Writer- Devendra Kumar Mishra

शशि ने जब पायल से विवाह की बात दोबारा छेड़ी तो पायल ने कहा, ‘‘इस उम्र में विवाह? क्यों मजाक करती हो. लोग क्या कहेंगे?’’

शशि ने पहले भी कई बार पायल से विवाह की चर्चा की थी. आज फिर कहा, ‘‘अपने बारे में सोचो. आधा जीवन अकेले काट लिया. तुम्हारी परेशानी, अकेलेपन में कोई आया तुम्हारा हाल पूछने? और लोगों का क्या है, वे तो कुछ न कुछ कहते ही हैं. शादी नहीं हुई तब भी और हो जाएगी तब भी. कहने दो जिस को जो कहना है.’’

शशि अपने घर चली गई. दोनों सहेलियां थीं. एक ही कालोनी में रहती थीं. शशि विवाहित और 2 बच्चों की मां थी, जबकि 45 की उम्र में भी पायल कुंआरी थी. शशि के जाने के बाद पायल ने खुद को आईने में देखा. ठीक उसी तरह जैसे वह 20 साल की उम्र में खुद को आईने में निहारा करती थी. बालों को कईकई बार संवारा करती थी.

इधर कुछ सालों से तो वह आईने को मात्र बालों में कंघी करने के लिए झटपट देख लिया करती थी. पिछले कई वर्षों से उस ने खुद को आईने में इस तरह नहीं देखा. शशि शादी की बात कर के गई तो पायल ने स्वयं को आईने में एक बार निहारना चाहा. आधे पके हुए बाल, चेहरे का खोया हुआ जादू, आंखों के नीचे काले गड्ढे. स्वयं को संवारना भूल गई थी पायल. आज फिर संवरने का खयाल आया और आईने में झांकते हुए वह अपने अतीत में खो गई.

जब वह 20 साल की थी तब पिता की असमय मृत्यु हो गई थी. जवान होती लड़कियों की तरह स्वयं को भी आईने में निहारती रहती थी. मां को पेंशन मिलने लगी. लेकिन किराए के मकान में 2 बेटियों और 1 बेटे के साथ मां को घर चलाने में समस्या होने लगी. 2 लड़कियों की शादी और बेटे को पढ़ालिखा कर रोजगार लायक बनाना मां के लिए कठिन प्रतीत हो रहा था. पायल कालेज में थी और 5 साल छोटा भाई अनुज अभी स्कूल में था.

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