पति की हत्यारिन अंजना : भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

थानाप्रभारी ने झाडि़यों से शव बाहर निकलवाया, जो एक चादर में लिपटा था. चादर से शव निकाला तो वह 34-35 साल के युवक का था. शव की हालत देख कर अनुमान लगाया जा सकता था कि उस की हत्या 4-5 दिन पहले की गई होगी. बरसात के कारण शव फूल भी गया था. देखने से प्रतीत हो रहा था कि युवक की हत्या गला घोंट कर की गई थी.

थानाप्रभारी राजकुमार यादव अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी एस.एस. बेग, एएसपी बृजेश कुमार सिंह तथा डीएसपी केशव नाथ घटनास्थल आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो पता चला कि युवक की हत्या कहीं और की गई थी और शव को नहर किनारे झाडि़यों में फेंका गया था.

पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में सैकड़ों लोग शव को देख चुके थे. पर कोई भी उसे पहचान नहीं पा रहा था. इस से अधिकारियों ने अंदाजा लगाया कि मृतक आसपास के गांव का नहीं बल्कि कहीं दूरदराज का है. तब अधिकारियों ने शव का फोटो खिंचवा कर पोस्टमार्टम के लिए ललितपुर के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

एसपी एम.एम. बेग ने इस ब्लाइंड मर्डर का परदाफाश करने की जिम्मेदारी थानाप्रभारी राजकुमार यादव को सौंपी. सहयोग के लिए एसओजी व सर्विलांश टीम को भी लगाया. पूरी टीम की कमान एएसपी बृजेश कुमार सिंह को सौंपी गई.

थानाप्रभारी राजकुमार यादव ने इस केस को खोलने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. मुखबिरों को गांवगांव भेजा. पासपड़ोस के कई थानों से गुमशुदा लोगों की जानकारी जुटाई पर उस अज्ञात शव की किसी ने शिनाख्त नहीं की. तब यादव को शक हुआ कि मृतक किसी दूरदराज गांव का हो सकता है.

इस पर थानाप्रभारी ने दूरदराज के गांवों में अज्ञात युवक की लाश बरामद करने की मुरादी कराई.

जिजयावन गांव का शेर सिंह यादव उस समय खेत पर जा रहा था. अपने गांव में डुग्गी पिटती देख वह रुक गया. ऐलान सुना तो वह अंदर से कांप सा गया. क्योंकि उस का बेटा अवतार सिंह भी 11 अगस्त से घर से लापता था. खेत पर जाना भूल कर शेर सिंह ने पड़ोसी रामसिंह को साथ लिया और थाना वानपुर पहुंच कर थानाप्रभारी राजकुमार यादव से मिला.

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थानाप्रभारी ने जब शेर सिंह को लाश के फोटो, कपड़े, चादर आदि दिखाई तो उन दोनों ने उस की शिनाख्त अवतार सिंह के तौर पर कर दी. पड़ोसी रामसिंह ने थानाप्रभारी राजकुमार यादव को यह भी जानकारी दी कि अवतार सिंह के घर मिर्चवारा गांव के कल्याण उर्फ काले का आनाजाना था.

काले तथा अवतार सिंह की बीवी अंजना के बीच नाजायज रिश्ता था. अवतार सिंह इस का विरोध करता था. संभव है, इसी विरोध के कारण उस की हत्या की गई हो.

अवतार सिंह की हत्या का सुराग मिला तो पुलिस टीम अंजना से पूछताछ करने उस के घर पहुंच गई. अंजना ने पूछताछ में बताया कि उस के पति मथुरा गए हैं. वहां से कहीं और चले गए होंगे. 2-4 दिन बाद आ जाएंगे. लेकिन जब पुलिस ने बताया कि उस के पति की हत्या हो गई है और उस के ससुर शेर सिंह ने फोटो चादर से उस की शिनाख्त भी कर ली है.

तब अंजना ने जवाब दिया कि उस के ससुर वृद्ध हैं. बाबा बन गए हैं. उन की अक्ल कमजोर हो गई, इसलिए उन्होंने हत्या की बात मान ली और उन की गलत शिनाख्त कर दी. पर सच्चाई यह है कि पति तीर्थ करने गए हैं. आज नहीं तो कल आ ही जाएंगे.

बिना सबूत के पुलिस टीम ने अंजना को गिरफ्तार करना उचित नहीं समझा. पुलिस ने पूछताछ के बहाने उस का मोबाइल फोन जरूर ले लिया तथा उस की निगरानी के लिए पुलिस का पहरा बिठा दिया.

पुलिस ने अंजना का मोबाइल फोन खंगाला तो पता चला कि अंजना एक नंबर पर ज्यादा बातें करती है. पुलिस ने उस नंबर का पता किया तो जानकारी मिली कि वह नंबर अंजना के प्रेमी कल्याण उर्फ काले का है और वह हर रोज उस से बात करती है.

फिर क्या था, पुलिस टीम ने 3 सितंबर, 2020 की सुबह अंजना को उस के घर से हिरासत में ले लिया और थाना वानपुर ले आई. फिर अंजना की ही मदद से पुलिस टीम ने कल्याण उर्फ काले को भी भसौरा तिराहे से गिरफ्तार कर लिया. उस समय वह अपनी बोलेरो यूपी94एफ 4284 पर सवार था और ड्राइवर मोहन कुशवाहा का इंतजार कर रहा था. उसे मय बोलेरो थाना वानपुर लाया गया.

थाने पर जब उस ने अंजना को देखा तो समझ गया कि अवतार सिंह की हत्या का राज खुल गया है. जब पुलिस ने कल्याण से अवतार सिंह की हत्या के बारे में पूछा तो उस ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया और अपनी बोलेरो से तार का वह टुकड़ा भी बरामद करा दिया जिस से उस ने अवतार सिंह का गला घोंटा था. कल्याण के टूटते ही अंजना भी टूट गई और पति की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

कल्याण उर्फ काले कुशवाहा ने पुलिस को बताया कि अवतार सिंह की पत्नी अंजना से उस के नाजायज संबंध हो गए थे. इस रिश्ते की जानकारी अवतार को हुई तो वह विरोध करने लगा और अंजना को पीटने लगा.

अंजना की पिटाई उस से बरदाश्त नहीं हो रही थी. इसलिए उस ने अंजना और अपने ड्राइवर मोहन कुशवाहा के साथ मिल कर अवतार की हत्या की योजना बनाई और सही समय का इंतजार करने लगा.

11 अगस्त, 2020 की रात 8 बजे अंजना ने फोन कर के कल्याण को जानकारी दी कि अवतार सिंह फसल की रखवाली के लिए खेत पर गया है. वह रात को ट्यूबवैल वाली कोठरी में सोएगा.

यह पता चलते ही वह अपनी बोलेरो यूपी94एफ 4284 से ड्राइवर मोहन कुशवाहा के साथ जिजयावन गांव के बाहर पहुंचा. वहां योजना के तहत अंजना उस का पहले से ही इंतजार कर रही थी. उस के बाद वह तीनों खेत पर पहुंचे. जहां अवतार सिंह कोठरी में जाग रहा था.

वहां पहुंचते ही तीनों ने अवतार सिंह को दबोच लिया, फिर बिजली के तार से अवतार सिंह का गला घोंट दिया. हत्या के बाद तीनों ने शव चादर में लपेटा और बोलेरो गाड़ी में रख कर वहां से 20 किलोमीटर दूर खिरिया छतारा गांव के बाहर नहर की पटरी वाली झाडि़यों के बीच फेंक दिया. शव ठिकाने लगाने के बाद सभी लोग अपनेअपने घर चले गए.

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चूंकि कल्याण उर्फ काले ने ड्राइवर मोहन कुशवाहा को भी हत्या में शामिल होना बताया था, अत: पुलिस ने तुरंत काररवाई करते हुए 4 सितंबर की दोपहर 12 बजे मोहन कुशवाहा को भी ललितपुर बस स्टैंड के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाना वानपुर की हवालात में जब उस ने कल्याण को देखा तो सब कुछ समझ गया. पूछताछ में उस ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

पुलिस ने हत्यारोपित कल्याण उर्फ काले, मोहन कुशवाहा तथा अंजना यादव के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201/120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें 5 सितंबर 2020 को ललितपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेटी की सनक : भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

बेटी के प्यार के बारे में जानते ही वह उस के प्रति सख्त हो गईं और उसे साफतौर पर देवदीप से मिलने पर मना कर दिया. यही नहीं, देवदीप के घर आने पर भी पाबंदी लगा दी.

उम्र के जिस मोड़ से रिया गुजर रही थी, उस उम्र में अकसर बच्चों के पांव फिसल जाते हैं. ऐसे में कहीं कोई ऊंचनीच हो जाए तो समाज में वह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी. चंदना को इसी बात का डर सता रहा था, इसीलिए उन्होंने बेटी को देवदीप से मिलने और बात करने से मना कर दिया था.

मां की यह बात रिया को काफी नागवार लगी थी. रिया ने यह बात प्रेमी देवदीप को बता दी. यही नहीं वह अपने दिल की हर बात अपनी मौसेरी बहन आयशा जायसवाल से भी शेयर करती थी. दोनों हमउम्र भी थीं और हमराज भी. एकदूसरे के दिल की बातें सीने में दफन कर लेती थीं.

