देखते ही देखते टेस्ट टीम की जान बनते जा रहे हैं मयंक अग्रवाल, डौन ब्रैडमैन को भी पीछे छोड़ा

क्रिकेट के सभी प्रारूपों में टेस्ट क्रिकेट एक ऐसा प्रारूप है जिसमें खिलाड़ी की असली क्षमता का पता चलता है. एकदिवसीय और टी-20 फॉर्मेट में तो खिलाड़ियों पर दवाब रहता है जल्दबाजी में रन बनाने की लेकिन टेस्ट में एक बल्लेबाज को रन भी बनाना होता है और विकेट भी बचाना होता है. टेस्ट में भारतीय टीम नंबर वन पोजीशन पर है. उसका कारण है कि इस टीम के पास कुछ ऐसे खिलाड़ी निखर के आए हैं जो लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

भारत के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने बांग्लादेश के खिलाफ दोहरा शतक जड़ा. ये उनका दूसरा दोहरा शतक है. इसके साथ उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन से भी आगे निकल गए. मयंक ने होल्कर स्टेडियम में बांग्लादेश के साथ जारी पहले टेस्ट मैच के दूसरे दिन छक्के के साथ अपने करियर का दूसरा दोहरा शतक पूरा किया. मयंक ने 12वीं पारी तक जाते-जाते दो दोहरे शतक लगा लिए हैं जबकि ब्रैडमैन ने दो दोहरो शतकों के लिए 13 पारियों का इंतजार किया था.

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रिकॉर्डों को अलग कर देखा जाए तो मयंक अग्रवाल इस वक्त टीम इंडिया के लिए तुरुप का इक्का बन चुके हैं. हम ये इसलिए नहीं कह रहे क्योंकि उन्होंने दोहरा शतक जड़ा है बल्कि ये बल्लेबाज हर दिन अपने खेल में सुधार कर रहा है. सहवाग के बाद टीम के पास कोई ऐसा ओपनर नहीं था जोकि लगातार रन बनाएं और विकेट भी न गंवाए. इस वक्त रोहित शर्मा और मयंक अग्रवाल जैसे दो दमदार खिलाड़ी टीम को बेहतरीन शुरूआत दे रहे हैं.

मयंक अग्रवाल ने अब तक आठ टेस्ट की 12 पारियों में 858 रन बनाए हैं. उनका बैटिंग एवरेज 71.50 का है. वहीं अगर स्ट्राइक रेट की बात करें तो 56.48 का है. मयंक ने तीन शतक, दो दोहरे शतक और तीन अर्धशतक जड़े हैं.

मयंक अग्रवाल की तकनीक, टेम्प्रामेंट और टाइमिंग लाजवाब है. हर मैच में मयंक के निखरते प्रदर्शन को देखकर कहा जा सकता है कि वो भी रोहित की तरह भारतीय टीम में एक दमदार ओपनर के तौर पर अपनी जगह पक्की करने के लिए अग्रसर हैं. आंकड़ों में अगर रोहित और मयंक की पिछली पांच पारियों के प्रदर्शन पर गौर करें तो आप चौंक सकते हैं। बतौर ओपनर रोहित ने पिछली पांच पारियों में 107 की शानदार औसत से 535 रन बनाए जिसमें तीन शतक भी शामिल है और इसमें एक दोहरा शतक भी हिटमैन के बल्ले से निकला.

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वहीं भारतीय टीम के दूसरे सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल पिछली पांच पारियों में 116.06 के शानदार औसत से 583 रन बनाए हैं. जिसमें मयंक ने तीन शतक औक दो दोहरे शतक लगातक अपनी ताकत दिखाई. सिर्फ इतना ही नहीं मयंक 2019 में 740 रन अपने खाते में जोड़कर भारत के लिए टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाकर विराट कोहली को पछाड़कर पहले नंबर पर आ चुके हैं.

मयंक न सिर्फ खुद को टीम में स्थापित कर चुके हैं बल्कि टीम इंडिया के लिए उनका योगदान अब जीत की शक्ल लेना शुरू कर चुका है. उनकी फॉर्म उनके शानदार आंकड़ों से साफ जाहिर है. कप्तान का विश्वास मयंक पर अडिग है तो फैंस के दिल में भी मयंक हीरो के किरदार में फिट हो रहे हैं.

