Editorial: हरियाणा पुलिस ने तोड़ीं किसानों की जमीन पर बनाई गई अवैध कालोनियां

Editorial: दिल्ली के पास फरीदाबाद में 21 एकड़ में बसी किसानों की जमीन पर काट कर बनाई गई सरकार की बिना इजाजत वाली कालोनियों को हरियाणा सरकार की पुलिस और दूसरे विभागों ने मार्च में धराशायी कर दिया. इन कालोनियों की जमीनें मजदूरों, गरीबों ने कौड़ीकौड़ी जमा कर खरीदी थीं और मेहनत के पैसे से मकान बनाए थे. खेती की जमीन पर रहने के मकान नहीं बन सकते इसलिए इन्हें तोड़ डाला गया.

यह पूरे देश में हो रहा है. गरीब लोग शहरों के आसपास के खेतों में जमीन खरीद कर बेहद छोटे मकान बना रहे हैं ताकि उन के सिर पर छत तो हो सके. इन कालोनियों में सीवर नहीं होता और पानी के लिए ये लोग ट्यूबवैल लगा लेते हैं. बिजली का कनैक्शन जरूर मिल जाता है कभी किसी आसपास की फैक्टरी से तो कभी किसी और ढंग से. शहर में नौकरी और 10-20 किलोमीटर दूर रहने को पक्की छत मिल जाए तो ये मजदूर अपने को बहुत सुखी मान लेते हैं.

ये लोग उन से अलग हैं जो सरकार की जमीन पर झोंपडि़यां बना लेते हैं और बरसों रह जाते हैं. इन कालोनियों की जमीन किसान ने मरजी के खरीदार या बिल्डर को बेची होती है जो छोटेछोटे प्लौट काट कर मजदूरों को बेचता है. इन में सड़क का इंतजाम होता है और कुछ होशियार बिल्डर पानीबिजली का भी जुगाड़ कर देते हैं.

सरकार को इन से परेशानी यही है कि जो पोथों के पोथों के कानून बनाए गए हैं उन्हें माना नहीं गया. सरकार की बीसियों तरह की इजाजत नहीं ली गई. अफसरोंनेताओं की जेबें नहीं भरी गईं, परमिटलाइसैंस नहीं लिए गए. इस से सरकारी अफसरों के पास हक हो जाता है कि वे जब चाहें बुलडोजर चला दें और जो थोड़ीबहुत संपत्ति इन लोगों ने बनाई है उसे नष्ट कर दें.

नियमकानूनों के नाम पर यह असल में तानाशाही है जो पूरे देश में पुलिस, प्रशासन, नेता, मंत्री के हाथों होती है. तानाशाही करने वालों की सोच होती है कि गरीब लोग अपनी एक छत कैसे बना सकते हैं? वे कैसे सुख से रह सकते हैं? उन्हें तो हमेशा इन के सामने पसरे रहना चाहिए, हमेशा दया की, जिंदा रहने की भीख मांगते रहना चाहिए.

हमारा धर्म भी यही सिखाता है कि इन लोगों को इस जन्म में नरक भोगना लिखा है क्योंकि इन्होंने पिछले जन्म में कोई पाप किए होंगे, दानपुण्य नहीं किया होगा, ऋषिमुनियों को तंग किया होगा, इसलिए इस जन्म में अगर इन्हें यमदूतों के हाथों नरक भोगना पड़े, तो यह तो भगवान का कानून है, शासन, नेता बेचारा क्या करेगा?

अफसोस यह है कि इन में से ही बहुत से लोग ढोलमंजीरे ले कर उस धर्म के गुणगान करते हैं जिस के इशारे पर इन के मकानों को मिट्टी में मिला दिया जाता है. मुंबई के धारावी में यही काम अब अडानी के साथ मिल कर महाराष्ट्र की भारतीय जनता पार्टी कर रही है. जो लोग सरकार की पार्टी में होते हैं वे भी अफसरों के सामने कुछ नहीं कर पाते क्योंकि नेता बनते ही इलाके का चौधरी समझ जाता है कि जिस जमीन पर मकान बने हैं, वह सोना उगलेगी तो फिर उस पर गरीबों के मकान क्यों बने रहें.

