बेटे अरहान के शो में अरबाज ने रिलेशनशिप में दी सेक्स को चुनने की सलाह, मलाइका ने दिया ये रिएक्शन

बौलीवुड में कभी मलाइका अरोड़ा और अरबाज अपने रिलेशनशिप को लेकर खूब सुर्खियां बटोरते थे, लेकिन अब 19 साल बाद दोनों का तलाक हो चुका है. जिससे उनके फैंस को काफी दुख पहुंचा है, वही, अरबाज खान ने नई शादी रचा ली हैं. लेकिन अरबाज और मलाइका के बेटे अरहान खान. जो इन दिनों ‘दम बिरायानी’ को पोडकास्ट मे लगे हुए है. इस शो को काफी पसंद किया जा रहा हैं. पॉडकास्ट में अरहान अपने दोस्त आरुष वर्मा और देव रैयानी के साथ शुरु किया हैं. वही, अब इस शो में अरबाज खान और सोहेल साथ आने वाले है जिसमें अरबाज खान रिलेशनशिप पर कहते है कि सेक्स को चुनने चाहिए. इस पर मलाइका भी अपना रिएक्श देती हुई नजर आई है.

 

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बता दें कि अरहान का ये शो 6 एपिसोड का होगा जो अलग-अलग सबजेक्ट को लेकर वे सितारों से सवाल करेंगे. यह शो आपको स्पेशल डेटिंग टिप्स, रिलेशनशिप के बारे में बताने के साथ ही साथ आपको खूब हंसाएगा भी. इस शो का एक बेहद शानदार टीजर जारी हुआ है. जिसमें अरबाज-सोहेल की नोंक-झोंक के साथ उनकी फनी खुलासों ने दर्शकों का दिन बना दिया.

जारी हुए टीजर में अरहान एक नॉटी सवाल करते हुए हैं. वे कहते हैं कि आपके कमरे को बरमूडा ट्रायंगल क्यों कहेंगे? इस पर सोहेल हंसते एक घटना के बारे में बताया जो काफी फनी था. उन्होंने कहा- एक मैं अपनी एक्स गर्लफ्रेंड की आलमारी में छिप गया.. वहीं मेरी एक्स की मां छिप गई थी. इस पर उनके भाई अरबाज बीच में टोकटे हुए कहते हैं -‘किसी भी वजह से यह बात उसी दिशा में जा रही है.

 

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आगे सोहेल से जब अरहान के दोस्त ने रिलेशनशिप और डिसिजन लेने के बारे में सलाह मांगी तो इस पर अरबाज खान ने सलाह देते हुए कहा -‘ मुझे लगता है कि आपको सेक्स चुनना चाहिए’. अरबाज की बातें सुनकर अरहान और उनके दोस्त हंसने लगते हैं और उन्हें थैंक्यू कहते हैं. वहीं अरहान के चाचा यानी सोहेल खान भी हंस पड़ते हैं.

आगे अरबाज खुलासा करते हुए अरहान से कहते हैं कि तुम्हारे दोस्तों ने मुझसे कहा था कि मैं आपकी इस शादी में नहीं आ पाऊंगा, तो मैंने कहा ठीक है फिर अगली बार आना. ऐसे तो दोस्त हैं तुम्हारे और मुझे लगता है कि तुम्हें बहुत हार्डवर्क करना होगा इसके लिए.

मेरा पति दूसरी औरत से प्यार करता है, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 46 साल की एक शादीशुदा औरत हूं और 2 बच्चों की मां भी. मेरा पति दूसरी औरत के चक्कर में पड़ गया है और अपनी सारी कमाई उस पर लुटा रहा है. कुछ पूछती हूं तो बच्चों की कसम खा कर मना कर देता है.

कभीकभी तो मेरा मन करता है कि खुदकुशी कर लूंपर डर जाती हूं. क्या कोई ऐसा तरीका हैजिस से सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे?

जवाब

यह आप का वहम या शक भी हो सकता है. पहले अपनेआप में यह तय करें कि किस बात का दुख आप को है. पति के चक्कर से या कमाई लुटाने से. इस के बाद खुद की तरफ गौर करें कि आप में ऐसी क्या कमी आ गई कि पति को इधरउधर मुंह मारना पड़ रहा है. जिंदगी में रंगीनियां पैदा करेंसैक्सी लुक अपनाएंपति के खानेपीनेपहनने वगैरह का ध्यान रखें और खासतौर से सैक्स के समय कुछ ऐसे जलवे और नजारे दिखाएं कि वह आप के अलावा कहीं और देखे ही नहीं.

Winter Romance Special: जोशीला इश्क हर उम्र में

होली की शुरुआत कहां से हुई थी, इस सवाल के जवाब में ज्यादातर लोग यही कहेंगे कि मथुरावृंदावन या फिर बरसाना से हुई होगी, लेकिन कम ही लोग उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का नाम लेंगे.

धार्मिक किस्सेकहानियों के मुताबिक, होली मनाने की शुरुआत हरदोई से हुई थी, जिस का राजा हिरण्यकश्यप था, जो भगवान विष्णु से बैर रखता था. इसी बिना पर कहा और माना जाता है कि हरदोई का पुराना नाम हरिद्रोही था.

हिरण्यकश्यप का बेटा भक्त प्रहलाद था, जिस की होली की कहानी हर कोई जानता है. यहां का प्रहलाद कुंड होली की कहानी के लिए ही मशहूर है.

मौजूदा समय में हरदोई की गिनती यहां 400 से भी ज्यादा चावल मिलें होने के बाद भी न केवल उत्तर प्रदेश में, बल्कि देशभर के पिछड़े जिलों में शुमार होती है. यहां आबादी का एक बड़ा हिस्सा दलितपिछड़े तबकों का है, जिन में से एक जाति राठौर भी है, जो अपनेआप को राजपूत मानती है. यह और बात है कि राठौरों के पास बहुत ज्यादा जमीनजायदाद नहीं है, वे कामचलाऊ पैसे वाले हैं.

दिल का मामला

प्रहलाद की कहानी की तरह तो नहीं रहेगी, लेकिन हरदोई के लोग इस प्रेमकहानी को मुद्दत तक नहीं भुला पाएंगे, जो दिलचस्प होने के साथसाथ थोड़ी चिंतनीय भी है. यह बढ़ती उम्र के जोशीले इश्क की ताजातरीन दास्तान है.

हरदोई के लखीमपुर खीरी का एक छोटा सा गांव है सुहौना, जहां 50 साला रामनिवास राठौर रहता था. पेशे से ड्राइवर रामनिवास की जिंदगी का एक बड़ा मकसद जवान होती एकलौती बेटी चांदनी के हाथ पीले कर देना था, जिसे उस ने मां बन कर भी पाला था. अब से तकरीबन 15 साल पहले रामनिवास की बीवी की मौत हो गई थी, तब से उस की जिंदगी में एक खालीपन आ गया था.

मासूम चांदनी का मुंह देखदेख कर जी रहे इस शख्स ने दूसरी शादी नहीं की थी, क्योंकि सौतेली मां के जुल्मोसितम के कई किस्से उस ने सुन रखे थे.

रामनिवास ने लंबा वक्त बिना औरत के गुजार दिया, तो सिर्फ बेटी की खातिर जो अपनेआप में बड़ी बात है, नहीं तो आलम तो यह है कि इधर पहली बीवी की चिता की आग ठंडी नहीं होती और उधर मर्द ?ाट से बैंड, बाजा और बरात के साथ दूसरी बीवी ले आता है.