दोहरे शतक के बाद मयंक अग्रवाल ने जो कहा वो दिल छू लेने वाली बात है. मयंक ने कहा कि असफलता के डर को पीछे छोड़ने से उनकी रन बनाने की भूख बढ़ गई. मयंक की पारी के दम पर टीम इंडिया खेल के दूसरे दिन बेहद मजबूत स्थिति में पहुंच गई.  मयंक अग्रवाल ने कहा कि ऐसा भी वक्त रहा है जब मैं रन नहीं बनाए हैं. इसलिए जब भी मैं क्रीज पर जम जाता हूं तो मेरी कोशिश रहती है कि मैं बड़ी पारी खेलूं. मानसिकता की बात करें तो असफलता के डर को पीछे छोड़ने से मुझे काफी फायदा हुआ. इसके बाद मेरी रनों की भूख काफी बढ़ी है.

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अनुष्का का गुस्सा जायज है! खिलाड़ियों के बेडरूम तक सीमित हो चुकी है खेल पत्रकारिता

“मनगढ़ंत और फर्जी खबरो-किस्सों से कैसे निपटा जाए, इस बारे में मेरी हमेशा यही राय रही कि आप चुप रहें और आलोचकों को बोलने दें. इस बात में विश्वास रखते हुए ही मैंने अपने करियर के 11 साल पूरे किए हैं. मैंने हमेशा अपनी चुप्पी की परछाई में अपने आत्मसम्मान और सत्य को मजबूती से खड़े पाया”.

“लेकिन वो कहावत है ना कि बार-बार एक झूठ को दोहराया जाए तो वो सच लगने लगता है, मेरे साथ वही हो रहा है. मेरी चुप्पी की वजह से मेरे खिलाफ बोए गए झूठ सच लगने लगे हैं लेकिन आज इसका अंत होगा. मैं उस वक़्त चुप रही जब कहा गया कि मेरी वजह से मेरे पति विराट कोहली का प्रदर्शन बिगड़ा. मैं उस बेबुनियाद के आरोप पर भी चुप रही जब कहा गया कि मैं भारतीय क्रिकेट से जुड़ी चीज़ों में शामिल हूं.”

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“मेरा नाम उन मनगढ़ंत किस्सों में भी शामिल किया गया जिनमें कहा गया कि मैं बंद कमरों में होने वाली क्रिकेट टीम की बैठकों में शामिल होती हूं और टीम की सलेक्शन प्रक्रिया को प्रभावित करती रही हूं. मैं चुप रही. मेरे नाम को गलत तरीके से उन दावों में भी इस्तेमाल किया गया जिनके अनुसार इंडियन टीम के विदेशी दौरे पर मैं अपने पति के साथ तय वक्त से ज्यादा समय के लिए रुकी. जबकि मैंने हमेशा सारे प्रोटोकॉल फॉलो किये. लोग कहते रहे, पर मैं चुप रही.”

“जब मुझसे एक हाई कमिश्नर की पत्नी ने ग्रुप फ़ोटो में आने की गुज़ारिश की और बड़े संकोच के साथ मैं उस तस्वीर के लिए तैयार हुई, तो भी बवाल खड़ा किया गया और कहा गया कि मैं उस इवेंट में ज़बरन शामिल हुई थी, जबकि मुझे आमंत्रित किया गया था. लेकिन क्रिकेट बोर्ड को इसे लेकर स्पष्टीकरण देना पड़ा और मैं चुप रही. इस कड़ी में जो सबसे नया झूठ फ़ैलाया जा रहा है वो ये है कि वर्ल्ड कप मुक़ाबलों के दौरान क्रिकेट टीम के चयनकर्ताओं ने मुझे चाय परोसी थी!”

“अगर आपको चयनकर्ताओं और उनकी योग्यता पर ही कोई टिप्पणी करनी है तो शौक से करें, पर अपने फ़र्ज़ी दावों में दम भरने के लिए और सनसनी पैदा करने के लिए मेरे नाम का इस्तेमाल ना करें. मैं ये नहीं होने दूंगी कि आप ऐसी घटिया कहानियों में मेरे नाम को घसीटें. ऐसा नहीं है कि इस अंतिम ‘ख़बर’ से ही मुझे सबसे अधिक तकलीफ़ हुई है और मैंने चुप्पी तोड़ी. हर बार मुझे उतना ही ख़राब लगता है, गुस्सा आता है.”

