इस भोजपुरी गाने ने दिखाई शराबी आदमी की पत्नी की तड़प, देखें Video

शराब एक ऐसी सामाजिक बीमारी है,जिसके चलते आए दिन परिवारों के अंदर कलह होती रहती है.इतना ही नहीं शराब जैसी सामाजिक बीमारी के चलते लोग अपने शराब का सेवन करने वाले प्रियजनों को भी खो रहे हैं. इसी मुसीबत से हर इंसान व परिवार को बचाने के मकसद से बिहार सरकार ने शराब बंदी लागू की है.

मगर इसका खास असर बिहार में नजर नही आ रहा है. अभी भी लोग चोरी छिपे शराब खरीद रहे हैं और उसका सेवन कर रहे हैं. ऐसे में सामाजिक मुद्दों पर आधारित गाने लेकर आने वाली मशहूर संगीत कंपनी ‘‘विजय लक्ष्मी म्यूजिक’’ एक नया गाना ‘‘मिल गईल पियवा पियक्कड़” को बाजार में लेकर आयी है. यह गाना विजय लक्ष्मी भोजपुरी ट्यून पर रिलीज हुआ है, जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं. यह एक विशुद्ध रूप से सामाजिक सरोकारों वाला गाना है.

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यह गाना एक शराबी पुरूष की पत्नी की पीड़ा व वेदना को जगजाहिर करता है. इस गाने में अपने पति से पीड़ित पत्नी अपनी वेदना सुनाते हुए कहती है-‘‘मिल गईल पियवा पियक्कड़”. जिसे नीतू श्री ने अपनी मधुर व वेदनामयी आवाज मेें स्वरबद्ध किया है.

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नीतू श्री कहती हैं-‘‘वर्तमान दौर के एक ज्वलंत विषय पर आधारित है. इस गाने कापक्ष जितना मनोरंजक है, उतना ही यह समाज में जागृति लाने वाला भी है.

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यह ऐसा गाना है,जिसे हर पुरूष व नारी को सुनना चाहिए. बहुत मजा आएगा. आप भी गाने को सुने और दूसरे को भी सुनाएँ. ’’ गीत ‘‘मिल गईल पियवा पियक्कड़” के गीतकार अमन अलबेला ,संगीतकार लार्ड जी,निर्देशक रंजीत कुमार सिंह और नृत्य निर्देषक गणेश सपना है.

अक्षरा सिंह को लेकर नीलकमल सिंह ने गाया अश्लील गाना, तो फिल्म एसोसिएशन ने उठाया ये कदम

फिल्म मेकर एसोसिएशन के अध्यक्ष शशिनाथ दुबे ने अश्लीलता के खिलाफ मुहिम छेड़ने की ठान ली हैं. उन्होंने तय कर लिया हैं कि संगठन अश्लीलता के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएगी. आए दिन देखा जाता रहा है कि भोजपुरी फिल्मों व सोशल मीडिया यूट्यूब आदि पर अश्लीलता अपने चरम पर है. खास कर भोजपुरी गायक अश्लील गीत संगीत परोस कर एक प्रकार से भोजपुरी समाज को बदनाम करने में लगें.

हाल ही में नीलकमल सिंह ने भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह से संबंधित अश्लील व शर्मनाक गीत गाया गया है. जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. इस प्रकार के कई मामले आए दिन देखने को मिलते हैं. लेकिन,यह मामला जब गरमाया और भोजपुरी फिल्म के गायक नीलकमल सिंह ने अशोभनीय कुकृत्य करते हुए भोजपुरी की मशहूर अदाकारा को लेकर इतने गंदे व अभद्र शब्दों का प्रयोग किया. जिसे कोई भी अपनी पत्नी के सामने भी नहीं बोल सकता है.

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इस वायरल गाने में फिल्म अभिनेत्री अक्षरा सिंह, खेसारी लाल यादव और पवन सिंह के नाम के साथ गाना गाया हैं. जो आज के समय में सोशल मीडिया पर हड़कंप मचाया हुआ है. इसके विरोध में उत्तरप्रदेश फिल्म मेकर एसोसिएशन ऐसे गायको के खिलाफ कानूनी करवाई करने को लेकर तैयार हैं. संगठन के अध्यक्ष शशि नाथ दुबे निर्माता व वरिष्ठ पत्रकार हैं.

उनका कहना है कि भोजपुरी समाज में महिला को सम्मान दिया जाता हैं. ऐसे में अश्लील गीत संगीत व द्विअर्थी संवाद की फ़िल्मों का विरोध होना चाहिये. इस तरह के असामाजिक गीत संगीत और फ़िल्मों पर रोक लगानी  चाहिए.जिससे भोजपुरी समाज सुरक्षित रहें. वर्तमान समय में भोजपुरी समाज इतना अच्छा समाज हैं और भोजपुरी समाज की महिलायें संस्कारी हैं.

