Relationship Advice: आपसी कलह की नुमाइश न लगाएं

Relationship Advice: कुछ दिन पहले की बात है. दिल्ली मैट्रो में एक जोड़ा चढ़ा. लड़का और लड़की दोनों की उम्र 24-25 साल के आसपास रही होगी. दोनों ही कमाऊ लग रहे थे. लड़की खूबसूरत थी और लड़का हैंडसम. दोनों ने कपड़े भी अच्छे ब्रांडेड पहने हुए थे.

पर थोड़ी देर के बाद उन दोनों में ऐसा कुछ हुआ कि बाकी सवारियों के कान उन की बातों पर लग गए.

लड़की ने लड़के से पूछा, ‘‘क्या आप शुक्रवार की शाम को अपने दोस्तों के साथ बैठे थे?’’

लड़का बोला, ‘‘हां, बैठा था. तो क्या हुआ?’’

‘‘तुम सब ने ड्रिंक भी की थी न?’’ लड़की ने जैसे उस लड़के की पोल खोलते हुए कहा.

‘‘हां, की थी. तुम मुद्दे की बात करो न कि क्या पूछना चाहती हो?’’ लड़के की आवाज में थोड़ी कड़वाहट आ गई थी.

‘‘वहां तुम सब ने बकवास भी की थी…’’ लड़की ने तेज आवाज में कहा.

‘‘जब लड़के पीने बैठते हैं, तो बकवास ही करते हैं. पर तुम मेरी जासूसी क्यों कर रही हो?’’ लड़का अब और तेज आवाज में बोला.

लड़की कुछ बोलती उस से पहले ही लड़के ने उस का हाथ ?ाटक कर कहा, ‘‘तुम्हें यह सब किस ने बताया?’’

लड़की ने जबान नहीं खोली, जबकि लड़का उस पर हावी हो गया. वह गुस्से में तमतमाते हुए बोला, ‘‘कौन है, नाम बता? मुझे गुस्सा मत दिला. जब इतना कुछ जानती है, तो नाम भी बता दे. अब डर क्यों रही है?’’

लड़की ने पहले तो अपना हाथ छुड़ाया और बड़बड़ाते हुए एक खाली सीट पर जा कर ‘धम्म’ से बैठ गई.

उन दोनों की यह आपसी लड़ाई सब ने सुनी और अनसुना भी कर दिया. पर यहां एक सवाल जरूर मन में उठा कि लोग अपनी पर्सनल बातों में इतने ज्यादा क्यों खो जाते हैं, जो अनजान लोगों के सामने अपनी भड़ास निकाल देते हैं और ऐसा जताते हैं कि कोई सुने तो सुने उन की बला से?

मजे की बात तो यह है कि यह वही पीढ़ी है, जो अपने घर में मां, बूआ, मौसी, चाचा, चाची जैसी अपने से बड़ी पीढ़ी को इस बात पर कोसती है कि वे लोग पीठ पीछे एकदूसरे की बुराई क्यों करते हैं या पड़ोस में क्या चल रहा है, इस पर मजे ले कर बातें क्यों करते हैं?

मैट्रो या बस जैसी सार्वजनिक सवारियों में यह आम हो गया है कि लोग आमनेसामने या फिर फोन पर चुगलखोरी करते दिखाई देते हैं. सास अपनी बहू की पोल खोलती दिख जाती है, तो बहू अपनी ननद के किस्से अपनी मां को सुनाती नजर आती है.

मर्द और लड़के भी इस सब में पीछे नहीं हैं. कोई औफिस में बौस की बखिया उधेड़ रहा होता है, तो कोई अपनी प्रेमिका को ब्लौक करने के किस्से सुना रहा होता है.

ऐसा होता क्यों है? क्यों हम अनजान लोगों के सामने अपने घरकुनबे का पुराण बांचने लग जाते हैं? इस की वजह यह है कि हमें यह सीख देने वाला शायद कोई बचा ही नहीं है कि सार्वजनिक जगह पर हमें कैसे बरताव करना है. और जब से सोशल मीडिया में ‘रीलरील’ खेलने का दौर चला है, तब से ऐसा लगने लगा कि हर कोई ‘गौसिप गैंग’ का हिस्सा बन गया है.

यहां सीख देने वाला कौन है? दरअसल, कुदरत ने हमें सुनने और बोलने की सैंस (इंद्रियां) तो दे दी है, पर कब और कितना बोलना है और कितना सुनना है, यह जो ‘व्यावहारिक बुद्धि’, जिसे इंगलिश में ‘कौमन सैंस’ कहते हैं, को इस्तेमाल करना हम भूलते जा रहे हैं.

पहले टीचर, परिवार और आसपड़ोस के बड़ेबूढ़े नई पीढ़ी को बता दिया करते थे कि इस ‘कौमन सैंस’ का कैसे इस्तेमाल करना है, पर अब तो स्कूलों में ऐसी बातें सिखाना गुजरे जमाने की बात हो गई है और अपनों की सुनता ही कौन है.

कभीकभार इस के नतीजे बहुत बुरे भी होते हैं, जो सार्वजनिक जगहों पर अमूमन दिखाई दे जाते हैं. जैसे क्रिकेट एक खेल है, जो मनोरंजन के लिए खेला जाता है, पर नासमझी की वजह से यह खेल का मैदान खूनी लड़ाई में बदलते देर नहीं लगती है.

18 फरवरी, 2025 को आकाश नाम का एक लड़का शाम को अपने दोस्तों के साथ फरीदाबाद के अगवानपुर चौक के पास बने दुर्गा बिल्डर के खाली प्लाट में क्रिकेट खेल रहा था. खेल के दौरान गेंद वहां मौजूद एक लड़के को लग गई, जिस से झगड़ा हो गया.

आसपास के लोगों ने उस समय मामला शांत करा दिया, लेकिन तकरीबन 15 मिनट बाद वही लड़का 5-6 साथियों के साथ लाठीडंडे और हौकी ले कर लौटा और आकाश पर हमला कर दिया. उन लोगों ने आकाश को इतना पीटा कि एक महीने अस्पताल में रहने के बाद उस की मौत हो गई.

इस वारदात में एक की जान गई और बाकी कोर्टकचहरी के चक्कर में फंसेंगे. पर ऐसी वारदात से एक सीख लेनी चाहिए कि कोई भी विवाद छोटी सी बात से शुरू होता है और हमारा अहम उसे इतना ज्यादा तूल दे देता है कि खेल का मनोरंजन मौत के मातम में बदल जाता है.

ऐसा ही कुछ घरेलू समस्याओं को सार्वजनिक जगह पर जाहिर करने से होता है. बहुत बार मैट्रो या बस वगैरह में 2 जानपहचान वालों की चुगलखोरी हाथापाई तक में बदलते देर नहीं लगाती है.

