क्रिकेट : विवादों की चैंपियन रही ICC Champions Trophy 2025

ICC Champions Trophy 2025 : कप्तान रोहित शर्मा की अगुआई में भारतीय क्रिकेट टीम ने रविवार, 9 मार्च, 2025 को दुबई के ‘दुबई इंटरनैशनल क्रिकेट स्टेडियम’ में खेले गए फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड को 4 विकेट से शिकस्त दे कर चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब अपने नाम कर लिया. यह तीसरी बार है जब ‘टीम इंडिया’ ने यह ट्रॉफी जीती है. अब तक कोई भी टीम इस ट्रॉफी को 3 बार नहीं जीत सकी है.

इस अच्छी खबर से अलग बात की जाए, तो इस बार की आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी विवादों में ज्यादा रही. सब से पहले तो इस के मेजबान देश पाकिस्तान को ले कर ही बखेड़ा खड़ा हो गया था. भारत ने सिक्योरिटी का राग अलाप कर पाकिस्तान जा कर मैच खेलने से मना कर दिया था.

आप को बता दें इस बार की चैंपियंस ट्रॉफी में भारत, बंगलादेश, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, इंगलैंड, दक्षिण अफ्रीका, अफगानिस्तान समेत कुल 8 क्रिकेट टीमों ने हिस्सा लिया था. ग्रुप ए में भारत, बंगलादेश, न्यूजीलैंड और पाकिस्तान थे, तो ग्रुप बी में आस्ट्रेलिया, इंगलैंड, दक्षिण अफ्रीका और अफगानिस्तान थे. भारत ने इस टूर्नामैंट में अपना एक भी मैच नहीं हारा था.

विवाद नंबर 1

खबरों की मानें तो मेजबान पाकिस्तान में इस आईसीसी ट्रॉफी में चुने गए पुलिस वालों ने चैंपियंस ट्रॉफी में ड्यूटी करने से ही इनकार कर दिया था. इस के बाद इन पुलिस वालों पर गाज गिरी थी. पंजाब पुलिस के बड़े अफसरों के मुताबिक, इन बरखास्त पुलिस वालों को बारबार ड्यूटी से गायब पाया गया था. इन पुलिस वालों को लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम और होटल के बीच खिलाड़ियों की सिक्योरिटी के लिए लगाया गया था, लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं किया.

बंगलादेश और न्यूजीलैंड के बीच हुए एक मैच के दौरान एक शख्स स्टेडियम में घुस आया था और उस ने न्यूजीलैंड के बल्लेबाज रचिन रविंद्र के गले लगने की कोशिश की थी.

हालांकि, मैदान पर अनजान शख्स को देख कर वहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड ऐक्शन में आए थे और उस शख्स को पकड़ कर मैदान से बाहर ले गए थे. पर डराने वाली बात यह रही कि उस शख्स के हाथ में आतंकवादी संगठन तहरीक ए लबैक पाकिस्तान (टीएलपी) के प्रमुख हाफिज साद हुसैन रिजवी की तसवीर थी.

विवाद नंबर 2

पाकितान ने क्रिकेट ग्राउंड को बारिश के पानी से सुखाने का जो तरीका अपनाया, वह बड़ा हो लोकल लैवल का था. इस बात से उस की देशदुनिया में बड़ी किरकिरी हुई थी.

आस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान के बीच हुए मैच की मिसाल लेते हैं. आस्ट्रेलिया की पारी में 12.5 ओवर के बाद बारिश होने लगी थी और तकरीबन 30 मिनट तक लगातार बारिश हुई थी. इस वजह से मैदान पूरी तरह पानी से भर गया था, लेकिन मैदान को न सुखा पाने के चलते सोशल मीडिया पर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की जम कर क्लास लगाई गई थी.

हद तो यह थी कि साधारण वाइपर ले कर 3 स्टाफ दौड़ते हुए बारिश के जमा हुए पानी को सुखाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इसी दौरान एक सफाई वाला फिसल कर गिर गया था.

विवाद नंबर 3

मेजबान पाकिस्तान को भारत के साथ अपना मैच खेलने के लिए दुबई आना पड़ा, जबकि वहां की आम जनता भारत को अपने देश में खेलते देखना चाहती थी. पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने साफ मना कर दिया कि जब तक भारत और पाकिस्तान के साथ दोस्ताना रिश्ते नहीं होंगे, तब तक भारत वहां नहीं जाएगा.

इस बात से दबी जबान में यह भी कहा गया कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड इंटरनैशनल क्रिकेट काउंसिल से बड़ा हो गया, जो अपनी मनमानी कर रहा है. चूंकि इंटरनैशनल क्रिकेट बोर्ड के चैयरमैन जय शाह हैं, तो उन्होंने अपने हिसाब से भारत के मैच दुबई की ऐसी पिच पर मैच रखे कि भारत को यह टूर्नामैंट जीतने में आसानी हुई.

पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया और इंगलैंड के कई पुराने खिलाड़ियों ने कहा है कि भारत को सारे मैच एक ही जगह पर खेलने से दूसरी टीमों के मुकाबले हालात के मुताबिक बेहतर ढलने में मदद मिली.

दक्षिण अफ्रीका के टौप और्डर के बल्लेबाज रासी वान डेर डुसेन ने कहा है कि यह जानने के लिए ‘राकेट साइंटिस्ट’ होने की जरूरत नहीं है कि भारत को चैंपियंस ट्रॉफी में दुबई में खेलने का फायदा मिल रहा है.

विवाद नंबर 4

पाकिस्तान को हुआ पैसे का तगड़ा नुकसान. अगर भारत फाइनल मुकाबले के लिए क्वालिफाई नहीं करता तो फाइनल मुकाबला पाकिस्तान में लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में खेला जाता. लेकिन भारत की जीत से फाइनल मुकाबला दुबई में शिफ्ट हो गया.

दरअसल, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने करोड़ों रुपए खर्च कर कराची के गद्दाफी स्टेडियम का रिनोवेशन कराया था, जो किसी काम का नहीं रहा.

पाकिस्तान ने इस क्रिकेट आयोजन की मेजबानी के लिए अपने 3 स्टेडियमों का रिनोवेशन करने में तकरीबन 5 अरब रुपए खर्च करने का अंदाजा जताया था. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को उम्मीद थी कि मैचों के लिए स्टेडियमों में फैंस का जनसैलाब उमड़ पड़ेगा, लेकिन हुआ उस का उलटा, क्योंकि पाकिस्तान की टीम नौकआउट से पहले ही बाहर हो गई और 2 मैच बारिश ने धो डाले.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आईसीसी ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए तकरीबन 586 करोड़ रुपए के बजट को मंजूर किया था. इस टूर्नामैंट में कुल 15 मुकाबले होने थे. इन में भारत के 3 ग्रुप मुकाबले और एक सैमीफाइनल मुकाबला दुबई में खेला गया. बाद में फाइनल मुकाबला भी दुबई में खेला गया.

