इच्छा और जरूरत का अंतर जेब में रखे पैसों से निर्धारित होता है. बच्चों की कौन सी इच्छा पूरी करनी है और उन की क्या जरूरत है, यह मातापिता से बेहतर कोई नहीं समझ सकता. उन के फैसले अनुभव और जरूरत के हिसाब से होते हैं.
अक्षत का मूड बहुत खराब था. वह 12वीं के बाद अपने दोस्त कनिष्क की तरह विदेश में पढ़ने जाना चाहता था. पर अक्षत के मम्मीपापा ने एजुकेशन लोन के लिए साफ मना कर दिया था. अक्षत के पापा के अनुसार, ‘‘विदेश में पढ़ने के लिए 30 लाख रुपए का लोन लेने से अच्छा है कि अक्षत भारत के ही किसी अच्छे कालेज से ग्रेजुएशन कर ले.
लेकिन आज, अक्षत के शब्दों में, ‘‘उस समय मैं मम्मीपापा से बेहद नाराज था पर उन्होंने एकदम सही फैसला लिया था. नहीं तो आज मैं और मेरा पूरा परिवार एजुकेशन लोन के कर्ज में डूबा रहता. कोरोना के कारण वैसे ही भविष्य अंधकार में है.’’
ऊर्जा अपनी जन्मदिन की पार्टी अपनी दूसरी फ्रैंड्स की तरह महंगे फाइवस्टार होटल में देना चाहती थी. लेकिन उस की मम्मी ने कहा कि वे लोग एक जन्मदिन के लिए 50 हजार रुपए का खर्च वहन नहीं कर सकते. ऊर्जा ने गुस्से में जन्मदिन पर किसी को नहीं बुलाया. पर उस की जन्मदिन की रात को 12 बजे जब उस की सारी सहेलियां केक ले कर पहुंचीं, तो ऊर्जा की खुशी का ठिकाना न रहा. ऊर्जा की मम्मी ने उस की सभी दोस्तों के मम्मीपापा से परमिशन ले ली थी. पूरी रात ऊर्जा दोस्तों के साथ धमाचौकड़ी करती रही. रात में मम्मीपापा के गले लगते हुए ऊर्जा बोली, ‘‘मम्मी, यह जन्मदिन अब तक का सब से अच्छा जन्मदिन था. जगह से ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है लोगों का साथ.’’