जब मध्य प्रदेश की सत्ता भाजपा के हाथ से फिसल कर कांग्रेस की झोली में गई थी और मुख्यमंत्री कमलनाथ बने थे, तब सन्नाटा केवल राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में ही नहीं था, बल्कि संगठित और असंगठित अपराधों और अपराधियों सहित पुलिस महकमे में भी था. लोग उत्सुकता से नए मुख्यमंत्री और सरकार के मूड को ले कर बैचेन थे कि वह कैसा होगा.

मध्य प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर, जिसे मिनी मुंबई भी कहा जाता है, के चर्चित ट्विंकल हत्याकांड का मामला कमलनाथ की जानकारी में आया तो उन्होंने सख्ती दिखाते हुए पुलिस विभाग को कई नसीहतों के साथ निर्देश दिए. इसे इन निर्देशों या कमलनाथ के मूड का नतीजा ही कहा जाएगा कि 11 जनवरी को ट्विंकल के हत्यारे गिरफ्तार कर लिए गए. यह और बात है कि इस मामले की हकीकत 26 महीने बाद सामने आई.

ट्विंकल की दास्तां राजनीतिक भी है, पारिवारिक भी और सामाजिक भी, जिसे समझने के लिए कुछ महीने पहले जाना जरूरी है जिस से समझ आ जाए कि असल में हुआ क्या था और क्यों और कैसे मध्यमवर्गीय महत्त्वाकांक्षी युवतियां गलत हाथों में पड़ कर या तो अपनी जिंदगी बरबाद कर लेती हैं या फिर गंवा ही देती हैं.

कहानी ट्विंकल की

22 वर्षीय ट्विंकल डागरे खासी खूबसूरत और आकर्षक युवती थी. एलएलबी कर रही ट्विंकल महत्त्वाकांक्षी और जिद्दी भी थी जो अपनी जिंदगी से ताल्लुक रखने वाले फैसलों के लिए किसी की, खासतौर से अपने अभिभावकों की भी मोहताज नहीं रहती थी.

बाणगंगा इलाके में रहने वाले डागरे परिवार के मुखिया संजय डागरे शू स्टोर के मालिक हैं, जिस से उन्हें पर्याप्त आमदनी हो जाती है. उन की पत्नी यानी ट्विंकल की मां रीटा डागरे हालांकि गृहिणी हैं लेकिन इंदौर भाजपा महिला मोरचे से भी जुड़ी हैं. ट्विंकल का छोटा भाई अभी पढ़ रहा है.

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