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ऐसे में अश्लीलता अनुचित व असभ्य हैं.इसके खिलाफ उतरप्रदेश फ़िल्म मेकर एसोसिएशन हाईकोर्ट इलाहाबाद में मामला दाखिल करने की योजना बना चुकी हैं.

शशिनाथ दुबे ने यह भी कहा कि वे अक्षरा सिंह के साथ हैं. सभी के घर परिवार में बहन माँ बेटी बहु है. नीलकमल सिंह के घर में शायद नहीं हैं.जिसके कारण वह असभ्य गीत संगीत से सुसज्जित गाने गाकर स्टार बनना चाहते हैं.जनता से अपील भी करते हुए शशिनाथ दुबे ने कहा दर्शक वर्ग भी आवाज उठाये कि भोजपुरी समाज में अश्लीलता गलत है.

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ एक्टर Karan Mehra हुए गिरफ्तार, पत्नी निशा रावल ने लगाया घरेलू हिंसा का आरोप

टीवी के मशहूर एक्टर Karan Mehra और उनकी पत्नी निशा रावल के बीच काफी दिनों से अनबन की खबरे आ रही थी. हालांकि उन्होंने इस खबर को झूठा करार दिया था. लेकिन अब खबर यह आ रही है कि मुंबई पुलिस ने करन मेहरा को गिरफ्तार कर लिया है.

दरअसल करन मेहरा की पत्नी निशा रावल ने डोमेस्टिक वायलेंस का केस दर्ज कराया है. रिपोर्ट के अनुसार निशा ने अपनी शिकायत में कहा है कि करन मेहरा ने उनके साथ पहले लड़ाई की और फिर मारपीट किए.

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इस शिकायत के बाद पुलिस ने करन मेहरा को गिरफ्तार किया. करन मेहरा पर पर धारा 336, 337, 332, 504, 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

 

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आपको बता दें कि हाल ही में करन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब मुझे कोविड हुआ था तो निशा ने उनका पूरा ख्याल रखा. करन ने ये भी बताया था कि वह पंजाबी प्रोजेक्ट को लेकर बिजी थी.

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एक्टर ने आगे बताया कि वह शूटिंग कर रहे थे कि इस दौरान उन्हें शरीर में दर्द हुआ और बहुत थके हुए महसूस कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उन्हें अपने शरीर में कोरोना के सिम्टम्स दिख रहे थे. जब उन्होंने टेस्ट करवाया तो उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी. साथ ही उन्होंने बताया,  मेरी तबियत ठीक नहीं थी. मेरी पत्नी निशा ने मेरा पूरा ख्याल रखा.

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वर्कफ्रंट की बात करे तो करन मेहरा ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में नैतिक के किरदार में काफी मशहूर हुए. करन और निशा की मुलाकात ‘हंसते-हंसते’ के सेट पर हुई. उन्होंने एक-दूसरे को 6 साल तक डेट किया और 2012 में शादी की. दोनों का 4 साल का बेटा भी है. ये कपल नच बलिए में भी साथ दिखाई दिए हैं.

कोरोना काल में योगी सरकार ने तोड़े गेंहू खरीद रिकार्ड

लखनऊ . उत्तर प्रदेश में किसानों को लाभ पहुंचाने वाली योगी सरकार प्रत्येक दिन नए मुकाम हासिल कर रही है. सूबे में अभी तक कुल 39.58 लाख मी.टन गेहं खरीद की जा चुकी है. इसके माध्यम से 828697 किसानों को सीधा लाभ मिला है. जबकि पिछले साल आज तक 23.92 लाख मी. टन गेहूं खरीद ही हो पाई थी. कोरोना की लड़ाई में पूरी ताकत से जुटी योगी सरकार किसानों के हित में हर संभव प्रयास करने में जुटी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर किसानों की बकाया 7817.68 करोड़ की राशि में से 6029.27 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों से यूपी के किसान काफी खुश है. उनका कहना है कि पिछली सरकारों में कभी उनको इतनी सहूलियत नहीं मिली थीं.

