Hindi Story : प्रेमिका की तलाश – क्या पूरी हुई प्रेम की तलाश

Hindi Story : प्रेम का कालेज में आखिरी साल था और वह बिलकुल सहीसलामत था. मतलब, वह किसी लड़की के चक्कर में नहीं पड़ा था, इसीलिए उस के मातापिता को उस पर नाज था. लेकिन सच कहें तो प्रेम को यह मंजूर न था. बात यह थी कि उस के दोस्त अकसर किसी न किसी लड़की के साथ कभी पार्क में, कभी बाजार में तो कभी चर्च के पीछे दिख जाते थे. उन्हें मटरगश्ती करते देख प्रेम को बहुत बुरा लगता था. मन में हीनभावना भर जाती थी, क्योंकि उस की कोई प्रेमिका जो नहीं थी, इसीलिए उसे अपने लिए एक अदद प्रेमिका की शिद्दत से तलाश थी.

एक दिन प्रेम कालेज जा रहा था. अचानक रास्ते में कुछ लड़कियों को उस ने कहीं जाते देखा. उन सब के बीच एक लड़की को देख कर वह अपनी सुधबुध खो बैठा. तभी वह लड़की तिरछी नजर से प्रेम को देख कर मुसकराई, फिर अपनी सहेलियों के साथ आगे बढ़ गई. उस की इस अदा पर वह निहाल हो गया. उसे लगा, इसी लड़की का उसे इंतजार था.

प्रेम कालेज जा रहा था, लेकिन अब उस का इरादा बदल गया. उस ने उस हसीना का पताठिकाना जानने का निश्चय कर लिया और उस के पीछे चल पड़ा. उस का पीछा करतेकरते तकरीबन आधा घंटे के बाद प्रेम एक अनजान महल्ले में पहुंचा. एकएक कर उस की सारी सहेलियां उस से अलग होती गईं. आखिर में वह लड़की सड़क से लगे एक खूबसूरत घर में दाखिल हो गई. प्रेम समझ गया कि यही उस का घर है.

उस लड़की के घर का पता जान कर प्रेम बहुत खुश हुआ. उस ने तय किया कि अब धीरेधीरे वह उस हसीना से मेलजोल बढ़ाएगा. अगले दिन प्रेम कालेज जाने के बजाय उस हसीना के घर के सामने जा पहुंचा. उस का दिल जोरजोर से धड़क रहा था. क्या पता उस का दीदार होगा भी या नहीं? लेकिन वह गूलर के फूल की तरह कहीं दिखी ही नहीं.

प्रेम कभी उस लड़की के घर के सामने किराना की दुकान के पास खड़ा हो जाता तो कभी इधरउधर आनेजाने का नाटक करता ताकि लोग समझें कि वह किसी काम से कहीं आजा रहा है. वह 2 घंटे वहीं मंडराता रहा. लेकिन वह हसीना कहीं नजर नहीं आई. वह निराश हो कर वहां से लौटने लगा.

लेकिन प्रेम कुछ दूर ही चला था कि देखा वह हसीना एक औरत के साथ रिकशे में बैठी कहीं से आ रही थी. हाथ में बड़ेबड़े थैले थे. शायद वे बाजार से लौट रही थीं. वह औरत शायद उस की मां थी. उसे देख कर प्रेम बहुत खुश हो गया. काली घटा सी जुल्फों के बीच झांकता उस का चांद सा मुखड़ा प्रेम को अजीब सी खुशी दे गया.

‘काश, यह मुझे मिल जाए तो मेरी जिंदगी में बहार आ जाए,’ यह सोच कर प्रेम मुसकराया. अपने घर के सामने गेट पर वह लड़की उस औरत के साथ रिकशे से उतर गई और अपने घर के अंदर चली गई.

प्रेम ने सोचा, ‘अब कालेज चलता हूं…’ लेकिन यह सोच कर कि क्लास अब खत्म हो गई होगी, कालेज जाने के बजाय वह वापस घर लौट आया. प्रेम अब उस हसीना को पटाने की जुगत भिड़ाने लगा. अगले दिन उस ने काले रंग की शर्ट और जींस पहन ली. भैया का काला चश्मा चुपके से उठा लिया और पापा की मोटरसाइकिल ले कर निकल लिया और सीधे उस हसीना के घर के सामने पहुंच गया.

मोटरसाइकिल किराना की दुकान के पास खड़ी कर प्रेम ने चश्मा आंखों पर लगाया और रितिक रोशन के स्टाइल में खड़ा हो कर इधरउधर देखते हुए मोबाइल फोन पर बिना काल किए किसी से बात करने का नाटक करने लगा ताकि कोई यह न कहे कि वह बिना काम के वहां खड़ा है. लेकिन एक घंटे से ज्यादा समय बीत गया, लेकिन वह लड़की नजर नहीं आई. तभी पता नहीं कहां से एक कुत्ता आ गया और प्रेम पर भूंकने लगा. उस की आवाज सुन कर कहीं से 2 कुत्ते और दौड़े आए उस पर गुर्राने और भूंकने लगे. प्रेम की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई. शायद उन्हें उस का काला लिबास और काला चश्मा पसंद नहीं आया था.

प्रेम डर कर एक तरफ भागा. भागतेभागते वह एक पत्थर से टकरा कर गिर गया और नाक से खून निकलने लगा. उस की पैंट और शर्ट पर धूल लग गई. बाल बिखर गए. प्रेम की यह हालत देख कर बगल से गुजरने वाले एक राहगीर ने उन कुत्तों को डरा कर भगा दिया, तब जा कर उस की जान में जान आई. लेकिन इस हालत में उस हसीना का दीदार करने की उस की इच्छा नहीं रही. वह घर लौट गया.

अगले दिन जब प्रेम उस हसीना के घर के सामने पहुंचा तो उस की खुशी का ठिकाना न रहा. वह अपने घर के बाहर ही किसी सहेली से बात कर रही थी. प्रेम का मन किया कि अभी जा कर उसे अपना हालेदिल कह सुनाए और अपने प्यार का इजहार कर दे. पर सोचा, ‘जल्दबाजी ठीक नहीं होगी. क्या पता कहीं उस की सैंडिल मेरी मुहब्बत के जोश को ठंडा न कर दे.’

थोड़ी देर बाद वह लड़की सहेली से बात खत्म कर घर के अंदर चली गई. उस के बाद कई दिनों तक प्रेम उस हसीना के घर का चक्कर लगाता रहा. कभी छत पर, कभी गेट पर, कभी कहीं आतेजाते वह दिख जाती.

एक दिन प्रेम ने हिम्मत कर एक चुंबन उस की तरफ उछाल दिया. जवाब में वह मुसकरा दी और तुरंत घर के अंदर चली गई. प्रेम खुशी से पागल हो गया. लगा, अब वह उस से पट जाएगी, इसीलिए कालेज जाना तकरीबन छोड़ दिया और उस हसीना के घर के सामने 2-3 घंटे मंडराता रहता. जब भी वह लड़की प्रेम को दिखती, वह उस की तरफ चुंबन उछाल देता. वह हर बार मुसकरा देती.

एक दिन प्रेम बहुत देर तक उस के घर के सामने मंडराता रहा लेकिन वह नजर ही नहीं आई और न बाहर निकली. बहुत इंतजार के बाद वह निराश हो कर लौटने लगा. प्रेम कुछ ही कदम आगे बढ़ा था कि अचानक पीछे से 2-3 लड़कों ने उस पर लातघूंसों की बौछार कर दी. उन में से एक चिल्ला कर कह रहा था, ‘‘लड़की पर लाइन मारता है, आज तेरी इश्कबाजी का नशा उतार दूंगा.’’