एक बार एक जोड़ा इस बात पर बहस करने लगा कि लड़की का पहना हुआ टौप कितने का होगा. लड़की ने ज्यादा कीमत बताई तो लड़के ने कहा कि सस्ता माल है. इसी बात पर उन दोनों ने अपने रिश्ते को सब के सामने उघाड़ना शुरू कर दिया. आखिर में लड़की ने लड़के को चांटा जड़ दिया और मैट्रो से उतर गई.

दिक्कत यह है कि हम आपसी गपशप और चुगलखोरी के साथ निजी बातों को सार्वजनिक करने के फर्क को समझ गए हैं. पहले गांवदेहात में लोग गपशप ज्यादा किया करते थे. उसी में बीच में चुगलखोरी और निजी बातों का तड़का लगा दिया जाता था और बात आईगई हो जाती थी.

पर अब चूंकि बातें करने की जगह और समय की कमी से हम मोबाइल फोन पर या कहीं भी आमनेसामने निजी बातों का पिटारा खोल कर बैठ जाते हैं. वहीं सारी गड़बड़ होती है. भीड़ में लोग आप की बातों को अनुसना करते हुए भी बड़े ध्यान से सुनते हैं और अनचाहे में ऐसी बातों के राजदार बन जाते हैं, जो बेहद निजी होती हैं.

नई पीढ़ी को इस सामाजिक बुराई से बचने के लिए अपने घरपरिवार वालों पर ध्यान देना चाहिए. उन के साथ समय बिताना चाहिए और घर की बातों को घर पर ही सुलझाना चाहिए. इस आदत से आप अपने रिश्ते बचा सकते हैं और कभी बात लड़ाई तक पहुंच भी जाए तो ठंडे दिमाग से उसे सुलझाने की कोशिश कर सकते हैं. सैंस के साथसाथ कौमन सैंस का भी इस्तेमाल करें. Relationship Advice

Physical Relationship : मजा या सजा

Physical Relationship: आज के मौडर्न दौर में हम जिस समाज में रह रहे हैं, वहां फिल्मों, वैब सीरीज और सोशल मीडिया का हमारी सोच और लाइफस्टाइल पर गहरा असर पड़ रहा है. कई बार फिल्मों और वैब सीरीज में यह दिखाया जाता है कि एक लड़का और लड़की बिना किसी इमोशनल कनैक्शन के केवल फिजिकल रिलेशन बना लेते हैं, एक ऐसा रिश्ता जिस में किसी तरह की कोई बंदिश या जिम्मेदारी नहीं होती. इसे आज की भाषा में हुकअप या मेकआउट कहा जाता है. इस तरह के रिश्तों में अकसर लोग सिर्फ अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए एकदूसरे के करीब आते हैं और जब चाहें इस रिश्ते से अलग हो सकते हैं.

यह एक ऐसा चलन बन चुका है जिस में रिश्ते का कोई नाम नहीं होता, फिर भी नजदीकियां होती हैं. आसान शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा तरीका है, जिस से आज की जैनेरेशन फिजिकल अट्रैक्शन और संबंधों को प्रायोरिटी दे रही है. आज के युवाओं के लिए जीवन का मतलब बन गया है ‘आज को जीना’ और ऐंजौय करना’. उन के लिए रिश्तों का मतलब सिर्फ एक फन ऐक्टिविटी बन कर रह गया है. वे मानते हैं कि अगर बिना किसी जिम्मेदारी या इमोशनल इन्वौल्वमैंट के उन की जरूरतें पूरी हो रही हैं, तो इस में गलत क्या है?

इस सोच का सब से बड़ा आधार यही है कि दोनों लोग इस रिश्ते को सिर्फ एक ऐंजौयमैंट मानें, कोई जिम्मेदारी नहीं, कोई सवालजवाब नहीं. लेकिन अकसर होता यह है कि समय के साथ एक इनसान इमोशनली इन्वौल्व होने लगता है और तब शुरू होती है वह तकलीफ जो शब्दों में नहीं कही जा सकती. ऐसे रिश्ते धीरेधीरे इनसान के अंदर के इमोशन्स को खोखला कर देते हैं. बारबार की नजदीकियां और दूरियां, भरोसे का टूटना और साथ का न होना ये सब मिल कर उसे अंदर से तोड़ने लगते हैं. फिजिकल रिलेशनशिप एक ऐसा इमोशनल जख्म बन जाता है जो लंबे समय तक दर्द देता है.

अकसर लोग इस दर्द को पहचान नहीं पाते, लेकिन इस का असर उन के आने वाले रिश्तों पर भी पड़ता है. वे या तो किसी से जुड़ने से डरने लगते हैं या फिर रिश्तों को सिर्फ एक खेल समझने लगते हैं. इस का गंभीर नतीजा भी हो सकता है. Physical Relationship

Happy Married Life: शरमाए नहीं, शादी से पहले पूछें – कितना कमाते हो

Happy Married Life: शादी हमारी जिंदगी का वो पल होता है जिसमें ना सिर्फ दो दिल बल्कि दो परिवार आपस में जुड़ते हैं. यह जिंदगी का एक ऐसा फैसला है, जहां रिश्तों की डोर सिर्फ प्यार से नहीं, बल्कि समझदारी और जिम्मेदारी से भी बंधती है. अकसर देखा जाता है कि शादी के बाद कुछ परेशानियां सामने आने लगती हैं क्योंकि हमें सामने वाले की आदतों, सोच और लाइफस्टाइल की पूरी जानकारी नहीं होती. ऐसा कहा भी जाता है कि शादी करना तो आसान है, लेकिन शादी को ठीक तरीके से निभा पाना उतना ही मुश्किल होता है. इस रिश्ते के लिए केवल प्यार काफी नहीं होता, बल्कि एकदूसरे को समझना, हर सिचुएशन में साथ निभाना और आपसी सोच की रिस्पैक्ट करना होता है.

एक सक्सेसफुल मैरिड लाइफ के लिए जरूरी है कि आप अपने होने वाले लाइफ पार्टनर को अच्छी तरह से जानें और समझें. क्योंकि शादी के बाद अगर सोच और आदतें मैच नहीं होगी, तो कई तरह की मुश्किलें सामने आ सकती हैं इसलिए आज हम आपको इन 3 जरूरी बातों के बारे में बताएंगे, जो आपको बिना किसी झिझक के अपने पार्टनर से शादी से पहले ही पूछ लेनी चाहिए.

फाइनेंस

जिंदगी के सफर को आरामदायक और सेफ बनाने के लिए फाइनेंशियल स्टेबिलिटी होना बेहद जरूरी होती है. ऐसे में यह जानना भी उतना ही जरूरी है कि आपका होने वाला लाइफ पार्टनर कितना कमाता है और क्या उस पर कोई लोन है. अक्सर लोग ऐसी बात करने से हिचकिचाते हैं लेकिन सच्चाई यही है कि शादी के पहले एकदूसरे की फाइनेंशियल स्थिति को समझना एक समझदारी भरा कदम होता है. इससे आप दोनों को फ्यूचर प्लानिंग करने में आसानी होगी.

