Corona का चक्रव्यूह, नरेन्द्र मोदी की अग्नि परीक्षा

प्रधानमंत्री दामोदरदास मोदी ने 14 अप्रैल के ऐतिहासिक दिवस पर सुबह 10 बजे कोरोना विषाणु महामारी के बरक्स देश को संबोधित किया. जैसा कि हम जानते हैं यह खबर कल से ही वायरल थी कि मंगलवार को प्रधानमंत्री देश को संबोधित करने जा रहे हैं.और इसके साथ ही बड़ी बेताबी के साथ देश की भयाकांत जनता प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को सुनने के लिए बेताबी से इंतजार कर रही थी. कुछ लोगों को यह उम्मीद थी कि देश के सर्वे सर्वा होने की फल स्वरुप नरेंद्र मोदी लोक लुभावनी घोषणाएं करेंगे , तो बहुत लोग यह अपेक्षा कर रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर प्रतीकात्मक रूप से संबोधन में उन्हें नमन करते हुए राजनीतिक “खिलंदड़ी” दिखा जाएंगे.  और अगर कहेंगे कि देश की जनता तुम डांस करो तो देश की जनता उनके कहने पर सड़कों पर नृत्य भी करने लगेगी.

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दरअसल  प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को देश की जनता को संबोधित करने में आनंद की अनुभूति होती है. क्योंकि आपके आह्वान पर देश की जनता वह सब करने लगती है जो अपने नेता या प्रधान मंत्री  के कहे पर किया जाता है. और विरोधी यह सब देख कर कहते हैं- देखो! किस तरह देश रसातल को जा रहा है. सवाल है, देश को संबोधित कर दिशा देने का और आम गरीब जनता को मजबूत संबल देने का, आज 14 अप्रैल हमारे देश के संविधान निर्माता डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के जन्म दिवस पर क्या नरेंद्र मोदी का संबोधन  इन चुनौतियों पर खरा उतर  है. इन प्रश्नों का  प्रति उत्तर देना अभी जल्दबाजी होगी. क्योंकि इनका सही जवाब भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है.

नरेन्द्र मोदी का हाव भाव!

आज जब जैसे ही सुबह  के 10 बजे, देश के सभी टीवी चैनलों पर जैसे समय थम गया. थोड़ी देर में नरेंद्र दामोदरदास मोदी प्रकट हुए उनके हाव भाव बदले हुए नजर आए कोरोना विषाणु के खिलाफ संदेश देते हुए उन्होंने चेहरा ढक रखा था जिसे सबसे पहले उन्होंने हटाया और देश की जनता को संबोधित करते हुए लगभग 20 मिनट तक अपनी बात विस्तार से रखी .आज मोदी के चेहरे पर बेहद गंभीरता दिखाई दे रही थी उनके एक एक शब्द में देश की जनता के लिए दिशा देते हुए संदेश था. उन्होंने अपने इस एक तरह से ऐतिहासिक भाषण में बाबा साहब को याद करने और नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ कोरोना विषाणु पर  कई अहम बातें रखी इसमें सबसे महत्वपूर्ण था देश को आगामी 3 मई तक लाख डाउन पार्ट 2 से गुजारना होगा. जैसा कि उम्मीद थी वही हुआ 30 अप्रैल तक के लाक डाउन की अपेक्षा तो देश कर ही रहा था. जो 3 दिन और बढ़ गई. उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग की बात की. यह कहना भी नहीं भूले की उनकी सरकार ने कोरोना विषाणु के प्रसारण के  पहले ही, देश को संभालने में कोई कोताही नहीं की है .और हां अगर नरेंद्र मोदी एक्शन प्लान नहीं बनाते तो देश में कोरोना के कारण भयावह तस्वीर आज देखने को मिलती. दरअसल, देश को संबोधित करने का कोई भी मौका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं छोड़ रहे हैं और ना ही यह बताने से गुरेज कर रहे हैं कि उनकी सरकार बेहतर से बेहतर कर रही है. मगर जमीनी हकीकत तो देश की आवाम जान ही रहीं है की किस तरह लोग सड़कों पर भूखे, नंगे, बदहवास  घूम रहे हैं.

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लोगों के आंसू कौन पोछेगा?