ये मकान चाहे 1 साल पहले बने हों या 10-15 साल पहले, तोड़े जाते समय सभी ढह जाते हैं और इन के साथ लाखों सपने भी ढह जाते हैं.

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पेट की भूख, पक्की छत और बीमारी के बाद जो बात एक आम गरीब को तंग करती है वह पुलिस और अदालत है. पुलिस और अदालत की धौंसबाजी घरों को बुरी तरह तबाह करती है और इन की बिजली कब किस के सिर पर गिर जाए यह कहा नहीं जा सकता. कसबों की अदालतों में छप्परों के नीचे बैठे वकीलों और उन से घिरे मुरझाए चेहरे वाले गरीब गांवकसबाई लोगों को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि असली सरकार तो अदालत में बैठती है, सरकार के 5-5 मंजिलों के एयरकंडीशंड दफ्तरों में नहीं.

राज्य के मंत्री हों या केंद्र सरकार के, वे ज्यादा कुछ आम आदमी का न बिगाड़ सकते, न बना सकते. उन के बनाए हर कानून को पुलिस, इंस्पैक्टर और अदालतें जब लागू करती हैं तो अमीर तो क्या गरीब भी फंदों में फंसते चले जाते हैं और पूरी जिंदगी इन काले कोट पहने जजों के हाथों में गुजर जाती है जो बेहद बेदर्दी से अदालत में पहुंचे लोगों को न्याय दिलाते हैं. यह न्याय कभी 5 साल में मिलता है, कभी 10 साल में, तो कभी 15-20 साल में. हर फैसले पर एक खुश होता है दूसरा खून के घूंट पी कर रह जाता है.

काले कोट वाले जज के यहां जब नोटों से भरे बोरे मिले जो अचानक आग लगने पर आग बुझाने वालों को मिले तो पक्का हो जाता है कि ऊपर से नीचे तक न्याय दिलाने वाले इंसाफ के नाम पर ही कर रहे हैं वह कितना गलत हो सकता है.

अदालतों में देर तो एक बात है पर जब लगने लगे कि पैसे ले कर इंसाफ बिक रहा है तो गरीब, कमजोर टूट जाता है. जब पुलिस या इंस्पैक्टर किसी गरीब को अदालत में घसीट लाए तो आम आदमी को मालूम रहता है कि सुनवाई तो उस की होगी जिस के हाथ में पैसा है, ताकत है.

आम जजों के फैसले सरकारी वकीलों की मांग पर ही होते हैं क्योंकि गरीब के पास इतने पैसे कहां कि वह अच्छा पढ़ालिखा और समझदार वकील कर सके. दूसरी तरफ पुलिस और कानूनों को लागू करने वाली सरकार के पास वकीलों की भरमार होती है. अच्छे वकील सरकारी मामला हाथ में लेना चाहते हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद रहती है कि जब सुप्रीम कोर्ट के जज को भी कमीशन का अध्यक्ष, राज्यसभा की मैंबरशिप, कहीं की उपराज्यपाल की गद्दी या मोटा पैसा मिल सकता है तो वे क्यों गरीब का मामला हाथ में ले कर अपनी पूरी जिंदगी स्वाहा करें.

आज सरकार तो किसी की भी सुनती नहीं है. वोट लेने के समय नेता घरघर जाते हैं पर सिनेमा के सितारों की तरह सिर्फ शक्ल दिखाने के लिए, यह भरोसा दिलाने के लिए नहीं कि उन की सत्ता आने पर उन के दरबार में आम आदमी की सुनवाई होगी. यह तो सिर्फ अदालतों में होता है जहां आम आदमी अपनी बात को कह तो सकता है, पर अब अदालतें निशाने पर हैं. यह आम आदमी के लिए खतरा है कि चाहे सुनवाई के दरबार में घुसने के लिए खर्च करना होता हो कम से कम मौका तो है, वह भी फिसल रहा है. सरकार, नेता, अफसर, कांस्टेबल, इंस्पैक्टर, पटवारी सब जनता को गुलाम बनाए रखना चाहते हैं और जो छोटी सी मोरी के साइज की खिड़की खुली थी वह भी अब छिपाई जा रही है. हम उस पौराणिक युग में जा रहे हैं जब दस्युओं से अमृत का घड़ा छीन लिया था, शंबूक का सिर काट दिया था, एकलव्य से अंगूठा ले लिया था. तब भी कोई सुनवाई नहीं थी, आज भी बंद की जा रही है.