प्रेम घबरा गया, ‘‘मैं ने यहां कोई लड़की नहीं देखी है. किस लड़की पर लाइन मारने की बात कह रहे हो तुम?’’ एक मुस्टंडे लड़के ने दुकान के पीछे की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘उधर देखो, वहां मेरी बहन खड़ी रहती है और तुम यहां से लाइन मारते हो. 20-25 दिन से तुम्हारी हरकतें बरदाश्त कर रहा हूं. आज के बाद से कभी यहां नजर आए तो तुम्हारी हड्डीपसली एक कर दूंगा.’’

उन लोगों की पिटाई से प्रेम की आंखों के आगे अंधेरा घिर रहा था, फिर भी उस ने कोशिश कर दुकान के पीछे की तरफ देखा. सचमुच वहां एक लड़की नजर आई. वह पहली बार उसे देख रहा था. दुकान के पीछे की तरफ कोई लड़की रहती है, यह इतने दिनों तक उसे पता ही नहीं था. वह तो दुकान के सामने वाले मकान में रहने वाली लड़की के चक्कर में यहां भटक रहा था. ‘‘मुझे छोड़ दो. मैं ने वहां किसी लड़की को पहले नहीं देखा है. लाइन मारने की बात तो दूर है,’’ प्रेम ने गिड़गिड़ाते हुए उन से कहा.

‘‘झूठ मत बोलो…’’ एक लड़के ने प्रेम के सूजे हुए गाल पर जोरदार तमाचा मारते हुए कहा, ‘‘अगर लाइन नहीं मारते हो तो तुम यहां क्या करने आते हो?’’ प्रेम के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था. पिटाई से बचने के लिए उस ने कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो. अब से मैं कभी इधर नहीं आऊंगा.’’

इतना कह कर प्रेम ने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और भाग लिया. ‘‘बेटे, तेरा यह हाल किस ने किया?’’ प्रेम घर पहुंचा तो मां उस की हालत देख कर रोने लगीं.

प्रेम ने मां को समझाया, ‘‘तुम्हें अपने शेर जैसे बेटे पर भरोसा नहीं है क्या? तुम्हारे बेटे पर हाथ उठाने की किसी में हिम्मत नहीं है. मोटरसाइकिल सड़क के एक गड्ढे में फंस कर गिर गई, इसीलिए मुझे चोट लग गई.’’ शरीर में दर्द और सूजन के चलते प्रेम कई दिनों तक कहीं नहीं जा सका. उन लोगों ने झूठे आरोप में उसे बहुत मारा था. उस हसीना की भी उसे बहुत याद आती थी. प्रेम ने कान पकड़ लिए कि अब दोबारा उस के महल्ले में कदम नहीं रखेगा. लेकिन ज्योंज्यों वह ठीक हो रहा था उसे देखने और प्यार का इजहार करने की इच्छा फिर जोर मारने लगी.

कुछ दिनों के बाद प्रेम हिम्मत कर के फिर उस हसीना के घर के सामने पहुंच गया. पर यह क्या? उस हसीना के घर के आगे कारों का काफिला लगा था. बहुत सारे लोग इधरउधर मंडरा रहे थे. पास ही एक शामियाना लगा था जिसे अब खोला जा रहा था. शायद यहां कोई शादी थी. तभी कई औरतें उस हसीना के घर से एक दुलहन को घेरे हुए गाना गाती हुई बाहर निकलीं और एक कार की तरफ बढ़ गईं. सब रो रही थीं. दुलहन भी रो रही थी.

दुलहन को गौर से देखा तो प्रेम के होश उड़ गए. वह तो उस की हसीना थी. वह सपनों के महल सजाता रहा और उस की शादी भी हो गई. यह देख कर वह बहुत निराश हुआ. तभी प्रेम को खयाल आया कि वह बहुत दिनों से कालेज नहीं गया है, इसीलिए बुझे मन से कालेज के लिए चल पड़ा.

रास्ते में प्रेम ने सोचा, ‘मुझे अपने जीवन को संवारने पर ध्यान देना चाहिए, वरना मैं सपनों के महल सजाता रह जाऊंगा और सब की शादी होती जाएगी. और क्या पता, लड़कियों के चक्कर में मैं कहीं निकम्मा और बेरोजगार रह गया तो शायद सारी जिंदगी कुंआरा भी रहना पड़ सकता है. नहीं, मैं यह नहीं होने दूंगा. कैरियर पर पहले ध्यान दूंगा.’ प्रेम तेज रफ्तार से कालेज चल पड़ा. क्लास शुरू होने में थोड़ी ही देर थी.

Hindi Story : मूंछ की दीवार – इश्क में मूंछ बन गई दीवार

Hindi Story : जब नेहा अपने मायके से ब्याह कर ससुराल आई, तो मनोहर का बरताव उसे बेहद पसंद आया. क्यों न हो, घर में किसी चीज की कमी जो नहीं थी.

मनोहर के पिता कारोबारी थे. ससुर प्रताप राणा व सास देवयानी का स्वभाव इतना सरल था कि नेहा को वह अपना ही घर लगा.

नेहा की ननद सुधा अपनी भाभी को खुश रखने के लिए चुटकुले सुनाते हुए हंसीठिठोली भी कर लेती. ऐसा लगता, जैसे वे दोनों सहेलियां हों.

मनोहर काम नहीं करता था. पिता की अच्छीखासी आमदनी थी. फिलहाल तो वह कारोबार में भी हाथ नहीं बंटाता था. उस के ऊपर राजनीति का नशा चढ़ गया था.

पंचायत का चुनाव नजदीक आ रहा था. मनोहर को मुखिया का चुनाव लड़ने का नशा छा गया.

एक दिन एक ज्योतिषी ने उसे सलाह दे दी, ‘‘आप चुनाव से पहले अपनी मूंछों को बढ़ाइए. बड़ीबड़ी मूंछें राजनीति में आप को कामयाबी दिला सकती हैं.’’

फिर क्या था, मनोहर ने ज्योतिषी के बताए नियम से खुद को वैसा ही बना लिया, पर चुनाव के बाद वह मामूली वोटों से हार गया, फिर भी वह अपनी मूंछों को कामयाबी की वजह मानता रहा, क्योंकि वह बहुत ही कम वोटों से हारा था.

एक दिन बातों ही बातों में नेहा बोली, ‘‘आप तब कितने हैंडसम लगते थे, जब आप के चेहरे पर दाढ़ीमूंछें नहीं थीं. पर जब से आप ने अपना यह रूप बदला है, तब से आप का चेहरा डरावना सा लगता है. आप इसे हटवा लीजिए. अब तो कोई भी चुनाव नहीं है. जब चुनाव आएगा, तब फिर बढ़ा लीजिएगा.’’

मनोहर ने पत्नी की बातों को सुना और कहा, ‘‘देखो, भले ही ज्योतिषी की भविष्यवाणी थोड़ी गलत हो गई, पर तुम ने देखा, मैं जीततेजीतते हारा, इसलिए अब मुझे मूंछें ही पहचान दिलाएंगी.’’

नेहा थोड़ा झुंझला कर बोली, ‘‘तो इस के लिए ये 2-3 इंच की मूंछें रखने की क्या जरूरत है? जब आप चायदूध पीते हैं, तब आप की ये मूंछें कप व गिलास में घुस जाती हैं. चाय पीने के बाद कई बूंदें चाय आप की मूंछों से टपक पड़ती हैं.’’

‘‘देखो नेहा, मैं तुम्हारा पति हूं. मुझ से ऐसी बातें मत किया करो. ये मूंछें मेरे लिए भाग्यशाली साबित हो रही हैं,’’ मनोहर ने थोड़ा गुस्से से कहा.

