मोहाली के सेक्टर-70 की कोठी नंबर 2607 में रहने वाले रंजीत सिंह भंगू पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड से एक अच्छे पद से रिटायर हुए थे. उन की सब से बड़ी बेटी अमेरिका में, दूसरी न्यूजीलैंड में और तीसरी खरड़ के सन्नी एन्क्लेव में अपनेअपने परिवारों के साथ खुशहाल जीवन बिता रही थीं.
भंगू साहब का 20 वर्षीय एकलौता बेटा सिमरन सिंह गतवर्ष इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने अपनी बड़ी बहन के पास अमेरिका गया था. पढ़ाई के साथसाथ वह दक्षिण सेकरामेंटो स्थित चैवगन गैस स्टेशन पर पार्टटाइम नौकरी भी करता था. गैस स्टेशन परिसर में जनरल मर्चेंडाइज की एक छोटी सी दुकान थी. कभीकभी सिमरन की ड्यूटी इस दुकान पर भी लग जाती थी.
26 जुलाई, 2017 की रात को भी सिमरन दुकान की ड्यूटी पर था. कुछ स्थानीय लड़कों ने दुकान पर आ कर सिमरन से थोड़ाबहुत सामान खरीदा. फिर वे दुकान से थोड़ी दूरी पर खुले में खड़े हो कर शराब पीने लगे. गैस स्टेशन के एक भारतीय कर्मी ने उन के पास जा कर उन्हें वहां शराब पीने से मना किया तो वे लड़के खफा हो कर उसे ही धमकाने लगे. बात बढ़ती देख कर वह कर्मचारी कुछ इस अंदाज से भीतर चला गया, जैसे उन्हें सबक सिखाने के लिए किसी को बुलाने जा रहा हो.
इत्तफाक से तभी सिमरन को किसी काम से दुकान के बाहर उसी ओर जाना पड़ गया. उन लड़कों ने आव देखा न ताव गोलियां चला कर सिमरन को मौत के घाट उतार दिया. उन्होंने 11 गोलियां दागी थीं, जिन में से 7 गोलियां सिमरन की छाती में लगी थीं.
इसी साल 7 अगस्त को जब समूचा हिंदुस्तान भाईबहन के पवित्र रिश्ते वाला त्यौहार रक्षाबंधन मना रहा था, सिमरन की बड़ी बहन हरजिंदर कौर अपने एकलौते भाई का शव ले कर अमेरिका से मोहाली स्थित अपने मायके पहुंची.
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अमेरिका की सेकरामेंटो पुलिस ने इस केस में फिलहाल एक संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया था, जबकि आगे की छानबीन जारी थी.
बात थोड़ी पुरानी है. पंजाब स्थित फगवाड़ा के एक सिपाही की आतंकवादियों से मुठभेड़ में मौत हो गई थी. तब इस के एवज में अनुकंपा के आधार पर पंजाब पुलिस ने उस के छोटे भाई नीरज को नौकरी औफर की थी. नौकरी जौइन करने के बाद नीरज प्रशिक्षण के लिए पुलिस ट्रेनिंग सैंटर में गया तो किसी ने उस से कह दिया कि वह तो फिल्मी हीरो लगता है, कहां पुलिस की रफटफ नौकरी में चला आया.
नीरज शुरुआती दौर में ही पुलिस की नौकरी को अलविदा कह घर आ गया. फिल्मों में काम हासिल करने के लिए उस ने प्रयास भी किए, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.
इस पर उस के एक पारिवारिक मित्र ने सलाह दी कि पहले विदेश जा कर वह खूब पैसा कमाए और फिर खुद अपनी फिल्म बनाए. नीरज को यह सलाह जंच गई.
जोड़तोड़ कर के नीरज को बेल्जियम जाने में सफलता मिल गई. जहां 2 साल रह कर उस ने कई तरह के काम किए. इस के बाद वह रोम चला गया. वहां इटली के एक होटल में उसे अच्छी नौकरी मिल गई. बड़ी बात यह थी कि होटल मालिक भी पंजाबी था. एक पंजाबी की सरपरस्ती में काम पा कर नीरज बहुत खुश था.
