पूर्व कथा
हंसराज मलिक अपनी कंपनी के चीफ इंजीनियर को डांटते हुए नई मशीनों को लगाने का आर्डर देते हैं. और कल से अपने फैक्टरी आने की बात भी कहते हैं. यह निर्देश देते हुए वह कार में बैठ कर चले जाते हैं.
कार में बैठते ही वह अतीत की यादों में खो जाते हैं कि 20 साल पहले वह अपने परिवार के साथ काम ढूंढ़ने के लिए शहर में आए थे. किस तरह धीरेधीरे अपनी मेहनत के बल पर वह ‘मलिक इंडस्ट्रीज’ के मालिक बन गए.
इतनी तरक्की के बाद भी उन में कोई घमंड नहीं था. अपने कर्मचारियों के साथ दोस्ताना व्यवहार करते हंसराज अपने बिजनेस की बागडोर अपने दोनों बेटों सौरभ और वैभव को सौंप देते हैं. लेकिन उन के व्यापार करने का तरीका बिलकुल अपने पिता के विपरीत था. वे ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में डीलरों को खराब माल देना शुरू कर देते हैं.
रामदीन कंपनी का पुराना डीलर व हंसराज का दोस्त है. खराब माल देने की एवज में वह वैभव व सौरभ की शिकायत हंसराज से करता है तो हंसराज अपने चीफ एकाउंटेंट, चीफ इंजीनियर और बेटों को बुला कर डांटते हैं और रामदीन को हरजाना देने को कहते हैं. रामदीन के जाने के बाद सौरभ व वैभव अपने पिता को हरजाना देने की बात पर नाराज होते हैं.
सब के चले जाने के बाद हंसराज सोच में पड़ जाते हैं कि कंपनी में आखिर चल क्या रहा है. अगले दिन हंसराज फैक्टरी जाते हैं तो वहां वह चीफ क्वालिटी कंट्रोलर और चीफ इंजीनियर की बातें सुन लेते हैं. वे दोनों हंसराज को वहां देख कर चौंक जाते हैं. हंसराज के पूछने पर वे कंपनी और मशीनों की स्थिति से उन्हें अवगत कराते हैं.