उस दिन के बाद से चंदना की बेटी पर सख्ती कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी. बेटी से कहीं भी जानेआने पर उस से हिसाब लेने लगी थीं. मसलन कहां जा रही है? वहां काम क्या है? घर कब लौटोगी? वगैरह…वगैरह.

अचानक मां के बदले तेवर से रिया परेशान हो गई. मां की टोकाटाकी उसे कतई पसंद नहीं थी. मां के इस रवैए से उस के मन में नकारात्मक सोच पैदा हो गई. वह यह भी सोच रही थी कि मां उस के प्रेमी देवदीप को पसंद नहीं करती, मां के जीते जी वह देवदीप को अपना जीवनसाथी नहीं बना सकती तो क्यों न मां को ही हमेशा के लिए अपने रास्ते हटा दे. न रहेगा चंदना नाम का कांटा, न चुभेगा पांव में. उस के बाद तो जीवन भर मजे ही मजे रहेंगे.

रिया के कच्चे दिमाग में खतरनाक योजना अंतिम रूप ले चुकी थी. जल्द से जल्द वह इस काम को अंजाम देना चाहती थी. वह यह भी जानती थी कि इस काम को अकेली पूरा नहीं कर सकती. इसलिए उस ने अपनी इस खतरनाक योजना में मौसेरी बहन आयशा और प्रेमी देवदीप को भी शामिल कर लिया. आयशा ने रिया का विरोध करने के बजाए उस का साथ देने के लिए हामी भर दी थी.

सब कुछ उस की योजना के मुताबिक चल रहा था. 23 अगस्त, 2020 को रिया आयशा को घर बुला लाई. उस के आने से रिया की हिम्मत दोगुनी हो गई थी. दोनों ने मिल कर रात भर चंदना को मौत के घाट उतारने की योजना बनाई.

रिया बेसब्री से अगली सुबह होने का इंतजार कर रही थी कि कब सुबह हो और मां को मौत के घाट उतारा जाए. मां के लिए उस के दिल में जरा भी रहम नहीं था.

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अगली सुबह 10 बजे रिया और आयशा बाजार गईं. उस दिन चंदना ड्यूटी नहीं गई थीं, घर पर ही थीं. मैडिकल की दुकान से दोनों ने नींद की 10 गोलियां खरीदीं और घर ला कर अलमारी में छिपा दीं.

दोपहर करीब साढ़े 12 बजे रिया ने 3 कप चाय बनाई. एक प्याली खुद ली, दूसरी प्याली आयशा को दी और तीसरी प्याली मां को दी. उस ने मां की चाय में चुपके से नींद की सारी गोलियां डाल दी थीं. चाय पीने के थोड़ी देर बाद ही दवा ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया.

चंदना अचेत हो कर बिस्तर पर गिर गईं. दोनों को बड़ी बेसब्री इसी पल का इंतजार था. रिया ने मां को हिला कर देखा, उन के जिस्म में कोई हरकत नहीं थी. फिर क्या था, दोनों ने मिल कर चुन्नी से चंदना का गला घोंट दिया.

कुछ ही पलों में चंदना की मौत हो गई. लेकिन रिया को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि उस की मां मर चुकी है. फिर खुद कलयुगी बेटी ने मां के पैरों में बिजली का तार फंसा कर 10 मिनट तक करंट दौड़ाया ताकि मां की मौत पक्की हो जाए.

इस के बाद रिया को यकीन हुआ कि उस के रास्ते का कांटा हमेशा के लिए निकल चुका है. उस के बाद लाश ठिकाने लगाने के लिए उस ने मदद के लिए प्रेमी देवदीप को फोन किया. देवदीप रिया के घर पहुंचा.

तीनों ने चंदना की लाश एक चादर में बांध कर बैड के नीचे डाल दी. फिर रिया ने अलमारी में रखे लाखों के सोनेचांदी के गहने निकाले और एक पोटली में बांध कर तीनों घर से निकल गए, ताकि यह लगे कि लूट के चलते घटना घटी है. जाने से पहले रिया ने मां का फोन स्विच्ड औफ कर दिया था.

यह सब करतेकरते दोपहर के 2 बज गए थे. उस के बाद रिया प्रेमी देवदीप और मौसेरी बहन आयशा के साथ दिन भर इधरउधर घूमती रही. गहने उस ने देवदीप के हवाले कर दिए थे. फिर घूमतेटहलते रात में रिया और आयशा नानी के घर पहुंच गईं.

रिया ने नानी से झूठ बोला कि वह पिकनिक पर आयशा के साथ कोटा गई थी. लौटते वक्त मां को फोन लगाया तो मां के फोन की घंटी बजती रही लेकिन उन्होंने काल रिसीव नहीं किया, इसलिए यहां चली आई.

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फिर नानी के घर से रिया ने अपने पड़ोसी इंजीनियर अंकल रामेश्वर सूर्यवंशी को फोन कर के मां के फोन न उठाने वाली बात बता कर उन्हें घर जा कर पता लगाने को कहा. ताकि मौका मिलते ही उन्हें फंसा कर खुद को बेदाग साबित कर दे.

लेकिन कानून के लंबे हाथों से वह बच नहीं पाई और सलाखों के पीछे पहुंच गई. वह खुद तो जेल गई ही, साथ में अपनी बहन और दोस्त को भी जेल ले गई.

कथा लिखे जाने तक पुलिस ने देवदीप से सारे गहने बरामद कर लिए थे. कलयुगी बेटी की करतूतों पर पूरा शहर थूथू कर रहा था. लोग यही कह रहे थे कि ऐसी औलाद से तो बेऔलाद होना ही अच्छा है.

बेटी की सनक : भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

उसी शाम मुखबिर के जरिए पुलिस को एक ऐसी चौंका देने वाली सूचना मिली, जिसे सुन कर पुलिस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. रिया ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि जिस दिन उस की मां की हत्या हुई, उस दिन वह घर पर नहीं थी, बल्कि अपनी मौसेरी बहन आयशा जायसवाल और दोस्त देवदीप गुप्ता के साथ घटना से 2 दिन पहले कोटा घूमने गई थी.

वह झूठ बोल रही थी. दरअसल, रिया घर छोड़ कर कहीं गई ही नहीं थी. यह सुन कर पुलिस हैरान रह गई कि रिया ने झूठ क्यों बोला कि वह घटना से 2 दिन पहले घूमने गई थी. इस का मतलब वह घटना के बारे में बहुत कुछ जानती थी या घटना में उस का कहीं न कहीं हाथ था.

रिया की काल डिटेल्स से भी बात स्पष्ट हो गई थी कि वह उस दिन कहीं नहीं गई थी, बल्कि घर पर ही थी. इस बात की पुष्टि हो जाने के बाद पुलिस की नजर पूरी तरह रिया पर जा टिकी.

रिया से दोबारा पूछताछ करनी जरूरी थी, लिहाजा 29 अगस्त, 2020 को पुलिस रिया को पूछताछ के लिए घर से थाने ले आई और उस से कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो वह जल्द ही टूट गई और अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि उसी ने मौसेरी बहन आयशा और प्रेमी देवदीप गुप्ता के साथ मिल कर अपनी मां की हत्या की थी. पुलिस को भटकाने के लिए उस ने घटना को लूट की ओर मोड़ने की कोशिश की थी.

अलमारी में रखे मां के सोनेचांदी के जेवरात वह अपने साथ ले गई थी. रिया के बयान के आधार पर पुलिस ने उसी दिन उस की मौसेरी बहन आयशा जायसवाल और प्रेमी देवदीप गुप्ता को गिरफ्तार कर उन की निशानदेही पर जेवरात बरामद कर लिए.

तीनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने सचिव चंदना की हत्या की कहानी कुछ इस तरह बताई—

45 वर्षीय चंदना डडसेना मूलरूप से बिलासपुर के पथरिया की रहने वाली थी. एकलौती बेटी रिया और सास यही उस का घरसंसार था. वह सास और बेटी का चेहरा देख कर जी रही थी, यही उस के जीने का सहारा भी थे.

दोनों की जिम्मेदारी चंदना के कंधों पर थी. अपना दायित्व समझ कर चंदना उसे ईमानदारी से निभा रही थी. चंदना के कंधों पर जिम्मेदारी का यह बोझ उस समय आया, जब रिया 5-6 साल की रही होगी. उन्हीं दिनों मासूम रिया के सिर से पिता और चंदना के सिर से पति का साया उठ गया था. जेल के अंदर कैदियों ने पीटपीट कर उन की हत्या कर दी थी.

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चंदना डडसेना के पति का नाम विजय डडसेना था. वह पथरिया चुनचुनिया पंचायत क्षेत्र के एक इंटर कालेज में सरकारी अध्यापक थे. खुद्दार और स्वाभिमानी विजय डडसेना अपने कुशल व्यवहार के लिए इलाके में मशहूर थे. अपने कर्तव्य के प्रति हमेशा सजग और कानून का पालन करने वाले थे. इन से जब कोई गलत और अनुचित बात करता था, तो वह उस का विरोध करते थे.