निसंदेह देश की सरकार, चुनी हुई सरकार ऐसे विकट समय में एक गार्जियन  की भूमिका निभाती है. आज का दौर महामारी के कारण आपात काल का समय है.   भले ही  घोषित रूप से देश में इमरजेंसी लागू नहीं हुई है. मगर यह समय इमरजेंसी से आगे का  है क्योंकि आपातकाल तो अल्प  समय के लिए ही होता है. मगर यह महामारी का समय, भीषण त्रासदी का दौर है. जो कब खत्म होगा, यह देश की सरकार भी नहीं जानती. ऐसे में चुनी हुई सरकार से देश की आवाम यही अपेक्षा कर सकती है देश की जनता को किस तरह इस महा संकट से निकाल कर के आप ले जायेंगे! यह समय सरकार के लिए भी एक बहुत बड़ी चुनौती का है, ऐसा समय शताब्दी में कभी कभी आता है. इन दिनों नरेंद्र मोदी के समय काल में यह जारी है. यही कारण है कि यह मोदी के परीक्षा का भी समय है. देश की गरीब गुरबा जनता पानी और खाने के लिए अगर घंटों इंतजार करती है, लाइन लगाती है चूल्हा नहीं जलता पीने का  पानी नहीं है  तो इसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ देश की चुनी हुई सरकार ही हो सकती है. ऐसे में इस चुनौती और परीक्षा की घड़ी को कैसे नरेंद्र मोदी की सरकार पार करेगी, यह  तो समय रेखांकित करेगा.

#coronavirus: हमारा कसूर क्या है साहब

एमपी में स्वास्थ महकमे के चार IAS अफसर कोरोना पौजिटिव है. भोपाल में 142 कोरोना पौजिटिव में स्वास्थ्य विभाग के ही 75 अधिकारी और कर्मचारी है.

इन बड़े IAS अफ़सरों की लापरवाही की सजा उनके नीचे के कर्मचारी और उनके परिवार वाले भुगत रहे हैं. इनमें क्लर्क, चपरासी और ड्राइवर भी हैं. यदि स्वास्थ्य विभाग के लोग इस क़दर संक्रमित नहीं होते तो भोपाल के रहवासी भी इतने सख्त लौकडाउन को  झेलने मजबूर न होते.

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कोरोना के लिए अब किसी गरीब और किसी क़ौम को दोष नहीं दिया जा सकता साहब .जब ये पढ़े लिखे अफ़सर ही कोरोना की भयावहता नहीं समझ पाए . अपने साहबजादों के‌ विदेश से लौटने की बात छिपाने वाले ये अफसर अपने मातहत अधिकारियों और घरेलू काम करने वाले नौकर चाकरों को  वायरस बाँटते रहे . अपने परिवार का पेट भरने के लिए लौकडाउन को तोड़ने वालेआम आदमी, मजदूर ,किसान और किसी कौम को जिम्मेदार ठहराने के पहले साहब यह भी सोच लो कि कसूर किसका है..

इन दिनों पुलिस छोटी छोटी जगहों पर कोरोना पीड़ितों के खिलाफ मामले दर्ज कर रही है. नरसिंहपुर जिले की चैक पोस्ट पर  एक तेरह साल के किशोर के शव वाहन को केवल इसलिए भोपाल वापस भेज दिया गया कि उस पर कोरोनावायरस के संक्रमित होने का संदेह था. एक छोटे से गांव के दलित युवक पर फेसबुक के माध्यम से कोरोना से संबंधित फर्जी पोस्ट करने पर एफ आई आर दर्ज कर ली गई .भोपाल और आगर के एक एक पत्रकार पर बीमारी फैलाने का आरोप लगाते हुए FIR हुयी है ,मगर इन अफसरों की लापरवाही पर सरकार की चुप्पी समझ से परे है.

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ई-नाम पोर्टल पर तीन नई सुविधाएं, किसान भाई निभाएंगे सोशल डिस्टेंसिंग के नियम

कोरोना (कोविड-19) वायरस से किसानों को कोई नुकसान नहीं हो, इसके लिए सरकार नई-नई योजनाओं और राहतों की घोषणाएं कर ही है. अब केंद्र सरकार ने देश के करोड़ों लघु और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) पोर्टल पर तीन सुविधाएं लांच की है. तो आइये जानते है इसके बारे में….

केंद्रीय कृषि मंत्री ने बीते सप्ताह कोरोना वायरस के संक्रमण काल में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का ख्याल रखते  हुए , किसान भाईयों के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार के ई- प्लेटफ़ॉर्म की प्रभावशीलता बनाने के लिए तीन उपयोगकर्ता के अनुकूल सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को लॉन्च किया. इससे किसानों को अपनी उपज को बेचने के लिए खुद थोक मंडियों में आने की जरूरत कम हो जाएगी. वे उपज  वेयरहाउस  में रखकर वहीं से बेच सकेंगे.

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कोरोना वाय़रस के संक्रमण के इस दौर में इसकी आवश्यकता है. साथ ही एफपीओ अपने संग्रह से उत्पाद को लाए बिना व्यापार कर सकते हैं व लॉजिस्टिक मॉड्यूल के नए संस्करण को भी जारी किया गया है, जिससे देशभर के पौने चार लाख ट्रक जुड़ सकेंगे. परिवहन के इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से उपयोगकर्ताओं तक कृषि उपज सुविधापूर्वक शीघ्रता से पहुंचाई जा सकेगी.