हरियाणा में खोखले महिला सुरक्षा के दावे

सोमवार, 26 अक्तूबर को राजधानी नई दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा के बल्लभगढ़ (फरीदाबाद) इलाके से एक दिल दहला देने वाली हत्या की वारदात सामने आई है. अग्रवाल कालेज से बीकौम फाइनल ईयर की 21 साल की छात्रा निकिता तोमर को 2 नौजवानों तौसीफ और रेहान ने दिनदहाड़े पिस्तौल से शूट कर के जान से मार डाला.

यह कालेज बल्लभगढ़ के नाहर सिंह मैट्रो स्टेशन से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है. यह वारदात तब हुई जब निकिता अपना बीकौम फाइनल ईयर का एग्जाम दे कर घर लौट रही थी. आरोपियों ने उसे कालेज के बाहर ही घेर लिया. कुछ देर चली जोरजबरदस्ती और किडनैप करने की नाकाम कोशिश के बाद आरोपी ने देशी तमंचे से 2 फुट की दूरी से निकिता के माथे पर गोली मार दी.

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गोली लगने के तुरंत बाद घायल निकिता को बल्लभगढ़ के ‘मानवता अस्पताल’ में ले जाया गया जहां डाक्टरों ने उसे मरा हुआ बता दिया.

इस घटना के बाद सिर्फ बल्लभगढ़ में ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य में सन्नाटा पसर चुका है और यह मामला एक बार फिर पूरे देश में लचर होती महिला सिक्योरिटी पर सवालिया निशान लगा गया है.

आरोपी और पीड़िता की जानपहचान

हत्या का मुख्य आरोपी तौसीफ खानपुर इलाके से संबंध रखता है. यह इलाका मेवात जिले की नूह तहसील में पड़ता है. मेवात जिला भारत के कुल 739 जिलों में से सब से ज्यादा पिछड़े जिलों में आता है. यहां की बहुसंख्यक आबादी अल्संख्यक समुदाय से है व यहां के वर्तमान विधायक आफताब अहमद हैं जो खुद आरोपी के खास रिश्ते में लगते हैं. कहा जाता है कि आरोपी परिवार के लोगों का राजनीतिक और सामाजिक तौर पर खासा दबदबा है. वहीं, इस हत्याकांड में मारी गई निकिता तोमर का घर ‘अपना घर सोसाइटी’ में था. यह सोसाइटी बल्लभगढ़ के सैक्टर 52 के पास सोहना रोड़ बनी है. इस इलाके के भीतर कई निजी अपार्टमैंट्स हैं, जो पूरी तरह से लोगों के रहने के लिए बनाए गए हैं.

इस वारदात के सामने आने के बाद कुछ लोगों से बात कर के पता चला कि आरोपी और पीड़िता एकदूसरे को पहले से जानते थे. दोनों ने एक ही स्कूल में पढ़ाई की थी. तौसीफ स्कूल समय से ही कथिततौर पर पीड़िता को परेशान करता रहा था. निकिता और आरोपी तौसीफ दोनों की स्कूली पढ़ाई बल्लभगढ़ में सोहना रोड पर बने एक प्राइवेट ‘रावल स्कूल’ से हुई थी. स्कूल के समय में साल 2018 में एक दफा तौसीफ पर निकिता के अपहरण और परेशान करने का मामला भी दर्ज हुआ था, जिसे बाद में दोनों पक्षों की आपसी रजामंदी के बाद मामला पंचायत में ही निबटा दिया गया. हालांकि इस मामले को ले कर पीड़ित पक्ष का कहना है कि उस दौरान आरोपी के राजनीतिक रसूख और इलाकाई दबदबे के दबाव में उन्हें यह फैसला लेना पड़ा.

