जब मध्य प्रदेश की सत्ता भाजपा के हाथ से फिसल कर कांग्रेस की झोली में गई थी और मुख्यमंत्री कमलनाथ बने थे, तब सन्नाटा केवल राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में ही नहीं था, बल्कि संगठित और असंगठित अपराधों और अपराधियों सहित पुलिस महकमे में भी था. लोग उत्सुकता से नए मुख्यमंत्री और सरकार के मूड को ले कर बैचेन थे कि वह कैसा होगा.
मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर, जिसे मिनी मुंबई भी कहा जाता है, के चर्चित ट्विंकल हत्याकांड का मामला कमलनाथ की जानकारी में आया तो उन्होंने सख्ती दिखाते हुए पुलिस विभाग को कई नसीहतों के साथ निर्देश दिए. इसे इन निर्देशों या कमलनाथ के मूड का नतीजा ही कहा जाएगा कि 11 जनवरी को ट्विंकल के हत्यारे गिरफ्तार कर लिए गए. यह और बात है कि इस मामले की हकीकत 26 महीने बाद सामने आई.
ट्विंकल की दास्तां राजनीतिक भी है, पारिवारिक भी और सामाजिक भी, जिसे समझने के लिए कुछ महीने पहले जाना जरूरी है जिस से समझ आ जाए कि असल में हुआ क्या था और क्यों और कैसे मध्यमवर्गीय महत्त्वाकांक्षी युवतियां गलत हाथों में पड़ कर या तो अपनी जिंदगी बरबाद कर लेती हैं या फिर गंवा ही देती हैं.
कहानी ट्विंकल की
22 वर्षीय ट्विंकल डागरे खासी खूबसूरत और आकर्षक युवती थी. एलएलबी कर रही ट्विंकल महत्त्वाकांक्षी और जिद्दी भी थी जो अपनी जिंदगी से ताल्लुक रखने वाले फैसलों के लिए किसी की, खासतौर से अपने अभिभावकों की भी मोहताज नहीं रहती थी.
बाणगंगा इलाके में रहने वाले डागरे परिवार के मुखिया संजय डागरे शू स्टोर के मालिक हैं, जिस से उन्हें पर्याप्त आमदनी हो जाती है. उन की पत्नी यानी ट्विंकल की मां रीटा डागरे हालांकि गृहिणी हैं लेकिन इंदौर भाजपा महिला मोरचे से भी जुड़ी हैं. ट्विंकल का छोटा भाई अभी पढ़ रहा है.
बात 16 अक्तूबर, 2016 की है. उस दिन ट्विंकल काफी खुश थी. आमातैर पर सुबह देर से बिस्तर छोड़ने वाली ट्विंकल उस दिन जल्दी उठ गई थी और सजसंवर रही थी. उस ने तैयार हो कर दुलहन जैसा सिंगार किया और ड्रैस भी दुलहन सरीखी ही पहनी.
इस गेटअप में वह सचमुच इतनी आकर्षक लग रही थी कि उसे किसी की नजर भी लग सकती थी. दूसरे दिन करवाचौथ का त्योहार था, जिस की इंदौर में भी खासी चहलपहल थी.
ट्विंकल की शादी अभी नहीं हुई थी और हुई भी थी तो उस की जानकारी किसी को नहीं थी. करवाचौथ का व्रत आजकल अविवाहित युवतियां भी रखने लगी हैं जो एक फैशन भर है. लेकिन ट्विंकल ने सोलह सिंगार किसी खास मकसद से किए थे.
जब वह सजसंवर कर घर के बाहर जाने लगी तो बेटी को दुलहन सा सजा देख कर मां रीटा की त्यौरियां चढ़ गईं. उन्होंने तल्ख लहजे में पूछा, ‘‘कहां जा रही हो?’’
इस सवाल की उम्मीद ट्विंकल को थी, लिहाजा वह बेहद सर्द लहजे में बोली, ‘‘नाश्ता लेने जा रही हूं.’’
रीटा अब तक झल्ला चुकी थीं और काफी कुछ उन की समझ में भी आ रहा था, इसलिए वे बेटी को समझाने की गरज से बोलीं, ‘‘नाश्ता लेने जा रही हो, वह भी दुलहन बन कर.’’
