लेखक – नंदकिशोर गोयल

 

जून 2018 की तपती दोपहर थी. उस दिन गरमी पूरे शबाब पर थी. हनुमानगढ़ टाउन निवासी अशोक अरोड़ा जिला न्यायालय परिसर में
स्थित एक फोटोस्टेट दुकान में फोटोस्टेट करवाने को दाखिल हुए, तभी वहां खड़ी एक युवती ने मधुर स्वर में कहा, ‘‘भैया, 10 रुपए उधार देंगे क्या? मैं हड़बड़ाहट में अपना पर्स घर पर ही भूल आई हूं.’’
कुछ पल विचार कर अशोक ने एक 50 रुपए का नोट जेब से निकाल कर उस युवती की तरफ बढ़ा दिया. युवती ने नोट ले लिया व हाथ में पकड़े थैले में से कुछ ढूंढने लगी. तब तक अशोक के कागज फोटोस्टेट हो चुके थे. वह अपने कागज ले कर दुकान से बाहर निकल कर अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ चुके थे.
‘‘अरे भैया, बाकी 40 रुपए तो लेते जाइए.’’ कह कर हाथ में 10-10 के 4 नोट उठाए लगभग हांफती हुई वह युवती अशोक की कार के पास पहुंच चुकी थी. अशोक ने देखा युवती पसीने से तरबतर थी.
‘‘भाईसाहब, आज तो गरमी ने पसीनापसीना कर दिया है.’’ युवती ने फिर कहा और 40 रुपए उन्हें देते हुए बोली, ‘‘लीजिए, बाकी के 40 रुपए. मुझे 10 रुपए ही चाहिए थे.’’

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अशोक ने बाकी पैसे लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने बगल में स्थित एक रेस्टोरेंट की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘गरमी बहुत है. चलो, वहां कुछ ठंडा पीते हैं.’’
दोनों रेस्टोरेंट में एक मेज के सामने बैठ गए. उस समय वहां इक्कादुक्का ग्राहक ही थे. वेटर के आने पर अशोक ने 2 गिलास लस्सी का और्डर दिया. इस के बाद अशोक ने उस युवती को अपने बारे में बताते हुए कहा, ‘‘मुझे अशोक अरोड़ा कहते हैं. मैं हनुमानगढ़ टाउन में रहता हूं. मेरे ईंट भट्ठे हैं. एक पार्टी पेमेंट देने में आनाकानी कर रही है. इसी चक्कर में कोर्ट आया था.’’
‘‘मेरा नाम सविता अरोड़ा है. मेरा पीहर टिब्बी का है और हनुमानगढ़ जंक्शन में मेरी ससुराल है. पति के साथ मेरी अनबन चल रही है और कोर्ट में तलाक का मामला डाल रखा है. इसी सिलसिले में मैं आज अदालत आई थी.’’ युवती ने अपने बारे में बताया.

‘‘आप यदि बुरा नहीं मानें तो एक बात कहूं?’’ अशोक ने उसे गौर से देखते हुए कहा.
‘‘हांहां, बेफिक्र हो कर कहिए.’’ वह बोली.
‘‘पिछले साल मैं अपने एक दोस्त की शादी में आप के टिब्बी के एक असीजा परिवार के यहां गया था. वहां लहंगाचुन्नी में सुंदर सलोनी एक युवती को देखा था. जहां तक मुझे अपनी याद्दाश्त पर भरोसा है, वह सुंदरी आप ही थीं.’’
इतना सुनते ही युवती खिलखिला पड़ी, ‘‘अशोक बाबू, मान गए आप की याद्दाश्त को. असीजा परिवार की सोनू मेरी पक्की सहेली है. उसी की शादी में मैं ने ही लहंगाचुन्नी पहना था.’’ सविता बोली.