एक मैच के लिए तकरीबन 39 करोड़ रुपए का बजट था. ऐसे में पाकिस्तान को 4 मैच का 156 करोड़ रुपए का नुकसान पहले ही हो चुका था. फिर फाइनल मुकाबला दुबई में होने से पाकिस्तान को 39 करोड़ रुपए का और नुकसान उठाया.

विवाद नंबर 5

इस टूर्नामैंट में पाकिस्तान क्रिकेट टीम का भी अंदरूनी विवाद सामने आया. पूरी टीम बिखरी हुई नजर आई. पहले 2 मुकाबले वह न्यूजीलैंड और भारत से हार गई थी और बंगलादेश के साथ उस का मुकाबला बारिश के चलते धुल गया था. इतना ही नहीं, कप्तान और कोच एकमत नहीं दिखे.

क्रिकेट पाकिस्तान की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पाकिस्तान का खराब प्रदर्शन टीम के कप्तान मोहम्मद रिजवान और मुख्य कोच आकिब जावेद के बीच ‘अंदरूनी कलह’ के चलते हुआ. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि मोहम्मद रिजवान अहम फैसलों पर सलाह की कमी के चलते निराश दिखे. जब उन्होंने खुशदिल शाह को शामिल करने की वकालत की, तो आकिब जावेद ने आगे बढ़ कर फहीम अशरफ को खुद ही चुन लिया.

हालांकि, बोर्ड प्रमुख ने इस के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं करने का फैसला किया, क्योंकि वे टीम के मसलों में घुसना नहीं चाहते थे. वहीं, खराब प्रदर्शन के चलते घरेलू मैदानों पर चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब बचाने का सपना भी पाकिस्तान का टूट गया.

इस के अलावा फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के नुमाइंदे पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सुमेर अहमद, जो टूर्नामैंट निदेशक के रूप में भी कार्यरत थे, दुबई में मौजूद थे, लेकिन उन्हें पोडियम पर नहीं बुलाया गया.

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड इस मुद्दे को इंटरनैशनल क्रिकेट काउंसिल के सामने उठाने की योजना बना रहा है, ताकि यह समझा जा सके कि उन के सीईओ को समारोह में शामिल क्यों नहीं किया गया.

कौन लेगा विराट कोहली और रोहित शर्मा की जगह? जानें किन दो क्रिकेटर्स का नाम आ रहा है सामने

भारतीय क्रिकेट टीम के चमकते खिलाड़ी रोहित शर्मा और विराट कोहली दो ऐसे खिलाड़ी जो सभी के दिलों पर राज करते है. दोनों खिलाड़ी ही शानदार पारी से सभी का दिल जीत लेते है. हाल ही में विराट कोहली और रोहित शर्मा ने टी-20 वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया. लेकिन अब इस मैच के बाद दोनों क्रिकेटरों ने टी-20 इंटरनेशनल क्रिकेट से सन्यास ले लिया है और खुद मैच से अलग कर लिया है. लेकिन अब सवाल है कि दोनों को कौन से खिलाडी है जो रिप्लेस करेंगे.

 

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जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान हैमिल्टन मसाकाद्जा (Hamilton Masakadza) ने इस सवाल पर रिएक्ट किया है. हैमिल्टन मसाकाद्जा ने दो ऐसे भारतीय खिलाड़ियों के नाम बताएं हैं जो टी-20 इंटरनेशनल में कोहली और रोहित की जगह ले सकते हैं. मीडिया से बात करते हुए जिम्बाब्वे के पूर्व कप्तान ने कहा है कि दोनों के टी-20 न खेलने से भारतीय क्रिकेट में बड़ा खालीपन आएगा. लेकिन टीम इंडिया के पास ऐसे खिलाड़ी हैं जो इनकी जगह भर सकते हैं.

जी हां, रोहित शर्मा और विराट कोहली को रिप्लेस करने वाले खिलाड़ी शुभमन गिल और ऋतुराज गायकवाड़ दोनों ऐसे ही खिलाड़ी है. पीयूष चावला हाल ही में शुभांकर मिश्रा के पौडकास्ट में शामिल हुए. इस दौरान होस्ट ने उनसे क्रिकेट से जुड़े कई जरूरी सवाल पूछ लिए. होस्ट ने चावला से उन खिलाड़ियों के नाम भी बताने को कहे जो कोहली और रोहित की जगह इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद लेंगे.

इस पर उन्होंने गिल के साथ गायकवाड़ का नाम लिया. जो कि वाकई चौंका देने वाला था. चावला ने माना कि गायकवाड़ के लिए ये आसान नहीं होगा, क्योंकि वो टीम में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन ये चलता रहेगा. उन्हें जब भी मौका मिलता है वो उसे भुनाने में सफल रहे हैं. वह काफी खास प्लेयर हैं.

शुभमन गिल के बारे में बोलते हुए मुंबई इंडियंस के स्पिनर ने कहा, ‘शुभमन गिल की तकनीक अच्छी है. जब अपने करियर में खराब फौर्म से गुजरते हैं, जो जिन बल्लेबाजों की तकनीक अच्छी होती है, वो खराब फौर्म से जल्दी बाहर आ जाते हैं. इस तरह के बल्लेबाज लम्बे समय तक फौर्म से बाहर नहीं रह सकते. इसलिए मैं गायकवाड़ और शुभमन का नाम लेना चाहूंगा.’

क्रिकेट की बात करें तो ऋतुराज गायकवाड़ इन दिनों दलीप ट्रौफी 2024 में खेल रहे हैं, जिसमें वो इंडिया सी की अगुवाई कर रहे हैं. वहीं, शुभमन गिल अब बांग्लादेश के विरुद्ध होने वाली आगामी दो मैच की टेस्ट सीरीज में खेलते हुए नजर आएंगे, जिसकी शुरुआत 19 सितम्बर से होगी. पहला टेस्ट चेन्नई में होगा, जिसकी तैयारी भारतीय टीम ने शुरू कर दी है.

शिखर धवन की फिल्मी लव स्टोरी में कैसे आया टर्निंग प्वाइंट, अलविदा गब्बर!