इस काम में समाज और नातेरिश्तेदार न केवल उस की मदद करते हैं, बल्कि औरत के होने के फायदे और जरूरत भी गिनाते हुए एक तरह से उकसाते रहते हैं. लेकिन रामनिवास ने किसी की सलाह पर कान नहीं दिए और अकेला ही चांदनी की परवरिश करता रहा.

बेटी के बालिग होते ही घरवर की तलाश शुरू हो गई, जो इसी साल मई महीने में खत्म भी हो गई. मुबारकपुर गांव के आशाराम राठौर का बेटा शिवम रामनिवास को चांदनी के लिए ठीक लगा. बातचीत शुरू हुई और रिश्ता तय भी हो गया.

आशाराम राठौर राजमिस्त्री था, जिस की आमदनी भी ठीकठाक थी और लड़के पर कोई खास घरेलू जिम्मेदारी भी नहीं थी, सो रामनिवास को लगा कि चांदनी इस घर में रानी की तरह रहेगी. बात पक्की हुई और 29 मई, 2023 को दोनों की शादी भी हो गई.

रिश्ते और लेनदेन समेत शादी से ताल्लुक रखती कई बातों को निभाने के लिए रामनिवास को बारबार मुबारकपुर जाना पड़ता था, जहां समधी आशाराम कम और समधिन आशारानी ज्यादा मिलती थी, क्योंकि आशाराम को अपने काम के सिलसिले में अकसर बाहर रहना पड़ता था.

शादी के बाद भी रामनिवास राठौर का आनाजाना बेटी की ससुराल लगा रहा, तो लोगों ने यही सोचा कि बेटी के बिना अकेले बाप का दिल नहीं लगता होगा. आखिर मां का प्यार भी तो उसी ने दिया है, इसलिए चला आता होगा बेटी को देखने, लेकिन हकीकत कुछ और ही थी.

रामनिवास का दिल अपनी 45 साला समधिन आशारानी पर ही आ गया था जो देखने में काफी शोख और स्मार्ट थी और बनठन कर रहती थी. सालों से औरत और उस के प्यार समेत जिस्म को भी तरस रहे रामनिवास का दिल अपने

काबू में नहीं रहा और दीनदुनिया, नातेरिश्तेदारी और ऊंचनीच सब भूलभाल कर एक दिन वह आशारानी से अपने प्यार का इजहार कर बैठा.

आग तो इधर भी लगी थी

प्यार का इजहार तो खानापूरी भर थी, क्योंकि आशारानी की हालत भी रामनिवास की हालत से कम जुदा नहीं थी. वह खुद भी अपने समधी को दिल दे बैठी थी. दोनों घंटों बैठ कर न जाने क्याक्या बतियाते रहते थे. अपने दिल का हाल कमउम्र प्रेमियों की तरह सुनाते और सुनते रहते थे. इस से उन के इश्क में और जोश भरता जा रहा था.

इसी जोश में कब वे मन के साथसाथ तन से भी एक हो गए, इस का उन्हें भी पता नहीं चला. लेकिन यह एहसास दोनों को हो गया था कि अब वे एकदूजे के बगैर नहीं रह सकते.

रामनिवास राठौर का तो समझ आता है कि उस का हाल बेहाल इसलिए था कि पत्नी की मौत के बाद कोई औरत उस की न केवल जिंदगी में, बल्कि दिल तक भी शिद्दत से आई थी, लेकिन आशारानी के बारे में इतना ही सोचा और कहा जा सकता है कि पति की अनदेखी ने उसे तनहा सा कर दिया था.

रामनिवास के जिंदगी में आते ही उस के अंदर की जवान लड़की फिर जिंदा हो गई थी और प्यार में भी पड़ गई थी. जब वे दोनों हर लिहाज से एक हो गए, तो आगे की प्लानिंग भी बनाने लगे, जिस में रोड़े ही रोड़े थे.

नातेरिश्ते, समाज, बेटा, बहू, पति, बेटी, दामाद इन सब की अनदेखी कर प्यार की मंजिल शादी तक पहुंच जाना दोनों के लिए आसान नहीं था. हां, इतना जरूर उन्हें सम?ा आ गया था कि प्यार के आगे सबकुछ बेकार है और यों चोरीछिपे से मिलना ज्यादा नहीं चलना, क्योंकि उन की बढ़ती नजदीकियां, मेलमुलाकातें और खिलते चेहरे लोगों को चुभने लगे थे, उंगलियां भी उठने लगी थीं.

ये उठती उंगलियां तो वे मरोड़ नहीं सकते थे. लिहाजा, दोनों ने इन की पहुंच से बहुत दूर जाने का फैसला यह सोचते हुए ले लिया कि अब हम अपनी नई जिंदगी शुरू करेंगे. जिसे जो सोचना हो  सोचे और जिसे जो करना हो करे.

यही फैसला वे कमउम्र जोशीले प्रेमी भी करते हैं, जिन का प्यार घर, परिवार, समाज और दुनिया को रास नहीं आता, पर इस मामले में बात इस माने में अलग थी कि सवाल दोनों की औलादों का भी था, जिस का जवाब इन्होंने यही निकाला कि कहां दुनियाभर की औलादें इश्क में पड़ने के बाद मांबाप की इज्जत का खयाल करती हैं या दुनियाजमाने का लिहाज करती हैं, तो हम क्यों करें.

23 सितंबर, 2023 इस तारीख को दोनों चोरीछिपे, लेकिन पूरा प्लान बना कर बस से दिल्ली भाग गए और वहां रहने लगे. रामनिवास अपनी जमापूंजी साथ लाया था, तो आशारानी भी जेवर साथ ले गई थी. ठीक वैसे ही जैसे हिंदी फिल्मों में दिखाया जाता है कि लड़की आशिक के साथ घर से भागने से पहले जेवर और कपड़ेलत्ते भी समेट ले जाती है.

दोनों साथ भागे हैं, यह अंदाजा किसी को नहीं था, लेकिन इन के बीच प्यार का चक्कर चल रहा है यह बात कइयों को मालूम थी. जबतब दोनों गांवों में चटकारे ले कर इस लवस्टोरी की चर्चा भी होती रहती थी.

आशाराम ने अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई, लेकिन बाद में उसे मालूम हुआ कि 23 सितंबर से ही समधी रामनिवास भी गायब हैं, तो इस जोशीले इश्क का राज खुला, जिसे दबाए रखने के अलावा किसी के पास कोई और रास्ता नहीं था.

हालांकि रामनिवास के भी 23 सितंबर से गायब होने की खबर आशाराम ने पुलिस को दे दी थी और पुलिस दोनों को ढूंढ़ने में जुट गई थी.

22 अक्तूबर, 2023 इस दिन पुलिस को खबर मिली कि शाहजहांपुरसीतापुर रेलवे ट्रैक पर 2 लाशें पड़ी हैं. जांच में दोनों के नाम और पहचान मोबाइल फोन और आधारकार्ड के जरीए उजागर हुए, तो इस इश्क की दास्तान भी खुल कर सामने आ गई. यह मान लिया गया कि ये दोनों बदनामी से डर गए थे, इसलिए इन्होंने रेल से कट कर खुदकुशी कर ली. बात एक हद तक सच भी थी, लेकिन पूरा सच शायद ही कभी लोगों को समझ आए.