नीरज के परिवार के सभी पुरुष सदस्य अच्छी तरह स्थापित थे. घर में किसी को किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. उन्होंने नीरज से कह रखा था कि वह अपनी कमाई में से जितना भी बचा सकता है, वहीं अपने पास जमा करता रहे. नीरज के पारिवारिक सूत्रों के अनुसर उस ने कुछ ही समय में अपने पास काफी नकद पैसा और सोना जमा कर लिया था.
लेकिन एक दिन होटल मालिक का फोन आया कि नीरज का किसी से मामूली झगड़ा हो गया था. इसी से नाराज हो कर उस व्यक्ति ने नीरज की चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी है.
कपूरथला के गांव नडाला के 600 से अधिक लोग किसी न किसी बाहरी देश में बसे हुए हैं. यहां का एक लड़का सुरजीत सिंह खेतीबाड़ी के अपने पुश्तैनी धंधे में मस्त था. उस की एक बुआ अमेरिका के कैलिफोर्निया में बस गई थी, जहां उस का जनरल स्टोर था. एक बार वह भारत आई तो सुरजीत को भी अपने साथ अमेरिका ले गई. वहां वह बुआ के जनरल स्टोर के काम में उन का हाथ बंटाने लगा. सुरजीत को वहां अपना भविष्य उज्ज्वल दिखाई देने लगा था.
स्टोर का काम अच्छी तरह सीख कर उस ने अपना अलग स्टोर खोलने की योजना बनाई. सुरजीत के इस काम में उस की बुआ भी मदद करने के लिए राजी थी.
मगर यह सपना उस वक्त धरा का धरा रह गया, जब एक दोपहर एक शख्स स्टोर पर बीयर लेने आया. सुरजीत स्टोर में अकेला था. उस की बुआ कुछ ही देर पहले घर चली गई थी. उस व्यक्ति ने 5 केन बीयर ली. बीयर देने के साथ ही सुरजीत ने बिल भी उस के सामने रख दिया. वह व्यक्ति बेरुखी से ‘इस का हिसाब मेरे खाते में डाल देना’ कहते हुए बीयर उठा कर स्टोर से बाहर निकल गया.
सुरजीत उस के पीछे भागा. बाहर जीप में 4 अन्य लोग बैठे थे. उस व्यक्ति ने उन के पास पहुंचते ही बीयर के केन उन के हवाले कर के अपनी भाषा में कुछ कहा. फलस्वरूप जीप में बैठे एक नौजवान ने रिवाल्वर निकाल कर सुरजीत पर फायर कर दिया. गोली लगते ही वह वहीं ढेर हो गया.
यह समाचार जब नडाला पहुंचा तो हाहाकार मच गया. दरअसल, चंद रोज पहले ही इसी गांव के एक अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा ही दर्दनाक हादसा हो चुका था.
नडाला निवासी जसवंत सिंह सोढी गांव के सरपंच तो थे ही, जालंधर की प्रसिद्ध दोआबा फैक्ट्री के चेयरमैन भी थे. उन के 8 लड़के थे, जिन में से 3 विदेश में जा बसे थे. इन तीनों सोढी भाइयों ने अमेरिका के शहर फिनिक्श में पैट्रोल व गैस का अपना अच्छाखासा बिजनैस जमा लिया था. स्थानीय लोगों के साथ उन का अच्छा रसूख भी बन गया था. तीनों भाइयों इंदरपाल सिंह, बलवंत सिंह और सुखपाल सिंह का जीवन खूब मजे से गुजर रहा था.
