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9 लातेलंगाना का एक जिला है वारंगल. इसी जिले के थाना गिचिकोंडा क्षेत्र के गोर्रेकुंठा गांव के बाहर गोदाम से सटे कुएं के पास सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा थी.

गिचिकोंडा थाने के एसओ शिवरामे, डीसीपी (अर्बन) वेंकट लक्ष्मी, एसीपी श्याम सुंदर, पुलिस कमिश्नर वी. रविंद्र, थाना परवंथगिरी के एसओ किशन और साइबर क्राइम इंसपेक्टर जनार्दन रेड्डी भी वहां मौजूद थे.

दरअसल, कुएं के भीतर पानी में 4 लाशें तैर रही थीं. जरा सी देर में यह खबर आसपास के गांवों में भी फैल गई. इस के चलते क्षेत्र में सनसनी फैल गई. शवों को निकालने के लिए पुलिस ने मोटी रस्सी के सहारे कुएं में गोताखोरों को उतार दिया. घंटे भर की मशक्कत के बाद एकएक कर चारों लाशें बाहर निकाल ली गईं.

गांव के लोगों ने बताया कि चारों लाशें एक ही परिवार के लोगों की हैं, जो पश्चिम बंगाल के रहने वाले थे. यह परिवार कई साल पहले यहां आ कर बस गया था. मृतकों के नाम थे मोहम्मद मकसूद आलम, उस की पत्नी निशा आलम, बेटी बुशरा खातून और बेटा शादाब.

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ताज्जुब की बात यह थी कि ँस परिवार के 2 सदस्य लापता थे, जिस में एक मकसूद का बेटा सोहेल आलम और बुशरा खातून का 3 वर्षीय बेटा. उन का कहीं पता नहीं था. इन दोनों के लापता होने से पुलिस के माथे पर परेशानी की लकीरें खिंच गई थीं.

पुलिस ने लाशों का मुआयना किया, तो उन की स्थिति देख कर आत्महत्या करने का मामला लग रहा था, क्योंकि उन के शरीर पर कहीं भी चोट के निशान नहीं थे. अगर मृतकों की हत्या की गई होती तो उन के शरीर पर कहीं न कहीं चोट के निशान होते. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था.

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