राजनीति की चुनावी रणभेरी अब बज चुकी है. 2019 का आम चुनाव कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों के लिए ही जीने मरने का सवाल बन गया है. 3 राज्यों में मिली जीत से कांग्रेस में जोश है. वह इस जोश को पार्टी और वोटर दोनों के लिए इस्तेमाल करना चाहती है. यही वजह है कि कांग्रेस ने भी प्रियंका गांधी को मैदान में उतार कर अपना सब से अहम किरदार सामने कर दिया है.
कांग्रेस के पक्ष में बन रही हवा को इस ‘मास्टर स्ट्रोक’ से केवल चुनावी फायदा ही नहीं मिलेगा, बल्कि चुनाव के बाद उपजे हालात में नए तालमेल बनाने में भी खासा मदद मिलेगी. ‘शाहमोदी’ खेमे में भी इस से बेचैनी बढ़ गई है. ऐसे में एक बार फिर से प्रियंका गांधी को ले कर नएनए मैसेज वायरल होने लगे हैं.
12 जनवरी, 1972 को जनमी प्रियंका गांधी 47 साल की हो चुकी हैं. जनता उन में प्रधानमंत्री रह चुकी इंदिरा गांधी की छवि देखती है. इसी वजह से वे हमेशा ही कांग्रेस की स्टार प्रचारक मानी जाती रही हैं. समयसमय पर कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता प्रियंका गांधी के राजनीति में आने को ले कर मांग भी करते रहे हैं. कई चुनावों में अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के चुनाव प्रचार में उन्होंने हिस्सा भी लिया है.
अभी तक प्रियंका गांधी अमेठी और रायबरेली सीटों पर ही प्रचार अभियान को संभालती रही हैं या फिर परदे के पीछे रह कर काम करती रही हैं, पर साल 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है. पहली बार प्रियंका गांधी अमेठी और रायबरेली से बाहर निकल कर चुनाव प्रचार करेंगी.
शानदार रुतबा
लोकसभा में सब से ज्यादा सीटें होने के चलते उत्तर प्रदेश बहुत अहम हो जाता है. उम्मीद की जा रही है कि प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी की संसदीय सीट रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी. प्रियंका का लंबा छरहरा कद, छोटे बाल और साड़ी पहनने का लुक उन्हें दादी इंदिरा गांधी के काफी करीब लाता है.
प्रियंका गांधी के अंदर संगठन की क्षमता, राजनीतिक चतुराई और बोलने की कला सब से अलग है. लोगों से बात करते समय खिलखिला कर हंसना और अपनी बात बच्चों की तरह जिद कर के मनवाने की कला प्रियंका गांधी को दूसरों से अलग करती है.
वैसे, प्रियंका गांधी जरूरत पड़ने पर अपने तेवर तल्ख करना भी जानती हैं. इस से कार्यकर्ता अनुशासन में रहते हैं. वे देश के सब से बड़े सियासी परिवार की होने के बाद भी सियासी बातें कम करती हैं. विरोधी दल के नेता उन के बारे में कुछ भी कहें, पर वे कभी इन नेताओं पर कमैंट नहीं करती हैं. कभी मीडिया कमैंट करने के लिए कहती भी है तो वे मुसकरा कर बात को टाल जाती हैं.
जोश में है कांग्रेस
प्रियंका गांधी को ले कर कई तरह के नारे कार्यकर्ताओं के बीच बहुत मशहूर हैं. इन में ‘अमेठी का डंका बेटी प्रियंका’ और ‘प्रियंका नहीं यह आंधी है नए युग की इंदिरा गांधी है’ सब से खास हैं.
साल 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद प्रियंका गांधी जब साल 2012 के विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए आई थीं तो सब से पहले इतने दिन बाद आने के लिए माफी मांगी थी. वे औरतों और बच्चों से बेहद करीब से बात करती हैं. उम्रदराज औरतें जब उन के पैर छूने के लिए आगे बढ़ती हैं तो उन्हें वे रोक लेती हैं. उन के हाथ अपने सिर पर रख लेती हैं.