‘‘मैं आप को कैसे समझाऊं. मूंछों से कोई भाग्यशाली नहीं होता. आप नहीं जानते, जब आप मुझे बांहों में ले कर होंठों को चूमते हैं, तो आप की ये मूंछें दीवार बन कर खड़ी हो जाती हैं. चूमते वक्त कई बार आप की मूंछें मेरे मुंह और नाक में घुस जाती हैं. उस समय मुझे कितना दर्द होता है, आप ने कभी सोचा है?’’ नेहा थोड़ा गुस्से में आ कर बोली.

‘‘मैं अपनी मूंछों से छेड़छाड़ करने की सोच भी नहीं सकता, पर तुम पत्नी हो, तुम्हारी सलाह पर नीचे की तरफ बढ़ रही मूंछों को मैं रोजाना सुबह ऊपर की तरफ मोड़ूंगा. कुछ दिनों बाद मूंछें खुदबखुद नीचे से ऊपर की तरफ मुड़ जाएंगी, फिर चूमते वक्त शायद तुम्हें उतना दर्द नहीं होगा, जितना अभी हो रहा है,’’ मनोहर ने पत्नी से समझौता किया. थकहार कर नेहा ने चुप्पी साध ली.

एक शाम मनोहर घर से बाहर अपने एक रिश्तेदार के घर जा रहा था. उस समय रात के 9 बजने वाले थे. रास्ता कीचड़ से भरा था, क्योंकि गांवदेहात की सड़कें वैसे भी बारिश के महीनों में खराब रहती हैं. वजह, लोग मवेशियों को भी सड़क के किनारे बांध देते हैं. सड़क के अगलबगल गोबर का ढेर लगा देते हैं. सड़क के ऊबड़खाबड़ होने के चलते कई महीनों तक परेशानी रहती है.

मनोहर की मोटरसाइकिल भी खराब हो गई. लाइट ठीक से नहीं जल रही थी. उस गांव में घुसने से पहले एक आदमी के दरवाजे पर मोटरसाइकिल खड़ी कर दी थी. अंधेरा घिर गया था. मनोहर पैदल ही गांव में आगे बढ़ रहा था. अचानक गांव में ही 2 गाएं चोरी हो गईं. चारों तरफ शोर मच गया… चोर…चोर…चारों तरफ से लोग हाथों में लाठी, टौर्च ले कर दौड़े. जब तक मनोहर कुछ समझता, तब तक लोगों की भीड़ उस के करीब आ गई. टौर्च की रोशनी में मनोहर का चेहरा देखा.

अनजान चोर समझ कर किसी ने उसे दबोच लिया. जब तक वह कुछ समझता, तब तक लोगों की भीड़ उस के और करीब आ गई.

गुस्साए लोगों में से एक ने कहा, ‘‘यही है चोर और इस के साथी मवेशी ले कर निकल गए हैं. इस की मूंछें उखाड़ लो.’’

यह कहने भर की देर थी कि लोगों में जैसे होड़ सी मच गई मूंछें उखाड़ने की. मूंछों की लंबाई भी इतनी ज्यादा थी कि लोगों की मुट्ठी में आसानी से आ गईं. मनोहर जब तक कुछ बोलता, तब तक लोगों ने उस की सभी मूंछें उखाड़ दीं. उसी समय उस के रिश्तेदार भी वहां आ गए. उस ने मनोहर को पहचान लिया, फिर लोगों को शांत करते हुए उस की सचाई बताई.

सच जान कर लोग पछतावा करने लगे, पर तब तक मनोहर की मूंछें बुरी तरह उखड़ गई थीं. मनोहर का रिश्तेदार उसे घर लाया. गांव के डाक्टर को बुला कर दवा दिला दी.

मनोहर ने पूरी रात बेचैनी की हालत में गुजारी. सुबह वह मुंह पर गमछा बांधे घर पहुंचा. उस ने धीरे से पत्नी से कहा, ‘‘थोड़ा गरम पानी व सूती कपड़ा ले आओ.’’

नेहा गरम पानी व सूती कपड़ा ले कर उस के पास पहुंची. मनोहर ने गमछा हटाया. नेहा ने देखा कि मनोहर के चेहरे से मूंछें नदारद हैं. वह दौड़ कर उस से लिपट गई और उस के होंठों को चूमते हुए बोली, ‘‘यह चमत्कार कैसे हुआ?’’

‘‘अरे, पहले गरम पानी व सूती कपड़े से सेंक लगाओ, फिर तुम्हें सारी कहानी बताऊंगा.’’

नेहा ने उस की भरपूर सेवा की. जब उस की पीड़ा कुछ कम हुई, तो उस ने रात की सारी बात बता दी.

‘‘धन्य हैं उस गांव के लोग, जो आज उन्होंने मुझे मेरा असली मनोहर लौटा दिया,’’ नेहा खुश होते हुए बोली.

‘‘नेहा, उस ढोंगी ज्योतिषी की बातों में पड़ कर मैं राह से भटक गया था. अब मेरी आंखें खुल गई हैं. मैं राजनीति से भी हमेशा के लिए तोबा करता हूं. अब मैं पिताजी के साथ उन के कारोबार में हाथ बंटाऊंगा. अब कभी तुम्हारे और मेरे बीच मूंछों की दीवार नहीं आएगी,’’ मनोहर ने विश्वास के साथ कहा. नेहा खुश थी, क्योंकि उसे अपना असली मनोहर जो मिल चुका था.

आंखों-आंखों में फ्लर्टिंग, जानें इसके पीछे छिपा विज्ञान

फ्लर्टिंग बड़ी दिलचस्प चीज है. खासकर जब आप आंखों-आंखों में फ्लर्ट करने की कोशिश करें. अब जरा सोचिए कि क्या कभी आपने अपने प्यार को या कहें अपने क्रश को दूर से घूरा है? क्या आपने कभी दूर से ही उसके साथ आंखों से संपर्क साधने की कोशिश की है? क्या कभी अपने प्यार को तब तक देखा है जब तक उसके चेहरे पर मुस्कुराहट न आए जाए या फिर वह शर्माने न लगे? क्या ये सारी बातें आपके मन में रोमांच नहीं पैदा करती हैं?

बहरहाल आप ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो आंखों-आंखों में फ्लर्ट करते हुए संकोच महसूस करते हैं. आपकी तरह तमाम ऐसे लोग हैं जो अपने क्रश को एकटक निहार नहीं पाते. असल में दूसरों की आंखों में घूरना जबरदस्त भाव है. यह न सिर्फ सकरात्मक प्रभाव छोड़ता है वरन यह आपको नकारात्मकता की ओर भी ले जा सकता है. अब कविता की बात सुनें. कविता कहती है कि मैं पिछले दिनों पार्टी में गयी थी जहां एक लड़का मुझे एकटक घूर रहा था. मैंने पार्टी के मेजमान से उसकी शिकायत की जिसके बाद उस लड़के को पार्टी से निकाल बाहर कर दिया गया.

आंखों-आंखों में देखकर फ्लर्ट करना दिलचस्प तो है साथ ही अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए प्रभावशाली भी है. हैरानी की बात यह भी है कि यदि आप आंखों-आंखों में फ्लर्ट नहीं करेंगे तो आपके रिश्ते को पिक अप मिलने में मुश्किलें भी आ सकती हैं. बहरहाल इस लेख में आंखों-आंखों में फ्लर्ट के पीछे छिपे विज्ञान पर चर्चा करेंगे.

