विरासत में आदमी अपने पिता के काम को ही अपनाता है, क्योंकि शुरू से ही वह उसे देखतासुनता और समझता है. पहले किसान और कारीगर 2 ही वर्ग थे. आगे चल कर हाकिम, पंडों के वर्ग तैयार हुए. आज दुनियाभर में जो 2 वर्ग हैं, वे हाकिम या अमीर वर्ग हैं और गुलाम या गरीब वर्ग.
हाकिम वर्ग में सामंत व पुरोहित वर्ग और कारोबारी जुड़े हैं, जबकि गुलाम वर्ग में किसान और कारीगर वर्ग और दूसरे मजदूर हैं. दोनों में कैसी प्रतियोगिता, कैसी बराबरी, कैसा बराबर का मौका?
भारत में तो यह वर्ग जाति के रूप में बदल गया. हिंदू समाज के पंडेपुरोहितों ने ऐसे नियम बनाए कि पूरा समाज
2 वर्गों की 4 जातियों में बंट कर रह गया. हिंदू धार्मिक ग्रंथों ने इन का खूब प्रचार किया.
इन 4 जातियों के तहत भी सैकड़ोंहजारों जातियां बना डाली गई हैं, ताकि सब एकदूसरे से उलझी रहें. अलगअलग समूह बन गए.
इन के रोजीरोजगार से ले कर शादीब्याह तक को अनेक रिवाजों से जकड़ दिया गया कि वे इस के जंजाल से बाहर जाने की सोच भी नहीं सकते थे. जो इस के बाहर जाना भी चाहता, तो उसे हाकिम का डंडा या समाज से बाहर जाने की सजा भुगतनी होती थी.
इन विधानों को हालांकि समयसमय पर चुनौती मिली, मगर समाज में बदलाव आ नहीं पाया. पुरोहित वर्ग ने हथियार उठाने वाले वर्ग के साथ मिल कर चुनौती देने वालों को या तो खत्म कर दिया या उन्हें भी पूजनीय बना किनारे कर दिया.
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महावीर और बुद्ध को देख सकते हैं कि उन के विचारों के आधार पर उन्हें अलगथलग ही कर दिया गया. भीमराव अंबेडकर के मुताबिक, भारतीय समाज में लोग धर्म बदल सकते हैं, पर हिंदू रह कर जाति नहीं बदल सकते.
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