28 सितंबर, 2017 को जिला गुरदासपुर के गांव मिताली के रहने वाले रंजीत सिंह की विधवा जसविंदर कौर ने एसएसपी हरचरण सिंह भुल्लर को एक शिकायत दी थी, जिस में उस ने जो लिखा था, वह कुछ इस प्रकार था—
2 बच्चों की मां जसविंदर कौर के पति रंजीत सिंह पंजाब पुलिस में थे, जिन की अप्रैल, 2008 में अचानक मौत हो गई थी. जसविंदर पढ़ीलिखी थी, इसलिए अनुकंपा के आधार पर उसे पति की जगह नौकरी मिल जानी चाहिए थी. इस के लिए उस ने काफी कोशिश की, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल सकी. किसी ने जसविंदर कौर को सलाह दी कि इस तरह कुछ नहीं होना. अगर वह किसी मंत्री या बड़े नेता से कहलवा दे तो उस का काम आसानी से हो जाएगा. जसविंदर को याद आया कि उस की एक सहपाठिन के पिता बड़े नेता हैं. वह राज्य सरकार में मंत्री भी हैं. जसविंदर जा कर उन से मिली. यह सन 2009 के शुरू की बात है.
जसविंदर कौर ने मंत्री महोदय से पूरी बात बता कर यह भी बताया कि उन की बेटी कालेज में उस के साथ पढ़ती थी. मंत्री महोदय ने उस के सिर पर हाथ फेरते हुए हरसंभव मदद का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि उन के लिए यह काम जरा भी मुश्किल नहीं है.
यह मंत्री महोदय कोई और नहीं, सरदार सुच्चा सिंह लंगाह थे, जिन से जसविंदर कौर चंडीगढ़ स्थित उन के सरकारी आवास पर अपने घर वालों के साथ मिली थी. लंगाह ने जसविंदर को काम कराने का आश्वासन देते हुए 2-3 दिनों बाद अकेली किसान भवन में आ कर मिलने को कहा. आने से पहले फोन कर लेने की बात कहते हुए उन्होंने उसे अपना मोबाइल नंबर भी दे दिया था.
2 दिनों बाद जसविंदर कौर ने मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह को फोन किया तो उन्होंने उसे अगले दिन दोपहर को किसान भवन आने को कहा, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह वहां अकेली ही आएगी. जसविंदर कौर ने वैसा ही किया. अगले दिन दोपहर को वह अकेली ही चंडीगढ़ के सैक्टर-35 स्थित किसान भवन पहुंच गई. वहां ठहरने के लिए होटलों की तरह हर सुखसुविधा वाले कमरे बने हैं. इन्हीं कमरों में से एक कमरे में लंगाह आराम कर रहे थे. उन्होंने जसविंदर को अपने कमरे में बुलवा लिया.
जसविंदर ने अपनी शिकायत में लंगाह पर जो आरोप लगाए हैं, उस के अनुसार वह किसान भवन के उस कमरे में पहुंची तो मंत्री सुच्चा सिंह उसे अपनी बगल में बिठा कर उस के साथ अश्लील हरकतें करने लगा. इस से जसविंदर बुरी तरह डर गई.
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उस ने लंगाह को रोकने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘अंकल, मैं आप की बेटी सरबजीत कौर के साथ बेबे नानकी कालेज में पढ़ी हूं. इस नाते मैं आप की बेटी की तरह हूं. आप को अपने पिता की तरह मान कर मैं आप के पास मदद के लिए आई हूं. आप मुझ पर रहम करें. मैं विधवा हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. प्लीज, मुझे जाने दीजिए.’’
जसविंदर के अनुसार, इस चिरौरी का सुच्चा सिंह लंगाह पर कोई असर नहीं हुआ. पहले तो उस ने अपनी ऊंची पहुंच के बारे में बताते हुए उसे जल्दी सरकारी नौकरी दिलवाने का लालच दिया. लेकिन जसविंदर काबू में नहीं आई तो उस ने उसे धमकी दी कि वह चाहे तो उसे अभी किसी केस में फंसा कर उस की जिंदगी बरबाद कर सकता है. इस के बाद उस ने जबरदस्ती जसविंदर की अस्मत लूट ली.
जसविंदर ने अपनी शिकायत में आगे लिखा है कि सुच्चा सिंह लंगाह का रुतबा देख कर वह डर के मारे चुप रह गई. बस पकड़ कर वह अपने गांव लौट आई. इस बारे में उस ने किसी को कुछ नहीं बताया. फिर वह एक लाचार विधवा औरत थी, जिस के लिए अपने बच्चों को पालने की खातिर नौकरी बहुत जरूरी थी.