यह पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश में गेहूं खरीद के दौरान किसानों को भुगतान भी तेजी से किया जा रहा है. मात्र 72 घंटों के भीतर पैसा सीधे किसानों के एकाउंट में पहुंच रहा है. इतना ही नहीं ई-पॉप मशीनों का इस्तेमाल होने से मंडियों में बिचौलिये भी खत्म हो गये हैं. वर्षा की चेतावनी को देखते हुए सरकार हर सावधानी बरत रही है. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गेहूं खरीद में क्रांति लाते हुए पहली बार मंडियों में न केवल अत्याधुनिक सुविधाओं को बढ़ाया बल्कि किसानों के लिये मंडियों में पानी, बैठने के लिये छायादार व्यवस्था के सख्त निर्देश भी दिये.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली बार किसानों को उनके खेत के 10 किमी के दायरे में गेहूं खरीदकर उनकी दिक्कतों को समाप्त करने का बड़ा काम किया है. इससे यूपी के किसानों को गेहूं खरीद में काफी राहत मिली है. जीवन और जीविका को बचाने के उद्देश्य से योगी सरकार ने कोरोना काल में मंडियो में कोविड प्रोटोकाल का पूरा पालन कराने के निर्देश दिये. जिसके बाद से खरीद केंद्रों पर ऑक्सीमीटर, इफ्रारेड थर्मामीटर की व्यवस्था भी की गई है.

इथेनॉल के जरिए गन्ने को ग्रीन गोल्ड बनायेगी यूपी सरकार

लखनऊ . प्रदेश सरकार अब इथेनॉल के जरिए गन्ने को ग्रीन गोल्ड बनाने की मुहिम में जुट गई है. इसके तहत राज्य में गन्ने से इथेनॉल बनाने के 54 और चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से इथेनॉल बनाने के सात प्रोजेक्ट लगाए जाने की कार्रवाई चल रही हैं. गन्ने से इथेनॉल बनाने के 54  प्रोजेक्ट में से 27 प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं, जबकि 27 प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं, आगामी सितंबर के अंत तह यह भी पूरे हो जायंगे. चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्ट में भी अगले चंद महीनों में उत्पादन शुरू हो जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ने से इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्टों की समीक्षा करते हुए इनमें जल्द से जल्द इनमें उत्पादन शुरू करने के निर्देश हैं. उत्पादन शुरू करने के लिए एनओसी जारी करने में को विलंब ना हो, यह भी मुख्यमंत्री ने कहा है.

गन्ना राज्य के किसानों की एक मुख्य नगदी फसल है. बुन्देलखंड को छोड़ कर राज्य के हर जिले में किसान गन्ने की पैदावार होती हैं. कुछ समय पहले तक चीनी मिले, खंडसारी और गुड के कारोबारी ही गन्ने पैदावार के खरीददार थे लेकिन अब गन्ने से इथेनॉल भी बनाई जाने लगी हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही पहल पर राज्य में इथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में निवेश करने के लिए लोगों ने रूचि दिखाई है. जिसके चलते अब किसानों को चीनी मिलों या खांडसारी करोबारियों के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा. प्रदेश सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ाने की शुरुआत कर अब गन्ने को ग्रीन गोल्ड सरीखा बना दिया है. इस क्षेत्र में अब भारी निवेश हो रहा है. राज्य में गन्ने तथा अन्य अनाजों के जरिए इथेनॉल बनाने के लिए 61 प्रोजेक्ट लगाने के लिए लोगों का आगे आना इसका सबूत है. निवेश के इन प्रस्तावों के सूबे में आने से अब गन्ना उत्पादन में इजाफा होगा. सूबे के कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में राज्य में गन्ने तथा अन्य अनाजों से इथेनॉल बनाने संबंधी लगाए जा रहे कुल 61 प्रोजेक्टों से 25 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा.

इन विशेषज्ञों का कहना है कि इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ाने तथा उसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस योजना से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी क्योंकि इथेनॉल गन्ने,  मक्का और कई दूसरी फसलों से बनाया जाता है. ये विशेषज्ञों कहते हैं कि दो माह पहले केंद्र सरकार ने इथेनॉल को स्टैंडर्ड फ्यूल घोषित किया है. ऐसे में अब इथेनॉल की मांग में इजाफा होगा. जिसका संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने उचित समय पर इथेनॉल बनाने संबंधी प्रोजेक्ट लगाने में तेजी दिखाई है. प्रदेश सरकार के इस प्रयास से उत्तर प्रदेश इथेनॉल के उत्पादन सबसे अन्य राज्यों से बहुत आगे निकल जाएगा. अभी भी उत्तर प्रदेश से हर वर्ष 126.10 करोड़ लीटर इथेनॉल की आपूर्ति की जाती है. राज्य में करीब 50 आसवानियां इथेनॉल बना रही हैं. इस वर्ष इथेनॉल बनाने संबंधी नए प्रोजेक्टों में उत्पादन शुरू होने से इथेनॉल उत्पादन में प्रदेश देश में सबसे ऊपर होगा और राज्य के किसानों को भी इसका लाभ मिलेगा. क्योंकि इन प्रोजेक्ट में गन्ना देने वाले किसानों को उनके गन्ने का भुगतान पाने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा. और किसान गन्ना की फसल बोने से संकोच नहीं करेंगे. गन्ना किसानों के किए सोने जैसा खरा साबित होगा. इसी सोच के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ने से इथेनॉल बनाने संबधी प्रोजेक्ट पर विशेष ध्यान देते हुए उनके शुरू करने की कार्रवाई तेज करने के निर्देश दिया हैं.