रामनिवास और आशारानी

17 अक्तूबर, 2023 को दिल्ली से वापस आ गए थे. इस के बाद 4 दिन क्याक्या हुआ, इस का अंदाजा यही लगाया गया कि परिवार और समाज ने इन के इश्क पर रजामंदी की मुहर नहीं लगाई, जिस से इन का जोश हवा हो गया और कोई रास्ता न देख दोनों ने साथ मरने की खाई कसम निभा ली.

दोनों चाहते तो साथ जीने का वादा भी निभा सकते थे, लेकिन इस के लिए हिम्मत उन के पास नहीं बची थी, क्योंकि ये समाज के नियम बदल कर जीना चाहते थे. हालांकि दिल्ली में दोनों ने शानदार एक महीना साथ गुजारा और खूब और जानदार प्यार एकदूसरे को किया, पर जब पैसे खत्म होने लगे और सब्र टूटने लगा, तो वापसी ही इन्हें बेहतर रास्ता लगा.

समाज एक बार फिर जीत गया और प्यार हार गया, यह कहते हुए इस कहानी का खात्मा करना अधूरी बात होगी, जिस में प्यार नाम के जज्बे का बारीकी से जिक्र नहीं होगा.

जज्बा भी और जोश भी

आमतौर पर माना यह जाता है कि जोशीला इश्क कमउम्र के कुंआरे लड़कालड़की ही करते हैं, लेकिन रामनिवास और आशारानी जैसे प्रेमी इस सोच को तोड़ देते हैं, जिन से समाज और धर्म के बनाए नियमों और कायदेकानूनों पर अमल करने की उम्मीद जिम्मेदारी की हद तक की जाती है.

‘न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन…’ गाने की तर्ज पर इन का बेपरवाह इश्क भी अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता है, लेकिन बीच में दुनिया और उस के उसूल आ जाते हैं तो ये भी नौजवान प्रेमियों की तरह एकसाथ फांसी के

फंदे पर ल जाते हैं, ट्रेन की पटरियों के नीचे बिछ जाते हैं या फिर जहर खा कर एकदूसरे की बांहों में दम तोड़ देते हैं. यह इश्क भी जोश से लबरेज होता है, जिस के लिए तन से तन का मिलन  ही सबकुछ नहीं होता. ये भी एकदूसरे के मन में हमेशा के लिए समा जाना चाहते हैं. प्यार की नई इबारत लिखते ये प्रेमी खुद फना हो जाते हैं और एक मिसाल छोड़ जाते हैं कि कब प्यार के बारे में लोग दरियादिली दिखाते हुए उसे मंजूरी देंगे और जब जवाब हमेशा की तरह न में मिलता है, तो हताश और निराश नाकाम प्रेमी दुनिया ही छोड़ने का रिवाज निभा जाते हैं. शायद ही नहीं, बल्कि तय है कि इन के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता.

हरदोई के नाम के मुताबिक रामनिवास और आशारानी ने द्रोह तो किया था, लेकिन हरि से नहीं, बल्कि हर उस दस्तूर के खिलाफ किया था, जो इन के रास्ते में ब्रेकर बन कर खड़ा था. इन के जज्बे और जोश को कोई सलाम करे न करे, लेकिन नजरअंदाज करने की हालत में भी नहीं कहा जा सकता.

Winter Romance Special: जातिधर्म नहीं प्यार की खुमारी देखें

ये मुहब्ब्त में हादसे अकसर दिलों को तोड़ देते हैं,तुम मंजिल की बात करते हो लोग राहों में ही साथ छोड़ देते हैं इश्क की खुमारी में लोग इन बातों को गलत भी ठहरा रहे हैं. यह बात और है कि ‘ये इश्क नहीं आसां बस इतना समझ लीजे, इक आग का दरिया है और डूब कर जाना है’.

प्यार को लेकर कई तरह की बातें कही जाती हैं. कुछ लोग मानते हैं कि प्यार अंधा होता है. जहां दिल लग जाता है वहीं प्यार हो जाता है. बहुत से दूसरे लोग यह मानते हैं कि प्यार अंधा नहीं होता, बल्कि सूरत और शक्ल देख कर होता है.

असल में प्यार की खुमारी में जाति और धर्म देखने की जरूरत नहीं होती है. जो दिल को अच्छा लगे, जहां दिल मिले वहां प्यार करना चाहिए. प्यार जबरदस्ती का सौदा नहीं होता है. यह बात सच है कि प्यार जब शादी में बदलने वाला होता है, तब बहुत सारी दीवारें आज भी खड़ी हो जाती हैं.

समय के साथसाथ समाज और घरपरिवार ने कुछ समझते किए हैं, पर आज भी कई बातें ऐसी हैं, जिन को ले कर घरपरिवार और समाज तमाम तरह की रूढि़यों और कुरीतियों में फंसे हैं.

शेखर ने दिव्या के साथ 12 साल प्यार में गुजार दिए थे. जब वे 10वीं क्लास में थे, तभी से एकदूसरे को बखूबी जानतेपहचानते थे. शुरू से ही दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे. एक ही गांव में रहते थे.

उन दोनों के घरपरिवार वाले भी एकदूसरे को अच्छी तरह जानते थे. इन सब से बड़ी बात यह थी कि दोनों एक ही जाति के थे. ऐसे में उन की शादी में कोई अड़चन नहीं थी. इस के बावजूद भी वे 12 साल बाद शादी कर सके.

दरअसल, स्कूल की पढ़ाई के बाद वे दोनों नौकरी करने लगे. गांव से दूर एक बड़े शहर में रहने लगे. उन के परिवार के लोग भी गांव छोड़ कर शहर में बस गए थे. इस के बाद भी शेखर और दिव्या एकदूसरे से दूर नहीं हुए.

उन दोनों के लिए अपने घर वालों को राजी करने में समय लगा. घर वाले इसलिए राजी नहीं हो रहे थे कि जाति में भी गोत्र का बंधन होता है. एक ही गोत्र में लड़कालड़की की शादी नहीं हो सकती. लिहाजा, गांव के रिश्ते में दोनों भाईबहन लगते थे.

किसी तरह जब घर वाले राजी हुए, तो उन की शर्त थी कि किसी को यह नहीं बताना कि यह शादी उन दोनों की मरजी से हुई है. शेखर और दिव्या ने इस बात के लिए हामी भर ली कि वे किसी को कुछ नहीं बताएंगे.

शादी से पहले सगाई हुई. सबकुछ ठीक था. शेखर और दिव्या ने अपने 12 साल के सबंधों को यादगार बनाने के लिए केक काटने का इंतजाम किया, जिस पर लिखा था ‘12 साल एकदूजे के साथ’.

रिश्तेदारी में कुछ लोगों की निगाह केक पर पड़ गई. वह इस का मतलब निकालने लगे. आखिर में सब को इस बात का पता चल गया कि यह शादी शेखर और दिव्या की मरजी से हो रही है. इस बात की काफी बुराई हुई. घरपरिवार के लोग अलग से नाराज हुए कि केक पर यह सब क्यों लिखा था.