मां के तेवर देख ट्विंकल को भी समझ आ गया था कि वह ऐसे मानने वाली नहीं हैं. लिहाजा वह मुस्करा कर बोली, ‘‘अरे कल करवाचौथ है, सो उस बदनावर वाले से मिलने जा रही हूं.’’
बदनावर इंदौर से 100 किलोमीटर दूर बसा एक छोटा सा कस्बा है. यहां रहने वाले एक युवक अमित से ट्विंकल की शादी तय हो चुकी थी, जो 4 महीने बाद फरवरी में होनी थी. बदनावर का नाम सुनते ही रीटा को तसल्ली हुई कि बेटी वहां नहीं जा रही, जहां की उन्हें आशंका थी, इसलिए उन्होंने उसे रोका नहीं. और फिर वह यह भी जानती थीं कि रोकने से वह रुकेगी भी नहीं.
फिर कभी नहीं लौटी ट्विंकल
यह ट्विंकल की जिंदगी का सूचनात्मक पहलू है कि वह एक मध्यमवर्गीय खातेपीते परिवार की युवती थी, लेकिन उस की जिंदगी का दूसरा पहलू राजनीतिक था. वह कोई गैरमामूली नहीं तो मामूली युवती भी नहीं थी. इंदौर में उस की अपनी अलग पहचान थी. वह एक उभरती युवा नेत्री के तौर पर पहचानी जाती थी. राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों को उस में अपार संभावनाएं दिखती थीं. पहले वह भाजपा में पार्टी की प्रवक्ता थी लेकिन कुछ दिनों पहले उस ने कांग्रेस जौइन कर ली थी.
अखबारों में ट्विंकल के बयान और फोटो छपने लगे तो लोग उस में दिलचस्पी लेने लगे. हालांकि उस की चर्चा की वजह उस की खूबसूरती ज्यादा थी. इस में कोई दो राय नहीं कि राजनीति में हमेशा ही खूबसूरत युवतियों और महिलाओं की खासी पूछपरख होती रही है. ट्विंकल भी इस का अपवाद नहीं थी. अपने सौंदर्य को भुनाने का वह कोई मौका नहीं चूकती थी.
बहरहाल 16 अक्तूबर, 2016 को वह घर से निकली तो फिर कभी वापस नहीं आई. उस के जाने के बाद रीटा बेफिक्र हो गई थीं, क्योंकि अमित अच्छे और खातेपीते घर का लड़का था और हर लिहाज से ट्विंकल के लिए उपयुक्त था इसलिए उन्होंने बदनावर का नाम सुनने के बाद ट्विंकल को नहीं रोका था.
कोई वजह थी जो रीटा और उन के पति संजय चाहते थे कि ये 4 महीने जब तक बेटी की शादी न हो जाएं, ठीकठाक तरीके से गुजर जाएं. डागरे परिवार की यह काफी अहम और चिंताजनक वजह थी जिस का गहरा संबंध ट्विंकल की गुजरी जिंदगी से था.
परेशान हो गए रीटा और संजय
ट्विंकल के जाने के बाद रीटा अपने काम में लग गईं और संजय अपनी दुकान पर चले गए. शाम के बाद रात भी हो गई लेकिन बेटी वापस नहीं आई तो उन्हें थोड़ी चिंता हुई. कई बार उन्होंने ट्विंकल को फोन किया, लेकिन हर बार उस का मोबाइल स्विच्ड औफ मिला.
ट्विंकल अकसर देर रात घर वापस लौटती थी. कई बार तो वह दूसरे दिन आती थी, लेकिन इस बाबत फोन पर मांबाप को बता जरूर देती थी. न जाने क्यों उस दिन भी उस के वक्त पर घर न लौटने पर रीटा और संजय ने कोई खास तवज्जो नहीं दी और सुबह देखेंगे, सोच कर सो गए.