क्या होता है  इथेनॉल  :

अगर आसान शब्दों में कहें तो इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है. एथेनॉल का उत्पादन वैसे तो गन्ने से होता है लेकिन अब प्रदेश सरकार ने चावल, गेहूं, जौ, मक्का तथा ज्वार से भी इसे तैयार करने के सात प्रोजेक्ट स्थापित करने की अनुमति दी है. पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार राज्य में स्थापित और नए लग रहे प्रोजेक्ट से उत्पादित इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर 35 फीसदी तक कार्बन मोनोऑक्साइड कम किया जा सकता है. साथ ही, इससे सल्फर डाइऑक्साइड को भी किया जा सकता है. मौजूदा समय में केंद्र सरकार सरकार ने 2030 तक 20 फीसदी इथेनॉल पेट्रोल में मिलाने का लक्ष्य रखा है.पिछले साल सरकार ने 2022 तक पेट्रोल में 10 फीसदी इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा था. सरकार के इस फैसले से आम लोगों को प्रदूषण से राहत मिलेगी. इथेनॉल का उत्पादन बढ़ने से गन्ना किसानों को सीधा फायदा होगा. क्योंकि शुगर मिलों के पास आसानी से पैसा उपलब्ध हो जाएगा.

मालिनी को पता चलेगा Imlie के असली पिता का नाम, अब क्या करेगी अनु

स्टार प्लस का मशहूर सीरियल ‘इमली’ के कहानी में नया ट्विस्ट एंड टर्न देखने को मिल रहा है. शो के बीते  एपिसोड में आपने देखा कि मालिनी पगडंडिया पता करने गई है कि आखिर इमली का पिता कौन है? मालिनी को शक होने लगा है कि  उसके पिता (देव) और इमली का जरूर कोई रिश्ता है. शो के नए एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए जानते हैं शो के आगे की कहानी.

शो में दिखाया जा रहा है कि मालिनी, मीठी से इमली के पिता का नाम जानने की पूरी कोशिश करेगी और उसे सच का पता भी चल जाएगा. मालिनी को पता चल जाएगा कि देव यानि उसके पिता ही इमली के भी पिता हैं.

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तो वहीं त्रिपाठी परिवार की लाज बचाने के लिए इमली ने बुखार में भी डांस किया है. यह बात अपर्णा और बाकी परिवार को पता चल जाएगा कि इमली ने समाज के सामने उसके परिवार की लाज बचाई. इसके लिए अपर्णा इमली को गले लगाकर शुक्रिया कहेगी और उसे माफ कर देगी.

 

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इमली के अपकमिंग एपिसोड में आप ये भी देखेंगे कि मालिनी इमली का हक दिलवाने के लिए सबसे लड़ेगी. वह किसी तरह इमली का हक दिलवाकर रहेगी. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि जब अनु को इमली और देव के रिश्ते के बारे में पता चलेगा तो उसका रिएक्शन होगा. और वह इमली के साथ क्या करेगी.

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देसी मेम- भाग 2: क्या राकेश ने अपने मम्मी-पापा की मर्जी से शादी की?

लेखक- शांता शास्त्री

मैं चुपचाप बाथरूम में घुस गया. आराम से नहायाधोया और तैयार हो कर बाहर निकला तो चारों ओर सन्नाटा था. शायद वे लोग जा चुके थे. बाद में मां ने बताया कि आज रात का खाना मिश्रा अंकल के यहां है. मैं निढाल हो कर सोफे में धंस गया. कहां तो मैं अपने परिवार के साथ हंसीखुशी समय बिताना चाहता था, ढेर सारी बातें करना चाहता था और छोटी बहन मधु को घुमाने ले जाना चाहता था, कहां मैं एक पल भी उन के साथ चैन से नहीं बिता पा रहा हूं.

मिश्राजी के घर आ कर मुझे लगा जैसे बहुत कीमती फिल्मी शूटिंग के सेट पर आ गया हूं. दीवारों पर कीमती पेंटिंग्स तो कहीं शेर की खाल टंगी थी. कमरे में हलकाहलका पाश्चात्य संगीत और वातावरण में फैला रूम फ्रेशनर पूरे माहौल को मदहोश बना रहा था. ऐसे रोमानी वातावरण में जाने क्यों मेरा दम घुट रहा था. इतने में एक लड़की हाथ में ट्रे ले कर आई और सब को कोल्ड ड्रिंक देने लगी.

