दरअसल, जब विशाल 14-15 साल का किशोर था, तभी उसे हस्तमैथुन करने की आदत लग गई थी. हालांकि इस उम्र में ऐसा करना लाजिमी है और आमतौर पर सभी लड़के इसी तरीके से अपनी सैक्स भावना को शांत करते  हैं, लेकिन सुहागरात पर अपराधबोध की वजह से विशाल में वह जोश नहीं आया और न ही अंग में तनाव.

सुहागरात पर मिली नाकामी का उस के मन में इस कदर डर बैठ गया कि वह अपनेआप को नामर्द समझने लगा. वह अपनी पत्नी के करीब जाने से कतराने लगा. रात होते ही उसे घबराहट होने लगती. वह पत्नी के सोने का इंतजार करने लगता.

विशाल की शादी हुए एक महीना बीत चुका था, लेकिन वह शारीरिक संबंध नहीं बना पाया था. एक दिन उस ने मन पक्का कर के अपने एक खास दोस्त को यह समस्या बताई.

दोस्त को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ जरूर है, इसलिए उस ने सलाह दी कि वह किसी माहिर डाक्टर को बता कर वह अपना चैकअप कराए, ताकि पता चले कि समस्या क्या है.

विशाल डाक्टर के पास गया. डाक्टर ने उस का अच्छी तरह चैकअप किया. कई जांच करने के बाद उसे शारीरिक तौर पर एकदम सही बताया यानी वह मर्द है और उस में ऐसी कोई कमी नहीं, जो सैक्स करने में बाधक हो.

डाक्टर ने विशाल को सलाह दी कि उस की समस्या जिस्मानी नहीं, बल्कि दिमागी है यानी तन से तो वह मर्द है, लेकिन मन से नामर्द, इसलिए उसे किसी माहिर मनोचिकित्सक से काउंसलिंग कराने को कहा.

विशाल उस मनोचिकित्सक के पास गया. काउंसलिंग के दौरान उस ने मनोचिकित्सक के सभी सवालों के जवाब दिए और कुछ सवाल अपनी तरफ से किए.

मनोचिकित्सक ने उस से कहा, ‘‘तुम शारीरिक रूप से पूरी तरह सेहतमद हो यानी मर्द हो, लेकिन पत्नी के पास जाते ही तुम्हारे मन में हस्तमैथुन करने का अपराधबोध आ जाता है, जो तुम्हें मन से नामर्द बना देता है.’’

मनोचिकित्सक ने विशाल को सलाह दी कि वह इस तरह का अपराधबोध छोड़ दे. यह तो एक सहज और सामान्य प्रक्रिया है. इस बारे में ज्यादा सोचना नहीं चाहिए. बीती बातों का अपराधबोध पालने की कोई तुक नहीं है. लिहाजा, यह डर अपने दिमाग से निकाल दे.

मनोचिकित्सक के साथ काउंसलिंग के बाद जब विशाल अपनी पत्नी के करीब गया तो उस के तनमन में वही सब अहसास हुआ, जो एक मर्द को होना चाहिए. उस रात उस की मर्दानगी जाग उठी और वह उस में पूरी तरह कामयाब रहा. इस के बाद उस की शादीशुदा जिंदगी आम जोड़े की तरह सुख से भरी हो गई.

विशाल की तरह अनेक नौजवान ऐसे हैं जो अपने द्वारा किए गए हस्तमैथुन या स्वप्नदोष की वजह से आत्मग्लानि से ग्रस्त हैं, जो उन्हें दिमागी तौर पर नामर्द बना देती है.

ऐसे ही एक नौजवान को हफ्ते में एकाध बार स्वप्नदोष होता था और इस वजह से वह खुद को नामर्द समझ रहा था. जब वह डाक्टर के पास गया तो उस की सोच गलत साबित हुई.

डाक्टर ने बताया कि किशोरावस्था में हर लड़के में वीर्य बनना शुरू हो जाता है, जो लगातार जारी रहता?है. जब वीर्य एक मात्रा से ज्यादा हो जाता है, तो वह अपनेआप निकल जाता है. जब कोई लड़का उत्तेजक सपना देखता है, तो उस का वीर्य गिर जाता है. इसे ही स्वप्नदोष कहते हैं.

स्वप्नदोष होना कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक कुदरती प्रक्रिया है. इस से किसी तरह की कमजोरी नहीं आती और न ही नामर्दी होती है.

हस्तमैथुन को ले कर कई गलत सोच फैली हुई हैं, जैसे इस से  कमजोरी आती है, शादी के बाद पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएगा, अंग टेढ़ा हो जाएगा वगैरह. यह भी एक गलत सोच है कि खून की 50-100 बूंद  से वीर्य की एक बूंद बनती है, जबकि वीर्य का खून से कोई लेनादेना ही  नहीं होता.