उस दिन 4 अप्रैल, 2009 की तारीख थी जब विजय डडसेना के जीवन में काल कुंडली मार कर बैठा. उन दिनों बिलासपुर में पंचायती चुनाव होने वाला था. उसी संबंध में चुनाव से पहले एक मीटिंग आयोजित की गई थी. उस मीटिंग में एसडीएम और तमाम अधिकारियों के साथ अध्यापक विजय डडसेना भी मौजूद थे. चुनाव में उन की भी ड्यूटी लगी थी. मीटिंग चुनावी प्रशिक्षण के लिए आयोजित की गई थी.

विजय डडसेना का किसी बात को ले कर एसडीएम से विवाद हो गया था. दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि नाराज एसडीएम ने उन्हें जेल भिजवा दिया. कुछ दिनों बाद जेल में उन की कैदियों के साथ लड़ाई हो गई. गुट बना कर कैदियों ने जेल में ही अध्यापक विजय डडसेना की पीटपीट कर हत्या कर दी.

अध्यापक विजय डडसेना की हत्या से बिलासपुर में तूफान खड़ा हो गया था. उन की हत्या के विरोध में कई दिनों तक सामाजिक संगठनों ने आंदोलन दिया. आंदोलन पर विराम लगाने के लिए अनुकंपा के आधार पर सरकार ने मृतक की पत्नी चंदना डडसेना को सरकारी नौकरी और 15 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी.

बाद के दिनों में पथरिया चुनचुनिया पंचायत में चंदना डडसेना की सचिव पद पर नियुक्ति हो गई थी. मुआवजे के 15 लाख रुपए में से 7 लाख बेटी रिया को और 8 लाख रुपए में से आधीआधी रकम सास और बहू को मिल गई थी.

इस के बाद से चंदना की जिम्मेदारी और बढ़ गई थी, चूंकि रिया चंदना की एकलौती औलाद थी, इसलिए वह जिद्दी भी थी. जिस काम के लिए वह जिद पर अड़ जाती थी, उसे पूरा कर के ही मानती थी. बेटी की जिद के सामने मां को झुकना पड़ता था.

वह जानती थीं ऐसा नहीं करती, तो बेटी से सदा के लिए हाथ धो बैठती, इसलिए बेटी के सामने झुकना उन की मजबूरी थी. वह वही करती थीं, जो बेटी कहती थी.

17 वर्षीया रिया जिस स्कूल में पढ़ती थी, उसी स्कूल में देवदीप गुप्ता भी पढ़ता था. फर्क सिर्फ इतना था वह दसवीं में थी तो देवदीप 12वीं में था.

देवदीप रिया के मोहल्ले में रहता था. 4 भाई बहनों में वह दूसरे नंबर का था. पिता की सरकारी नौकरी थी. घर में पिता की कमाई से अच्छे पैसे आते थे. मां पर दबाव बना कर देवदीप पैसे ऐंठता और अपने आवारा दोस्तों के साथ दिन भर गलीमोहल्लों में घूमता था. यही उस की दिनचर्या थी.

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बहरहाल, स्कूल के दिनों में घर जातेआते रास्ते में दोनों के बीच परियच बढ़ा. यह परिचय बाद में दोस्ती में बदल गया और फिर दोस्ती प्यार में. चूंकि देवदीप गुप्ता रिया के ही मोहल्ले का ही रहने वाला था और एक ही स्कूल में पढ़ता था, यह बात रिया की मां चंदना जानती थी. पढ़ाई के बहाने से रिया देवदीप को घर बुलाती थी और दोनों घंटों साथ समय बिताते थे.

शुरू के दिनों में चंदना ने बेटी को देवदीप से मिलने के लिए मना नहीं किया, लेकिन उन्होंने अपनी आंखें भी बंद नहीं की थीं. उस के घर आने के बाद वह दोनों पर नजर रखती थीं. आखिरकार चंदना को बेटी के प्यार के बारे में पता चल ही गया.

बेटी की सनक : भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के थाना सकरी इलाके में स्थित है उसलापुर गुप्ता कालोनी. इसी कालोनी में पथरिया चुनचुनिया की पंचायत सचिव चंदना डडसेना अपनी 17 वर्षीया एकलौती बेटी रिया डडसेना के साथ रहती थी.

इस कालोनी में उन्होंने 2 माह पहले ही किराए पर कमरा लिया था. इस से पहले वह परिवार सहित पथरिया में स्थित अपनी ससुराल में रह रही थीं. उन की ससुराल में सास के अलावा कोई नहीं था. ससुर की मृत्यु हो चुकी थी. पति विजय डडसेना की बदमाशों ने जेल में हत्या कर दी थी.

पति और ससुर की मौत के बाद चंदना ने अपनी सास को अपने साथ रखा, बिलकुल मां की तरह क्योंकि उन के अलावा सास की देखभाल करने वाला कोई नहीं था.

बहरहाल, उस दिन तारीख थी 22 अगस्त, 2020. रिया मां चंदना से कह कर अपनी मौसेरी बहन आसना जायसवाल और दोस्त देवदीप गुप्ता के साथ कोटा (राजस्थान) टूर पर गई. घर पर चंदना डडसेना अकेली थीं. इन की सास बीते कई दिनों से पथरिया में रह रही थीं.

रिया ने 24 अगस्त, 2020 की रात 10 बजे के करीब मां को फोन कर हालचाल पूछना चाहा, लेकिन उन का फोन बंद आ रहा था. उस ने जितनी बार फोन मिलाया, हर बार फोन स्विच्ड औफ आया. इस से रिया थोड़ी परेशान हो गई कि मां का फोन बंद क्यों आ रहा है? वह कभी अपना फोन बंद नहीं रखती थीं.

दरअसल, रिया मां को फोन कर के यह बताना चाहती थी कि वह कोटा से वापस लौट आई है और इस समय नानी के यहां रुकी हुई है, सुबह घर लौट आएगी. पर मां से बात न होने पर वह बुरी तरह परेशान हो गई.

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रात काफी हो गई थी. रिया समझ नहीं पा रही थी कि इस समय किस के पास फोन कर के मां के बारे में पता लगाए. जब कुछ समझ में नहीं आया तो वह सो गई. उस ने नानी से भी कुछ नहीं बताया.

अगली सुबह रिया ने अपने पड़ोसी अंकल इंजीनियर रामेश्वर सूर्यवंशी को फोन कर के कहा, ‘‘अंकल, रात से मां का फोन बंद आ रहा है. मुझे बहुत डर लग रहा है कहीं उन के साथ कोई अनहोनी तो हो नहीं हुई है. अंकल प्लीज, घर जा कर मां को देख लो. हो सके तो मां से मेरी बात करा दीजिए प्लीज.’’

रिया के आग्रह पर पड़ोसी रामेश्वर सूर्यवंशी ने हां कर दी. उन्होंने यह भी कहा कि घर पहुंच कर तुम्हारी मां से मैं बात करा दूंगा. उन के आश्वासन के बाद रिया ने फोन काट दिया.

एक घंटे बाद रामेश्वर अपनी पत्नी के साथ चंदना डडसेना के घर पहुंचे. उन के घर का मुख्यद्वार अंदर की ओर खुला हुआ था. वहीं से उन्होंने ‘भाभीजी… भाभीजी’ कह कर चंदना को पुकारा और खड़े हो गए.

आवाज लगाने के बाद जब अंदर से कोई हलचल नहीं हुई तो ‘भाभीजी… भाभीजी’ आवाज देते हुए पतिपत्नी अंदर घुस गए. अंदर गहरा सन्नाटा पसरा था. इधरउधर देखते हुए वह चंदना के बैडरूम में पहुंचे.

दरवाजे के ऊपर बाहर से सिटकनी चढ़ी हुई थी. रामेश्वर सूर्यवंशी ने सिटकनी खोली और दरवाजे से ही अंदर की ओर झांक कर कमरे का निरीक्षण किया. जैसे ही उन की नजर बैड के पास नीचे फर्श पर गई, पतिपत्नी दोनों के होश फाख्ता हो गए. वहां से दोनों उलटे पांव बाहर की ओर भागे.

दरअसल फर्श पर चंदना डडसेना की लाश पड़ी थी. उन के गले में दुपट्टा लिपटा था. दोनों पैर एक रंगीन चादर से बंधे हुए थे. लाश के पास ही उन का फोन पड़ा था.

बाहर आ कर पतिपत्नी दोनों ने थोड़ी राहत की सांस ली. जब रामेश्वर सूर्यवंशी सामान्य हुए तो उन्होंने रिया को फोन कर के घटना की सूचना दी और जल्द से जल्द घर पहुंचने के लिए कहा. फिर उन्होंने 100 नंबर पर डायल कर घटना की सूचना पुलिस कंट्रोलरूम को दे दी.

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घटनास्थल (उसलापुर गुप्ता कालोनी) सकरी थाना क्षेत्र में पड़ता था. सकरी थाना प्रभारी रविंद्र यादव सूचना मिलते ही पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए.

थोड़ी देर बाद सीएसपी आर.एन. यादव भी आ गए. इधर मां की मौत की जानकारी मिलते ही रिया भी मौसेरी बहन आयशा जायसवाल के साथ घर पहुंच गई. उस का रोरो कर बुरा हाल था. रिया को रोते हुए देख कर आयशा भी खुद को नहीं संभाल पाई. उस ने भी रोरो कर अपनी आंखें सुजा लीं.