फैमिली प्लानिंग

देखा गया है कि शादी के बाद कपल्स के बीच फैमिली प्लानिंग को लेकर लड़ाई हो जाती हैं. किसी एक को जल्दी बच्चा चाहिए होता है, जबकि दूसरा इसके लिए तैयार नहीं होता. ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि आप शादी से पहले ही अपने पार्टनर से इस बारे में खुलकर बातचीत करें. ऐसी बातचीत से ना सिर्फ आपके माइंड में क्लैरिटी रहेगी बल्कि आप बेबी प्लानिंग के साथ साथ सेविंग्स भी कर सकते हैं. इसके साथ ही सेविंग कब और किस तरह बच्चे और आपके लिए हेल्पफुल हो सकती है इसे प्लान कर सकते हैं.

लाइफस्टाइल

आज के समय में हर इंसान की लाइफस्टाइल अलग होती है, कोई सुबह जल्दी उठकर दिन की शुरुआत करना पसंद करता है, तो किसी को देर तक सोना और रात में जागना अच्छा लगता है. कोई पार्टी और सोशल गैदरिंग में खुश रहता है जबकि किसी को शांति और सुकून भरा माहौल चाहिए होता है. ऐसे में शादी से पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि आपके होने वाले पार्टनर और उसके परिवार की लाइफस्टाइल कैसी है. इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि क्या आप उस माहौल में खुद को ढ़ाल पाएंगे या नहीं. यह बातचीत आगे चलकर आपके रिश्ते को बेहतर बनाने में काम आ सकती हैं. Happy Married Life

Long Distance Relationship: कैसे बनाए रखें दूरी में भी प्यार

Long Distance Relationship: पिछले कुछ समय से हमें यह लौन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप काफी सुनने को मिल रहा है तो चलिए आज हम आपको बताते हैं क्या है लौन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप. लौन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप एक ऐसा रिलेशनशिप होता है जिसमें दोनों पार्टनर्स एक दूसरे के साथ तो क्या एक दूसरे के आसपास भी नहीं रहते यानि जब पार्टनर्स या तो दूसरे शहर या दूसरे देश में रहते हैं. इसके बावजूद इस रिश्ते में बंधे लोग करियर, पढ़ाई या अन्य कारणों से एक-दूसरे से दूर रहते हुए भी अपने रिश्तों को निभा रहे हैं.

आजकल इंटरनेट और डिजिटल जमाने में प्यार भी डिजिटल हो चुका है. इस इंटरनेट के जमाने में दूर किसी देश में हम किसी से भी बात कर सकते हैं और ऐसे में बात करते करते किसी से प्यार हो जाना भी कोई बड़ी बात नहीं है. लौन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में रहते हुए इस रिलेशनशिप को बरकरार रखना चैलेंजिंग होता है. लौन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में लौयल रहने की संभावना कम होती है लेकिन फिर भी कहते हैं ना कि प्यार निभाने वाले निभा ही लेते हैं. दूरियां चाहे जितनी भी हों, अगर भरोसा, समझ और प्यार हो तो रिश्ता मजबूत बना रह सकता है.

चलिए जानते हैं कुछ टिप्स जिसे फौलौ कर लौन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप को आसानी से निभाया जा सकता है.

कम्युनिकेशन है बेहद जरूरी

लौन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में रहते हुए हम एक ही चीज कर सकते हैं जो है बातें. अगर हमें दूर रहते हुए भी अपने प्यार को जिंदा रखना है तो अपने पार्टनर से जितना हो सके उतनी बातें करें. उससे हर बात को शेयर करें और एक दूसरे को कनेक्टेड महसूस कराएं. भूल कर भी एक दूसरे को इग्नोर ना करें जिससे सामने वाले के मन में कुछ गलतफहमी पैदा नहीं हो.

ट्रस्ट को रखें जिंदा

लौन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में ट्रस्ट सबसे बड़ी चीज होती है. दूर रहते हुए भी अपने पार्टनर के लिए वफादार रहना आसान नहीं होता लेकिन वहीं अगर प्यार सच्चा हो तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको वफादार बने रहने से नहीं रोक सकती. अपने पार्टनर के समझें और बातबात पर शक ना करें जिससे रिश्ते में दरार आने लगे.

औनलाइन भिजवाएं गिफ्ट्स

आजकल दूर बैठे हम कहीं भी कोई भी सामान औनलाइन भिजवा सकते हैं तो ऐसे में कभी कभी अपने पार्टनर को कोई गिफ्ट भिजवाएं ताकि आपके पार्टनर को एहसास हो कि दूर रहकर भी आप उसी के बारे में सोच रहे हैं और उसकी आपके दिल में खास जगह है.

मिलने की करें प्लैनिंग

दूर रहते हुए भी मिलने की बातें करना एक दूसरे की अहमियत को दिखाता है. अगर पौसीबल हो तो मिलने के प्लैन्स बनाएं ऐसा करके अपने रिश्ते को और भी मजबूत बनाएं. मिलने से अक्सर रिश्तों की मिठास बनी रहती है और पार्टनर्स एक दूसरे के कनेक्शन में रहते हैं. Long Distance Relationship

रात को बैड पर जाने से पहले करें ये काम, Sex Life बन जाएगी खुशहाल

Sex Life: अकसर शादी के कुछ समय बाद पतिपत्नी की सैक्स लाइफ में फीकापन आने लगता है, जिस से पतिपत्नी का रिश्ता कमजोर होने लगता है. दोनों एकदूसरे से इरिटेट होने लगते हैं और इस का कारण है नौर्मल और बोरिंग सैक्स रूटीन. आज हम आप को बताएंगे कुछ ऐसे टिप्स, जिन्हें आप अगर बैड पर जाने से पहले ट्राई करेंगे, तो आप की सैक्स लाइफ में कभी कोई प्रौब्लम नहीं आएगी.

पत्नियां अकसर घर के कामों में थक जाती हैं और वे काम निबटा कर सीधे बैड पर आ जाती हैं, जिस से कि पतियों को उन के अंदर कोई इंट्रस्ट नहीं आता, लेकिन वहीं अगर पत्नी घर के कामों से फ्री होकर नहा ले और एक सैक्सी सी ड्रैस पहन कर परफ्यूम लगा कर बैड पर आएं, तो पति खुद को उस के करीब आने से रोक नहीं पाएगा.