हस्तमैथुन और स्वप्नदोष के बारे में गलत सोच उन लोगों ने फैलाई है, जो इसे नामर्दी की वजह बना कर पैसा कमाना चाहते हैं.

ऐसे नीमहकीमों के इश्तिहार वगैरह टैलीविजन और अखबारों में काफी देखे जा सकते हैं. कुछ इश्तिहार नामर्दी को दूर करने वाली दवाओं के होते हैं. इन के झांसे में आने से बचना चाहिए.

कुछ किशोर गंदी संगत में पड़ कर समलैंगिक मैथुन यानी गुदा मैथुन करने की आदत पाल लेते हैं. समलैंगिक संबंधों का भी अपराधबोध दिमागी रूप से नामर्द बना देता है.

औरत के पास जाने पर संबंध बनाने में नाकाम होना दिमागी वजहों से होता है, इसलिए पहले बनाए गए समलैंगिक संबंधों को भूल जाएं. यकीन मानिए. आप अपनी पत्नी के सामने पूरे मर्द साबित होंगे.

कुछ नौजवान शादी से पहले सैक्स वर्कर्स से संबंध बनाने की आदत पाल लेते हैं. शादी के बाद पत्नी से संबंध बनाने की बारी आती है, तो उन्हें डर लगता है कि कहीं उन की पोल खुल न जाए. उन्हें अपना डर दूर कर लेना चाहिए. शादी के पहले वे मर्द थे, तो शादी के बाद नामर्द कैसे हो सकते हैं?

दरअसल, जोश या तनाव आना दिमागी सोच पर निर्भर करता है. पत्नी के साथ सैक्स करते समय पहले  बनाए गए संबंधों का खयाल दिमाग में न लाएं.

जब किसी मर्द का वीर्य सैक्स शुरू करने से पहले या तुरंत बाद निकल जाए, तो उसे शीघ्रपतन कहा जाता है. इस के साथ भी कई भ्रांतियां जुड़ी हुई हैं, जैसे उस की सैक्स की ताकत कम है, वह सैक्स नहीं कर सकता या पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएगा.

यदि ऐसा होता है, तो अपनेआप को नामर्द न समझें. जब मर्द बहुत ज्यादा जोश में होता है, तो उस का वीर्य जल्दी गिर जाता है. इस से कतई परेशान न हों.

कुछ नौजवान अपने अंग का छोटा होने की वजह से अपने को नामर्द मान बैठते हैं, जबकि यह सोच गलत है. तनाव में आया 3 इंच का अंग सामान्य माना जाता है, जो सैक्स करने व पत्नी  को पूरा सुख पहुंचाने के लिए काफी  है, इसलिए इस बात को ले कर चिंतित न हों.

कुछ इश्तिहारों में अंग बड़ा करने की दवा, तेल व उपकरणों के बारे में देखा जा सकता है. इन में कोई सचाई नहीं होती. अंग को किसी भी तरीके से बड़ा नहीं किया जा सकता है. इस के लिए किसी हकीम या तंबू वाले के पास मत जाइए, क्योंकि ये लोग आप को बेवकूफ बना कर खुद पैसा कमाते हैं. ऐसी कोई दवा आज तक नहीं बनी है, जिसे खा कर अंग की लंबाई बढ़ जाती है. वैसे भी हर किसी के अंग की लंबाई अलगअलग होती है.

दरअसल, नामर्द होने का मतलब है कि आदमी सैक्स संबंध बनाने में नाकाम है, चाहे वह संबंध बनाना चाहता हो. इस हालत में आदमी का अंग तनाव में नहीं आता या सिर्फ थोड़ी देर के लिए ही आता है.

किसी आदमी के नामर्द होने की  3 वजहें हैं, प्रजनन अंग में विकार, नशे की दवाएं या शराब का असर. तीसरी वजह में आदमी मानसिक तौर पर नामर्द होता है. ज्यादातर लोग इस हालात में ही होते हैं.

अगर कोई यह सोच ले कि वह सैक्स करने में नाकाम है, तो वह कभी कामयाब नहीं होगा. यह तो वही  बात हुई कि कोई सैनिक लड़ाई के मैदान में लड़ने से पहले ही हथियार डाल दे. ऐसे में भला वह जीत कैसे सकता है? लिहाजा, नामर्द होने का वहम मन से निकाल दें. अगर कोई दिक्कत है, तो हमेशा माहिर डाक्टर से ही सलाह लें.

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