चंदना कोई साधारण महिला नहीं थीं. वह चुनचुनिया की पंचायत सचिव थीं. अपने अच्छे व्यवहार से उन्होंने लोगों के बीच अच्छी पकड़ बना रखी थी. थोड़ी ही देर में चंदना की हत्या की खबर पूरी कालोनी में फैल गई थी. जिस ने भी उन की हत्या की खबर सुनी, दौड़ेभागे उन के आवास पहुंच गए.

मौके से पुलिस को मृतका के मोबाइल के अलावा कुछ नहीं मिला. वह भी स्विच्ड औफ था. घर की अलमारी खुली हुई थी. अलमारी के अंदर सामान तितरबितर था. देखने से ऐसा नहीं लग रहा था कि हत्या लूट की वजह से हुई हो.

अगर लूट की वजह से घटना घटी होती तो मृतका और लुटेरों के बीच संघर्ष के निशान जरूर मिलते, लेकिन मौके से संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले थे. इस में पुलिस को कहानी कुछ और ही नजर आई.

पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. थाने पहुंच कर थानाप्रभारी रविंद्र यादव ने रामेश्वर सूर्यवंशी की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर आगे की काररवाई शुरू कर दी.

मृतका की बेटी रिया से पुलिस ने किसी पर शक होने की बात पूछी तो उस ने अपने पापा के पुराने दोस्त और पड़ोसी रामेश्वर सूर्यवंशी पर ही मां की हत्या का आरोप लगा दिया.

जबकि रिया के फोन करने पर रामेश्वर ही सब से पहले उस के घर पहुंचे थे और उन्होंने ही चंदना की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. लेकिन जब मृतका की बेटी ने उन पर ही शक जताया तो रिया के बयान के आधार पर पुलिस रामेश्वर सूर्यवंशी को हिरासत में ले कर पूछताछ के लिए थाने ले आई.

पुलिस पूरी रात सूर्यवंशी से पूछताछ करती रही लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. जब हत्या में उन की कोई भूमिका सामने नहीं आई तो पुलिस ने उन्हें कुछ हिदायत दे कर इस शर्त पर छोड़ दिया कि दोबारा बुलाए जाने पर थाने आना होगा.

अगले दिन चंदना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट थानाप्रभारी रविंद्र यादव के पास आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाने और नशीली दवा खिलाने की बात लिखी थी. इसलिए मृतका का विसरा सुरक्षित रख लिया गया.

मतलब साफ था कि सचिव की हत्या लूट के लिए नहीं, बल्कि किसी और वजह से की गई थी. हत्या की वजह क्या हो सकती है, यह जांच का विषय था.

पुलिस को भटकाने के लिए हत्यारों ने हत्या जैसे जघन्य अपराध को लूट की ओर ले जाने की कोशिश की थी. पुलिस का शक मृतका के करीबियों पर बढ़ गया था. पुलिस ने रिया से दोबारा पूछताछ की तो इस बार उस का बयान बदल गया. रिया के बदले बयान ने उसे शक के घेरे में खड़ा किया.

शक के आधार पर पुलिस ने रिया को निशाने पर ले लिया और उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. यही नहीं, पुलिस ने गोपनीय तरीके से उस की छानबीन भी शुरू कर दी थी.

कथा में रिया परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेटी की सनक

प्यार का मोहरा

प्यार का मोहरा- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

‘‘हां, ऐसा ही कुछ समझ लो. जिस के सामने रूप का खजाना फैला हो, उसे सामान्य लड़की कैसे पसंद आ सकती है.’’ सनी ने यह बात अनीता की तरफ देखते हुए कुछ इस ढंग से कही कि अनीता एक क्षण के लिए सकुचा गई.

उस ने अपने आप को संभाल कर कहा, ‘‘कम से कम कुछ हिंट तो दो कि तुम्हें कैसी दुलहन चाहिए. अगर तुम मुझे अपनी पसंद बताओगे तो मैं कोशिश करूंगी कि तुम्हारी पसंद की लड़की ढूंढ सकूं.’’

सनी कुछ क्षणों के लिए चुपचाप अनीता को निहारता रहा, ‘‘मुझे बिलकुल आप जैसी दुलहन चाहिए.’’

सनी ने यह बात कही तो कुछ देर के लिए अनीता चुप रही, फिर आहिस्ता से बोली, ‘‘तुम मजाक बहुत अच्छा कर लेते हो.’’

‘‘मैं मजाक नहीं कर रहा हूं. अगर ऊपर वाले ने आप जैसी कोई और लड़की बनाई हो तो मुझे दिखाना. वैसे मेरा खयाल है कि वह ऐसा नायाब हीरा एक ही बनाता है.’’

तारीफ की यह इंतहा थी. ऐसी इंतहा औरतों को अच्छी लगती है. फिर भी अनीता ने बनते हुए कहा, ‘‘आखिर मुझ में ऐसा क्या खास है कि आप को मेरे जैसी बीवी की आस है.’’

‘‘यह तो मेरा दिल और मेरी आंखें जानती हैं कि आप में ऐसा क्या खास है. जो कुछ भी मैं कह रहा हूं, वह एकदम सच है.’’ सनी ने जब यह बात कही तो अनीता के मुंह से बोल नहीं फूटे.

सनी के जाने के बाद भी अनीता के कानों में सारी रात उस के कहे शब्द गूंजते रहे.

यह हकीकत है कि तारीफ हर नारी की कमजोरी है. सनी की बातों ने उस रात उस की आंखों से नींद छीन ली थी. अगले दिन जब सनी अनीता के घर आया तो उसे ही देखता रहा. अनीता ने उस से नजरें चुराते हुए कहा, ‘‘तुम्हें और कोई काम नहीं है क्या, जो मुझे ही देखते रहते हो?’’

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‘‘जी हां, आप सही कह रही हैं. मुझे आप के सिवा कुछ भी नहीं दिखता. आप नहीं जानतीं, आप ने मेरा सुखचैन छीन लिया है. आप की वजह से मैं कोई काम नहीं कर पाता. मैं हर वक्त केवल आप के बारे में ही सोचता रहता हूं.’’ सनी अपनी ही रौ में कहता चला गया.

अनीता ने उसे झिड़कते हुए कहा, ‘‘मुझे परेशान मत करो.’’

यह सुन कर सनी वहां से चला गया.

सनी अपने कमरे पर पहुंच गया. वह कुछ देर चुपचाप बैठा रहा और अनीता के बारे में सोचता रहा. फिर उस ने मोबाइल उठाया और अनीता के मोबाइल पर मैसेज भेज दिया. मैसेज में उस ने ‘सौरी’ लिखा था.

अनीता ने अपने मोबाइल पर आए सनी के मैसेज को देखा तो कुछ देर तक मैसेज को देखती रही, फिर उस ने सनी को काल किया. सनी ने जैसे ही फोन उठाया, अनीता ने कहा, ‘‘तुम तुरंत मेरे घर आओ.’’

इतना कह कर उस ने फोन काट दिया.

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सनी हड़बड़ा गया. उसे कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन उसे इस बात की खुशी थी कि अनीता ने खुद उसे अपने घर बुलाया है. वह समझ गया कि अनीता उस से नाराज नहीं है. वह लगभग दौड़ता हुआ अनीता के कमरे पर पहुंच गया.

अनीता ने उसे बैठने का इशारा किया. सनी कुरसी पर बैठ गया. अनीता ने उस की ओर देखते हुए कहा, ‘‘तुम ने कल जो भी कहा था, वह तुम्हें नहीं कहना चाहिए था.’’

‘‘आप ऐसा क्यों कह रही हैं, मैं ने कुछ भी गलत नहीं कहा था. मैं अब भी अपनी बात पर कायम हूं.’’ सनी एकएक शब्द सोच कर कह रहा था, ‘‘आप मेरी बातों का गलत मतलब मत निकालिए. मेरे दिल में कोई पाप नहीं है. मुझे आप बेहद सुंदर लगती हैं, इसलिए मैं ने अपने दिल की बात ईमानदारी से आप से कह दी थी. यदि यह बात मैं छिपा कर रखता तो यह अच्छा नहीं होता.’’

सनी की बात सुन कर अनीता मुसकरा दी, ‘‘तुम से बातों में कोई नहीं जीत सकता.’’

सनी को महसूस होने लगा कि अनीता के दिल में उस के लिए कुछ जगह जरूर है. इस के बाद दोनों की नजदीकियां और भी बढ़ गईं. जब भी दोनों बैठते तो घंटों बातें करते रहते.

सर्दियों के दिन आ गए थे. एक दिन दोनों बाइक पर सवार हो कर काफी दूर निकल गए थे. खुली सड़क पर बाइक चलाते हुए सनी को सर्दी लगने लगी थी. यह देख कर पीछे बैठी अनीता ने उसे अपनी शौल में ढकने की कोशिश की.

इस कोशिश में वह सनी से चिपक कर बैठ गई. अनीता के बदन का स्पर्श पा कर सनी की कनपटियां गरम होने लगीं. वह फंसेफंसे स्वर में बोला, ‘‘प्लीज, आप मुझ से इतना सट कर मत बैठिए.’’

‘‘क्यों? मैं तो तुम्हें ठंड से बचाना चाहती हूं.’’

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‘‘लेकिन मैं ठीक से गाड़ी नहीं चला पाऊंगा, मुझे कुछकुछ हो रहा है.’’ सनी कांपती हुई आवाज में बोला.

