Top 10 Best Husband-Wife Story In Hindi: पति और पत्नी एक दूसरे के पूरक होते हैं. यह एक ऐसा रिश्ता होता है जहां प्यार के साथ-साथ तकरार भी देखने को मिलता है. यह रिश्ता दो लोगों को पूरी जिंदगी बांध कर रखता है. जीवन के हर सुख-दुख में पति-पत्नी एक-दूसरे का साथ निभाते हैं.  इस आर्टिकल में हम लेकर आए हैं सरस सलिल की 10 Best Husband-Wife Story In Hindi. इन कहानियों को पढ़कर आप पति-पत्नी के रिश्ते को गहराई से समझ पाएंगे.  तो अगर आपको भी हैं कहानियां पढ़ने का शौक तो पढ़िए सरस सलिल की Top 10 Best Husband-Wife Story In Hindi.

1. तुम ही चाहिए ममू

husband-wife-story-in-hindiकुछ अपने मिजाज और कुछ हालात की वजह से राजेश बचपन से ही गंभीर और शर्मीला था. कालेज के दिनों में जब उस के दोस्त कैंटीन में बैठ कर लड़कियों को पटाने के लिए तरहतरह के पापड़ बेलते थे, तब वह लाइब्रेरी में बैठ कर किताबें खंगालता रहता था.

ऐसा नहीं था कि राजेश के अंदर जवानी की लहरें हिलोरें नहीं लेती थीं. ख्वाब वह भी देखा करता था. छिपछिप कर लड़कियों को देखने और उन से रसीली बातें करने की ख्वाहिश उसे भी होती थी, मगर वह कभी खुल कर सामने नहीं आया.

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2. भीगी पलकों में गुलाबी ख्वाब: क्या ईशान अपनी भाभी को पसंद करता था?

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मालविका की गजल की डायरी के पन्ने फड़फड़ाने लगे. वह डायरी छोड़ दौड़ी गई. पति के औफिस जाने के बाद वह अपनी गजलों की डायरी ले कर बैठी ही थी कि ड्राइंगरूम के चार्ज पौइंट में लगा उस का सैलफोन बज उठा.

फोन उठाया तो उधर से कहा गया, ‘‘मैं ईशान बोल रहा हूं भाभी, हम लोग मुंबई से शाम तक आप के पास पहुंचेंगे.’’

42 साल की मालविका सुबह 5 बजे उठ कर 10वीं में पढ़ रहे अपने 14 वर्षीय बेटे मानस को स्कूल बस के लिए  रवाना कर के 49 वर्षीय पति पराशर की औफिस जाने की तैयारी में मदद करती है. नाश्तेटिफिन के साथ जब पराशर औफिस के लिए निकल जाता और वह खाली घर में पंख फड़फड़ाने के लिए अकेली छूट जाती तब वह भरपूर जी लेने का उपक्रम करती. सुबह 9 बजे तक उस की बाई भी आ जाती जिस की मदद से वह घर का बाकी काम निबटा कर 11 बजे तक पूरी तरह निश्ंिचत हो जाती.

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3. मेरा पति सिर्फ मेरा है: अनुषा ने अपने पति को टीना के चंगुल से कैसे निकाला?

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सुबहबह के 6 बज गए थे. अनुषा नहाधो कर तैयार हो गई. ससुराल में उस का पहला दिन जो था वरना घर में क्या मजाल कि कभी सुबह 8 बजे से पहले उठी हो.

विदाई के समय मां ने समझाया, ‘‘बेटी, लड़कियां कितनी भी पढ़लिख जाएं उन्हें अपने संस्कार और पत्नी धर्म कभी नहीं भूलना चाहिए. सुबह जल्दी उठ कर सिर पर पल्लू रख कर रोजाना सासससुर का आशीर्वाद लेना. कभी पति का साथ न छोड़ना. कैसी भी परिस्थिति आ जाए धैर्य न खोना और मुंह से कभी कटु वचन न निकालना.’’

‘‘जैसी आप की आज्ञा माताश्री…’’

जिस अंदाज में अनुषा ने कहा था उसे सुन कर विदाई के क्षणों में भी मां के चेहरे पर हंसी आ गई थी.

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4. तुम सावित्री हो: क्या पत्नी को धोखा देकर खुश रह पाया विकास?