1. दूसरों को खुश करना

आप चाहें फ्लर्ट करें या न करें यदि आप अपने क्रश को मुस्कान देते हुए एकटक निहारते हैं तो उस  पर सकरात्मक असर पड़ता है. असल में यह उसे खुश करने का एक तरीका भी है. इससे वह आपके बारे में अच्छा सोचने के लिए बाध्य होती है. यही नहीं वह आपके पास आ भी सकती है या फिर उम्मीद करती है कि आप उसके पास जाएं.

2. दूसरों को पढ़ने की कोशिश

आंखों-आंखों में संपर्क कर फ्लर्टिंग करने से दोनों एक दूसरे को जानने की कोशिश भी करते हैं. यही नहीं एक दूसरे के प्रति आलोचनात्मक रुख भी इख्तियार करते हैं. दरअसल आंखों-आंखों में संपर्क करना कोई सहज क्रिया नहीं है. मन में चोर हो तो भी आंखों में आंखें डालकर संपर्क नहीं किया जा सकता है. अतः यह पुरुष और महिला दोनों को एक दूसरे के लिए प्रति न्यायपरख बनाता है और एक दूसरे को जानने में मदद भी करता है.

3. विश्वसनीय बनाता है

क्या आप जानते हैं कि जिसे आप प्यार करते हैं या जिस पर आपका क्रश है, यदि आप उसे एकटक निहारते हैं तो यह आप दोनों का विश्वास भी बढ़ाता है. दरअसल जब आप अपने क्रश को एकटक देखते हैं तो इससे उसे यकीन होने लगता है कि आपकी दीवानगी उसके प्रति है. ऐसा ही पार्टनर के साथ भी होता है. यदि आप प्यार करते हुए अपने पार्टनर की आंखों में आंखें डालकर बातें करते हैं तो प्यार मजबूत होता है साथ ही विश्वास भी दुगाना हो जाता है.

4. लीडर बनाता है

यदि आप अपने पार्टनर की ओर बिना पलक झपकाएं देखते हैं तो समझ जाइये कि आपमें लीडर बनने वाले गुण हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि आप उसे देखते हुए उसे असहज महसूस कराते हैं. शायद आपको पता नहीं है कि दुनिया के तमाम बड़े लीडर हमेशा आंखों में आंखें डालकर बातें करते हैं. दरअसल आंखों में आंखें डालकर बातें करने से उत्साह बढ़ता है, आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है. ऐसा ही तमाम रिलेशन में भी होता है और आपका क्रश भी इससे अछूता नहीं रह सकता है.

5. हथियार भी है

आंखों-आंखों में देखकर आप सामने वाला का आत्मविश्वास हिला सकते हैं. यदि आपकी ओर कोई गंदी नजरों से देख रहा है या फिर वह आपको छेड़ने की कोशिश कर रहा है तो जरूरी है कि कुछ देर आप भी उसे घूरें. ध्यान रखें कि आपकी नजर में विरोध, आक्रामक और गुस्सा होना चाहिए. यदि आपकी आंखों में दयनीयता होगी तो वह कभी भी आपको घूरना बंद नहीं करेगा वरन उसका हौसला और बढ़ जाएगा. इसके अलावा आंखों-आंखों में घूरना एक तरह का हथियार भी है. यदि आपका क्रश आपको किसी चीज के फोर्स करता है तो आपके एकटक निहारने से वह फोर्स नहीं कर पाएगा. वह जान जाएगा कि आप जो नहीं पसंद, सो नहीं पसंद.

6. मीठी यादें

आंखों-आंखों में फ्लर्टिंग करने से कुछ मीठी यादें भी जुड़ जाती है. जी, हां! जहां एक ओर आंखों-आंखों में फ्लर्टिंग करना आत्मविश्वास बढ़ाना, विश्वास पैदा करना, सम्मान बढ़ाना आदि है तो वहीं दूसरी ओर इसके जरिये कुछ मीठी यादें भी जुड़ जाती है. दरअसल आंखों-आंखों में फ्लर्ट करने से दोनों पार्टनर एक दूसरे के साथ छुटपुट शरारतें कर सकते हैं, एक दूसरें के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं. ये तमाम बातें मीठी यादों में शुमार हो जाते हैं.

खूबसूरत लम्हे – भाग 3 : दो प्रेमियों की कहानी

संगीता तब इठलाती हुई बोली, ‘‘नींद के मामले में मैं बहुत लक्की हूं, जहां भी रहूं, सोने से पहले जिस आखिरी इंसान से मेरी मुलाकात होती है वह हो तुम, बस, आंखें बंद कर लेती हूं और सो जाती हूं,’’ इतना कह कर उस ने अपनी मस्त नजरों से मुझे निहारा.

शेखर ने भी तब भावुकता में बहते हुए कहा, ‘‘मैं सुबह उठ कर सब से पहले बंद आंखों से जिस का चेहरा देखता हूं, वह हो सिर्फ तुम.’’

बातों ही बातों में संगीता ने बताया, ‘‘आज सुबह ही मम्मीपापा आए थे, डाक्टर ने डिस्चार्ज करने को कहा. दरअसल, वे लोग किसी रिश्तेदार के यहां फंक्शन में गए हैं सुबह मुझे लेने आएंगे.’’

‘‘मतलब एक रात और तुम्हें मरीज बन कर यहां रहना पड़ेगा,’’ शेखर ने कहा.

‘‘नहीं, अब तुम आ गए हो न. अब डाक्टर से इजाजत ले लेती हूं, पेपर वगैरा सब तैयार हैं.’’

‘‘पर डाक्टर पूछेगा कि कौन लेने आया है तो क्या बोलोगी?’’ शेखर ने जिज्ञासा प्रकट की.

‘‘हां, बोलूंगी कि मेरी सगी बहन के सगे भाई के जीजाजी आए हैं?’’

‘‘मतलब?’’ शेखर ने आश्चर्यचकित हो कर पूछा.

‘‘मतलब तुम समझो, मैं चली डाक्टर से मिलने.’’

संगीता फौरन डाक्टर से इजाजत ले कर आ गई और अपना सब सामान समेटने लगी. फिर शेखर ने बैग उठाया और दोनों हौस्पिटल से बाहर निकल पड़े.

रिकशा बुलाने से पहले ही संगीता ने पूछा, ‘‘कहां चल रहे हैं?’’

‘‘तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दूंगा और मैं उसी रिकशे से वापस आ जाऊंगा,’’ शेखर ने सहज भाव से कहा.

‘‘नहीं, कहीं घूमने चलो न,’’ संगीता का आग्रह भरा स्वर था.

‘‘अभी तुम्हारी तबीयत नाजुक है. चुपचाप घर चलो,’’ शेखर ने समझाते हुए कहा.

‘‘अच्छा, चलो लस्सी पिला दो,’’ संगीता बच्चे की तरह जिद करती हुई बोली.

शेखर तब भड़क गया, ‘‘तुम्हारा दिमाग तो ठीक है न, अभी फीवर से उठी हो और ठंडा?’’

संगीता तपाक से बोली, ‘‘जब तक तुम नहीं मिलते दिमाग ठीक रहता है.’’

‘‘अगर मैं कभी न मिलूं तब तो तुम बिलकुल ठीक रहोगी?’’ शेखर ने जानबूझ कर ऐसा सवाल किया.

तब संगीता घबराते हुए बोली, ‘‘अरे, ऐसा सोचना भी मत वरना तुम आगरा में मुमताज का ताजमहल निहारते रहोगे और मैं आगरा के पागलखाने में रहूंगी. वैसे भी आजीवन साथ रहना मुश्किल है, मेरे डैडी बहुत ही सख्त हैं, कुछ लमहे तो जी लूं.’’