‘‘क्यों जनाब! ऐसा क्या हो रहा है?’’ अनीता ने यह बात कुछ इस अदा से कही कि सनी ने बाइक रोक दी और पीछे पलट कर शरारत से अनीता की आंखों में देखते हुए बोला, ‘‘मैं बता दूं कि मुझे क्या हो रहा है?’’

कथा पुलिस सूत्रें पर आधारित

प्यार का मोहरा- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

ताजनगरी आगरा के सिकंदरा क्षेत्र के नगला सोहनलाल में अपने पति व बच्चों के साथ रहती थी. 30 वर्षीय अनीता. उस का विवाह करीब 14 साल पहले गुलाब सिंह से हुआ था. उस के 3 बच्चे थे. गुलाब सिंह घर के पास ही जूते बनाने की एक फैक्ट्री में काम करता था.

उस दिन गुलाब सुबह फैक्ट्री चला गया. बच्चे स्कूल चले गए. फिर अनीता ने आराम से बैठ कर चायनाश्ता किया. चाय पी कर जब उस ने दोपहर के खाने का इंतजाम करना चाहा तो बनाने के लिए घर पर कोई सब्जी नहीं थी. इसलिए वह दोपहर व शाम के लिए बाजार से सब्जी खरीदने चली गई.

घंटे भर बाद जब वह बाजार से वापस लौट रही थी, तभी उसे पीछे से बाइक के हौर्न की आवाज सुनाई दी. अनीता ने मुड़ कर देखा तो उसे अपनी बगल में बाइक पर सवार एक युवक दिखाई दिया. उसे देखते ही अनीता पहचान गई.

वह उस के पड़ोस में रहने वाला सनी था. 22 वर्षीय सनी ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘अनीताजी, इतना सारा सामान ले कर पैदल क्यों जा रही हो? मैं भी घर ही जा रहा हूं, आइए आप को छोड़ दूंगा.’’

‘‘आप बेवजह परेशान होंगे?’’ अनीता ने मुसकरा कर कहा. हालांकि वह मन ही मन सनी की पेशकश पर राहत महसूस कर रही थी.

‘‘देखिए, आप मुझ से गैरों की तरह व्यवहार कर रही हैं. मैं आप का पड़ोसी हूं. पड़ोसी होने के नाते आप की मदद करना मेरा फर्ज है.’’ कह कर सनी ने बाइक रोकी और अनीता के हाथ से सामान के थैले ले कर बाइक में लगे हुक में फंसा दिए. फिर बाइक पर बैठते हुए अनीता से बोला, ‘‘आइए बैठिए.’’

अनीता सकुचाते हुए बाइक पर उस के पीछे बैठ गई. कुछ ही देर में दोनों नगला सोहनलाल पहुंच गए. अनीता बाइक से उतरी और थैले हुक से निकालने लगी तो सनी ने उसे टोका, ‘‘आप नाहक परेशान हो रही हैं, मैं सामान अंदर रख देता हूं. इस बहाने कम से कम आप एक कप चाय तो पिलाओगी.’’

‘‘अरे, आप कैसी बातें कर रहे हैं? चाय तो मैं आप को पिलाऊंगी ही.’’ अनीता सनी की बात से झेंप गई थी.

अनीता ने अपने घर के मेन गेट का ताला खोला और सनी के साथ अंदर आ गई. सनी को कमरे में बैठा कर अनीता चाय बनाने चली गई.

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सनी कागारौल में रहता था. लेकिन नगला सोहनलाल के पास एक फैक्टरी में काम करने के कारण उस ने नगला सोहनलाल में ही किराए पर एक कमरा ले लिया था. सनी अविवाहित था और काफी खूबसूरत नौजवान था.

जब उस की नजर पड़ोस में रह रही अनीता पर पड़ी तो उस के हुस्न से उस की आंखें चुंधिया गईं. उस के पड़ोस में ही रहती थी, इसलिए उसे अनीता के बारे में जानने में देर नहीं लगी. वह जान गया था कि अनीता विवाहित है और 3 बच्चों की मां है.

3 बच्चों की मां होने वाली बात जानने के बाद तो सनी हैरत में पड़ गया. क्योंकि देखने से किसी तरह भी नहीं लगता था कि वह 3 बच्चों की मां है. इस का मतलब यह था कि अनीता का खूबसूरत हुस्न सदाबहार था, ऐसे हुस्न पर उम्र का कोई असर नहीं पड़ता.

सनी उसे किसी भी तरह अपना बनाना चाहता था. इसी वजह से वह जानबूझ कर उस के सामने पड़ता और राह चलते पड़ोसी होने का एहसास कराते हुए उस के हालचाल पूछ लेता. नजरें टकरातीं तो वह अनीता को देख कर मुसकरा देता.

उस दिन संयोग ही था कि जब वह बाजार से घर लौट रहा था तो उस की नजर अनीता पर पड़ गई. मौका अच्छा देख कर वह उस के पास पहुंच गया और मदद के बहाने उस के साथ उस के घर तक पहुंच गया.

चाय पीने के बाद सनी जाने के लिए उठ खड़ा हुआ, ‘‘अनीताजी, अपने हाथों से बढि़या टेस्टी चाय पिलाने का शुक्रिया. अगर आप को कभी किसी चीज की जरूरत हो या मेरी मदद की आवश्यकता पड़े तो आप मुझे तुरंत बुला लेना.’’

कह कर उस ने अनीता को अपना मोबाइल नंबर नोट करा दिया और अनीता ने भी उसे अपना नंबर दे दिया.

उस दिन के बाद उन दोनों में गाहेबगाहे फोन पर बातचीत होने लगी. कभी सुबह कभी दोपहर के समय सनी अनीता के पास आ कर बैठ जाता था. दोनों काफी देर वे बातें करते रहते थे. सनी उस से मीठीमीठी बातें करता था, अत: अनीता को भी उस से अपना वक्त बांटना अच्छा लगने लगा. धीरेधीरे दोनों की मित्रता गहराने लगी.

उस रोज शाम को तेज बरसात हो रही थी. अपने कमरे के बाहर खड़ा सनी बादल की गरज और बरसते पानी को देख रहा था. ऐसे मौसम में उसे अकेलापन बहुत साल रहा था. तभी अचानक उस की निगाह सामने सड़क पर पानी में भीगती हुई आ रही अनीता पर पड़ी. अनीता के हाथ में एक बैग भी था.

पानी से पूरी तरह भीग जाने से अनीता का पीला कुरता उस के बदन से चिपक गया था, जिस से उस का हुस्न उस भीगे कुरते में नुमाया हो रहा था. उस के भीगे अप्रतिम सौंदर्य को सनी एकटक देखता रह गया. एकाएक उस के तनमन में चाहत की एक अनोखी बरसात होने लगी.

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फिर एकाएक उस ने कमरे में जा कर छतरी उठाई और अनीता की तरफ दौड़ा. उस ने अनीता को छतरी की ओट में लेते हुए पूछा, ‘‘आप तो बारिश में बुरी तरह भीग गई हैं?’’

‘‘जब मैं घर से निकली थी, तब अनुमान नहीं था कि इतनी तेज बारिश हो जाएगी. मुझे उम्मीद थी कि मैं बारिश होने से पहले ही घर पहुंच जाऊंगी.’’ अनीता अपने आप में सिमट गई. अपनी हालत पर उसे शर्म आ रही थी.

सनी अनीता को छतरी की ओट में उस के घर तक लाया. अनीता ने उसे कमरे में बैठने का संकेत करते हुए कहा, ‘‘आप दो मिनट बैठो. मैं कपड़े बदल कर आती हूं.’’

सनी के दिमाग में अजीब सी उथलपुथल मची हुई थी. वह अनीता का भीगा सौंदर्य देखने के बाद अपनी सुधबुध खो बैठा था. वह सोच भी नहीं सकता था कि अनीता की खूबसूरती इस तरह कयामत ढाने वाली होगी. रहरह कर अनीता का भीगा बदन उस के हवास पर ठोकर मार रहा था.

‘‘ये लीजिए चाय.’’ आवाज सुन कर सनी की तंद्रा टूटी. उस ने चौंक कर अनीता की तरफ देखा. भीगे खुले बालों में अनीता उस समय अनिंद्य रूपसी नजर आ रही थी.

सनी ने कांपते हाथों से चाय का प्याला पकड़ा. अनीता उस के सामने एक कुरसी पर बैठ कर तौलिए से अपने गीले बालों को सुखाने लगी. सनी नजरें झुका कर चाय पीने की कोशिश करने लगा. लेकिन कनखियों से वह अनीता के सौंदर्य को निहार रहा था.

अनीता ने भी उस की इस चोरी को पकड़ लिया था. वह मुसकराते हुए सनी से बोली, ‘‘तुम्हारी शादी हो गई?’’

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‘‘अभी नहीं हुई,’’ सनी मुसकराया, ‘‘रिश्ते तो बहुत आ रहे हैं, लेकिन मुझे कोई लड़की पसंद नहीं आ रही.’’

‘‘लगता है तुम्हारी कोई खास पसंद है?’’

