रेटिंगः एक स्टार

निर्माताः मंगत कुमार पाठक

निर्देशकः अभिषेक पाठक

कलाकारः सनी सिंह,मानवी गगरू,सौरभ शुक्ला,ग्रुशा कपूर,ऐश्वर्या सखूजा, करिश्मा शर्मा,अतुल कुमार

अवधिः दो घंटे

हीन ग्रथि से उबरने के साथ साथ इंसान की असली सुंदरता उसके लुक शारीरिक बनावट पर नही बल्कि उसके अंतर्मन में निहित होती है,उसके स्वभाव में होती है. इस मुद्दे पर एक हीन ग्रथि के शिकार  तीस वर्षीय प्रोफेसर, जिसके सिर पर बहुत कम बाल है,की कहानी को हास्य के साथ पेश करने वाली फिल्म ‘‘उजड़ा चमन’’ फिल्मकार अभिषेक पाठक लेकर आए हैं. मगर वह बुरी तरह से असफल रहे हैं.फिल्म दस मिनट के लिए भी दर्शक को बांधकर नहीं रखती.

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कहानीः

2017 की सफल कन्नड़ फिल्म ‘‘ओंडू मोट्टेया कठे’’ की हिंदी रीमेक ‘उजड़ा चमन‘ की कहानी दिल्ली युनिवर्सिटी के हंसराज कौलेज में लेक्चरर प्रोफेसर के रूप में कार्यरत 30 वर्षीय चमन कोहली (सनी सिंह) की दुःखद दास्तान है, जो कि सिर पर बहुत कम बाल यानी कि गंजा होने के कारण हर किसी के हंसी का पात्र बनते हैं.

उनके विद्यार्थी भी कक्षा में उन्हें ‘उजड़ा चमन’ कह कर मजाक उड़ाते हैं. इसी समस्या के चलते उनकी शादी नहीं हो रही है, इससे चमन के पिता (अतुल कुमार   )और माता (ग्रुशा कपूर ) बहुत परेशान हैं. यह परेशानी तब और अधिक बढ़ जाती है जब एक ज्योतिषी गुरू जी (सौरभ शुक्ला) भविष्यवाणी कर देते हैं कि यदि 31 की उम्र से पहले चमन की शादी न हुई, तो वह संन्यासी हो जाएंगे. इसलिए चमन शादी के लिए लड़की तलाशने के लिए कई जुगाड़ लगाते हैं.

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