दूसरे दिन सुबह दोनों को फिर बेटी की सुध आई तो उन्होंने अमित को फोन किया. क्योंकि वह उस के पास जाने की बात कह कर गई थी. संजय ने जब अमित को फोन कर ट्विंकल के बारे में पूछा तो उस का जवाब सुन कर वे चौंक उठे. अमित ने बताया कि न तो ट्विंकल बदनावर आई है और न ही उस की उस से कोई बात हुई है.
इतना सुनने के बाद संजय और रीटा को मानो सांप सूंघ गया. एक आशंका जो रहरह कर उन के दिलोदिमाग में उमड़घुमड़ रही थी, उस का नाम था जगदीश उर्फ कल्लू करोतिया. कल्लू के बारे में सोचसोच कर ही दोनों के हाथपैर फूलने लगे थे और दिमाग सुन्न हो चला था.
इंदौर की राजनीति में कल्लू करोतिया एक जानामाना नाम है. भाजपा का अहम चेहरा रहे कल्लू की उम्र 65 साल है. वह भाजपा से पार्षद भी रह चुका है और इंदौर भाजपा का महामंत्री भी, जो उन दिनों काफी अहम पद होता था क्योंकि भाजपा तब सत्ता में थी.
छात्र जीवन से राजनीति कर रही ट्विंकल ने जब सक्रिय राजनीति में आने का फैसला लिया तो उसे किसी ऐसे शख्स की तलाश थी जो उसे भाजपा में ला कर महत्त्वपूर्ण और जिम्मेदारी वाली पोस्ट दिला सके.
जगदीश करोतिया की भाजपा में खासी पैठ थी, क्योंकि वह रैलियों के लिए भीड़ जुटाता था. हर धरनेप्रदर्शन में आगे रहता था और पार्टी के लिए आधी रात को भी तैयार रहता था.
चूंकि रीटा भी भाजपा में थी, इसलिए ट्विंकल ने जब कल्लू को अपनी इच्छा बताई तो बुढ़ाते कल्लू की जवान हसरतें कुलबुलाईं.
बहुत जल्द ट्विंकल और कल्लू की मुलाकातें बढ़ने लगीं और कल्लू उसे सियासत का ककहरा पढ़ाने लगा. राजनीति का ककहरा पढ़ने के लिए ट्विंकल ने कल्लू को अपना गौडफादर मान लिया था.
कल्लू ने उसे जल्द ही पार्टी प्रवक्ता बनवा दिया तो ट्विंकल खुद को तजुर्बेकार और समझदार समझने लगी. नासमझ ट्विंकल को लगने लगा था कि अब बस दिल्ली दूर नहीं है. जल्द ही वह विधायक, सांसद और मंत्री भी बन सकती है, जिस का रास्ता पार्षदी से हो कर जाता है.
चिड़िया खुद दाना चुगने को बेताब थी, यह सोचसोच कर कल्लू के अंदर का हैवान अंगड़ाइयां लेने लगा था. उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि अपनी कुत्सित इच्छा पूरी कैसे करे.
भरेपूरे परिवार के मुखिया कल्लू के 3 जवान बेटे हैं और पत्नी भी. लिहाजा ट्विंकल उस के पास होते हुए भी काफी दूर थी. यह तो कल्लू जानता था कि अगर एक दफा भी ट्विंकल का नाम उस के साथ गलत तरीके से जुड़ा तो लेने के देने पड़ जाएंगे.
अब हर जगह ट्विंकल उस के साथ नजर आने लगी थी. स्कूटर पर पीछे की सीट पर सट कर बैठी ट्विंकल उसे डैडी और बड़े पापा संबोधन से बुलाती थी, तो कल्लू का दिल रोने लगता था कि ट्विंकल भी उसे औरों की तरह कल्लू कह कर क्यों नहीं बुलाती.
ट्विंकल अब भाजपा के कार्यक्रमों में भाग लेने लगी थी और बड़े नेताओं जैसे नाजनखरे भी दिखाने लगी थी. इंदौर की उभरती नेत्रियों की लिस्ट में अब उस का नाम भी शुमार होने लगा था.
संजय और रीटा अपनी बेटी की तरक्की से खुश थे और उस पर फख्र भी करने लगे थे. उन्हें उम्मीद हो चली थी कि ट्विंकल एक दिन बड़ा मुकाम हासिल कर उन का नाम रोशन करेगी.
