चीन से ब्रिटेन की दूरी हजारों किलोमीटर है. अकसर ऐसी दूरियां विमान या फिर पानी के जहाज से तय की जाती हैं, ट्रेन से नहीं. पर वर्ष 2017 में इस मिथक को तोड़ने की एक शुरुआत चीन से की गई. यहां साल के आरंभ में चीन के झेजियांग प्रांत के छोटे से पूर्वी शहर यीवू से एक मालगाड़ी लंदन के लिए रवाना की गई. चीन के मशहूर थोक बाजार यीवू से चलाई गई मालगाड़ी इतिहास बनाने के रास्ते पर है. पहली जनवरी को चली यह ट्रेन 18 दिनों में 12 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर के लंदन पहुंची. रास्ते में वह कई देशों -- कजाकिस्तान, रूस, बेलारूस, पोलैंड, बेल्जियम और फ्रांस से हो कर गुजरी.

चीन जिस तरह से ट्रेनों की गति और रेलमार्ग के विस्तार की योजनाओं पर आक्रामक रूप से काम कर रहा है, यह ट्रेन उसी का एक उदाहरण है और भारत के लिए चुनौती भी. क्योंकि हम न सिर्फ पहाड़ी व दुर्गम जगहों पर ट्रेन पहुंचाने में काफी पिछड़े हुए हैं, बल्कि रेलों की गति के मामले में भी चीन के पासंग भी नहीं ठहर पा रहे हैं.

चीन के यीवू से नया सिलसिला : चीन के यीवू शहर को घरेलू इस्तेमाल की चीजों के उत्पादन के लिए जाना जाता है. यहीं से चलाई गई नई मालगाड़ी में घरेलू इस्तेमाल की चीजें जैसे कपड़े, थैले, सूटकेस लादे गए. रेल के जरिए दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक सामान भेजने में भले ही 18 दिनों का समय लग रहा है, पर इस माध्यम से हवाई सेवाओं के मुकाबले समान ढुलाई में होने वाला खर्च 50 फीसदी कम होगा. यही नहीं, अगर यह सामान समुद्री रास्ते यानी पानी के जहाजों से भेजा जाता तो उस में एक महीने से ज्यादा का वक्त लगता. वैसे तो चीन से पहले ही यूरोप के कई देशों के बीच ट्रेन सुविधा उपलब्ध है लेकिन लंदन तक चली यह पहली रेल है. असल में लंदन को चीन से हाल में ही रेल नैटवर्क से जोड़ा गया है और इस रास्ते पर ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी ईवू टाइमैक्स इंडस्ट्रियल इवैंस्टमैंट नामक कंपनी को दी गई है. यही कंपनी इस से पहले से स्पेन की राजधानी मैड्रिड और चीन के बीच ट्रेन संचालन कर चुकी है.

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