दूसरी तरफ पति को अपने काम और नौकरी की थकावट को कुछ देर के लिए भूल कर पत्नी के साथ समय बिताना चाहिए, जिस से कि उन दोनों के बीच की दूरियां कम हो सकें. कुछ आदमी अपनी थकावट के बाद शराब का सहारा लेते हैं और खाना खा कर सो जाते हैं, तो ऐसा करने से वे आपना शादीशुदा जीवन बरबाद कर देते हैं. आदमी को घर आ कर अपनी पत्नी के साथ प्यारभरी बातें करनी चाहिए, जिससे कि वे दोनों एकदूसरे से कनैक्टिड फील करें.

अपने काम को कुछ समय के लिए भूल कर पतिपत्नी को एकदूसरे के साथ घूमने भी जाना चाहिए जैसा कि किसी रोमांटिक कैंडल लाइट डिनर या फिर लौंग ड्राइव पर, ताकि दोनों के बीच का प्यार कभी कम न हो पाए और दोनों को किसी और की जरूरत महसूस न हो. हमेशा ऐसा लगे कि अगर उन का पार्टनर साथ है, तो उन्हें किसी तीसरे की जरूरत नहीं है.

Live-In Relationship बम है या बर्फ

Live-In Relationship : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अपनी एक खास टिप्पणी में कहा है कि समाज में ‘लिवइन’ संबंधों को मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन नौजवान पीढ़ी इन संबंधों की ओर खिंच रही है. अदालत के मुताबिक, अब समय आ गया है कि समाज में नैतिक मूल्यों को बचाने के लिए हमें कुछ रूपरेखा तैयार करनी चाहिए और समाधान निकालना चाहिए.

जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव ने कहा, “हम बदलते समाज में रहते हैं जहां परिवार, समाज या कार्यस्थल पर युवा पीढ़ी का नैतिक मूल्य और सामान्य आचरण बदल रहा है.”

अदालत ने इस टिप्पणी के साथ वाराणसी जिले के आकाश केशरी को जमानत दे दी.

आकाश केशरी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत सारनाथ थाने में मामला दर्ज किया गया था.

अदालत ने कहा कि जहां तक ‘लिवइन संबंध’ का सवाल है, इसे कोई सामाजिक मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन नौजवान लोग ऐसे संबंधों की ओर खिंचते हैं, क्योंकि वे अपने साथी के प्रति अपनी जिम्मेदारी से आसानी से बच सकते हैं.

लिवइन रिलेशनशिप एक तरह का ऐसा संबंध है, जहां 2 लोग एकसाथ रहते हैं और एक दूसरे के साथ भावनात्मक और शारीरिक संबंध बनाते हैं, लेकिन वे शादीशुदा नहीं होते हैं या उन में किसी भी तरह के औपचारिक संबंध में नहीं होते हैं. वे अपने संबंध को अपने तरीके से चलाते हैं और अपने फैसले लेते हैं.

लिवइन रिलेशनशिप के फायदे

-यह दोनों लोगों को अपने संबंध को अपने तरीके से चलाने की आजादी देता है.

-यह दोनों लोगों को एकदूसरे के साथ समय बिताने और एकदूसरे के साथ भावनात्मक और शारीरिक संबंध बनाने का मौका देता है.

-यह दोनों लोगों को अपने संबंध को अपने तरीके से खत्म करने की आजादी देता है.

लिवइन रिलेशनशिप के नुकसान

-यह दोनों लोगों को समाज में अलगथलग महसूस करा सकता है.

-यह दोनों लोगों को अपने संबंध को औपचारिक रूप से मंजूरी नहीं दिला सकता है.

आइए देखिए और समझिए कई चर्चित लोगों की लिवइन रिलेशनशिप :

सैफ अली खान और रोसा कैटरीना ने साल 2011 में लिवइन रिलेशनशिप में रहना शुरू किया था, लेकिन बाद में वे दोनों अलग हो गए.

करीना कपूर और सैफ अली खान ने साल 2007 में लिवइन रिलेशनशिप में रहना शुरू किया था और साल 2012 में शादी कर ली थी.

कोंकणा सेन शर्मा और रणवीर शौरी ने साल 2007 में लिवइन रिलेशनशिप में रहना शुरू किया था और साल 2010 में शादी कर ली थी. साल 2020 में उन का तलाक हो गया था.

नेहा धूपिया और रोहन रोशन ने साल 2008 में लिवइन रिलेशनशिप में रहना शुरू किया था, लेकिन बाद में वे दोनों अलग हो गए थे.

अनुराग कश्यप और कल्कि कोचलिन ने साल 2011 में लिवइन रिलेशनशिप में रहना शुरू किया था, फिर शादी की और साल 2015 में तलाक ले लिया था.

दरअसल, यह जानकारी सार्वजनिक रूप से मुहैया है और इन लोगों ने अपने रिश्तों के बारे में खुल कर बात की है.

मेरी एक बेवकूफी की वजह से मैंने अपने बौयफ्रेंड को खो दिया, मैं क्या करूं?

सवाल
मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझ से प्यार करता था पर मेरी एक बेवकूफी की वजह से उस ने मुझ से दूरी बना ली. अब न तो वह मेरा फोन उठाता है और न ही मुझ से मिलता है. दरअसल कुछ  समय पहले मेरे फोन पर एक अनजान नंबर से कौल आई. मैं ने फोन नहीं उठाया तो मैसेज आने लगे. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कौन मेरा नंबर और मेरा नाम भी जानता है. कई दिनों तक मैं ने कोई जवाब नहीं दिया. वह बहुत ही अच्छे मैसेज भेजता रहा. कुछ समय बाद मैं ने जवाब देना शुरू कर दिया. बाद में मुझे पता चला कि वह मेरे बौयफ्रैंड का कोई दोस्त था. उस ने मेरे सारे मैसेज उसे दिखा दिए. तब से ही उस ने मुझे से दूरी बना ली. अब तो वह मेरा फोन भी नहीं उठाता. मैं ने उसे माफी भी मांग ली पर वह मानता ही नहीं. मुझे समझ में नहीं आ रहा कि अब मैं क्या करूं?

जवाब
आजकल किसी का भी नाम और फोन नंबर पता करना मुश्किल नहीं है. आप को अनजान नंबर पर जवाब नहीं देना चाहिए था. आप ने नासमझी में जो किया वह आप के बौयफ्रैंड को नागवार गुजरा. उस की जगह कोई भी होता तो यही करता.

आप अपने बौयफ्रैंड का विश्वास तोड़ चुकी हैं और जब एक बार किसी रिश्ते में गांठ पड़ जाए तो उस रिश्ते का दोबारा पटरी पर आना मुश्किल हो जाता है. बेहतर होगा कि आप उसे भूल जाएं और जिंदगी में आगे बढ़ें.

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इन वजहों से देते हैं आप एक-दूसरे को धोखा?

अमेरिकी लेखिका पेगी वौगैन अपनी किताब दि मोनोगैमी मिथ में अनुमान लगाती हैं कि तकरीबन 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन के दौरान कभी-न-कभी अपने साथी को धोखा देते हैं. और अक्सर इसका कारण सेक्स नहीं होता.