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अनाज, फल और सब्जियों की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने में मंडियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. नई सुविधाओं से छोटे और सीमांत किसानों को काफी सहूलियत होगी. वे अपनी उपज मान्यता प्राप्त गोदामों में रख पाएंगे, लॉजिस्टिक्स खर्चों को बचा सकेंगे और बेहतर आय अर्जित करते हुए देशभर में उपज को अच्छे तरीके से बेचकर खुद को परेशानी से बचा सकते हैं. मूल्य स्थिरीकरण समय और स्थान उपयोगिता के आधार पर किसान आपूर्ति और मांग की तुलना करते हुए फायदे में रहेंगे.

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एफपीओ को बोली के लिए अपने आधार/संग्रह केंद्रों से अपनी उपज अपलोड करने में सक्षम बनाया जा सकेगा. वे बोली लगाने से पहले उपज की कल्पना करने में मदद के लिए आधार केंद्रों से उपज और गुणवत्ता मापदंडों की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं. एफपीओ के पास सफल बोली लगाने के बाद मंडी के आधार पर या अपने स्तर से उपज वितरण का विकल्प रहेगा. इन सबसे मंडियों में आवागमन कम होने से सभी को सुविधा होगी, परिवहन की लागत कम होगी. साथ ही ऑनलाइन भुगतान की सुविधा मिलेगी.

आपको बता दे कि ‘ ई-नाम’ पोर्टल 14 अप्रैल 2016 को शुरू किया गया था, जिसे अपडेट कर काफी सुविधाजनक बनाया गया है. इसमें पहले से ही 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 585 मंडियों को ई-नाम पोर्टल पर एकीकृत किया गया है इसके अतिरिक्त 415 मंडियों को भी ई-नाम से जल्द ही जोड़ा जाएगा, जिससे इस पोर्टल पर मंडियों की कुल संख्या एक हजार हो जाएगी. ई-नाम पर इन सुविधाओं के कारण किसानों, व्यापारियों व अन्य को मंडियों का चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी.

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#coronavirus: दैनिक मजदूरों की स्थिति चिंताजनक

ग्रामीण क्षेत्रों में लौक डाउन की वजह से दैनिक मजदूरों की हालत अत्यंत चिंताजनक हो गयी है. ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर कृषि कार्य, भवन निर्माण, सरकारी योजना या बड़े बड़े ठीकेदारों द्वारा बनाये जा रहे सड़क, पुल पुलिया निर्माण में कार्य करने वाले लोगों का  काम पूर्णतः ठप्प है. इनके घरों में चूल्हा तभी जलता है जब दिन भर काम करते हैं. शाम को मजदूरी मिलती है. इनके घरों में महीने भर का राशन पानी नहीं रहता.

सुरेश राम भवन निर्माण के कार्यों में दैनिक मजदूरी का काम करते हैं. मजदूरी के रूप में 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है. पत्नी बच्चों के साथ साथ बृद्ध माता पिता हैं. कुल सात परिवार हैं. लॉक डाउन की वजह से काम धंधा बन्द है.

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मुन्नी एक आदमी के घर में खाना बनाने,बर्तन धोने और झाड़ू पोछा का काम करती है. लॉक डाउन की वजह से उसके मालिक ने काम छोडवा दिया है. इनके घरों में चूल्हा जुटना मुश्किल हो गया है.मुन्नी ने दिल्ली प्रेस को बतायी की भारतीय युवा मंच के कुछ युवा लोग मेरे घर पर आकर राशन और जरूरी सामान पन्द्रह दिन के लिए देकर गए हैं जिससे तत्काल में काम चल रहा है. अधिकांशतः घरों में काम करने वाली कामकाजी महिलाओं को उसके मालिक ने काम से हटा दिया है. इन महिलाओं के साथ भुखमरी की समस्या पैदा हो गयी है

.राजू पासवान राजमिस्त्री का काम करता है. काम धंधा बन्द होने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.घर में जमा किये हुवे पैसा पत्नी की बीमारी में समाप्त हो गए .

लोगों के द्वारा मालूम हुआ कि सरकार के तरफ से प्रति परिवार पाँच किलो अनाज फ्री में दिया जाएगा.लेकिन अभी तक नहीं मिला है.जनवितरण प्रणाली विक्रेता से पूछने पर बताता है कि आएगा तब न देंगे.अपना जमीन बेचकर थोड़े देंगे.इसी तरह महानगरों से किसी तरह पैदल मालगाड़ी या कोई माध्यम से अपने घरों तक पहुँचे कुछ मजदूरों को स्कूल या सामुदायिक भवन में रखा गया है. जो मजदूर अपने घरों में भी हैं. उन्हें कृषि कार्यों में भी किसान नहीं लगा रहे हैं. यहाँ तक कि उनसे लोग इतना घृणा कर रहे हैं कि वह एक ब्यक्ति नहीं बल्कि कोरोना वायरस है.

अगर यही हालात रह गए और लॉक डाउन अधिक दिनों तक खींच गया तो कोरोना वायरस से क्या भूख और कुपोषण से इन मजदूरों के परिवार वाले दम तोड़ने लगेंगे.