बढ़ने लगीं नजदीकियां

तब तक लस्सी आ गई. सविता ने अशोक को बता दिया था कि कोर्ट में उस की अगली तारीख 17 जुलाई को होगी. उसी दौरान सविता ने अपना मोबाइल नंबर अशोक को दे दिया और अशोक ने भी अपना विजिटिंग कार्ड सविता को दे दिया था.
बता दें कि हनुमान टाउन मूल शहर है. वहीं हनुमानगढ़ जंक्शन में रेलवे स्टेशन सहित अन्य सभी सरकारी कार्यालय हैं. कुछ सालों में जंक्शन क्षेत्र भी किसी शहर का रूप ले चुका है. दोनों शहरों में लगभग 3 किलोमीटर का फासला है. इस फासला क्षेत्र में घग्घर नदी का बहाव क्षेत्र है.

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हालांकि अशोक अरोड़ा शादीशुदा व बालबच्चेदार थे. गाहेबगाहे सुंदर युवतियों द्वारा किसी मोटी आसामी को फांस कर ब्लैकमेल करने की खबरें वह अखबारों में पढ़ चुके थे. लिहाजा उन के मन में भी विचार आया कि कहीं वह भी तो इस तरह के जाल में नहीं फंस रहे.
तभी उन्होंने तय कर लिया कि वह किसी भी सूरत में अपनी सीमा नहीं लांघेंगे. हां, सविता से संबंध केवल दोस्ती तक ही सीमित रखेंगे. लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि विपरीत लिंगी का आकर्षण दोनों ही तरफ होता है. वही इन के बीच भी था.

सविता व अशोक दोनों के पास एकदूसरे के मोबाइल नंबर थे. एक हफ्ता गुजर चुका था, पर किसी ने भी फोन नहीं किया था. लगभग 10 दिन बाद सविता ने अशोक के मोबाइल पर घंटी मारी. सविता का फोन आया देखते ही अशोक की आंखें चमक उठीं और दिल की धड़कनें बढ़ गईं.
औफिस में अकेले बैठे अशोक ने फोन रिसीव कर कहा, ‘‘कहिए मैडम…’’
‘‘मैडम नहीं, सिर्फ सविता. हां याद रखना, 17 जुलाई को मैं कोर्ट में आऊंगी, पेशी है. आप भी आओगे न?’’ वह बोली.

‘‘कोशिश करूंगा.’’ अशोक ने कहा.
‘‘अरे साहब, कोशिशवोशिश का बहाना नहीं चलेगा. आप की उधारी भी चुकानी है. आप को मेरी कसम है, जरूर आना.’’ सविता ने जैसे अधिकारपूर्ण स्वर में अशोक को याद दिलाई.

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सविता के अपनत्व भरे मीठे बोल ने अशोक को अंदर तक गुदगुदा दिया था. पर युवतियों द्वारा ब्लैकमेल की खबरों ने जैसे उन के पैरों में बेडि़यां डाल दी थीं.
17 जुलाई, 2018 की सुबह रोजाना की तरह तैयार हो कर अशोक अपने कार्यालय पहुंच चुके थे. उन का अंतर्मन अदालत जाने के लिए मना कर रहा था, पर बाहरी मन उन्हें अदालत जाने के लिए उकसा रहा था.
आखिर उन्होंने अपने बाहरी मन की बात मानी और आधा घंटा पहले ही अदालत पहुंच गए और कचहरी के पास उसी रेस्टोरेंट में जा कर बैठ गए, जिस में बैठ कर पिछली बार सविता के साथ लस्सी पी थी.

सजधज कर गई थी सविता

सविता भी कहां कम थी. वह भी अदालत के समय से काफी देर पहले ही कचहरी पहुंच गई थी. उस दिन विशेष बात यह थी कि सविता हलकाफुलका मेकअप कर वही लहंगाचुन्नी पहन कर आई थी जो उस ने अपनी सहेली सोनू की शादी में पहना था.
कचहरी पहुंच कर सविता ने इधरउधर ताकझांक की पर अशोक कहीं दिखाई नहीं दिए तो वह कचहरी से बाहर रेस्टोरेंट के पास पहुंच गई. जब वहां भी अशोक दिखाई नहीं दिए तो सविता ने उन का फोन नंबर मिलाया.