बेवफाई रिश्तों में कुछ समय से चली आ रही समस्या का लक्षण है; ऐसे प्रेम-संबंधों की शुरुआत बेवजह या फिर इसलिए नहीं होती कोई व्यक्ति ‘बुरा इंसान’ है. लोग रिश्ते में किसी कमी के चलते बेवफाई करते हैं – स्नेह की कमी, ध्यान की कमी, सेक्स या आदर की कमी या फिर भावनात्मक जुड़ाव की कमी. अत: यदि अब आप कभी किसी को बेवफाई करते पाएं तो ये न सोचें कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हम वे कारण बता रहे हैं.

वे सुरक्षित नहीं महसूस करते: यदि आप लगातार किसी बात को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं तो समझिए कि आपका रिश्ता टूटने की कगार पर है. वफादारी के पनपने के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी के बीच प्यार और भरोसे का सतत प्रवाह बना रहे. ‘‘वैवाहिक रिश्तों में इन भावनाओं का होना अनमोल है और बहुत जरूरी भी. इससे सुनिश्चित होता है कि पति-पत्नी खुश और संतुष्ट हैं,’’ यह कहना है कोलकाता के साइकियाट्रिस्ट व रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ सिलादित्य रे का.

उनके पास बातचीत के लिए कुछ नहीं है: जब मेरे पति की और मेरी मुलाक़ात हुई थी, तब हम दोनों हौस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में काम करते थे,’’ यह बताते हुए रिलेशनशिप एग्जेक्यूटिव प्रिया नायर, 29, कहती हैं,‘‘कुछ समय बाद मैंने वह इंडस्ट्री छोड़ दी और जनसंपर्क के क्षेत्र में आ गई. सालभर बाद तो हमारे पास एक-दूसरे से जुड़ने और बातचीत के लिए कोई साझा मुद्दा ही नहीं बचा था. थोड़े समय बाद हम दोनों को कुछ ऐसी गतिविधियों की जरूरत महसूस होने लगी, जिनका आनंद हम साथ-साथ उठा सकें. फिर हमने दौड़ने की अपनी रुचि पर ध्यान देना शुरू किया. हम एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते, साथ-साथ मैराथन की तैयारी करते और इस बारे में चर्चा करते. इससे हमारी सेहत में भी सुधार आया और परस्पर रिश्ते में भी.’’

वे नाराज हैं, पर इसे छुपा रहे हैं: यदि आपके बीच लड़ाई के दौरान अक्सर वे आपको ‘इमोशनल’ और आप उन्हें ‘संवेदनहीन’ कहती हैं तो साफ है कि आप दोनों एक-दूसरे की बात नहीं सुन रहे हैं. ऐसी टिप्पणियों से बचें और आरोप लगाने के बजाय एक-दूसरे से अपने एहसासात बांटें.

डॉ रे सलाह देते हैं,‘‘यदि उनकी किसी बात से आप आहत हो रही हैं तो उन्हें बताएं, पर इसका तरीका सही रखें. नकारात्मक भावनात्मक आवेग को बाहर निकालने का सेहतमंद रास्ता ढूंढ़ें. ये आपके वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यक है.’’

उनके संकेतों को नजरअंदाज़ किया जा रहा है: हर रिश्ते की कुछ सीमाएं होती हैं, जिनका सम्मान करना आप दोनों के लिए ज़रूरी है. आपको शायद ये अच्छा नहीं लगता हो कि आपके पति अब भी अपनी पूर्व-प्रेमिका से बातचीत करते हैं, पर वे इस बारे में आपको अक्सर संकेत देते रहते हैं.

डॉ रे कहते हैं कि इस तरह की सांकेतिक सीमाओं को समझना चाहिए और इनका आदर भी करना चाहिए. यदि आप इन अनकहे नियमों को तोड़ते हैं तो आपका साथी अपनी वफादारी को संदेह की दृष्टि से देखना शुरू कर सकता है और बेवफाई की संभावना बढ़ जाती है.

अपने व्यवहार में खुलापन लाइए. यदि आपको कोई आकर्षक लगता है तो इस बारे में बात कीजिए, क्योंकि यदि आप छिपाएंगी तो आपके इरादों को नेक नहीं कहा जा सकता.

उन्हें सेक्स की जरूरत है: ‘‘यदि आपके सेक्शुअल संबंध सेहतमंद नहीं है तो जाहिर है, आपका साथी यह सुख कहीं और से पाने का प्रयास करेगा,’’ कहना है डा. रे का. अपने सेक्स जीवन पर ध्यान दीजिए और यदि ये आपके, आपके साथी के या फिर आप दोनों के लिए संतुष्टिदायक नहीं है तो इस समस्या का समाधान ढूंढि़ए. इस मामले में मूक दर्शक मत बनिए, बल्कि किसी काउंसलर की मदद लीजिए.

हमारा रिलेशनशिप कभी अच्छे से चला ही नहीं, मैं फिजिकली नहीं इमोशनली अटैच्ड होना चाहती हूं, क्या करूं?

सवाल…

मैं 21 साल की एक मिडिल क्लास फैमिली की लड़की हूं. मैं 3 साल से अपने बौयफ्रैंड के साथ रिलेशनशिप में हूं. पर हमारा रिलेशनशिप कभी अच्छे से चला ही नहीं. हम थोड़ा भी शारीरिक संबंध बनाते तो उस के 10 दिनों तक तो सब ठीक रहता है पर उस के बाद लड़ाइयां शुरू हो जातीं. वह कई दिन तक मेरे मैसेज का रिप्लाई तक नहीं करता, महीनों तक मिलता नहीं और जब भी मिलने की बात करता है तो सैक्स के लिए उतावला होता है. मैं फिजिकली नहीं, इमोशनली अटैच्ड होना चाहती हूं. मैं क्या करूं?

जवाब…

आप की बातों से साफ जाहिर है कि आप का बौयफ्रैंड आप के साथ केवल शारीरिक संबंध बनाना चाहता है. यह प्रेम नहीं है. प्रेम तो एक-दूसरे का ख्याल रखने, बातें करने और एक-दूसरे को समझने को कहते हैं. आप अपने बौयफ्रैंड से प्रेम करती हैं लेकिन वह आप को डिजर्व नहीं करता. वह केवल आप की खूबसूरती और अपने आनंद के लिए आप के साथ है. इस रिश्ते को जल्द से जल्द खत्म कर देना ही सही है.

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मैं अपने दोस्त की बहन को चाहता हूं, मुझे क्या करना चाहिए…

सवाल…

मैं 12वीं में पढ़ती हूं. हमारे घर में ऊपर की मंजिल पर एक पति-पत्नी रहते हैं जो आए दिन झगड़ते रहते हैं. उन के चीखने-चिल्लाने की आवाजें इतनी तेज होती हैं कि मैं पढ़ना तो दूर सहम जाती हूं. माता-पिता से बात करती हूं तो वे किराए की दुहाई दे कर मुझे चुप रहने के लिए कहते हैं. इस से  मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता है. मैं क्या करूं?