उस दिन बलबीर सिंह सोढी ने अपने केश क्या धोए, लगा जैसे उन्होंने अपनी मौत को बुलावा दे दिया. केश धोने के बाद उन्होंने बालदाढ़ी खुली छोड़ कर सिर पर सफेद रंग का पटका बांध लिया था. इत्तफाक से उस दिन उन्होंने कुर्तापाजामा भी सफेद ही पहन रखा था. वह कदकाठी और हुलिए से पूरी तरह अफगानी लग रहे थे.
यह उन दिनों की बात है, जब न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सैंटर और रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन पर हुए दुस्साहिक हमलों के बाद अमेरिकी लोग अफगानियों से नफरत करने लगे थे. ऐसे में बलबीर सिंह सोढी को अफगानी समझ कर किसी कट्टरपंथी ने उन्हें तब निशाना बना दिया, जब वह अपने घर की छत पर खड़े थे. गोली उन के बदन को चीर गई थी.
जालंधर नकोदर मार्ग पर बसे गांव नीमियां मल्लियां निवासी रेशम सिंह का लड़का अमरीक सिंह कुछ सालों पहले रोजगार की तलाश में मनीला गया था. वहां उस के 2 भाई पहले से ही रहते थे. वे सामान खरीदनेबेचने का धंधा करते थे. अमरीक ने भी यही कारोबार शुरू कर दिया. उस का भी काम ठीक से चल निकला. लेकिन एक दिन उस की लाश वीराने में पड़ी मिली. पता चला कि उस के किसी देनदार ने उस की गोली मार कर हत्या कर दी थी.
सुनील विरमानी अपनी पत्नी के अलावा बेटी मनी और बेटे मानव के साथ लुधियाना के मौडल टाउन एरिया में रहते थे. मानव को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजा गया. उस ने अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित न्यू इंग्लैंड इंस्टीट्यूट औफ टेक्नोलौजी से 95 प्रतिशत अंकों के साथ विजुअल प्रोसेसिंग इन कंप्यूटर की डिग्री हासिल की.
इस के बाद वह छुट्टियां बिताने मिसीसिपी चला गया, जहां सुनील विरमानी के एक मित्र रहते थे. वहां उन का अपना जनरल स्टोर था. एक दिन दोपहर में मानव को स्टोर पर बैठा कर वह किसी काम से घर चले गए. तभी कुछ लुटेरे आए और उन्होंने मानव को कत्ल कर के स्टोर का कैश बौक्स लूट लिया.
जालंधर के गांव हरिपुर का युवक कमल वीर सिंह भी जीवन में कुछ बनने की तमन्ना ले कर कनाडा गया था. वहां उसे एक शराबखाने में नौकरी मिली. एक रात शराब ठीक से सर्व न करने के मुद्दे पर उस का एक अंगरेज ग्राहक से झगड़ा हो गया. तूतू, मैंमैं से बात आगे बढ़ी और हाथापाई तक पहुंच गई. स्थिति यह बनी कि उस ग्राहक ने कमलवीर सिंह की हत्या कर दी.
कपूरथला के गांव टिब्बा का नौजवान जसवंत सिंह अच्छे रोजगार के लिए जापान गया था. वहां उसे एक निजी कंपनी में कार मैकेनिक की नौकरी मिल गई. अपनी इस नौकरी से वह बहुत खुश था और सुनहरे भविष्य के प्रति आशावान भी. जापान के जिस नगर सिगमाहारा में जसवंत रहता था, वहां एक रात कुछ भारतीय और पाकिस्तानी युवकों की किसी बात पर कहासुनी हो गई.
जसवंत ने बीचबचाव कर के उन लड़कों का आपस में राजीनामा करवा दिया. एक पाकिस्तानी युवक इस सब से चिढ़ गया. उस ने अपने मन में रंजिश रखी, जिस के फलस्वरूप 2 दिन बाद वह अपने कुछ साथियों को ले कर जसवंत के घर आ गया. उन्होने लोहे की रौडों से घर का दरवाजा तोड़ कर जसवंत को मौत के घाट उतार दिया.
