नीरज शेखर के समाजवादी पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल होने के बाद एक बार फिर यह चर्चा गरम है कि समाजवादी पार्टी से राजपूत नेताओं का मोहभंग हो चुका है. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही एक के बाद एक राजपूत नेता सपा को छोड़ कर भाजपा में शामिल हो रहे हें. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खासे करीबी माने जाते थे. अखिलेश के कई फैसलों में नीरज शेखर की अहम सहमति रहा करती थी. मगर उन्हें भी पार्टी में रोक पाने में अखिलेश नाकाम रहे. दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव में नीरज शेखर बलिया से टिकट चाहते थे. बलिया में उनका काफी दबदबा है, मगर ऐसा न होने से वे अखिलेश से नाराज चल रहे थे.

बलिया से लगातार सांसद रहने के बाद देश के प्रधानमंत्री बने स्व. चंद्रशेखर के परिवार से दूरी समाजवादी पार्टी को काफी भारी पड़ सकती है. गौरतलब है कि बलिया पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की परंपरागत सीट रही है. 2007 में उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में नीरज शेखर को समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया और सपा के टिकट पर वह पहली बार सांसद बने. इसके बाद 2009 के आम चुनाव में भी नीरज ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और दूसरी बार सांसद बने. मगर 2014 के लोकसभा चुनाव में बलिया की सीट पहली बार मोदी लहर में भाजपा के खाते में चली गयी. इसके बाद भी समाजवादी पार्टी ने चंद्रशेखर परिवार से अपने रिश्ते को मजबूती देते हुए नीरज शेखर को राज्यसभा सदस्य बनाया. 2019 कि लोकसभा के लिए सपा-बसपा गठबंधन हुआ और इस गठबंधन ने ही नीरज शेखर की सपा से दूरी बना दी.

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