अशोक ने काल रिसीव करते ही कहा, ‘‘लहंगाचुन्नी में बड़ी खूबसूरत लग रही हो. लग रहा है जैसे कि अप्सरा आसमान से उतर आई हो.’’
अपनी प्रशंसा सुन कर सविता खुश हो गई. वह बोली, ‘‘आप हैं कहां, यहां तो दिखाई नहीं दे रहे?’’
‘‘मैं इसी रेस्टोरेंट में शीशे के पीछे बैठा हूं. आ जाओ.’’ अशोक ने कहा तो सविता रेस्टोरेंट में चली गई.
अशोक को देख कर वह बहुत खुश हुई और उस की टेबल के सामने बैठ गई.
‘‘अशोक बाबू, क्या खाएंगेपिएंगे, आज की पार्टी मेरी तरफ से.’’ सविता ने कहा, ‘‘देखिए, मेरे परिवार में मेरे खैरख्वाह के नाम पर मात्र एक बूढ़ी मां है. मैं अपना पीहर छोड़ कर कामधंधे की तलाश में मां को ले कर हनुमानगढ़ आ गई हूं. किराए के एक कमरे में रह कर जैसेतैसे गुजरबसर कर रही हूं. खुद का मकान व आर्थिक हालत बेहतर होती तो आप के लिए लजीज भोज की व्यवस्था कर आप को घर पर आमंत्रित करती पर…’’

‘‘कोई बात नहीं. आप ने कह दिया यही बहुत है.’’ अशोक ने कहा. फिर दोनों में बातचीत चलती रही. वेटर के आने पर अशोक ने और्डर दिया. तब तक अशोक ने सविता के घर का एड्रैस ले लिया था.
कुछ देर बाद अशोक ने सविता से जाने की इजाजत मांगी. जातेजाते अशोक ने पर्स से एक 500 रुपए का नोट निकाला और सविता की तरफ बढ़ा दिया. सविता नोट पकड़ने में आनाकानी करने लगी तो अशोक ने कहा, ‘‘अरे भई, दोस्ती के नाम पर ही रख लो.’’

तब सविता ने वह नोट ले लिया. इस के बाद अशोक वहां से चले गए और सविता कोर्ट की तरफ चली गई.

अशोक की करने लगी छानबीन

उन के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ तो लगभग रोजाना ही फोन पर उन की बातें होने लगीं. सविता अब अशोक के औफिस में जाने लगी थी. अशोक के पास 2-3 गाडि़यां थीं. कभीकभी अशोक अपनी गाड़ी से सविता को उस के घर पहुंचवा देते थे.
सविता के बारबार आग्रह करने पर एक दिन अशोक समय निकाल कर उस के घर पहुंच गए. सविता ने दिल खोल कर उन का स्वागत किया. सविता ने अपनी मां को अशोक का परिचय एक दोस्त के रूप में दिया था.
समय गुजरता रहा. दोनों के बीच पनपा दोस्ती का पौधा धीरेधीरे वटवृक्ष बनता जा रहा था. कह सकते हैं कि दोनों के बीच दोस्ती का नाता जरूरत से ज्यादा प्रगाढ़ हो गया था. सविता समझ गई थी कि अशोक बहुत बड़ी आसामी है.

अशोक हो गए प्रभावित

एक दिन अशोक सविता के घर थे. तभी सविता बोली, ‘‘अशोक बाबू, अगर मैं आप को शौकी नाम से पुकारूं तो कैसे लगेगा?’’
‘‘मुझे मंजूर है. अब मेरी भी सुनो, मेरी एक कालेज की दोस्त थी तनु, पर एक ऐक्सीडेंट में उस की मौत हो गई. अगर आप को भी मैं तनु नाम देना चाहूं तो आप को कोई ऐतराज तो नहीं होगा.’’
‘‘नहीं, मुझे कोई ऐतराज नहीं,’’ सविता बोली, ‘‘देखो आप शब्द में अपनापन नहीं होता. अगर हम दोनों तुम शब्द का प्रयोग करेंगे तो अच्छा लगेगा.’’