पर अब कुछ हो नहीं सकता था. शेखर और दिव्या की शादी हो गई. अब वे दोनों हंसीखुशी एकदूसरे के साथ रहते हैं. इस से सबक मिलता है कि आप जिस से प्यार करें, उसे जिंदगीभर निभाएं. यही इश्क की असली खुमारी है. कई ऐसे उदहारण हैं, जो इश्क में जातिधर्म जैसी बंदिशों को स्वीकार नहीं करते हैं.

गांवों में नहीं सुधरे हालात

प्यारमुहब्बत को ले कर शहरों में तो हालात बदल गए हैं, पर गांवदेहात में अभी भी प्यार बंदिशों में रहता है. वहां नौजवानों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है. कई नौजवान इस की कोशिश भी करते हैं. ऐसे में वे औनर किलिंग जैसी वारदातों के शिकार हो जाते हैं.

दरअसल, आजकल गांवदेहात में रहने वाली मुसलिम, एससीएसटी और ओबीसी जातियों की लड़कियां भी पढ़ने के लिए स्कूल जाने लगी हैं. वहां उन्हें अलगअलग लड़कों का साथ मिलता है. ये लड़कियां सुंदर और आकर्षक होती हैं. ऐसे में इन के साथ इश्क करने वाले कम नहीं होते हैं.

कई बार बहुत सी लड़कियां इश्क में पड़ भी जाती हैं, पर जब बात शादी की आती है, तो तमाम तरह की परेशानियां खड़ी हो जाती हैं. पर जो लड़केलड़कियां अपने पैरों पर खड़े होते हैं, वे अपने हक में फैसले कर लेते हैं.

निशा ओबीसी समाज से थी. गैरधर्म के अकील के साथ उस का इश्क हुआ. दोनों 12वीं क्लास के बाद आगे की पढ़ाई के लिए शहर चले गए. वहां उन को अच्छी नौकरी मिल गई. 2 साल के बाद उन दोनों ने शादी करने का फैसला लिया.

उन दोनों के घर वालों को जब इस बात का पता चला, तो वहां विरोध शुरू हो गया. निशा और अकील ने अपनेअपने घर वालों को समझने की लाख कोशिश की, पर कोई भी तैयार नहीं हुआ. लिहाजा, उन्होंने स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत कोर्ट में शादी कर ली.

जो प्यार करने वाले जाति और धर्म को छोड़ कर इश्क की खुमारी देखते हैं, वे कामयाब होते हैं. कानून ने इस तरह के लोगों को सुरक्षा दे रखी है. जरूरत इस बात की है कि प्यार करने वाले अपने इश्क की खुमारी को पहचानें और एकदूसरे पर भरोसा रखें.

हां, यह बात जरूर है कि जब लड़कालड़की दोनों अपने पैरों पर खड़े होते हैं, तो किसी भी तरह की लड़ाई लड़ने में कामयाब हो जाते हैं. पर जब वे घरपरिवार के भरोसे रहते हैं, तो उन की शादी मुश्किल हो जाती है. लिहाजा, जाति और धर्म का कट्टरपन खत्म करने के लिए इश्क की खुमारी जरूरी है.

Winter Romance Special: कंडोम है तो प्यार है

तकरीबन हर किसी के साथ कभी न कभी यह जरूर हुआ होगा कि अगर कोई गाना हम सुबह गुनगुनाने लगते हैं, तो फिर सारा दिन बेवजह उसे कहीं भी, कभी भी गाने लग जाते हैं. फिर वह गाना दर्द भरा हो या रोमांटिक. हंसीमजाक से लबरेज हो या फूहड़ ही सही.

एक दिन यही 23 साल की नई ब्याहता बिंदिया के साथ हुआ. दिसंबर महीने में दिल्ली के संजय कुमार के साथ उस की शादी हुई थी. हनीमून पीरियड की खुमारी चल रही थी. सुबहसुबह रेडियो पर हिंदी फिल्म ‘राजा बाबू’ का गाना ‘सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे, जाड़े में बलमा प्यारा लगे…’ सुन लिया.

बस, फिर क्या था. बिंदिया पूरे घर में यही गाना गुनगुनाती फिरती रही. बीच में सासससुर का ध्यान आ जाता, तो शरमा कर आवाज थोड़ी मंदी कर लेती, पर रात तक उस की जबान पर यही गाना चढ़ा रहा.

रात को बिंदिया के बलमा संजय कुमार घर आए, तो बिंदिया के गाने को ‘न्योता’ सम?ा कर ठिठुरती रात में उलटे पैर कैमिस्ट की दुकान पर जा पहुंचे और खुशबूदार कंडोम का एक बड़ा पैकेट खरीद लिया. फिर रातभर बलमा ने अपनी बिंदिया को साबित कर दिया कि जाड़े में बलमा क्यों प्यारा लगता है. खुशबूदार कंडोम ने उन दोनों की वह रात महका दी थी.

बिंदिया और संजय तो शादीशुदा हैं, पर अब तो शादी से पहले भी प्रेमीप्रेमिका में सैक्स होना कोई बड़ी बात नहीं है. लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े तो धड़ल्ले से जिस्मानी रिश्ता बनाते हैं, पर अनचाहे पेट से बचने के लिए वे कंडोम का इस्तेमाल बिंदास हो कर करते हैं. चूंकि सर्दियों में बिस्तर की रजाई में प्यार की गरमाहट ज्यादा महसूस होती है, तो कंडोम की खपत भी बढ़ जाती है.

दुनियाभर में प्यार करने वाले कंडोम का इस्तेमाल करने से झिझकते नहीं हैं. जरमन औनलाइन प्लेटफार्म स्टेटिस्टा के एक सर्वे के मुताबिक, साल 2021 में कंडोम के इस्तेमाल में ब्राजील सब से आगे था, जिस के लिए कहा जाता था कि वहां 65 फीसदी लोग कंडोम का इस्तेमाल कर रहे थे. इस के बाद दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों का नाम शामिल था.

वैसे, चीन में सब से ज्यादा कंडोम बिकते हैं. यूरोमौनिटर के मुताबिक, साल 2020 में चीन में तकरीबन 2.3 बिलियन यूनिट कंडोम बेचे गए थे. अमेरिका की एक मार्केटिंग रिसर्च कंपनी एसी नीलसन के मुताबिक, भारत में कंडोम का बाजार साल 2020 में तकरीबन 180 मिलियन डौलर का था. ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत में कंडोम की बिक्री में भी इजाफा हुआ है.

भारत में कंडोम की बिक्री बढ़ने की एक वजह और भी है कि अब कैमिस्ट पर खुशबूदार, डौटेड, पतलेमोटे यानी तरहतरह के कंडोम बिकते दिख जाते हैं. इन में से खुशबूदार और डौटेड कंडोम का बाजार ज्यादा गरम रहता है और सर्दियों में प्यार करने वाले जोड़े ‘रबड़ के इस साथी’ पर पूरा भरोसा जताते हैं.

वैसे तो भारत में सरकारी अस्पतालों या डिस्पैंसरी वगैरह में साधारण कंडोम मुफ्त में भी मिल जाता है, पर ब्रांडेड कंडोम के छोटे पैकेट 10 रुपए से लेकर 50-60 रुपए तक में मिल जाते हैं. ब्रांड के हिसाब से कीमत कमज्यादा हो सकती है. पर कंडोम की कीमत पर मत जाइए, यह जो प्यार का लुत्फ बढ़ा देता है, उस बात को दिमाग में बिठा लीजिए. यह कई तरह की सैक्स बीमारियों जैसे एचआईवी, एड्स, सिफलिस, इंफैक्शन वगैरह से तो बचाता ही है, बच्चा न हो इस में भी प्यार के दौरान दीवार बन कर अड़ जाता है, बस थोड़ी सी सावधानी बरतनी पड़ती है.