प्रियंका गांधी के इस प्यार भरे बरताव से गांव की औरतें निहाल हो जाती हैं. कईकई दिन तक वे प्रियंका गांधी की बातें करती नहीं अघाती हैं.
खूब चला जादू
साल 2007 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने अमेठी व रायबरेली इलाके में चुनाव प्रचार किया था. उत्तर प्रदेश के इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने पूरे प्रदेश की 402 विधानसभा सीटों में से 22 सीटें जीती थीं.
अमेठी रायबरेली क्षेत्र में कुल
10 विधानसभा की सीटें थीं. इन में से 7 सीटें कांग्रेस ने जीत ली थीं. इन में बछरांवा से राजाराम, संताव से शिव गणेश लोधी, सरेनी से अशोक सिंह, डलमऊ से अजय पाल सिंह, सलोन से शिवबालक पासी, अमेठी से रानी अमिता सिंह और जगदीशपुर से रामसेवक कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे. 10 में से 7 सीटें जीतना कांग्रेस के लिए चमत्कार जैसा था. कांग्रेस के लिए यह चमत्कार प्रियंका गांधी वाड्रा ने किया था.
प्रियंका गांधी ने इस के पहले साल 2004 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली संसदीय सीट पर चुनाव लड़ रही अपनी मां सोनिया गांधी के चुनाव संचालन को संभाला था, वहीं 2009 के लोकसभा चुनाव में भी प्रियंका गांधी ने रायबरेली और अमेठी तक अपने को समेट कर रखा था.
प्रियंका गांधी के इस सहयोग से राहुल और सोनिया को पूरे प्रदेश में पार्टी के प्रचार का मौका मिला. इस से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.
प्रियंका गांधी को कांग्रेस का प्रचार प्रचारक माना जाता है. इसी वजह से उन को राजनीति में सीधेतौर पर उतरने की मांग कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के द्वारा होती रहती है. चुनावी राजनीति से दूर रहते हुए प्रियंका गांधी कांग्रेस का प्रचार करती रही हैं.
कामयाबी की धुरी
प्रियंका गांधी की शादी रौबर्ट वाड्रा से हुई है. उन के एक बेटा रेयान और बेटी मिरिया हैं.
प्रियंका जब चुनाव प्रचार में जाती हैं तो आमतौर पर बच्चे उन के साथ होते हैं. वे पौलिटिक्स के साथ अपने परिवार का पूरा ध्यान रखती हैं. वे अपनी मां और भाई के सहयोगी की भूमिका में अपने को रखती रही हैं.
कई बार प्रियंका गांधी बिना कहे ही सारी बात कह जाती हैं. उन का यही अंदाज राहुल गांधी से जुदा लगता है.
राहुल गांधी अपनी बात कहने के लिए भाषण का सहारा लेते हैं. प्रियंका गांधी जब नाराज होती हैं या किसी बात से सहमत नहीं होती हैं तो उन के हावभाव से पता चल जाता है. गुस्से में प्रियंका का चेहरा तमतमा कर लाल हो जाता है.
जानकार लोग कहते हैं कि ऐसे मौके कम ही आते हैं. कार्यकर्ताओं का गुस्सा कम करने के लिए प्रियंका गांधी अपनी मुसकान का सहारा लेती हैं. वे अपने ऊपर भी गुस्सा हो जाती हैं. उन की यह अदा देख कर कार्यकर्ता सबकुछ भूल कर वापस प्रियंका गांधी की बात सुनने लगते हैं.
प्रियंका गांधी की यही सफलता विरोधी दलों के लिए सोचने का विषय बन जाता है. सभी दलों को लगता है कि अगर प्रियंका गांधी ने चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली तो उन के सामने मुश्किल खड़ी हो जाएगी.