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“इसलिए मेरी इस चिट्ठी को उस एक कथित ख़बर का जवाब ना समझा जाए. मैंने आज बोलने का फ़ैसला किया क्योंकि मुझे लगा कि किसी के चुप रहने को उसकी कमज़ोरी ना समझ लिया जाए. आपको अपना एजेंडा चलाना है, किसी की आलोचना करनी है, भले ही मेरे पति की आलोचना क्यों ना करनी हो, वो आप तथ्यों और सबूतों के साथ करें. पर मेरे नाम को बख़्श दें.”

“मैंने सारी गरिमाओं का ध्यान रखते हुए अपने दम पर अपना करियर बनाया है. मैं इसे लेकर कोई समझौता नहीं कर सकती. कुछ लोगों को शायद ये बात हज़म नहीं होती होगी कि मैं अपनी मेहनत के दम पर सफ़ल होने वाली स्वतंत्र महिला हूँ जो एक क्रिकेटर की बीवी भी है….और रिकॉर्ड के लिए, मैं (चाय नहीं) कॉफी पीती हूँ.”

ये बात अनुष्का शर्मा ने कही. अनुष्का शर्मा ने केवल फारूक इंजीनियर को ही जवाब नहीं दिया बल्कि खिलाड़ियों के बेडरूम की बातें लिखकर फेमस होने वाले लोगों के ऊपर एक करारा तमाचा  है. हमेशा से ही मै इस बात का तरफदार रहा हूं कि खेल पत्रकारिता का स्तर ऐसा नहीं होना चाहिए जैसा कि हो रहा है. पहले खेल की बारीकियों, पर खिलाड़ियों के आंकड़ों और उनके प्रदर्शन पर चर्चाएं होती थी  लेकिन अब इन सब के अलावा सब पर चर्चा हो रही है. रोहित शर्मा की पत्नी ने अनुष्का की तरफ क्यों नहीं देखा. विराट कोहली की पत्नी अनुष्का शर्मा प्रेग्नेंट है कि नहीं. विराट कोहली अनुष्का को क्या गिफ्ट दे रहे हैं. दिनेक कार्तिक की पत्नी और मुरली विजय के बीच क्या चर रहा है.

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बार-बार ऐसी चीजों से खिलाड़ियों का मनोबल गिरता है. तभी हम देखते हैं कि किसी भी टूर्नामेंट के पहले खिलाड़ी मीडिया और सोशल मीडिया से दूरी बना लेते हैं. क्योंकि उनको पता होता है कि कुछ न कुछ उनको ऐसा दिख जाएगा जिसकी वजह से उनके खेल पर इफेक्ट हो जाएगा. अनुष्का को लेकर काफी मीम्स बनें और विराट कोहली के प्रदर्शन पर जब भी बात होती है तो उसमें बेवजह अनुष्का को घसीट लिया जाता है.

फारूक इंजीनियर के बयान से साफ था कि उनके निशाने पर सेलेक्टर्स थे लेकिन उन्होंने इसके लिए अनुष्का का सहारा लिया. अनुष्का ने भी इस बात का जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि अगर आप को सेलेक्टर्स को कुछ कहना है कि आप मेरा सहारा मत लीजिए.

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भारतीय टेस्ट क्रिकेट में शायद लंबे अर्से वक्त बाद ऐसा नजारा देखने को मिल रहा था. टेस्ट क्रिकेट में भारत के पास वो वीरेंद्र सहवाग नहीं था जो टेस्ट में भी 100 के स्ट्राइक रेट से रन बरसाता था. टीम इंडिया लगातार प्रयोगों के दौर से गुजर रही थी लेकिन इस समस्या का निदान टीम के भीतर ही था. लंबे वक्त के बाद टीम इंडिया अब उस समस्या से बाहर आ गई है. टीम इंडिया की ओपनिंग जब से रोहित शर्मा ने करनी शुरु की तब से वो रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं. हालांकि अभी तक उनके सभी टेस्ट शतक भारत की सरजमी पर ही आए हैं लेकिन ये भी कुछ कम नहीं है. रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट में एक नई लकीर खींच दी है.

