलाक ले लिया था. पुलिस को शक हुआ कि कहीं खुन्नस में रामू ने ही तो दोनों का मर्डर नहीं कर दिया.
पुलिस टीम ने रामू को उस के घर से हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की. रामू ने बताया कि दोनों का तलाक आपसी सहमति से हुआ था. तलाक के बाद शालू ने विष्णु से शादी कर ली थी और उस ने भी दूसरा विवाह कर लिया था. शालू और उस के बीच किसी प्रकार का कोई मनमुटाव नहीं था. उन दोनों की हत्या किस ने और क्यों की उसे कोई जानकारी नहीं है.
पूछताछ के बाद पुलिस को लगा कि रामू निर्दोष है, अत: उसे थाने से जाने दिया.
दूसरी ओर सर्विलांस प्रभारी सतीश सिंह ने मृतक विष्णु व शालू के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लिया. लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिल पा रहा था. यही नहीं उन्होंने घटनास्थल के पास स्थित टावर से डेटा डंप करा कर कुछ संदिग्घ नंबर निकाले और जांच टीम को सौंप दिए.
पुलिस ने नंबरों के आधार पर कुछ लोगों को पकड़ा भी और उन से सख्ती से पूछताछ भी की. लेकिन हत्या के संबंध में कोई जानकारी नही मिली. एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल डबल मर्डर के खुलासे के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रहे थे. साथ ही वह पुलिस टीम को दिशानिर्देश भी दे रहे थे. पर सफलता नहीं मिल पा रही थी.
इसी बीच सर्विलांस प्रभारी सतीश सिंह ने मृतक विष्णु व शालू के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. पता चला कि शालू के फोन से 3 अगस्त की प्रात: 8 बज कर 44 मिनट पर काल की गई थी. पुलिस टीम ने जब उस नंबर को खंगाला तो पता चला यह नंबर सुजातगंज निवासी शबीना का है.
पुलिस टीम शबीना के घर सुजातगंज पहुंची और उस से मोबाइल फोन नंबर के संबंध में पूछताछ की. शबीना ने बताया कि यह नंबर उसी का है लेकिन मोबाइल का इस्तेमाल उस का भांजा जमशेद करता है, जो उसी के साथ रहता है. उस ने यह भी बताया कि जमशेद 2 अगस्त की पूरी रात घर नहीं आया था.
जमशेद पुलिस की रडार पर आया तो पुलिस टीम ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया. इस के बाद 7 अगस्त, 2020 की रात उसे नाटकीय ढंग से सुजातगंज मोड़ पर पकड़ लिया गया. फिर उसे थाना रेलबाजार लाया गया.
थाने पर जब उस से रामलीला ग्राउंड के अंदर हुए डबल मर्डर के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब सख्ती की गई तो वह टूट गया और डबल मर्डर का अपराध कबूल कर लिया.
उस ने बताया कि हत्या में उस का मामा मो. दानिश तथा उस का साथी विकास गौतम भी शामिल थे. मो. दानिश गम्मू खां का हाता का रहने वाला था, लेकिन वर्तमान में वह मीरपुर (तलउवा) में रहता था. विकास गौतम कानपुर देहात के रामनगर (रूरा) का रहने वाला था. फिलहाल वह श्यामनगर (चकेरी) में रहता था.
इस के बाद पुलिस टीम ने जमशेद की निशानदेही पर मो. दानिश तथा विकास गौतम को भी पकड़ लिया. उन दोनों ने भी सहज ही हत्या का जुर्म कबूल लिया. यही नहीं उन तीनों ने पुलिस को शालू का मोबाइल फोन 4 हजार रुपए नकद, सोने की चेन तथा उस के पति विष्णु का मोबाइल फोन बरामद करा दिया.
पुलिस ने जब तीनों से मृतका शालू के साथ दुष्कर्म करने की बाबत पूछा तो तीनों ने साफ इनकार कर दिया.