जवाब…

आप अपने माता-पिता को समझाएं कि किराए से ज्यादा अहम आप की पढ़ाई व कैरियर है. अगर आप लोग किराएदार हैं तो मकान बदल लें और खुद मकान मालिक?हैं तो दूसरा किराएदार रख लें. अगर कलह के चलते आप का रिजल्ट बिगड़ा तो उस की जिम्मेदारी  लेने कोई आगे नहीं आएगा. वैसे भी कलह के दूसरे भी नुकसान होते हैं, इसलिए झगड़ालू पड़ोसियों से दूर चले जाना ही बेहतर है?.

Winter Romance Special: जोशीला इश्क हर उम्र में

होली की शुरुआत कहां से हुई थी, इस सवाल के जवाब में ज्यादातर लोग यही कहेंगे कि मथुरावृंदावन या फिर बरसाना से हुई होगी, लेकिन कम ही लोग उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का नाम लेंगे.

धार्मिक किस्सेकहानियों के मुताबिक, होली मनाने की शुरुआत हरदोई से हुई थी, जिस का राजा हिरण्यकश्यप था, जो भगवान विष्णु से बैर रखता था. इसी बिना पर कहा और माना जाता है कि हरदोई का पुराना नाम हरिद्रोही था.

हिरण्यकश्यप का बेटा भक्त प्रहलाद था, जिस की होली की कहानी हर कोई जानता है. यहां का प्रहलाद कुंड होली की कहानी के लिए ही मशहूर है.

मौजूदा समय में हरदोई की गिनती यहां 400 से भी ज्यादा चावल मिलें होने के बाद भी न केवल उत्तर प्रदेश में, बल्कि देशभर के पिछड़े जिलों में शुमार होती है. यहां आबादी का एक बड़ा हिस्सा दलितपिछड़े तबकों का है, जिन में से एक जाति राठौर भी है, जो अपनेआप को राजपूत मानती है. यह और बात है कि राठौरों के पास बहुत ज्यादा जमीनजायदाद नहीं है, वे कामचलाऊ पैसे वाले हैं.

दिल का मामला

प्रहलाद की कहानी की तरह तो नहीं रहेगी, लेकिन हरदोई के लोग इस प्रेमकहानी को मुद्दत तक नहीं भुला पाएंगे, जो दिलचस्प होने के साथसाथ थोड़ी चिंतनीय भी है. यह बढ़ती उम्र के जोशीले इश्क की ताजातरीन दास्तान है.

हरदोई के लखीमपुर खीरी का एक छोटा सा गांव है सुहौना, जहां 50 साला रामनिवास राठौर रहता था. पेशे से ड्राइवर रामनिवास की जिंदगी का एक बड़ा मकसद जवान होती एकलौती बेटी चांदनी के हाथ पीले कर देना था, जिसे उस ने मां बन कर भी पाला था. अब से तकरीबन 15 साल पहले रामनिवास की बीवी की मौत हो गई थी, तब से उस की जिंदगी में एक खालीपन आ गया था.

मासूम चांदनी का मुंह देखदेख कर जी रहे इस शख्स ने दूसरी शादी नहीं की थी, क्योंकि सौतेली मां के जुल्मोसितम के कई किस्से उस ने सुन रखे थे.

रामनिवास ने लंबा वक्त बिना औरत के गुजार दिया, तो सिर्फ बेटी की खातिर जो अपनेआप में बड़ी बात है, नहीं तो आलम तो यह है कि इधर पहली बीवी की चिता की आग ठंडी नहीं होती और उधर मर्द ?ाट से बैंड, बाजा और बरात के साथ दूसरी बीवी ले आता है.

इस काम में समाज और नातेरिश्तेदार न केवल उस की मदद करते हैं, बल्कि औरत के होने के फायदे और जरूरत भी गिनाते हुए एक तरह से उकसाते रहते हैं. लेकिन रामनिवास ने किसी की सलाह पर कान नहीं दिए और अकेला ही चांदनी की परवरिश करता रहा.

बेटी के बालिग होते ही घरवर की तलाश शुरू हो गई, जो इसी साल मई महीने में खत्म भी हो गई. मुबारकपुर गांव के आशाराम राठौर का बेटा शिवम रामनिवास को चांदनी के लिए ठीक लगा. बातचीत शुरू हुई और रिश्ता तय भी हो गया.

आशाराम राठौर राजमिस्त्री था, जिस की आमदनी भी ठीकठाक थी और लड़के पर कोई खास घरेलू जिम्मेदारी भी नहीं थी, सो रामनिवास को लगा कि चांदनी इस घर में रानी की तरह रहेगी. बात पक्की हुई और 29 मई, 2023 को दोनों की शादी भी हो गई.

रिश्ते और लेनदेन समेत शादी से ताल्लुक रखती कई बातों को निभाने के लिए रामनिवास को बारबार मुबारकपुर जाना पड़ता था, जहां समधी आशाराम कम और समधिन आशारानी ज्यादा मिलती थी, क्योंकि आशाराम को अपने काम के सिलसिले में अकसर बाहर रहना पड़ता था.

शादी के बाद भी रामनिवास राठौर का आनाजाना बेटी की ससुराल लगा रहा, तो लोगों ने यही सोचा कि बेटी के बिना अकेले बाप का दिल नहीं लगता होगा. आखिर मां का प्यार भी तो उसी ने दिया है, इसलिए चला आता होगा बेटी को देखने, लेकिन हकीकत कुछ और ही थी.

रामनिवास का दिल अपनी 45 साला समधिन आशारानी पर ही आ गया था जो देखने में काफी शोख और स्मार्ट थी और बनठन कर रहती थी. सालों से औरत और उस के प्यार समेत जिस्म को भी तरस रहे रामनिवास का दिल अपने

काबू में नहीं रहा और दीनदुनिया, नातेरिश्तेदारी और ऊंचनीच सब भूलभाल कर एक दिन वह आशारानी से अपने प्यार का इजहार कर बैठा.

आग तो इधर भी लगी थी

प्यार का इजहार तो खानापूरी भर थी, क्योंकि आशारानी की हालत भी रामनिवास की हालत से कम जुदा नहीं थी. वह खुद भी अपने समधी को दिल दे बैठी थी. दोनों घंटों बैठ कर न जाने क्याक्या बतियाते रहते थे. अपने दिल का हाल कमउम्र प्रेमियों की तरह सुनाते और सुनते रहते थे. इस से उन के इश्क में और जोश भरता जा रहा था.

इसी जोश में कब वे मन के साथसाथ तन से भी एक हो गए, इस का उन्हें भी पता नहीं चला. लेकिन यह एहसास दोनों को हो गया था कि अब वे एकदूजे के बगैर नहीं रह सकते.