इधर कल्लू और ट्विंकल के बीच क्या खिचड़ी पक रही है, यह कोई नहीं जानता था. दूसरे मामलों की तरह इस बेमेल प्यार की शुरुआत कैसे हुई, इस की किसी को हवा भी नहीं लगी. ट्विंकल दीवानियों की तरह कल्लू पर मरने लगी थी और उस से शादी करने की जिद भी पकड़ बैठी थी.
ट्विंकल ने जो मां को बताया
इस वाकये का दूसरा पहलू रीटा की जुबानी मानें तो यह है कि अब से (हादसे से) कोई 4 साल पहले कल्लू ने धोखे से ट्विंकल का बलात्कार किया था. यह बात खुद ट्विंकल ने उन्हें बताई थी.
ट्विंकल के मुताबिक एक दिन कल्लू उसे दिलीप सिंह कालोनी के एक फ्लैट में ले गया था. वहां शिकंजी में नशीला पदार्थ पिलाने के बाद वह बेहोश हो गई. जब ट्विंकल होश में आई तो उस के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था. तब वह 18 साल की थी. होश में आने पर ट्विंकल को समझ आ गया कि कल्लू उर्फ डैडी उर्फ बड़े पापा ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा है.
राजनीति में सख्त तेवर दिखाती रहने वाली ट्विंकल ने इस पर कल्लू से झगड़ा किया तो कल्लू पर कोई असर नहीं हुआ, जो सामाजिक मनोविज्ञान का उस से बड़ा ज्ञाता था. कल्लू को पता था कि अव्वल तो कहीं मुंह न दिखा पाने वाली ट्विंकल अपने बलात्कार का कहीं, खासतौर से घर पर जिक्र नहीं करेगी और खुदा न खास्ता कर भी देगी तो इज्जत के चलते संजय और रीटा रिपोर्ट दर्ज नहीं कराएंगे.
कल्लू का अंदाजा सटीक निकला. डागरे दंपति ने उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई क्योंकि रीटा बेहतर जानती थीं कि राज भाजपा का है इसलिए कल्लू का कुछ नहीं बिगड़ेगा.
ट्विंकल कुछ दिन गुमसुम रही लेकिन उस में आत्मविश्वास मानो कूटकूट कर भरा था, इसलिए उस के दम पर जल्द ही फिर से राजनीति के मैदान में आ गई. ट्विंकल को समझ आ गया था कि बेवजह का हल्ला मचाने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है.
उस ने बजाय कल्लू से नाता तोड़ने के इस रिश्ते में और गाढ़ा रंग भरना शुरू कर दिया. अब आए दिन दोनों हमबिस्तर होने लगे. फर्क सिर्फ इतना आया था कि अब पहले की तरह कल्लू को कथित रूप से ट्विंकल को बेहोशी की दवाई देने की जरूरत नहीं पड़ती थी, उलटे ट्विंकल अपनी अदाओं और हरकतों से उसे मदहोश करने लगी थी.
राजनीति में ऐसा होना कोई नई या ढकीमुंदी बात नहीं है, लेकिन ट्विंकल के मन में कुछ और ही था. इसलिए अब उस का कल्लू के घर आनाजाना बढ़ गया था. कल्लू भी खुश था कि कुछ नहीं बिगड़ा और खुद ट्विंकल पके आम की तरह उस की गोद में आ गिरी.
बहुत जल्द ही कल्लू के तीनों बेटों और पत्नी को भी मालूम हो गया कि ट्विंकल और कल्लू के बीच एक नाजायज रिश्ता कायम हो चुका है और कल्लू अब पूरी तरह ट्विंकल की गिरफ्त में आ चुका है. हल्ला तब मचा, जब एक दिन ट्विंकल ने कल्लू से शादी करने का फैसला सुना दिया. इस पर कल्लू के घर इतना कोहराम मचा कि वह घबरा उठा.
उस दिन कल्लू की पत्नी और ट्विंकल के बीच जम कर झगड़ा हुआ और इतना हुआ कि कल्लू की पत्नी ने कपड़े धोने वाली मोगरी से ट्विंकल की धुनाई कर डाली. यह वीभत्स और हिंसक नजारा देख कल्लू के बेटे अजय की पत्नी बेहोश हो गई थी.