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‘‘ओके.’’ अशोक ने सहमति जताई.
एक दिन सविता उर्फ तनु अशोक के कार्यालय गई. वहां अशोक को तनाव की हालत में देख कर तनु बोली, ‘‘शौकी, क्या बात है इतने परेशान क्यों हो?’’
‘‘तनु, बात तो कोई खास नहीं है, एकदो पार्टियों के यहां पैसा फंसा है. उसे ले कर टेंशन में हूं. दूसरी टेंशन यह है कि कुछ अरसा पहले भैया शेखावटी क्षेत्र से लाखों रुपयों की उगाही कर के लौट रहे थे, उन के साथ लूट हो गई थी. जो पुलिस अधिकारी इस केस की जांच कर रहे थे, उन से मेरी अभीअभी बात हुई है. उन्होंने कहा कि लुटेरों का कोई सुराग अभी तक नहीं लगा है.’’ अशोक ने बताया.
‘‘देखो शौकी, पुलिस अगर अपनी पर आ जाए तो आज नहीं तो कल लुटेरे जरूर पकड़े जाएंगे. रही बात फंसे पेमेंट की तो सुनो, मैं आज ही इस के लिए अपने ईस्टदेव की विशेष पूजाअर्चना शुरू करूंगी. मुझे विश्वास है कि हफ्ता-10 दिन में तुम्हारा फंसा हुआ पेमेंट मिल जाएगा.’’ तनु ने कहा.
कुछ देर बातचीत करने के बाद सविता उर्फ तनु अशोक की गाड़ी से अपने घर लौट गई थी.

उस दिन 15 सितंबर, 2018 की तारीख थी. अशोक अपने औफिस में पहुंचे ही थे कि डीडवाना निवासी सुशील शर्मा का फोन आ गया, ‘‘अशोक बाबू, आप 20 सितंबर को यहां आ जाइएगा. सभी पार्टियों का पेमेंट
तैयार है. मेरी सभी पार्टियों से बात हो गई है.’’ सुशील पैसों के लेनदेन में बिचौलिए का काम करता था.
यह मात्र संयोग ही था कि अशोक को पार्टियों ने स्वयं फोन कर पेमेंट के लिए उन्हें बुलाया था. लेकिन अशोक इसे सविता की पूजा का नतीजा समझ रहे थे. वह उस दिन बहुत खुश हुए. मारे खुशी के अशोक उछल पड़े थे.

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उसी समय अशोक ने फोन कर यह खुशखबरी तनु को दी, ‘‘भई तनु, मान गए तुम्हारी पूजाअर्चना व तुम्हारे ईस्टदेव को. पार्टियों ने 21 सितंबर को पेमेंट के लिए बुलाया है. और हां, सुनो मेरी तरफ से हीरा जडि़त एक अंगूठी तुम्हारे लिए गिफ्ट. दूसरा गिफ्ट तुम अपनी तरफ से मुझ से मांग लो. पेमेंट मिलते ही शेखावटी क्षेत्र से लाऊंगा तुम्हारा गिफ्ट, वहां की कारीगरी व सोने की क्वालिटी उच्चस्तर की होती है.’’
‘‘शौकी, एक बात सुनो. भैया की तरह पेमेंट ले कर बसों में सफर नहीं करना. कोई नशा सुंघा कर बेहोश कर सकता है. विश्वसनीय ड्राइवर के साथ अपनी कार से सफर करना.’’

सविता ने बना ली योजना

इधर अशोक खुश थे, वहीं सविता उर्फ तनु भी अपनी दिमागी खुराफात का पासा फेंक कर फूली नहीं समा रही थी.
सविता ने 16 सितंबर की सुबह अपने परिचित टैक्सी चालक सुनील नायक को फोन कर अपने घर बुला लिया था. सविता को जब भी इधरउधर जाना होता था, वह सुनील की टैक्सी ही ले जाती थी.
उस ने उस से कहा, ‘‘देखो सुनील, एक मालदार मुर्गी फंसी है. उसे बड़ी चतुराई व समझदारी से हलाल करना है. मामूली सी चूक या गड़बड़ हम दोनों को कालकोठरी में पहुंचा देगी. तुम इस में अपने 4-5 दोस्तों को और शामिल कर लो. क्योंकि मामला 50 लाख का है.’’