रामनिवास राठौर का तो समझ आता है कि उस का हाल बेहाल इसलिए था कि पत्नी की मौत के बाद कोई औरत उस की न केवल जिंदगी में, बल्कि दिल तक भी शिद्दत से आई थी, लेकिन आशारानी के बारे में इतना ही सोचा और कहा जा सकता है कि पति की अनदेखी ने उसे तनहा सा कर दिया था.

रामनिवास के जिंदगी में आते ही उस के अंदर की जवान लड़की फिर जिंदा हो गई थी और प्यार में भी पड़ गई थी. जब वे दोनों हर लिहाज से एक हो गए, तो आगे की प्लानिंग भी बनाने लगे, जिस में रोड़े ही रोड़े थे.

नातेरिश्ते, समाज, बेटा, बहू, पति, बेटी, दामाद इन सब की अनदेखी कर प्यार की मंजिल शादी तक पहुंच जाना दोनों के लिए आसान नहीं था. हां, इतना जरूर उन्हें सम?ा आ गया था कि प्यार के आगे सबकुछ बेकार है और यों चोरीछिपे से मिलना ज्यादा नहीं चलना, क्योंकि उन की बढ़ती नजदीकियां, मेलमुलाकातें और खिलते चेहरे लोगों को चुभने लगे थे, उंगलियां भी उठने लगी थीं.

ये उठती उंगलियां तो वे मरोड़ नहीं सकते थे. लिहाजा, दोनों ने इन की पहुंच से बहुत दूर जाने का फैसला यह सोचते हुए ले लिया कि अब हम अपनी नई जिंदगी शुरू करेंगे. जिसे जो सोचना हो  सोचे और जिसे जो करना हो करे.

यही फैसला वे कमउम्र जोशीले प्रेमी भी करते हैं, जिन का प्यार घर, परिवार, समाज और दुनिया को रास नहीं आता, पर इस मामले में बात इस माने में अलग थी कि सवाल दोनों की औलादों का भी था, जिस का जवाब इन्होंने यही निकाला कि कहां दुनियाभर की औलादें इश्क में पड़ने के बाद मांबाप की इज्जत का खयाल करती हैं या दुनियाजमाने का लिहाज करती हैं, तो हम क्यों करें.

23 सितंबर, 2023 इस तारीख को दोनों चोरीछिपे, लेकिन पूरा प्लान बना कर बस से दिल्ली भाग गए और वहां रहने लगे. रामनिवास अपनी जमापूंजी साथ लाया था, तो आशारानी भी जेवर साथ ले गई थी. ठीक वैसे ही जैसे हिंदी फिल्मों में दिखाया जाता है कि लड़की आशिक के साथ घर से भागने से पहले जेवर और कपड़ेलत्ते भी समेट ले जाती है.

दोनों साथ भागे हैं, यह अंदाजा किसी को नहीं था, लेकिन इन के बीच प्यार का चक्कर चल रहा है यह बात कइयों को मालूम थी. जबतब दोनों गांवों में चटकारे ले कर इस लवस्टोरी की चर्चा भी होती रहती थी.

आशाराम ने अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई, लेकिन बाद में उसे मालूम हुआ कि 23 सितंबर से ही समधी रामनिवास भी गायब हैं, तो इस जोशीले इश्क का राज खुला, जिसे दबाए रखने के अलावा किसी के पास कोई और रास्ता नहीं था.

हालांकि रामनिवास के भी 23 सितंबर से गायब होने की खबर आशाराम ने पुलिस को दे दी थी और पुलिस दोनों को ढूंढ़ने में जुट गई थी.

22 अक्तूबर, 2023 इस दिन पुलिस को खबर मिली कि शाहजहांपुरसीतापुर रेलवे ट्रैक पर 2 लाशें पड़ी हैं. जांच में दोनों के नाम और पहचान मोबाइल फोन और आधारकार्ड के जरीए उजागर हुए, तो इस इश्क की दास्तान भी खुल कर सामने आ गई. यह मान लिया गया कि ये दोनों बदनामी से डर गए थे, इसलिए इन्होंने रेल से कट कर खुदकुशी कर ली. बात एक हद तक सच भी थी, लेकिन पूरा सच शायद ही कभी लोगों को समझ आए.

रामनिवास और आशारानी

17 अक्तूबर, 2023 को दिल्ली से वापस आ गए थे. इस के बाद 4 दिन क्याक्या हुआ, इस का अंदाजा यही लगाया गया कि परिवार और समाज ने इन के इश्क पर रजामंदी की मुहर नहीं लगाई, जिस से इन का जोश हवा हो गया और कोई रास्ता न देख दोनों ने साथ मरने की खाई कसम निभा ली.

दोनों चाहते तो साथ जीने का वादा भी निभा सकते थे, लेकिन इस के लिए हिम्मत उन के पास नहीं बची थी, क्योंकि ये समाज के नियम बदल कर जीना चाहते थे. हालांकि दिल्ली में दोनों ने शानदार एक महीना साथ गुजारा और खूब और जानदार प्यार एकदूसरे को किया, पर जब पैसे खत्म होने लगे और सब्र टूटने लगा, तो वापसी ही इन्हें बेहतर रास्ता लगा.

समाज एक बार फिर जीत गया और प्यार हार गया, यह कहते हुए इस कहानी का खात्मा करना अधूरी बात होगी, जिस में प्यार नाम के जज्बे का बारीकी से जिक्र नहीं होगा.

जज्बा भी और जोश भी

आमतौर पर माना यह जाता है कि जोशीला इश्क कमउम्र के कुंआरे लड़कालड़की ही करते हैं, लेकिन रामनिवास और आशारानी जैसे प्रेमी इस सोच को तोड़ देते हैं, जिन से समाज और धर्म के बनाए नियमों और कायदेकानूनों पर अमल करने की उम्मीद जिम्मेदारी की हद तक की जाती है.

‘न उम्र की सीमा हो, न जन्म का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन…’ गाने की तर्ज पर इन का बेपरवाह इश्क भी अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता है, लेकिन बीच में दुनिया और उस के उसूल आ जाते हैं तो ये भी नौजवान प्रेमियों की तरह एकसाथ फांसी के

फंदे पर ल जाते हैं, ट्रेन की पटरियों के नीचे बिछ जाते हैं या फिर जहर खा कर एकदूसरे की बांहों में दम तोड़ देते हैं. यह इश्क भी जोश से लबरेज होता है, जिस के लिए तन से तन का मिलन  ही सबकुछ नहीं होता. ये भी एकदूसरे के मन में हमेशा के लिए समा जाना चाहते हैं. प्यार की नई इबारत लिखते ये प्रेमी खुद फना हो जाते हैं और एक मिसाल छोड़ जाते हैं कि कब प्यार के बारे में लोग दरियादिली दिखाते हुए उसे मंजूरी देंगे और जब जवाब हमेशा की तरह न में मिलता है, तो हताश और निराश नाकाम प्रेमी दुनिया ही छोड़ने का रिवाज निभा जाते हैं. शायद ही नहीं, बल्कि तय है कि इन के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता.

