प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका जाने से पहले जिस तरह मीडिया में बड़ीबड़ी बातों को प्रचारित किया जा रहा था, वैसा कुछ भी नहीं हुआ. पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के समय हुई पिछली 4 यात्राओं के बाद नया यह था कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी की यह पहली यात्रा थी. सनकी ट्रंप से मोदी की इस पहली मुलाकात को ले कर आशंकाएं थीं. इन दोनों नेताओं की मुलाकात पर दुनियाभर की निगाहें थीं. खासतौर से चीन और पाकिस्तान मोदी के दौरे को उत्सुकता से देख रहे थे.

मोदी की दुनिया के सब से ताकतवर मुल्क के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कुछ ऐसी ही थी जिस तरह भारतीय पुराणों में भरी कहानियों में कहा गया है कि दुश्मन के शक्तिशाली होने या किसी भी तरह की  मुसीबत आने पर देवता लोग ब्रह्मा की शरण में जाते थे. धर्म की ध्वजा थाम कर सत्ता में आए दोनों ही नेताओं के बीच खूब प्रेमालाप हुआ. एकदूसरे की जमकर तारीफें हुईं. दोनों नेताओं में कई बार गलबहियां हुईं. दोनों ने एकदूसरे को महान करार दिया लेकिन जो ठोस काम होने चाहिए थे वे नहीं हुए, केवल जबानी जमाखर्च देखने को मिला. दोनों नेताओं द्वारा एकदूसरे की मजेदार तारीफों के पुल पर गौर करते हैं :

मोदी ने फरमाया--

भारत और अमेरिका विकास के ग्लोबल इंजन हैं.

अमेरिका भारत का सच्चा मित्र है.

अमेरिका सब से पुराना और भारत सब से बड़ा लोकतंत्र है.

भारत और अमेरिका दुनिया के लिए बहुतकुछ कर सकते हैं.

यह मेरा नहीं, सवा सौ करोड़ भारतीयों का सम्मान है.

आप की बेटी इवांका को भारत आने का निमंत्रण देता हूं.

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