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गाँव में बहुत सारे सुखी सम्पन्न लोग हैं जिनके पास गरीबी रेखा वाला राशन कार्ड है. बहुत सारे ऐसे गरीब और मजबूर लोग हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. टेलीविजन अखबार और रेडियो पर सरकार द्वारा घोषणाओं का अंबार है. देख सुनकर येसा लगता है कि लोगों तक पैसों और हर तरह की सामग्री भरपूर मात्रा में पहुँच रही है. कहीं किसी चीज की कोई कमी नहीं है. लेकिन वास्तविक स्थिति कुछ अलग ही है. घोषणाओं का सिर्फ ढोल पीटा जा रहा है. लोगों तक वे चीजें पहुँच नहीं पा रही है. मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री राहत कोष में दिए गए अरबों रुपये इन बेसहारा भूखों नंगों तक नहीं पहुँच पा रहा है. दुष्यंत कुमार की गजल की पंक्ति है – सारी नदियां सुख जाती है, मेरे गांव के आते आते.

Lockdown में गुटखा नहीं दिया तो दुकानदार को मार दी गोली

कोरोना के कहर से जहां पूरे देश में लौकडाऊन है, वहीं कुछ असामाजिक तत्व भी हैं जो न सिर्फ नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, संगीन अपराध करने से भी बाज नहीं आ रहे.

घटना उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के विंध्याचल की है. लौकडाउन के कारण वहां जरूरी दुकानें ही खुली थीं. इसी दौरान कुछ असामाजिक लोग एक दुकान में गुटखा लेने पहुंचे. दुकानदार ने कहा कि हमारे दुकान पर नहीं बिकता. इस बात को ले कर बदमाशों का दुकानदार से झगङा हो गया. दुकानदार ने इस बीच बदमाशों से कहा भी कि अभी लौकडाऊन में सब बंद है और दुकान में जरूरी सामनों की ही किल्लत है तो फिर गुटखा तो दूर. इस पर बदमाश कहने लगे कि दुकान के अंदर जा कर देखेंगे. दुकानदार ने इस का विरोध किया. बात काफी बढ गई. बदमाशों ने पहले तो दुकानदार को गंदीगंदी गालियां दीं और फिर उन में से एक ने उस की गोली मार कर हत्या कर दी. हत्या करने के बाद सभी बदमाश फरार हो गए.

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घटना ने खोली सतर्कता की पोल

यह सनसनी घटना अमरावती चौराहा पैट्रोल टंकी के पास रात 9:00 बजे की है. घटना की जानकारी मिलने पर अपर पुलिस अधीक्षक नगर मौके पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली, मगर इस वारदात ने पुलिस की सतर्कता की भी पोल खोल कर रख दी है कि अपराधी कैसे लौकडाउन की चौकसी के बीच ही असलहा ले कर घूम रहे थे और पुलिस को इस की भनक तक नहीं लगी थी?

वारदात के बाद अब पुलिस अधिकारी आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से सुराग की कोशिश में जुटी है.

पिस्तौल लहराते भागे बदमाश

जानकारी के मुताबिक, अमरावती चौराहा पैट्रोल टंकी के पास राधेश्याम मौर्य की दुकान है और यह इलाका काफी चहलपहल वाला है. गोली की आवाज लोगों ने सुनी तो आसपास के लोग जुटने लगे. मगर इस से पहले कि लोग जुटते बदमाश पिस्तौल लहराते भाग गए.

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आननफानन में घटना की सूचना पुलिस को दी गई और 108 नंबर पर काल कर ऐंबुलेंस बुलाया गया.तत्काल दुकानदार को अस्पताल के लिए भेजा गया लेकिन रास्ते में ही उस की मौत हो गई.

वारदात के वक्त पहुंचे एसपी सिटी प्रकाश स्वरूप पांडेय और थानाध्यक्ष वेद प्रकश राय ने परिजनों और अन्य लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की. वायरलेस से सूचना प्रसारित कर बाइक सवारों को देखते ही पकड़ने के लिए बोला गया, लेकिन काफी देर बाद भी सफलता नहीं मिली.

खुद भी रहें सावधान

इस घटना से आसपास के लोग सकते में हैं और पुलिस पर सवाल भी खङे कर रहे हैं कि लौकडाऊन में इतनी सतर्कता के बावजूद भी अगर बदमाश पिस्तौल ले कर चल रहे हैं तो जाहिर है वे बङीबङी वारदातों को भी अंजाम दे सकते हैं. जगहजगह पुलिस बेरिकेड के बावजूद कोई असलहा ले कर घूमे तो जाहिर है लोगों का पुलिसप्रशासन से विश्वास भी डगमगाएगा ही.

ऐसे में पहली बात तो यह कि लोगों को चाहिए कि वे घरों में रहें और किसी अनजान व्यक्ति को घर में कतई न आने दें. लौकडाऊन में अपराधी किस्म के लोग इस का फायदा उठा कर गंभीर वारदात को अंजाम दे सकते हैं.

