आप ने मुंबई की लोकल ट्रेन की काफी शिकायतें सुनी होंगी. शिकायतों से मतलब सवारी करने वालों की शिकायतें. मसलन, काफी भीड़ का होना, सीट का न मिलना, यहां तक कि इन्हें कलंक, हत्यारिन वगैरह कहना. वैसे तो लोकल ट्रेनें मुंबई की लाइफलाइन हैं और लाइफलाइन की शिकायत भला कैसे की जा सकती है? यहां की लोकल टे्रनों के कुछ खास फायदे हैं. इन्हें जान कर आप का मन खुश हो जाएगा.

फायदा नंबर एक यह है कि आप कितने भी सीधेसरल क्यों न हों, यहां की लोकल ट्रेन की कृपा से आप जीवट इनसान में तबदील हो जाते हैं.

शुरुआत में भीड़ देख कर आप 1-2 ट्रेनें छोड़ भी सकते हैं. ट्रेन में भीड़ के चढ़ जाने पर प्लेटफार्म चुनाव में हारी हुई पार्टी के दफ्तर या हारी हुई क्रिकेट टीम के खिलाड़ी के घर की तरह सूना हो सकता है और आप यह गलतफहमी पाल सकते हैं कि अगली ट्रेन में आप आराम से जा पाएंगे. पर अगली टे्रन आने तक, जिस में सिर्फ चंद मिनट ही होते हैं, भीड़ फिर पहले जैसी ही हो जाएगी.

जैसे बारिश के डर से चींटियां बिलबिला कर बिल से निकलती हैं, वैसे ही कुछ ही पलों में हजारों की तादाद में लोगों का प्रकट होना यहां आम बात है. आखिर में आप को लगेगा कि किसी ने चारा घोटाला कर चारे का हरण कर लिया है और आप के पास कोई चारा नहीं बचा है. नतीजतन, आप भीड़ से डरने के बजाय उस का हिस्सा बन जाएंगे. ट्रेन में चढ़ना तो अपनेआप में भगीरथ प्रयास है ही, ट्रेन में टिके रहना भी उतना ही बहादुरी भरा काम है. बदन की मालिश बगैर किसी खर्चेपानी के होती रहेगी. कभी रेलिंग के सहारे खड़े रहने, तो कभी दीवार से हाथ टेके खड़े रहने से आप की मांसपेशियां मजबूत होंगी. सेहत सुधरती जाएगी और बगैर ज्यादा कोशिश किए आप का बदन गठीला हो कर लोगों के जलने की वजह बन जाएगा.

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