शेखर उस की बकबक से तंग आ कर बोला, ‘‘प्लीज, अब रिकशे में बैठो. रास्ते में थोड़ी देर जूली पार्क में बैठेंगे फिर तुम्हें घर छोड़ दूंगा.’’

थोड़ी देर बाद दोनों जूली पार्क में थे. शाम गहरा गई थी. सूरज की लालिमा अंतिम चरण में थी, अत: अंधकार गहराता जा रहा था. शेखर पेड़ से टिक कर बैठा और संगीता उस की गोद में सिर रख लेट गई.

शेखर की उंगलियां संगीता की कालीघनी जुल्फों से अठखेलियां करने लगीं. शेखर बिना बोले अपनी नई रचना सुनाता रहा और संगीता उस की गोद में सुकून से सोती रही. वह वाकई में सो जाती लेकिन शेखर ने उसे जगाते हुए चलने को कहा.

दोनों दोबारा रिकशे में बैठ गए. आज संगीता काफी खुश थी. उस का सारा रोग ही काफूर हो गया था. शेखर भी संगीता से मिलने के बाद खुद को काफी तरोताजा महसूस करने लगा था.

शेखर ने संगीता को उस के घर के सामने ड्रौप करने के लिए रिकशा रुकवाया. उसे सामने संगीता के मम्मीपापा दिखे. उन की आंखों में उसे भरपूर आक्रोश और नफरत दिखी. कुछ कहने से पहले ही संगीता के पापा आगे बढ़ने लगे, पर उस की मां ने उन्हें रोक लिया. संगीता भी माहौल को देखते हुए बिलकुल खामोश रही और रिकशे से उतर कर चुपचाप घर के अंदर चली गई.

शेखर का रिकशा आगे बढ़ गया. रास्ते में मजाक में कही संगीता की बात शेखर को बारबार कचोटती रही कि कहीं दोनों का प्यार धर्म की भेंट न चढ़ जाए?

दूसरे दिन शेखर डरतेडरते संगीता के घर के सामने गया. संगीता के पड़ोसियों से पता चला कि सभी लोग पंजाब चले गए हैं. शेखर बस ठगा सा रह गया.

शेखर उन्हीं खूबसूरत लमहों के सहारे जी रहा था, पर आज अचानक संगीता से मुलाकात, उस के पति का सामीप्य, उस की उपेक्षा. थोड़ी देर के लिए वह उदास हो गया, लेकिन गुजरे हुए खूबसूरत लमहों के संग जीने की उस की चाह कम न हुई. उस के पास अब रह गई थीं बस, संगीता की यादें और कुछ खूबसूरत लमहे.

Crime: अठारह साल बाद शातिर अपराधी की स्वीकारोक्ति

कहते हैं- हत्या का अपराध छुपता नहीं है, यह बात एक बार पुनः सत्य हो गई हत्या करने के बाद सालों साल आत्मग्लानि से पीड़ित शख्स ने अाखिर कानून के सामने यह स्वीकार कर लिया कि उसने अपने दोस्त की हत्या 18 साल पहले की थी.

यह आत्म स्वीकारोक्ति बताती है कि हत्या जैसे संगीन अपराध इंसान की जिंदगी को किस तरह तबाह और बर्बाद कर देता है.

अपने दोस्त को मौत के घाट उतार कर उसे जंगल में दफनाने की घटना का खुलासा 18 साल बाद स्वयं आरोपी ने किया है. यह घटना छत्तीसगढ़ के जिला बालोद की है आरोपी के पुलिस के समक्ष स्वीकारोक्ति के बाद  प्रशासन और नगर में में हड़कंप मच गया है.

यह घटना हम आपको तपसील से बताते हैं – बालोद के करकभाट गांव के आरोपी की निशानदेही पर दो दिन तक स्थानीय प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने जंगल में खुदाई करवाई लेकिन मृतक का शव या कोई भी अवशेष नहीं मिल पाया है.

आरोपी हत्या के बाद  परिवार के साथ रोजी-रोटी की तलाश में कहीं चला गया था जब वापस आया तो गुमसुम रहने लगा था धीरे धीरे उसकी मानसिक हालत खराब होने  लगी रातों को नींद नहीं आती थी वह बैचेन रहने लगा था.

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दरअसल, यह सनसनीखेज मामला छत्तीसगढ़ के बालोद थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम करकभाट में रहने वाले टीकम कोलियार का है. उसने अचानक अपने परिवार और गांववालों को बताया कि 2003 में उसने अपने दोस्त छवेश्वर गोयल की हत्या कर दी थी. हत्या करने के बाद में उसे गांव के पास की जंगल में दफना दिया था. इस मामले की सूचना ग्रामीणों ने अंततः पुलिस को दी.और पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर दो दिन तक खुदाई जरूर की लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा. पुलिस का मानना है कि घटना घटित हो सकती है क्योंकि मृतक युवक 2003 से लापता है उस दरमियान लापता युवक की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई गई थी. यह भी तथ्य सामने आए हैं दोनों ही अच्छे मित्र थे साथ साथ रहते थे पता पुलिसि यह मान के चल रही है घटना में सत्यता हो सकती है.मगर जब तक मृतक का कोई अवशेष बरामद नहीं होता फॉरेंसिक जांच नहीं हो जाती पुलिस मामला दर्ज करने में अपने आप को असमर्थ पा रही है.जो कानूनी रूप से सही भी है.

पुलिस के मुताबिक आरोपी का बयान है कि मृतक दोस्त अब उसे सपने में आकर सताने लगा है, इस वजह से उसने इस पूरे मामले को लोगों को बताया. वहीं इस घटना का कारण उसने बताया कि उसकी जो प्रेमिका थी और जो वर्तमान में उसकी धर्म पत्नी है उसे देखकर उसका दोस्त उससे लगातार जबरदस्ती संबंध बनाने की कोशिश करता था उसकी हरकतों से नाराज़ हो कर उसने गुस्से में आकर दोस्त छवेश्वर गोयल की हत्या कर दी थी.

शातिर अपराधी है हत्यारा

हत्या की घटना स्वीकार करने के‌ पश्चात रोते हुए उसने पुलिस को बताया कि 2003 फरवरी में छबेश्वर ने उसकी होने वाली पत्नी के साथ छेड़छाड़ की थी.  इसकी जानकारी उसे मिली उसकी छबेश्वर से अच्छी दोस्ती थी उसे समझाया मगर वह नहीं माना जिसके बाद वह गांव के खेत तरफ छबेश्वर के साथ  गया, शाम 7 बजे अचानक लोहे की रॉड से उसके सिर पर हमला कर हत्या कर दी.

गांव में किसी को इसकी जानकारी न हो, इसलिए घटना स्थल से 300 मीटर दूर देर रात गड्ढा खोदकर शव को बोरे में भरकर दफना दिया. घटना के दो साल बाद छेड़छाड़ की शिकार लड़की से टीकम ने विवाह कर लिया.

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इस घटना में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मृतक के पिता जगदीश व मां सरस्वती के मुताबिक  जब उनका बेटा घर नहीं आया तो इसकी सूचना थाने में भी दी.  उम्मीद थी कि उनका बेटा एक दिन वापस  आएगा. अब टीकम के द्वारा हत्या की बात बताई जाने पर उन्होंने  आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है.

हमारे संवाददाता को पुलिस ने बताया  छबेश्वर के घर वाले लगातार खोजबीन कर रहे थे तो  इसलिए वह गांव के एक लैंडलाइन फोन से मित्र के पिता और मां को फोन लगाकर बात करता था . वह छबेश्वर बनकर उसके माता-पिता से बात करता था. कहता था – वह जहां भी है, खुश है,अच्छा सा काम कर रहा है. मेरी फिक्र मत करना. यह इसलिए कहता था ताकि अहसास न हो कि उनका बेटा मर गया है. यह सच  टीकम ने छबेश्वर के पिता जगदीश को भी बताई सुन कर आवाक रह गए.