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लत है गलत

दूसरा, नशा चाहे शराब की हो या गुटखा अथवा सिगरेट की, लत लग गई तो छोङे नहीं छूटती. परिवार के लोगों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें खासकर लड़कों पर कि उन की किनकिन से दोस्ती है और वे कहांकहां आतेजाते हैं. पुलिसप्रशासन से जरूरी यह भी है कि अभिभावक अपने बच्चे पर भी कङी नजर रखें ताकि बेहतर परवरिश से उन को शिक्षित बना सकें, उन्हें अपने पैरों पर खङे कर सकें. लत अगर बुरी लग गई तो इस की जद में आरोपी के साथ परिवार वाले भी आ जाते हैं.

पुलिस आज न कल बदमाशों को गिरफ्तार जरूर कर लेगी. वे सालों जेलों में सङेंगे पर सवाल अब भी और तब भी वही होगा कि बुरी लत को मन पर हावी करने का हस्र हमेशा गलत और खतरनाक ही होता है.

#coronavirus: मानवता हुवी शर्मसार, एम्बुलेंस के अभाव में बच्चे ने तोड़ा दम

बिहार राज्य अंतर्गत जहानाबाद जिला से एक दिल दहलाने वाली घटना प्रकाश में आयी है.जहानाबाद सदर अस्पताल ने एम्बुलेंस मुहैया नहीं कराया इसकी वजह से एक तीन वर्षीय बच्चे की मौत हो गयी. बताया जाता है कि उक्त बच्चे का ईलाज पहले कुर्था स्वास्थ्य केंद्र पर किया गया.लेकिन स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो सका.सदर अस्पताल जहानाबाद के लिए यहाँ से रेफर किया गया .जब एम्बुलेंस की मांग की गयी तो नहीं मिल सका. बच्चे के माता पिता किसी तरह औटो रिक्शा से सदर अस्पताल जहानाबाद ले गए.वहाँ से इस बच्चे को पटना पी एम सी एच के लिए रेफर कर दिया गया.

बच्चे के माता पिता ने एम्बुलेंस के लिए बहुत आग्रह किया लेकिन पदाधिकारियों द्वारा मुहैया नहीं कराया गया.थक हारकर माता पिता बच्चे को गोद में लेकर पैदल चल दिये.उम्मीद थी कि शायद कहीं प्राइवेट गाड़ी मिल जाय लेकिन गाड़ी नहीं मिल सकी. सड़क पर चलते चलते माँ के गोद में ही बच्चा ने दम तोड़ दिया.माँ बाप चीख चीख कर सड़क पर ही बैठकर रोने लगे. बच्चे के मृत्यु के बाद सदर अस्पताल पुनः आकर एम्बुलेंस की माँग की लेकिन नहीं मिल सका. मजबूर होकर बच्चे के शव को गोद में उठाये पैदल ही रोते बिलखते चल दिये.एक आदमी को दया आयी उसने अपने निजी गाड़ी से इनलोगों को घर तक पहुँचाया .

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बच्चे के पिता गिरजेश कुमार ने बताया कि अगर मुझे एम्बुलेंस उपलब्ध कराया जाता तो मेरे बच्चे की जान नहीं जाती.जब यह मामला तूल पकड़ा तो डी एम नवीन कुमार ने हॉस्पिटल मैनेजर को सस्पेंड कर दिया और सिविल सर्जन से जवाब तलब किया है.दो डाक्टर और चार नर्स पर कार्यवाई हेतु स्वास्थ्य विभाग को डी एम ने पत्र लिखा है.

कोरोना वायरस के बीच बढ़ते संक्रमण के बीच यह मामला बिहार सरकार की तैयारी का पोल खोलकर रख दिया है.

बिहार के सभी प्रखण्ड स्तरीय अस्पतालों में ओ पी डी सेवा बन्द कर दी गयी है.सर्दी खाँसी और बुखार अगर किसी को है तो उसे बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जा रहा है.लेकिन उसे एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.लॉक डाउन की वजह से प्राइवेट गाड़ी नहीं मिल पा रहा है.लोग मजबूर हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत सारे ऐसे मरीज हैं जिनका ईलाज राजधानी के अस्पतालों से चलता है.उनलोगों के पास दवा समाप्त हो गयी है.लोकल बाजारों में वे दवाएँ उपलब्ध नहीं है.नवल सिंह ने बताया कि मेरा हर्ट की दवा पटना के डॉक्टर के देख रेख में चलता है.दवा समाप्त हो गयी है.गाड़ी पटना नहीं आ जा रही है.उन्होंने बताया कि सिर्फ मेरे बस्ती के आठ लोगों का ईलाज पटना से चलता है.लगभग सभी लोगों के पास दवा समाप्ति के कगार पर है.

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लोगों के बचाव और सुरक्षा के लिए लौक डाउन रखा जाय लेकिन इस तरह के मरीजों का ख्याल भी रखा जाय कि जिनका जीवन दवा पर ही आधारित है.उनका जीवन कैसे चलेगा.