गिरफ्त में आरोपी

यह पूरी वारदात सीसीटीवी में कैद हुई है, जो काफी तेजी से वायरल भी हो रही है. वीडियो के बाहर आने के बाद स्थानीय जनाक्रोश भड़कता दिखाई दे रहा है. इसी का नतीजा यह रहा कि मंगलवार, 27 अक्तूबर को पीड़ित परिजन और स्थानीय लोगों ने सैकड़ों की तादाद में जमा हो कर मथुरा नैशनल हाईवे पर फ्लाईओवर के नजदीक चक्का जाम किया. उसी दिन देर शाम अधिकारियों द्वारा मिले आश्वासन के बाद ही लोग वहां से हटे और हाईवे का रास्ता खोला गया. निकिता के पार्थिव शरीर का देर शाम बल्लभगढ़ के सैक्टर 55 के श्मशान घाट पर किया गया.

वारदात के बाद ही उसी दिन देर रात तक पुलिस द्वारा मुख्य आरोपी 21 साला तौसीफ को गिरफ्तार कर लिया गया था. उस के सहयोगी आरोपी रेहान को 24 घंटों के भीतर गिरफ्तार किया गया. इन हुई गिरफ्तारियों को पुलिस और राज्य सरकार अपनी मुस्तैदी से जोड़ कर बता रही हैं.

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पुलिस द्वारा बताई जानकारी के मुताबिक आरोपी तौसीफ गुरुग्राम के सोहना रोड का रहने वाला है, जबकि रेहान हरियाणा के नूह जिले का रहने वाला है. गिरफ्तारी के बाद तौसीफ ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है, जिस के बाद आगे की जांच जारी रखी गई है. हालांकि राज्य सरकार द्वारा यह मामला एसआईटी को सौंपा जा चुका है और इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में भी भेजा जा चुका है, जिस के चलते दोनों आरोपियों को फिलहाल हाईकोर्ट ने 2 दिन की पुलिस रिमांड पर रखने को कहा है.

इलाके में दहशत व गुस्सा

इस वारदात के बाद से इलाके में दहशत और गुस्से दोनों तरह का माहौल बना हुआ है. मैट्रो स्टेशन से बाहर निकलते ही लोगों के बीच दबी जबान में इस मामले को ले कर बातें होने लगीं. उसी कालेज से बीएससी सैकंड ईयर की पढ़ाई कर रहे हिमांशु बताते हैं, ‘अग्रवाल कॉलेज की 2 ब्रांच हैं. यह वारदात कालेज के मेन गेट से थोड़ी सी दूरी पर हुई थी. मुझे इस वारदात के बारे में रात को तब पता चला, जब मेरे फोन पर यह वायरल वीडियो आया था. मैं पूरी तरह घबरा गया था, क्योंकि यह मेरे कालेज का मामला था. अब उस एरिया के आसपास जाने में अजीब सी कसमसाहट होने लगी है. मेरे मातापिता को जब इस बारे में पता चला तो वे भी घबरा गए. दिनदहाड़े इस तरह की वारदात होना किसी भी छात्र के लिए डरने वाली बात है.’

हिमांशु के साथ आई उन की दोस्त अनु (बदला नाम) का कहना है, ‘इस तरह की वारदात अगर घटेगी तो कोई लड़की कैसे पढ़ पाएगी. वैसे ही लड़कियां बहुत कम बाहर निकल कर पढ़ाई या काम कर पाती हैं, ऊपर से अगर इस तरह की वारदातें सामने आती हैं तो हम तो उन परिवारों में से हैं जहां मांबाप सीधे पढ़ाई छुड़वा देते हैं.’

जहां एक तरफ इस वारदात से दहशत का माहौल पनपा है, वहीं दूसरी तरफ लोगों में इसे ले कर गुस्सा भी देखने को मिला. काफी तादाद में लोगों ने बल्लभगढ़ नैशनल हाईवे को पूरे दिन जाम कर के रखा था. कांग्रेस व भाजपा के कई स्थानीय नेता इस में शामिल हुए थे. मौजूदा हरियाणा के कैबिनेट मंत्री मूल चंद शर्मा भी थे, पर उन्हें भी नाराज प्रदर्शनकारियों ने वहां से जाने को कह दिया. इन्हीं के बीच पीड़ित परिजन दोषियों को तुरंत फांसी दिए जाने या एनकाउंटर की बात कर रहे थे.