हरदोई के नाम के मुताबिक रामनिवास और आशारानी ने द्रोह तो किया था, लेकिन हरि से नहीं, बल्कि हर उस दस्तूर के खिलाफ किया था, जो इन के रास्ते में ब्रेकर बन कर खड़ा था. इन के जज्बे और जोश को कोई सलाम करे न करे, लेकिन नजरअंदाज करने की हालत में भी नहीं कहा जा सकता.

Winter Romance Special: कंडोम है तो प्यार है

तकरीबन हर किसी के साथ कभी न कभी यह जरूर हुआ होगा कि अगर कोई गाना हम सुबह गुनगुनाने लगते हैं, तो फिर सारा दिन बेवजह उसे कहीं भी, कभी भी गाने लग जाते हैं. फिर वह गाना दर्द भरा हो या रोमांटिक. हंसीमजाक से लबरेज हो या फूहड़ ही सही.

एक दिन यही 23 साल की नई ब्याहता बिंदिया के साथ हुआ. दिसंबर महीने में दिल्ली के संजय कुमार के साथ उस की शादी हुई थी. हनीमून पीरियड की खुमारी चल रही थी. सुबहसुबह रेडियो पर हिंदी फिल्म ‘राजा बाबू’ का गाना ‘सरकाई लो खटिया जाड़ा लगे, जाड़े में बलमा प्यारा लगे…’ सुन लिया.

बस, फिर क्या था. बिंदिया पूरे घर में यही गाना गुनगुनाती फिरती रही. बीच में सासससुर का ध्यान आ जाता, तो शरमा कर आवाज थोड़ी मंदी कर लेती, पर रात तक उस की जबान पर यही गाना चढ़ा रहा.

रात को बिंदिया के बलमा संजय कुमार घर आए, तो बिंदिया के गाने को ‘न्योता’ सम?ा कर ठिठुरती रात में उलटे पैर कैमिस्ट की दुकान पर जा पहुंचे और खुशबूदार कंडोम का एक बड़ा पैकेट खरीद लिया. फिर रातभर बलमा ने अपनी बिंदिया को साबित कर दिया कि जाड़े में बलमा क्यों प्यारा लगता है. खुशबूदार कंडोम ने उन दोनों की वह रात महका दी थी.

बिंदिया और संजय तो शादीशुदा हैं, पर अब तो शादी से पहले भी प्रेमीप्रेमिका में सैक्स होना कोई बड़ी बात नहीं है. लिवइन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े तो धड़ल्ले से जिस्मानी रिश्ता बनाते हैं, पर अनचाहे पेट से बचने के लिए वे कंडोम का इस्तेमाल बिंदास हो कर करते हैं. चूंकि सर्दियों में बिस्तर की रजाई में प्यार की गरमाहट ज्यादा महसूस होती है, तो कंडोम की खपत भी बढ़ जाती है.

दुनियाभर में प्यार करने वाले कंडोम का इस्तेमाल करने से झिझकते नहीं हैं. जरमन औनलाइन प्लेटफार्म स्टेटिस्टा के एक सर्वे के मुताबिक, साल 2021 में कंडोम के इस्तेमाल में ब्राजील सब से आगे था, जिस के लिए कहा जाता था कि वहां 65 फीसदी लोग कंडोम का इस्तेमाल कर रहे थे. इस के बाद दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों का नाम शामिल था.

वैसे, चीन में सब से ज्यादा कंडोम बिकते हैं. यूरोमौनिटर के मुताबिक, साल 2020 में चीन में तकरीबन 2.3 बिलियन यूनिट कंडोम बेचे गए थे. अमेरिका की एक मार्केटिंग रिसर्च कंपनी एसी नीलसन के मुताबिक, भारत में कंडोम का बाजार साल 2020 में तकरीबन 180 मिलियन डौलर का था. ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत में कंडोम की बिक्री में भी इजाफा हुआ है.

भारत में कंडोम की बिक्री बढ़ने की एक वजह और भी है कि अब कैमिस्ट पर खुशबूदार, डौटेड, पतलेमोटे यानी तरहतरह के कंडोम बिकते दिख जाते हैं. इन में से खुशबूदार और डौटेड कंडोम का बाजार ज्यादा गरम रहता है और सर्दियों में प्यार करने वाले जोड़े ‘रबड़ के इस साथी’ पर पूरा भरोसा जताते हैं.

वैसे तो भारत में सरकारी अस्पतालों या डिस्पैंसरी वगैरह में साधारण कंडोम मुफ्त में भी मिल जाता है, पर ब्रांडेड कंडोम के छोटे पैकेट 10 रुपए से लेकर 50-60 रुपए तक में मिल जाते हैं. ब्रांड के हिसाब से कीमत कमज्यादा हो सकती है. पर कंडोम की कीमत पर मत जाइए, यह जो प्यार का लुत्फ बढ़ा देता है, उस बात को दिमाग में बिठा लीजिए. यह कई तरह की सैक्स बीमारियों जैसे एचआईवी, एड्स, सिफलिस, इंफैक्शन वगैरह से तो बचाता ही है, बच्चा न हो इस में भी प्यार के दौरान दीवार बन कर अड़ जाता है, बस थोड़ी सी सावधानी बरतनी पड़ती है.

इतना ही नहीं, कंडोम का फायदा या खासीयत है कि यह कई प्रकार के फ्लेवर और अलगअलग बनावट का होता है जैसे रिब्ड कंडोम. इस की बाहरी सतह पर उभरी हुई धारियां होती हैं, जो जोश को बढ़ाता है. ऐसे ही कई तरह के अलग तरह के कंडोम हैं, जिन की अपनीअपनी क्वालिटी है.

कंडोम की यह पतली रबड़ पार्टनर के बीच दिलचस्पी बढ़ाने का काम करती है. जैसे कंडोम पार्टनर को एकदूसरे के प्रति संतुष्ट करता है और उन खास यादगार को बनाने में मदद करता है.

कंडोम के बारे में हम आप के कान में एक बात बताना चाहते हैं कि इस को कैमिस्ट से खरीदने के लिए डाक्टर के परचे की जरूरत नहीं पड़ती है. दुकान पर जाइए, शान से कंडोम मांगिए, जेब में रखिए और सीधा अपने पार्टनर के पहलू में जा बैठिए.

और हां, आप के पार्टनर को कैसा कंडोम पसंद है, यह जरूर जान लीजिए. फिर बिस्तर पर प्यार का मजा उठाइए. अच्छा बलमा बनना है कि नहीं?

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