 

सुनील के पूछने पर सविता ने पूरा मामला उसे बता दिया था, ‘‘तुम उस शख्स की पहचान व उस की गाड़ी के बारे में जानना चाहते हो न, घबराओ मत पूरी जानकारी समय रहते तुम्हें मोबाइल से मिलती रहेगी. लेकिन याद रखना, इस योजना में अपने अति विश्वसनीय दोस्त ही शामिल करना.’’
सविता व सुनील ने अशोक को लूटने की पूरी योजना बना ली. दोनों की योजना फूलप्रूफ लग रही थी.

20 सितंबर को योजनानुसार सविता अशोक के औफिस में पहुंच गई. अशोक ने खड़े हो कर सविता की अगवानी की थी. उस ने नौकर से सविता के लिए मिठाइयां व समोसे मंगा लिए. वह बारबार सविता उर्फ तनु द्वारा की गई पूजाअर्चना की तारीफ कर रहे थे.
अशोक ने उस से कहा, ‘‘तनु, कल मैं अपने ड्राइवर विनोद के साथ कार से डीडवाना की तरफ उगाही करने जा रहा हूं. मेरी इच्छा है कि तुम भी साथ चलो.’’
‘‘अरे नहीं शौकी, मां की तबीयत ठीक नहीं है. मैं नहीं जा पाऊंगी.’’ तनु बोली.
‘‘अरे भाई, एक ही दिन की तो बात है, 22 को तो लौट ही आएंगे.’’ अशोक ने आग्रह किया.
‘‘तुम जाओ और पेमेंट मिलने पर मेरा गिफ्ट ले आना. और हां, वहां से एक चीज मेरी और लानी है. वह मैं तुम्हें फोन पर बता दूंगी.’’ तनु ने कहा.

‘‘जरूर ले आऊंगा.’’ अशोक ने कहा. फिर तनु अशोक की गाड़ी से घर लौट गई.
21 सितंबर, 2018 को अशोक अपनी गाड़ी से सरदारशहर के लिए रवाना हो गए. उधर सविता के बुलावे पर सुनील अपने 5 दोस्तों के साथ सविता के घर पहुंच गया था. सभी साथी युवा थे.

सविता ने सभी साथियों को योजना के बारे में विस्तार से बता दिया था. उस ने यह भी बता दिया था कि अशोक सरदारशहर से पहले इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर के सामने से मेरे लिए अचार खरीदेगा. वह 22 सितंबर की दोपहर तक मंदिर पहुंच जाएगा. वैसे मैं उस की पलपल की लोकेशन मोबाइल से तुम्हें देती रहूंगी.
अशोक डीडवाना के सुशील शर्मा के पास पहुंच गए. उस क्षेत्र से कलेक्शन कर शर्मा के यहां रात को रुके.
डीडवाना से 22 सितंबर की सुबह वह रवाना हो कर रतनगढ़ पहुंच गए. उस क्षेत्र में कलेक्शन कर वह तनु के लिए हीरे की अंगूठी खरीदने के लिए सर्राफा बाजार में गए पर वहां उन्हें उन की इच्छा के मुताबिक अंगूठी नहीं मिली.

सविता लेती रही पलपल की जानकारी

यह जानकारी उन्होंने फोन द्वारा तनु को दे दी और यह भी कह दिया कि उन्होंने एक व्यापारी को 20 हजार रुपए एडवांस के तौर पर अंगूठी बनवाने के लिए दे दिए हैं. अगले हफ्ते वह उस से अंगूठी ले आएंगे. अशोक ने आगे कहा, ‘‘हां, तुम एक और चीज के लिए कह रही थी, बताओ क्या लाना है?’’
‘‘शौकी, शेखावटी क्षेत्र में कच्चे बांस का अचार बढि़या मिलता है. वह लाना है एक किलो.’’ तनु ने कहा था.
‘‘तनु, रतनगढ़ में भी बांस का अचार बढि़या मिलता है.’’ अशोक ने कहा तो वह बोली, ‘‘अरे नहीं शौकी, सरदारशहर से पहले इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर के सामने अचार की बड़ी दुकान है. तुम उसी दुकान से अचार लाना. और हां, यह बताओ कितनी देर में वहां पहुंच जाओगे.’’ तनु ने अपने मतलब का प्रश्न दाग दिया.
‘‘बस आधे घंटे में अचार की दुकान पर पहुंच जाऊंगा.’’ अशोक ने बताया.