—कथा पुलिस सूत्रें पर आधारित

प्यार का मोहरा- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

‘‘तुम्हें जो कुछ बताना है, वह यहां खुली सड़क पर नहीं, मेरे घर चल कर बताना.’’ अनीता ने प्यार से उस के चेहरे को आगे घुमाया तो सनी को कुछ और समझने की जरूरत नहीं रह गई थी.

अनीता सनी को ले कर घर पहुंच गई. उस ने कमरा बंद किया तो वह अनीता का हाथ पकड़ कर शरारत से बोला, ‘‘अब बता दूं, क्या हो रहा था?’’

‘‘मुझे पता है तुम कांप रहे थे,’’ अनीता ने अपना हाथ उस के सीने पर रख दिया, ‘‘और तुम्हारा दिल भी तेजतेज धड़क रहा है.’’

‘‘जब तुम सब कुछ जानती हो तो तरसा क्यों रही हो, मेरी धड़कनों को समझा दो न.’’ कहते हुए सनी ने उस की कमर में बांहें डाल कर उसे खुद से चिपका लिया.

‘‘मैं कैसे समझाऊं?’’ अनीता ने हया से सिर झुका लिया.

‘‘ऐसे.’’ अनीता की चिबुक उठा कर उस के लरजते होंठ अपने सामने कर लिए. फिर अपने दहकते होंठों से चूमा तो अनीता के बदन में चिंगारियां सी उठने लगीं. इस के बाद जो दोनों उन के बीच हुआ, वह दुनिया की नजर में नाजायज रिश्ता कहलाता है.

हवस की जो आग उस दिन दोनों के जिस्म में उतरी थी, उसे बुझाने के लिए अब दोनों प्राय: दिन में एकदूसरे के जिस्म में खुशियां ढूंढने लगे.

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12 सितंबर, 2020 को तड़के 4 बजे नगला सोहनलाल गांव के कुछ लोगों ने गांव के पास ही एनएच-2 के सामने निर्माणाधीन पुल के नीचे किसी युवक की लाश पड़ी देखी. पास जा कर गांव वालों ने देखा तो वह लाश गांव की ही रहने वाली अनीता के पति गुलाब सिंह की निकली.

गांव के लोगों ने घटना की सूचना पत्नी अनीता के अलावा गुलाब सिंह के भाई बच्चू सिंह को दी जोकि गुलाब सिंह के घर के पास में ही रहता था. बच्चू सिंह अपने पिता मवासीराम के साथ मौके पर पहुंच गया.

अनीता भी वहां पहुंच गई. गुलाब सिंह की लाश देख कर सभी बिलखबिलख कर रोने लगे. किसी ने 112 नंबर पर काल कर के घटना की सूचना दे दी थी. घटनास्थल सिकंदरा थाने के अंतर्गत आता था.

सिकंदरा थाने के इंसपेक्टर अरविंद कुमार पुलिस टीम के साथ तत्काल मौके पर पहुंच गए. उन्होंने लाश का निरीक्षण किया. मृतक के सिर पर चोट के निशान थे, साथ में पैरों में भी चोट थी. देखने से मामला एक्सीडेंट का लग रहा था. किसी तेज वाहन से टकरा कर मृतक गंभीर रूप से घायल हुआ और उस की मौत हो गई.

इंसपेक्टर अरविंद कुमार ने मृतक गुलाब सिंह के पिता मवासीराम से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि गुलाब कल रात में 8 बजे फैक्ट्री से आया था. रात 9 बजे खाना खाने के बाद सो गया था. रात में या सुबह कहीं जाने का सवाल ही नहीं उठता.

बेटे का रोड एक्सीडेंट नहीं हुआ, बल्कि उस की हत्या उस की पत्नी अनीता ने कराई है. उस का किसी युवक से प्रेम संबंध है. अनीता ने अपने ससुरालीजनों पर हत्या का शक जताया. पुलिस द्वारा पूछताछ करने पर अनीता ने खुद को बेकुसूर बताया.

फिलहाल मामला फौरी तौर पर एक्सीडेंट का लग रहा था. इसलिए इंसपेक्टर अरविंद कुमार ने लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दी. थाने आ कर उन्होंने एक्सीडेंट का मुकदमा दर्ज करा दिया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर में लगी गंभीर चोट से मौत होना बताया गया. एसएसपी बबलू कुमार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर विशेषज्ञों की राय ली. उन की राय के बाद उन्होंने इंसपेक्टर अरविंद कुमार को मामले की जांच के आदेश दिए.

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इंसपेक्टर कुमार ने गुलाब सिंह के घर आनेजाने वालों के बारे में पता किया तो बाहरी लोगों में सनी का नाम था. वह पड़ोस में किराए पर रहता था. इंसपेक्टर कुमार ने सनी का मोबाइल नंबर पता किया और उस की काल डिटेल्स निकलवाई तो घटना की रात सनी की अनीता के नंबर पर बात करने की पुष्टि हो गई.

17 सितंबर को इंसपेक्टर कुमार ने सनी को हिरासत में ले कर कड़ाई से पूछताछ की तो उस ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया. उस से पूछताछ के बाद अनीता को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया गया.

गुलाब सिंह शराब का शौकीन था. फैक्ट्री से जब भी रात में लौटता तो अपनी थकान उतारने के लिए शराब पी कर आता था और घर आ कर अनीता से झगड़ा करता था. उसे मारतापीटता था.

इसी बीच जब सनी से अनीता की मुलाकात हुई तो वह उस की ओर खिंचने लगी. सनी अनीता से 8 साल छोटा था और काफी खूबसूरत था. अनीता ने कुंवारे जवान युवक का अपने से लगाव देखा तो वह भी उस की ओर खिंचती चली गई.

दिनप्रतिदिन वह सनी में खोती चली गई. सनी से संबंध बने तो वह जीजान से उसे चाहने लगी. सनी ने भी गुलाब से दोस्ती गांठ ली. गुलाब की अनुपस्थिति में वह अकसर अनीता से मिलने आता था. उन की चाहत इस कदर बढ़ गई कि एक साथ जिंदगी जीने का सपने देखने लगे. यह सपना हकीकत में तभी बदल सकता था, जब गुलाब कोई अड़चन न डाले. इसलिए दोनों ने गुलाब सिंह को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया और इस के लिए योजना भी बना ली.

11/12 सितंबर, 2020 की रात गुलाब सिंह शराब पी कर घर आया था. खाना खाने के बाद वह सो गया. योजनानुसार रात में अनीता ने सनी को फोन कर के बुला लिया.

रात डेढ़ बजे के करीब सनी अनीता के घर आया तो अनीता ने चुपके से मेन गेट खोल दिया. सनी अंदर आ गया. दोनों कमरे में सो रहे गुलाब सिंह के पास पहुंचे. अनीता ने पति के पैर पकड़े तो सनी ने हाथों से उस का गला दबा दिया, जिस से वह बेहोश हो गया.

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दोनों उसे उठा कर घर से कुछ दूरी पर निर्माणाधीन पुल के नीचे ले गए. वहां पत्थर से गुलाब के सिर पर कई प्रहार किए. उस की मौत हो जाने के बाद पत्थर से उस के पैरों को भी कुचल दिया, जिस से मामला रोड एक्सीडेंट का लगे. इस के बाद दोनों अपने घर लौट गए.

लेकिन तमाम चालाकियों के बाद भी उन दोनों का गुनाह छिप न सका और पकड़े गए. सनी की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त पत्थर बरामद कर लिया. कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रें पर आधारित

चाइल्ड पोर्नोग्राफी: यौनशोषण की सच्ची दास्तान

तुम्हारा नाम रामभवन है ?’ रामभवन के बांदा स्थित उसके घर पर आने वाले आदमी ने कहा.
‘जी सही जगह आये है आप. किस सिलसिले में हमसे मिलने आये है.‘ रामभवन ने उसको देखते हुये जवाब दिया.
‘मैं सीबीआई की टीम में हॅू. हमारे टीम के लोग बांदा के सरकारी गेस्ट हाउस में रूके है. आपको वहां बयान दर्ज कराने आना है.‘ सीबीआई का सदस्य बताने वाले आदमी ने जब यह कहा तो रामभवन के चेहरे की हवाईयां उडने लगी.
‘बयान…किस तरह का बयान हमें दर्ज कराना है.‘
‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर एक मुकदमें के सिलसिलें में जांच चल रही है. जिसमें आपके उपर भी आरोप है.‘
‘मेरे उपर आरोप है. पर मैने तो कुछ किया नहीं.‘
‘रामभवन बहुत नासमझ मत बनो. तुम्हारी पेन ड्राइव में बहुत सारी वीडियो क्लिप और फोटो मिली है.‘ बांदा में सिचाई विभाग में कार्यरत जूनियर इंजीनियर रामभवन को इस बात का कोई अंदाजा लग चुका था कि सीबीआई उसके चारों तरफ मकडजाल बुन चुकी है. सीबीआई से आये हुये अफसर के साथ चलने के लिये खडा हुआ. घर के बाहर खडी गाडी में बैठ गया वहां से यह लोग सरकारी गेस्ट हाउस पहंुच गये. रामभवन की निगाह वहां पर अपने ड्राइवर अभय को देखकर रामभवन के दिल की धडकने बढ चुकी थी.
‘यह पेन ड्राइव तुम्हारी ही है‘. सीबीआई के एक अफसर ने रामभवन से पूछा. तो उसने देखा पर कोई जवाब नहीं दिया.
‘…….रामभवन चुप रहने का कोई लाभ नहीं है. एक माह से अधिक का समय हो गया है. सीबीआई की टीम सारे सबूत एकत्र कर चुकी है. विदेशी कई वेबसाइटों पर वह फोटो और वीडियो हमें दिखी जो तुम्हारी पेन ड्राइव में भी मौजूद है. तुम जिस तरह से बच्चों को मोबाइल खेलने के लिये देते हो, उनको उपहार और पैसे देते हो वह भी जानकारी हमारे पास है. तुम्हारे ड्राइवर अभय से हमने पूछताछ कर ली है. यही नहीं सोनभद्र के इंजीनियर नीरज यादव के बेवसाइट पर भी तुम्हारे द्वारा भेजी गई फोटो और वीडियों मिल गये है. अब तुमको पूछतांछ के लिये गिरफ्तार किया जाता है.‘