‘‘शी इज माइ डाटर, पमी. शी इज वर्किंग एज ए कंप्यूटर इंजीनियर,’’ मिश्राजी ने परिचय कराया.

‘‘बेटा, अंकल और आंटी को तो तुम जानती ही हो. यह इन के बेटे मि. राकेश कुमार हैं. अमेरिका में पढ़ाई पूरी कर के वहीं जाब कर रहे हैं. छुट्टियों में भारत आए हैं.’’

लड़की बस, बार्बी डौल थी. तराशे हुए नैननक्श, बोलती आंखें, छोटे से चुस्त काले लिबास में कुदरत ने उस के शरीर के किस उतारचढ़ाव को कैसे तराशा था यह साफ झलक रहा था. होंठों और गालों का गुलाबी रंग उसे और भी गोरा बना रहा था. उस ने ट्रे को तिपाई पर रख कर तपाक से मेरी ओर हाथ बढ़ाया. पता नहीं क्यों मुझे सूसन की याद आ गई.

बातों का सिलसिला जो शुरू हुआ तो पता ही नहीं चला कि हम पहली बार मिल रहे हैं. गपशप में ज्यादातर अमेरिका की ही बातें चलीं. उस के कौनकौन से दोस्त अमेरिका में हैं, कौन कितना कमाता है, कौनकौन क्याक्या तोहफे लाता है. यानी हम सब थोड़ी देर के लिए अमेरिका चले गए थे.

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मैं ने गौर किया कि मिश्राजी और उन के बच्चे आपस में अंगरेजी में ही बातचीत कर रहे थे. उन के बोलने का अंदाज, भाषा और बातचीत से ऐसा लग रहा था जैसे वे अभीअभी विदेश से लौटे हैं और बडे़ दुर्भाग्य से यहां फंस गए हैं. मैं ने मन ही मन सोचा, मैं यह कहां आ गया हूं? क्या यही मेरा भारत महान है? मुझे ढंग का भारतीय खाना तो मिलेगा न कि यहां भी मंदाकिनी नहीं किनी के घर की तरह फ्रैंकी टोस्ट, पैटीज आदि ही मिलेंगे. भारत में आए 2 दिन हो गए हैं पर अब तक भारतीय खाना नसीब नहीं हुआ है.

‘‘पमी बेटे, राकेश को अपना घर तो दिखाओ.’’

पमी और उस का भाई बंटी सारा घर दिखाने के बाद मुझे अपने पर्सनल बार में ले गए जो तरहतरह की रंगीन बोतलों और पैमानों से भरा हुआ था. पमी ने उन में से चुन कर एक बोतल और 3 खूबसूरत पैमाने निकाले और उन्हें उस हलके गुलाबी रंग के द्रव से भरा. फिर दोनों ने अपने पैमानों को चियर्स कहते हुए मुंह से लगा लिया.

कौन कहता है कि भारत एक पिछड़ा हुआ देश है? आंख के अंधो, देख लो, क्या बोलचाल, क्या खानपान, क्या रहनसहन, क्या पहननाओढ़ना… किसी भी मामले में भारतीय किसी से कम नहीं हैं, बल्कि दो कदम आगे ही हैं.

‘‘अरे, यार, तुम तो ले ही नहीं रहे हो. अगर यह वैरायटी पसंद नहीं है तो दूसरा कुछ खोल लें?’’

‘‘नहीं, ऐसी बात नहीं है. वास्तव में आज सुबह भी दोस्तों के साथ एक बड़ी भारी पार्टी हुई थी. हम सब ने छक कर खायापिया, इसलिए अब खानेपीने की बिलकुल इच्छा नहीं हो रही है,’’ मैं ने बहाना बनाया.

‘‘अरे, यह तो ठीक नहीं हुआ. हम किसी और दिन फिर से मिलेंगे,’’ पमी ने कहा.

मैं ने खाने की रस्म निभाई. तब तक रात के साढे़ 11 बज गए थे. वहां से निकले तो रास्ते में मैं ने पिताजी से पूछ लिया, ‘‘पापा, क्या कल सचमुच कहीं जाना है?’’

‘‘हां, बेटे. कल इंदौर जाना है. तेरे बडे़ मामा की बेटी को देखने लड़के वाले आ रहे हैं. उन लोगों के साथ हमारे ऐसे संबंध हैं कि हम हर सुखदुख में एकदूसरे के साथ होते हैं और फिर चांदनी के बडे़ भाई होने के नाते तुम्हारा फर्ज बनता है कि तुम इस अवसर पर उस के साथ रहो,’’ पापा ने कहा.