उधर सविता के कहने पर सुनील 22 सितंबर, 2018 की सुबह अपने दोस्तों के साथ इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर पहुंच गया था. टैक्सी साइड में खड़ी कर सुनील अपने साथी बबलू के साथ अचार की दुकान के पास ही खड़ा हो गया था. अन्य साथी नजदीक के ढाबे पर चाय की चुस्कियां लेने लग गए थे. सविता के फोन करने पर पूरी चौकड़ी सतर्क हो गई थी.
करीब 20 मिनट बाद अशोक अपनी गाड़ी से मंदिर के सामने पहुंच गए. बांस का अचार खरीद कर वह जैसे ही दुकान से चले, वहां खड़े सुनील ने उन्हें पहचान लिया. और जब वह अपनी कार में जा कर बैठे तो सुनील ने उन की गाड़ी का नंबर आरजे31सी बी3927 को याद कर लिया. अशोक के वहां से चलते ही सविता ने फिर से अशोक को फोन किया तो अशोक ने बता दिया कि उन्होंने अचार ले लिया है.
सुनील करने लगा पीछा

सविता हर 10 मिनट बाद अशोक को फोन कर रही थी. तब एक बार अशोक ने कह दिया, ‘‘अरे तनु, परेशान क्यों हो रही हो. मैं ठीक हूं.’’
‘‘शौकी, बात यह है कि आज आप के लाए अचार के साथ ही मैं रोटी खाऊंगी. पेट में चूहे कूद रहे हैं इसलिए बारबार रिंग कर रही हूं.’’ सविता ने कह दिया. सविता की सफाई पर अशोक मुसकरा उठा था.

अशोक की गाड़ी के पीछे सुनील ने अपनी सफेद रंग की टैक्सी लगा दी. योजना बनी थी कि अशोक को ओवरटेक कर उन से नकदी लूट ली जाए, पर स्टेट हाइवे पर उस दिन ट्रैफिक ज्यादा था. एकदो बार सुनील ने अशोक की कार ओवरटेक करने की कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली. अशोक की गाड़ी रावतसर पार कर गई थी.
तब सुनील ने फोन कर सविता को वस्तुस्थिति बता दी. सविता के निर्देश पर सुनील ने अशोक की गाड़ी का पीछा करना जारी रखा. अशोक की गाड़ी मैनावाली बसस्टैंड पर पहुंच गई थी. सुनसान जगह देख कर उन के चालक विनोद ने कहा, ‘‘भैयाजी, पेशाब कर लूं?’’
कह कर साइड में गाड़ी स्टार्ट हालत में खड़ी कर उतर गया. तभी पीछे से आ रही सुनील की टैक्सी वहां आ कर रुकी. उस में से 3 लोग उतरे. वे सभी अशोक की गाड़ी में फुरती से घुस गए. सुनील ने ड्राइविंग सीट संभाली और दोनों साथी अशोक के अगलबगल बैठ गए.
अनजान लोगों के गाड़ी में बैठने पर अशोक चौंके तो चुप रहने के लिए उन लोगों ने पिस्तौल दिखा दी, जिस से अशोक शांत हो गए. सुनील अशोक की गाड़ी तेज गति से ले गया.

लूट लिए 35 लाख रुपए

अशोक के अगलबगल बैठे रोहताश व बबलू ने अशोक के हाथपांव बांध दिए थे. बबलू ने हाथ में उठाए पिस्तौल को अशोक की कनपटी से सटा कर उसे गोली मारने
की धमकी दी. फिर सुनसान जगह देख कर उन्होंने अशोक को गाड़ी से निकाल दिया.
उन्होंने पिस्तौल के फायर से अशोक की गाड़ी के टायर पंक्चर कर दिए. नकदी का बैग व मोबाइल उठा कर सभी पीछे आ रही टैक्सी में बैठ कर फरार हो गए. उन के बैग में 35 लाख रुपए थे.
जैसेतैसे कुछ देर में अशोक ने अपने हाथ खोले और वह हनुमानगढ़ टाउन पुलिस थाना पहुंच गए. थानाप्रभारी सीआई विष्णुदत्त बिश्नोई को अशोक ने आपबीती सुनाई. उन्होंने विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर इस की इत्तला उच्च अधिकारियों को दी.

