देश की सब से बड़ी अदालत के 50वें चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ अपनेआप में इसलिए अलग हैं कि उन्होंने ऐसे अनेक फैसले लिए हैं, जिन से यह कहा जा सकता है कि वे सच्चे माने में भारत के जनमानस की आवाज बन कर देश के चीफ जस्टिस पद की कुरसी पाए हैं. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर, 2022 को देश के 50वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में आयोजित एक समारोह में उन्हें इस पद की शपथ दिलाई.

धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 तक रहेगा यानी वे अगले 2 साल तक देश के चीफ जस्टिस के तौर पर अपनी सेवाएं देंगे. शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद उन्होंने कहा, ‘‘शब्दों से नहीं, काम कर के दिखाएंगे. आम आदमी के लिए काम करेंगे. बड़ा मौका है, बड़ी जिम्मेदारी है. आम आदमी की सेवा करना मेरी प्राथमिकता है.’’ चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की सब से बड़ी खूबी यह है कि वे हर मामले में सब्र के साथ सुनवाई करते हैं. देश ने देखा था कि किस तरह कुछ दिन पहले उन्होंने एक मामले में लगातार 10 घंटे तक सुनवाई की थी. चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने 2 बार अपने पिता चीफ जस्टिस रह चुके यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के फैसलों को भी पलटा है, जिस में सब से अहम है इंदिरा गांधी के शासनकाल में जब इमर्जैंसी लगाई गई थी, तो आम लोगों के मौलिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया था, जिस पर उन के पिता ने मुहर लगाई थी, मगर जब समय आया, तो बेटे ने अपने पिता के फैसले को पलट दिया और यह फैसला दिया कि किसी भी हालत में संविधान द्वारा दिए गए निजता के मौलिक अधिकार को स्थगित नहीं किया जा सकता.

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