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भारतीय क्रिकेट टीम के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा ने रांची में अपने टेस्ट करियर का पहला दोहरा शतक पूरा किया. इसके साथ ही रोहित शर्मा ने रिकॉर्डों की झड़ी लगा दी. रांची में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट के दूसरे दिन रोहित शर्मा ने 249 गेंदों में अपने टेस्ट करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 212 रन पूरे किए. इससे पहले रोहित ने उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 177 रन था, जो उन्होंने अपने डेब्यू टेस्ट में वेस्ट इंडीज के खिलाफ कोलकाता में नवंबर, 2013 में बनाया था. हालांकि अपने टेस्ट करियर में रोहित तीसरी बार 150 से अधिक का स्कोर बनाने में कामयाब हुए हैं.

रोहित शर्मा टेस्ट और वनडे इंटरनेशनल दोनों में 200+ का स्कोर करने वाले चौथे बल्लेबाज बन गए हैं. इससे पहले सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और क्रिस गेल यह कारनामा कर चुके हैं. रोहित शर्मा ने मौजूदा टेस्ट सीरीज में अब तक 19 छक्के जड़े हैं. इससे पहले यह कीर्तिमान वेस्टइंडीज के शिमरॉन हेटमेयर के नाम था, जिन्होंने 2018-19 में बांग्लादेश के खिलाफ 2 टेस्ट मैचों की सीरीज में 15 छक्के लगाए थे. इतना ही नहीं हिटमैन ने दिग्गज खिलाड़ी औसत के मामले में सर डॉन ब्रैडमैन का रिकॉर्ड भी तोड़ा है. घरेलू मैदान पर रोहित शर्मा की बल्लेबाजी औसत 99.84 का है. जबकि सर डॉन ब्रैडमैन ने घरेलू मैदान पर 98.22 की औसत रन बनाए हैं.

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रोहित शर्मा ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ इस सीरीज में 100 से ज्यादा के औसत से तीन शतकों के साथ 529 रन पूरे कर लिए हैं. इसी के साथ वो तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे खिलाड़ी बन गए हैं. रोहित से पहले वीरेंद्र सहवाग ने पाकिस्तान के खिलाफ साल 2005 में बतौर ओपनर 500 से ज्यादा रन बनाए थे, जिसमें एक तिहरा शतक भी शामिल था.

रोहित शर्मा एक टेस्ट सीरीज में 500 या उससे ज्यादा रन बनाने वाले पांचवे भारतीय ओपनर बन गए हैं. हिटमैन से पहले विनोद मांकड़, बुद्धी कुंदेरम, सुनील गावस्कर और वीरेंद्र सहवाग ने एक टेस्ट सीरीज में 500+ रन बनाए थे. गावस्कर ने ये कारनामा पांच बार किया है. उन्होंने पांच टेस्ट सीरीज में 500+ रन बनाए थे.

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सौरव गांगुली का बीसीसीआई अध्यक्ष बनना, बीजेपी की प. बंगाल में बैक डोर एंट्री है!

राजनीति में कोई भी दोस्त या दुश्मन नहीं होता. विलियम शेक्सपियर का एक मशहूर कोट है ‘Everything is Fair Love And War’. अब तो राजनीति के हालात हैं उसमें इस कोट को बदलकर Everything is Fair Love, War and Politics’. पिछले कुछ सालों में जिस तरह से बंगाल की राजनीति में बदलाव देखा गया वो बाकी अन्य राज्यों में देखने को नहीं मिला. भाजपा ने जिस तरह से बंगाल की राजनीति में एंट्री की है उसने ममता दीदी के माथे में चिंता की लकीरें खींच दी हैं. फिलहाल यहां हम बात करेंगे पूर्व क्रिकेटर और प्रिंस ऑफ कोलकाता कहलाने वाले सौरव गांगुली का. गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष पद की कमान संभाल ली है. भारतीय क्रिकेट के लिए तो ये एक स्वर्णिम वक्त है. लगभग 60-65 सालों के बाद कोई भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान इस पद पर बैठा है. लेकिन उनके इस पद से ममता दीदी काफी परेशान हैं. उनको लग रहा है कि अगर गांगुली बीजेपी के खेमे में गए तो ममता दीदी के हाथ से सत्तासुख छिन सकता है.