टीम इंडिया के ओपनर रहे शिखर धवन ने शनिवार सुबह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के तीनों फौर्मेट से संयास ले लिया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर इसकी जानकारी शेयर की है. अपने बिंदास अंदाज के कारण दिल्‍ली के शिखर साथी खिलाड़ि‍यों में ‘गब्‍बर’ के नाम से जाने जाते हैं.

 

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शिखर पहली बार 2010 में औस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे टीम में शामिल हुए थे. 2022 में बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने आखिरी वनडे खेला था. उसके बाद से उन्हें टीम इंडिया में जगह नहीं मिली थी. धवन जितना क्रिकेट को लेकर डेडिकेटिड थे उतने ही अपने परिवार को लेकर भी सीरियस रहते थे. लेकिन उनकी लाइफ में ऐसा टर्निंग प्वाइंट आया कि एक प्यार भरी लव स्टोरी दर्द भरी स्टोरी में बदल गई.

शिखर और आयशा की लव स्टोरी की शुरुआत

शिखर धवन और हरभजन सिंह फेसबुक पर औनलाइन थे. तभी हरभजन की प्रोफाइल में उनकी नजर एक फोटो पर पड़ी. उन्होंने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी. लेकिन उन्हें लग नहीं रहा था कि ये औस्ट्रेलियाई बौक्सर आयशा उनकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करेंगी. लेकिन रिक्वेस्ट भेजते ही आयशा ने एक्सेप्ट कर ली. फिर फेसबुक पर दोनों की धीरेधीरे बातें शुरू हो गई और बात गहरी दोस्ती तक जा पहुंची. दोनों हर बात एकदूसरे से शेयर करने लगे. यहां से शुरु हुआ दोनों का प्यार का सफर

दोस्ती बदली प्यार में

दोनों में जब प्यार शुरु हुआ, तो धवन जानते थे कि आयशा उनसे 10 साल बड़ी हैं और 2 बच्चों की मां है. लेकिन धवन ने इसकी परवाह किए बिना उसे शादी के लिए प्रपोज कर दिया. आयशा ने भी हां कर दी और धवन ने उनसे शादी के लिए समय मांगा क्योंकि उस समय धवन का करियर शुरू हुआ था. धवन के परिवार को जैसे ही उनके इश्क का पता चला तो उन्होंने शादी के लिए मना कर दिया. लेकिन परिवार वाले बाद में मान गए थे.

शादी के बंधन में बंधे

30 अक्टूबर, 2012 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए. आयशा मुखर्जी की पहली शादी बिजनेसमैन से हुई थी. जिससे आयशा के दो बच्चे थे. लेकिन जब शिखर से शादी की तो धवन और आयशा का एक बेटा हुआ. जिसका नाम दोनों ने जोरावर रखा. बता दें, दोनों की शादी इसलिए ज्यादा चर्चा में रही थी. क्योंकि आयशा शिखर धवन से उम्र में 12 साल बड़ी थीं. इसके अलावा, वे तलाकशुदा थीं और उनकी दो बेटियां पहले से भी थीं. लेकिन धवन को इससे फर्क नहीं पड़ा.

कैसा आया टर्निंग प्वाइंट

शिखर और आयशा की मैरीज लाइफ अच्छी चल रही थी. लेकिन अचानकर उनकी लाइफ में तलाक आ गया. दरअसल, हुआ ये था कि आयशा मुखर्जी ने शादी से पहले शिखर से ये वादा किया था कि वे उनके परिवार के साथ भारत में ही रहेंगी, लेकिन फिर वे औस्ट्रेलिया चली गई और वहीं रहने लगी. इसी विवाद के चलते दोनों की लव लाइफ में डिवोर्स ने एंट्री ले ली और दो प्यार करने वाले दिल हमेशा के लिए अलग हो गए.

आयशा मुखर्जी अपने बेटे जोरावर के साथ विदेश में रहती हैं. हाल ही में शिखर धवन ने फादर्स डे के मौके पर बताया था कि आयशा उन्हें बेटे जोरावर से बात नहीं करने देतीं. धवन इस बात से काफी दुखी भी रहने लगे. शिखर पहले परिवार से अलग हुए और अब उन्होंने क्रिकेट को भी अलविदा कह दिया.

फिल्मों में न होते तो क्रिकेट की दुनिया के होते बड़े खिलाड़ी

ऐसे कई सितारे है जो फिल्मों में आने से पहले क्रिकेट की दुनिया से जुड़े थे. इस फील्ड में नाम कमाया भी और कमाना भी चाहते थे. लेकिन शायद उन सितारों की किस्मत में ही कुछ और था. वे खेल छोड़ एक्टिंग में ही लग गए. तो ऐसे कई सितारे है. जिनका जिक्र करना जरूरी है.

 

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अंगद बेदी

अंगद बेदी को आपने टाइगर जिंदा मूवी में जरूर देखा होगा. अंगद बेदी कभी पूर्व क्रिकेट कप्तान बिशन सिंह बेटी के बेटे है जो कभी अंडर 19 टीम खेला करते थे. इसके बाद उन्होंने एक्टिंग की तरफ अपना मन बना लिया. नेहा धूपिया उनकी पत्नी हैं.

हार्डी संधु

एक्टर और सिंगर हार्डी संधु अंडर 19 टीम में क्रिकेट खेल चुके हैं. वो शिखर धवन के साथ मैदान में उतर चुके हैं. खास बात ये है कि ट्रेनर मदन लाल से ली थी.

करण वाही

टीवी के फेवरेट होस्ट में से एक करण वाही भी दिल्ली की अंडर 19 टीम से खेल चुके हैं.

समर्थ जुरेल

बिग बौस में हाल ही में नजर आए समर्थ जुरेल भी क्रिकेटर रहे हैं. उन्होंने प्रोफेशनल स्टेट लेवल क्रिकेट खेला है.

सलिल अंकोला

एक्टिंग की दुनिया में आने से पहले लंबे चौड़े कद के सलिल अंकोला भी क्रिकेटर थे. सलिल अंकोला ने 20 वनडे और टेस्ट मैच भी खेले हुए हैं.

आयुष्मान खुराना

आयुष्मान खुराना फिल्मों में आने से पहले एक VJ थे ये सभी जानते हैं. लेकिन ये कम ही लोग जानते हैं कि आयुष्मान खुराना एक क्रिकेटर भी रहे हैं. वो अंडर 19 टीम में क्रिकेट खेल चुके हैं.

साकिब सलीम

हुमा कुरैशी के भाई साकिब सलीम भी क्रिकेटर रह चुके हैं. फिल्म 83 में वो मोहिंदर अमरनाथ के रोल में दिखाई दिए थे. वो दिल्ली और जम्मूकश्मीर की टीम से क्रिकेट खेल चुके हैं.

