Social Story: डियो और काना हर समय साथसाथ ही दिखाई देते थे. डियो जरमनी से थी और काना जापान से. दोनों बेंगलुरु के एक आश्रम में मिले थे. इंग्लिश दोनों को आती थी. आज आश्रम का आखिरी दिन था. काना ने डियो को बताया था कि आश्रम का एक सहयोगी उस पर आश्रम को अनुदान देने का अनुचित दबाव बना रहा है.
वहीं, डियो कुछ भारतीय परिधान खरीदने के लिए जाना चाहती थी. अभी कल ही काना ने डियो को एक साथी भारतीय योगी को बेइज्जत करते देखा था. किसी की पर्सनल बात पूछना वैसे भी उस की आदत या जापानी संस्कारों के खिलाफ था. एक योगिनी राधिका ने बीचबचाव करवाया था.
शांत होने पर राधिका ने डियो को भारतीय परिधान पहनने की भी सलाह दे दी थी. डियो इस के बाद जयपुर, अजमेर और पुष्कर घूमने जाना चाहती थी. काना दक्षिण भारत में कुछ दिन और रुकना चाहती थी. रात को खाना खा कर आश्रम में बनी एक दुकान पर दोनों रुक गईं. अचानक, डियो एक डीवीडी कैसेट उठा कर देखने लगी. यह देख कर दुकानदार ने हंसते हुए एक दूसरी डीवीडी थमा दी. यह इंग्लिश में थी. उत्सुकतावश, दोनों कमरे में आ कर देखने लगीं. आश्रम के संचालक अलगअलग तरह से विदेशियों से चंदे के लिए अपील कर रहे थे. गरीब बच्चों, असहाय महिलाओं, इलाज की प्रतीक्षा कर रहे मरीज, सभी तो थे डीवीडी में. काना को कहीं न कहीं ग्लानि का अनुभव हो रहा था. ‘‘शायद ये सब विदेशियों को अमीर मानते हैं. और अमीर लोगों से लोग अपेक्षा करते ही हैं कि वे गरीबों की मदद करें,’’ काना ने दुखी स्वर में कहा.
‘‘हां, पर हम लोग तो खुद ही अभी पढ़ रहे हैं. कोई हाईप्रोफाइल लोग नहीं हैं. मैं पार्टटाइम जौब कर के अपनी पढ़ाई का खर्र्च खुद ही निकालती हूं. साउथ एशिया घूमने इसलिए आई हूं कि कम खर्च में घूमनाफिरना हो जाएगा,’’ डियो का कहना था.
डियो और काना दोनों ही अपनेअपने देशों में मैडिसिन की पढ़ाई कर रही थी. शायद, इसीलिए दोनों की खास जमती थी.
काना अपनी दादी की दुकान में काम करती थी. वह वीकैंड पर टैक्सी चलाती थी. उच्च शिक्षा के लिए उस ने जीतोड़ मेहनत की थी. लगातार 3 साल टैक्सी चला कर पैसे बचाए थे. तब जा कर मैडिसिन पढ़ रही थी. बेहद मेहनती काना ने आश्रम में भी कुछ कार्य करने की संभावना तलाश की थी.
आश्रम के संचालक ने उसे फंड इकट्ठा करने की जिम्मेदारी देना स्वीकार भी किया था. परंतु इस से पहले वह काना से भरपूर चंदा लेना चाहता था. दरअसल, विदेशियों की वजह से ही आश्रम में सभी ऐश्वर्य के साधन उपलब्ध थे.
आश्रम छोड़ते समय विदेशियों को रोका गया. उन से आश्रम के बारे में, गुरुजी के बारे में कुछ बोलने को कहा गया.
स्वाभाविक तौर पर, विदेशी पराए देश में कुछ बुरा क्यों बोलते. अनुभव कैसा भी रहा हो, सभी ने लाइफचेंजिंग बताया. फिर, एक अन्य बिल आया. डियो और काना समेत सभी बेहद हैरान हुए. क्योंकि अपनी समझ से वे सभी बिलों का भुगतान कर चुके थे. उस के बाद अनुदान राशि के लिए प्रार्थनापत्र, काना और डियो को दिया गया. सिर्फ यही 2 विदेशी ऐसे थे जिन्होंने अभी तक आश्रम संचालक को कुछ नहीं दिया था.