इस तरह की तमाम कहानियां हैं. दरअसल, युवा ज्यादा से ज्यादा धन कमाने और अपने भविष्य को सिक्योर करने के लिए विदेश चले जाते हैं, लेकिन कई बार ऐसा कुछ हो जाता है, जिस की कीमत उन्हें प्राण दे कर चुकानी पड़ती है.
वैसे परदे के पीछे मुद्दा यह भी है कि विदेश जा कर धन कमाने का सपना देखने वाले नौजवान कोई यूं ही विदेश नहीं पहुंच जाते. इस के लिए जो धन खर्च किया जाता है, अधिकांश लड़कों के परिवारों द्वारा वह धन जुटाना आसान नहीं होता. कहीं घर के गहने बिकते हैं तो कहीं उन के भविष्य के लिए महंगे ब्याज पर जमीन गिरवी रखी जाती है. लेकिन भविष्य संवारने की कथित होड़ में भारतीयों के विदेश जाने की दौड़ खत्म नहीं होती, भले ही उन के साथ कितना भी दुर्व्यवहार हो, मौत उन्हें अपनी आगोश में समेट ले.
पंजाब के लहरागागा कस्बे के रहने वाले पंजाबी सिंगर मनमीत अली शेर ने ख्याति तो खूब अर्जित की, लेकिन ज्यादा कमाई नहीं हो रही थी. करीब 10 साल पहले उस ने भी आस्ट्रेलिया का रुख किया था. अपनी लेखनी और गायकी को जिंदा रखने के लिए उस ने विदेशी धरती पर बहुत मेहनत से हर तरह के काम किए. वहां एक ओर तो वह पंजाबी समुदाय के लिए जानामाना गायक था, वहीं दूसरी ओर व्यवसाय के नाम पर क्वींसलैंड की राजधानी ब्रिसबेन में सिटी कौंसिल बस का ड्राइवर था.
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वह 28 अक्तूबर, 2016 को रात थी. मनमीत अली शेर ने ब्रिसबेन के मारूका कस्बे में एक बस स्टौप से सवारियां लेने के लिए बस रोकी. कुछेक सवारियां बस में चढ़ीं भी. तभी एक सवारी ने तेजी से ड्राइवर कक्ष की ओर बढ़ते हुए मनमीत पर कुछ फेंका, जिस से वहां आग भड़क उठी.
उस वक्त बस में 16 सवारियां थीं, जिन्हें पीछे आ रहे एक टैक्सी ड्राइवर की मुस्तैदी से बस का इमरजेंसी द्वार खोल कर सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. लेकिन मनमीत अली शेर की मौके पर ही मौत हो गई. इस से चारों तरफ शोक एवं भय की लहर दौड़ गई. उस समय एक समाचार में बताया गया था कि पिछले 6 महीनों में बस ड्राइवरों पर 350 हमले हो चुके थे.
ब्रिसबेन पुलिस ने त्वरित काररवाई करते हुए इस हमले के आरोप में एक 48 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया. मनमीत अली शेर की प्रसिद्धि इतनी ज्यादा थी कि अगले दिन उसे श्रद्धांजलि देने के लिए ब्रिसबेन में झंडे झुके रहने का ऐलान कर दिया गया था.
पंजाब के सांसद व पंजाबी एक्टर भगवंत मान ने इस मामले को उठाते हुए विदेशों में बसने वाले पंजाबियों की जानमाल की रक्षा को सुनिश्चित बनाने की केंद्र सरकार से मांग की थी. कुमार विश्वास ने भी इस संबंध में ट्वीट किया था.
पुलिस ने इस केस के संबंध में जिस आरोपी को पकड़ा था. उस का नाम का ऐंथनी मारक एडवर्ड डौनोहयू था. उस ने न तो पहले पुलिस के आगे मुंह खोला था, न ही अब अदालत के सामने खोला. अदालत के बाहर मौजूद पत्रकारों से आरोपी के वकील ऐडम मैगिल ने कहा कि इस की मानसिक हालत ठीक नहीं है और यह जुर्म एकदम समझ से परे है.