लौक डाउन की वजह से वे कोरोना से नहीं पहले से चल रहे दूसरे बीमारी के ईलाज और दवा के अभाव में लोग दम तोडने लगेंगे.

Lockdown में भोजपुरी क्वीन रानी चटर्जी ने शेयर की सालों पुरानी फोटोज, पहचानना हुआ मुश्किल

भोजपुरी इंडस्ट्री की एक्ट्रेसस का जलवा अपने आप में सबसे अलग हैं, फिर चाहे उनके गाने हो या एक्टिंग स्टाइल, भोजपुरी स्टार्स ने सब के दिलों में अपनी अलग पहचान बनाई हैं. जैसा कि हम सब जानते हैं कि कोरोना वायरस (Corona Virus) के चलते पूरे विश्व को एक मुश्किल समय का सामना पड़ रहा है और इस बिमारी की वजह से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को कुछ दिनों के लिए पूरे भारत को लौकडाउन (Lockdown) करना पड़ा जिसका मतलब ये है कि कोई भी बिना वजह अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकता.

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रानी चटर्जी ने शेयर की पुरानी फोटोज…

ऐसे समय में सभी सेलेब्रिटीज अपने अपने घरों से ही कुछ क्रिएटिव कर सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं और साथ ही अपने फैंस को टिप्स भी दे रहे कि उन्हें इस लौकडाउन के समय में क्या-क्या करना चाहिए. ऐसे में भोजपुरी इंडस्ट्री की जानी मानी एक्ट्रेस रानी चटर्जी (Rani Chatterjee) ने अपने औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने फैंस के लिए कुछ फोटोज शेयर की हैं जो कि काफी पुरानी हैं.

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फैंस को बेहद पसंद आईं रानी की ये तस्वीरें…

इन फोटोज के साथ रानी चटर्जी (Rani Chatterjee) ने कैप्शन में लिखा कि,- “#throwback #10yearsold #picture बैठे बैठे पुरानी तस्वीरों का पिटारा खोला बहुत सारी तस्वीरें मिली जो आप सभी के साझा करुगी.” इन फोटोज को देख ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि रानी चटर्जी अपने शुरूआती दिनों से ही काफी सुंदर थी. रानी के फैंस उन्हें काफी पसंद करते हैं और उनकी हर फोटो और वीडियो पर जमकर लाइक्स और कमेंट्स की बरसात करते हैं.

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फोटोज देख कोई भी हो जाएगा हैरान…

एक बार को तो रानी चटर्जी की पुरानी फोटोज देख कोई भी धोखा खा जाएगा कि क्या ये वोही रानी चटर्जी है कि आज के समय में भोजपुरी इंडस्ट्री की सबसे हौट और ग्लैमरस एक्ट्रेस है. रानी की पुरानी फोटोज काफी सिंपल है और सिंपल होने के साथ साथ वे अपनी हर फोटो में काफी क्यूट लग रही हैं.

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एक्ट्रेस सनी लियोन नें Hot Photos शेयर कर बढ़ा दी फैन्स की धड़कने

अभिनेत्री और पोर्न स्टार सनी लियोन (Sunny Leone) नें इस लॉकडाउन (Lockdown) के बीच अपनी कई तस्वीरों को अपने इन्स्टाग्राम एकाउंट पर साझा किया है जिसमें वह हौट लुक्स में कहर ढा रहीं हैं. सनी लियोन हौट और सेक्सी अंदाज के चलते अपने फैन्स के बीच खासा फेमस हैं. वह अक्सर ही अपनी सेक्सी और बोल्ड तस्वीरें अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर साझा करती रहतीं हैं. उसी कड़ी में उन्होंने हाल ही में कुछ तस्वीरें अपने इन्स्टाग्राम और ट्विटर अकाउन्ट पर शेयर की है.

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इन्स्टाग्राम पर शेयर किये एक तस्वीर में वह पूल में लेटी नजर आ रहीं हैं और उन्होंने अपने बदन पर ब्लैक कलर की बिकनी पहन रखी है. इस तस्वीर पर सनी को खूब रियक्शन मिल रहा है. वहीँ एक दूसरी तस्वीर में सनी बहुत ही बोल्ड अंदाज में एक नाव में खड़ीं हैं इसके बैकग्राउंड में पहाड़ और समुद्र का सीन तस्वीर को और भी मादक बना रहा हैं.

तीसरी तस्वीर जिसमें उन्होंने ब्लैक बिकनी के साथ ओलिव ग्रीन कलर का ट्रांस्पेरेंट क्रॉप टॉप पहना हुआ है। इस तस्वीर में बड़े ही मादक अंदाज में जीप से सट कर खड़ी नजर आ रही हैं. एक तस्वीर में सनी नें हल्के कलर की बिकनी पहन रखी है जिसमें उनका एक पैर पूल में है तो एक पैर पूल के ऊपर इस तस्वीर को देख कर फैन्स के दिल की धडकनें बढ़ जाना लाजिमी हैं. इसके अलावा भी उन्होंने कई तस्वीरें साझा की हैं जिसमें वह  कहर ढाती नजर आ रहीं हैं.