इतना ही नहीं, कंडोम का फायदा या खासीयत है कि यह कई प्रकार के फ्लेवर और अलगअलग बनावट का होता है जैसे रिब्ड कंडोम. इस की बाहरी सतह पर उभरी हुई धारियां होती हैं, जो जोश को बढ़ाता है. ऐसे ही कई तरह के अलग तरह के कंडोम हैं, जिन की अपनीअपनी क्वालिटी है.

कंडोम की यह पतली रबड़ पार्टनर के बीच दिलचस्पी बढ़ाने का काम करती है. जैसे कंडोम पार्टनर को एकदूसरे के प्रति संतुष्ट करता है और उन खास यादगार को बनाने में मदद करता है.

कंडोम के बारे में हम आप के कान में एक बात बताना चाहते हैं कि इस को कैमिस्ट से खरीदने के लिए डाक्टर के परचे की जरूरत नहीं पड़ती है. दुकान पर जाइए, शान से कंडोम मांगिए, जेब में रखिए और सीधा अपने पार्टनर के पहलू में जा बैठिए.

और हां, आप के पार्टनर को कैसा कंडोम पसंद है, यह जरूर जान लीजिए. फिर बिस्तर पर प्यार का मजा उठाइए. अच्छा बलमा बनना है कि नहीं?

Winter Romance special: इश्क दोगुना करे एक चाय दो जोड़े होंठ

गांवदेहात में सर्दियों के बारे में एक कहावत बहुत ही मशहूर है कि ‘जाड़ा जाए रूई या दुई’. इस का मतलब है कि सर्दियों को भगाने में 2 चीजें ही काम आती हैं, एक रूई यानी रजाई और दूसरी दुई यानी 2 लोग. जब यही 2 लोग रजाई में बैठ कर गरमागरम चाय की चुसकी लेंगे, तो सर्दियां छूमंतर हो जाएंगी. कई बार प्यार करने वाले 2 लोग एक ही कप में जब चाय पीते हैं, तो चाय के स्वाद के साथसाथ एकदूसरे के होंठों की तपिश का भी अहसास होता है.

आज गांवदेहात में भी जिंदगी जीने का ढर्रा बदल रहा है. अब वह जमाना नहीं है, जैसे पहले पति अपनी पत्नी के कमरे में सोने के लिए रात को चोरीछिपे जाता था कि घर के बड़ेबूढ़े देख न लें. गांवदेहात में भी एकल परिवार हो रहे हैं. पतिपत्नी आजादी के साथ अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं. ऐसे में रोमांस करने का समय और जगह दोनों ही उन के पास होते हैं.

गांवदेहात में पहले पतिपत्नी की जिंदगी में रोमांस की ज्यादा जगह नहीं होती थी. वे केवल सैक्स करते थे, जिस से बच्चे पैदा हों और घरपरिवार व वंश आगे बढ़ सके.

अब तो गांवदेहात में भी पतिपत्नी रोमांस कर रहे हैं. वे ऐसे मौकों की तलाश में रहते हैं, जहां रोमांस किया जा सके. घरों में टैलीविजन और हाथ में मोबाइल फोन है, जिस में वे रोमांस करने के तरीके देखते रहते हैं खासकर जब से सोशल मीडिया पर रील बनाने का शौक चढ़ा है, तब से गांव में रहने वाले जोड़ों का रोमांस सिर चढ़ कर बोल रहा है.

अब बात ‘एक चाय दो जोड़े होंठ’ से आगे तक पहुंच गई है. इस बार नया ट्रैंड देखने को मिल सकता है. इस में और मजा लेने की चाह में चाय एक पीता है. वह चाय को अपने मुंह में भर लेता है. इस के बाद वह अपने पार्टनर को किस करते हुए उस के होंठों को अपने होंठों से खोलता है.

इस के बाद अपने मुंह में भरी चाय उस के मुंह में छोड़ता है. वह पार्टनर भी बड़ी आसानी से उस चाय को पी लेता है. इस तरह से देखें, तो होंठ एक, चाय एक और पीने वाले 2 हैं. आपस में प्यार बढ़ाने का यह अच्छा तरीका है.

अदरक वाली कड़क चाय

इस सर्दी में सोशल मीडिया पर रील में यह नया ट्रैंड हो सकता है. कई जोड़े जो पतिपत्नी नहीं हैं, वह इस का प्रयोग तो करते हैं, बस इस का प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं.

चाय सर्दियों लोग में सब से ज्यादा पीया जाने वाला पदार्थ है. अब गांवदेहात में भी दूध का इस्तेमाल उतना नहीं होता जितना चाय का होता है. कुछ लोग दूध वाली चाय पीते हैं, तो कुछ मलाई वाली चाय पीते हैं.

गांवदेहात में ग्रीन टी, काली चाय और नीबू वाली चाय का इस्तेमाल कम होता है. शहरों में भले ही गुड़ वाली चाय पीने का ट्रैंड हो, पर गांव में चीनी वाली चाय ही लोग पीते हैं.

सर्दियों में लोग अलगअलग जगहों पर अलगअलग तरह की चाय पीते हैं. मैदानी इलाकों में अदरक वाली चाय सब से ज्यादा पसंद की जाती है. कश्मीर में कहवा पीते हैं. चाय की मिठास तब और बढ़ जाती है, जब चाय के ऊपर भरपूर मलाई पड़ी हो.

सर्दियों में अदरक वाली चाय पीने का अलग ही मजा होता है. ठंड के मौसम में अदरक की चाय गले से नीचे उतरती है, तो सारी सर्दी दूर भाग जाती है. अदरक का सेवन करना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है.

सर्दियों में बाहर ठंडी हवा और हाथ में एक प्याली गरम चाय और साथ में चाय पीने वाली हो, तो मूड को बदलते देर नहीं लगती है.

भारतीय लोगों में चाय पीना एक परंपरा की तरह है. गांव से ले कर शहर तक में लोग तरहतरह की चाय पीना पसंद करते हैं. साधारण चाय के अलावा तुलसी, अदरक, इलायची, मसाला, लौंग, शहद, मुलेठी, सौंफ वाली चाय ज्यादा पसंद की जाती है.

चाय को ले कर रोमांस भी फिल्मी गानों में दिखता है. इन में से एक गाना बहुत मशहूर हुआ था ‘गरम चाय की प्याली हो, उस को पिलाने वाली हो. चाहे गोरी हो या काली हो…’ मतलब, चाय के साथ सर्दियों का रोमांस और भी परवान चढ़ता है.

सेहत के लिए फायदेमंद

सर्दियों में चाय का पीना अच्छा होता है. सुबह दूध और पत्ती वाली चाय की जगह अगर मसाले वाली चाय पी जाए, तो सेहत को फायदा मिलता है. सर्दी से मुकाबले के लिए चाय की चुसकी जरूरी होती है. मसाले और जड़ीबूटियां मिलाने से काफी फायदा पहुंच सकता है.