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अमेरिका के एअरपोर्ट से जब मैं हवाईजहाज में बैठी तो बहुत खुश थी कि जिस मकसद से मैं यहां आई थी उस में सफल रही. जैसे ही हवाईजहाज ने उड़ान भरी और वह हवा से बातें करने लगा वैसे ही मेरे जीवन की कहानी चलचित्र की तरह मेरी आंखों के आगे चलने लगी और मैं उस में पूरी तरह खो गई…

विकास और मैं एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत हैं. वैसे मैं उम्र में विकास से 1 वर्ष बड़ी हूं. वे कंपनी में एम.डी. हैं, जबकि मैं सीनियर मैनेजर. कंपनी में साथसाथ काम करने के दौरान अकसर हमारी मुलाकात होती रहती थी. मेरे मम्मीपापा मेरी शादी के लिए लड़का देख रहे थे, लेकिन कोई अच्छा लड़का नहीं मिल रहा था. आखिर थकहार के मम्मीपापा ने लड़का देखना बंद कर दिया. तब मैं ने भी उन से टैलीफोन पर यही कहा कि वे मेरी शादी की चिंता न करें. जब होनी होगी तब चट मंगनी पट शादी हो जाएगी. दरअसल, विकास का कार्यक्षेत्र मेरे कार्यक्षेत्र से एकदम अलग था. यदाकदा हम मिलते थे तो वह भी कंपनी की लिफ्ट या कैंटीन में. वे कंपनी में मुझ से सीनियर थे, हालांकि मैं पहले एक दूसरी कंपनी में कार्यरत थी. मैं ने उन के 3 वर्ष बाद यह कंपनी जौइन की थी. एक बार कंपनी के एक सेमिनार में मुझे शोधपत्र पढ़ने के लिए चुना गया. उस समय सेमिनार की अध्यक्षता विकास ने की थी. जब मैं ने अपना शोधपत्र पढ़ा तब वे मुझ से इतने इंप्रैस हुए कि अगले ही दिन उन्होंने मुझे अपने कैबिन में चाय के लिए आमंत्रित किया. चाय के दौरान हम ने आपस में बहुत बातें कीं. बातोंबातों में उन्होंने मुझ से मेरे बारे में ंसारी बातें मालूम कर लीं. रही उन के बारे में जानकारी लेने की बात, तो मैं उन के बारे में बहुत कुछ जानती थी और जो नहीं जानती थी वह भी उन से पूछ लिया.

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5. प्रेरणा: क्या शादीशुदा गृहस्थी में डूबी अंकिता ने अपने सपनों को दोबारा पूरा किया?

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‘‘बड़ी मुद्दत हुई तुम्हारा गाना सुने. आज कुछ सुनाओ. कोई भी राग उठा लो,  बागेश्वरी, विहाग या मालकोश, जो इस समय के राग हैं,’’ रात का भोजन करने के बाद मनोहर लाल ने अंकिता से इच्छा व्यक्त की. वे बड़े लंबे समय के बाद अपनी बेटी और दामाद के यहां उन से मिलने आए थे.

इस से पहले कि अंकिता कुछ कहती, उस की 14 साल की बेटी चहक पड़ी, ‘‘सुना तो है कि मां बड़ा अच्छा गाती थीं, संगीत विशारद भी हैं, लेकिन मैं ने तो आज तक इन के मुख से कोई गाना नहीं सुना.’’

‘‘यह मैं क्या सुन रहा हूं? तुम तो इतना बढि़या गाती थीं. कुछ और समय लखनऊ में रहना हो गया होता तो तुम ने संगीत में निपुणता प्राप्त कर ली होती.’’

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6. तुम्हारे हिस्से में: पत्नी के प्यार में क्या मां को भूल गया हर्ष?

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बाइक ‘साउथ सिटी’ मौल के सामने आ कर रुकी तो एक पल के लिए दोनों के बदन में रोमांच से गुदगुदी हुई. मौल का सम्मोहित कर देने वाला विराट प्रवेशद्वार. द्वार के दोनों ओर जटायु के विशाल डैनों की मानिंद दूर तक फैली चारदीवारी. चारदीवारी पर फ्रेस्को शैली के भित्तिचित्र. राष्ट्रीयअंतर्राष्ट्रीय उत्पादों की नुमाइश करते बड़ेबड़े आदमकद होर्डिंग्स और विंडो शोकेस. सबकुछ इतना अचरजकारी कि देख कर आंखें बरबस फटी की फटी रह जाएं.

भीतर बड़ा सा वृत्ताकार आंगन. आंगन के चारों ओर भव्यता की सारी सीमाओं को लांघते बड़ेबड़े शोरूम. बीच में थोड़ीथोड़ी दूर पर आगतों को मासूमियत के संग अपनी हथेलियों पर ले कर ऊपर की मनचाही मंजिलों तक ले जाने के लिए तत्पर एस्केलेटर.