क्रिकेट मैदान में ही क्रिकटर्स करने लगें रोमांस, वायरल है इनके किस्से

क्रिकेट के खेल में हमेशा से ही देखा गया है दो दिल मैदान पर मिल जाते है क्योकि ये खेल ही ऐसा है. इस खेल में कुछ भी हो सकता है और इस खेल को खेलने वालों की यही खासियत है. कि वे खेल को बहुत ही शिद्दत के साथ खेलते है. साथ ही खेल के मैदान में रोमांस भी दिखाते है क्रिकेटर्स के ऐसे किस्से कई ज्यादा है जो आए दिन मीडिया में वायरल होते रहते है.

 

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विराट कोहली और अनुष्का शर्मा

विराट कोहली और अनुष्का शर्मा के प्यार सिंबल कई बार खेल के मैदान में देखें गए है. कभी अनुष्का तालियों की गूंज से विराट का मनोबल बढ़ाती है, तो कभी एक्ट्रेस विराट के बल्लेबाजी की वाहवाही करती है. हालांकि इनका एक किस्सा बहुत मशहूर है जब कोहली ने सचिन का रिकोर्ड तोड़ दिया था और 50 शतक जड़ दिया था. तब अनुष्का ने दिल खोलकर प्यार लुटाया था. एक्ट्रेस एख ने कई बार विराट की तरफ देख फ्लाइंग किस किया. वही, दर्शकों के सामने विराट ने भी मैदान से ही वाइफ अनुष्का को किस किया था.

हार्दिक पांड्या और नताशा स्तानकोविक

IPL फिनाले में राजस्थान रौयल्स को गुजरात टाइटन्स ने करारी मात दी थी. बड़ी जीत के बाद गुजरात टाइटन्स के कप्तान हार्दिक पांड्या ने जीत की ट्रौफी अपने नाम की थी. ये नजारा देख हार्दिक पांड्या की पत्नी और फिल्म स्टार नताशा स्तानकोविक खुशी से झूम उठीं थी. नताशा स्तानकोविक ने जीत के बाद हार्दिक पांड्या को बीच मैदान में ही गले लगा लिया था और ट्रौफी के साथ फोटो भी क्लिक कराई. हालांकि दोनों का हाल ही में तलाक हो चुका है.

धोनी और साक्षी

फ्लाइंग किस के किस्से तो खूब सुने लेकिन जब धोनी के एक शौट पर साक्षी ने फ्लाइंग किस सभी के सामने कर दी तो, सभी के लिए वो यादगार लम्हा बन गया. साथ ही, दोनों का ये मूमंट हिट हो गया.

सारा तेंदुलकर और शुभमन गिल

एक बार बांग्लादेश के खिलाफ शुभमन गिल ने शानदार बल्लेबाजी की थी. इस मैच को देखने के लिए महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर पुणे के एमसीए स्टेडियम पहुंची थीं. सारा तेंदुलकर इस मुकाबले के दौरान शुभमन गिल को चियर करती नजर आईं. जब शुभमन गिल की पारी की शुरुआत में चौका मारा तो सारा खुशी से झूम उठीं. इसके बाद गिल ने अपनी फिफ्टी पूरी की. जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई.

आदिवासी क्रिकेटर रौबिन मिंज की दहाड़, पिता ने कह दी हैरान कर देने वाली बात

Sports News in Hindi: आज की तारीख में रौबिन मिंज एक ऐसा नाम है, जो पूरे देश में चर्चा में है. रौबिन सिंह ने अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधित्व करते हुए आईपीएल क्रिकेट में अपने बूते एक मुकाम बनाया है और अपनी अद्भुत प्रतिभा से जता दिया है कि ‘हम किसी से काम नहीं’.

साल 2023 में 19 दिसंबर को ‘आईपीएल 17’ के लिए दुबई में हुई नीलामी में 21 साल के विकेटकीपर और बाएं हाथ के बल्लेबाज रौबिन मिंज को गुजरात टाइटंस ने 3.60 करोड़ रुपए में खरीदा. इस के साथ ही वे आईपीएल में पहुंचने वाले पहले आदिवासी खिलाड़ी बन गए हैं.

राबिन मिंज ने मीडिया को बताया, “मैं बचपन से ही क्रिकेट टीम में शामिल होने का सपना देखता रहा और अब यह सच हो गया है. हां, इस नीलामी को ले कर मैं यह समझ रहा था कि 20 लाख में भी कोई टीम खरीद ले तो कोई बात नहीं, लेकिन राशि बढ़ती चली गई. टीम में चुने जाने के बाद जब मैं ने अपनी मां से मोबाइल पर बात की तो वे रोने लगीं. पापा भी रोने लगे.”

रौबिन मिंज झारखंड के हैं और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके महेंद्र सिंह धौनी को अपना आदर्श मानते हैं. वे पिछले कुछ सालों से झारखंड टीम के साथ जुड़े हुए हैं. मजेदार बात यह है कि इस दौरान उन्हें कई बार महेंद्र सिंह धौनी से मुलाकात करने और उन से खेल के गुर सीखने का मौका मिला.

रौबिन मिंज कहते हैं, “धोनी सर ने हमेशा यही कहा कि दिमाग को शांत रख कर खेलो और हमेशा आगे की सोचो.”

रौबिन मिंज गुमला जिले के रायडीह ब्लौक के सिलम पांदनटोली गांव के रहने वाले हैं. यहीं से उन की प्राथमिक शिक्षा हुई और क्रिकेट के प्रति प्रेम जागा. उन के पिता फ्रांसिस जेवियर मिंज एक रिटार्यड सैनिक हैं और फिलहाल रांची एयरपोर्ट पर बतौर सिक्योरिटी गार्ड इनर सर्किल में बोर्डिंग पास चैक करते हैं.

रौबिन मिंज के पिता के मुताबिक, “आईपीएल में रौबिन का चयन सौ फीसदी होगा, इस को ले कर तो मैं तैयार ही था. मैं उतने में ही खुश था. मगर रौबिन को जो ऊंचाई मिली है, वह आनंदित करने वाली है.”

दूसरी तरफ रौबिन की मां एलिस मिंज ने कहा, “इस साल क्रिसमस का इस से बड़ा तोहफा मेरे लिए कुछ नहीं हो सकता. जब से यह खबर मिली है, मुझे तो बस रोना आ रहा है. मेरा तो बस यही सपना है कि जिस तरह धौनी ने झारखंड का नाम रोशन किया है, मेरा बेटा भी करे.”