दूध वाली चाय की जगह अगर आप सुबह एक कप गरम मसालेदार चाय पीएंगे, तो हड्डियों को जकड़ने वाली ठंड में आप के शरीर को गरमाहट मिल सकती है.

इस के लिए पानी में दालचीनी, लौंग, इलायची, जायफल, केसर, अदरक जैसे मसाले मिला कर उसे उबालना और पीना चाहिए. मिठास के लिए चीनी की जगह शहद भी मिला सकते हैं. मसाले शरीर को अच्छी गरमी देते हैं.

चाय में जायफल, दालचीनी, इलायची या सोंठ जैसे मसाले और जड़ीबूटियां मिलाने से शरीर को ताकत मिलती है. फ्लू, बुखार, मौसमी एलर्जी के खिलाफ लड़ने की ताकत मिलती है. मसालों में एंटीऔक्सीडैंट्स की मौजूदगी बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ाने में मदद करती है.

चाय में मसाले मिला कर पीने से न सिर्फ इस की मोहक सुगंध से ऊर्जा मिलती है, बल्कि साथ ही बिना चाय पत्ती की इस चाय में कैफीन नहीं होता, जो इसे पाचन के लिए बहुत अच्छा बनाता है. सौंफ, लौंग, दालचीनी और जायफल जैसे मसाले वजन घटाने में तेजी ला सकते हैं.

इस के अलावा मसाले और कई तरह की जड़ीबूटियां भी दिल की सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं. हलदी और लौंग जैसे मसाले एंटीइंफ्लेमैटरी गुणों से भरपूर होते हैं, जो शरीर में सूजन से लड़ते हैं, घाव और चोट को भरते हैं.

इस तरह से देखें, तो चाय बहुत ही गुणकारी है. जब 2 लोग एकसाथ रोमांस करते हुए चाय पीते हैं, तो डिप्रैशन जैसी चीजों की जगह प्यार, रोमांस और सैक्स की भावना बढ़ती है, जिस से मन खुश और तन दुरुस्त रहता है.

Winter Romance Special: सर्दी में रात का इश्क

राज और मोहिनी की हाल ही में शादी हुई थी. पर जब से जाड़े ने जोर पकड़ना शुरू किया था, इन दोनों की सैक्स लाइफ ठंडी पड़ने लगी थी. राज को लगता था कि मोहिनी बिस्तर पर बर्फ की सिल्ली की तरह पड़ जाती है और कितना ही जोर लगा लो, गरम ही नहीं हो पाती है. उसे बड़ी कोफ्त होती थी.

उधर मोहिनी की दिक्कत यह है कि उसे ठंड बहुत ज्यादा लगती है और वह बिस्तर पर बिना गरम कपड़ों के नहीं रह सकती है. ठंड में सैक्स करने के नाम से ही उसे कंपकंपी छूट जाती है.

उत्तर भारत में जब गुलाबी जाड़े की दस्तक होती है, तभी शादियों का सीजन भी शुरू हो जाता है. गुलाबी जाड़े में गुलाबी इश्क, यह मेल कमाल का होता है. पर एक सच यह भी है कि सर्दी में हमारी सैक्स की इच्छा भी कम हो जाती है. यह सुन कर हैरानी होती है न? बिस्तर पर रजाई हो और पहलू में सैक्स पार्टनर, तो फिर यह इच्छा अचानक क्यों सिकुड़ जाती है?

दरअसल, मोहिनी की तरह बहुत से जोड़ों की यह शिकायत रहती है कि सर्दी के मौसम में वे काफी रूखे और सूखे हो जाते हैं. साथ ही, सर्दी में विटामिन डी का लैवल भी कम होता है, जो शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी होता है. इस की कमी के चलते लोग अपने मूड में सब से खराब बदलाव महसूस करते हैं. दिन छोटे और रातें बड़ी हो जाती हैं. जल्दी अंधेरा होने की वजह से लोग और भी ज्यादा बुरा महसूस करते हैं. पर साथ ही यह भी याद रखिए कि भले ही सर्दी में सैक्स के प्रति दिलचस्पी कम हो जाती है, लेकिन इस मौसम में मर्दों में टैस्टोस्टैरोन का लैवल हाई होता है, जिस में स्पर्म की तादाद ज्यादा होती है. वहीं, औरतों में भी ज्यादा फर्टिलिटी होती है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. सर्दी में रात का इश्क भी गरमागरम हो सकता है, बस थोड़े से सब्र और नए उपाय करने की जरूरत होती है.

सर्दी में इश्क का मजा लेना हो, तो अपने काम से कुछ दिन की छुट्टी ले लें और अपने पार्टनर के साथ कहीं घूमने चले जाएं. दिन में बाइक पर सट कर बैठते हुए एकदूसरे के अंगों की गरमाहट लें और रात को कमरे में बेबाक हो कर एकदूसरे में समा जाएं.

यकीन मानिए, काम के बोझ से हलका आप का मन तन को इतनी ज्यादा गरमाहट से भर देगा कि बिस्तर पर आप दोनों बिना कपड़ों के भी हीटर की तरह सुलग रहे होंगे.

एक काम और जरूर करें. बिस्तर पर अपनी सैक्स पोजीशन और किस अंग को छूने से आप की गरमाहट बढ़ती है, इस पर खुल कर बात करें. एकदूसरे के शरीर को बेशर्म हो कर देखें, चूमें और सहलाएं. रात के कालेपन और सर्दी की ठिठुरन को भूल कर एकदूसरे के शरीर की गरमी को महसूस करें.

अगर कमरे के अंधेरे से दिक्कत है, तो बल्ब की रोशनी के बजाय मोमबत्ती की हलकी रोशनी कर लें. जलते मोम की गंध आप के शरीर के पसीने की गंध को और ज्यादा महका देगी और आप दोनों के रिश्ते में एक अलग तरह की रोमानियत ले आएगी.

सर्दी में कमरे के भीतर आप अपने पार्टनर की मालिश कर सकते हैं. यह नुसखा प्यार बढ़ाने के लिए अचूक माना जाता है. इस से शरीर की गरमी तो बढ़ती ही है, साथ ही खून का दौरा भी तेज हो जाता है.

मालिश करते हुए एकदूसरे के नाजुक अंगों से भी खूब खेलें और जोश को बढ़ा दें. यह एक तरह का फोरप्ले होता है, जो दोनों पार्टनर को जिस्मानी रिश्ता बनाने के लिए तैयार कर देता है. पर इस के लिए जरूरी है कि आप साफसुथरे हों, इत्र वगैरह लगाया हो, ब्रश किया हो और नाखून भी ट्रिम किए हुए हों, ताकि मालिश के दौरान जोश में शरीर नोचने पर चोट न लगे.

अगर इस सब के बावजूद जाड़े में रात को कमरा ठंडा लगता है, तो ब्लोअर या हीटर ले आएं और उस की आंच पर अपने इश्क की खीर पकाएं.

Winter Romance Special: शरीर खुशबूदार तो गहरा प्यार

आजकल आशिक और माशूक एकदूसरे को तोहफे में जो सब से ज्यादा आइटम देते हैं, वह परफ्यूम या डिओ होता है. तय है कि इस के पीछे मंशा यह रहती है कि हमारा प्यार हमेशा यों ही महकता रहे. इस सोच को एक शायर ने अपने एक शेर में कुछ ऐसे कहा है :

‘सुबह उठते ही तेरे जिस्म की खुशबू आई, शायद रातभर तू ने मुझे ख्वाब में देखा है.’

