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‘‘ठीक है. ये लो 25,000 रुपए. पीछे के दरवाजे से बाहर चले जाओ,’’ आंटी ने हुक्म दिया.

रवि ने रुपए संभाल कर रख लिए. वह चुपचाप कोठे से बाहर निकल गया.

सोनम कमरे में अकेली बैठी थी. आंटी ने उसे नमकीन और चाय दी.

‘‘रवि को भी बुलाइए. वह कहां है?’’ सोनम ने कहा.

‘‘रवि थोड़ी देर में आएगा, तब तक तुम नाश्ता करो. मैं ने उसे दुकान से पान लाने भेजा है,’’ आंटी ने चतुराई से कहा.

सोनम ने अनमने ढंग से नमकीन खा कर चाय पी ली थी.

2 घंटे बीत गए, लेकिन रवि नहीं आया. सोनम अब घबराने लगी. तभी आंटी कमरे में आई.

‘‘रवि अभी तक नहीं आया. वह कहां है?’’ सोनम ने पूछा.

‘‘अब वह नहीं आएगा. तुझे बेच कर चला गया,’’ आंटी ने बेदर्दी से कहा.

सोनम आंटी की बात सुन कर हैरान रह गई. रवि इतना बड़ा धोखेबाज निकला. बेबसी में उस की आंखों में आंसू छलक आए.

‘‘अब रोने से कुछ नहीं होगा. कोठे पर ग्राहकों को खुश करना होगा,’’ आंटी ने आंखें तरेर कर कहा.

‘‘मोहिनी, अंजू, डौली यहां आना तो,’’ आंटी ने आवाज लगाई.

आंटी के अगलबगल आ कर कई लड़कियां खड़ी हो गईं.

‘‘यह सोनम है. कोठे पर नई आई है. कोठे के सारे कायदे इसे समझा दो,’’ कह कर आंटी कमरे से बाहर चली गई.

लड़कियां ग्राहकों को खुश करने के गुर सोनम को सिखाने लगीं. वे सोनम को कोठे की जरूरी पाठ पढ़ा कर अपने धंधे में लग गईं.

सोनम कमरे में डरीसहमी बुत

सी बैठी थी. वह किसी चिडि़या की तरह पिंजरे में कैद थी. आंटी के

खौफ से कोठे की लड़कियां डरीसहमी रहती थीं.

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