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गांगुली का केवल 10 महीने के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के लिए तैयार होना भी कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं. दरअसल, अध्यक्ष बनना गांगुली के लिए फायदा से ज्यादा नुकसान वाली डील है. अध्यक्ष बनने के बाद गांगुली को कमेंट्री और मीडिया कॉन्ट्रैक्ट से मिलने वाले करीब 7 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. जब वह बीसीसीआई अध्यक्ष बन जाएंगे तो ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे. इसके अलावा टीम इंडिया की कोचिंग का उनका सपना भी दूर की कौड़ी हो जाएगी. बता दें कि गांगुली कई मौकों पर कह चुके हैं कि वह भारतीय टीम का कोच बनने के ख्वाहिशमंद हैं. कहा जा रहा है कि गांगुली अध्यक्ष बनने के लिए इसलिए तैयार हुए हैं क्योंकि वह बंगाल में बीजेपी का मुख्यमंत्री का चेहरा बनने का ऑफर स्वीकार करेंगे. जबतक बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर उनका कार्यकाल खत्म होगा तबतक बंगाल में विधानसभा चुनाव करीब आ जाएंगे.

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देश के गृहमंत्री अमित शाह ने इन दिनों कई न्यूज चैनलों को इंटव्यू दिया है. इस इंटरव्यू में एक सवाल कॉमन रहा. वो सवाल था क्या सौरव गांगुली बीजेपी ज्वाइन कर लेंगे. शाह ने भी बड़ी ही चालकी से इस बात का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अभी ऐसी कोई बात नहीं हुई है लेकिन आगे कुछ भी हो सकता है. कई पत्रकारों ने घुमा फिराकर इस सवाल को कई बार दागा लेकिन शाह का जवाब टस्स से मस्स नहीं हुआ. जब गांगुली से जब पूछा गया कि क्या वह 2021 में बीजेपी का बंगाल में चेहरा होंगे, गांगुली ने कहा, ‘कोई राजनेता मेरे संपर्क में नहीं है और यही हकीकत है. जहां तक ममता दीदी की बात है तो मैं उनका बधाई संदेश पाकर काफी खुश हूं.’ लेकिन एक हकीकत यह भी है कि गांगुली अमित शाह, अनुराग ठाकुर और हेमंत बिस्वा शर्मा से मिले हैं.

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केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि बंगाल में बीजेपी का चेहरा कौन होगा यह अभी तय नहीं है. इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है. लेकिन जनता ने यह तय कर लिया है कि ममता बनर्जी सरकार को हटाना है. बता दें कि बीजेपी बंगाल में सरकार बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने काफी कोशिश की थी लेकिन ममता बनर्जी विजेता बनकर उभरीं थी. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें जीती थीं. अब 2021 में बंगाली में विधानसभा होने जा रहे हैं. बीजेपी इन चुनावों में ममता सरकार को गिराने के लिए गांगुली का सहारा ले सकते हैं.

पश्चिम बंगाल में 42 संसदीय सीटें हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में तृणमूल उनमें से 34 सीटें हासिल कर लोकसभा में तीसरी सबसे पार्टी बनी थी. ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव में अगर तृणमूल इससे अच्छा कुछ करती है तो किंगमेकर होने के साथ ममता की पीएम उम्मीदवारी भी मजबूत होगी, लेकिन 2011 विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा यहां मुख्य विपक्षी दल बन कर उभरी. 2014 लोकसभा चुनाव में स्थिति और मजबूत हुई. पहली बार भाजपा को पश्चिम बंगाल से दो सीटें मिलीं. अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 2019 चुनाव के लिए बंगाल से 23 सीटों का लक्ष्य तय किया था लेकिन भाजपा ने यहां 18 सीटें जीती थी और कई सीटें मामली अंतर से हारी थी.

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1954 के बाद पहली बार कोई भारतीय कप्तान बना BCCI का अध्यक्ष, ये होंगी चुनौतियां

आखिरकार सौरव गांगुली विश्व के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई के अध्यक्ष बन गए. वैसे तो बीसीसीआई स्वतंत्र संस्था है जिसपर किसी की भी हस्तक्षेप नहीं रहा लेकिन राजनीति से ये कभी अछूती नहीं रही. चाहे हो जगमोहन डालमिया हो या फिर अनुराग ठाकुर हों या श्रीनिवासन.