परफ्यूम या डिओ ऐसा गिफ्ट है, जो सभी के बजट में रहता है और इसे सहूलियत से रखा जा सकता है. आजकल हर कोई परफ्यूम और डिओ का इस्तेमाल करता है और प्यार करने वाले तो कुछ ज्यादा ही करते हैं, खासतौर से डेट पर जाते वक्त. अगर उन के पास एक से ज्यादा खुशबू वाले परफ्यूम हों, तो वे बहुत सारा समय यही सोचने में लगा देते हैं कि आज कौन सा परफ्यूम लगाया जाए कि पार्टनर उस के लिए और दीवाना हो जाए.

एक इश्तिहार में बड़े दिलचस्प तरीके से इसे दिखाया भी गया है कि कोई जवां मर्द एक खास किस्म का परफ्यूम लगा कर निकलता है, तो लड़की उस की खुशबू सूंघते हुए उस के पीछेपीछे पतंग सी खिंची चली आती है.

प्यार में खुशबू की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि ज्यादातर फिल्मों में जब आशिक और माशूक एकदूसरे से लिपटते हैं, तो आशिक माशूका के बालों और गरदन को सूंघता दिखता है.

हकीकत इस से जुदा नहीं होती. आशिक और माशूक एकदूसरे के गले लगें या न लगें, लेकिन नजदीक होने पर ही बदन से उठती खुशबू में डूबने और इतराने से खुद को रोक नहीं पाते हैं और फिर जुदा होने के बाद तनहाई में गुनगुनाते हैं :

‘खुशबू तेरे जिस्म की मेरे इत्र की किताब है, वफा न सही मुझ को दर्द ए हिज्र का खिताब है.’

खुशबू से महकता प्यार

कुदरती तौर पर हरेक जिस्म की अपनी एक अलग गंध होती है. वैज्ञानिक और माहिर भले ही इसे हार्मोन से जोड़ते रहें, लेकिन एक दफा जो इस गंध में बंध गया, वह फिर खुद इस से आजाद नहीं होना चाहता. इसी गंध में जब चंदन, केसर, गुलाब, मोगरा या कोई दूसरी परंपरागत या फिर नई खुशबू मिला ली जाती है, तो चाहने वालों के लिए तो वह जायदाद जैसी हो जाती है.

पार्टनर के शरीर से उठती खुशबू कब प्यार की पहचान बन जाती है, इस का तो सालोंसाल पता ही नहीं चलता. इसी खुशबू में डूबतेइतराते प्यार इतना गहराता जाता है कि एकदूसरे के बगैर रहना और जीना भी सजा लगने लगता है.

विदिशा के नजदीक एक गांव का नौजवान अमित (बदला नाम) अग्निवीर बन कर सेना में शामिल हुआ, तो उसे पहली तैनाती जम्मूकश्मीर में मिली. नौकरी पर जाने से पहले उस की माशूका सीमा (बदला नाम) ने उसे एक महंगा परफ्यूम तोहफे में यह कहते हुए दिया था कि ‘इस की खुशबू तुम्हें मेरी याद दिलाती रहेगी’.

ट्रेनिंग के दौरान अमित ने जब भी वह परफ्यूम लगाया, तो सचमुच उसे लगता था कि सीमा आसपास ही कहीं है और इसी खुशबू के साथ महक रही है.

सीमा चोरीछिपे अमित से मोबाइल के जरीए बात करती थी, तो अमित उसे बताता था कि ‘तुम्हारी दी गई खुशबू दिनरात महकती रहती है. सुहागरात में भी तुम मुझे यही परफ्यूम गिफ्ट में देना’.

इन दोनों का शादी करने का सपना पूरा होने में अब कोई अड़ंगा नहीं है, बस इन्हें पूरे दमखम और भरोसे के साथ घर वालों को अपनी इच्छा बताना भर है. वे मान जाएं तो ठीक, नहीं तो किसी के रोकने से अब ये रुकने वाले भी नहीं.

सीमा की मुहब्बत में डूबे अमित को भी एक दिन शायरी का रोग लग ही गया, तो उस ने माशूका को ह्वाट्सएप पर दिल से निकला यह मैसेज भेजा :

‘कभी आग तो कभी शोला बन कर दहकती है, तेरे प्यार की खुशबू सरहद पर यों महकती है.’

ऐसे करें इस्तेमाल

वह खुशबू ही है, जो प्रेमियों को नजदीक लाती है. अहम बात यह कि इस का सलीके से इस्तेमाल करना है. जब अपने पार्टनर से मिलें, तो ध्यान रखें कि खुशबू बहुत तीखी न हो. भीनीभीनी खुशबू हर किसी को भाती है. बालों को शैंपू करने के बाद बहुत सारा तेल सिर में उड़ेलना कतई जरूरी नहीं. किसी अच्छे तेल को बालों में कम से कम लगाना ही काफी रहता है. चेहरे और गरदन पर ब्रांडेड कोल्ड क्रीम सर्दियों में अच्छी रहती है और उस के ऊपर हलका सा कोई टैलकम पाउडर लगा लें, तो चेहरा खिल उठता है.

अब बारी आती है परफ्यूम या डिओ की, तो वह अपने पार्टनर की पसंद का स्प्रे करें. अगर उस की कोई खास पसंद न हो तो लड़कियों के लिए चंदन, मोगरा और गुलाब की खुशबू वाले परफ्यूम अच्छे रहते हैं.

इस के उलट लड़कों को चौकलेट फ्लेवर के परफ्यूम ज्यादा पसंद आते हैं. पहली डेट पर ज्यादातर लड़के चौकलेट खुशबू का परफ्यूम लगा कर जाते हैं. इस के पीछे माहिरों का कहना है कि लड़कियां चौकलेट पसंद करती हैं और इस की तरफ जल्दी खिंचती भी हैं.

भोपाल की मनीषा मार्केट के एक कैमिस्ट अनिल ललवानी बताते हैं, ‘‘परफ्यूम तो परफ्यूम लड़के डेट पर जाने के लिए कंडोम भी चौकलेट फ्लेवर का ज्यादा लेते हैं. चौकलेट के बाद लड़कों की दूसरी पसंद फूलों की खुशबू वाले परफ्यूम होते हैं.

‘‘आजकल अलकोहल की गंध वाले परफ्यूम भी लड़के पसंद कर रहे हैं. लड़कियों को इंप्रैस करने के लिए चौथे नंबर पर फलों की खुशबू वाले परफ्यूम लड़के ज्यादा लगाते हैं.’’

डेट पर जाने से पहले खुशबूदार साबुन से नहाना चाहिए, ताकि शरीर की बदबू भाग जाए. इस के बाद पूरे शरीर पर टैलकम पाउडर लगाना चाहिए. आजकल सभी कंपनियां तकरीबन सभी खुशबुओं वाले टैलकम पाउडर बना रही हैं. सर्दियों में यों तो कोई भी खुशबू चल जाती है, क्योंकि पसीना कम आता है. थोड़ा सा चंदन वाला पाउडर लंबे समय तक महकता रहता है.

