Social Conflict: पंजाब में तकरीबन 18 लाख बाहरी यानी प्रवासी मजदूर काम कर रहे हैं, जिन में से 80 फीसदी असंगठित मजदूर हैं, जो खेतीबारी, उद्योग और दूसरे क्षेत्रों में अपना खास योगदान देते हैं. हालांकि, हाल के समय में पंजाब में कुछ संगठनों और पंचायतों की ओर से प्रवासी मजदूरों के खिलाफ विरोध और उन्हें राज्य से बेदखल करने का माहौल बनाया जा रहा है.

ये हालात पंजाब की इकोनौमी और सामाजिक भाईचारे के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं. प्रवासी मजदूरों का यहां से भागना राज्य की फैक्टरियों और खेतों के काम पर बुरा असर डाल रहा है. एससी और अति पिछड़े मजदूरों का शोषण पंजाब में एससी तबके की आबादी तकरीबन 32 फीसदी है, लेकिन उन के पास केवल 3 फीसदी जमीन है. एससी और अति पिछड़े खेत मजदूर पंजाब की खेतीबारी में खास रोल निभाते हैं, साथ ही वे आमतौर पर कर्ज में डूबे हुए होते हैं.

पंजाब में किसानों की खुदकुशी में एससी मजदूरों की तादाद भी ज्यादा है. अमीर पंजाबी किसानों (जाट सिख) का शोषण और सामाजिक दबदबा इस वर्ग पर बना हुआ है.

यह वर्ग अपनी उथली जमीन और सामाजिक हालात के चलते मजबूर हो कर दूसरे राज्यों जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश से पंजाब में मजदूरी के लिए आता है. इन प्रवासी मजदूरों में भी ज्यादातर एससी और पिछड़े वर्ग के होते हैं.

अमीर पंजाबी समाज का रवैया

पंजाबी समाज में अमीर वर्ग अपने सामाजिक और माली दबदबे के चलते एससी और अति पिछड़े मजदूरों के साथ शोषण से भरा बरताव करता है. हाल ही में प्रवासी मजदूरों के खिलाफ बढ़ते विरोध के पीछे पंजाबी अमीर वर्ग की चिंता और असुरक्षा की भावना भी है.

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