एसपी अनिल कयाल ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र खुलासे के लिए कई टीमें गठित कर दीं. क्षेत्र में बढ़ रही लूटपाट व चोरी की घटनाओं से पुलिस की छिछालेदर हो रही थी. इस संगीन मामले की निगरानी खुद एसपी अनिल कर रहे थे.
काफी कोशिश के बाद भी पुलिस को लुटेरों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली. इसी बीच एक मुखबिर ने सीआई विष्णुदत्त बिश्नोई को सविता व अशोक की प्रगाढ़ दोस्ती की सूचना दी.
हालांकि यह सूचना उन्हें अप्रभावी सी लग रही थी. पर पुलिस मामले के खुलासे की चाहत में किसी भी जानकारी को बेजा नहीं मानती. सीआई के निर्देश पर एसआई संध्या सविता को उस के घर से उठा लाईं. अशोक उस समय थाने में ही मौजूद थे.

अशोक ने सविता को देखते ही कहा, ‘‘सर, सविता मेरी शुभचिंतक है. इसे यहां क्यों ले आए. इसे क्यों परेशान कर रहे हैं?’’
‘‘अशोक बाबू, हम इन्हें कहां लुटेरा बता रहे हैं. बस मामूली पूछताछ ही तो करनी है.’’ सीआई ने कहा.
सविता को तलब करने से पहले जांच अधिकारी ने अशोक व सविता के फोन नंबरों की काल डिटेल्स प्राप्त कर ली थीं. वारदात के समय सविता व अशोक के बीच 8 बार बात हुई थी.
सविता के फोन की डिटेल्स में एक विशेष बात यह सामने आई कि अशोक से बात होने के तुरंत बाद सविता ने किसी अन्य फोन नंबर पर भी बात की थी. उस संदिग्ध नंबर की डिटेल्स भी पुलिस ने निकलवा ली.
सविता द्वारा अशोक को बारबार काल करने के बारे में पुलिस ने उस से पूछा तो सविता ने कहा, ‘‘सर, मैं ने अशोक बाबू से बांस का अचार मंगवाया था. चाहें तो आप इस बारे में इन्हीं से पूछ सकते हैं.’’

ऐसे खुला राज

पुलिस ने इस बारे में अशोक से पूछा तो उन्होंने सविता की बात की तसदीक कर दी. तब पुलिस ने सविता को घर भेज दिया. सुनीता की काल डिटेल्स में जो संदिग्ध नंबर आया था, वह नंबर सुनील नायक का निकला. पुलिस ने उस के घर पर दबिश दी तो वह नहीं मिला.
जांच अधिकारी ने अब तक की जांच रिपोर्ट एसपी अनिल कयाल तक पहुंचा दी थी. अधिकारियों की नजर में मामले का खुलासा हो चुका था व निकट भविष्य में किसी भी समय आरोपियों की गिरफ्तारी संभव थी.

अगले दिन सुनील नायक पुलिस के हत्थे चढ़ गया. जांच अधिकारी ने उस से पूछताछ शुरू कर दी. मनोवैज्ञानिक तरीके से की गई पूछताछ में सुनील ने सब कुछ पुलिस के सामने उगल दिया. उस ने अपने साथियों रोहताश, बबलू, कालू, मान सिंह, दीपक, मोहित व मनप्रीत के बारे में भी बता दिया.
पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धारा 323, 395, 365, 109, 143, 120बी व 27 व 3/25 आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर उन्हें अदालत में पेश कर सभी को पूछताछ हेतु रिमांड पर ले लिया.
काबिलेगौर यह भी था कि सभी का यह पहला अपराध था. आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने 35 लाख की लूट की राशि में से 16 लाख रुपए बरामद कर लिए. रिमांड अवधि पूरी होने के बाद उन्हें फिर से न्यायालय में पेश कर जेल भिजवा दिया गया.
बेशक अशोक ने सुंदरियों के मामले में सीमा नहीं लांघी थी, लेकिन दोस्ती की घनिष्ठता में फंस कर एक सुंदरी का शिकार हो ही गए.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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