Ram bhawan

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45 साल के रामभवन को सीबीआई ने अपनी हिरासत में ले लिया. सीबीआई रामभवन को बांदा से आगे की तहकीकात के लिये चित्रकूट लेकर गई. बाद में वापस बांदा की अदालत में रामभवन को पेश किया गया. वहां उसकी पत्नी भी पहंुच चुकी थी. रामभवन तो अपने को बेकसूर बता ही रहा था उसकी पत्नी प्रियावती भी अपने पति को निर्दोष बता रही थी.
सीबीआई ने इसकी पडताल अगस्त-सितम्बर माह से शुरू की थी. सीबीआई टीम को बेल्जियम की एक साइट पर भारतीय बच्चों के पोर्नोग्राफी वीडियों देखने को मिले. इसकी जांच करते करते सीबीआई उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और बांदा जिलों तक पहंुच गये. उत्तर प्रदेश के बुन्देलखंड के इस इलाके में गरीबी बहुत है. गरीबी को दूर करने के लिये सरकार ने यहां तमाम योजनाएं भी चला रखी है. इनमें कई विदेशियों की मदद से भी चलते है. कई एनजीओ का यहां आना जाना होता है. पूरे उत्तर प्रदेश में मदद के नाम पर सबसे अधिक पैसा यहां ही आता है.
गरीब लोगों की हालत का लाभ उठाकर उनसे मनचाहा काम भी यहंा करवाया जाता है. कई बार ऐसी खबरे यहां के अखबारों में सुखर््िायां बनती रही है. सीबीआई ने एक माह तक यहां गहरी विवेचना की. इस जांच में सीबीआई को सोनभद्र में रहने वाले इंजीनियर नीरज यादव का पता चला. सबसे पहले सीबीआई ने नीरज यादव को पकडा. यहां पर बांदा में रहने वाले सिचाई विभाग के इंजीनियर राम भवन का भी पता लगा.

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सीबीआई ने रामभवन के करीबी रहने वाले दिनेश को अपने भरोसे में लिया. दिनेश की पहचान छिपाकर सीबीआई ने रामभवन के बारें में पूछताछ की. इस मामले में सीबीआई की सबसे बडी परेशानी यह थी कि यहां कोई वादी मुकदमा नहीं था. सीबीआई अपनी पहल पर ही मुकदमा लिख चुकी थी. रामभवन के करीबी दिनेश की आजकल आपस में बनती नहीं थी. सीबीआई को इसका लाभ मिला और सीबीआई ने दिनेश से कई राज उगलवा लिये. रामभवन के 3 मोबाइल नम्बर, एक पेन ड्राइव सीबीआई को मिल गये. जिसमंे रामभवन के खिलाफ सारा काला चिटठा था. रामभवन के सभी फोन नम्बर उसके अपने पते पर लिये गये थे. रामभवन के खिलाफ पुख्ता सबूत इकठ्ठा करने के बाद सीबीआई ने रामभवन को गिरफ्तार कर लिया.
सीबीआई ने रामभवन को अपर जिला और सत्र न्यायाधीश (पंचम) की अदालत में पेश किया. शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार ने बताया कि रामभवन को रिमांड पर लेकर पूरी जांच की जायेगी. आरोप है कि वह कमजोर वर्ग के बच्चों को अपना निशाना बनाता था. इसमें दिहाडी मजदूरी करने वाले, फुटपाथ पर सामान बेचने वाले और ठेके पर काम करने वाले बच्चे शामिल होते थे. वह उन बच्चों को निशाना बनाता था जिनको कुछ लाभ देकर आसानी से फंसाया जा सके. लडकियों को बुलाने पर लोगों के संदेह का खतरा ज्यादा होता है इस कारण लडको का प्रयोग भी इस धंधे में किया जा रहा था.
देश में बच्चों का यौन शोषण कोई नई बात नहीं है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरों (एनसीआरबी) के आंकडे बताते है कि साल 2020 में जारी आंकडों में बताया कि हर रोज 100 से अधिक बच्चों के यौन शोषण मामलों की शिकायत आती है. बच्चों के यौन शोषण में तमाम सख्ती के बाद भी इसमें 22 फीसदी की बृद्वि देखी गई है. कई बार पुलिस को इस बात का पता भी नहीं चलता था कि किस जगह से यह धंधा पनप रहा है.
इसमें शामिल बच्चे बेहद गरीब और दूरदराज के जगहों के होते थे कि उनकी पहचान भी नहीं हो पाती थी. ऐसे में अपराधियों की जड तक पहंुच पाना मुश्किल काम होता था. इस अपराध की जड तक पहंुचने के लिये केन्द्रीय अपराध ब्यूरो यानि सीबीआई ने दिल्ली ‘औनलाइन चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज एंड एक्सप्लायटेशन प्रीवेंशन इंवेस्टीगेशन‘ इकाई का गठन किया. इसका काम चाइल्ड पोर्नोग्राफी के पूरे धंधे को बेनकाब करना था.

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विदेशो में भारतीय पोर्न की डिमांड ज्यादा होती है. असल में विदेशो की पोर्न इंडस्ट्री फिल्मी दुनिया की तरह होती है. जबकि भारत में ऐसे वीडियो चोरी चुपके और लोगों को बहकाकर बनाये जाते है. जो फिल्मी कहानी से नहीं दिखते है. ऐसे में यह सच्चे वीडियों मानकर सबसे ज्यादा पसंद किये जाते है. सीबीआई ने जिस रामभवन को पकडा उसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि इतना भोला और सरल दिखने वाला इंसान ऐसी घिनौनी हरकतें भी कर सकता है.
45 साल के रामभवन को उसके आसपास रहने वाले बच्चे ‘जेई अंकल’ के नाम से जानते है. जेई का मतलब जूनियर इंजीनियर होता है. रामभवन बच्चों को अपने घर पर बुलाता था. वो बच्चों को खेलने के लिये मोबाइल फोन दे देता था. बच्चे घंटोघंटो उनके घर पर मोबाइल पर वीडियो गेम्स खेलते रहते थे. ‘जेई अंकल’ के अपना कोई बच्चा नहीं था. पडोसियों को लगता था कि अपने बच्चे ना होने के कारण वह दूसरे बच्चों को लाडप्यार करते थे. रामभवन अपने घर आने वाले बच्चों को उपहार और नकद पैसे भी देते थे. बच्चों के परिजनों को रामभवन बताते थे ‘बच्चे औनलाइन गेम्स खेलते है इसमें जो पैसा मिलता है वह आपको सबको दे देता हॅू.‘ यह बच्चे गरीब परिवारों के होते थे. उनके लिये यह छोटीछोटी मदद भी बडी होती थी.

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‘ंजेई अंकल’ का राज सीबीआई ने खोला और बताया कि वह बच्चों की अश्लील फोटो यानि चाइल्ड पोनोग्राफी का औन लाइन बिजनेस करते थे. इसके बाद भी बच्चों के परिवार यह बात मानने को तैयार नहीं है. बच्चों से जब इस तरह के ‘गंदे काम’ के बारे में पूछा गया तो उन सबने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया. सीबीआई कहती है कि बच्चे और उनके परिवार के लोग पैसे पाने की वजह से खामोश है. इसके अलावा उनको लगता है कि बयान देने के बाद कानूनी दांवपेंच में फंसने से अच्छा है कि पूरे मामले से दूर रहा जाये. रामभवन के आसपास रहने वाले लोग मानते है कि वो सीधे आदमी है उनके फंसाया जा रहा है. रामभवन भी खुद को निर्दोष मानते है. वह कहते है हमें सीबीआई जांच से कोई डर नहीं. सच्चाई सामने आ जायेगी.
रामभवन मूलरूप से खरौंच गांव के देविना का पुरवा का रहने वाला है. उसके पिता चुन्ना कारीगर थे. घर बनाने का काम करते थे. उन्होने अपनी मेहनत ने अपने 3 बेटो का पालन पोषण करके बडा किया और उनको अपने पैरों पर खडा किया. रामभवन होनहार था तो उसकी सरकारी नौकरी लग गई. 2004 में रामभवन की शादी प्रियावती से हुई थी. रामभवन के अपनी कोई औलाद नहीं है. 3 साल पहले हार्ट अटैक से रामभवन के पिता चुन्ना कारीगर की मौत हो गई थी. इसके बाद से रामभवन अपनी पत्नी को साथ रखने लगा. तब से गांव में रहना छूट गया. रामभवन के दोनो भाई राजा और रामप्रकाश बांदा जिले के ही नरैनी-अतर्रा रोड पर अपने परिवारों के साथ रहते है.
रामभवन का काम सिचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के रूप में अर्जुन सहायक परियोजना महोबा और रसिन बांध परियोजना चित्रकूट की देखभाल करने का था. बांदा, महोबा और हमीरपुर के जिलों में ही उसकी नौकरी का ज्यादातर समय बीता था. इस कारण पूरे इलाके में उसकी मजबूत पकड थी. 2009-10 में रामभवन की तैनाती कर्वी में हुई थी. रामभवन काफी मिलनसार और सरल स्वभाव का दिखता था. उसका अपने साथ काम करने वालों और पडोसियों से अच्छा व्यवहार था. रामभवन करीब 10 साल से चित्रकूट में तैनात था.