लव जिहाद का आरोप

धरने पर बैठी निकिता की मां से जब पूछा गया कि उन की सरकार से क्या मांग हैं, तो उन का साफ कहना है, ‘जो मेरी बेटी के साथ हुआ है उन का (आरोपियों) भी पुलिस वाले एनकाउंटर करें मेरे सामने. मैं बेटी को अग्नि तब दूंगी जब उस का एनकाउंटर हो जाएगा.’

निकिता के भाई ने कहा, ‘2018 में पहले भी आरोपी तौसीफ के खिलाफ हम ने शिकायत दर्ज करवाई थी. उस समय मामला निकिता के अपहरण का था. पुलिस ने उस समय आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. लेकिन उस के बाद हमारा (दोनों पक्षों का) बैठ कर पंचायत में समझौता हो गया था. हम ने केस वापस ले लिया था.’

2 अगस्त, 2018 को पीड़ित परिजन (पिता) द्वारा आरोपी के खिलाफ पुलिस में पहले भी शिकायत दर्ज की गई थी, जिस में निकिता को आरोपी द्वारा लगातार परेशान किए जाने और लड़की के लापता होने की बात आई थी. कुछ ही समय में पुलिस ने लड़की को छुड़वा लिया था.

हालांकि अब निकिता की हत्या के बाद पीड़ित परिजन ने आरोपियों पर यह आरोप भी लगाया है कि निकिता की हत्या लव जिहाद और धर्मांतरण को नकारने के चलते की गई है.

निकिता के मामा अदल सिंह ने इस मामले पर हम से बात करते हुए कहा, ‘यह लव जिहाद है. वह लड़की से जबरदस्ती शादी कर रहा था, तो क्या इस का मतलब है, बताइए आप? इन का (मुसलिमों) यह है कि हिंदुओं की लड़की को खत्म करो, हिंदुओं की लड़कियों को भगाओ, फिर बाहर विदेशों में बेच देते हैं.’

जारी राजनीतिक उठापटक

मामले के चर्चा में आने के बाद दक्षिणपंथी संगठन इस मामले पर सक्रिय हो गए हैं. इसे ले कर वहां शामिल धार्मिक संगठन, देव सेना, के कथित राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजभूषण सैनी, जिन के कंधे पर सवा फुट की कृपाण टंगी थी, का कहना है, “यह कोई पहला मामला नहीं है इस देश में, बल्कि हर राज्य और है जिले में हिंदुओं को टारगेट किया जा रहा है. बेटी हिंदुओं की अपहरण करने वाले, लव जिहाद करने वाले सारे जिहादी हैं. पूरे देश में साजिश के तहत इन की लौबी काम कर रही है, जिस में हिंदुओं को अपहरण कर के ले जाने की कोशिश थी मेवात में’

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‘सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की, तुष्टिकरण की नीति हर कोई अपनाता है. वोट इन्हें हिंदुओं के चाहिए, लेकिन काम इन्हें मुसलमानों के करने हैं.’

इस मसले पर फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर ओपी सिंह ने अधिकारिक तौर पर जो बयान दिया, उस में उन्होंने कहा, ‘इस मामले को ले कर हम काफी संजीदा हैं. एक युवती के साथ घिनौना अपराध हुआ है, जिस कारण इसे क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया है. इस के ऊपर एक एसआईटी बनाया है और एक राज्यपद अधिकारी इस की जांच करेंगे, जिस में तमाम सुबूतों को जमा कर जिस में वीडियो फुटेज, चश्मदीद गवाह, डिजिटल व फोरैंसिक सुबूतों को जमा कर के केस बनाया जाएगा.’

फिलहाल इस मामले को ले कर आरोपी पक्ष की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक जो बात सामने आई है वह यह कि उस ने निकिता तोमर की हत्या बदला लेने के मकसद से की था, जिस में पुलिस जांच के दौरान आरोपी ने बताया कि उस ने बदला इसलिए लिया, क्योंकि 2018 की घटना के बाद वह अपनी पढ़ाई नहीं कर पाया था और निकिता किसी और से शादी करने जा रही थी.