लेकिन इस बार एक अच्छी बात ये है कि 1954 के बाद पहली बार कोई भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान इस अहम पद पर बैठने जा रहा है. गांगुली पर जिम्मेदारी भी बहुत है क्योंकि अगले साल ही टीम को टी-20 विश्व कप और एशिया कप खेलना है. साथ ही सीओए के साथ तालमेल बैठाना भी बड़ी जिम्मेदारी होगी.

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मुंबई में क्रिकेट संघों की कई राउंड मीटिंग के बाद सौरव गांगुली के नाम पर सहमती बनी थी क्यूंकि उन्होंने साफ तौर पर बता दिया था की अध्यक्ष पद के अलावा उनका किसी और पद में कोई रूचि नहीं है. माना जा रहा है कि गांगुली को भारत सरकार के मंत्री अनुराग ठाकुर का भी समर्थन प्राप्त था. अध्यक्ष पद खोने के बाद बृजेश पटेल ने आईपीएल का चेयरमैन बनने पर सहमति दे दी. गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह को सचिव जबकि अरुण सिंह ठाकुर, जो अनुराग ठाकुर के छोटे भाई है, को कोषाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं.

चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद पूर्व भारतीय कप्तान का कार्यकाल 10 महीने का होगा. फिलहाल गांगुली के लिए ये एक छोटा कार्यकाल होगा क्योंकि नए नियमों के तहत जुलाई 2020 से उनकी कूलिंग ऑफ़ अवधि शुरू हो जाएगी. वह पिछले पांच वर्षों करीब दो महीने से क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल में पद संभाल रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढ़ा कमेटि के नियमों के मुताबिक एक प्रशासक केवल छह साल के अंतराल पर सेवा दे सकता है.

गांगुली, जिन्होंने अपनी आक्रामक कप्तानी के साथ भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत की, वो बोर्ड के शीर्ष पद संभालने वाले दूसरे भारतीय कप्तान होंगे. बीसीसीआई के अध्यक्ष बनने वाले एकमात्र अन्य भारतीय कप्तान विजयनग्राम या विज्जी के महाराजकुमार थे, जिन्होंने 1936 में इंग्लैंड दौरे के दौरान 3 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था.

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वे 1954 में बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे. गांगुली कभी भी नेतृत्व की भूमिका निभाने से कतराते नहीं हैं. विश्व क्रिकेट में सबसे सफल कप्तानों में से एक के रूप में अपना करियर खत्म करने के बाद, उन्होंने बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया के संरक्षण में सीएबी में प्रशासन में प्रवेश किया.

जब गांगुली ने 2000 में भारत के कप्तान के रूप में पदभार संभाला था, तो भारतीय क्रिकेट गर्त में था. मैच फिक्सिंग कांड के बाद बोर्ड की आईसीसी में दबदबा काफी कम हो गया था. बतौर कप्तान उन्होंने भारतीय क्रिकेट को विश्वास दिलाया कि भारत विदेशों में भी जीत सकता है.

गांगुली के सामने अब कई चुनौती होंगी. उन्हें सीओए के साथ कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट को भी सुधारना होगा. नामांकन दाखिल करने के बाद गांगुली ने पत्रकारों से कहा था, ‘‘हितों का टकराव का मुद्दा बड़ा है. और मुझे यह नहीं पता है कि मैं सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों की सेवाएं ले पाऊंगा या नहीं क्योंकि उनके पास दूसरे विकल्प भी मौजूद होंगे.’’

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गांगुली ने साफ किया कि ‘एक व्यक्ति एक पद’ के मौजूदा नियम क्रिकेट के पूर्व दिग्गजों को प्रशासन में आने से रोकेगा क्योंकि उन्हें अपनी आजीविका कमाने की भी जरूरत होगी. इसके साथ ही फर्स्ट क्लास क्रिकेट पर भी गांगुली का ध्यान होगा. गांगुली के सामने टी-20 विश्व कप के समय तक टीम को बेहतरीन बनाना भी बड़ा मुद्दा है. क्योंकि टी-20 में अभी भी भारतीय टीम को सुधार करने की बड़ी जरूरत है.

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