आमतौर पर माना जाता है कि मालिक और नौकर का संबंध चिरकालिक है. दोनों ही एक दूसरे के पूरक है. ऐसे में अगर नौकर विश्वासघात करने लगे, आस्तीन का सांप बन जाए तो फिर मालिक का तो भगवान ही मालिक है.
ऐसी अनेक घटनाएं हमारे आसपास घटित होती है. जब नौकर विश्वासघात पर उतर आता है.और अपने ही मालिक को डस लेता है. आखिर नौकर की ऐसी करतूतों से कैसे बचा जा सकता है.
आज के इस अपराध पूर्ण माहौल में, यह एक बड़ी चिंता का विषय है. क्योंकि कब कौन, कहां क्या निर्णय लेता है और अपराध कर बैठता है यह कोई भी नहीं जान सकता. आइए! आज इस लेख में नौकर मालिक के संबंधों और अपराध को रेखांकित करते हुए कुछ घटनाओं के माध्यम से हम आपको जिंदगी के सच को दिखाने का प्रयास करते हैं. विधि और समाज के महत्वपूर्ण लोगों के विचार भी इस आलेख में शामिल किए गए हैं.
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घर का भेदी- नौकर
छत्तीसगढ़ के जिला रायगढ़ में अपने घर में लगातार चोरियां होती देख परेशान मालिक ने घर में मोबाइल को वीडियो रिकार्डिंग मोड पर रखकर छोड़ दिया. जब मोबाइल को दोबारा चेक किया तो पता चला कि आरोपी और कोई नहीं, घर का ही एक विश्वासपात्र नौकर है. मालिक ने नौकर के विरुद्ध थाने में अपराध दर्ज करायी. शशांक अग्रवाल (21 साल) पिता डा. राजेन्द्र फ्रेंड्स कॉलोनी में रहते हैं.
शशांक बताते हैं इनकी क्लिनिक गांधी गंज में है. क्लिनिक और घर की देखभाल के लिए डाक्टर ने दिलेश्वर पटेल निवासी चिनारा चैनपुर कोरबा को तीन साल से रखा है. 15 अप्रैल को शशांक अग्रवाल और इनके माता-पिता घर बंद कर शाम 5.30 बजे क्लिनिक गए थे. घर में इलेक्ट्रीशियन काम कर रहा था, दिलेश्वर भी घर पर था. कुछ महिनों से लगातार अलमारी से रुपए और जेवरात चोरी हो रहे थे. डॉ. राजेन्द्र ने चोरी का पता लगाने के लिए उनकी पत्नी के मोबाइल को वीडियो रिकार्डिंग मोड में डालकर बेडरूम में छिपा दिया था. रात करीब 9.30 बजे डॉक्टर अग्रवाल जब घर पहुंचे तो उन्होंने अपना मोबाइल चेक किया.मोबाइल की वीडियो रिकार्डिंग में दिलेश्वर घर की अलमारी खोलकर 90 हजार रुपए ले जाता दिखा.इस पर उनके द्वारा कोतरा रोड में पहुंच रिपोर्ट दर्ज कराई गई. रिपोर्ट पर कोतरा रोड पुलिस ने आरोपी नौकर को जेल की हवा खाने भेज दिया है.
मास्टरमाइंड नौकर
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मोबाइल दुकान में काम करने वाले कर्मचारी ने मालिक के विश्वास का फायदा उठाकर अकाउन्ट से अपने खाते में 6 लाख रुपए ट्रांसर्फर कर लिया. घटना की रिपोर्ट गुढिय़ारी थाने में दर्ज की गई है. रायपुर के अशोकनगर , गुढिय़ारी निवासी साधुराम जीवनानी ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि प्रार्थी का एक मोबाइल दुकान है. दुकान में काम करने वाले अखिलेश्वर पाण्डेय विश्वास के कारण ग्राहकों को मोबाइल फायनेंस ब्रिकी होम क्रेडिट कंपनी द्वारा किया जाता है.खिलेश्वर पाण्डेय दुकान का एकाउन्ट एवं मोबाइल खरीदी बिक्री का काम करता है, जिसके कारण आरोपी को खाता संबंधित आईडी पासवर्ड दिया था. 7 जनवरी को प्रार्थी के मोबाइल पर 10 हजार रुपए निकालने के संबंध में मैसेज आया जिसके बाद बैंक जाकर खाते की जांच कराने पर अखिलेश्वर पाण्डे ने कई बार में 6 लाख 2 हजार 920 रुपए पीडि़त के एचडीएफसी बैंक खाते से अपने खाते में ट्रांसर्फर किया है. इसके बाद 7 जनवरी से दुकान में काम करना बंद कर दिया है. रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ अमानत में खयानत की के तहत अपराध कायम कर कर लिया.
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जब नौकर ही हत्यारा निकला
किस्से कहानियों और फिल्मों में हम अक्सर नौकर को वफादार के रूप में पाते हैं मगर ऐसी भी बहुत सी कहानियां हैं जब नौकर पीठ पर घाव कर देता है.