प्यार में हों, डेट पर हों या उस से भी ज्यादा कुछ होना हो, जरूरी है कि पूरा शरीर महकता रहे. एक अहम बात जिस पर अकसर प्यार करने वाले ध्यान नहीं दे पाते, वह मुंह से आती बदबू है, जिसे दूर करने के लिए ब्रश करने के बाद इलायची या माउथ फ्रैशनर जरूर इस्तेमाल करना चाहिए.

पूरा शरीर खुशबू से तर हो, लेकिन जैसे ही किस करने की बारी आए, तो मुंह की बदबू मामला खराब कर देती है, इसलिए इस का भी ध्यान रखना चाहिए, तभी तो प्यार की गहराइयों में उतरने का सही लुत्फ आएगा और जेहन में तकरीबन 45 साल पहले आई फिल्म ‘बदलते रिश्ते’ का ऋषि कपूर, जितेंद्र और रीना राय पर फिल्माया गया यह रोमांटिक गाना गूंज उठेगा :

‘मेरी सांसों को जो महका रही है ये पहले प्यार की खुशबू तेरी सांसों से शायद आ रही है.’

रिलेशनशिप्स पर टिक-टोक का इंफ्लुएंस

युवाओं का रिलेशनशिप में आना आम है. कक्षा छठी या सांतवी में आते ही इन रिलेशनशिप्स का सिलसिला शुरू होता है और लगभग उम्रभर चलता ही रहता है. यह आज की बात नहीं है बल्कि हमेशा से ही लोग प्रेम में पड़ते रहे हैं और रिलेशनशिप में भी आते ही रहे हैं, लेकिन रिलेशनशिप के मायने अब बदल चुके हैं.

आज सोशल मीडिया का इंफ्लुएंस युवाओं पर इतना ज्यादा है कि उन्हें अपने रिलेशनशिप से कभी संतुष्टि मिलती ही नहीं है. इस असंतुष्टि का ही परिणाम है कि वर्तमान में बच्चे 15 साल की उम्र में खुद को हार्टब्रोकेन बता घूमते हैं. सोश्ल मीडिया खासकर टिकटोक पर 20 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं जिन में 12 करोड़ एक्टिव हैं.

टिकटोक पर जिस तरह का कंटैंट इन युवाओं को परोसा जा रहा है वह न केवल अव्यव्हारिक है बल्कि अनैतिक व आपत्तिजनक भी है. टिकटोक पर वैसे तो कई अलग-अलग तरह की वीडियोज पोस्ट होते हैं, किसी में कोई डांस करता हुआ नजर आता है, किसी में लिप सिंक करता हुआ तो किसी में फिल्मी सीन जैसा दृश्य दिखाया जाता है. युवाओं व किशोरों के लिए रिलेशनशिप के मायने बदलने में टिकटोक का इंफ्लुएंस लगातार बढ़ रहा है.

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हालांकि, टिकटोक के रिलेशनशिप पर असर को ले कर अभी कोई स्टडी या रिसर्च सामने नहीं आई है लेकिन रिलेशनशिप को वैचारिक तौर पर बदलने में इस की भूमिका दिन ब दिन पैठ जमा रही है. कैसे? आइए नजर डालते हैं.

बड़ा पछताओगे’

इस फिल्मी गाने को टिकटोक पर अलगअलग कोन्सेप्ट्स में यूज किया गया है. ज्यादातर विडियोज में या तो लड़की इस गाने को गाते हुए लड़के को कह रही है कि बड़ा पछताओगे या लड़का लड़की को. ऐसी ही एक विडियो में लड़का किसी लड़की से बातें कर रहा है, फिर वह अपनी गर्लफ्रेंड को देखता है और उस के पास आने लगता है तो उस की गर्लफ्रेंड उस के सामने से दूसरे लड़के को ला निकलने लगती है. बैक्ग्राउंड में ‘मुझे छोड़ के जो तुम जाओगे बड़ा पछताओगे, बड़ा पछताओगे…’ चलता रहता है.

आई केन टेक यौर मैन

इस साउंड पर बनी विडियो में लड़कियां दूसरी लड़कियों को कहती हैं, ‘आई केन टेक यौर मैन इफ आई वांट टू, बट गुड फोर यू आई डोंट वांट टू’ यानी मैं चाहूं तो तुम्हारे बौयफ्रेंड या पति को जब चाहे पा सकती हूं पर तुम्हारे लिए अच्छा है कि मैं पाना नहीं चाहती. इस हैशटैग से टिकटोक पर 16 करोड़ से ज्यादा विडियोज मौजूद हैं.

द एक्स फैक्टर

अब लोग रिलेशनशिप में आएंगे तो ब्रेकअप तो होगा ही फिर चाहे परमानेंट हो या टेम्पोररी. अब टिकटोक पर एक्सेस को ले कर अनगिनत विडियोज हैं जिन का न कोई सिर है न पैर. जैसे, कहीं कोई अपने एक्स के लिए रो रहा है, कोई शीशे पर एक्स लिख कर उस पर मुंह से पानी उगल रहा है, कोई उसे उलाहनाएं दे रहा है तो पैरों पर गिर रहा है.

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रुला के गया इश्क तेरा

रिलेशनशिप का एक और ड्रामा जिस में अधिकतर तीन तरफा प्यार दिखाने की कोशिश की जाती है. इतना शायद असल जीवन में कोई सोचता नहीं होगा पहले जितना अब इन विडियोज के बाद लोगों ने अपनी बेस्टफ्रेंड के साथ अपने बौयफ्रेंड के अफेयर के बारे में सोचना शुरू कर दिया है. कभी पीठ के पीछे कोई बेवफाई कर रहा होता है तो कभी आंख के आगे जिसे देख लड़की कुछ कहती भी तो नहीं क्योंकि प्यार जो करती है. कैसी विकृत मानसिकता है ये.

इंफ्लुएंस्ड होना रोकें

ऊपर जिन चंद विडियोज के उदाहरण दिए गए हैं उन के कौंसेप्ट कोई बड़े राइटर तैयार नहीं करते बल्कि आम लोग करते हैं जो अपनी अजीबो-गरीब सोच को अच्छी एक्टिंग के साथ लोगों के सामने परोसते हैं और लोग उन्हें वाहवाही तक देते हैं. इस में दोराय नहीं कि यह सोच न केवल उन के अपने जीवन में वे उतारते हैं बल्कि जाने-अनजाने उनके रिलेशनशिप्स भी प्रभावित होते हैं.

जलन, बेवफाई, तीन तरफा प्यार को बढ़ावा, एक्स को गालियां देते फिरना आदि को ले कर टिकटोक को दोष दिया जाना गलत नहीं होगा. धोखा दिया किसी ने तो उस को जान से मार देने जैसी विडियोज की भरमार भी कम नहीं है. खुद रो रो कर भी रिलेशनशिप निभाना भी इन विडियोज में भरा पड़ा है. टिकटोक से इंफ्लुएंस हो लोग अपनी लवलाइफ को भी कोई कहानी समझने लगे हैं. यह गलत है, सरासर गलत है.

बौलीवुड और हिंदी सीरियल्स के इंफ्लुएंस से लोगों की सोच पहले ही संकुचित थी और अब तो संकुचित सोच छोटी उम्र में ही बच्चों के अंदर पैठ जमाने लगी है. जरूरी है कि टिकटोक को मनोरंजन की ही तरह देखें पर जरूरत से ज्यादा नहीं.

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