यही वजह थी कि इज्जत लुटने के बाद भी जसविंदर लंगाह से संबंध तोड़ नहीं सकी. वह उसे फोन कर के अपने काम के बारे में पूछती रहती. उन का एक ही जवाब होता था कि वह कोशिश कर रहा है कि उस का काम जल्दी हो जाए.
एक बार लंगाह ने बीएमडब्ल्यू कार भेज कर जसविंदर कौर को पंजाब सिविल सेक्रेटेरिएट स्थित अपने औफिस में बुलवाया और उस के सामने ही किसी बड़े पुलिस अफसर को फोन कर के कहा कि वह जसविंदर को उस के पास भेज रहे हैं, उस का काम किसी भी सूरत में आज ही हो जाना चाहिए. इस के बाद लंगाह ने जसविंदर को अपने एक आदमी के साथ उस पुलिस अधिकारी के पास भेज दिया.
पुलिस अधिकारी भला आदमी था, उस ने उसी दिन नियुक्तिपत्र जारी करवा दिया. इस तरह जसविंदर को स्टेट विजिलेंस विभाग में क्लर्क की नौकरी मिल गई. नौकरी पा कर जसविंदर कौर बहुत खुश थी. वह लंगाह को धन्यवाद देने भी गई.
जसविंदर की मजबूरी का फायदा उठाते हुए लंगाह ने एक बार नहीं, कई बार शारीरिक शोषण किया. उस दिन भी वह उसे यह कहते हुए एक जगह ले जा कर वही सब किया कि अभी उस की नौकरी कच्ची है, जल्दी वह उसे पक्की करवा देगा.
डराधमका कर मंत्रीजी करते रहे उस का यौनशोषण
इस के बाद सुच्चा सिंह लंगाह जसविंदर से यह कहने लगा कि उस ने कई लोगों को एजेंसियां दिलवाई हैं, जो हर महीने लाखों रुपए कमा रहे हैं. वह चाहे तो उस के परिवार के किसी सदस्य के नाम एजेंसी दिलवा सकता है, जिस के माध्यम से वह मोटी कमाई कर सकती है. इस तरह की बातें करते हुए अकसर वह कुछ ऐसी बातें कह देते थे, जिस से जसविंदर इतना डर जाती कि उसे अपनी मौत का अहसास होने लगता था.
जसविंदर कौर के अनुसार, मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह अकसर उस से कहा करते थे कि उन की इतनी पहुंच है कि अगर वह किसी का कत्ल भी करवा दें तो कोई उन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता. यूपी, बिहार के कई गैंगस्टरों से उन की बहुत पटती है. वे उन के इशारे पर कभी भी कुछ भी कर सकते हैं. यहां तक कि वह जिस का कह दें, वे उस का कत्ल भी कर सकते हैं. इस तरह लंगाह जसविंदर को डरा कर अलगअलग जगहों पर ले जा कर उस का यौनशोषण करता रहा.
एसएसपी को दी गई अपनी शिकायत में जसविंदर ने आगे जो लिखा था कि मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह ने उसे अलगअलग जगहों पर ले जा कर उस के साथ इतनी बार दुष्कर्म किया है कि अब वह बता भी नहीं सकती. कुछ ऐसी जगहों पर भी वह उसे ले गया था, जिन के बारे में उसे आज भी कुछ पता नहीं है. लंगाह जब भी उसे कहीं ले जाता था, गाड़ी खुद चलाता था. उस आदमी ने उस से सिर्फ अपनी हवस ही नहीं मिटाई, बल्कि आर्थिक रूप से भी उसे खूब लूटा.
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सुच्चा सिंह लंगाह ने जसविंदर को चंडीगढ़ में प्लौट दिलाने के नाम पर गांव की उस की जमीन बिकवा दी. उस रकम से सिपहिया नामक आदमी को प्लौट खरीदने के नाम पर बयाने के रूप में 15 लाख रुपए दिलवा दिए. इस के बाद एक वकील को 30 लाख रुपए दिए. बाद में उस से कहा गया कि अब वे लोग अपना प्लौट नहीं बेचना चाहते. जसविंदर को एक लाख रुपए दे कर लंगाह ने कहा कि बकाया रकम उसे धीरेधीरे दे दी जाएगी. कुछ दिनों बाद साढ़े 3 लाख रुपए दे कर उस से कहा गया कि उसे जो रकम मिल गई, वही बहुत है, बयाने की रकम भला कोई वापस करता है. इस तरह बाकी रकम लंगाह ने खुद रख ली थी.