न चाहते हुए भी दोनों ने सौ डौलर के चैक दे दिए. राशि देख कर चैक लेने वाले व्यक्ति ने बुरा सा मुंह बनाया और आश्रम के संचालक के कान में फुसफुसाने लगा. इस के बाद डियो और काना को रुखाई से विदा कर दिया गया.
दोनों ने तय किया कि साथ में मैसूर घूमने जाया जाए. डियो के पास 2 दिन शेष थे. उस के बाद राजस्थान घूमने जाना चाहती थी. एकदो अन्य पर्यटक भी उन के साथ शामिल हो गए. डियो ने रास्ते में आश्रम में हुई घटना के बारे में विस्तार से बताया, ‘‘वह तथाकथित गुरुजी का सहायक है. उस ने मुझ से कई बार अपने कक्ष में आने को कहा. एक बार मैं अकेली शाम को लौंग वौक के लिए निकली थी. पता नहीं कहां से आ गया. उस ने मुझे बताया कि उसे गुरुजी ने बताया था कि जरमनी से आई युवती ही मेरा उद्धार करेगी. इतना कह कर वह मुझे गले लगाने लगा.
‘‘मैं उस से पीछा छुड़ा कर भागी. अगले दिन वह मुझे छोटे कपड़ों को ले कर सब के सामने जलील करने लगा. उस ने कहा कि मैं आश्रम की सभ्यता और संस्कृति के खिलाफ कपड़े पहन रही हूं.’’
‘‘परंतु सिर्फ हमीं लोगों को इस तरह क्यों प्रताडि़त किया. तुम्हें उसी समय उस सहायक की शिकायत करनी चाहिए थी,’’ काना ने रोष से कहा.
‘‘करना तो चाहती थी परंतु उस ने अगले दिन सुबह खुद ही ड्रामा शुरू कर दिया,’’ डियो ने सोचते हुए कहा.
‘‘तुम जानती हो जब मैं ने चंदा देने से मना किया तो मुझे भी गलत इशारे किए गए. इन भारतीयों को ऐसा क्यों लगता है कि हम विदेशी किसी के साथ भी बैड शेयर कर सकते हैं,’’ काना ने दुख से कहा.
‘‘खैर, कुछ भी हो, पर तुम मेल जरूर करना आश्रम को इन सभी के बारे में. मैं भी शिकायती मेल जरूर डालूंगी,’’ काना ने डियो को समझाया.
दोनों ने रवि नामक गाइड को मैसूर दर्शन के लिए साथ लिया. दोनों जब गाइड के लिए मोलभाव कर रही थीं तो उस ने सब से कम दाम बताए थे. घूमने के बाद जब वापसी का समय आया तो खीसें निपोरते हुए उस ने कहा, ‘‘मैम, एनी अदर सर्विस यू वौंट. आई एम अबेलएबल एट फ्री औफ कौस्ट.’’
दोनों ने हैरानी से एकदूसरे की तरफ देखा. अध्यात्म की अनुभूति तो आश्रम में ही खत्म हो चुकी थी. अब घूमनेफिरने का उत्साह भी ठंडा हो गया था. तभी एक वृद्धा उन के पास आ कर हालचाल पूछने लगी. फर्राटेदार इंग्लिश बोलती वृद्ध महिला बैंक में औफिसर रह चुकी थी.
‘‘नैक्स्ट टाइम, कम एटलीस्ट विद वन मेल फ्रैंड,’’ वृद्धा ने बिना मांगी सलाह देना जारी रखा, ‘‘ऐंड वियर इंडियन वियर औल द टाइम.’’
‘‘अब मुझे अच्छी तरह समझ में आ गया कि इंडिया में पर्यटक इतने कम क्यों आते हैं. मैं दूसरी बार नहीं आना चाहती, इसलिए राजस्थान घूमने जरूर जाऊंगी,’’ डियो ने काना के कान में फुसफुसाते हुए कहा.
‘‘हां, मैं भी केरल घूम कर वापस जाऊंगी. सोचती हूं, वियतनाम घूम आती हूं,’’ काना ने अपनी योजना बताई.
दोनों ने एक नेक काम जरूर किया, वह था अपने बैंक में फोन कर के चैक की स्टौप पेमैंट कराना.