मुझे अच्छा लगा. बचपन से ही मेरा मामाजी के परिवार के साथ बड़ा लगाव था. मधु और चांदनी में मुझे कोई अंतर नजर नहीं आता. चांदनी इतनी बड़ी हो गई है कि उस के लिए रिश्ते भी आ गए. इस का अर्थ है कि अब मधु के लिए भी एक अच्छा सा लड़का ढूंढ़ना पडे़गा. यह सोचने के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे अचानक मेरी उम्र बढ़ गई है और मैं एक जिम्मेदार बड़ा भाई हूं.

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चांदनी के लिए जो रिश्ता आया था वे बडे़ अच्छे लोग थे. सब लोग थोडे़ ही समय में ऐसे घुलमिल गए थे मानो लंबे समय से जानपहचान हो. हंसीमजाक और बातों में समय कैसे बीता पता ही नहीं चला. खानेपीने के बाद जब गपशप हो रही थी तब लड़के ने मेरे और मेरी नौकरी के बारे में रुचि दिखाई, तो मैं ने उसे विस्तार से अपने काम के बारे में बताया. अंत में मैं ने कहा, ‘‘हम सोचते हैं कि सारी दुनिया में अमेरिका से बढ़ कर कोई नहीं है. वही सर्वश्रेष्ठ या कामयाब देश है. मगर क्या आप जानते हैं कि वास्तव में उस की तरक्की या कामयाबी का कारण क्या है या कौन लोग हैं?’’

लड़के ने कहा, ‘‘हम प्रवासी लोग.’’

मैं ने सिर हिलाया, ‘‘बिलकुल सही. आप जानते हैं कि वास्तव में अमेरिका का अस्तित्व ही हम जैसे अनेक विदेशियों से है. सारी दुनिया के कुशाग्र लोगों को उस ने पैसों के दम पर अपने वश में कर रखा है और उन्हीं के सहारे आज वह आसमान की बुलंदियों को छू रहा है.’’

अजय ने मेरी बात का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘आप बिलकुल ठीक कहते हैं. क्या नहीं है हमारे पास एक दृढ़ संकल्प के अलावा?’’ उस की बातों में कड़वा सच था.

मेहमानों के जाने के बाद मैं ने एक समोसा उठा कर खट्टीमीठी चटनी में डुबो कर खाते हुए कहा, ‘‘मामीजी, इसी प्रकार के स्वादिष्ठ व्यंजन खाने के लिए तो मैं भाग कर भारत आया पर जहां जाता हूं पश्चिमी पकवान ही खाने को मिलते हैं.’’

‘‘क्यों, ऐसा क्या हो गया? तुम्हें आए तो आज 5 दिन हो गए हैं.’’

‘‘जाने भी दीजिए मामीजी…क्या सुनाऊं मैं अपने दुखों की दासतां,’’ मैं ने नाटकीय अंदाज में कहा.

मधु ने जब सारा हाल अभिनय के साथ लोगों को सुनाया तो सब का हंसतेहंसते बुरा हाल हो गया.

‘‘चिंता न करो, रात को मैं ऐसी बढि़याबढि़या चीजें बनाऊंगी कि तुम भी क्या याद करोगे अपनी मामी को.’’

‘‘ये हुई न बात. मामीजी, आप मुझ से कितना प्यार करती हैं,’’ मैं ने उन के हाथों को चूम लिया.

‘‘अब आप लोग थोड़ा आराम कर लीजिए,’’ मामी बोलीं, ‘‘शाम को कुछ मेहमान आने वाले हैं और मैं रसोई में शाम के नाश्ते व खाने की तैयारी करने जा रही हूं.’’

‘‘मामी, शाम को भी कोई दूसरे लड़के वाले चांदनी को देखने के लिए आने वाले हैं क्या…चांदनी, मेरी मान तो यह लड़का जो अभीअभी यहां से गया है, उस के लिए हां कर दे. बड़ा सुशील, शांत और सुलझे हुए विचारों का लड़का है. तुझे धन के ढेर पर बिठाए या न बिठाए पर सारी जिंदगी पलकों पर बिठा कर रखेगा.’’

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मैं ने कहा तो चांदनी शर्म से लाल हो गई. सब लोग मेरी इस बात से पूरी तरह सहमत थे. तभी मामाजी बोले, ‘‘राकेश बेटा, हमारे बडे़ अच्छे दोस्त हैं गौतम उपाध्याय. वह आज शाम सपरिवार खाने पर आ रहे हैं.’’