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7. मेरा प्यार था वह: क्यों शादी के बाद मेघा बदल गई?

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मुझे ऐसा लगा कि नीरज वहीं उस खिड़की पर खड़ा है. अभी अपना हाथ हिला कर मेरा ध्यान आकर्षित करेगा. तभी पीछे से किसी का स्पर्श पा कर मैं चौंकी.

‘‘मेघा, आप यहां क्या कर रही हैं? सब लोग नाश्ते पर आप का इंतजार कर रहे हैं और जमाईजी की नजरें तो आप ही को ढूंढ़ रही हैं,’’ छेड़ने के अंदाज में भाभी ने कहा.

सब हंसतेबोलते नाश्ते का मजा ले रहे थे, पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था. मैं एक ही पूरी को तोड़े जा रही थी.

‘‘अरे मेघा, खा क्यों नहीं रही हो बहू, मेघा की प्लेट में गरम पूरियां डालो,’’ मां ने भाभी से कहा.

‘‘नहीं, मुझे कुछ नहीं चाहिए. मेरा नाश्ता हो गया,’’ कह कर मैं उठ गई.

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8. कोरोना लव : शादी के बाद अमन और रचना के रिश्ते में क्या बदलाव आया?

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अमन घर में पैर रखने ही जा रहा था कि रचना चीख पड़ी, ‘‘बाहर…बाहर जूता खोलो. अभी मैं ने पूरे घर में झाड़ूपोंछा लगाया है और तुम हो कि जूता पहन कर अंदर घुसे आ रहे हो.’’

‘‘अरे, तो क्या हो गया? रोज तो आता हूं,’’ झल्लाते हुए अमन जूता बाहर ही खोल कर जैसे ही अंदर आने लगा रचना ने फिर उसे टोका, ‘‘नहीं, बैठना नहीं, जाओ पहले बाथरूम और अच्छे से हाथमुंहपैर सब धो कर आओ. और हां, अपना मोबाइल भी सैनिटाइज करना मत भूलना. वरना यहांवहां कहीं भी रख दोगे और फिर पूरे घर में इन्फैक्शन फैलाओगे.’’

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9. धोखा: क्या संदेश और शुभ्रा शादी से खुश थे?

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संदेश और शुभ्रा ने एकदूसरे को पसंद कर शादी के लिए रजामंदी दी थी. दोनों के परिवारों ने खूब अच्छी तरह देखपरख कर संदेश और शुभ्रा की शादी करने का फैसला किया था. यह कोई प्रेम विवाह नहीं था. रिश्तेदारों ने ही ये रिश्ता करवाया था.

संदेश एमबीए कर के एक कंपनी में सहायक मैनेजर के पद पर काम कर रहा था, तो शुभ्रा भी एमए कर के सिविल सर्विस के लिए कोशिश कर रही थी. ऐसे में शुभ्रा के एक रिश्तेदार ने संदेश के बारे में शुभ्रा के मम्मीपापा को बताया. शुभ्रा के मम्मीपापा रिश्ते की बात करने के लिए संदेश के घर गए.

संदेश के पिताजी बैंक से रिटायर्ड थे तो मम्मी घरेलू औरत थी. इस तरह देखादिखाई के बाद संदेश और शुभ्रा की शादी हुई.

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10. दुनिया पूरी: क्या पत्नी को दिए गए वचन को वह निभा पाया?

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मेरी पत्नी का देहांत हुए 5 वर्ष बीत गए थे. ऐसे दुख खत्म तो कभी नहीं होते, पर मन पर विवशता व उदासीनता की एक परत सी जम गई  थी. इस से दुख हलका लगने लगा था. जीवन और परिवार की लगभग सभी जिम्मेदारियां पूरी हो चुकी थीं. नौकरी से सेवानिवृत्ति, बच्चों की नौकरियां और विवाह भी.

जिंदगी एक मोड़ पर आ कर रुक गई थी. दोबारा घर बसाना मु झे बचकाना खयाल लगता था. चुकी उमंगों के बीज भला किसी उठती उमंग में क्यों बोए जाएं.  अगर सामने भी चुकी उमंग ही हो, तो दो ठूंठ पास आ कर भी क्या करें. मु झे याद आता था कि एक बार पत्नी और अपनी खुद की नौकरी में अलगअलग पोस्ंिटग होने पर जाने के लिए अनिच्छुक पत्नी को सम झाते हुए मैं ने यह वचन दे डाला था कि मैं जीवन में कभी किसी दूसरी औरत से शरीर के किसी रिश्ते के बारे में होश रहने तक सोचूंगा भी नहीं.

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