पिता जेवियर मिंज ने कहा, “जब रौबिन 2 साल का था, तब से ही डंडा ले कर गेंद पर मारना शुरू कर दिया था. मैं खुद भी फुटबाल और हौकी का खिलाड़ी रहा हूं. मैं ने इस को जब टैनिस गेंद ला कर दी तो यह दाएं हाथ के बजाय बाएं हाथ से खेलने लगा. यही बात मेरे मन में घर कर गई, क्योंकि मेरे परिवार में कोई भी बाएं हाथ से काम करने वाला नहीं है. यह भी क्रिकेट खेलने के अलावा सब काम दाएं हाथ से ही करता है. 5 साल की उम्र में मैं ने इसे क्रिकेट कोचिंग में डाल दिया था.”

पहला आदिवासी क्रिकेटर वाली बात पर पिता जेवियर मिंज का कहना है, “हम तो यही कहते हैं कि अगर कोई इतिहास लिखने वाले हैं, तो इस बात को पहले पन्ने पर लिखना चाहिए.”

क्रिकेट : आईपीएल में भोजपुरी कमैंट्री खास या बकवास

इस बार के इंडियन प्रीमियर लीग में कुछ नए नियमों के साथ टीमें मैदान उतरी थीं और वे नियम बड़े फायदे के साबित हुए. इसी तरह इस बार कई नई भाषाओं में कमैंट्री सुनने को मिली, जिन में से भोजपुरी का अंदाज सब से ज्यादा लुभाने वाला महसूस हुआ.

ठीक उसी तरह जैसे हिंदी फिल्म ‘गुलामी’ के एक गाने के कुछ बोल भले ही समझ नहीं आए थे, पर शब्बीर कुमार और लता मंगेशकर की मीठी आवाज ने उसे यादगार बना दिया था.

अमीर खुसरो की एक कविता से प्रेरणा पा कर गीतकार गुलजार के लिखे इस गीत के बोल थे :

‘जिहाल ए मिस्कीं मकुन ब रंजिश

ब हाल ए हिज्रा बेचारा दिल है,

सुनाई देती है जिस की धड़कन

हमारा दिल या तुम्हारा दिल है…’

कुछ इसी तरह का मजा इस बार की आईपीएल भोजपुरी कमैंट्री को सुन कर तब मिला, जब सौरभ उर्फ रौबिन सिंह के साथ गोरखपुर के सांसद व भोजपुरी के सुपरस्टार रविकिशन, कैमूर के शिवम सिंह, देवरिया के गुलाम अली, झारखंड के सत्य प्रकाश कृष्णा और वाराणसी के मोहम्मद सैफ कमैंट्री करते दिखे.

याद रहे कि आईपीएल में हिंदी, इंगलिश, भोजपुरी भाषा के अलावा जिन भाषाओं में कमैंट्री हो रही है, उन में मराठी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, पंजाबी, गुजराती और बंगाली भाषाएं शामिल हैं.

देश में तकरीबन 25 करोड़ लोग भोजपुरी भाषा सुनते, बोलते और समझते हैं. जब रविकिशन ने अपने ही अंदाज में आईपीएल में कमैंट्री की, तो माहौल ही बन गया. एक बानगी देखिए:

बारबार धुआंधार प्रहार जारी बा. अद्भुत, अद्भुतम, अद्भुताय मैच बा हो. जे ऊहां पूरन बा, ऊ चूरन मार रहल बा. एकदम चौंचक बैटिंग होत बा… ई बैट नाहीं, लाठी ह. ऊ मरलें धौनी छक्का. अइसन छक्का मरलें कि गेना गोपालगंज से होत गंगा पार, गोरखपुर के गल्ली से निकल कर आरा पहुंच गईल…’

रविकिशन के बाद भोजपुरी सुपरस्टार दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ और भोजपुरी हीरोइन आम्रपाली दुबे ने कमैंट्री का माइक संभाला.

इस दौरान दिनेशलाल यादव से पूछा गया कि अगर लगातार 3 विकेट गिरने पर ‘हैट्रिक’ कहते हैं, तो 4 विकेट गिरने पर क्या कहेंगे? इस पर दिनेशलाल यादव ने कहा कि अगर 3 विकेट गिरने पर ‘हैट्रिक’, तो 4 विकेट गिरने पर ‘चैट्रिक’ होगा. वहीं आम्रपाली दुबे से जब यही सवाल पूछा गया, तो उन्होंने पहले ‘चौट्रिक’ कहा, लेकिन फिर बाद में उन्होंने कहा कि ‘चैट्रिक’ ही कहेंगे.

भोजपुरी गायक व अभिनेता विवेक पांडेय ने इस नई शुरुआत पर कहा, ‘‘यह बहुत मजेदार है. भोजपुरी बड़ी मीठी और खांटी भाषा है. रविकिशन, मनोज तिवारी और दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ ने अपनी सुपरहिट फिल्मों से इस भाषा को जनजन तक पहुंचाया है. अब आईपीएल में भोजपुरी की कमैंट्री से यह भाषा उन लोगों तक भी पहुंचेगी, जो अब तक इस से अनजान हैं. मैं तो इस कमैंट्री का पूरा मजा ले रहा हूं.’’

ट्रोलिंग भी हुई

अगर भोजपुरी में कमैंट्री की तारीफ हुई, तो ट्रोलिंग भी खूब हुई. ‘यूपी में का बा’ वाली गायिका नेहा सिंह राठौर भोजपुरी कमैंट्री पर भड़कती नजर आईं.

नेहा सिंह राठौर बोलीं, ‘मैं ने भी जब भोजपुरी में कमैंट्री सुनी, मेरा एक घंटे तक दिमाग खराब रहा. इन की हिम्मत कैसे हुई… ये भोजपुरी को इस तरह से कैसे पेश कर सकते हैं. गर्दा उड़ा ए भाई साहब ई कैसन बालर है हो… ई तो जडि़या में मार देहलस. बैटवा में लागता कि तेल पिला के आइल बाड़े. छुआता और गेंद आरा तक उड़ जाता. ललचावा ताड़े, फिर घोलटाव ताड़े…

‘ई तो लालीपाप खिला के विकट लेले बाड़े, ए भइया हई का, ई नइका हथियार ह हो, हवाईजहाज शाट. कुछ भइल बा, गेंदा हवा में गइल बा. केहूके मुंह फोड़वा का.’

नेहा सिंह राठौर ने आगे कहा, ‘इस तरह के अजीबअजीब शब्द सुनने को मिल रहे हैं. पहले तो आप ने भोजपुरी गानों में यह सब किया, ‘लहंगा उठा दे रिमोट से’, ‘कुरती के टूटल बा पठानिया’, फिर उसी भाषा में जा कर आप आईपीएल में कमैंट्री कर रहे हो. मुझे तो बहुत दुख हुआ.