ट्विंकल को चोट ज्यादा लगी थी इसलिए कल्लू ने अस्पताल ले जा कर उस का इलाज करवाया और उसे समझाबुझा कर जैसेतैसे सिचुएशन मैनेज कर ली. लेकिन इस पके नेता को इतना तो समझ आ गया था कि ट्विंकल अब अपनी पर उतारू हो आई है और आसानी से मानेगी नहीं.
अब कल्लू ट्विंकल से छुटकारा पाने के लिए छटपटा रहा था और ट्विंकल थी कि किसी प्रेत की तरह उस के घर की मुंडेर पर विराजमान हो चली थी, जिसे अब न नाम की परवाह थी और न ही बदनामी की चिंता. यह सब चिंता उस ने कल्लू के पाले में डाल दी थी.
इसी दौरान ट्विंकल ने बदनावर में रहने वाले अमित से सगाई कर ली थी, जिस से कल्लू और उस के परिवार ने चैन की सांस ली थी. लेकिन उन की यह गलतफहमी 16 अक्तूबर, 2016 को तब चूर हो गई जब ट्विंकल सुबहसुबह उन के यहां फिर आ धमकी.
यह ट्विंकल की दीवानगी थी या प्रतिशोध था. उस ने कल्लू यानी जगदीश के नाम का टैटू हाथ पर गुदवा लिया था. जाहिर है दोनों परिवारों में कलह और तनाव भी था. कह सकते हैं कि अब कुछ भी छिपा नहीं रह गया था. पर बात अभी तक दुनिया के सामने नहीं आई थी लेकिन घायल नागिन की तरह फुफकार रही ट्विंकल से कल्लू का परिवार खौफ खाने लगा था.
दृश्यम से ली प्रेरणा
ट्विंकल नाम के खौफ से छुटकारा पाने के लिए करोतिया परिवार में लंबीलंबी मीटिंगें हुईं, जिन में यह तय किया गया कि पानी चूंकि अब सिर और घर के ऊपर से गुजर चुका है, इसलिए कुछ करना चाहिए.
जगदीश करोतिया के 3 बेटे हैं. सब से बड़ा विजय 38 साल का, मंझला अजय 31 साल और सब से छोटा विजय 26 साल का है. करोतिया परिवार बौखलाहट में कुछ भी करने को तैयार था.
साल 2016 के शुरुआत में ट्विंकल ने अजय को फांसा था या अजय ने ट्विंकल को, यह कहना तो मुश्किल है लेकिन दोनों काफी नजदीक आ गए थे. अजय और ट्विंकल के बीच फोन पर लंबीलंबी बातें होने लगी थीं और दोनों ने गुपचुप मंदिर में शादी भी कर ली थी. इस के बाद भी ट्विंकल कल्लू से भी शादी करने की जिद पकड़े बैठी थी.
यह वाकई हैरानी और दिलचस्पी की बात है कि ट्विंकल कल्लू के बाद उस के बेटे अजय से भी रिश्ता जोड़ बैठी थी. अब अगर अजय को उस का पति मानें तो कल्लू उस का ससुर हुआ, लेकिन ट्विंकल को शरमोहया या रिश्तेनातों की परवाह नहीं रह गई थी.
वह तो किसी भी कीमत पर कल्लू से बदला लेना चाहती थी और करोतिया परिवार में उस की वजह से पसरती कलह से उसे जो खुशी मिलती थी, शायद ही वह उसे शब्दों में बयां कर पाती.
ट्विंकल से छुटकारा पाने और बाद में बचने की साजिश रच रहे करोतिया परिवार के मझले बेटे अजय ने ट्विंकल को इस हद तक शीशे में उतार लिया था कि उस ने एक बार अजय को मैसेज किया था कि वह अपने मांबाप (रीटा और संजय) से तंग आ चुकी है और इस दुनिया से जा रही है.