आरोपियों के खिलाफ फिलहाल सैक्शन 302 (हत्या), 34 (क्रिमिनल ऐक्ट डन बाई सैवेरल पर्सन) आईपीसी और सैक्शन 25 (गैरकानूनी हथियार रखने) के तहत मामला दर्ज किया गया है. हालांकि पीड़ित परिजन एफआईआर में कुछ बातें शामिल करने की बात कर रहे हैं, जिन में लव जिहाद का पहलू जुड़वाना शामिल है.

राजनीति गरमाने लगी

इस हत्याकांड के आरोपी तौसीफ के दादा कबीर अहमद 2 बार  विधायक रह चुके हैं. दादा के भाई खुर्शीद अहमद हरियाणा से गृह मंत्री भी रह चुके हैं. वहीं चचेरा भाई भी विधायक रहे हैं, साथ ही हुड्डा सरकार में परिवहन मंत्री भी रहे हैं. चाचा जावेद अहमद ने इस साल बसपा से चुनाव लड़ा था, पर वे हार गए थे.

जहां एक तरफ कांग्रेस पार्टी के आरोपी के परिवार से राजनीतिक संबंध के चलते वह रडार पर है, वहीं भाजपा राज में बढ़ते गुंडाराज और खराब होती कानून व्यवस्था से भी लोग खासा नाराज हैं.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस मसले पीड़ित परिवार को इंसाफ दिलाने का आश्वासन दिया. उन्होंने अपना बचाव करते हुए कहा, ‘अपराधी को पूरी सजा दी जाएगी. अपराध होने के बाद पुलिस ने 24 घंटे में ही आरोपी को पकड़ लिया.’

कांग्रेस के हरियाणा के मुख्य नेता व प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला इस मसले पर मुख्यमंत्री पर जम कर बरसे. उन्होंने हरियाणा में महिलाओं की सुरक्षा को ले कर सवाल किए, ‘क्या बेटियां इसी प्रकार से सुरक्षित रहेंगी खट्टर साहब? हरियाणा में पिछले 2 साल में महिला अपराधों में 45 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. हरियाणा गैंगरेप में नंबर 1 पर है.’

इस के अलावा उन्होंने दोषियों को 30 दिन के सीमित समय में सजा दिए जाने की बात कही.

फिलहाल इस मामले में एसीपी अनिल कुमार की अगुआई में एसआईटी का गठन किया गया है, जो पीड़ित परिवार से मिलने उन के घर पहुंचा. फरीदाबाद के सांसद और मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर भी पीड़ित परिवार से मिले थे.

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पुलिस ने अपराध के दौरान इस्तेमाल की गई कार का भी पता लगा लिया है जिस का लिंक दिल्ली से बताया जा रहा है. अपराध के दौरान इस्तेमाल किए गए हथियार को भी बरामद कर लिया गया है.

चिंता की बात

खैर, अब यह देखना है कि पीड़ित परिजन को इस मामले में कितने दिन में इंसाफ मिलता है. भले सरकार में बैठे पदाधिकारी अपनी पीठ यह कह कर ठपथपा रहे हों कि उन्होंने आरोपियों को जल्द से जल्द पकड़ने की कोशिश की है, पर सवाल यह है कि आखिर ऐसी नौबत आई ही क्यों? आखिर क्यों जब पुलिस के संज्ञान में यह मामला 2018 से आ चुका था, तो निकिता को सुरक्षा मुहैया करने में कोताही क्यों की गई?

2018 की एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि हरियाणा में क्राइम रेट पहले से 45 फीसदी बढ़ा है. पहले जो आंकड़े 9,839 थे वे बढ़ कर औसतन 15,336 हो गए हैं. हरियाणा उन 4 टौप राज्यों में है जहां रैप के बाद मर्डर की अधिकाधिक वारदातें हुई हैं. ‘हरियाणा स्टेट कमीशन फौर वीमेन’ की इस साल की रिपोर्ट अनुसार लौकडाउन में हरियाणा के अंदर रिकौर्ड 78 फीसदी महिला विरोधी अपराधों में वृद्धि हुई है.फिर सवाल यह कि महिला सुरक्षा के नाम पर सरकारें बेदम क्यों हैं? जगह बदल जाती है, पर अपराध वही रहता है और शिकार भी औरत समाज ही बनता है. यह देश के रहनुमाओं लिए शर्मनाक बात है.

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