अक्षरा सिंह का पहला Valentine Special गाना हुआ वायरल, देखें Video

जब से कोरोना महामारी फैली है, तब से हर कोई परेशान हैं. सभी को लगता है कि वह आपदा से घिरे हुए हैं.मगर भोजपुरी अभिनेत्री व गायक अक्षरा सिंह के लिए यह आपदा सुअवसर बनकर आया. इस दौरान अक्षरा सिंह ने अपने घर में रहते हुए काफी गाने अपनी आवाज में रिकार्ड करने के साथ ही उनके वीडियो बनाकर अपने यूट्यूब चैनल पर डाले और जबरदस्त लोकप्रियता बटोरी.

अब हॉट एक्ट्रेस और सिंगर अक्षरा सिंह ने इस वेलेंटाइन डे को खास बनाने के लिए अपना वेलेंटाइन स्पेशल गाना रिलीज किया है,जो अब खूब वायरल हो रहा है.

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अक्षरा सिंह ने यह गाना अपने ऑफिसियल यूट्यूब चैनल से रिलीज किया है, जिस पर उनके फैंस के भी खूब रिएक्शन आ रहे हैं.

पवन सिंह और नीलम गिरी के इस गाने ने बनाया नया रिकार्ड, देखें Video


अक्षरा के फैंस जहां इस गाने के पसंद कर रहे हैं, वहीं उनके इंस्टाग्राम पोस्ट पर उन्हें लोग खूब प्यार भी दे रहे हैं.

वैसे अक्षरा सिंह अब तक लगभग सभी खास मौके के लिए गाने के जरिये भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री में अपनी धाक जमाती आ रही हैं. लेकिन वेलेंटाइन डे पर वह पहली बार अपना खास अंदाज का गाना लेकर आयी हैं,जो लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है.

अक्षरा कहती हैं-‘‘प्रेम शाश्वत है.मेरा यह गाना उन प्यार करने वालों के लिए है,जो सही मायने में अपने एक दूसरे से प्रेम करते हैं.उन्हें यह गाना खूब पसंद भी आने वाला है.यह बेहद रोमांटिक गाना है.उम्मीद करती हूं कि मेरे यह गाना आप सभी के वेलेंटाइन के लिए यादगार हो जाए.’’

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अक्षरा सिंह के इस खास वेलेंटाइन गाने के गीतकार अजय बच्चन,संगीतकार प्रियांशु सिंह, वीडियो निर्देशक पंकज सोनी और नृत्य निर्देषक संजय कोर्व हैं.

Valentine’s Special- अंतराल: भाग 3

कुछ दिन बाद उन के फोन करने पर पापा, मां और चारू को ले कर मुंबई आ गए थे क्योंकि सोफिया के मम्मीपापा भी भारत आ गए थे.

मुंबई पहुंचने पर निश्चित हुआ कि अगले दिन लंच सब लोग एक ही होटल में करेंगे और दोनों परिवार वहीं एकदूसरे से मिल कर विवाह की संक्षिप्त रूपरेखा तय कर लेंगे. दोनों परिवार जब मिले तो सामान्य शिष्टाचार के बाद पापा ने ही बात शुरू की थी, ‘आप को मालूम ही है कि आप की बेटी और मेरा बेटा एकदूसरे को पसंद करते हैं. हम लोगों ने उन की पसंद को अपनी सहमति दे दी है. इसलिए आप अपनी सुविधा से कोई तारीख निश्चित कर लें जिस से दोनों विवाह सूत्र में बंध सकें.

पापा के इस सुझाव के उत्तर में सोफिया के पापा ने कहा था, ‘पर इस के लिए मेरी एक शर्त है कि शादी के बाद आप के बेटे को हमारे साथ जरमनी में ही रहना होगा और इन की जो संतान होगी वह भी जरमन नागरिक ही कहलाएगी. आप अपने बेटे से पूछ लें, उसे मेरी शर्त स्वीकार होने पर ही इस शादी के लिए मेरी अनुमति हो सकेगी.’

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उन की शर्त सुन कर सभी चौंक गए थे. सोफिया को भी अपने पापा की यह शर्त अच्छी नहीं लगी थी. उधर वह सोच रहे थे कि नहीं, इस शर्त के लिए वह हरगिज सहमत नहीं हो सकते. वह क्या इतने खुदगर्ज हैं जो अपनी खुशी के लिए अपने मांबाप और बहन को छोड़ कर विदेश में रहने चले जाएं? पढ़ते समय वह सोचा करते थे कि जिस तरह मम्मीपापा ने उन के जीवन को संवारने में कभी अपनी सुखसुविधा की ओर ध्यान नहीं दिया, उसी तरह वह भी उन के जीवन के सांध्यकाल को सुखमय बनाने में कभी अपने सुखों को बीच में नहीं आने देंगे.

उन्होंने दूर खड़ी उदास सोफिया से कहा, ‘तुम्हारे पापा की शर्त के अनुसार मुझे अपने परिवार और देश को छोड़ कर जाना कतई स्वीकार नहीं है, इसलिए अब आज से हमारे रास्ते अलग हो रहे हैं, पर मेरी शुभकामनाएं हमेशा तुम्हारे साथ हैं.’

दरवाजे की घंटी बजी तो अपने अतीत में खोए पंकज अचानक वर्तमान में लौट आए. देखा, पोस्टमैन था. पत्नी की कुछ पुस्तकें डाक से आई थीं. पुस्तकें प्राप्त कर, अधूरे पत्र को जल्द पूरा किया और पोस्ट करने चल दिए.

कुछ दिनों बाद, देर रात्रि में टेलीफोन की घंटी बजी. उठाया तो दूसरी ओर से सोफिया की आवाज थी. कह रही थी कि पत्र मिलने पर बहुत खुशी हुई. अगले मंडे को बेटी के साथ वह मुंबई पहुंच रही है. उसी पुराने होटल में कमरा बुक करा लिया है, पर व्यस्तता के कारण केवल एक सप्ताह का समय ही निकाल पाई है. उम्मीद है आप का परिवार भी घूमने में हमारे साथ रहेगा.

टेलीफोन पर हुई पूरी बात, सुबह पत्नी और बेटे को बतलाई. वे दोनों भी घूमने के लिए सहमत हो गए. सोफिया के साथ घूमते हुए पत्नी को भी अच्छा लगा. अभिषेक और जूली ने भी बहुत मौजमस्ती की. अंतिम दिन मुंबई घूमने का प्रोग्राम था. पर सब लोगों ने जब कोई रुचि नहीं दिखाई तो अभिषेक व जूली ने मिल कर ही प्रोग्राम बना लिया.

रात्रि में दोनों देर से लौटे. सोते समय सोफिया ने अपनी बेटी से पूछा, ‘‘आज अभिषेक के साथ तुम दिन भर, अकेले ही घूमती रहीं. तुम्हारे बीच बहुत सी बातें हुई होंगी? क्या सोचती हो तुम उस के बारे में? कैसा लड़का है वह?’’

‘‘मम्मी, अभि सचमुच बहुत अच्छा और होशियार है. एम.बी.ए. के पिछले सत्र में उस ने टाप किया है. आगे बढ़ने की उस में बहुत लगन है.’’

‘‘इतनी प्रशंसा? कहीं तुम्हें प्यार तो नहीं हो गया?’’

