Hindi Story: दुर्गेश बहुत तेजी से आगे बढ़ना चाहता था. उसे लगता था कि गांव में सब से आगे उस का और उस के घरपरिवार का नाम रहे. वह पढ़ालिखा नहीं था. उस की संगत भी खराब लोगों से थी. उस का ज्यादातर समय गांव के बाहर बाग में बने मंदिर में गुजरता था. वहां रोजाना 20-25 लोग आते थे.
पहले वे सब हुक्का पीने के आदी थे, पर अब धीरेधीरे हुक्के की जगह गांजा ने ले ली. अब यह नशेडि़यों का अड्डा सा बन गया था.
दुर्गेश को भी गांजा पीने की आदत लग गई थी. गांजा बेचने वाला 10 किलोमीटर दूर के एक गांव भुलाबल से आता था.
नशे की लत में दुर्गेश एक बार मारपीट में शामिल हो गया था. पुलिस ने उसे पकड़ा और उसे जेल भेज दिया. 15 दिन जेल में रहने के बाद वह जमानत पर छूट कर आया.
इस के बाद कई महीने तक तो दुर्गेश गांव आने से बचता रहा था. पर फिर धीरेधीरे वह गांव आने लगा और अपने पुराने साथियों के साथ पहले की तरह उठनेबैठने लगा.
जेल में दुर्गेश को कई ऐसे लोग मिले थे, जो नशा बेचने के जुर्म में बंद थे. उन्हीं में से एक रहीम था. उस ने दुर्गेश की जेल में बड़ी मदद की थी. उस ने औफर दिया था कि अगर वे दोनों साथ मिल जाएं, तो अच्छा पैसा कमा सकते हैं.
जेल जाने के बाद अब दुर्गेश के मन का डर खत्म हो गया था. उसे समझ आ गया था कि पैसा सब से बड़ी चीज है. वह पुलिस और अदालत हर जगह काम आती है.
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