‘‘अरे बेटा, हमारी जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं है. लड़की वाले भी बढि़या हैं. तुम्हारे मामा जब शादी के लिए लड़की वाले को ले कर आए हैं, तो उन की बात भी माननी चाहिए. बता रहे थे कि लड़की भी सुंदर और सुशील है. उस के मातापिता भी बहुत अच्छे हैं. इस तरह का परिवार दोबारा नहीं मिलेगा. लड़की भी मैट्रिक पास है. शादी में अच्छा पैसा भी देने के लिए तैयार हैं... और क्या चाहिए?’’
रवि उदास हो गया. उसे सम झ में नहीं आ रहा था कि पिताजी को क्या जवाब दे. वह उल झन में पड़ गया. एक तरफ मातापिता और दूसरी तरफ दिलोजान से चाहने वाली मेनका.
रवि मेनका के फोन का इंतजार करने लगा. अब तो मेनका ही कुछ उपाय निकाल सकती है.
रात 11 बजे मोबाइल की घंटी बजी. हैलोहाय होने के बाद मेनका ने पूछा, ‘आज गुमटी नहीं खोले थी?’
रवि बोला, ‘‘अरे, बहुत गड़बड़ हो गई है.’’
‘क्या हुआ?’
‘‘कुछ रिश्तेदार घर आए थे.’’
‘तुम्हारी शादी के लिए आए थे क्या?’
‘अरे हां, उसी के लिए आए थे. तुम्हें कैसे मालूम हुआ?’
‘मैं तुम्हारी एकएक चीज का पता करती रहती हूं.’
‘‘अच्छा छोड़ो, मु झे उपाय बताओ. इस से छुटकारा कैसे मिलेगा? मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता हूं. मांबाबूजी शादी करने के लिए अड़े हुए हैं. सम झ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं? तुम्हीं कुछ उपाय निकालो.’’
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मेनका बोली, ‘एक ही उपाय है. हम लोग यहां से दूसरी जगह किसी शहर में निकल जाएं.’
‘‘गुमटी का क्या करें?’’
‘बेच दो.’
‘‘बाहर क्या करेंगे?’’
‘वहां तुम कोई नौकरी ढूंढ़ लेना. मेरे लायक कुछ काम होगा, तो मैं भी कर लूंगी.’