‘‘हां, मम्मी, आप का अनुमान सही है.’’

‘‘और वह?’’

‘‘वह भी.’’

‘‘तो क्या अभि के पापा से तुम दोनों के विवाह के बारे में बात करूं?’’

‘‘हां, मम्मी, अभि भी ऐसा ही करने को कह रहा था.’’

‘‘पर जूली, तुम्हारे पापा को तो ऐसा लड़का पसंद है, जो उन के साथ रह कर बिजनेस में उन की मदद कर सके. क्या अभि इस के लिए तैयार होगा.’’

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‘‘क्यों नहीं, यह तो आगे बढ़ने की उस की इच्छा के अनुकूल ही है. फिर वह क्यों मना करने लगा?’’

‘‘भारत छोड़ देने पर, क्या उस के मम्मीपापा अकेले नहीं रह जाएंगे?’’

‘‘तो क्या हुआ? भारत में इतने वृद्धाश्रम किस लिए हैं?’’

‘‘क्या इस बारे में तुम ने अभि के विचारों को जानने का भी प्रयत्न किया?’’

‘‘हां, वह इस के लिए खुशी से तैयार है. कह भी रहा था कि यहां भारत में रह कर तो उस की तमन्ना कभी पूरी नहीं हो सकती. लेकिन मम्मी, अभि की इस बात पर आप इतना संदेह क्यों कर रही हैं?’’

‘‘कुछ नहीं, यों ही.’’

‘‘नहीं मम्मी, इतना सब पूछने का कुछ तो कारण होगा? बतलाइए.’’

‘‘इसलिए कि बिलकुल ठीक ऐसी ही परिस्थितियों में अभि के पापा ने भारत छोड़ने से मना कर दिया था.’’

‘‘पर तब आप ने उन्हें समझाया नहीं?’’

‘‘नहीं, शायद इसलिए कि मुझे भी उन का मना करना गलत नहीं लगा था.’’

‘‘ओह मम्मी, आप और अभि के पापा दोनों की बातें और सोच, मेरी समझ के तो बाहर की हैं. मैं तो सो रही हूं. सुबह जल्दी उठना है. अभि कह रहा था, वह सुबह मिलने आएगा. उसे आप से भी कुछ बातें करनी हैं.’’

बेटी की सोच और उस की बातों के अंदाज को देख, सोफिया को लग रहा था कि पीढ़ी के ‘अंतराल’ ने तो हवा का रुख ही बदल दिया है.

Bigg Boss 14: वैलेंटाइन डे पर Rahul Vaidya की गर्लफ्रेंड दिशा परमार की होगी एंट्री

बिग बॉस 14 (Bigg Boss 14) में मेकर्स राहुल वैद्य को वेलेंटाइन डे पर सरप्राइज देने वाले हैं. जी हां, सही समझा आपने वैलेंटाइन डे के खास मौके पर घर में राहुल वैद्य (Rahul Vaidya)  की गर्लफ्रेंड दिशा परमार की एंट्री होने वाली है. ऐसे में शो का अपकमिंग एपिसोड काफी इंटरेस्टिंग होने वाला है.

शो में  दिशा परमार (Disha Parmar) की एंट्री से घर का सारा माहौल ही बदल जाएगा. शो के बीते एपिसोड में आपने देखा था कि कनेक्शन वीक के दौरान घर में दिशा परमार को ना देखकर राहुल वैद्य काफी परेशान हो गए थे.

 

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हालांकि राहुल ने इस बात का सिंगर तोशी सबरी से भी की थी. दरअसल खबर ये आ रही थी कि मेकर्स दिशा परमार को इस शो में लाने के लिए काफी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन एक्ट्रेस बार-बार शो में आने से मना कर रही हैं.

फैंस भी घर में राहुल वैद्य और दिशा परमार को एक साथ देखना चाहते हैं. और ऐसे में खबर ये आ रही है कि  राहुल वैद्य की गर्लफ्रेंड दिशा परमार इस शो में जल्द ही एंट्री लेने वाली हैं.

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सबसे खास बात की, दिशा परमार 14 फरवरी को इस शो का हिस्सा बनेंगी. यानि वैलेंटाइन डे पर मेकर्स राहुल वैद्य को उनके प्यार से मिलवाएंगे. ये भी कहा जा रहा है कि कोविड-19 गाइडलाइन्स के अनुसार दिशा परमार और राहुल वैद्य के बीच शीशे की एक दीवार भी हो सकती है.

बीते एपिसोड में राहुल वैद्य ने दिशा परमार के 27वें जन्मदिन पर नेशनल टेलीविजन पर ही उन्हें शादी के लिए प्रपोज किया था. फैमिली वीक में राहुल वैद्य की मां घर आईं थी और उन्होंने दोनों की शादी के लिए काफी खुश होते हुए दिखाई दी थीं.

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Valentine’s Special- हरिनूर: भाग 3

शबीना सारी रात रोती रही. उस की आंखें सूज कर लाल हो गईं. सुबह जब अम्मी ने शबीना को इस हाल में देखा, तो उन्हें बहुत दुख हुआ. वे उस के बिखरे बालों को समेटने लगीं. मगर शबीना ने उन का हाथ झटक दिया.

बहरहाल, इसी तरह दिनहफ्ते, महीने बीतने लगे. शबीना और नीरज की कोई बातचीत तक नहीं हुई. न ही नीरज ने मिलने की कोशिश की और न ही शबीना ने.

इसी तरह एक साल बीत गया. अब तक अम्मी ने मान लिया था कि शबीना अब नीरज को भूल चुकी है.

उसी दौरान शबीना ने अपनी फैशन डिजाइन के काम में काफी तरक्की कर ली थी और घर में अब तक सब नौर्मल हो गया था. सब ने सोचा कि अब तूफान शांत हो चुका है.

वह दिन शबीना की जिंदगी का बहुत खास दिन था. आज उस के कपड़ों की प्रदर्शनी थी. वह तेजतेज कदमों से लिफ्ट की तरफ बढ़ रही थी, तभी लिफ्ट का दरवाजा खुला, तो सामने खड़े शख्स को देख कर उस के पैर ठिठक गए.

‘‘कैसी हो शबीना?’’ उस ने बोला, तो शबीना की आंखों से आंसू आ गए. बिना कुछ बोले भाग कर वह उस के गले लग गई.

‘‘तुम कैसे हो नीरज? उस दिन तुम्हारी इतनी बेइज्जती हुई कि मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कि तुम से कैसे बात करूं, पर सच में मैं तुम्हें कभी भी नहीं भूली…’’

नीरज ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया, ‘‘वह सब छोड़ो, यह बताओ कि तुम यहां कैसे?

‘‘आज मेरे सिले कपड़ों की प्रदर्शनी लगी है, पर तुम…’’

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‘‘मैं यहां का मैनेजर हूं.’’

शबीना ने मुसकराते हुए प्यारभरी निगाहों से नीरज को देखा. नीरज को लगा कि उस ने सारे जहां की खुशियां पा ली हैं.

‘‘अच्छा सुनो, मैं यहां का सारा काम खत्म कर के रात में 8 बजे तुम से यहीं मिलूंगी.’’

आज शबीना का मन अपने काम में नहीं लग रहा था. उसे लग रहा था कि जल्दी से नीरज के पास पहुंच .

शबीना को देखते ही नीरज बोला, ‘‘कुछ इस कदर हो गई मुहब्बत तनहाई से अपनी कि कभीकभी इन सांसों के शोर को भी थामने की कोशिश कर बैठते हैं जनाब…’’

शबीना मुसकराते हुए बोली, ‘‘शिकवा तो बहुत है मगर शिकायत कर नहीं सकते… क्योंकि हमारे होंठों को इजाजत नहीं है तुम्हारे खिलाफ बोलने की,’’ और वे दोनों खिलखिला कर हंस पड़े.