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सिचाई विभाग कार्यालय के सामने ही कपसेठी गांव में किराये का मकान लेकर वह रहता था. रामभवन को नौकरी के षुरूआती दिनों में सिचाई विभाग कालोनी में ही रहने के लिये सरकारी आवास मिल गया था. इसके बाद भी वह कभी कालोनी के मकान में नहीं रहा. चित्रकूट में नौकरी के दिनों में सिकरी गांव के रहने वाले कुक्कू सिंह के यहां किराये का मकान लेकर रहता था. कुछ ही दिनों के बाद पडोसियों ने कुक्कू सिंह से षिकायत की थी कि रामभवन के घर में अनजान लोगों को आना जाना होता है. रामभवन ने खाना बनाने के लिये एक महिला को नौकरानी की तरह से रखा था. उसकी दो बेटियां भी यहां आतीजाती रहती थी. इस शिकायत के कुछ दिन बाद रामभवन ने यह मकान खाली कर दिया था.
दोबारा इसके खिलाफ 2012 में शिकायत हुई थी जब उसके पास रहने वाली एक किशोर उम्र की लडकी ने आत्महत्या कर ली थी. आरोप था कि रामभवन ने लडकी का यौन शोषण किया था. जिसके कारण लडकी ने आत्महत्या कर ली थी. चित्रकूट के लोग बताते है कि रामभवन उस मामले में बच गया क्योकि लडकी के घर परिवार वाले गरीब थे. रामभवन ने पानी की तरह से पैसा बहाकर अपने का बचाने में सफलता हासिल कर ली थी. रामभवन के कारनामों पर पर्दा पडा रहा. 2 नवंबर 2020 को रामभवन का नाम चर्चा में आया.
सीबीआई ने अनपरा सोनभद्र निवासी इंजीनियर नीरज यादव को पकडा. नीरज बीटेक करने के बाद दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी करता था. लौकडाउन के दौरान नीरज की नौकरी छूट गई थी. त बवह सोनभद्र आकर रहने लगा. सोषल मीडिया पर उसने पोनोग्राफी के कुछ वीडियो लोड किये थे. वहां से सीबीआई को रामभवन का नाम मिला. सीबीआई ने 25 सितंबर 2020 को सबसे पहले नीरज यादव को पकडा उसके बाद 15 नवम्बर 2020 को रामभवन को पकडा. सिचाई विभाग के जूनियर इजीनियर का नाम यौन शोषण मामले में आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के सिचाई और जल मंत्री डाक्टर महेन्द्र सिंह ने उनको निलंबित कर कठोरतम कारवाई करने के निर्देष दिये.
सीबीआई को रामभवन के पास से बच्चों के साथ यौन षोषण के 66 वीडियो, 600 से अधिक फोटो, सेक्स टाॅय, बच्चों से संबंधित अश्लील सामाग्री और 8 लाख रूपये बरामद हुये. बरामद हुये. इसमें 50 बच्चों का शामिल होना बताया जाता है. इन बच्चों की उम्र 5 से 15 साल के आसपास मानी जा रही है. यह सभी बच्चे हमीरपुर, चित्रकूट और बांदा के आसपास के रहने वाले माने जा रहे है. रामभवन इनके साथ अश्लील वीडियो बनाकर विदेशो मेे रहने वालों को बेच देता था. सीबीआई ने पाया कि रामभवन ‘डार्कवेब’ नामक वेबसाइट के जरीये यह काम करता था.
‘डार्कवेब’ इंटरनेट का बेहद जटिल स्वरूप है. डेनमार्क, कनाडा, स्वीडन और आयरलैंड जैसे देषों में इसकी जडे पाई गई है. यहां के इंटरनेट सर्वर के जरीये ‘डार्कवेब’ का संचालन होता है. यहां के आईपी एड्रेस का पता भी जल्दी नहीं लग पाता है. ‘डार्कवेब’ के जरीये केवल पोर्नोग्राफी ही नहीं मादक पदार्थो और अवैध असलहों की भी खरीद फरोख्त होती है. ‘डार्कवेब’ का सर्च इंजन कहीं नजर नहीं आता है. इस कारण ही इसको डीपनेट भी कहा जाता है. रामभवन को इसके संचालन की जानकारी कैसे हुई यह बडा सवाल है ?

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सीबीआई के सूत्र मानते है कि अनपरा के रहने वाले इंजीनियर नीरज यादव से रामभवन को यह जानकारी मिली हो. वीडियों बनाने का काम रामभवन करता हो और इसको ‘डार्कवेब’ तक ले जाने का काम नीरज यादव करता हो. नीरज यादव दिल्ली में रहने के दौरान किसी ऐसे चाइल्ड पोनोग्राफी रैकेट के संपर्क में आया होगा. जिसके बाद वह और रामभवन मिलकर यह काम करने लगे हो. सीबीआई रामभवन को रिमांड पर लेकर इन सवालों के जबाव तलाशने काम कर रही है. सीबीआई कां जाच में यह पता चला कि रामभवन 5 साल से 15 साल आयु वर्ग के बच्चों को अपने जाल में फंसा उनकी अश्लील वीडियों बना लेता था. इसके आधार पर बच्चों का यौन शोषण करता था.
‘डार्कवेब’ नामक वेबसाइट के संपर्क में आने के बाद रामभवन इन वीडियो को विदेशो में बेचने का काम भी करने लगा था. उसको जो पैसे मिलते थे वह बच्चों को भी देता था. बच्चों के घर वालों को बताता था कि बच्चे औनलाइन गेम्स में यह पैसा जीतते है. बच्चों को पैसे और उपहार देने से उसके खिलाफ कोई बोलने को तैयार नहीं है. रामभवन बच्चांे की इसी मजबूरी का लाभ उठाकर वीडियों बनाता था. रामभवन को पता नहीं था कि बुरे काम का बुरा नतीजा होता है. कभी न कभी अपराध सामने खुलकर आ ही जाता है.
भारत में इन्टरनेट पर अश्लील और आपत्तिजनक तस्वीर या कोई अश्लील फिल्म देखना और बनाना दोनों ही अपराध माने जाते है. इसके बाद भी यहां पर बडी संख्या में अवैध तरीके से ऐसे फोटो और वीडियों तैयार होते है. विदेषों में इनकी डिमांड ज्यादा है. साइबर क्राइम में सबसे अधिक मामले अष्लीलता के दर्ज हो रहे है. कई अपराधिक मामलों में ऐसे वीडियो अपराधियों के गले की फांस भी बन जाते है. भारत में देषी और विदेषी दोनो ही तरह के सेक्सी वीडियो सबसे अधिक देखी जाती है. भारत में 49 प्रतिशत लोग चोरी से पोर्न देखते है. 17 प्रतिषत लोग इस तरह की विडियो नियमित देखते है. भारत में 70 प्रतिषत पोर्न इंटरनेट मीडिया से आता है. भारत में सबसे ज्यादा पोर्न मोबाइल फोन पर देखी जाती है. भारत में अब तेजी से ऐसे वीडियो बनने लगे है. कुछ दिन पहले दिल्ली के स्कूल में पढने वाली लड़की का लगभग 2 मिनट की अश्लील वीडियो चर्चा में आया था. दिल्ली के चैक मेट्रो स्टेशन पर एलसीडी में इस तरह की सेक्स विडियो दिखने लगी थी.
बहुत सारे ऐसे मामले भी आये जिसमें लडके अपने साथियों के वीडियों और फोटो लेते पकडे गये थे. कई बार परेशन लडके लडकियों ने आत्महत्या जैसे कदम भी उठाये थे. कई मशहूर हस्तियों के वीडियो एडिट करके भी बनाने की घटनायें भी सामने आई. इंटरनेट कुछ ही सालों में पोर्न साईट देखने का सबसे बडा साधन बन गया. इसका व्यापार दिन पर दिन बढ़ रहा है. सेक्स से जुडी तमाम तरह की देशी और विदेशी वीडियो इंटरनेट पर मिलने लगी है. ऐसे में वीडियों बनाने का धंधा भी तेजी से फैल रहा है. देह का धंधा करने वाले गिरोह इंटरनेट पर अश्लील चैटिंग और सेक्स वीडियो का कारोबार कर रहे है. इनके जरीये देह धंधे के ग्राहक भी तलाशे जाते है. कई इंटरनेट साइड इस काम में लगी है. इसकी आड में तमाम तरह के फ्राड भी होते है.

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