नैक्स्ट,’ महिला डाक्टर की अपने केबिन से आवाज आई, तो गीता अंदर गई.
‘‘बोलिए, क्या तकलीफ है?’’ डाक्टर ने सिर से पैर तक उसे देखते हुए पूछा, जिस के सूख चुके शरीर पर फैले लाल दाने किसी अनहोनी के होने का अंदेशा उस की समस्या सुनने से पहले ही दे रहे थे.
‘‘बताइए, क्या तकलीफ है?’’ डाक्टर ने दोबारा पूछा.
‘‘डाक्टर मैडम, कुछ दिनों से दवा खाने पर भी बुखार और कमजोरी कम नहीं हो रही है और ये लाल दाने निकल आए हैं. घर के नजदीक के एक डाक्टर के पास गई थी, पर वे कहीं बाहर गई हैं, इसलिए आप के पास आई हूं.’’
‘‘उन्होंने कुछ टैस्ट कराए थे?’’
‘‘जी, ये रही उन की रिपोर्ट.’’
पूरी रिपोर्ट ध्यान से पढ़ने के बाद डाक्टर ने गीता से पूछा, ‘‘शादी हुई है?’’
‘‘जी.’’
‘‘पति कहां हैं?’’
‘‘वे भी बीमार चल रहे हैं, इसलिए ससुराल वालों ने मुझे मायके भेज दिया है.’’
‘‘बता सकती हो कि क्या हुआ है उन्हें?’’
उन दोनों की बात कोई सुन तो नहीं रहा है, गीता ने आसपास नजर घुमाते हुए पक्का कर धीमी आवाज में कहा, ‘‘मेरी ससुराल वालों ने मुझे ज्यादा तो नहीं बताया, बस कहा कि उन्हें मर्दाना अंग में कुछ तकलीफ हो गई है, लंबा इलाज चलेगा और किसी से इस बारे में बात करने से भी मना किया है.’’
‘‘अच्छा, पति क्या नशा करते हैं?’’ डाक्टर का सवाल सुन कर गीता कुछ हिचकिचाई.
‘‘जी, कभीकभी करते हैं,’’ उस ने अपनी आंखें चुराते हुए कहा.
‘‘सूई से करते हैं?’’
‘‘जी.’’
‘‘आखिरी बार उन से संबंध कब बने थे?’’ डाक्टर ने पूछा.
गीता कुछ घबराई और उस से रहा न गया, ‘‘इस से मेरे बुखार का क्या लेनादेना?’’
‘‘लेनादेना तो है, इसीलिए पूछ रही हूं.’’
‘‘जी, 2 महीने पहले.’’
‘‘क्या वे निरोध इस्तेमाल करते थे?’’
‘‘जी नहीं.’’
‘‘क्या आप के पति और आप के एकदूसरे के अलावा किसी और के साथ भी सैक्स संबंध रहे हैं?’’
‘‘पिछली डाक्टर ने भी ऐसे ही ऊटपटांग सवाल मुझसे पूछे थे और यहां आप भी चालू हो गईं. मुझे आप में से किसी पर भी भरोसा नहीं है. मैं किसी और अच्छे डाक्टर को दिखाऊंगी,’’ गीता गुस्से से अपनी रिपोर्ट उठा कर वहां से जाने लगी.
‘‘डाक्टर बदलने से आप की समस्या बदल नहीं जाएगी.’’
डाक्टर की बात सुन कर गीता सदमे से दरवाजा पकड़ कर खड़ी हो गई, शायद उसे अपनी बीमारी का पता पहले से था, बस कबूल नहीं कर पा रही थी. वह दूसरी डाक्टर को इसलिए दिखाने आई थी कि वह उसे एड्स का धब्बा लगने की हामी शायद न भरे.
‘‘आप की रिपोर्ट बता रही है कि आप एचआईवी पौजिटिव हैं और आप के पति एड्स से पीड़ित होंगे’’
‘‘जी, मैं जानती हूं.’’