जाहिर था कलह डोगरे परिवार में भी पसरी हुई थी. लेकिन हालत ऐसी थी कि हर कोई अपनी इज्जत देख रहा था, ट्विंकल पर किसी का जोरनहीं चल रहा था. कल का दबंग कल्लू अब चूहे की तरह भाग रहा था और ट्विंकल किसी बिल्ली की तरह उस का शिकार करते मनोरंजक और हिंसक खेल खेल रही थी.
तीनों बेटों और कल्लू ने आखिरी फैसला यह लिया कि अब ट्विंकल से छुटकारा पाने का एकलौता उपाय उसे हमेशा के लिए सुला देना है. इस के बाद उन्होंने अजय देवगन अभिनीत ‘दृश्यम’ फिल्म कई बार देखी, जिस से ट्विंकल का कत्ल कर आसानी से बचा जा सके.
कैसे हुई ट्विंकल की हत्या और किस नाटकीय तरीके से ये लोग पकड़े गए, यह जानने से पहले वापस 16 अक्टूबर 2016 की तरफ रुख करना जरूरी है.
जब 17 अक्तूबर को भी ट्विंकल वापस नहीं लौटी और अमित ने भी साफ कर दिया कि ट्विंकल ने उस से कोई संपर्क नहीं किया था, तो संजय और रीटा समझ गए कि वह कल्लू के यहां गई होगी. जिसके बेटे अजय के उकसाने पर वह उन के ही खिलाफ एक बार रिपोर्ट दर्ज करा चुकी थी.
बेटी की चिंता में गुजरे कल की बातें भूल कर 18 अक्तूबर, 2016 को दोनों ने बाणगंगा थाने जा कर ट्विंकल की गुशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. दोनों ने कल्लू और उस के बेटों अजय व विजय पर ट्विंकल के अपहरण का शक जाहिर किया. लेकिन उम्मीद के मुताबिक पुलिस वालों ने कल्लू के रसूख का लिहाज किया और सिर्फ गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर डागरे दंपति को चलता कर दिया.
गरमाई राजनीति
जब पुलिस ने कल्लू और उस के बेटों के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की तो संजय और रीटा को लगने लगा कि उन की बेटी जरूर किसी अनहोनी का शिकार हो गई है.
पुलिस वालों ने मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन एक कांग्रेसी नेत्री के गायब होने की खबर पर न केवल इंदौर बल्कि पूरे मध्य प्रदेश की राजनीति गरमाने लगी. तो दिखावे के लिए कल्लू को थाने बुला कर पूछताछ की गई.
कल्लू ने ट्विंकल के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा कि वह तो उस की बेटी जैसी है, जिसे उस ने ही राजनीति में अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया है तो वह क्यों उस का अपहरण करेगा, जबकि गायब होने के पहले ट्विंकल हर समय उस के साथ रहती थी. पुलिस ने अपना काम कर दिया लेकिन कांग्रेसी जब तब इस मुद्दे को उछालते रहे. तब पुलिस ने एसआईटी का गठन कर डाला लेकिन वह भी कछुए की चाल से काम करती रही.
इसी तरह के होहल्ले में 28 महीने गुजर गए, लेकिन ट्विंकल की गुमशुदगी की गुत्थी नहीं सुलझ रही थी.
पुलिस का शक ट्विंकल के मंगेतर अमित पर भी गया था और रीटा और संजय पर भी, क्योंकि ट्विंकल ने एक बार उन के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई थी.
नवंबर दिसंबर, 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेसियों ने ट्विंकल की गुमशुदगी का मामला उठाते हुए कल्लू पर निशाना साधा था.
पर पुलिस कल्लू को बचाने की कोशिश में लगी रही. मुख्यमंत्री की कुरसी संभालते ही जब मामला कमलनाथ की जानकारी में यह मामला आया तो उन्होंने पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि ट्विंकल वाले मामले में जल्दी ठोस काररवाई की जाए.
होनहार और समझदार पुलिस वाले समझ गए कि अब उन्हें क्या करना है और उन्होंने कमलनाथ की मंशा के मुताबिक ट्विंकल के हत्यारों को पकड़ भी लिया, जिस से 11 जनवरी को सूबे की सियासत कड़कड़ाती सर्दी में गरमा उठी.
