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रवि बोलने लगा, ‘‘आप लोग चिंता मत कीजिए. हम आप को 6,000 रुपए महीना भेजते रहेंगे. किसी तरह वहां का घरजमीन बेच कर मामा के गांव में ही जमीन ले लीजिए. अगर दिक्कत होगी, तो आप दोनो को यहां शहर भी ला सकते हैं.’’

‘नहीं बेटा, हम लोग यहीं रहेंगे. शहर में नहीं आएंगे.’

रवि 12,000 रुपए महीने पर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगा था. मेनका एक ब्यूटीपार्लर में रिसैप्शन पर 8,000 रुपए महीना पर काम करने लगी थी. दोनों के दिन खुशीखुशी बीत रहे थे.

इसी बीच कोरोना बीमारी की चर्चा होने लगी. आज प्रधानमंत्री का भाषण टैलीविजन पर आने वाला था. प्रधानमंत्री ने सभी लोगों को एक दिन के ‘जनता कर्फ्यू’ की कह कर घर पर बिठा दिया. 21 मार्च को शाम 5 बजे 5 मिनट तक अपने घर की छत से थाली और ताली बजाने को कहा गया.

देशभर के लोगों ने थाली और ताली, घंटी और शंख तक बजा दिए. प्रधानमंत्री सम झ गए कि वे जो बोलेंगे, जनता मानेगी. इस के बाद उन्होंने टैलीविजन पर बड़ा फैसला सुनाया कि अब देश में 21 दिन का लौकडाउन होगा और जो जहां है, वहीं रहेगा. सभी गाडि़यां, बस, ट्रेन और हवाईजहाज तक बंद रहेंगे. सिर्फ राशन और दवा की दुकानें खुली रहेंगी.

दूसरे दिन से हर जगह पर पुलिस प्रशासन मुस्तैद हो गया. किसी तरह बंद कमरे में 21 दिन बिताए, पर फिर 19 दिन का और लौकडाउन बढ़ा दिया गया. अब जितने भी काम करने वाले लोग थे, वे हर हाल में घर जाने का मन बनाने लगे. कंपनी के मालिक ने पैसा देना बंद कर दिया.

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