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ट्विटर पर की और भी हौट तस्वीरें शेयर

सनी लियोनी नें जितनी भी फोटोज इन्स्टाग्राम पर शेयर की है उन तस्वीरों के साथ उससे जुडी दूसरी हौट तस्वीरें अपने ट्विटर एकाउंट पर शेयर की हैं. इसमें वह जीप के साथ अलग- अलग पोजीशन में नजर आ रहीं हैं. वहीँ ट्विटर पर शेयर किये नीली बिकनी वाले तस्वीर में तो वह विजली ही गिरा रहीं हैं.

सनी नें घोड़े के पीठ पर बैठ कर भी एक तस्वीर शूट कराई है जिसे उन्होंने इस लॉक डाउन के बीच अपने सोशल मिडिया एकाउंट पर भी शेयर किया है. इस तस्वीर पर उनको ढेर सारे लाइक मिले हैं.

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आप को बतातें चलें की Lockdown के चलते एक्ट्रेस सनी लियोनी अपने तीनों बच्चों और पति डेनियल के साथ घर पर ही समय बिता रहीं हैं और खूब इंज्वाय भी कर रहीं हैं.  सनी लियोनी के हौट तस्वीरों के शेयर किये जानें के चलते उनके सोशल मीडिया पर जबरदस्त फालोअर्स भी हैं. जहां उनके इंस्टग्राम पर 33.7 मिलियन फॉलोअर्स हैं वहीँ ट्विटर पर 5.3 मिलियन फालोअर्स की संख्या है.

ट्विटर पर शेयर की फोटोज…

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Lockdown में सहारा बने ग्रामीण चिकित्सक

लेखक- शम्भू शरण सत्यार्थी

कोरोना कोविड 19 बीमारी को लेकर सरकारी  जिला अस्पताल से लेकर प्रखण्ड स्तर पर स्थापित अस्पतालों में आउट डोर बन्द हैं. यहाँ अन्य किसी प्रकार की बीमारी का ईलाज नहीं किया जा रहा है. सिर्फ कोरोना से संदिग्ध मरीजों के ईलाज के लिए तामझाम के साथ ब्यवस्था की गयी है. ब्लॉक स्तर पर स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और कहीं कहीं रेफरल अस्पताल में स्टाफ चौबीस घण्टे तैनात हैं.ग्रामीण

क्षेत्रों में सरकार द्वारा संचालित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र बन्द कर दिए गए हैं.उन स्टाफों को ब्लॉक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या रेफरल अस्पताल और सदर अस्पताल में ड्यूटी लगा दी गयी है. लेकिन ब्लॉक स्तरीय सरकारी अस्पतालों में विशेष काम नहीं है. इसलिए कि जब आउट डोर बन्द कर दिया गया है तो मरीजों की संख्या नहीं के बराबर है.महानगरों से आये जिन मजदूरों को अगर सर्दी खाँसी है तो उन्हें तत्काल रेफर कर दिया जा रहा है. रेफर करना लोग इसलिए चाह रहे हैं कि हमलोग जहमत मोल क्यों लें ?

मौसम में बदलाव की वजह से सर्दी खाँसी और वायरल बुखार से बहुत लोग परेशान हैं.सरकारी अस्पतालों में आउट डोर की ब्यवस्था बन्द कर दी गयी है.

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अब लोग जायें तो जाएँ कहाँ कोई उपाय नहीं ? जिसे सरकार और बड़े लोग हेय दृष्टि से देखते हैं. लोग जिन्हें झोला छाप डॉक्टर बोलते हैं.

ये झोला छाप और क्वैक के नाम से जाने जाने वाले डॉक्टर लोगों की सेवा में चौबीस घण्टा हाजिर हैं.अपना निजी क्लिनिक चलाने वाले डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि मेरा अस्पताल रेफरल अस्पताल के ठीक बगल में है.वहाँ ओ पी डी बन्द रहने की वजह से लोग ईलाज कराने के लिए मेरे पास आ रहे हैं.मैं गरीब मरीजों का निःशुल्क ईलाज करा रहा हूँ. हमें जितनी जानकारी है उस हिसाब से मैं लोगों का ईलाज कर रहा हूँ. इन्हीं के पास ईलाज करा रही प्रमिला देवी ने बतायी की मुझे कई दिनों से बुखार लग रहा था.ठीक नहीं हो रहा था.यहाँ जब डॉक्टर साहब के पास आये तो इन्होंने जाँच कराया तो टायफायड बुखार निकला अब तीन चार दिन से बिल्कुल ठीक हैं.