‘मैं उन लोगों से सवाल करना चाहती हूं,  जो भोजपुरी के हितैषी बनते हैं. कहां हैं वे लोग? सत्ता की चाटुकारिता से फुरसत नहीं मिल रही है आप को?

और भी तमाम लोगों ने इसे फूहड़ बताया, तो रविकिशन ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा, ‘लोग बहुत तारीफ कर रहे हैं. ज्यादातर सभी को बेहद पसंद आ रही है भोजपुरी कमैंट्री. मैं नैगेटिविटी को नहीं देखता. मैं ने न उन्हें कभी बढ़ावा दिया है और न ही ऐसे लोगों को पढ़ता या सुनता हूं.

‘कुछकुछ लोग तो होते ही नैगेटिव हैं. अब सूरज क्यों उगता है, उस से भी उन्हें परेशानी है. अब

ऐसे 3-4 लोगों के बारे में क्या ही

कहा जाए…’

 

क्रिकेट: वनडे को ले कर चिंता में सचिन

पाकिस्तान के दिग्गज स्पिन गेंदबाज रह चुके सकलैन मुश्ताक ने अपने एक हालिया इंटरव्यू में कहा था कि विराट कोहली किसी भी लिहाज से सचिन तेंदुलकर के बराबर नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने वसीम अकरम और शेन वार्न जैसे चालाक गेंदबाजों का कभी सामना नहीं किया है.अब सकलैन मुश्ताक के वही चहेते बल्लेबाज ‘मास्टरब्लास्टर’ सचिन तेंदुलकर, जो क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद इस खेल से उचित दूरी बना कर ही रखते हैं, ने वनडे क्रिकेट के भविष्य पर खुल कर अपनी राय दी.

सचिन तेंदुलकर ने वनडे मैचों के वजूद पर चिंता जताई और कहा कि 2 नई गेंदों का इस्तेमाल और फील्डिंग प्रतिबंध वनडे क्रिकेट को मुश्किल बना रहे हैं और इस तरह बल्ले और गेंद के बीच संतुलन बिगड़ रहा है. दिल्ली में ‘इंडिया टुडे कौन्क्लेव’ के एक सैशन के दौरान दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने कहा, ‘यह (वनडे) बिना किसी शक के बोरिंग हो रहा है. इस के 2 पार्ट हैं. एक मौजूदा फौर्मेट है और दूसरा वह है, जो मुझे लगता है कि इसे अपनाना चाहिए. ‘50 ओवरों के खेल में 2 नई गेंदें होती हैं.

जब आप के पास 2 नई गेंदें होती हैं, तो यह बात रिवर्स स्विंग को खत्म कर देती है. भले ही हम खेल के 40वें ओवर में हों, लेकिन यह असल में उस गेंद से 20वां ओवर होता है.’सचिन तेंदुलकर ने फील्डिंग प्रतिबंध के सिलसिले में भी बताया, ‘मैं ने कुछ स्पिनरों से बात की है. मैं घेरे में 5 फील्डरों के रहने को ले कर उन की मानसिकता को समझने की कोशिश कर रहा था. गेंदबाज कह रहे हैं कि उन्हें अपनी लैंथ और लाइन बदलने की आजादी नहीं है. बल्लेबाज के गलती करने की उम्मीद रहती है, लेकिन वे अपनी लाइन में बदलाव करते हैं, तो भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

मौजूदा फौर्मेट में उन के पास अभी सुरक्षा नहीं है. मौजूदा फौर्मेट गेंदबाजों पर भारी है. घेरे के अंदर 5 फील्डर और 2 नई गेंदों के साथ यह चुनौती से भरा है.’सचिन तेंदुलकर की यह चिंता जायज है, क्योंकि पिछले कई सालों में क्रिकेट में सिर्फ बल्लेबाज ही हावी दिखाई देते हैं. ट्वैंटी20 फौर्मेट के कामयाब हो जाने के बाद से अब वनडे भी बड़ा और उबाऊ लगने लगा है, क्योंकि वहां गेंदबाज पर सीमित दायरों में रह कर गेंदबाजी करने का प्रैशर होता है.

चूंकि दिनरात वाले मैचों में मैदान पर ओस पड़ने का भी चक्कर रहता है, तो गेंदबाजों को गेंद फेंकने, ग्रिप बनाने में दिक्कतें आती हैं और वे अपनी कला को पूरी तरह से दर्शकों को नहीं दिखा पाते हैं.इस समस्या का हल निकालने के लिए सचिन तेंदुलकर का कहना है कि आप 50 ओवर की पारी को 2 भागों में बांट दीजिए यानी जो टीम पहले बल्लेबाजी करती है, वह 25 ओवर तक बल्लेबाजी करेगी. फिर दूसरी टीम की बैटिंग आएगी और वह अपने हिस्से के 25 ओवर खेलेगी.

यहां टैस्ट क्रिकेट की तरह ही लीड लेने और पारी में पीछे रहने वाला गेम होगा. फिर पहली टीम की दूसरी पारी होगी और आखिर में टीम को लक्ष्य का पीछा करना होगा.सुनने में तो यह आइडिया रोमांचक लगता है, पर क्या क्रिकेट के नियमकानून बनाने वाले सचिन तेंदुलकर की इस सलाह पर गौर करेंगे?

क्रिकेट: समझना होगा युजवेंद्र चहल का दर्द

इकहरा बदन, दरमियाना कद, शक्ल भी कुछ खास नहीं, पर जब यह खिलाड़ी अपने हाथों से गेंद की फिरकी घुमाता है, तो दिग्गज से दिग्गज बल्लेबाज चारों खाने चित हो जाता है.

इस का नाम है युजवेंद्र चहल, जो जब क्रिकेट के मैदान पर नहीं होता है, तब शौकिया तौर पर शतरंज खेलता है, पर किसी माहिर खिलाड़ी की तरह और जब से इस की शादी डैंटिस्ट और यूट्यूब डांसर धनाश्री वर्मा से हुई है, तब से यह इक्कादुक्का बार किसी वीडियो में नाचता भी दिखाई दे जाता है.

पर हाल ही में युजवेंद्र चहल के साथ कुछ ऐसा हुआ है, जिसे अगर सी ग्रेड हिंदी फिल्म के किसी धांसू डायलौग से  तुलना करें तो कह सकते हैं कि ‘रजिया फंस गई गुंडों में’.