‘‘फिर, आप ने मुझे इतनी देर गुमराह क्यों किया?’’
‘‘मैडम, इस धब्बे ने मेरे पति को अछूत बना कर रख दिया है. न तो हमारे परिवार में अब कोई आनाजाना करता है और न ही समाज में इज्जत बची है. मैं अपनी हालत भी उन की तरह होते नहीं देख सकती, इसलिए मैं यहां आ कर अकेले रह रही हूं.’’
‘‘हिम्मत रखिए, आप का दर्द मैं अच्छी तरह समझ सकती हूं.’’
‘‘मैडम, इस का कोई तो इलाज होगा?’’ भरी जवानी में अपने प्राण जाते देख गीता खुद को टूटने से रोक न पाई.
‘‘जागरूकता ही एड्स का एकमात्र इलाज है. आप से वह सवाल इसलिए पूछा गया था कि उस तीसरे इनसान को सजग कर टैस्ट करने को कहा जा सके और वह किसी के साथ भी बिना सुरक्षा के संबंध बनाने से रुक जाए, नहीं तो यही बीमारी किसी चौथे को और उस से न जाने कितने लोगों में फैलती चली जाएगी, जिसे ट्रैक करना मुश्किल होता जाएगा.’’
‘‘डाक्टर मैडम, अगर किसी औरत से संबंध होते तो आप को बताने में उतनी हिचक नहीं होती, मगर किस मुंह से कहूं कि उन्हें मर्द पसंद हैं.’’
‘‘जो मर्द समलैंगिंक संबंध बनाते हैं, उन्हें यह खतरा औरों के मुकाबले ज्यादा होता है.’’
‘‘पर, मुझे यह बात समझ नहीं आई कि उन के सूई से नशा करने से, समलैंगिक संबंध बनाने से, निरोध न इस्तेमाल करने से यह बीमारी मुझ तक कैसे पहुंच गई’’
‘‘तुम्हारे सारे सवालों में ही तुम्हारा जवाब छिपा हुआ है.’’
‘‘काश, वक्त रहते थोड़ी सावधानी वे दिखा देते, तो आज इस धब्बे के साथ जीने के लिए न वे मजबूर होते, न मैं. उन के अकेले के शौक ने हम में से कितनों को मौत के मुंह में धकेल दिया है.’’
‘‘तुम घबराओ नहीं, मेरे पास यहां बैठो,’’ डाक्टर ने गीता का हाथ पकड़ते हुए कहा.
‘‘नहीं मैडम, आप मुझे मत छुइए, नहीं तो यह बीमारी आप को भी लग जाएगी.’’
‘‘मैं मानती हूं कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, पर यह किसी को छूने से, उस के साथ खाने से या साथ घूमनेफिरने से नहीं फैलती. पर, एक बात मैं दावे से कह सकती हूं कि यह बीमारी प्यार और अपनेपन से घटती जरूर है.’’
‘‘आज कितने दिनों बाद किसी ने मुझ से इतने अच्छे से बात की होगी,’’ गीता दुखी जरूर थी, पर कुछ मीठे बोल उसे इन हालात से जूझाने का हौसला दे रहे थे.
‘‘कोई भी तकलीफ हो तो मुझे फोन करने से झिझकना मत. इस फोल्डर से तुम्हें इस बीमारी संबंधी सभी जरूरी जानकारी मिल जाएगी और साथ ही उन अनेक संस्थान के पते व फोन नंबर भी मिल जाएंगे, जहां तुम खुद को कभी अकेला नहीं समझागी.
‘‘आप का बहुत शुक्रिया मैडम.’’
एड्स एक लाइलाज बीमारी है,
मात्र जागरूकता है इस की दवा.
ये अपनेपन, सहयोग से घटती है,
और बंट जाती है करने पर दुआ.