घर के लोग चिंतित थे और दूरी भी बनाने लगे थे.किसी को सर्दी बुखार या खाँसी हो रहा है तो लोग उसे सन्देह की निगाह से देख रहे हैं. हमारे लिए तो डॉ अरविंद बाबू भगवान के समान हैं.निजी क्लिनिक और साथ में लैब टेक्नीशियन संजय कुमार लोगों का तो इलाज अपने क्लिनिक में कर ही रहे हैं. अपने तरफ से  मास्क गरीब मुहल्ले में जाकर बाँट रहे हैं और लोगों को कोरोना जैसी बीमारी से बचने के लिए उपाय भी बता रहे हैं. सुदूर देहात में रहने वाले अरुण कुमार रंजन ने बताया कि मैं अपने गाँव में लोगों का निःशुल्क ईलाज करता हूँ.सुई देता हूँ.मैं कोई डॉक्टर तो नहीं हूँ लेकिन मुझे जो जानकारी है. एक डॉक्टर के साथ में रहकर मैंने जो सीखा है. उस आधार पर मैं लोगों का ईलाज करता हूँ.इस समय सरकारी अस्पतालों में आम बीमारियों का ईलाज नहीं हो रहा है. लोग मेरे पास आ रहे हैं.

ग्रामीण मोहन सिंह ने बताया कि अगर हमारे गाँव मे अरुण जैसा आदमी नहीं होता तो हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता.इसी तरह राजेश विचारक ने बताया कि मैं हड्डी से सम्बंधित ईलाज करता हूँ लेकिन इस समय लोग अन्य बीमारियों से सम्बंधित मरीज मेरे पास आ रहे हैं. मुझे जितनी जानकारी है. उस हिसाब से मैं लोगों का ईलाज कर रहा हूँ.मरीजों का ईलाज करने वाले शिक्षक सन्तोष कुमार ने बताया कि मैं पहले ईलाज करता था उसके बाद सरकारी शिक्षक बन गया लेकिन ईलाज करने का सिलसिला सुबह शाम और रात्रि में जारी रहा.आज लॉक डाउन के दौरान मेरे पास लोग ईलाज कराने के लिए आ रहे हैं और उनका मैं अपने जानकारी के हिसाब से ईलाज कर रहा हूँ.

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वास्तव में अगर ये ग्रामीण क्षेत्रों में ये इलाज करने वाले ग्रामीण चिकित्सक नहीं होते तो इस लॉक डाउन की वजह से लोगों को और परेशानियों का सामना करना पड़ता.महानगर के बड़े अस्पतालों में ईलाज कराने वाले लोगों की दवा ग्रामीण क्षेत्र के बहुत लोगों के पास समाप्त हो गयी है.आवागमन बन्द है.लाचार होकर वैसे लोग भी इन ग्रामीण चिकित्सकों से राय सलाह कर तत्कालिक दवाB लेकर सेवन कर रहे हैं.कोरोना जैसी बीमारी के बढ़ते प्रभाव को देखकर बिहार में इन प्राइवेट डॉक्टरों को भी तत्कालिक प्रशिक्षण देकर सेवा लेने की कवायद चल रही है.लेकिन अभी तक यह कागजों तक ही सीमित है.

#coronavirus: यमराज की अपील

लेखक- राजेश चौरसिया

  • सड़कों पर उतरे यमराज..
  • पुलिस ने यमराज से दिलवाई समझाईश..
  • पुलिस की लॉक डाउन को लेकर अनोखी पहल..
  • लोगों को लॉक डाउन के प्रति सजग रहने करने प्रयास..

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देशभर में फैली कोरोना महामारी से बचने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे भारत में लॉक डाउन कर दिया है और पुलिस प्रशासन लोक डाउन को सफल बनाने के लिए लोगों को नए नए अंदाज में समझा दे रही है. कहीं पुलिस गाना गाकर लोगों को घरों के अंदर रहने के लिए कह रहे हैं तो कहीं अलग ही कुछ कलाएं दिखाकर लोगों को समझा बुझा रहे हैं ऐसा ही मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में पन्ना पुलिस ने लोगों को समझाएं इसके लिए सड़कों पर साक्षात यमराज को उतारा है और बखूबी यमराज भी पन्ना की सड़कों में घूमकर लोगों को लॉक डाउन के नियम व घर में रहने की समझाइश दे रहे हैं जरा देखिए यमराज जी किस तरह पन्ना की जनता को समझा रहे हैं.

yamraj

यमराज (मोहन लाल जड़िया यमराज के किरदार में) कह रहे हैं कि मैं पन्ना की  जनता से नाराज हूं क्योंकि आप लोग लॉक डाउन के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं अगर आप लोगों को करो ना जैसी महामारी से बचना है तो आप अपने घरों में रहिए अपने हाथों को बार-बार दोगे और एक दूसरे से डिस्टेंस बनाकर रखिए अगर ऐसा नहीं किया आपने तो मुझे मजबूरन आप लोगों को अपने साथ ले जाना पड़ेगा हा हा हा हा हा हा.

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