कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

दिल दहला देने वाली घटना को घटे 3 दिन बीत चुके थे. घटना को ले कर समूचे राज्य में दहशत थी. पुलिस पर जनता का काफी दबाव था.

लोग मांग कर रहे थे कि घटना का खुलासा जल्द से जल्द कर के हत्यारों को जेल भेजा जाए. जल्द खुलासा न होने पर लोगों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी भी दी. पुलिस कमिश्नर वी. रविंद्र ने डीसीपी वेंकट रेड्डी को घटना का खुलासा जल्द से जल्द करने के आदेश दे दिए.

घटना की छानबीन में यह मामला आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का प्रमाणित हो चुका था. मृतक मकसूद का दोस्त संजय कुमार यादव शक के दायरे में पहले ही आ चुका था. अब तक की जांच के दौरान जुटाए गए साक्ष्य संजय के खिलाफ थे.

24 मई, 2020 को पुलिस ने शक के आधार पर संजय को गिचिकोंडा से हिरासत में ले लिया. जब उस से पूछताछ की तो वह बारबार खुद को निर्दोष बताता रहा. पुलिस ने जब उस से सख्ती से रफीका के बारे में पूछा तो उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.

संजय समझ चुका था अब और देर तक उस का नाटक चलने वाला नहीं है. इस के बाद वह डीसीपी रेड्डी के पैरों पर वह गिर कर गिड़गिड़ाने लगा, ‘‘साहब, मुझे मत मारिए. मैं सचसच बताता हूं. सभी हत्याएं मैं ने ही की हैं.’’

ये भी पढ़ें- Best of Crime Stories: मर कर भी न होंगे जुदा

‘‘क्याऽऽ’’ संजय के मुंह से हत्या की बात सुन कर सभी पुलिसकर्मी हैरान रह गए.

‘‘क्या करता, सर. मैं मजबूर था. रफीका के बारे में सवाल पूछपूछ कर मकसूद और उस के घर वालों ने मेरा दिमाग खराब कर दिया था. राज छिपाने का मेरे पास यही आखिरी रास्ता बचा था...’’ इस के बाद संजय पूरी कहानी से परतदरपरत परदा उठाता चला गया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...