लेखक - नंदकिशोर गोयल

 

जून 2018 की तपती दोपहर थी. उस दिन गरमी पूरे शबाब पर थी. हनुमानगढ़ टाउन निवासी अशोक अरोड़ा जिला न्यायालय परिसर में
स्थित एक फोटोस्टेट दुकान में फोटोस्टेट करवाने को दाखिल हुए, तभी वहां खड़ी एक युवती ने मधुर स्वर में कहा, ‘‘भैया, 10 रुपए उधार देंगे क्या? मैं हड़बड़ाहट में अपना पर्स घर पर ही भूल आई हूं.’’
कुछ पल विचार कर अशोक ने एक 50 रुपए का नोट जेब से निकाल कर उस युवती की तरफ बढ़ा दिया. युवती ने नोट ले लिया व हाथ में पकड़े थैले में से कुछ ढूंढने लगी. तब तक अशोक के कागज फोटोस्टेट हो चुके थे. वह अपने कागज ले कर दुकान से बाहर निकल कर अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ चुके थे.
‘‘अरे भैया, बाकी 40 रुपए तो लेते जाइए.’’ कह कर हाथ में 10-10 के 4 नोट उठाए लगभग हांफती हुई वह युवती अशोक की कार के पास पहुंच चुकी थी. अशोक ने देखा युवती पसीने से तरबतर थी.
‘‘भाईसाहब, आज तो गरमी ने पसीनापसीना कर दिया है.’’ युवती ने फिर कहा और 40 रुपए उन्हें देते हुए बोली, ‘‘लीजिए, बाकी के 40 रुपए. मुझे 10 रुपए ही चाहिए थे.’’

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अशोक ने बाकी पैसे लेने से इनकार कर दिया. उन्होंने बगल में स्थित एक रेस्टोरेंट की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘गरमी बहुत है. चलो, वहां कुछ ठंडा पीते हैं.’’
दोनों रेस्टोरेंट में एक मेज के सामने बैठ गए. उस समय वहां इक्कादुक्का ग्राहक ही थे. वेटर के आने पर अशोक ने 2 गिलास लस्सी का और्डर दिया. इस के बाद अशोक ने उस युवती को अपने बारे में बताते हुए कहा, ‘‘मुझे अशोक अरोड़ा कहते हैं. मैं हनुमानगढ़ टाउन में रहता हूं. मेरे ईंट भट्ठे हैं. एक पार्टी पेमेंट देने में आनाकानी कर रही है. इसी चक्कर में कोर्ट आया था.’’
‘‘मेरा नाम सविता अरोड़ा है. मेरा पीहर टिब्बी का है और हनुमानगढ़ जंक्शन में मेरी ससुराल है. पति के साथ मेरी अनबन चल रही है और कोर्ट में तलाक का मामला डाल रखा है. इसी सिलसिले में मैं आज अदालत आई थी.’’ युवती ने अपने बारे में बताया.

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