‘‘यह क्या, मामाजी, आज का ही दिन मिला था उन्हें बुलाने को? कल हम वापस जा ही रहे हैं. कल शाम हमारे जाने के बाद उन्हें बुला लेते.’’

‘‘लो, सुन लो, कल बुला लेते. पहली बात तो यह है कि कल तुम लोग जा नहीं रहे हो, क्योंकि कल किसी के यहां तुम्हारे साथ हमें खाने पर जाना है.’’

Serial Story: संधि प्रस्ताव- भाग 1

लेखक- अलका प्रमोद

अर्पिता अपने पति मलय का सामान सहेज रही थी. उसे उस के कागजों के बीच एक फोटो मिली जिस में एक दंपती और 2 लड़के थे. अर्पिता ने ध्यान से देखा तो छोटे बच्चे का चेहरा मलय जैसा लग रहा था. उस ने औफिस से लौटने पर मलय से उस फोटो के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि फोटो में उस के माता, पिता, बड़े भाई और वह स्वयं है. अर्पिता ने कहा, ‘‘अरे, तुम्हारा भाई भी है, पर तुम तो अपने चाचा के साथ रहते थे न, तो इन सब का क्या हुआ?’’

पहले तो वह टालमटोल करता रहा पर जब अर्पिता रूठ कर बैठ गई तो नईनवेली पत्नी से वह उस रहस्य को ज्यादा देर छिपा न सका.

उस ने बताया, ‘‘यथार्थ घर का बड़ा बेटा था. वह परिवार में सब की आशाओं का केंद्र था. परिवार के गर्व का कारण था. होता भी क्यों न, मम्मा हों या पापा या छोटा भाई, उसे सब की चिंता रहती थी. वह मुसकरा देता, बस. कम बोलना उस की प्रकृति थी. पता ही नहीं चलता कि उस के मन में क्या चल रहा है, वह क्या सोच रहा है. पर उसे सब पता रहता था कि क्या समस्या है, किस को उस की आवश्यकता है. मम्मा के तो हृदय का टुकड़ा था वह. आज के युग में बच्चे जरा सा अपने पैरों पर खड़े हो ते ही अपना संसार रच लेते हैं और उस में विस्मृत हो जाते हैं, लेकिन यथार्थ के लिए दूसरों का दुख सदा निज आकांक्षाओं पर भारी था.

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‘‘जब वह 4 वर्ष की इंजीनियरिंग की डिगरी ले कर घर लौट रहा था तो मेरी मां सुनीता की प्रसन्नता का ठिकाना न था. उन का बेटा घर आ रहा था, सोने पर सुहागा यह कि वह इंजीनियर बन कर आ रहा था. सुनीता ने मेरे पिता तपन से कहा, ‘सुनिए, यथार्थ को नौकरी मिलते ही हम उस की शादी की बात करेंगे.’

‘‘तपन ने हंसते हुए कहा, ‘खयालीपुलाव पकाने में तुम्हारा जवाब नहीं. अभी तो यथार्थ को सिर्फ इंजीनियरिंग की डिगरी मिली है. पहले उसे नौकरी तो मिलने दो.’

‘‘अभी तो वे न जाने किनकिन सतरंगी सपनों की गलियों में भटकतीं कि तपन ने आ कर कहा, ‘सुनीता, ट्रेन का समय तो निकल गया, यथार्थ आया नहीं?’

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‘‘तपन ने कहा, ‘मैं पहले ही पूछ चुका हूं, अब तो गाड़ी को आए भी एक घंटा हो गया है.’ फिर चिंतातुर हो कर वे बोले, ‘यथार्थ का मोबाइल स्विचऔफ आ रहा है.’

‘‘सुनीता ने घबरा कर कहा, ‘पर कल तो उस ने कहा था कि रात को चल कर सुबह पहुंच जाऊंगा. भोपाल फोन करिए. मालूम पड़े कि वह चला भी कि नहीं. कहीं बीमार तो नहीं पड़ गया, मेरा बच्चा.’

‘‘तपन ने कहा, ‘मैं सब मालूम कर चुका हूं, वह कल रात में वहां से चल दिया था.’

‘‘फिर सुनीता का श्वेत पड़ता चेहरा देख कर कुछ सुनीता और कुछ स्वयं को समझाते हुए वे बोले, ‘अरे, जानती तो हो उसे अपना ध्यान कहां रहता है, मोबाइल चार्ज नहीं किया होगा और दिल्ली का ट्रैफिक तो ऐसे ही है, फंस गया होगा कहीं जाम में.’

