इसे जागरूकता की कमी कहें या फिर अनपढ़ता, लड़के हों या लड़कियां एक उम्र आने पर उन के शरीर में कुछ बदलाव होते हैं और अगर ऐसे समय में समझदारी और सब्र का परिचय नहीं दिया जाए, तो जिंदगी में कुछ अनहोनी भी हो सकती है. ऐसे ही एक वाकिए में एक लड़की जब अपनी माहवारी के दर्द को सहन नहीं कर पाई और न ही अपनी मां को कुछ बता पाई, तो उस ने खुदकुशी का रास्ता चुन कर लिया.

यह घटना बताती है कि जवानी के आगाज का समय कितना ध्यान बरतने वाला होता है. ऐसे समय में कोई भी नौजवान भटक सकता है और मौत को गले लगा सकता है या फिर कोई ऐसी अनहोनी भी कर सकता है, जिस का खमियाजा उसे जिंदगीभर भुगतना पड़ सकता है. सब से बड़ी बात यह है कि उस के बाद परिवार वाले अपनेआप को कभी माफ नहीं कर पाएंगे.

आज हम इस रिपोर्ट में ऐसे ही कुछ मामलों के साथ आप को और समाज को अलर्ट मोड पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. एक बानगी :

-14 साल की उम्र आतेआते जब सुधीर की मूंछ निकलने लगी, तो वह चिंतित हो गया. उसे यह अच्छा नहीं लग रहा था कि उस के चेहरे पर ठीक नाक के नीचे मूंछ उगे और वह परेशान हो गया.

-12 साल की उम्र में जब सोनाली को पहली दफा माहवारी हुई, तो वह घबरा गई. वह बड़ी परेशान हो रही थी. ऐसे में एक सहेली ने जब उसे इस के बारे में अच्छी तरह से बताया, तो उस के ही बाद वह सामान्य हो पाई.

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