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घर से निकलने से पहले रफीका ने बच्चों से कह दिया था कि वह संजय के साथ मां से मिलने कोलकाता जा रही है. 4 दिनों बाद वह वापस लौट आएगी. तुम सब ठीक से रहना, अपना खयाल रखना. किसी चीज की जरूरत पड़े तो निशा फूफी से कह कर ले लेना.

खैर, उस रात रेलगाड़ी वारंगल से तडेपल्लगुडम पहुंची तो रफीका की पलकें झपकने लगीं. वह सो गई तो संजय ट्रेन से प्लेटफार्म पर उतरा. स्टाल से उस ने एक पैकेट छाछ का लिया और वापस ट्रेन में अपनी सीट पर बैठ गया.

एक डिब्बे में छाछ पलट कर उस ने बड़ी सफाई से उस ने उस में नींद की 10 गोलियों का चूण मिला दिया. जब दवा छाछ में घुल गई तो उस ने नींद में सोई रफीका को जगा कर छाछ पिला दी.

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छाछ पीने के बाद वह फिर सो गई. उसे क्या पता था कि जीवन का हमसफर बनने वाला संजय यमराज बन कर उस की जिंदगी छीनने वाला है और अब वह चंद पलों की मेहमान है.

थोड़ी देर बाद दवा ने अपना असर दिखाना शुरू किया. संजय ने रफीका को हिलाडुला कर देखा. वह बेसुध पड़ी थी. उसी दौरान बड़ी सफाई से उस ने उसी के दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया.

फिर मौका देख कर रफीका को अंधेर में तडेपल्लीगुडम और राजमुंद्री रेलवे स्टेशन के बीच रेलगाड़ी से नीचे गिरा दिया. वह मन ही मन खुश हो रहा था. क्योंकि उस के और शाइस्ता के बीच का रोड़ा हमेशाहमेशा के लिए निकल गया था.

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