‘‘दोनों मन ही मन मना रहे थे कि यही सच हो. पर घड़ी की निरंतर आगे बढ़ती निष्ठुर सुइयां उन की सोच को झुठलाने को ठाने बैठी थीं. समय के साथसाथ उन की आशा को अनहोनी की आकांक्षा के काले बादल ढंकते चले जा रहे थे. पलपल कर के घंटे और दिन बीत गए. हर जगह पता किया, यथार्थ के जानने वालों को फोन किया पर कहीं से कोई सुराग नहीं मिल रहा था. किसी अनहोनी का भय सुरसा सा मुंह फैलाता जा रहा था.

‘‘यथार्थ के घर न आने का समाचार जानने वालों में आग के समान फैल गया और लोग आग में हाथ सेंकने से बाज न आए. जितने मुंह उतनी बातें. कोई कहता, किसी लड़की के चक्कर में पड़ गया होगा. आजकल तो यह आम बात है. उसी में किसी प्रतिद्वंद्वी ने ठिकाने लगा दिया होगा. कोई कहता लूटपाट का चक्कर होगा.

‘‘2 दिन बीत जाने के बाद सभी ने यही राय दी कि पुलिस की सहायता ली जाए. तपन ने वह भी किया पर कोई पता न चला. बीतते दिनों के साथ उन की आशा की किरण धूमिल पड़ने लगी थी.

‘‘एक दिन तपन को कूरियर से एक पत्र मिला. उस में लिखा था, ‘आप का बेटा जीवित है.’ उन के हृदय में आशा की बुझती लौ को मानो तेल मिल गया. उन्होंने हाथ जोड़ कर प्रकृति को धन्यवाद दिया और सुनीता को यह समाचार दिया. उन्होंने भी तुरंत ही प्रकृति को धन्यवाद दिया. लेकिन शायद धन्यवाद देने में दोनों ने कुछ जल्दबाजी दिखा दी थी. आगे के समाचार ने उन्हें यथार्थ के जीवित होने की पुष्टि तो की पर आगे जो लिखा था वह कोई कम बड़ा आघात न था. उस में लिखा था कि उन का बेटा योगी आश्रम में है और उस ने आश्रम में दीक्षा ले ली है.

Pawan Singh के इस गाने को मिले 2 मिलियन से भी ज्यादा व्यूज, देखें Viral Video

कोरोना महामारी के विपत्ति काल में भी भोजपुरी के लोकप्रिय गायक व अभिनेता पवन सिंह लगातार रचनात्मक काम करते हुए नए नए गानों का निर्माण व उन्हें अपनी आवाज में स्वरबद्ध का लोगों के सामने लाते जा रहे हैं और हर बार अपने गायन के जादू से भोजपुरी संगीत जगत में तहलका मचा रहे हैं.

इस बार पवन सिंह द्वारा स्वरबद्ध गीत ‘‘ओढ़नी के कोर भींजल बा‘ को महज 24 घंटे में 2 मिलियन व्यूज मिले हैं. यानी अब तक इस गाने को 2,176,437 से अधिक लोग देख चुके हैं. इस गाने पवन सिंह की कोमल सिंह के साथ दिल को छू लेने वाली रोमांटिक केमिस्ट्री इस गाने को देखने व सुनने वालों के दिलो में अपनी जगह बनाती जा रही है.इसग गाने के बाद जिस तरह की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं,उससे यही बात उभरकर आती है कि पवन सिंह के प्रषंसको को पवन सिंह व कोमल सिंह की जोड़ी बेहद प्यारी लग रही है.

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‘‘ओढ़नी के कोर भींजल बा” को पवन सिंह के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज किया गया है, जो अब 2 मिलियन पार कर नए रिकॉर्ड की ओर बढ़ चला है. इस गाने में एक प्रेमी और प्रेमिका की खुबसूरत कहानी भी है, जो गाने के सपोर्टिंग है. इसमें पवन सिंग एक ऐसे प्रेमी के किरदार में हैं, जिसकी प्रेमिका की शादी होने वाली होती है और वह छुप – छुप कर रोती है. मगर जब पवन से मिलती है तब उसकी ओढ़नी यानी दुपट्टे के कोने से उसे एहसास होता है कि उसकी प्रेमिका रो रही है.

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इस गाने का फिल्मांकन कमाल का है. पवन सिंह के सुरीले आवाज पर इस दिल छू लेने वाली कहानी का प्लाट किसी को भी अपने ओर आकर्षित करने के लिए काफी है.

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पवन सिंह द्वारा निर्मित ‘ओढ़नी के कोर भींजल बा‘ के गीतकार बिट्टू विद्यार्थी और म्यूजिक आदित्य देव,नृत्य निर्देशन ऋतिक आर्य,सहनिर्माता रानू सिंह,वीडियो निर्देषक रवि पंडित और एडिटर दीपक पंडित हैं.

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