जसविंदर कठपुतली बनी हुई थी मंत्री की
इस के बाद सुच्चा सिंह लंगाह ने जसविंदर के नाम पर सहकारी बैंक से 8 लाख रुपए कर्ज ले कर 1 लाख रुपए उसे दे दिए और बाकी के 7 लाख रुपए खुद रख लिए. इस के बाद यह कह कर जसविंदर के गांव वाले मकान का सौदा करवा दिया कि वह उसे जालंधर शहर में फ्लैट खरीदवा देगा. इस के बाद उस से प्रार्थना पत्र लिखवा कर उस का तबादला जालंधर करवा दिया.
जसविंदर कौर के अनुसार, लंगाह उसे नदी पार अपनी जमीनों के बीच बनी कोठी पर भी बुलाया करता था, जहां जाने में उसे बहुत डर लगता था. जसविंदर को लगता कि अगर उसे मार कर वहां दफना दिया गया तो किसी को पता तक नहीं चलेगा. वैसे भी उस ने उसे इतना डरा दिया था कि वह उस के हाथों की कठपुतली बनी हुई थी. इसीलिए वह उस के खिलाफ किसी के सामने मुंह खोलने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी.
एक बार जसविंदर के बेटे का एक्सीडेंट हुआ तो लंगाह ने यह कह कर उसे और डरा दिया कि कहीं यह एक्सीडेंट किसी ने कराया तो नहीं? उस ने यह बात इस तरह कही थी कि जसविंदर ने सोचा कि अगर उस ने कभी उस के खिलाफ जाने की सोची तो वह उस के परिवार को नुकसान पहुंचा सकता है.
जसविंदर जितना सुच्चा सिंह से डरती रही, वह उस का उतना ही शारीरिक और आर्थिक शोषण करता रहा. क्योंकि बेसहारा अकेली जसविंदर कौर की उस के सामने औकात ही क्या थी? इस बीच जसविंदर को पता चल गया कि सुच्चा सिंह ने उस की तरह और भी कई औरतों को उसी की तरह लूट कर उन की जिंदगी बरबाद कर दी.
इस के बाद जसविंदर को लगने लगा कि अब वह अति की सीमा पार कर चुका है. आखिर अपनी जान हथेली पर रख कर किसी तरह हिम्मत जुटा कर जसविंदर कौर ने सुच्चा सिंह लंगाह के खिलाफ उपर्युक्त शिकायत लिख कर एसएसपी को दे दी थी.
अपने ऊपर हुई ज्यादतियों को साबित करने के लिए मजबूरन जसविंदर ने इस सब की वीडियो बना ली थी. क्योंकि अगर वह ऐसा न करती तो अपनी पहुंच की बदौलत लंगाह उस की शिकायत को दबवा कर वह उसे किसी केस में फंसवा सकता था. इसीलिए सबूत के तौर पर जसविंदर ने एक वीडियो शिकायत पत्र के साथ नत्थी कर दी थी.
जसविंदर कौर ने शिकायत देने के बाद गुहार लगाई थी कि उसे और उस के परिवार को सुच्चा सिंह लंगाह से बहुत ज्यादा खतरा है. वह इतना खतरनाक आदमी है कि कभी भी उस पर हमला करवा कर मरवा सकता है. इसलिए उस ने निवेदन किया था कि उस की व उस के परिवार की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए. उसे इंसाफ दिलवाया जाए और उस के आर्थिक नुकसान की भरपाई करवाई जाए.
सुच्चा सिंह लंगाह ने मंत्री और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का सदस्य रहते हुए तमाम गैरजिम्मेदाराना काम करते हुए बहुत ज्यादतियां की हैं. इसलिए इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लेते हुए एक बेसहारा मजलूम औरत की फरियाद पर ध्यान दे कर उस के खिलाफ तुरंत काररवाई की जाए.
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शिकायत पत्र के अंत में जसविंदर कौर ने अपने दस्तखत कर के नामपता और मोबाइल नंबर भी लिख दिया था. इस के साथ एक एफिडेविट के अलावा पैनड्राइव और सीडी भी संलग्न थी, जिस में 20 मिनट की वीडियो थी, जो किसी नीली फिल्म से कम नहीं थी. उस में लंगाह को निर्वस्त्र हो कर शिकायतकर्ता के साथ शारीरिक संबंध बनाते दिखाया गया था.
सबूतों के आधार पर सुच्चा सिंह के खिलाफ दर्ज हो गई शिकायत
एसएसपी हरचरण सिंह भुल्लर ने मार्क कर के जसविंदर की शिकायत की काररवाई के लिए डीएसपी (सिटी) गुरबंस सिंह बैंस को भिजवा दी. उन्होंने इस के तथ्यों एवं वीडियो वगैरह की जांच कर के कानूनी राय लेने के लिए उसे जिला न्यायवादी के पास भिजवा दिया. डिस्ट्रिक्ट अटार्नी ने भादंवि की धारा 376, 384, 420 एवं 506 के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने की संस्तुति दे दी.
इस तरह 29 सितंबर, 2017 को गुरदासपुर के थाना सिटी में अपराध संख्या 168 पर उपर्युक्त धाराओं के तहत सुच्चा सिंह लंगाह के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया. इस के बाद लंगाह की वह अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.
इस के बाद सुच्चा सिंह लंगाह ने भूमिगत हो कर पार्टी के सभी पदों तथा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की सदस्यता से इस्तीफा दे कर अदालत में आत्मसमर्पण करने की घोषणा कर दी. अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने उस के इस्तीफे को तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया. एसएसपी हरचरण सिंह भुल्लर ने मामले की जांच डीएसपी आजाद दविंद्र सिंह एवं इंसपेक्टर सीमा देवी को सौंपने के अलावा जसविंदर कौर को सुरक्षा मुहैया करा दी.
उसी दिन सुच्चा सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा कि उन के विरुद्ध यह झूठा मामला सरकार द्वारा गुरदासपुर उपचुनाव जीतने के लिए एक सोचीसमझी साजिश के तहत दर्ज कराया गया है. लेकिन उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. वह 30 सितंबर, 2017 को माननीय अदालत में आत्मसमर्पण कर देंगे.
लेकिन सुच्चा सिंह 30 सितंबर को किसी भी अदालत में आत्मसमर्पण करने नहीं पहुंचा. हालांकि उस दिन छुट्टी थी, फिर भी गुरदासपुर की अदालत में ड्यूटी मजिस्ट्रैट दिन भर बैठे रहे. इतना ही नहीं, मीडियाकर्मी, पुलिस फोर्स और अकाली दल के समर्थक भी अदालत पहुंच कर उस के बंद होने तक उस का इंतजार करते रहे.
जिस तरह सोशल मीडिया पर सुच्चा सिंह लंगाह का आपत्तिजनक वीडियो वायरल हुआ था, उसी तरह यह खबर भी सामने आई कि केस दर्ज करवाने वाली महिला ने 12 दिन पहले उसे चेतावनी देते हुए कहा था कि जो हुआ, सो हुआ. अब वह उस का पीछा छोड़ दें, वरना उसे मजबूरन पुलिस की शरण में जाना पड़ेगा.
लेकिन सुच्चा सिंह लंगाह ने उस की इस चेतावनी की जरा भी परवाह नहीं की थी. वह जाने कहां छिपा बैठा था. उसी बीच पहली अक्तूबर को भाजपा के पंजाब प्रभारी प्रभात झा ने बयान जारी करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अकाली नेता पूर्वमंत्री सुच्चा सिंह लंगाह को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उसी दिन शाम को शिरोमणि अकाली दल पार्टी ने उसे निकाले जाने का आदेश सार्वजनिक कर दिया.
गिरफ्तारी के डर से भूमिगत हो गया सुच्चा सिंह
मुकदमा दर्ज होने के 3 दिनों बाद सुच्चा सिंह लंगाह वकीलों की टीम के साथ चंडीगढ़ की जिला अदालत में आत्मसमर्पण करने पहुंचा, पर अदालत ने उसे गुरदासपुर जाने को कहा. इस के बाद सुच्चा सिंह फिर भूमिगत हो गया. श्री अकालतख्त साहिब समेत अन्य तख्तों के जत्थेदारों ने इस मामले पर नोटिस लेते हुए उस पर कड़ी काररवाई करने की बात की.
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श्री अकालतख्त साहिब के जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी गुरबचन सिंह ने इस घटना की भर्त्सना करते हुए अपना बयान जारी किया कि सुच्चा सिंह लंगाह ने एसजीपीसी जैसी सर्वोच्च धार्मिक संस्था का सदस्य रहते हुए जो कृत्य किया है, वह अति निंदनीय है. दुनिया भर में बैठी संगत इस की जोरदार शब्दों में निंदा करती है. जल्दी ही इस मामले पर सिंह साहिबान की बैठक बुला कर और उस में धार्मिक मामलों को ले कर गठित कमेटी की राय ले कर लंगाह के खिलाफ जो काररवाई की जानी चाहिए, वह की जाएगी.
3 अक्तूबर को सुच्चा सिंह लंगाह की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने लुकआउट नोटिस जारी कर दिया. उस ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई, जो खारिज कर दी गई. आखिर 4 अक्तूबर को उस ने अपने वकीलों के साथ जा कर गुरदासपुर की सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस ने पूछताछ के लिए उसे 9 अक्तूबर तक के लिए कस्टडी रिमांड पर ले लिया.
उस समय सुच्चा सिंह ने अदालत में मौजूद पत्रकारों से कहा था कि उन के विरुद्ध साजिश रची गई है, जिस में एक कांग्रेसी नेता तथा एक पुलिस अधिकारी ने मुख्य भूमिका निभाई है. इसी के साथ उस ने यह भी कहा कि उसे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है.
अदालत परिसर में ही कुछ लोगों ने सुच्चा सिंह पर हमला कर दिया, जिस में वह बालबाल बच गया. इस घटना के बाद पुलिस ने एक हमलावर युवक को नंगी तलवार के साथ गिरफ्तार कर लिया था.
उसी दिन सरबतखालसा पंथ के जत्थेदारों की ओर से सिख पंथ के नाम जारी एक हुकमनामे के अनुसार, सुच्चा सिंह को पंथ से निकाल दिया गया. इस के बाद इस फैसले पर 5 सिंह साहिबानों श्री अकालतख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह, तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, तख्त श्री पटनासाहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह, ज्ञानी जगतार सिंह व ज्ञानी रघबीर सिंह ने इस फैसले पर मुहर लगा दी.
कस्टडी रिमांड के दौरान सुच्चा सिंह लंगाह की उम्र अथवा रुतबे की परवाह न करते हुए पुलिस ने उस से गहन पूछताछ की.
कपूरथला से 10वीं पास कर के राजनीति में आने वाले सुच्चा सिंह लंगाह का मूल गांव था लंगाह, जहां उस के पिता तारा सिंह खेतीकिसानी करते थे. माझा में उस की अच्छी पहचान थी. उस के राजनीतिक कद को देखते हुए पार्टी में कई अहम पदों की जिम्मेदारी उसे सौंपी गई थी. क्योंकि वह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का बहुत करीबी और खासमखास था.
सुच्चा सिंह सन 1997 से 2002 तक बादल के नेतृत्व वाली सरकार में लोकनिर्माण मंत्री रहा. इस के बाद सन 2007 से 2012 तक की अकाली-भाजपा सरकार में उसे कृषि मंत्री बनाया गया था. सन 2012 के विधानसभा चुनाव में डेरा बाबा नानक सीट पर वह कांग्रेस के सुखजिंदर सिंह रंधावा से चुनाव हार गया.
उस ने 2 शादियां की थीं. उस के 2 बेटे और 2 बेटियां हैं. उस की पहली पत्नी गुरदासपुर के कस्बा धारीवाल में रहती है, जबकि दूसरी पत्नी नरेंद्र कौर नयागांव (मोहाली) में रहती है. 61 साल के हो चुके सुच्चा सिंह लंगाह पुलिस रिकौर्ड के अनुसार हिस्ट्रीशीटर है. जमीनों पर नाजायज कब्जे के उस पर अनेक मामले चले हैं. सन 2002 में उसे पंजाब के सतर्कता विभाग ने गिरफ्तार कर उस पर मुकदमा चलाया था. सन 2015 में उसे 3 साल की कैद हुई थी. इस फैसले के खिलाफ की गई उस की अपील हाईकोर्ट में विचाराधीन है.
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इस मामले में सुच्चा सिंह लंगाह बुरी तरह से फंस चुके है. अन्य धाराओं के अलावा पुलिस ने उस के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की धारा 295-ए जोड़ कर उस के कस्टडी रिमांड में एक दिन की बढ़ोत्तरी करवाई थी. 10 अक्तूबर को उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है.
बहरहाल, अपनी बेटी की सहपाठिन रही विधवा औरत के साथ विश्वासघात का संगीन खेल खेल कर पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह ने अपने इर्दगिर्द नफरत की एक ऐसी फसल उगा ली है, जिसे काट पाना उस के लिए आसान नहीं है.
कहानी सौजन्य – मनोहर कहानियां