पुलिस टीम ने डबल मर्डर का परदाफाश करने तथा माल बरामद करने की जानकारी एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह को दी, तो उन्होंने आननफानन में पुलिस लाइन सभागार में प्रैसवार्ता की और हत्यारोपियों को मीडिया के सामने पेश कर डबल मर्डर का खुलासा किया.
उन्होंने खुलासा करने वाली टीम को पुरस्कार स्वरूप 75 हजार रुपए देने की घोेषणा भी की. पुलिस खुलासे से जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है.
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मो. दानिश चमनगंज थाना क्षेत्र के गम्मू खां के हाता में रहता था. वह अपने भांजे जमशेद तथा साथी विकास गौतम के साथ चोरियां करता था.
तीनों नशेबाज थे और नशेबाजी करने रामलीला ग्राउंड जाते थे. यहीं एक रोज उन की नजर ग्राउंड में रहने वाले विष्णु की पत्नी शालू पर पड़ी. शालू टहलते हुए महंगे मोबाइल पर बात कर रही थी. उस का पहनावा भी रईसों जैसा था.
शालू को देख कर दानिश को लगा कि वह मालदार औरत है. उस ने अपने साथियों के साथ उस का घर साफ करने की योजना बनाई और उस के घर की रैकी करने लगा.
2 अगस्त, 2020 की रात 10 बजे मो. दानिश अपने साथी जमशेद व विकास के साथ रामलीला ग्राउंड में छिप कर बैठ गया. रात लगभग 12 बजे लाइट चली गई तो विष्णु और शालू कमरे के बाहर आ गए और खुले में बिस्तर लगा कर सो गए.
कुछ देर बाद वे तीनों वहां पहुंचे और शालू के तकिया के नीचे से चाबी निकालने लगे. तभी शालू जाग गई और चीख पड़ी. इस पर विकास ने उसे दबोच कर उस का मुंह दबा दिया. लेकिन शालू की चीख से विष्णु जाग गया था वह उन से भिड़ गया. इस पर मो. दानिश व जमशेद ने पास पड़ी ईंट उठा ली और दोनों विष्णु के सिर पर प्रहार करने लगे. विष्णु का सिर फट गया और वह बिस्तर पर ही ढेर हो गया.
विष्णु की हत्या के बाद विकास गौतम और जमशेद शालू को कमरे में घसीट ले गए. वहां उसे निर्वस्त्र किया, कामेच्छा पूरी की फिर उस का गला उसी की साड़ी से घोंट दिया. हत्या करने के बाद उन्होंने कमरे का सामान बिखेरा, बक्से का ताला खोल कर नकद रुपया, आभूषण कब्जे में किए और दोनों के मोबाइल फोन ले कर फरार हो गए.
ये तीनों पुलिस के हत्थे कभी नहीं चढ़ते यदि जमशेद के नाबालिग भाई ने शालू के फोन से जमशेद को फोन न किया होता. उस 13 सेकेंड की काल ने ही पुलिस को जमशेद तक पहुंचा दिया और तीनों पकड़े गए.
थाना रेलबाजार पुलिस ने मृतक विष्णु के पिता रामदीन को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/380/411 के तहत मो. दानिश, जमशेद व विकास गौतम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और तीनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.
आरोपियों ने वारदात के दौरान शालू से दुष्कर्म की बात नकार दी थी. लेकिन पुलिस ने उन की बात पर यकीन नहीं किया. अत: आरोपी दानिश, जमशेद व विकास का पुलिस ने मैडिकल कराया. अगर शालू की स्लाइड रिपोर्ट से आरोपितों की मैडिकल रिपोर्ट का मिलान होता है तो दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म की धारा बढ़ा दी जाएगी.
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9 अगस्त, 2020 को थाना रेलबाजार पुलिस ने अभियुक्त मो. दानिश, जमशेद तथा विकास गौतम को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को जिला जेल भेज दिया गया.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित