देश में चुनावी शतरंज बिछ चुकी है। इस बार का लोकसभा चुनाव खुले तौर पर भाजपा और कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही दिखायी दे रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के बीते पांच साल के कामकाज की धज्जियां उड़ाते हुए जगह-जगह जम कर बरस रहे हैं, वहीं नरेन्द्र मोदी प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय राजनीति में उतरने से बौखलाये हुए हैं। इसमें दोराय नहीं है कि प्रियंका के सक्रिय राजनीति में उतर पड़ने से इस बार कांग्रेस पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में ताल ठोंकती नजर आ रही है। कांग्रेसियों का उत्साह आसमान पर है और यही वजह है कि कांग्रेस किसी गठबंधन में बंधे बिना अपने दम पर चुनाव लड़ने और जीतने का दावा कर रही है। व्यंग्य बाण छोड़ने में माहिर नरेन्द्र मोदी ने हालांकि प्रियंका पर अभी तक सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है, मगर कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप उन्होंने जरूर जड़ दिया है। वही पुराना घिसा-पिटा आरोप। कांग्रेस मतलब गांधी परिवार। वंशवाद का आरोप कांग्रेस पर लम्बे समय से लगता आ रहा है मगर कांग्रेस पर इसका कोई असर नहीं होता। अब ये आलोचना की बात हो या प्रशंसा की, मगर सच्चाई यही है कि आज ‘कांग्रेस मतलब गांधी-परिवार’, बिल्कुल ‘ठंडा मतलब कोकाकोला’ की तर्ज पर। आज इस परिवार के बिना कांग्रेस की कल्पना नहीं की जा सकती है। यह परिवार कांग्रेस से जब-जब अलग हुआ, कांग्रेस कमजोर हुई और कार्यकर्ताओं में बिखराव पैदा हुआ है। विपक्ष यह सोच कर वंशवाद का हो-हल्ला मचाता है कि शायद कुछ असर हो जाए और पुराने कांग्रेसी नेताओं के खून में उबाल आ जाये और गांधी परिवार के खिलाफ पार्टी के भीतर विरोध के अंकुर फूट जाएं, मगर विपक्ष का दांव हमेशा खाली ही जाता है क्योंकि कांग्रेस और गांधी एक सिक्के के दो पहलू हो चुके हैं।

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