‘‘नीरज, तुम्हें पता नहीं है कि आज मैं मुद्दतों बाद इतनी खुल कर हंसी हूं.’’

‘‘शायद मैं भी…’’ नीरज ने कहा. रात को दोनों ने एकसाथ डिनर किया और दोनों चाहते थे कि इतने दिनों की जुदाई की बातें एक ही घंटे में खत्म कर दें, जो कि मुमकिन नहीं था. फिर वे दोनों दिनभर के काम के बाद उसी पुराने गार्डन या कैफे में मिलने लगे.

लोग अकसर उन्हें साथ देखते थे. शबीना के घर वालों को भी पता चल गया था, पर उन्हें लगता था कि वे शादी नहीं करेंगे. वे इस बारे में शबीना को समयसमय पर हिदायत भी देते रहते थे.

इसी तरह साल दर साल बीतने लगे. एक दिन रात के अंधेरे में उन दोनों ने अपना शहर छोड़ एक बड़े से महानगर में अपनी दुनिया बसा ली, जहां उस भीड़ में उन्हें कोई पहचानता तक नहीं था. वहीं पर दोनों एक एनजीओ में नौकरी करने लगे.

उन दोनों का घर छोड़ कर अचानक जाना किसी को अचरज भरा नहीं लगा, क्योंकि सालों से लोगों को उन्हें एकसाथ देखने की आदत सी पड़ गई थी. पर अम्मी को शबीना का इस तरह जाना बहुत खला. वे काफी बीमार रहने लगीं. जोया आपा का भी निकाह हो गया था.

इधर शबीना अपनी दुनिया में बहुत खुश थी. समय पंख लगा कर उड़ने लगा था. एक दिन पता चला कि उस की अम्मी को कैंसर हो गया और सब लोगों ने यह कह कर इलाज टाल दिया था कि इस उम्र में इतना पैसा इलाज में क्यों बरबाद करें.

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शबीना को जब इस बात का पता चला, तो उस ने नीरज से बात की.

नीरज ने कहा, ‘‘तुम अम्मी को अपने पास ही बुला लो. हम मिल कर उन का इलाज कराएंगे.’’

शबीना अम्मी को इलाज कराने अपने घर ले आई. अम्मी जब उन के घर आईं, तो उन का प्यारा सा संसार देख कर बहुत खुश हुईं.

नीरज ने बड़ी मेहनत कर पैसा जुटाया और उन का इलाज कराया और वे धीरेधीरे ठीक होने लगीं. अब तो उन की बीमारी भी धीरेधीरे खत्म हो गई. मगर अम्मी को बड़ी शर्मिंदगी महसूस होती. नीरज उन की परेशानी को समझ गया.

एक दिन शाम को अम्मी शबीना के साथ बैठी थीं, तभी नीरज भी पास आ कर बैठ गया और बोला, ‘‘अम्मी, जिंदगी में ज्यादा रिश्ते होना जरूरी नहीं है, पर रिश्तों में ज्यादा जिंदगी होना जरूरी है. अम्मी, जब बनाने वाले ने कोई फर्क नहीं रखा, तो हम कौन होते हैं फर्क रखने वाले.

‘‘अम्मी, मेरी तो मां भी नहीं हैं, मगर आप से मिल कर वह कमी भी पूरी हो गई.’’

अम्मी ने प्यार से नीरज को गले लगा लिया, तभी नीरज बोला, ‘‘आज एक और खुशखबरी है, आप जल्दी ही नानी बनने वाली हैं.’’

अब अम्मी बहुत खुश थीं. वे अकसर शबीना के घर आती रहतीं. समय के साथ ही शबीना ने प्यारे से बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम शबीना ने हरिनूर रखा.

शबीना ने यह नाम दे कर उसे हिंदूमुसलमान के झंझावातों से बरी कर दिया था.

Valentine’s Day के मौके पर फैज अनवर ला रहे हैं ये रोमांटिक गाना

मशहूर रोमांटिक गीतकार व शायर फैज अनवर ला रहे हैं रोमांटिक सिंगल ‘‘मुस्कुराना तेरा’’ ‘दिल है कि मानता नहीं’,‘साजन’,‘नम’‘इम्तिहान’, ‘तेरे मस्त मस्त दो नयन’, ‘आओगे जब तुम साजना’,  ‘कोई फरियाद तेरे दिल में’, ‘चिकनी कमर’, ‘जिंदगी तेरे नाम’, ‘ये जो मोहब्बत है’, वीरे दी वेडिंग’ सहित सैकड़ों फिल्मों में रोमांटिक गीत लिख चुके सुप्रसिद्ध शायर व गीतकार फैज अनवर अब वैलेंटाइन डे के खास मौके के लिए अपनी खुद की संगीत कंपनी ‘‘फेम म्यूजिक’’के तहत एक रोमांटिक गीत ‘‘मुस्कुराना तेरा’’ लेकर आ रहे हैं.

इस अलबम को वह अपने नए डिजिटल म्यूजिक चैनल ‘फेम स्टूडियो‘ के जरिए लोगों तक पहुंचाने वाले हैं.इसके गीतकार खुद फाएज अनवर व संगीतकार फरजान फैज हैं. इस रोमांटिक गीत रेहान खान व तनु श्रीवास्तव ने अपनी आवाज स्वरबद्ध किया है.जबकि इसके वीडियो में रोजल खान और रवि भाटिया रोमांटिक अंदाज में नजर आएंगे शायर व गीतकार फाएज अनवर म्यूजिक अलबम ‘मुस्कुराना तेरा‘ की चर्चा चलने पर कहते है,‘ फेम स्टूडियो यह एक नई पहल है.

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वैलेंटाइन डे के अवसर को देखते हुए युवा पीढ़ी के लिए युवा प्रतिभाओं द्वारा एक रोमांटिक अलबम है,जिसे सभी वर्ग के लोग पसंद करेंगे. फैज अनवर आगे कहते हैं, अब वक्त बदल चुका है. एक वक्त वह था, जब सात व आठ गानों का पूरा अलबम आता था. तब एक गायक एक ही अलबम में अलग अलग अंदाज के गीत गाते हुए अपनी आवाज का जादू श्रोताओं तक पहुंचाता था और उस वक्त हर गायक की अपनी एक बड़ी पहचान हुआ करती थी.

बतौर गीतकार व शायर हमें भी एक ही अलबम में अलग अलग भावनाओं को व्यक्त करने वाले गीत लिखने में बड़ा आनंद आता था.एक ही अलबम के लिए हम खुशी, गम, दर्द भरे नगमें, उदासी, पछतावा, रोमांस आदि भावनाओं को उकेरने वाले गीत व शायरी लिखकर सकून पाते थे.उन दिनों फिल्म के अंदर समाहित गीतों की सफलता से ही फिल्म की सफलता सुनिश्चित मानी जाती थी. इसलिए गीतकार, गायक व संगीतकर सभी हर गाने पर काफी मेहनत करते थे.

उस वक्त तो गायक को रियाज करना पड़ता था. हर गाना लाइव रिकार्ड हुआ करता था.पर अब तो सब कुछ ‘की बोर्ड’ पर निर्भर हो गया है. इस नकलीपन के ही कारण गीत व संगीत का वह जादू भी गायब सा हो गया है.

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मगर मैं आज भी अपनी लय में ही काम करना पसंद करता हूं. जिस फिल्म की कहानी व पटकथा पसंद नहीं आती है, उसके लिए गीत लिखने से मना कर देता हूं.’

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