परदा गिरा या उठा
डीआईजी हरिनारायण चारी मिश्रा ने 11 जनवरी को एक पत्रकारवार्ता में खुलासा किया कि ट्विंकल डागरे के हत्यारे पकड़ लिए गए हैं, जिन के नाम जगदीश करोतिया उर्फ कल्लू पहलवान, उस के बेटे अजय, विजय और विनय के अलावा 5वां आरोपी नीलेश कश्यप उर्फ नीलू है.
पुलिसिया पूछताछ में अजय ने स्वीकार लिया कि उस के पिता और ट्विंकल के नाजायज ताल्लुकात थे और ट्विंकल कल्लू के साथ रहने की जिद पकड़े हुई थी.
अजय के मुताबिक इस बात को ले कर घर में कलह होने लगी थी और पिता का पौलिटिकल कैरियर भी प्रभावित हो रहा था. लिहाजा इन सभी ने ट्विंकल को हमेशा के लिए रास्ते से हटा देने की योजना बनाई.
योजना के मुताबिक 16 अक्तूबर, 2016 की सुबह ट्विंकल को घर बुलाया गया. घर से अजय उसे एमआर10 स्थित नीलेश के खेत पर ले गया. यहां कल्लू ने ट्विंकल को समझाने की कोशिश की. इस पर ट्विंकल ने बगैर घबराए कल्लू को मुंहतोड़ जवाब यह दिया कि यह बात पहले क्यों नहीं सोची थी.
इस पर गुस्साए कल्लू ने एक जोरदार थप्पड़ ट्विंकल के गाल पर जड़ दिया और इस के तुरंत बाद ही अजय ने रस्सी से उस का गला घोंट दिया. कुछ देर छटपटाने के बाद ट्विंकल हमेशा के लिए शांत हो गई.
इन हत्यारों का इरादा ट्विंकल की लाश को वहीं दफन करने का था, लेकिन नीलेश डर गया और उस ने अपने खेत में लाश दफनाने से मना कर दिया. इस के बाद तीनों बापबेटे ट्विंकल की लाश को कपड़े में लपेट कर कार की डिक्की में डाल कर अपने घर ले गए.
अगले दिन तड़के ये सभी ट्विंकल की लाश को अवंतिका नगर स्थित एक अगरबत्ती के कारखाने के पास खाली प्लौट पर ले गए. यहां कल्लू ने नगर निगम के कर्मचारियों से कहा कि एक पार्षद का कुत्ता मर गया है, उसे दफनाना है इसलिए गड्ढा खोदो. चूंकि कल्लू खुद पार्षद रह चुका था, इसलिए उस की नगरनिगम में अच्छी जानपहचान और दबदबा था. कर्मचारियों ने उस के कहने पर गड्ढा खोद दिया.
इन लोगों ने ट्विंकल की लाश इस गड्ढे में दफना दी और ऊपर से घासफूस और कचरा डाल कर उसे जला दिया. फिर 2 दिन बाद इन्होंने ट्विंकल की हड्डियां नाले में बहा दीं.
कहीं कोई कमी न रह जाए, इसलिए दृश्यम फिल्म की ही तर्ज पर ट्विंकल का मोबाइल बदनावर ले जा कर फेंक दिया, जहां उस की आखिरी लोकेशन मिली भी थी.
अब पुलिस सूखी मिट्टी में सबूत ढूंढ रही है. ट्विंकल का ब्रेसलेट और बिछुए जब्त कर लिए गए हैं. इस मामले में 200 के लगभग लोगों से पूछताछ की गई.
अब पुलिस लाख बार अपनी पीठ थपथपाती रहे, लेकिन पुलिस महकमे में पसरा भ्रष्टाचार ही इस मामले से उजागर हुआ है. अगर पुलिस वालों ने यही फुरती 18 अक्तूबर, 2016 को दिखाई होती तो लगता कि पुलिस वक्त पर भी काररवाई करती है.
रीटा अब मान रही हैं कि उन्होंने ट्विंकल के दुष्कर्म की रिपोर्ट न लिखा कर गलती की थी. इस गलती की सजा ट्विंकल ने तो मर कर भुगती और अब वे भी भुगत रही हैं.