ऐसी ही एक घटना छत्तीसगढ़ के नवगठित जिला पेंड्रा में घटित हुई.यहां पुलिस ने कंप्यूटर दुकान संचालक की हत्या का खुलासा करते हुए मामले में मृतक की पत्नी और उसके ड्राइवर को गिरफ्तार किया पुलिस की पूछताछ में मृतक की आरोपी पत्नी ने इकबालिया बयान में बताया पति से परेशान थी और तंग आकर ड्राइवर के साथ मिलकर हत्या की है. पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कार और वारदात को अंजाम देने के लिए उपयोग किये गए डंडे को भी बरामद कर लिया है.
यह सनसनीखेज मामला गौरेला थाना क्षेत्र का है, पुलिस को सूचना मिली कि चुक्तिपानी और ज्वालेश्वर मार्ग पर सड़क किनारे खाई में एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला है. पुलिस मौके पर पहुचकर जांच शुरू की तब पुलिस को पता चला कि शव पेण्ड्रा थानाक्षेत्र के कुदरी गांव में रहने वाले रजनीश डेनियल का है, जो कंप्यूटर दुकान संचालित करता था. पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि रजनीश डेनियल घर से अचानक गायब हो गया था, जिस पर उसकी पत्नी माग्रेट डेनियल ने पेण्ड्रा थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी.
खाई में मिले शव की शिनाख्ती के लिए पुलिस ने मार्गेट डेनियल को बुलाया शव की पहचान उसकी पत्नी ने की और शव जो पुलिस ने पंचनामा पोस्टमार्टम कार्रवाई के बाद परिजन को सौंप दिया, शॉर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मृतक की हत्या किसी वजनी चीज से सर में चोट मारने और गला दबाने से हुई है.
पुलिस ने मामले में अलग-अलग बयान लिया यहां तक की मनोवैज्ञानिक तरीके से भी पूछताछ की गई. पुलिस को मामले में संदेह मृतक की पत्नी पर हुआ, जिस पर कड़ाई से की गई पूछताछ में उसने हत्या की बात कबूल कर ली. मृतक की पत्नी ने बतलाया कि वो अपने पति से काफी परेशान थी. रजनीश उसे शारीरिक और मानसिक रूप से काफी परेशान करता था, यहां तक की खाने-पीने को भी नहीं दिया करता था. प्रताड़ना से तंग आकर मार्ग्रेट डेनियल ड्राइवर भूरेलाल को पैसे और जमीन का लालच देकर रजनीश डेनियल को मारने का प्लान बनाया.
छत्तीसगढ़ के आदिवासी जिला जशपुर में एक व्यापारी को उसके यहां काम करने वाले नौकर में ऐसा दंश दिया जिसे वह शायद कभी नहीं भूल सकता और पुलिस भी उस नौकर को अभी तक ढूंढ नहीं पाई है. रामलाल नामक एक कपड़ा व्यवसायी के गोदाम का पचास हजार का कीमती कपड़ा नौकर ने बेच दिया और पता चलने पर नौकर धीरज फरार है.
ऐसे ही एक घटना क्रम में जिला बेमेतरा के कोतवाली थाना अंतर्गत एक जनरल स्टोर के नौकर ने अपने मालिक घनश्याम तिवारी को लाखों रुपए का चूना लगा दिया मालिक ने नौकर रमाकांत को रुपए जमा करने बैंक भेजा मगर नौकर पैसे लेकर से फरार हो गया.
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आखिर क्या है उपाय
जैसा कि हम जानते हैं नौकर और मालिक, मालिक और नौकर का संबंध चोली दामन का संबंध है. ऐसे में जब ऐसी बहुतेरी घटनाएं समाज में घटित हो रही हैं. जब नौकर अपराधी हो जाता है तब एहतियात, सतर्कता लाजमी हो जाती है.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता एसएस मसीह के मुताबिक आज समय आंख बंद करके किसी पर विश्वास करने का नहीं है. ऐसे में जब आपके यहां कार्यरत सर्वेंट अर्थात नौकर चाहे कितना ही पुराना क्यों ना हो आप सहजता और सरलता बनाते हुए अपनी आंखें खुली रखें. कभी भी अपने महत्वपूर्ण दस्तावेज, बैंक के दस्तावेज नौकर को न बताएं और एक मर्यादा के तहत माहौल बनाकर काम लें.
वहीं संगीत मनोविज्ञान के शिक्षक घनश्याम तिवारी के मुताबिक नौकर और मालिक एक दूसरे के पर्याय हैं नौकर के बिना काम नहीं चल सकता मगर मालिक को चाहिए कि एहतियात बरतते हुए अपने महत्वपूर्ण सूचनाओं को अभी भी नौकर से शेयर न करें.
सामाजिक कार्यकर्ता रमाकांत श्रीवास के मुताबिक नौकर पर पूर्ण रूप से आंख बंद करके विश्वास करना घातक हो सकता है. आज के समय में जब गुप्त कैमरे लग चुके हैं, ऐसे में बहुत तरह से राहत भी मिल जाती है मगर एहतियात अपरिहार्य है.