यह गंभीर मामला साल 2011 का है. हाल ही में युजवेंद्र चहल ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया कि कैसे मुंबई इंडियंस की ओर से इंडियन प्रीमियर लीग खेलते हुए उन के 2 साथी क्रिकेटरों ने तब उन के साथ बदसलूकी करते हुए उन्हें रातभर रस्सी से बांधे रखा था और बाद में उन से माफी भी नहीं मांगी थी.

यह था मामला

साल 2011 में आस्ट्रेलिया के एंड्रियू साइमंड्स, न्यूजीलैंड के जेम्स फ्रैंकलीन और युजवेंद्र चहल मुंबई इंडियंस टीम का हिस्सा थे. उस समय जेम्स फ्रैंकलीन और एंड्रियू साइमंड्स ने उन के हाथपैर बांध कर उन्हें कमरे में बंद कर दिया था और बाद में अपनी उस हरकत को भूल भी गए थे.

युजवेंद्र चहल ने बताया, ‘‘यह घटना 2011 की है, जब मुंबई इंडियंस ने चैंपियंस लीग को जीता था. हम चेन्नई में थे. साइमंड्स ने बहुत ‘फ्रूट जूस’ पी लिया था. मुझे नहीं पता कि वह क्या सोच रहा था, लेकिन उस ने और जेम्स फ्रैंकलीन ने मेरे हाथपैर बांधे और कहा कि तुम्हें ही गांठ खोलनी होगी. वे इतना खोए हुए थे कि उन्होंने मेरा मुंह टेप से बांध दिया था और मेरा ध्यान उन्हें पूरी पार्टी में नहीं था. वे चले गए थे.

‘‘सुबह जब कोई सफाई के लिए आया और मुझे देखा, तब मेरे हाथ खोले. उन्होंने मुझ से पूछा कि आप कब से थे यहां. इस पर मैं ने कहा कि मैं तो पूरी रात से यही हूं. यह एक मजाकिया कहानी बन गई.’’

मौत के मुंह में धकेला

युजवेंद्र चहल ने इस से पहले अपने साथ साल 2013 में घटी एक घटना के बारे में बताते हुए कहा था कि तब इंडियन प्रीमियर लीग के छठे सीजन में उन की जान जातेजाते बची थी. उस समय वे मुंबई इंडियंस का ही हिस्सा थे.

युजवेंद्र चहल ने खुलासा करते हुए कहा, ‘‘मेरी यह स्टोरी कुछ लोगों को पता है, लेकिन आज से पहले मैं ने यह बात कभी किसी को नहीं बताई. अब लोग इस के बारे में जानेंगे.

‘‘यह साल 2013 की बात है, जब मैं मुंबई इंडियंस टीम का हिस्सा था. हमारा बैंगलुरु में एक मैच था. मैच के बाद एक गैटटुगैदर था. वहां एक खिलाड़ी था, जो शराब के नशे में धुत्त था. मैं उस का नाम नहीं लूंगा. वह काफी देर से मुझे घूर रहा था, फिर कुछ सोच कर उस ने मुझे अपने पास बुलाया.

‘‘वह मुझे बाहर ले कर गया और बालकनी से लटका दिया. मेरे हाथ उस के गले से लिपटे हुए थे. अगर मेरा हाथ फिसल जाता तो मैं 15वीं मंजिल से ही गिर गया होता. तभी वहां मौजूद लोगों ने पूरे हालात को संभाला. मैं तो बेहोश हो गया था. मुझे लोगों ने पानी पिलाया.’’

जातिसूचक शब्द से छेड़ा

युजवेंद्र चहल की मुसीबतें यहीं खत्म नहीं होतीं. उन्हें जातिसूचक शब्दों के बाण भी झेलने पड़े हैं, वे भी अपने साथी खिलाड़ी युवराज सिंह से.

दरअसल, कोरोना महामारी के चलते साल 2020 में पूरे देश में जब लौकडाउन लगा था, तब खिलाड़ी वीडियो चैट पर बातें करते थे. इसी सिलसिले में युवराज सिंह और रोहित शर्मा इंस्टाग्राम लाइव चैट पर बात कर रहे थे, तभी दोनों के बीच युजवेंद्र चहल को ले कर बात हुई, तो युवराज सिंह ने कथिततौर पर जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया था.

जल्द ही वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिस में युवराज सिंह जातिवादी टिप्पणी करते हुए बोले थे, ‘‘इन (जातिसूचक शब्द) लोगों को कोई काम नहीं है. युजी (युजवेंद्र चहल) को देखा कैसा वीडियो डाला है…’’

इस मामले में हांसी, हरियाणा पुलिस ने रजत कलसन की शिकायत पर युवराज सिंह के खिलाफ अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार अधिनियम के खिलाफ केस दर्ज किया था. मुकदमे को खारिज कराने के लिए युवराज सिंह ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस को युवराज सिंह के खिलाफ कोई कार्यवाही न करने का आदेश दिया था.

बात यह नहीं है कि अब जबकि युजवेंद्र चहल ने अपने मन की भड़ास निकाली है, तो एंड्रियू साइमंड्स और जेम्स फ्रैंकलीन पर क्या कार्यवाही होगी. होगी भी या नहीं… या फिर उस अनाम खिलाड़ी को कोई सजा मिलेगी भी या नहीं, जिस ने शराब के नशे में युजवेंद्र चहल को 15वीं मंजिल से नीचे लटका दिया था.

जहां तक युवराज सिंह वाले मामले की बात है, तो वह कोर्ट में जा चुका है. वैसे, युवराज सिंह सार्वजनिक तौर पर सब से माफी मांग चुके हैं, पर सब से बड़ा सवाल यह है कि ऐसा होता ही क्यों है इस जैंटलमैन गेम में?

ऐसा नहीं है कि खिलाडि़यों के विवाद पहले नहीं होते थे या उन में क्रिकेट के मैदान पर स्लैजिंग नहीं होती है, पर मैदान के बाहर शराब के नशे में की गई शर्मनाक हरकत को प्रैंक तो कतई नहीं कहा जा सकता. जातिगत या रंगभेद की टिप्पणी तो आप को जेल तक भेज सकती है.

अगर वीरेंद्र सहवाग की मानें, तो उन्होंने एकदम सही कहा है कि युजवेंद्र चहल को उस खिलाड़ी का नाम सब को बताना चाहिए, जिस ने उन्हें 15वीं मंजिल से नीचे लटका दिया था.

पर क्या इस समस्या का हल नाम बताने से हो जाएगा? शायद नहीं. दरअसल, यह जो कमजोर को सताने की रीत है न, वह दुनिया में बहुत पुरानी है. ताकतवर अगर जाति से बड़ा हो तो वह निचली जाति वाले को और ज्यादा सताता है.

युवराज सिंह ने जातिसूचक शब्द का सीधेतौर पर युजवेंद्र चहल पर नहीं किया था, पर उन का सीधा मतलब यह था कि यह नाचगाना तो निचली जाति के फूहड़ लोग करते हैं, जबकि यह तो इनसान की काबिलीयत के साथसाथ उस कला की भी बेइज्जती थी, जिसे नाच कहा जाता है.

जेम्स फ्रैंकलीन और एंड्रियू साइमंड्स को इस बात का घमंड था कि अगर वे किसी को बांध कर कमरे में बंद कर देंगे तो वह पीडि़त हमेशा उन से डर कर रहेगा और शायद उस के खेल पर भी इस का नैगेटिव असर पड़ेगा. पर, वे यह भूल जाते हैं कि मजाक और मसखरापन हद से ज्यादा बढ़ जाए, तो मामला बिगड़ते देर नहीं लगती है. स्कूलकालेज में रैगिंग के कितने बुरे नतीजे हो सकते हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है.

वैसे, आप को इस मुद्दे से हट कर एक बात बताते चलते हैं कि युजवेंद्र चहल हरियाणा के जींद इलाके के रहने वाले हैं और उन का परिवार साधारण मिडिल क्लास से है.

एक समय ऐसा था, जब वे शतरंज खेल को अपना कैरियर बनाना चाहते थे, पर चूंकि प्रोफैशनल शतरंज खिलाड़ी बनना काफी महंगा होता है, इसलिए उन्होंने क्रिकेट को चुना और अब अपनी कड़ी मेहनत से नाम भी बना लिया है. लेकिन साथ ही इस खेल की काली करतूतों को उजागर कर के उन्होंने शह और मात की नई शतरंजी बाजी चल दी है.

क्रिकेट :  विराट कोहली धुरंधर खिलाड़ी का मास्टरस्ट्रोक

सुनील शर्मा

विराट कोहली ने टैस्ट क्रिकेट टीम की कप्तानी अचानक छोड़ दी है. दक्षिण अफ्रीका से 3 टैस्ट मैचों की सीरीज 2-1 से हारने के बाद उन्होंने 15 जनवरी, 2022 को यह कदम उठाया है.

बता दें कि विराट कोहली का पिछले दिनों वनडे की कप्तानी छीने जाने को ले कर भी बीसीसीआई से विवाद हुआ था. इस के बाद उन्होंने पत्रकारों के सामने सार्वजनिक रूप से अपना पक्ष रखा था और बीसीसीआई को कठघरे में खड़ा किया था.

अब टैस्ट कप्तानी छोड़ते हुए विराट कोहली ने जो चिट्ठी लिखी है, उस में भी काफी नपेतुले शब्दों में उन्होंने बहुत कम लोगों का जिक्र करते हुए अपनी बात रखी है. कभी के जु झारू खिलाड़ी और कोच रह चुके अनिल कुंबले के साथसाथ किसी और साथी खिलाड़ी को ज्यादा भाव नहीं दिया गया है. हां, रवि शास्त्री और महेंद्र सिंह धौनी का खासतौर पर शुक्रिया अदा किया गया है.

इस में कोई दोराय नहीं है कि विराट कोहली एक आक्रामक बल्लेबाज और जु झारू खिलाड़ी हैं, जिन का गुस्सा उन के बल्ले और जबान से मैदान पर बखूबी दिखता है, पर यह भी एक कड़वा सच है कि बतौर बल्लेबाज वे पिछले तकरीबन 2 साल से जू झ रहे हैं. नवंबर, 2019 से अब टैस्ट कप्तानी छोड़ने तक उन्होंने इंटरनैशनल क्रिकेट में एक भी सैकड़ा नहीं बनाया है.

इस के बावजूद विराट कोहली के अब तक के खेल आंकड़े चौंकाने वाले हैं. 99 टैस्ट मैचों में उन्होंने 50.4 की औसत से 7,962 रन बनाए हैं. 254 वनडे मैचों में 59.1 की औसत से 12,169 रन बटोरे हैं, जबकि 95 ट्वैंटी20 मैचों में 52.0 की औसत से 3,227 रन अपने नाम किए हैं.

विराट कोहली ने 68 टैस्ट मुकाबलों में भारतीय टीम की कप्तानी की है. इन में से 40 मुकाबलों में टीम को जीत मिली, 17 मुकाबलों में हार मिली और 11 मैच बेनतीजा रहे. कुलमिला कर टीम का जीत फीसदी 58.82 रहा.

विराट कोहली ने 68 टैस्ट मैचों की 113 पारियों में 54.80 की औसत से 5,864 रन बनाए हैं. उन्होंने बतौर कप्तान 20 सैंचुरी जड़ी हैं और 18 हाफ सैंचुरी लगाई हैं.

भले ही टीम इंडिया विराट कोहली की कप्तानी में पहला वर्ल्ड टैस्ट चैंपियनशिप का खिताब जीतने से चूक गई, लेकिन फिर भी टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कई सीरीज जीतीं. उन की कप्तानी में भारत ने सब से ज्यादा टैस्ट मुकाबले जीते हैं.

अब सवाल उठता है कि विराट कोहली टीम के लिए बतौर बल्लेबाज जरूरी हैं या कप्तान? आज की तारीख में वे एकलौते ऐसे बल्लेबाज हैं, जो सचिन तेंदुलकर के बनाए गए रिकौर्डों की बराबरी करने का माद्दा रखते हैं और फिलहाल चाहे वे अपनी फौर्म से जू झ रहे हैं, पर उन की तकनीक और आक्रामकता आज भी वही है.

विराट कोहली बल्लेबाजी में जितने चाकचौबंद हैं उतने ही चपल फील्डर भी हैं. फिटनैस में कोई उन का सानी नहीं है और मैदान पर वे एक चीते की तरह चौकस दिखाई देते हैं.

एक समय था, जब सचिन तेंदुलकर कप्तानी में सिरे से फेल हो गए थे और वे उस का दबाव  झेलने की हालत में नहीं थे, इसलिए उन्होंने कप्तानी छोड़ते हुए अपनी बल्लेबाजी पर नए जोश के साथ फोकस किया था.

विराट कोहली अभी 33 साल के हैं और उन में कई साल का खेल बचा है. वे सचिन तेंदुलकर को देख कर क्रिकेट की दुनिया में आए हैं, लिहाजा, उन्हें ‘लिटिल मास्टर’ को ही आदर्श मान कर अब कप्तानी के बजाय अपनी बल्लेबाजी पर फोकस करना चाहिए, ताकि वह उन का ‘मास्टरस्ट्रोक’ साबित हो सके.

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